Al-Ĥamdu Lillāh Al-Ladhī Khalaqa As-Samāwāti Wa Al-'Arđa Wa Ja`ala Až-Žulumāti Wa An-Nūra ۖ Thumma Al-Ladhīna Kafarū Birabbihim Ya`dilūna
006-001 सब तारीफ ख़ुदा ही को (सज़ावार) है जिसने बहुतेरे आसमान और ज़मीन को पैदा किया और उसमें मुख्तलिफ क़िस्मों की तारीकी रोशनी बनाई फिर (बावजूद उसके) कुफ्फार (औरों को) अपने परवरदिगार के बराबर करते हैं
Huwa Al-Ladhī Khalaqakum MinŢīninThumma Qađá 'Ajalāan ۖ Wa 'Ajalun Musamman `Indahu ۖ Thumma 'Antum Tamtarūna
006-002 वह तो वही ख़ुदा है जिसने तुमको मिट्टी से पैदा किया फिर (फिर तुम्हारे मरने का) एक वक्त मुक़र्रर कर दिया और (अगरचे तुमको मालूम नहीं मगर) उसके नज़दीक (क़यामत) का वक्त मुक़र्रर है
Wa Huwa Allāhu Fī As-Samāwāti Wa Fī Al-'Arđi ۖ Ya`lamu Sirrakum Wa Jahrakum Wa Ya`lamu Mā Taksibūna
006-003 फिर (यही) तुम शक़ करते हो और वही तो आसमानों में (भी) और ज़मीन में (भी) ख़ुदा है वही तुम्हारे ज़ाहिर व बातिन से (भी) ख़बरदार है और वही जो कुछ भी तुम करते हो जानता है
'Alam Yaraw Kam 'Ahlaknā MinQablihim MinQarnin Makkannāhum Fī Al-'Arđi Mā Lam Numakkin Lakum Wa 'Arsalnā As-Samā'a `Alayhim Midrārāan Wa Ja`alnā Al-'Anhāra Tajrī Min Taĥtihim Fa'ahlaknāhum Bidhunūbihim Wa 'Ansha'nā Min Ba`dihimQarnāan 'Ākharīna
006-006 क्या उन्हें सूझता नहीं कि हमने उनसे पहले कितने गिरोह (के गिरोह) हलाक कर डाले जिनको हमने रुए ज़मीन मे वह (कूवत) क़ुदरत अता की थी जो अभी तक तुमको नहीं दी और हमने आसमान तो उन पर मूसलाधार पानी बरसता छोड़ दिया था और उनके (मकानात के) नीचे बहती हुई नहरें बना दी थी (मगर) फिर भी उनके गुनाहों की वजह से उनको मार डाला और उनके बाद एक दूसरे गिरोह को पैदा कर दिया
Wa Law Nazzalnā `Alayka Kitābāan Fī Qirţāsin Falamasūhu Bi'aydīhim Laqāla Al-Ladhīna Kafarū 'In Hādhā 'Illā Siĥrun Mubīnun
006-007 और (ऐ रसूल) अगर हम कागज़ पर (लिखी लिखाई) किताब (भी) तुम पर नाज़िल करते और ये लोग उसे अपने हाथों से छू भी लेते फिर भी कुफ्फार (न मानते और) कहते कि ये तो बस खुला हुआ जादू है
Wa Qālū Lawlā 'Unzila `Alayhi Malakun ۖ Wa Law 'Anzalnā Malakāan Laquđiya Al-'AmruThumma Lā Yunžarūna
006-008 और (ये भी) कहते कि उस (नबी) पर कोई फरिश्ता क्यों नहीं नाज़िल किया गया (जो साथ साथ रहता) हालॉकि अगर हम फरिश्ता भेज देते तो (उनका) काम ही तमाम हो जाता (और) फिर उन्हें मोहलत भी न दी जाती
Wa Law Ja`alnāhu Malakāan Laja`alnāhu Rajulāan Wa Lalabasnā `Alayhim Mā Yalbisūna
006-009 और अगर हम फरिश्ते को नबी बनाते तो (आख़िर) उसको भी मर्द सूरत बनाते और जो शुबहे ये लोग कर रहे हैं वही शुबहे (गोया) हम ख़ुद उन पर (उस वक्त भी) उठा देते
006-010 (ऐ रसूल तुम दिल तंग न हो) तुम से पहले (भी) पैग़म्बरों के साथ मसख़रापन किया गया है पस जो लोग मसख़रापन करते थे उनको उस अज़ाब ने जिसके ये लोग हॅसी उड़ाते थे घेर लिया
006-012 (ऐ रसूल उनसे) पूछो तो कि (भला) जो कुछ आसमान और ज़मीन में है किसका है (वह जवाब देगें) तुम ख़ुद कह दो कि ख़ास ख़ुदा का है उसने अपनी ज़ात पर मेहरबानी लाज़िम कर ली है वह तुम सब के सब को क़यामत के दिन जिसके आने मे कुछ शक़ नहीं ज़रुर जमा करेगा (मगर) जिन लोगों ने अपना आप नुक़सान किया वह तो (क़यामत पर) ईमान न लाएंगें
Qul 'Aghayra Allāhi 'Attakhidhu Walīyāan Fāţiri As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Huwa Yuţ`imu Wa Lā Yuţ`amu ۗ Qul 'Innī 'Umirtu 'An 'Akūna 'Awwala Man 'Aslama ۖ Wa Lā Takūnanna Mina Al-Mushrikīna
006-014 ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या ख़ुदा को जो सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करने वाला है छोड़ कर दूसरे को (अपना) सरपरस्त बनाओ और वही (सब को) रोज़ी देता है और उसको कोई रोज़ी नहीं देता (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मुझे हुक्म दिया गया है कि सब से पहले इस्लाम लाने वाला मैं हूँ और (ये भी कि ख़बरदार) मुशरेकीन से न होना
Wa 'In Yamsaska Allāhu Biđurrin Falā Kāshifa Lahu~ 'Illā Huwa ۖ Wa 'In Yamsaska Bikhayrin Fahuwa `Alá Kulli Shay'inQadīrun
006-017 और अगर ख़ुदा तुम को किसी क़िस्म की तकलीफ पहुचाए तो उसके सिवा कोई उसका दफा करने वाला नहीं है और अगर तुम्हें कुछ फायदा) पहुंचाए तो भी (कोई रोक नहीं सकता क्योंकि) वह हर चीज़ पर क़ादिर है
Qul 'Ayyu Shay'in 'AkbaruShahādatan ۖ Quli Allāhu ۖ Shahīdun Baynī Wa Baynakum ۚ Wa 'Ūĥiya 'Ilayya Hādhā Al-Qur'ānu Li'ndhirakum Bihi Wa Man Balagha ۚ 'A'innakum Latash/hadūna 'Anna Ma`a Allāhi 'Ālihatan 'Ukhrá ۚ Qul Lā 'Ash/hadu ۚ Qul 'Innamā Huwa 'Ilahun Wāĥidun Wa 'Innanī Barī'un Mimmā Tushrikūna
006-019 (ऐ रसूल) तुम पूछो कि गवाही में सबसे बढ़के कौन चीज़ है तुम खुद ही कह दो कि मेरे और तुम्हारे दरमियान ख़ुदा गवाह है और मेरे पास ये क़ुरान वही के तौर पर इसलिए नाज़िल किया गया ताकि मैं तुम्हें और जिसे (उसकी) ख़बर पहुँचे उसके ज़रिए से डराओ क्या तुम यक़ीनन यह गवाही दे सकते हो कि अल्लाह के साथ और दूसरे माबूद भी हैं (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै तो उसकी गवाही नहीं देता (तुम दिया करो) तुम (उन लोगों से) कहो कि वह तो बस एक ही ख़ुदा है और जिन चीज़ों को तुम (ख़ुदा का) शरीक बनाते हो
006-020 मै तो उनसे बेज़र हूँ जिन लोगों को हमने किताब अता फरमाई है (यहूद व नसारा) वह तो जिस तरह अपने बाल बच्चों को पहचानते है उसी तरह उस नबी (मोहम्मद) को भी पहचानते हैं (मगर) जिन लोगों ने अपना आप नुक़सान किया वह तो (किसी तरह) ईमान न लाएंगें
006-022 और (उस दिन को याद करो) जिस दिन हम उन सबको जमा करेंगे फिर जिन लोगों ने शिर्क किया उनसे पूछेगें कि जिनको तुम (ख़ुदा का) शरीक ख्याल करते थे कहाँ हैं
Wa Minhum Man Yastami`u 'Ilayka ۖ Wa Ja`alnā `Alá Qulūbihim 'Akinnatan 'An Yafqahūhu Wa Fī 'Ādhānihim Waqrāan Wa 'In ۚ Yaraw Kulla 'Āyatin Lā Yu'uminū Bihā Ĥattá ۚ 'Idhā Jā'ūka Yujādilūnaka Yaqūlu Al-Ladhīna Kafarū 'In Hādhā 'Illā 'Asāţīru Al-'Awwalīna
006-025 वह सब ग़ायब हो गयी और बाज़ उनमें के ऐसे भी हैं जो तुम्हारी (बातों की) तरफ कान लगाए रहते हैं और (उनकी हठ धर्मी इस हद को पहुँची है कि गोया हमने ख़ुद उनके दिलों पर परदे डाल दिए हैं और उनके कानों में बहरापन पैदा कर दिया है कि उसे समझ न सकें और अगर वह सारी (ख़ुदाई के) मौजिज़े भी देखे लें तब भी ईमान न लाएंगें यहाँ तक (हठ धर्मी पहुची) कि जब तुम्हारे पास तुम से उलझे हुए आ निकलते हैं तो कुफ्फ़ार (क़ुरान लेकर) कहा बैठे है (कि भला इसमें रखा ही क्या है) ये तो अगलों की कहानियों के सिवा कुछ भी नहीं
Wa Hum Yanhawna `Anhu Wa Yan'awna `Anhu ۖ Wa 'In Yuhlikūna 'Illā 'Anfusahum Wa Mā Yash`urūna
006-026 और ये लोग (दूसरों को भी) उस के (सुनने से) से रोकते हैं और ख़ुद तो अलग थलग रहते ही हैं और (इन बातों से) बस आप ही अपने को हलाक करते हैं और (अफसोस) समझते नहीं
Wa Law Tará 'Idh Wuqifū `Alá An-Nāri Faqālū Yā Laytanā Nuraddu Wa Lā Nukadhdhiba Bi'āyāti Rabbinā Wa Nakūna Mina Al-Mu'uminīna
006-027 (ऐ रसूल) अगर तुम उन लोगों को उस वक्त देखते (तो ताज्जुब करते) जब जहन्नुम (के किनारे) पर लाकर खड़े किए जाओगे तो (उसे देखकर) कहेगें ऐ काश हम (दुनिया में) फिर (दुबारा) लौटा भी दिए जाते और अपने परवरदिगार की आयतों को न झुठलाते और हम मोमिनीन से होते (मगर उनकी आरज़ू पूरी न होगी)
Bal Badā Lahum Mā Kānū Yukhfūna MinQablu ۖ Wa Law Ruddū La`ādū Limā Nuhū `Anhu Wa 'Innahum Lakādhibūna
006-028 बल्कि जो (बेईमानी) पहले से छिपाते थे आज (उसकी हक़ीक़त) उन पर खुल गयी और (हम जानते हैं कि) अगर ये लोग (दुनिया में) लौटा भी दिए जाएं तो भी जिस चीज़ की मनाही की गयी है उसे करें और ज़रुर करें और इसमें शक़ नहीं कि ये लोग ज़रुर झूठे हैं
Wa Qālū 'In Hiya 'Illā Ĥayātunā Ad-Dunyā Wa Mā Naĥnu Bimab`ūthīna
006-029 और कुफ्फार ये भी तो कहते हैं कि हमारी इस दुनिया ज़िन्दगी के सिवा कुछ भी नहीं और (क़यामत वग़ैरह सब ढकोसला है) हम (मरने के बाद) भी उठाए ही न जायेंगे
Wa Law Tará 'Idh Wuqifū `Alá Rabbihim ۚ Qāla 'Alaysa Hādhā Bil-Ĥaqqi ۚ Qālū Balá Wa Rabbinā ۚ Qāla Fadhūqū Al-`Adhāba Bimā Kuntum Takfurūna
006-030 और (ऐ रसूल) अगर तुम उनको उस वक्त देखते (तो ताज्जुब करते) जब वे लोग ख़ुदा के सामने खड़े किए जाएंगें और ख़ुदा उनसे पूछेगा कि क्या ये (क़यामत का दिन) अब भी सही नहीं है वह (जवाब में) कहेगें कि (दुनिया में) इससे इन्कार करते थे
006-031 उसकी सज़ा में अज़ाब (के मजे) चखो बेशक जिन लोगों ने क़यामत के दिन ख़ुदा की हुज़ूरी को झुठलाया वह बड़े घाटे में हैं यहाँ तक कि जब उनके सर पर क़यामत नागहा (एक दम आ) पहँचेगी तो कहने लगेगें ऐ है अफसोस हम ने तो इसमें बड़ी कोताही की (ये कहते जाएगे) और अपने गुनाहों का पुश्तारा अपनी अपनी पीठ पर लादते जाएंगे देखो तो (ये) क्या बुरा बोझ है जिसको ये लादे (लादे फिर रहे) हैं
Wa Mā Al-Ĥayāatu Ad-Dunyā 'Illā La`ibun Wa Lahwun ۖ Wa Lalddāru Al-'Ākhiratu Khayrun Lilladhīna Yattaqūna ۗ 'Afalā Ta`qilūna
006-032 और (ये) दुनियावी ज़िन्दगी तो खेल तमाशे के सिवा कुछ भी नहीं और ये तो ज़ाहिर है कि आख़िरत का घर (बेहिश्त) परहेज़गारो के लिए उसके बदर वहॉ (कई गुना) बेहतर है तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते
Qad Na`lamu 'Innahu Layaĥzunuka Al-Ladhī Yaqūlūna ۖ Fa'innahum Lā Yukadhdhibūnaka Wa Lakinna Až-Žālimīna Bi'āyāti Allāhi Yajĥadūna
006-033 हम खूब जानते हैं कि उन लोगों की बकबक तुम को सदमा पहुँचाती है तो (तुम को समझना चाहिए कि) ये लोग तुम को नहीं झुठलाते बल्कि (ये) ज़ालिम (हक़ीक़तन) ख़ुदा की आयतों से इन्कार करते हैं
Wa Laqad Kudhdhibat Rusulun MinQablika Faşabarū `Alá Mā Kudhdhibū Wa 'Ūdhū Ĥattá 'Atāhum Naşrunā ۚ Wa Lā Mubaddila Likalimāti Allāhi ۚ Wa Laqad Jā'aka Min Naba'i Al-Mursalīna
006-034 और (कुछ तुम ही पर नहीं) तुमसे पहले भी बहुतेरे रसूल झुठलाए जा चुके हैं तो उन्होनें अपने झुठलाए जाने और अज़ीयत (व तकलीफ) पर सब्र किया यहाँ तक कि हमारी मदद उनके पास आयी और (क्यों न आती) ख़ुदा की बातों का कोई बदलने वाला नहीं है और पैग़म्बर के हालात तो तुम्हारे पास पहुँच ही चुके हैं
Wa 'In Kāna Kabura `Alayka 'I`rāđuhum Fa'ini Astaţa`ta 'An Tabtaghiya Nafaqāan Fī Al-'Arđi 'Aw Sullamāan Fī As-Samā'i Fata'tiyahum Bi'āyatin ۚ Wa Law Shā'a Allāhu Lajama`ahum `Alá Al-Hudá ۚ Falā Takūnanna Mina Al-Jāhilīna
006-035 अगरचे उन लोगों की रदगिरदानी (मुँह फेरना) तुम पर शाक़ ज़रुर है (लेकिन) अगर तुम्हारा बस चले तो ज़मीन के अन्दर कोई सुरगं ढँढ निकालो या आसमान में सीढ़ी लगाओ और उन्हें कोई मौजिज़ा ला दिखाओ (तो ये भी कर देखो) अगर ख़ुदा चाहता तो उन सब को राहे रास्त पर इकट्ठा कर देता (मगर वह तो इम्तिहान करता है) बस (देखो) तुम हरगिज़ ज़ालिमों में (शामिल) न होना
006-037 और कुफ्फ़ार कहते हैं कि (आख़िर) उस नबी पर उसके परवरदिगार की तरफ से कोई मौजिज़ा क्यों नहीं नाज़िल होता तो तुम (उनसे) कह दो कि ख़ुदा मौजिज़े के नाज़िल करने पर ज़रुर क़ादिर है मगर उनमें के अक्सर लोग (ख़ुदा की मसलहतों को) नहीं जानते
Wa Mā Min Dābbatin Fī Al-'Arđi Wa Lā Ţā'irin Yaţīru Bijanāĥayhi 'Illā 'Umamun 'Amthālukum ۚ Mā Farraţnā Fī Al-Kitābi MinShay'in ۚ Thumma 'Ilá Rabbihim Yuĥsharūna
006-038 ज़मीन में जो चलने फिरने वाला (हैवान) या अपने दोनों परों से उड़ने वाला परिन्दा है उनकी भी तुम्हारी तरह जमाअतें हैं और सब के सब लौह महफूज़ में मौजूद (हैं) हमने किताब (क़ुरान) में कोई बात नहीं छोड़ी है फिर सब के सब (चरिन्द हों या परिन्द) अपने परवरदिगार के हुज़ूर में लाए जायेंगे।
Wa Al-Ladhīna Kadhdhabū Bi'āyātinā Şummun Wa Bukmun Fī Až-Žulumāti ۗ Man Yasha'i Allāhu Yuđlilhu Wa Man Yasha' Yaj`alhu `Alá Şirāţin Mustaqīmin
006-039 और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठला दिया गोया वह (कुफ्र के घटाटोप) ऍधेरों में गूंगें बहरे (पड़े हैं) ख़ुदा जिसे चाहे उसे गुमराही में छोड़ दे और जिसे चाहे उसे सीधे ढर्रे पर लगा दे
006-040 (ऐ रसूल उनसे) पूछो तो कि क्या तुम यह समझते हो कि अगर तुम्हारे सामने ख़ुदा का अज़ाब आ जाए या तुम्हारे सामने क़यामत ही आ खड़ी मौजूद हो तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो (बताओ कि मदद के वास्ते) क्या ख़ुदा को छोड़कर दूसरे को पुकारोगे
Bal 'Īyāhu Tad`ūna Fayakshifu Mā Tad`ūna 'Ilayhi 'InShā'a Wa Tansawna Mā Tushrikūna
006-041 (दूसरों को तो क्या) बल्कि उसी को पुकारोगे फिर अगर वह चाहेगा तो जिस के वास्ते तुमने उसको पुकारा है उसे दफा कर देगा और (उस वक्त) तुम दूसरे माबूदों को जिन्हे तुम (ख़ुदा का) शरीक समझते थे भूल जाओगे
Falawlā 'Idh Jā'ahum Ba'sunā Tađarra`ū Wa LakinQasat Qulūbuhum Wa Zayyana Lahumu Ash-Shayţānu Mā Kānū Ya`malūn
006-043 और तकलीफ़ में गिरफ्तार किया ताकि वह लोग (हमारी बारगाह में) गिड़गिड़ाए तो जब उन (के सर) पर हमारा अज़ाब आ खड़ा हुआ तो वह लोग क्यों नहीं गिड़गिड़ाए (कि हम अज़ाब दफा कर देते) मगर उनके दिल तो सख्त हो गए थे ओर उनकी कारस्तानियों को शैतान ने आरास्ता कर दिखाया था (फिर क्योंकर गिड़गिड़ाते)
006-044 फिर जिसकी उन्हें नसीहत की गयी थी जब उसको भूल गए तो हमने उन पर (ढील देने के लिए) हर तरह की (दुनियावी) नेअमतों के दरवाज़े खोल दिए यहाँ तक कि जो नेअमतें उनको दी गयी थी जब उनको पाकर ख़ुश हुए तो हमने उन्हें नागाहाँ (एक दम) ले डाला तो उस वक्त वह नाउम्मीद होकर रह गए
Qul 'Ara'aytum 'In 'Akhadha Allāhu Sam`akum Wa 'Abşārakum Wa Khatama `Alá Qulūbikum Man 'Ilahun Ghayru Allāhi Ya'tīkum Bihi ۗ Anžur Kayfa Nuşarrifu Al-'Āyāti Thumma Hum Yaşdifūna
006-046 (कि क़िस्सा पाक हुआ) (ऐ रसूल) उनसे पूछो तो कि क्या तुम ये समझते हो कि अगर ख़ुदा तुम्हारे कान और तुम्हारी ऑंखे लें ले और तुम्हारे दिलों पर मोहर कर दे तो ख़ुदा के सिवा और कौन मौजूद है जो (फिर) तुम्हें ये नेअमतें (वापस) दे (ऐ रसूल) देखो तो हम किस किस तरह अपनी दलीले बयान करते हैं इस पर भी वह लोग मुँह मोडे ज़ाते हैं
006-047 (ऐ रसूल) उनसे पूछो कि क्या तुम ये समझते हो कि अगर तुम्हारे सर पर ख़ुदा का अज़ाब बेख़बरी में या जानकारी में आ जाए तो क्या गुनाहगारों के सिवा और लोग भी हलाक़ किए जाएंगें (हरगिज़ नहीं)
Wa Mā Nursilu Al-Mursalīna 'Illā Mubashshirīna Wa Mundhirīna ۖ Faman 'Āmana Wa 'Aşlaĥa Falā Khawfun `Alayhim Wa Lā Hum Yaĥzanūna
006-048 और हम तो रसूलों को सिर्फ इस ग़रज़ से भेजते हैं कि (नेको को जन्नत की) खुशख़बरी दें और (बदो को अज़ाब जहन्नुम से) डराएं फिर जिसने ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए तो ऐसे लोगों पर (क़यामत में) न कोई ख़ौफ होगा और न वह ग़मग़ीन होगें
Qul Lā 'Aqūlu Lakum `Indī Khazā'inu Allāhi Wa Lā 'A`lamu Al-Ghayba Wa Lā 'Aqūlu Lakum 'Innī Malakun ۖ 'In 'Attabi`u 'Illā Mā Yūĥá 'Ilayya ۚ Qul Hal Yastawī Al-'A`má Wa Al-Başīru ۚ 'Afalā Tatafakkarūna
006-050 (ऐ रसूल) उनसे कह दो कि मै तो ये नहीं कहता कि मेरे पास ख़ुदा के ख़ज़ाने हैं (कि ईमान लाने पर दे दूंगा) और न मै गैब के (कुल हालात) जानता हूँ और न मै तुमसे ये कहता हूँ कि मै फरिश्ता हूँ मै तो बस जो (ख़ुदा की तरफ से) मेरे पास वही की जाती है उसी का पाबन्द हूँ (उनसे पूछो तो) कि अन्धा और ऑंख वाला बराबर हो सकता है तो क्या तुम (इतना भी) नहीं सोचते
Wa 'Andhir Bihi Al-Ladhīna Yakhāfūna 'An Yuĥsharū 'Ilá Rabbihim ۙ Laysa Lahum Min Dūnihi Wa Līyun Wa Lā Shafī`un La`allahum Yattaqūna
006-051 और इस क़ुरान के ज़रिए से तुम उन लोगों को डराओ जो इस बात का ख़ौफ रखते हैं कि वह (मरने के बाद) अपने ख़ुदा के सामने जमा किये जायेंगे (और यह समझते है कि) उनका ख़ुदा के सिवा न कोई सरपरस्त हे और न कोई सिफारिश करने वाला ताकि ये लोग परहेज़गार बन जाएं
Wa Lā Taţrudi Al-Ladhīna Yad`ūna Rabbahum Bil-Ghadāati Wa Al-`Ashīyi Yurīdūna Wajhahu Mā ۖ `Alayka Min Ĥisābihim MinShay'in Wa Mā Min Ĥisābika `Alayhim MinShay'in Fataţrudahum Fatakūna Mina Až-Žālimīna
006-052 और (ऐ रसूल) जो लोग सुबह व शाम अपने परवरदिगार से उसकी ख़ुशनूदी की तमन्ना में दुऑए मॉगा करते हैं- उनको अपने पास से न धुत्कारो-न उनके (हिसाब किताब की) जवाब देही कुछ उनके ज़िम्मे है ताकि तुम उन्हें (इस ख्याल से) धुत्कार बताओ तो तुम ज़ालिम (के शुमार) में हो जाओगे
Wa Kadhalika Fatannā Ba`đahum Biba`đin Liyaqūlū 'Ahā'uulā' Manna Allāhu `Alayhim Min Bayninā ۗ 'Alaysa Allāhu Bi'a`lama Bish-Shākirīna
006-053 और इसी तरह हमने बाज़ आदमियों को बाज़ से आज़माया ताकि वह लोग कहें कि हाएं क्या ये लोग हममें से हैं जिन पर ख़ुदा ने अपना फ़जल व करम किया है (यह तो समझते की) क्या ख़ुदा शुक्र गुज़ारों को भी नही जानता
Wa 'Idhā Jā'aka Al-Ladhīna Yu'uminūna Bi'āyātinā Faqul Salāmun `Alaykum ۖ Kataba Rabbukum `Alá Nafsihi Ar-Raĥmata ۖ 'Annahu Man `Amila Minkum Sū'āan BijahālatinThumma Tāba Min Ba`dihi Wa 'Aşlaĥa Fa'annahu GhafūrunRaĥīmun
006-054 और जो लोग हमारी आयतों पर ईमान लाए हैं तुम्हारे पास ऑंए तो तुम सलामुन अलैकुम (तुम पर ख़ुदा की सलामती हो) कहो तुम्हारे परवरदिगार ने अपने ऊपर रहमत लाज़िम कर ली है बेशक तुम में से जो शख़्श नादानी से कोई गुनाह कर बैठे उसके बाद फिर तौबा करे और अपनी हालत की (असलाह करे ख़ुदा उसका गुनाह बख्श देगा क्योंकि) वह यक़ीनी बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Qul 'Innī Nuhītu 'An 'A`buda Al-Ladhīna Tad`ūna Min Dūni Allāhi ۚ Qul Lā 'Attabi`u 'Ahwā'akum ۙ QadĐalaltu 'Idhāan Wa Mā 'Anā Mina Al-Muhtadīna
006-056 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मुझसे उसकी मनाही की गई है कि मैं ख़ुदा को छोड़कर उन माबूदों की इबादत करुं जिन को तुम पूजा करते हो (ये भी) कह दो कि मै तो तुम्हारी (नाफसानी) ख्वाहिश पर चलने का नहीं (वरना) फिर तो मै गुमराह हो जाऊॅगा और हिदायत याफता लोगों में न रहूँगा
Qul 'Innī `Alá Bayyinatin MinRabbī Wa Kadhdhabtum Bihi ۚ Mā `Indī Mā Tasta`jilūna Bihi~ ۚ 'Ini Al-Ĥukmu 'Illā Lillāh ۖ Yaquşşu Al-Ĥaqqa ۖ Wa Huwa Khayru Al-Fāşilīna
006-057 तुम कह दो कि मै तो अपने परवरदिगार की तरफ से एक रौशन दलील पर हूं और तुमने उसे झुठला दिया (तो) तुम जिस की जल्दी करते हो (अज़ाब) वह कुछ मेरे पास (एख्तियार में) तो है नहीं हुकूमत तो बस ज़रुर ख़ुदा ही के लिए है वह तो (हक़) बयान करता है और वह तमाम फैसला करने वालों से बेहतर है
Qul Law 'Anna `Indī Mā Tasta`jilūna Bihi Laquđiya Al-'Amru Baynī Wa Baynakum Wa ۗ Allāhu 'A`lamu Biž-Žālimīna
006-058 (उन लोगों से) कह दो कि जिस (अज़ाब) की तुम जल्दी करते हो अगर वह मेरे पास (एख्तियार में) होता तो मेरे और तुम्हारे दरमियान का फैसला कब का चुक गया होता और ख़ुदा तो ज़ालिमों से खूब वाक़िफ है
Wa `Indahu Mafātiĥu Al-Ghaybi Lā Ya`lamuhā 'Illā Huwa ۚ Wa Ya`lamu Mā Fī Al-Barri Wa Al-Baĥri ۚ Wa Mā Tasquţu Min Waraqatin 'Illā Ya`lamuhā Wa Lā Ĥabbatin Fī Žulumāti Al-'Arđi Wa Lā Raţbin Wa Lā Yā Bisin 'Illā Fī Kitābin Mubīnin
006-059 और उसके पास ग़ैब की कुन्जियॉ हैं जिनको उसके सिवा कोई नही जानता और जो कुछ ख़ुशकी और तरी में है उसको (भी) वही जानता है और कोई पत्ता भी नहीं खटकता मगर वह उसे ज़रुर जानता है और ज़मीन की तारिक़ियों में कोई दाना और न कोई ख़ुश्क चीज़ है मगर वह नूरानी किताब (लौहे महफूज़) में मौजूद है
Wa Huwa Al-Ladhī Yatawaffākum Bil-Layli Wa Ya`lamu Mā Jaraĥtum Bin-Nahāri Thumma Yab`athukum Fīhi Liyuqđá 'Ajalun Musamman ۖ Thumma 'Ilayhi Marji`ukumThumma Yunabbi'ukum Bimā Kuntum Ta`malūna
006-060 वह वही (ख़ुदा) है जो तुम्हें रात को (नींद में एक तरह पर दुनिया से) उठा लेता हे और जो कुछ तूने दिन को किया है जानता है फिर तुम्हें दिन को उठा कर खड़ा करता है ताकि (ज़िन्दगी की) (वह) मियाद जो (उसके इल्म में) मुअय्युन है पूरी की जाए फिर (तो आख़िर) तुम सबको उसी की तरफ लौटना है फिर जो कुछ तुम (दुनिया में भला बुरा) करते हो तुम्हें बता देगा
Wa Huwa Al-Qāhiru Fawqa `Ibādihi ۖ Wa Yursilu `Alaykum Ĥafažatan Ĥattá 'Idhā Jā'a 'Aĥadakumu Al-Mawtu Tawaffat/hu Rusulunā Wa Hum Lā Yufarriţūna
006-061 वह अपने बन्दों पर ग़ालिब है वह तुम लोगों पर निगेहबान (फ़रिश्ततें तैनात करके) भेजता है-यहाँ तक कि जब तुम में से किसी की मौत आए तो हमारे भेजे हुये फ़रिश्ते उसको (दुनिया से) उठा लेते हैं और वह (हमारे तामीले हुक्म में ज़रा भी) कोताही नहीं करते
Qul Man Yunajjīkum MinŽulumāti Al-Barri Wa Al-Baĥri Tad`ūnahu Tađarru`āan Wa Khufyatan La'in 'Anjānā Min Hadhihi Lanakūnanna Mina Ash-Shākirīna
006-063 (ऐ रसूल) उनसे पूछो कि तुम ख़ुश्की और तरी के (घटाटोप) ऍधेरों से कौन छुटकारा देता है जिससे तुम गिड़ गिड़ाकर और (चुपके) दुआएं मॉगते हो कि अगर वह हमें (अब की दफ़ा) उस (बला) से छुटकारा दे तो हम ज़रुर उसके शुक्र गुज़ार (बन्दे होकर) रहेगें
Qul Huwa Al-Qādiru `Alá 'An Yab`atha `Alaykum `Adhābāan Min Fawqikum 'Aw Min Taĥti 'Arjulikum 'Aw YalbisakumShiya`āan Wa Yudhīqa Ba`đakum Ba'sa Ba`đin ۗ Anžur Kayfa Nuşarrifu Al-'Āyāti La`allahum Yafqahūna
006-065 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि वही उस पर अच्छी तरह क़ाबू रखता है कि अगर (चाहे तो) तुम पर अज़ाब तुम्हारे (सर के) ऊपर से नाज़िल करे या तुम्हारे पॉव के नीचे से (उठाकर खड़ा कर दे) या एक गिरोह को दूसरे से भिड़ा दे और तुम में से कुछ लोगों को बाज़ आदमियों की लड़ाई का मज़ा चखा दे ज़रा ग़ौर तो करो हम किस किस तरह अपनी आयतों को उलट पुलट के बयान करते हैं ताकि लोग समझे
Wa Kadhdhaba BihiQawmuka Wa Huwa Al-Ĥaqqu ۚ Qul Lastu `Alaykum Biwakīlin
006-066 और उसी (क़ुरान) को तुम्हारी क़ौम ने झुठला दिया हालॉकि वह बरहक़ है (ऐ रसूल) तुम उनसे कहो कि मैं तुम पर कुछ निगेहबान तो हूं नहीं हर ख़बर (के पूरा होने) का एक ख़ास वक्त मुक़र्रर है और अनक़रीब (जल्दी) ही तुम जान लोगे
006-067 और जब तुम उन लोगों को देखो जो हमारी आयतों में बेहूदा बहस कर रहे हैं तो उन (के पास) से टल जाओ यहाँ तक कि वह लोग उसके सिवा किसी और बात में बहस करने लगें और अगर (हमारा ये हुक्म) तुम्हें शैतान भुला दे तो याद आने के बाद ज़ालिम लोगों के साथ हरगिज़ न बैठना
Wa Mā `Alá Al-Ladhīna Yattaqūna Min Ĥisābihim MinShay'in Wa LakinDhikrá La`allahum Yattaqūna
006-069 और जिन लोगों ने अपने दीन को खेल और तमाशा बना रखा है और दुनिया की ज़िन्दगी ने उन को धोके में डाल रखा है ऐसे लोगों को छोड़ो और क़ुरान के ज़रिए से उनको नसीहत करते रहो (ऐसा न हो कि कोई) शख़्श अपने करतूत की बदौलत मुब्तिलाए बला हो जाए (क्योंकि उस वक्त) तो ख़ुदा के सिवा उसका न कोई सरपरस्त होगा न सिफारिशी और अगर वह अपने गुनाह के ऐवज़ सारे (जहाँन का) बदला भी दे तो भी उनमें से एक न लिया जाएगा जो लोग अपनी करनी की बदौलत मुब्तिलाए बला हुए है उनको पीने के लिए खौलता हुआ गर्म पानी (मिलेगा) और (उन पर) दर्दनाक अज़ाब होगा क्योंकर वह कुफ़्र किया करते थे
Wa Dhari Al-Ladhīna Attakhadhū Dīnahum La`ibāan Wa Lahwan Wa Gharrat/humu Al-Ĥayāatu Ad-Dunyā ۚ Wa Dhakkir Bihi~ 'An Tubsala Nafsun Bimā Kasabat Laysa Lahā Min Dūni Allāhi Wa Līyun Wa Lā Shafī`un Wa 'In Ta`dil Kulla `Adlin Lā Yu'ukhadh Minhā ۗ 'Ūlā'ika Al-Ladhīna 'Ubsilū Bimā Kasabū ۖ LahumSharābun Min Ĥamīmin Wa `Adhābun 'Alīmun Bimā Kānū Yakfurūna
006-070 (ऐ रसूल) उनसे पूछो तो कि क्या हम लोग ख़ुदा को छोड़कर उन (माबूदों) से मुनाज़ात (दुआ) करे जो न तो हमें नफ़ा पहुंचा सकते हैं न हमारा कुछ बिगाड़ ही सकते हैं- और जब ख़ुदा हमारी हिदायत कर चुका) उसके बाद उल्टे पावँ कुफ्र की तरफ उस शख़्श की तरह फिर जाएं जिसे शैतानों ने जंगल में भटका दिया हो और वह हैरान (परेशान) हो (कि कहा जाए क्या करें) और उसके कुछ रफीक़ हो कि उसे राहे रास्त (सीधे रास्ते) की तरफ पुकारते रह जाएं कि (उधर) हमारे पास आओ और वह एक न सुने (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हिदायत तो बस ख़ुदा की हिदायत है और हमें तो हुक्म ही दिया गया है कि हम सारे जहॉन के परवरदिगार ख़ुदा के फरमाबरदार हैं
Wa Huwa Al-Ladhī Khalaqa As-Samāwāti Wa Al-'Arđa Bil-Ĥaqqi ۖ Wa Yawma Yaqūlu Kun Fayakūnu ۚ Qawluhu Al-Ĥaqqu ۚ Wa Lahu Al-Mulku Yawma Yunfakhu Fī Aş-Şūri ۚ `Ālimu Al-Ghaybi Wa Ash-Shahādati ۚ Wa Huwa Al-Ĥakīmu Al-Khabīr
006-073 उसका क़ौल सच्चा है और जिस दिन सूर फूंका जाएगा (उस दिन) ख़ास उसी की बादशाहत होगी (वही) ग़ायब हाज़िर (सब) का जानने वाला है और वही दाना वाक़िफकार है
Wa 'IdhQāla 'Ibrāhīmu Li'abīhi 'Āzara 'Atattakhidhu 'Aşnāmāan 'Ālihatan ۖ 'Innī 'Arāka Wa Qawmaka Fī Đalālin Mubīnin
006-074 (ऐ रसूल) उस वक्त क़ा याद करो) जब इबराहीम ने अपने (मुंह बोले) बाप आज़र से कहा क्या तुम बुतों को ख़ुदा मानते हो-मै तो तुमको और तुम्हारी क़ौम को खुली गुमराही में देखता हूँ
Wa Kadhalika Nurī 'Ibrāhīma Malakūta As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Liyakūna Mina Al-Mūqinīna
006-075 और (जिस तरह हमने इबराहीम को दिखाया था कि बुत क़ाबिले परसतिश (पूजने के क़ाबिल) नहीं) उसी तरह हम इबराहीम को सारे आसमान और ज़मीन की सल्तनत का (इन्तज़ाम) दिखाते रहे ताकि वह (हमारी वहदानियत का) यक़ीन करने वालों से हो जाएं
006-076 तो जब उन पर रात की तारीक़ी (अंधेरा) छा गयी तो एक सितारे को देखा तो दफअतन बोल उठे (हाए क्या) यही मेरा ख़ुदा है फिर जब वह डूब गया तो कहने लगे ग़ुरुब (डूब) हो जाने वाली चीज़ को तो मै (ख़ुदा बनाना) पसन्द नहीं करता
006-077 फिर जब चाँद को जगमगाता हुआ देखा तो बोल उठे (क्या) यही मेरा ख़ुदा है फिर जब वह भी ग़ुरुब हो गया तो कहने लगे कि अगर (कहीं) मेरा (असली) परवरदिगार मेरी हिदायत न करता तो मैं ज़रुर गुमराह लोगों में हो जाता
006-078 फिर जब आफताब को दमकता हुआ देखा तो कहने लगे (क्या) यही मेरा ख़ुदा है ये तो सबसे बड़ा (भी) है फिर जब ये भी ग़ुरुब हो गया तो कहने लगे ऐ मेरी क़ौम जिन जिन चीज़ों को तुम लोग (ख़ुदा का) शरीक बनाते हो उनसे मैं बेज़ार हूँ
Wa ĤājjahuQawmuhu ۚ Qāla 'Atuĥājjūnī Fī Al-Lahi Wa Qad Hadāni ۚ Wa Lā 'Akhāfu Mā Tushrikūna Bihi~ 'Illā 'An Yashā'a Rabbī Shay'āan ۗ Wasi`a Rabbī Kulla Shay'in `Ilmāan ۗ 'Afalā Tatadhakkarūna
006-080 और उनकी क़ौम के लोग उनसे हुज्जत करने लगे तो इबराहीम ने कहा था क्या तुम मुझसे ख़ुदा के बारे में हुज्जत करते हो हालॉकि वह यक़ीनी मेरी हिदायत कर चुका और तुम मे जिन बुतों को उसका शरीक मानते हो मै उनसे डरता (वरता) नहीं (वह मेरा कुछ नहीं कर सकते) मगर हॉ मेरा ख़ुदा खुद (करना) चाहे तो अलबत्ता कर सकता है मेरा परवरदिगार तो बाएतबार इल्म के सब पर हावी है तो क्या उस पर भी तुम नसीहत नहीं मानते
006-081 और जिन्हें तुम ख़ुदा का शरीक बताते हो मै उन से क्यों डरुँ जब तुम इस बात से नहीं डरते कि तुमने ख़ुदा का शरीक ऐसी चीज़ों को बनाया है जिनकी ख़ुदा ने कोई सनद तुम पर नहीं नाज़िल की फिर अगर तुम जानते हो तो (भला बताओ तो सही कि) हम दोनों फरीक़ (गिरोह) में अमन क़ायम रखने का ज्यादा हक़दार कौन है
Al-Ladhīna 'Āmanū Wa Lam Yalbisū 'Īmānahum Bižulmin 'Ūlā'ika Lahumu Al-'Amnu Wa Hum Muhtadūna
006-082 जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अपने ईमान को ज़ुल्म (शिर्क) से आलूदा नहीं किया उन्हीं लोगों के लिए अमन (व इतमिनान) है और यही लोग हिदायत याफ़ता हैं
Wa Tilka Ĥujjatunā 'Ātaynāhā 'Ibrāhīma `Alá Qawmihi ۚ Narfa`u Darajātin Man Nashā'u ۗ 'Inna Rabbaka Ĥakīmun `Alīmun
006-083 और ये हमारी (समझाई बुझाई) दलीलें हैं जो हमने इबराहीम को अपनी क़ौम पर (ग़ालिब आने के लिए) अता की थी हम जिसके मरतबे चाहते हैं बुलन्द करते हैं बेशक तुम्हारा परवरदिगार हिक़मत वाला बाख़बर है
Wa Wahabnā Lahu~ 'Isĥāqa Wa Ya`qūba ۚ Kullāan Hadaynā ۚ Wa Nūĥāan Hadaynā MinQablu ۖ Wa MinDhurrīyatihi Dāwūda Wa Sulaymāna Wa 'Ayyūba Wa Yūsufa Wa Mūsá Wa Hārūna ۚ Wa Kadhalika Najzī Al-Muĥsinīna
006-084 और हमने इबराहीम को इसहाक़ वा याक़ूब (सा बेटा पोता) अता किया हमने सबकी हिदायत की और उनसे पहले नूह को (भी) हम ही ने हिदायत की और उन्हीं (इबराहीम) को औलाद से दाऊद व सुलेमान व अय्यूब व यूसुफ व मूसा व हारुन (सब की हमने हिदायत की) और नेकों कारों को हम ऐसा ही इल्म अता फरमाते हैं
Wa Min 'Ābā'ihim Wa Dhurrīyātihim Wa 'Ikhwānihim ۖ Wa Ajtabaynāhum Wa Hadaynāhum 'Ilá Şirāţin Mustaqīmin
006-087 और (सिर्फ उन्हीं को नहीं बल्कि) उनके बाप दादाओं और उनकी औलाद और उनके भाई बन्दों में से (बहुतेरों को) और उनके मुन्तख़िब किया और उन्हें सीधी राह की हिदायत की
Dhālika Hudá Allāhi Yahdī Bihi Man Yashā'u Min `Ibādihi ۚ Wa Law 'Ashrakū Laĥabiţa `Anhum Mā Kānū Ya`malūna
006-088 (देखो) ये ख़ुदा की हिदायत है अपने बन्दों से जिसको चाहे उसीकी वजह से राह पर लाए और अगर उन लोगों ने शिर्क किया होता तो उनका किया (धरा) सब अकारत हो जाता
'Ūlā'ika Al-Ladhīna 'Ātaynāhumu Al-Kitāba Wa Al-Ĥukma Wa An-Nubūwata ۚ Fa'in Yakfur Bihā Hā'uulā' Faqad Wa Kkalnā Bihā Qawmāan Laysū Bihā Bikāfirīna
006-089 (पैग़म्बर) वह लोग थे जिनको हमने (आसमानी) किताब और हुकूमत और नुबूवत अता फरमाई पस अगर ये लोग उसे भी न माने तो (कुछ परवाह नहीं) हमने तो उस पर ऐसे लोगों को मुक़र्रर कर दिया हे जो (उनकी तरह) इन्कार करने वाले नहीं
006-090 (ये अगले पैग़म्बर) वह लोग थे जिनकी ख़ुदा ने हिदायत की पस तुम भी उनकी हिदायत की पैरवी करो (ऐ रसूल उन से) कहो कि मै तुम से इस (रिसालत) की मज़दूरी कुछ नहीं चाहता सारे जहाँन के लिए सिर्फ नसीहत है
Wa Mā Qadarū Allaha Ĥaqqa Qadrihi~ 'IdhQālū Mā 'Anzala Allāhu `Alá Basharin MinShay'in ۗ Qul Man 'Anzala Al-Kitāba Al-Ladhī Jā'a Bihi Mūsá Nūrāan Wa Hudan Lilnnāsi ۖ Taj`alūnahuQarāţīsa Tubdūnahā Wa Tukhfūna Kathīrāan ۖ Wa `Ullimtum Mā Lam Ta`lamū 'Antum Wa Lā 'Ābā'uukum ۖ Quli Allāhu ۖ Thumma Dharhum Fī Khawđihim Yal`abūna
006-091 और बस और उन लोगों (यहूद) ने ख़ुदा की जैसी क़दर करनी चाहिए न की इसलिए कि उन लोगों ने (बेहूदे पन से) ये कह दिया कि ख़ुदा ने किसी बशर (इनसान) पर कुछ नाज़िल नहीं किया (ऐ रसूल) तुम पूछो तो कि फिर वह किताब जिसे मूसा लेकर आए थे किसने नाज़िल की जो लोगों के लिए रौशनी और (अज़सरतापा(सर से पैर तक)) हिदायत (थी जिसे तुम लोगों ने अलग-अलग करके काग़जी औराक़ (कागज़ के पन्ने) बना डाला और इसमें को कुछ हिस्सा (जो तुम्हारे मतलब का है वह) तो ज़ाहिर करते हो और बहुतेरे को (जो ख़िलाफ मदआ है) छिपाते हो हालॉकि उसी किताब के ज़रिए से तुम्हें वो बातें सिखायी गयी जिन्हें न तुम जानते थे और न तुम्हारे बाप दादा (ऐ रसूल वह तो जवाब देगें नहीं) तुम ही कह दो कि ख़ुदा ने (नाज़िल फरमाई)
Wa Hadhā Kitābun 'Anzalnāhu Mubārakun Muşaddiqu Al-Ladhī Bayna Yadayhi Wa Litundhira 'Umma Al-Qurá Wa Man Ĥawlahā Wa ۚ Al-Ladhīna Yu'uminūna Bil-'Ākhirati Yu'uminūna Bihi ۖ Wa Hum `Alá Şalātihim Yuĥāfižūna
006-092 उसके बाद उन्हें छोड़ के (पडे झक मारा करें (और) अपनी तू तू मै मै में खेलते फिरें और (क़ुरान) भी वह किताब है जिसे हमने बाबरकत नाज़िल किया और उस किताब की तसदीक़ करती है जो उसके सामने (पहले से) मौजूद है और (इस वास्ते नाज़िल किया है) ताकि तुम उसके ज़रिए से अहले मक्का और उसके एतराफ़ के रहने वालों को (ख़ौफ ख़ुदा से) डराओ और जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते हैं वह तो उस पर (बे ताम्मुल) ईमान लाते है और वही अपनी अपनी नमाज़ में भी पाबन्दी करते हैं
Wa Man 'Ažlamu Mimmani Aftará `Alá Allāhi Kadhibāan 'Aw Qāla 'Ūĥiya 'Ilayya Wa Lam Yūĥa 'Ilayhi Shay'un Wa ManQāla Sa'unzilu Mithla Mā 'Anzala Allāhu ۗ Wa Law Tará 'Idhi Až-Žālimūna Fī Ghamarāti Al-Mawti Wa Al-Malā'ikatu Bāsiţū 'Aydīhim 'Akhrijū 'Anfusakumu ۖ Al-Yawma Tujzawna `Adhāba Al-Hūni Bimā Kuntum Taqūlūna `Alá Allāhi Ghayra Al-Ĥaqqi Wa Kuntum `An 'Āyātihi Tastakbirūna
006-093 और उससे बढ़ कर ज़ालिम कौन होगा जो ख़ुदा पर झूठ (मूठ) इफ़तेरा करके कहे कि हमारे पास वही आयी है हालॉकि उसके पास वही वगैरह कुछ भी नही आयी या वह शख़्श दावा करे कि जैसा क़ुरान ख़ुदा ने नाज़िल किया है वैसा मै भी (अभी) अनक़रीब (जल्दी) नाज़िल किए देता हूँ और (ऐ रसूल) काश तुम देखते कि ये ज़ालिम मौत की सख्तियों में पड़ें हैं और फरिश्ते उनकी तरफ (जान निकाल लेने के वास्ते) हाथ लपका रहे हैं और कहते जाते हैं कि अपनी जानें निकालो आज ही तो तुम को रुसवाई के अज़ाब की सज़ा दी जाएगी क्योंकि तुम ख़ुदा पर नाहक़ (नाहक़) झूठ छोड़ा करते थे और उसकी आयतों को (सुनकर उन) से अकड़ा करते थे
Wa Laqad Ji'tumūnā Furādá Kamā Khalaqnākum 'Awwala Marratin Wa Taraktum Mā Khawwalnākum Warā'a Žuhūrikum ۖ Wa Mā Nará Ma`akumShufa`ā'akumu Al-Ladhīna Za`amtum 'Annahum FīkumShurakā'u ۚ Laqad Taqaţţa`a Baynakum Wa Đalla `Ankum Mā Kuntum Taz`umūna
006-094 और आख़िर तुम हमारे पास इसी तरह तन्हा आए (ना) जिस तरह हमने तुम को पहली बार पैदा किया था और जो (माल व औलाद) हमने तुमको दिया था वह सब अपने पस्त पुश्त (पीछे) छोड़ आए और तुम्हारे साथ तुम्हारे उन सिफारिश करने वालों को भी नहीं देखते जिन को तुम ख्याल करते थे कि वह तुम्हारी (परवरिश वगैरह) मै (हमारे) साझेदार है अब तो तुम्हारे बाहरी ताल्लुक़ात मनक़तआ (ख़त्म) हो गए और जो कुछ ख्याल करते थे वह सब तुम से ग़ायब हो गए
'Inna Allāha Fāliqu Al-Ĥabbi Wa An-Nawá ۖ Yukhriju Al-Ĥayya Mina Al-Mayyiti Wa Mukhriju Al-Mayyiti Mina Al-Ĥayyi ۚ Dhalikumu Allāhu ۖ Fa'anná Tu'ufakūna
006-095 ख़ुदा ही तो गुठली और दाने को चीर (करके दरख्त ऊगाता) है वही मुर्दे में से ज़िन्दे को निकालता है और वही ज़िन्दा से मुर्दे को निकालने वाला है (लोगों) वही तुम्हारा ख़ुदा है फिर तुम किधर बहके जा रहे हो
Fāliqu Al-'Işbāĥi Wa Ja`ala Al-Layla Sakanāan Wa Ash-Shamsa Wa Al-Qamara Ĥusbānāan ۚ Dhālika Taqdīru Al-`Azīzi Al-`Alīmi
006-096 उसी के लिए सुबह की पौ फटी और उसी ने आराम के लिए रात और हिसाब के लिए सूरज और चाँद बनाए ये ख़ुदाए ग़ालिब व दाना के मुक़र्रर किए हुए किरदा (उसूल) हैं
Wa Huwa Al-Ladhī Ja`ala Lakumu An-Nujūma Litahtadū Bihā Fī Žulumāti Al-Barri Wa Al-Baĥri ۗ Qad Faşşalnā Al-'Āyāti Liqawmin Ya`lamūna
006-097 और वह वही (ख़ुदा) है जिसने तुम्हारे (नफे के) वास्ते सितारे पैदा किए ताकि तुम जॅगलों और दरियाओं की तारिक़ियों (अंधेरों) में उनसे राह मालूम करो जो लोग वाक़िफकार हैं उनके लिए हमने (अपनी क़ुदरत की) निशानियाँ ख़ूब तफ़सील से बयान कर दी हैं
Wa Huwa Al-Ladhī 'Ansha'akum Min Nafsin Wāĥidatin Famustaqarrun Wa Mustawda`un ۗ Qad Faşşalnā Al-'Āyāti Liqawmin Yafqahūn
006-098 और वह वही ख़ुदा है जिसने तुम लोगों को एक शख़्श से पैदा किया फिर (हर शख़्श के) क़रार की जगह (बाप की पुश्त (पीठ)) और सौंपने की जगह (माँ का पेट) मुक़र्रर है हमने समझदार लोगों के वास्ते (अपनी कुदरत की) निशानियाँ ख़ूब तफसील से बयान कर दी हैं
Wa Huwa Al-Ladhī 'Anzala Mina As-Samā'i Mā'an Fa'akhrajnā Bihi Nabāta Kulli Shay'in Fa'akhrajnā Minhu Khađirāan Nukhriju Minhu Ĥabbāan Mutarākibāan Wa Mina An-Nakhli MinŢal`ihā Qinwānun Dāniyatun Wa Jannātin Min 'A`nābin Wa Az-Zaytūna Wa Ar-Rummāna Mushtabihāan Wa Ghayra Mutashābihin ۗ Anžurū 'Ilá Thamarihi~ 'Idhā 'Athmara Wa Yan`ihi~ ۚ 'Inna Fī Dhālikum La'āyātin Liqawmin Yu'uminūna
006-099 और वह वही (क़ादिर तवाना है) जिसने आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने उसके ज़रिए से हर चीज़ के कोए निकालें फिर हम ही ने उससे हरी भरी टहनियाँ निकालीं कि उससे हम बाहम गुत्थे दाने निकालते हैं और छुहारे के बोर (मुन्जिर) से लटके हुए गुच्छे पैदा किए और अंगूर और ज़ैतून और अनार के बाग़ात जो बाहम सूरत में एक दूसरे से मिलते जुलते और (मजे में) जुदा जुदा जब ये पिघले और पक्के तो उसके फल की तरफ ग़ौर तो करो बेशक अमन में ईमानदार लोगों के लिए बहुत सी (ख़ुदा की) निशानियाँ हैं
Wa Ja`alū Lillāh Shurakā'a Al-Jinna Wa Khalaqahum ۖ Wa Kharaqū Lahu Banīna Wa Banātin Bighayri `Ilmin ۚ Subĥānahu Wa Ta`ālá `Ammā Yaşifūna
006-100 और उन (कम्बख्तों) ने जिन्नात को ख़ुदा का शरीक बनाया हालॉकि जिन्नात को भी ख़ुदा ही ने पैदा किया उस पर भी उन लोगों ने बे समझे बूझे ख़ुदा के लिए बेटे बेटियाँ गढ़ डालीं जो बातों में लोग (उसकी शान में) बयान करते हैं उससे वह पाक व पाकीज़ा और बरतर है
Badī`u As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۖ 'Anná Yakūnu Lahu Waladun Wa Lam Takun Lahu Şāĥibatun ۖ Wa Khalaqa Kulla Shay'in ۖ Wa Huwa Bikulli Shay'in `Alīmun
006-101 सारे आसमान और ज़मीन का मवविद (बनाने वाला) है उसके कोई लड़का क्योंकर हो सकता है जब उसकी कोई बीबी ही नहीं है और उसी ने हर चीज़ को पैदा किया और वही हर चीज़ से खूब वाक़िफ है
Dhalikumu Allāhu Rabbukum ۖ Lā 'Ilāha 'Illā Huwa ۖ Khāliqu Kulli Shay'in Fā`budūhu ۚ Wa Huwa `Alá Kulli Shay'in Wa Kīlun
006-102 (लोगों) वही अल्लाह तुम्हारा परवरदिगार है उसके सिवा कोई माबूद नहीं वही हर चीज़ का पैदा करने वाला है तो उसी की इबादत करो और वही हर चीज़ का निगेह बान है
Qad Jā'akum Başā'iru MinRabbikum ۖ Faman 'Abşara Falinafsihi ۖ Wa Man `Amiya Fa`alayhā ۚ Wa Mā 'Anā `Alaykum Biĥafīžin
006-104 तुम्हारे पास तो सुझाने वाली चीज़े आ ही चुकीं फिर जो देखे (समझे) तो अपने दम के लिए और जो अन्धा बने तो (उसका ज़रर (नुकसान) भी) ख़ुद उस पर है और (ऐ रसूल उन से कह दो) कि मै तुम लोगों का कुछ निगेहबान तो हूँ नहीं
Wa Kadhalika Nuşarrifu Al-'Āyāti Wa Liyaqūlū Darasta Wa Linubayyinahu Liqawmin Ya`lamūna
006-105 और हम (अपनी) आयतें यूं उलट फेरकर बयान करते है (ताकि हुज्जत तमाम हो) और ताकि वह लोग ज़बानी भी इक़रार कर लें कि तुमने (क़ुरान उनके सामने) पढ़ दिया और ताकि जो लोग जानते है उनके लिए (क़ुरान का) खूब वाजेए करके बयान कर दें
Wa Lā Tasubbū Al-Ladhīna Yad`ūna Min Dūni Allāhi Fayasubbū Allaha `Adwan Bighayri `Ilmin ۗ Kadhālika Zayyannā Likulli 'Ummatin `AmalahumThumma 'Ilá Rabbihim Marji`uhum Fayunabbi'uhum Bimā Kānū Ya`malūna
006-108 और ये (मुशरेकीन) जिन की अल्लाह के सिवा (ख़ुदा समझ कर) इबादत करते हैं उन्हें तुम बुरा न कहा करो वरना ये लोग भी ख़ुदा को बिना समझें अदावत से बुरा (भला) कह बैठें (और लोग उनकी ख्वाहिश नफसानी के) इस तरह पाबन्द हुए कि गोया हमने ख़ुद हर गिरोह के आमाल उनको सॅवाकर अच्छे कर दिखाए फिर उन्हें तो (आख़िरकार) अपने परवरदिगार की तरफ लौट कर जाना है तब जो कुछ दुनिया में कर रहे थे ख़ुदा उन्हें बता देगा
006-109 और उन लोगों ने ख़ुदा की सख्त सख्त क़समें खायीं कि अगर उनके पास कोई मौजिजा आए तो वह ज़रूर उस पर ईमान लाएँगे (ऐ रसूल) तुम कहो कि मौजिज़े तो बस ख़ुदा ही के पास हैं और तुम्हें क्या मालूम ये यक़ीनी बात है कि जब मौजिज़ा भी आएगा तो भी ये ईमान न लाएँगे
Wa Nuqallibu 'Af'idatahum Wa 'Abşārahum Kamā Lam Yu'uminū Bihi~ 'Awwala Marratin Wa Nadharuhum Fī Ţughyānihim Ya`mahūna
006-110 और हम उनके दिल और उनकी ऑंखें उलट पलट कर देंगे जिस तरह ये लोग कुरान पर पहली मरतबा ईमान न लाए और हम उन्हें उनकी सरकशी की हालत में छोड़ देंगे कि सरगिरदाँ (परेशान) रहें
Wa Law 'Annanā Nazzalnā 'Ilayhimu Al-Malā'ikata Wa Kallamahumu Al-Mawtá Wa Ĥasharnā `Alayhim Kulla Shay'inQubulāan Mā Kānū Liyu'uminū 'Illā 'An Yashā'a Allāhu Wa Lakinna 'Aktharahum Yajhalūna
006-111 और (ऐ रसूल सच तो ये है कि) हम अगर उनके पास फरिश्ते भी नाज़िल करते और उनसे मुर्दे भी बातें करने लगते और तमाम (मख़फ़ी(छुपी)) चीज़ें (जैसे जन्नत व नार वग़ैरह) अगर वह गिरोह उनके सामने ला खड़े करते तो भी ये ईमान लाने वाले न थे मगर जब अल्लाह चाहे लेकिन उनमें के अक्सर नहीं जानते
Wa Kadhalika Ja`alnā Likulli Nabīyin `AdūwāanShayāţīna Al-'Insi Wa Al-Jinni Yūĥī Ba`đuhum 'Ilá Ba`đin Zukhrufa Al-Qawli Ghurūrāan ۚ Wa Law Shā'a Rabbuka Mā Fa`alūhu ۖ Fadharhum Wa Mā Yaftarūna
006-112 कि और (ऐ रसूल जिस तरह ये कुफ्फ़ार तुम्हारे दुश्मन हैं) उसी तरह (गोया हमने ख़ुद आज़माइश के लिए शरीर आदमियों और जिनों को हर नबी का दुश्मन बनाया वह लोग एक दूसरे को फरेब देने की ग़रज़ से चिकनी चुपड़ी बातों की सरग़ोशी करते हैं और अगर तुम्हारा परवरदिगार चाहता तो ये लोग) ऐसी हरकत करने न पाते
Wa Litaşghá 'Ilayhi 'Af'idatu Al-Ladhīna Lā Yu'uminūna Bil-'Ākhirati Wa Liyarđawhu Wa Liyaqtarifū Mā Hum Muqtarifūna
006-113 तो उनको और उनकी इफ़तेरा परदाज़ियों को छोड़ दो और ये (ये सरग़ोशियाँ इसलिए थीं) ताकि जो लोग आख़िरत पर ईमान नहीं लाए उनके दिल उन (की शरारत) की तरफ मायल (ख्ािंच) हो जाएँ और उन्हें पसन्द करें
'Afaghayra Allāhi 'Abtaghī Ĥakamāan Wa Huwa Al-Ladhī 'Anzala 'Ilaykumu Al-Kitāba Mufaşşalāan Wa ۚ Al-Ladhīna 'Ātaynāhumu Al-Kitāba Ya`lamūna 'Annahu Munazzalun MinRabbika Bil-Ĥaqqi ۖ Falā Takūnanna Mina Al-Mumtarīna
006-114 और ताकि जो लोग इफ़तेरा परदाज़ियाँ ये लोग ख़ुद करते हैं वह भी करने लगें (क्या तुम ये चाहते हो कि) मैं ख़ुदा को छोड़ कर किसी और को सालिस तलाश करुँ हालॉकि वह वही ख़ुदा है जिसने तुम्हारे पास वाज़ेए किताब नाज़िल की और जिन लोगों को हमने किताब अता फरमाई है वह यक़ीनी तौर पर जानते हैं कि ये (कुरान भी) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से बरहक़ नाज़िल किया गया है
Wa Tammat Kalimatu Rabbika Şidqāan Wa `Adlāan ۚ Lā Mubaddila Likalimātihi ۚ Wa Huwa As-Samī`u Al-`Alīmu
006-115 तो तुम (कहीं) शक़ करने वालों से न हो जाना और सच्चाई और इन्साफ में तो तुम्हारे परवरदिगार की बात पूरी हो गई कोई उसकी बातों का बदलने वाला नहीं और वही बड़ा सुनने वाला वाक़िफकार है
Wa 'In Tuţi` 'Akthara Man Fī Al-'Arđi Yuđillūka `An Sabīli Allāhi ۚ 'In Yattabi`ūna 'Illā Až-Žanna Wa 'In Hum 'Illā Yakhruşūna
006-116 और (ऐ रसूल) दुनिया में तो बहुतेरे लोग ऐसे हैं कि तुम उनके कहने पर चलो तो तुमको ख़ुदा की राह से बहका दें ये लोग तो सिर्फ अपने ख्यालात की पैरवी करते हैं और ये लोग तो बस अटकल पच्चू बातें किया करते हैं
Wa Mā Lakum 'Allā Ta'kulū Mimmā Dhukira Asmu Allāhi `Alayhi Wa Qad Faşşala Lakum Mā Ĥarrama `Alaykum 'Illā Mā Ađţurirtum 'Ilayhi ۗ Wa 'Inna Kathīrāan Layuđillūna Bi'ahwā'ihim Bighayri `Ilmin ۗ 'Inna Rabbaka Huwa 'A`lamu Bil-Mu`tadīna
006-119 और तुम्हें क्या हो गया है कि जिस पर ख़ुदा का नाम लिया गया हो उसमें नहीं खाते हो हालॉकि जो चीज़ें उसने तुम पर हराम कर दीं हैं वह तुमसे तफसीलन बयान कर दीं हैं मगर (हाँ) जब तुम मजबूर हो तो अलबत्ता (हराम भी खा सकते हो) और बहुतेरे तो (ख्वाहमख्वाह) अपनी नफसानी ख्वाहिशों से बे समझे बूझे (लोगों को) बहका देते हैं और तुम्हारा परवरदिगार तो हक़ से तजाविज़ करने वालों से ख़ूब वाक़िफ है
Wa Lā Ta'kulū Mimmā Lam Yudhkari Asmu Allāhi `Alayhi Wa 'Innahu Lafisqun ۗ Wa 'Inna Ash-Shayāţīna Layūĥūna 'Ilá 'Awliyā'ihim Liyujādilūkum ۖ Wa 'In 'Aţa`tumūhum 'Innakum Lamushrikūna
006-121 और जिस (ज़बीहे) पर ख़ुदा का नाम न लिया गया उसमें से मत खाओ (क्योंकि) ये बेशक बदचलनी है और शयातीन तो अपने हवा ख़वाहों के दिल में वसवसा डाला ही करते हैं ताकि वह तुमसे (बेकार) झगड़े किया करें और अगर (कहीं) तुमने उनका कहना मान लिया तो (समझ रखो कि) बेशुबहा तुम भी मुशरिक हो
006-122 क्या जो शख़्श (पहले) मुर्दा था फिर हमने उसको ज़िन्दा किया और उसके लिए एक नूर बनाया जिसके ज़रिए वह लोगों में (बेतकल्लुफ़) चलता फिरता है उस शख़्श का सामना हो सकता है जिसकी ये हालत है कि (हर तरफ से) अंधेरे में (फँसा हुआ है) कि वहाँ से किसी तरह निकल नहीं सकता (जिस तरह मोमिनों के वास्ते ईमान आरास्ता किया गया) उसी तरह काफिरों के वास्ते उनके आमाल (बद) आरास्ता कर दिए गए हैं
Wa Kadhalika Ja`alnā Fī Kulli Qaryatin 'Akābira Mujrimīhā Liyamkurū Fīhā ۖ Wa Mā Yamkurūna 'Illā Bi'anfusihim Wa Mā Yash`urūna
006-123 (कि भला ही भला नज़र आता है) और जिस तरह मक्के में है उसी तरह हमने हर बस्ती में उनके कुसूरवारों को सरदार बनाया ताकि उनमें मक्कारी किया करें और वह लोग जो कुछ करते हैं अपने ही हक़ में (बुरा) करते हैं और समझते (तक) नहीं
006-124 और जब उनके पास कोई निशानी (नबी की तसदीक़ के लिए) आई है तो कहते हैं जब तक हमको ख़ुद वैसी चीज़ (वही वग़ैरह) न दी जाएगी जो पैग़म्बराने ख़ुदा को दी गई है उस वक्त तक तो हम ईमान न लाएँगे और ख़ुदा जहाँ (जिस दिल में) अपनी पैग़म्बरी क़रार देता है उसकी (काबलियत व सलाहियत) को ख़ूब जानता है जो लोग (उस जुर्म के) मुजरिम हैं उनको अनक़रीब उनकी मक्कारी की सज़ा में ख़ुदा के यहाँ बड़ी ज़िल्लत और सख्त अज़ाब होगा
006-125 तो ख़ुदा जिस शख़्श को राह रास्त दिखाना चाहता है उसके सीने को इस्लाम (की दौलियत) के वास्ते (साफ़ और) कुशादा (चौड़ा) कर देता है और जिसको गुमराही की हालत में छोड़ना चाहता है उनके सीने को तंग दुश्वार ग़ुबार कर देता है गोया (कुबूल ईमान) उसके लिए आसमान पर चढ़ना है जो लोग ईमान नहीं लाते ख़ुदा उन पर बुराई को उसी तरह मुसल्लत कर देता है
Wa Yawma Yaĥshuruhum Jamī`āan Yā Ma`shara Al-Jinni Qadi Astakthartum Mina Al-'Insi ۖ Wa Qāla 'Awliyā'uuhum Mina Al-'Insi Rabbanā Astamta`a Ba`đunā Biba`đin Wa Balaghnā 'Ajalanā Al-Ladhī 'Ajjalta Lanā ۚ Qāla An-Nāru MathwākumKhālidīna Fīhā 'Illā Mā Shā'a Allāhu ۗ 'Inna Rabbaka Ĥakīmun `Alīmun
006-128 और (ऐ रसूल वह दिन याद दिलाओ) जिस दिन ख़ुदा सब लोगों को जमा करेगा और शयातीन से फरमाएगा, ऐ गिरोह जिन्नात तुमने तो बहुतेरे आदमियों को (बहका बहका कर) अपनी जमाअत बड़ी कर ली (और) आदमियों से जो लोग (उन शयातीन के दुनिया में) दोस्त थे कहेंगे ऐ हमारे पालने वाले (दुनिया में) हमने एक दूसरे से फायदा हासिल किया और अपने किए की सज़ा पाने को, जो वक्त तू ने हमारे लिए मुअय्युन किया था अब हम अपने उस वक्त (क़यामत) में पहुँच गए ख़ुदा उसके जवाब में, फरमाएगा तुम सब का ठिकाना जहन्नुम है और उसमें हमेशा रहोगे मगर जिसे ख़ुदा चाहे (नजात दे) बेशक तेरा परवरदिगार हिकमत वाला वाक़िफकार है
Yā Ma`shara Al-Jinni Wa Al-'Insi 'Alam Ya'tikumRusulun Minkum Yaquşşūna `Alaykum 'Āyā Tī Wa Yundhirūnakum Liqā'a Yawmikum ۚ Hādhā Qālū Shahidnā `Alá ۖ 'Anfusinā Wa Gharrat/humu Al-Ĥayā Atu Ad-Dunyā Wa Shahidū `Alá 'Anfusihim 'Annahum Kānū Kāfirīna
006-130 (फिर हम पूछेंगे कि क्यों) ऐ गिरोह जिन व इन्स क्या तुम्हारे पास तुम ही में के पैग़म्बर नहीं आए जो तुम तुमसे हमारी आयतें बयान करें और तुम्हें तुम्हारे उस रोज़ (क़यामत) के पेश आने से डराएँ वह सब अर्ज करेंगे (बेशक आए थे) हम ख़ुद अपने ऊपर आप अपने (ख़िलाफ) गवाही देते हैं (वाकई) उनको दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी ने उन्हें अंधेरे में डाल रखा और उन लोगों ने अपने ख़िलाफ आप गवाही दीं
Dhālika 'An Lam YakunRabbuka Muhlika Al-Qurá Bižulmin Wa 'Ahluhā Ghāfilūna
006-131 बेशक ये सब के सब काफिर थे और ये (पैग़म्बरों का भेजना सिर्फ) उस वजह से है कि तुम्हारा परवरदिगार कभी बस्तियों को ज़ुल्म ज़बरदस्ती से वहाँ के बाशिन्दों के ग़फलत की हालत में हलाक नहीं किया करता
Wa Rabbuka Al-Ghanīyu Dhū Ar-Raĥmati ۚ 'In Yasha' Yudh/hibkum Wa Yastakhlif Min Ba`dikum Mā Yashā'u Kamā 'Ansha'akum MinDhurrīyati Qawmin 'Ākharīna
006-133 और जो कुछ वह लोग करते हैं तुम्हारा परवरदिगार उससे बेख़बर नहीं और तुम्हारा परवरदिगार बे परवाह रहम वाला है - अगर चाहे तो तुम सबके सबको (दुनिया से उड़ा) ले लाए और तुम्हारे बाद जिसको चाहे तुम्हार जानशीन बनाए जिस तरह आख़िर तुम्हें दूसरे लोगों की औलाद से पैदा किया है
006-135 और तुम उसके लाने में (ख़ुदा को) आजिज़ नहीं कर सकते (ऐ रसूल तुम उनसे) कहो कि ऐ मेरी क़ौम तुम बजाए ख़ुद जो चाहो करो मैं (बजाए ख़ुद) अमल कर रहा हूँ फिर अनक़रीब तुम्हें मालूम हो जाएगा कि आख़ेरत (बेहश्त) किसके लिए है (तुम्हारे लिए या हमारे लिए) ज़ालिम लोग तो हरगिज़ कामयाब न होंगे
Wa Ja`alū Lillāh Mimmā Dhara'a Mina Al-Ĥarthi Wa Al-'An`ām Naşībāan Faqālū Hādhā Lillāh Biza`mihim Wa Hadhā Lishurakā'inā ۖ Famā Kāna Lishurakā'ihim Falā Yaşilu 'Ilá Allāhi ۖ Wa Mā Kāna Lillāh Fahuwa Yaşilu 'Ilá Shurakā'ihim ۗ Sā'a Mā Yaĥkumūna
006-136 और ये लोग ख़ुदा की पैदा की हुई खेती और चौपायों में से हिस्सा क़रार देते हैं और अपने ख्याल के मुवाफिक कहते हैं कि ये तो ख़ुदा का (हिस्सा) है और ये हमारे शरीकों का (यानि जिनको हमने ख़ुदा का शरीक बनाया) फिर जो ख़ास उनके शरीकों का है वह तो ख़ुदा तक नहीं पहुँचने का और जो हिस्सा ख़ुदा का है वो उसके शरीकों तक पहुँच जाएगा ये क्या ही बुरा हुक्म लगाते हैं और उसी तरह बहुतेरे मुशरकीन को उनके शरीकों ने अपने बच्चों को मार डालने को अच्छा कर दिखाया है
Wa Kadhalika Zayyana Likathīrin Mina Al-Mushrikīna Qatla 'AwlādihimShurakā'uuhum Liyurdūhum Wa Liyalbisū `Alayhim Dīnahum ۖ Wa Law Shā'a Allāhu Mā Fa`alūhu ۖ Fadharhum Wa Mā Yaftarūna
006-137 ताकि उन्हें (बदी) हलाकत में डाल दें और उनके सच्चे दीन को उन पर मिला जुला दें और अगर ख़ुदा चाहता तो लोग ऐसा काम न करते तो तुम (ऐ रसूल) और उनकी इफ़तेरा परदाज़ियों को (ख़ुदा पर) छोड़ दो और ये लोग अपने ख्याल के मुवाफिक कहने लगे कि ये चौपाए और ये खेती अछूती है
Wa Qālū Hadhihi~ 'An`āmun Wa Ĥarthun Ĥijrun Lā Yaţ`amuhā 'Illā Man Nashā'u Biza`mihim Wa 'An`āmun Ĥurrimat Žuhūruhā Wa 'An`āmun Lā Yadhkurūna Asma Allāhi `Alayhā Aftirā'an `Alayhi ۚ Sayajzīhim Bimā Kānū Yaftarūna
006-138 उनको सिवा उसके जिसे हम चाहें कोई नहीं खा सकता और (उनका ये भी ख्याल है) कि कुछ चारपाए ऐसे हैं जिनकी पीठ पर सवारी लादना हराम किया गया और कुछ चारपाए ऐसे है जिन पर (ज़िबह के वक्त) ख़ुदा का नाम तक नहीं लेते और फिर यह ढकोसले (ख़ुदा की तरफ मनसूब करते) हैं ये सब ख़ुदा पर इफ़तेरा व बोहतान है ख़ुदा उनके इफ़तेरा परदाज़ियों को बहुत जल्द सज़ा देगा
Wa Qālū Mā Fī Buţūni Hadhihi Al-'An`āmi Khālişatun Lidhukūrinā Wa Muĥarramun `Alá 'Azwājinā ۖ Wa 'In Yakun Maytatan Fahum Fīhi Shurakā'u ۚ Sayajzīhim Waşfahum ۚ 'Innahu Ĥakīmun `Alīmun
006-139 और कुफ्फ़ार ये भी कहते हैं कि जो बच्चा (वक्त ़ज़बाह) उन जानवरों के पेट में है (जिन्हें हमने बुतों के नाम कर छोड़ा और ज़िन्दा पैदा होता तो) सिर्फ हमारे मर्दों के लिए हलाल है और हमारी औरतों पर हराम है और अगर वह मरा हुआ हो तो सब के सब उसमें शरीक हैं ख़ुदा अनक़रीब उनको बातें बनाने की सज़ा देगा बेशक वह हिकमत वाला बड़ा वाक़िफकार है
006-140 बेशक जिन लोगों ने अपनी औलाद को बे समझे बूझे बेवकूफी से मार डाला और जो रोज़ी ख़ुदा ने उन्हें दी थी उसे ख़ुदा पर इफ़तेरा (बोहतान) बाँध कर अपने ऊपर हराम कर डाला और वह सख्त घाटे में है ये यक़ीनन राहे हक़ से भटक गऐ और ये हिदायत पाने वाले थे भी नहीं
Wa Huwa Al-Ladhī 'Ansha'a Jannātin Ma`rūshātin Wa Ghayra Ma`rūshātin Wa An-Nakhla Wa Az-Zar`a Mukhtalifāan 'Ukuluhu Wa Az-Zaytūna Wa Ar-Rummāna Mutashābihāan Wa Ghayra Mutashābihin ۚ Kulū MinThamarihi~ 'Idhā 'Athmara Wa 'Ātū Ĥaqqahu Yawma Ĥaşādihi ۖ Wa Lā Tusrifū ۚ 'Innahu Lā Yuĥibbu Al-Musrifīna
006-141 और वह तो वही ख़ुदा है जिसने बहुतेरे बाग़ पैदा किए (जिनमें मुख्तलिफ दरख्त हैं - कुछ तो अंगूर की तरह टट्टियों पर) चढ़ाए हुए और (कुछ) बे चढ़ाए हुए और खजूर के दरख्त और खेती जिसमें फल मुख्तलिफ़ किस्म के हैं और ज़ैतून और अनार बाज़ तो सूरत रंग मज़े में, मिलते जुलते और (बाज़) बेमेल (लोगों) जब ये चीज़े फलें तो उनका फल खाओ और उन चीज़ों के काटने के दिन ख़ुदा का हक़ (ज़कात) दे दो और ख़बरदार फज़ूल ख़र्ची न करो - क्यों कि वह (ख़ुदा) फुज़ूल ख़र्चे से हरगिज़ उलफत नहीं रखता
Wa Mina Al-'An`āmi Ĥamūlatan Wa Farshāan ۚ Kulū Mimmā Razaqakumu Allāhu Wa Lā Tattabi`ū Khuţuwāti Ash-Shayţāni ۚ 'Innahu Lakum `Adūwun Mubīnun
006-142 और चारपायों में से कुछ तो बोझ उठाने वाले (बड़े बड़े) और कुछ ज़मीन से लगे हुए (छोटे छोटे) पैदा किए ख़ुदा ने जो तुम्हें रोज़ी दी है उस में से खाओ और शैतान के क़दम ब क़दम न चलो
Thamāniyata 'Azwājin ۖ Mina Ađ-Đa'ni Athnayni Wa Mina Al-Ma`zi Athnayni ۗ Qul 'Āldhdhakarayni Ĥarrama 'Ami Al-'Unthayayni 'Ammā Ashtamalat `Alayhi 'Arĥāmu Al-'Unthayayni ۖ Nabbi'ūnī Bi`ilmin 'In KuntumŞādiqīna
006-143 (क्यों कि) वह तो यक़ीनन तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है (ख़ुदा ने नर मादा मिलाकर) आठ (क़िस्म के) जोड़े पैदा किए हैं - भेड़ से (नर मादा) दो और बकरी से (नर मादा) दो (ऐ रसूल उन काफिरों से) पूछो तो कि ख़ुदा ने (उन दोनों भेड़ बकरी के) दोनों नरों को हराम कर दिया है या उन दोनों मादनियों को या उस बच्चे को जो उन दोनों मादनियों के पेट से अन्दर लिए हुए हैं
006-144 अगर तुम सच्चे हो तो ज़रा समझ के मुझे बताओ और ऊँट के (नर मादा) दो और गाय के (नर मादा) दो (ऐ रसूल तुम उनसे) पूछो कि ख़ुदा ने उन दोनों (ऊँट गाय के) नरों को हराम किया या दोनों मादनियोंको या उस बच्चे को जो दोनों मादनियों के पेट अपने अन्दर लिये हुए है क्या जिस वक्त ख़ुदा ने तुमको उसका हुक्म दिया था तुम उस वक्त मौजूद थे फिर जो ख़ुदा पर झूठ बोताहन बॉधे उससे ज्यादा ज़ालिम कौन होगा ताकि लोगों के वे समझे बूझे गुमराह करें ख़ुदा हरगिज़ ज़ालिम क़ौम में मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुचाता
006-145 (ऐ रसूल) तुम कहो कि मै तो जो (क़ुरान) मेरे पास वही के तौर पर आया है उसमें कोई चीज़ किसी खाने वाले पर जो उसको खाए हराम नहीं पाता मगर जबकि वह मुर्दा या बहता हुआ ख़़ून या सूअर का गोश्त हो तो बेशक ये (चीजे) नापाक और हराम हैं या (वह जानवर) नाफरमानी का बाएस हो कि (वक्ते ़ज़िबहा) ख़ुदा के सिवा किसी और का नाम लिया गया हो फिर जो शख्स (हर तरह) बेबस हो जाए (और) नाफरमान व सरकश न हो और इस हालत में खाए तो अलबत्ता तुम्हारा परवरदिगार बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Wa `Alá Al-Ladhīna Hādū Ĥarramnā Kulla Dhī Žufurin ۖ Wa Mina Al-Baqari Wa Al-Ghanami Ĥarramnā `AlayhimShuĥūmahumā 'Illā Mā Ĥamalat Žuhūruhumā 'Awi Al-Ĥawāyā 'Aw Mā Akhtalaţa Bi`ažmin ۚ Dhālika Jazaynāhum Bibaghyihim ۖ Wa 'Innā Laşādiqūna
006-146 और हमने यहूदियों पर तमाम नाख़ूनदार जानवर हराम कर दिये थे और गाय और बकरी दोनों की चरबियां भी उन पर हराम कर दी थी मगर जो चरबी उनकी दोनों पीठ या आतों पर लगी हो या हडड्ी से मिली हुई हो (वह हलाल थी) ये हमने उन्हें उनकी सरक़शी की सज़ा दी थी और उसमें तो शक ही नहीं कि हम ज़रूर सच्चे हैं
006-147 (ऐ रसूल) पर अगर वह तुम्हें झुठलाएं तो तुम (जवाब) में कहो कि (अगरचे) तुम्हारा परवरदिगार बड़ी वसीह रहमत वाला है मगर उसका अज़ाब गुनाहगार लोगों से टलता भी नहीं
Sayaqūlu Al-Ladhīna 'Ashrakū Law Shā'a Allāhu Mā 'Ashraknā Wa Lā 'Ābā'uunā Wa Lā Ĥarramnā MinShay'in ۚ Kadhālika Kadhdhaba Al-Ladhīna MinQablihim Ĥattá Dhāqū Ba'sanā ۗ Qul Hal `Indakum Min `Ilmin Fatukhrijūhu Lanā ۖ 'In Tattabi`ūna 'Illā Až-Žanna Wa 'In 'Antum 'Illā Takhruşūna
006-148 अनक़रीब मुशरेकीन कहेंगें कि अगर ख़ुदा चाहता तो न हम लोग शिर्क करते और न हमारे बाप दादा और न हम कोई चीज़ अपने ऊपर हराम करते उसी तरह (बातें बना बना के) जो लोग उनसे पहले हो गुज़रे हैं (पैग़म्बरों को) झुठलाते रहे यहाँ तक कि उन लोगों ने हमारे अज़ाब (के मज़े)े को चख़ा (ऐ रसूल) तुम कहो कि तुम्हारे पास कोई दलील है (अगर है) तो हमारे (दिखाने के) वास्ते उसको निकालो (दलील तो क्या) पेश करोगे तुम लोग तो सिर्फ अपने ख्याल ख़ाम की पैरवी करते हो और सिर्फ अटकल पच्चू बातें करते हो
006-150 फिर अगर वही चाहता तो तुम सबकी हिदायत करता (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ( अच्छा) अपने गवाहों को लाकर हाज़िर करो जो ये गवाही दें कि ये चीज़े (जिन्हें तुम हराम मानते हो) खुदा ही ने हराम कर दी हैं फिर अगर (बिलग़रज़) वह गवाही दे भी दे तो (ऐ रसूल) कहीं तुम उनके साथ गवाही न देना और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया और आख़िरत पर ईमान नहीं लाते और दूसरों को अपने परवरदिगार का हम सर बनाते है उनकी नफ़सियानी ख्वाहिशों पर न चलना
Qul Ta`ālaw 'Atlu Mā Ĥarrama Rabbukum `Alaykum ۖ 'Allā Tushrikū Bihi Shay'āan ۖ Wa Bil-Wālidayni 'Iĥsānāan ۖ Wa Lā Taqtulū 'Awlādakum Min 'Imlāqin ۖ Naĥnu Narzuqukum Wa 'Īyāhum ۖ Wa Lā Taqrabū Al-Fawāĥisha Mā Žahara Minhā Wa Mā Baţana ۖ Wa Lā Taqtulū An-Nafsa Allatī Ĥarrama Allāhu 'Illā Bil-Ĥaqqi ۚ Dhālikum Waşşākum Bihi La`allakum Ta`qilūna
006-151 (ऐ रसूल) तुम उनसे कहो कि (बेबस) आओ जो चीज़ें ख़ुदा ने तुम पर हराम की हैं वह मैं तुम्हें पढ़ कर सुनाऊँ (वह) यह कि किसी चीज़ को ख़ुदा का शरीक़ न बनाओ और माँ बाप के साथ नेक सुलूक़ करो और मुफ़लिसी के ख़ौफ से अपनी औलाद को मार न डालना (क्योंकि) उनको और तुमको रिज़क देने वाले तो हम हैं और बदकारियों के क़रीब भी न जाओ ख्वाह (चाहे) वह ज़ाहिर हो या पोशीदा और किसी जान वाले को जिस के क़त्ल को ख़ुदा ने हराम किया है न मार डालना मगर (किसी) हक़ के ऐवज़ में वह बातें हैं जिनका ख़ुदा ने तुम्हें हुक्म दिया है ताकि तुम लोग समझो और यतीम के माल के करीब भी न जाओ
Wa Lā Taqrabū Māla Al-Yatīmi 'Illā Bi-Atī Hiya 'Aĥsanu Ĥattá Yablugha 'Ashuddahu ۖ Wa 'Awfū Al-Kayla Wa Al-Mīzāna Bil-Qisţi ۖ Lā Nukallifu Nafsāan 'Illā Wus`ahā ۖ Wa 'Idhā Qultum Fā`dilū Wa Law Kāna Dhā Qurbá ۖ Wa Bi`ahdi Allāhi 'Awfū ۚ Dhālikum Waşşākum Bihi La`allakum Tadhakkarūna
006-152 लेकिन इस तरीके पर कि (उसके हक़ में) बेहतर हो यहाँ तक कि वह अपनी जवानी की हद को पहुंच जाए और इन्साफ के साथ नाप और तौल पूरी किया करो हम किसी शख्स को उसकी ताक़त से बढ़कर तकलीफ नहीं देते और (चाहे कुछ हो मगर) जब बात कहो तो इन्साफ़ से अगरचे वह (जिसके तुम ख़िलाफ न हो) तुम्हारा अज़ीज़ ही (क्यों न) हो और ख़ुदा के एहद व पैग़ाम को पूरा करो यह वह बातें हैं जिनका ख़ुदा ने तुम्हे हुक्म दिया है कि तुम इबरत हासिल करो और ये भी (समझ लो) कि यही मेरा सीधा रास्ता है
Wa 'Anna Hādhā Şirāţī Mustaqīmāan Fa Attabi`ūhu ۖ Wa Lā Tattabi`ū As-Subula Fatafarraqa Bikum `An Sabīlihi ۚ Dhālikum Waşşākum Bihi La`allakum Tattaqūna
006-153 तो उसी पर चले जाओ और दूसरे रास्ते पर न चलो कि वह तुमको ख़ुदा के रास्ते से (भटकाकर) तितिर बितिर कर देगें यह वह बातें हैं जिनका ख़ुदा ने तुमको हक्म दिया है ताकि तुम परहेज़गार बनो
Thumma 'Ātaynā Mūsá Al-Kitāba Tamāmāan `Alá Al-Ladhī 'Aĥsana Wa Tafşīlāan Likulli Shay'in Wa Hudan Wa Raĥmatan La`allahum Biliqā'i Rabbihim Yu'uminūna
006-154 फिर हमनें जो नेक़ी करें उस पर अपनी नेअमत पूरी करने के वास्ते मूसा को क़िताब (तौरौत) अता फरमाई और उसमें हर चीज़ की तफ़सील (बयान कर दी ) थी और (लोगों के लिए अज़सरतापा(सर से पैर तक)) हिदायत व रहमत है ताकि वह लोग अपनें परवरदिगार के सामने हाज़िर होने का यक़ीन करें
Wa Hadhā Kitābun 'Anzalnāhu Mubārakun Fa Attabi`ūhu Wa Attaqū La`allakum Turĥamūna
006-155 और ये किताब (क़ुरान) जिसको हमने (अब नाज़िल किया है क्या है-बरक़त वाली किताब) है तो तुम लोग उसी की पैरवी करो (और ख़ुदा से) डरते रहो ताकि तुम पर रहम किया जाए
006-156 (और ऐ मुशरेकीन ये किताब हमने इसलिए नाज़िल की कि तुम कहीं) यह कह बैठो कि हमसे पहले किताब ख़ुदा तो बस सिर्फ दो ही गिरोहों (यहूद व नसारा) पर नाज़िल हुई थी अगरचे हम तो उनके पढ़ने (पढ़ाने) से बेखबर थे
'Aw Taqūlū Law 'Annā 'Unzila `Alaynā Al-Kitābu Lakunnā 'Ahdá Minhum ۚ Faqad Jā'akum Bayyinatun MinRabbikum Wa Hudan Wa Raĥmatun ۚ Faman 'Ažlamu Mimman Kadhdhaba Bi'āyāti Allāhi Wa Şadafa `Anhā ۗ Sanajzī Al-Ladhīna Yaşdifūna `An 'Āyātinā Sū'a Al-`Adhābi Bimā Kānū Yaşdifūna
006-157 या ये कहने लगो कि अगर हम पर किताबे (ख़ुदा नाज़िल होती तो हम उन लोगों से कहीं बढ़कर राहे रास्त पर होते तो (देखो) अब तो यक़ीनन तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास एक रौशन दलील है (किताबे ख़ुदा) और हिदायत और रहमत आ चुकी तो जो शख्स ख़ुदा के आयात को झुठलाए और उससे मुँह फेरे उनसे बढ़ कर ज़ालिम कौन है जो लोग हमारी आयतों से मुँह फेरते हैं हम उनके मुँह फेरने के बदले में अनक़रीब ही बुरे अज़ाब की सज़ा देगें (ऐ रसूल) क्या ये लोग सिर्फ उसके मुन्तिज़र है कि उनके पास फरिश्ते आएं
006-158 या तुम्हारा परवरदिगार खुद (तुम्हारे पास) आये या तुम्हारे परवरदिगार की कुछ निशानियाँ आ जाएं (आख़िरकार क्योकर समझाया जाए) हालांकि जिस दिन तुम्हारे परवरदिगार की बाज़ निशानियाँ आ जाएंगी तो जो शख्स पहले से ईमान नहीं लाया होगा या अपने मोमिन होने की हालत में कोई नेक काम नहीं किया होगा तो अब उसका ईमान लाना उसको कुछ भी मुफ़ीद न होगा - (ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो कि (अच्छा यही सही) तुम (भी) इन्तिज़ार करो हम भी इन्तिज़ार करते हैं
006-159 बेशक जिन लोगों ने आपने दीन में तफरक़ा डाला और कई फरीक़ बन गए थे उनसे कुछ सरोकार नहीं उनका मामला तो सिर्फ ख़ुदा के हवाले है फिर जो कुछ वह दुनिया में नेक या बद किया करते थे वह उन्हें बता देगा (उसकी रहमत तो देखो)
Qul 'Innanī Hadānī Rabbī 'Ilá Şirāţin Mustaqīmin DīnāanQiyamāan Millata 'Ibrāhīma Ĥanīfāan ۚ Wa Mā Kāna Mina Al-Mushrikīna
006-161 (ऐ रसूल) तुम उनसे कहो कि मुझे तो मेरे परवरदिगार ने सीधी राह यानि एक मज़बूत दीन इबराहीम के मज़हब की हिदायत फरमाई है बातिल से कतरा के चलते थे और मुशरेकीन से न थे
Qul 'Aghayra Allāhi 'Abghī Rabbāan Wa Huwa Rabbu Kulli Shay'in ۚ Wa Lā Taksibu Kullu Nafsin 'Illā `Alayhā ۚ Wa Lā Taziru Wāziratun Wizra 'Ukhrá ۚ Thumma 'Ilá Rabbikum Marji`ukum Fayunabbi'ukum Bimā Kuntum Fīhi Takhtalifūna
006-164 (ऐ रसूल) तुम पूछो तो कि क्या मैं ख़ुदा के सिवा किसी और को परवरदिगार तलाश करुँ हालॉकि वह तमाम चीज़ो का मालिक है और जो शख्स कोई बुरा काम करता है उसका (वबाल) उसी पर है और कोई शख्स किसी दूसरे के गुनाह का बोझ नहीं उठाने का फिर तुम सबको अपने परवरदिगार के हुज़ूर में लौट कर जाना है तब तुम लोग जिन बातों में बाहम झगड़ते थे वह सब तुम्हें बता देगा
Wa Huwa Al-Ladhī Ja`alakumKhalā'ifa Al-'Arđi Wa Rafa`a Ba`đakum Fawqa Ba`đin Darajātin Liyabluwakum Fī Mā 'Ātākum ۗ 'Inna Rabbaka Sarī`u Al-`Iqābi Wa 'Innahu LaghafūrunRaĥīmun
006-165 और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने तुम्हें ज़मीन में (अपना) नायब बनाया और तुममें से बाज़ के बाज़ पर दर्जे बुलन्द किये ताकि वो (नेअमत) तुम्हें दी है उसी पर तुम्हारा इमतेहान करे उसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बहुत जल्द अज़ाब करने वाला है और इसमें भी शक नहीं कि वह बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है