005-001 ऐ ईमानदारों (अपने) इक़रारों को पूरा करो (देखो) तुम्हारे वास्ते चौपाए जानवर हलाल कर दिये गये उन के सिवा जो तुमको पढ़ कर सुनाए जाएंगे हलाल कर दिए गए मगर जब तुम हालते एहराम में हो तो शिकार को हलाल न समझना बेशक ख़ुदा जो चाहता है हुक्म देता है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Tuĥillū Sha`ā'ira Allāhi Wa Lā Ash-Shahra Al-Ĥarāma Wa Lā Al-Hadya Wa Lā Al-Qalā'ida Wa Lā 'Āmmīna Al-Bayta Al-Ĥarāma Yabtaghūna Fađlāan MinRabbihim Wa Riđwānāan ۚ Wa 'Idhā Ĥalaltum Fāşţādū ۚ Wa Lā YajrimannakumShana'ānu Qawmin 'AnŞaddūkum `Ani Al-Masjidi Al-Ĥarāmi 'An Ta`tadū ۘ Wa Ta`āwanū `Alá Al-Birri Wa At-Taqwá ۖ Wa Lā Ta`āwanū `Alá Al-'Ithmi Wa Al-`Udwāni ۚ Wa Attaqū Allaha ۖ 'Inna Allāha Shadīdu Al-`Iqābi
005-002 ऐ ईमानदारों (देखो) न ख़ुदा की निशानियों की बेतौक़ीरी करो और न हुरमत वाले महिने की और न क़ुरबानी की और न पट्टे वाले जानवरों की (जो नज़रे ख़ुदा के लिए निशान देकर मिना में ले जाते हैं) और न ख़ानाए काबा की तवाफ़ (व ज़ियारत) का क़स्द करने वालों की जो अपने परवरदिगार की ख़ुशनूदी और फ़ज़ल (व करम) के जोयाँ हैं और जब तुम (एहराम) खोल दो तो शिकार कर सकते हो और किसी क़बीले की यह अदावत कि तुम्हें उन लोगों ने ख़ानाए काबा (में जाने) से रोका था इस जुर्म में न फॅसवा दे कि तुम उनपर ज्यादती करने लगो और (तुम्हारा तो फ़र्ज यह है कि ) नेकी और परहेज़गारी में एक दूसरे की मदद किया करो और गुनाह और ज्यादती में बाहम किसी की मदद न करो और ख़ुदा से डरते रहो (क्योंकि) ख़ुदा तो यक़ीनन बड़ा सख्त अज़ाब वाला है
Ĥurrimat `Alaykumu Al-Maytatu Wa Ad-Damu Wa Laĥmu Al-Khinzīri Wa Mā 'Uhilla Lighayri Allāhi Bihi Wa Al-Munkhaniqatu Wa Al-Mawqūdhatu Wa Al-Mutaraddiyatu Wa An-Naţīĥatu Wa Mā 'Akala As-Sabu`u 'Illā Mā Dhakkaytum Wa Mā Dhubiĥa `Alá An-Nuşubi Wa 'An Tastaqsimū Bil-'Azlāmi ۚ Dhālikum Fisqun ۗ Al-Yawma Ya'isa Al-Ladhīna Kafarū Min Dīnikum Falā Takhshawhum Wa Akhshawnī ۚ Al-Yawma 'Akmaltu Lakum Dīnakum Wa 'Atmamtu `Alaykum Ni`matī Wa Rađītu Lakumu Al-'Islāma Dīnāan ۚ Famani Ađţurra Fī Makhmaşatin Ghayra Mutajānifin L'ithmin ۙ Fa'inna Allāha GhafūrunRaĥīmun
005-003 (लोगों) मरा हुआ जानवर और ख़ून और सुअर का गोश्त और जिस (जानवर) पर (ज़िबाह) के वक्त ख़ुदा के सिवा किसी दूसरे का नाम लिया जाए और गर्दन मरोड़ा हुआ और चोट खाकर मरा हुआ और जो कुएं (वगैरह) में गिरकर मर जाए और जो सींग से मार डाला गया हो और जिसको दरिन्दे ने फाड़ खाया हो मगर जिसे तुमने मरने के क़ब्ल ज़िबाह कर लो और (जो जानवर) बुतों (के थान) पर चढ़ा कर ज़िबाह किया जाए और जिसे तुम (पाँसे) के तीरों से बाहम हिस्सा बॉटो (ग़रज़ यह सब चीज़ें) तुम पर हराम की गयी हैं ये गुनाह की बात है (मुसलमानों) अब तो कुफ्फ़ार तुम्हारे दीन से (फिर जाने से) मायूस हो गए तो तुम उनसे तो डरो ही नहीं बल्कि सिर्फ मुझी से डरो आज मैंने तुम्हारे दीन को कामिल कर दिया और तुमपर अपनी नेअमत पूरी कर दी और तुम्हारे (इस) दीने इस्लाम को पसन्द किया पस जो शख्स भूख़ में मजबूर हो जाए और गुनाह की तरफ़ माएल भी न हो (और कोई चीज़ खा ले) तो ख़ुदा बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Yas'alūnaka Mādhā 'Uĥilla Lahum ۖ Qul 'Uĥilla Lakumu Aţ-Ţayyibātu ۙ Wa Mā `Allamtum Mina Al-Jawāriĥi Mukallibīna Tu`allimūnahunna Mimmā `Allamakumu Allāhu ۖ Fakulū Mimmā 'Amsakna `Alaykum Wa Adhkurū Asma Allāhi `Alayhi ۖ Wa Attaqū Allaha ۚ 'Inna Allāha Sarī`u Al-Ĥisābi
005-004 (ऐ रसूल) तुमसे लोग पूंछते हैं कि कौन (कौन) चीज़ उनके लिए हलाल की गयी है तुम (उनसे) कह दो कि तुम्हारे लिए पाकीज़ा चीजें हलाल की गयीं और शिकारी जानवर जो तुमने शिकार के लिए सधा रखें है और जो (तरीके) ख़ुदा ने तुम्हें बताये हैं उनमें के कुछ तुमने उन जानवरों को भी सिखाया हो तो ये शिकारी जानवर जिस शिकार को तुम्हारे लिए पकड़ रखें उसको (बेताम्मुल) खाओ और (जानवर को छोंड़ते वक्त) ख़ुदा का नाम ले लिया करो और ख़ुदा से डरते रहो (क्योंकि) इसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है
Al-Yawma 'Uĥilla Lakumu Aţ-Ţayyibātu ۖ Wa Ţa`āmu Al-Ladhīna 'Ūtū Al-Kitāba Ĥillun Lakum Wa Ţa`āmukum Ĥillun Lahum Wa ۖ Al-Muĥşanātu Mina Al-Mu'umināti Wa Al-Muĥşanātu Mina Al-Ladhīna 'Ūtū Al-Kitāba MinQablikum 'Idhā 'Ātaytumūhunna 'Ujūrahunna Muĥşinīna Ghayra Musāfiĥīna Wa Lā Muttakhidhī 'Akhdānin ۗ Wa Man Yakfur Bil-'Īmāni Faqad Ĥabiţa `Amaluhu Wa Huwa Fī Al-'Ākhirati Mina Al-Khāsirīna
005-005 आज तमाम पाकीज़ा चीजें तुम्हारे लिए हलाल कर दी गयी हैं और अहले किताब की ख़ुश्क चीजें ग़ेहूं (वगैरह) तुम्हारे लिए हलाल हैं और तुम्हारी ख़ुश्क चीजें ग़ेहूं (वगैरह) उनके लिए हलाल हैं और आज़ाद पाक दामन औरतें और उन लोगों में की आज़ाद पाक दामन औरतें जिनको तुमसे पहले किताब दी जा चुकी है जब तुम उनको उनके मेहर दे दो (और) पाक दामिनी का इरादा करो न तो खुल्लम खुल्ला ज़िनाकारी का और न चोरी छिपे से आशनाई का और जिस शख्स ने ईमान से इन्कार किया तो उसका सब किया (धरा) अकारत हो गया और (तुल्फ़ तो ये है कि) आख़ेरत में भी वही घाटे में रहेगा
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū 'Idhā Qumtum 'Ilá Aş-Şalāati Fāghsilū Wujūhakum Wa 'Aydiyakum 'Ilá Al-Marāfiqi Wa Amsaĥū Biru'ūsikum Wa 'Arjulakum 'Ilá Al-Ka`bayni ۚ Wa 'In Kuntum Junubāan Fa Aţţahharū ۚ Wa 'In Kuntum Marđá 'Aw `Alá Safarin 'Aw Jā'a 'Aĥadun Minkum Mina Al-Ghā'iţi 'Aw Lāmastumu An-Nisā' Falam Tajidū Mā'an Fatayammamū Şa`īdāanŢayyibāan Fāmsaĥū Biwujūhikum Wa 'Aydīkum Minhu ۚ Mā Yurīdu Allāhu Liyaj`ala `Alaykum Min Ĥarajin Wa Lakin Yurīdu Liyuţahhirakum Waliyutimma Ni`matahu `Alaykum La`allakum Tashkurūna
005-006 ऐ ईमानदारों जब तुम नमाज़ के लिये आमादा हो तो अपने मुंह और कोहनियों तक हाथ धो लिया करो और अपने सरों का और टखनों तक पॉवों का मसाह कर लिया करो और अगर तुम हालते जनाबत में हो तो तुम तहारत (ग़ुस्ल) कर लो (हॉ) और अगर तुम बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से किसी को पैख़ाना निकल आए या औरतों से हमबिस्तरी की हो और तुमको पानी न मिल सके तो पाक ख़ाक से तैमूम कर लो यानि (दोनों हाथ मारकर) उससे अपने मुंह और अपने हाथों का मसा कर लो (देखो तो ख़ुदा ने कैसी आसानी कर दी) ख़ुदा तो ये चाहता ही नहीं कि तुम पर किसी तरह की तंगी करे बल्कि वो ये चाहता है कि पाक व पाकीज़ा कर दे और तुमपर अपनी नेअमते पूरी कर दे ताकि तुम शुक्रगुज़ार बन जाओ
Wa Adhkurū Ni`mata Allāhi `Alaykum Wa Mīthāqahu Al-Ladhī Wa Athaqakum Bihi~ 'IdhQultum Sami`nā Wa 'Aţa`nā ۖ Wa Attaqū Allaha ۚ 'Inna Allāha `Alīmun Bidhāti Aş-Şudūri
005-007 और जो एहसानात ख़ुदा ने तुमपर किए हैं उनको और उस (एहद व पैमान) को याद करो जिसका तुमसे पक्का इक़रार ले चुका है जब तुमने कहा था कि हमने (एहकामे ख़ुदा को) सुना और दिल से मान लिया और ख़ुदा से डरते रहो क्योंकि इसमें ज़रा भी शक नहीं कि ख़ुदा दिलों के राज़ से भी बाख़बर है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Kūnū Qawwāmīna Lillāh Shuhadā'a Bil-Qisţi ۖ Wa Lā YajrimannakumShana'ānu Qawmin `Alá 'Allā Ta`dilū ۚ A`dilū Huwa 'Aqrabu Lilttaqwá ۖ Wa Attaqū Allaha ۚ 'Inna Allāha Khabīrun Bimā Ta`malūna
005-008 ऐ ईमानदारों ख़ुदा (की ख़ुशनूदी) के लिए इन्साफ़ के साथ गवाही देने के लिए तैयार रहो और तुम्हें किसी क़बीले की अदावत इस जुर्म में न फॅसवा दे कि तुम नाइन्साफी करने लगो (ख़बरदार बल्कि) तुम (हर हाल में) इन्साफ़ करो यही परहेज़गारी से बहुत क़रीब है और ख़ुदा से डरो क्योंकि जो कुछ तुम करते हो (अच्छा या बुरा) ख़ुदा उसे ज़रूर जानता है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Adhkurū Ni`mata Allāhi `Alaykum 'Idh Hamma Qawmun 'An Yabsuţū 'Ilaykum 'Aydiyahum Fakaffa 'Aydiyahum `Ankum ۖ Wa Attaqū Allaha ۚ Wa `Alá Allāhi Falyatawakkali Al-Mu'uminūna
005-011 ऐ ईमानदारों ख़ुदा ने जो एहसानात तुमपर किए हैं उनको याद करो और ख़ूसूसन जब एक क़बीले ने तुम पर दस्त दराज़ी का इरादा किया था तो ख़ुदा ने उनके हाथों को तुम तक पहुंचने से रोक दिया और ख़ुदा से डरते रहो और मोमिनीन को ख़ुदा ही पर भरोसा रखना चाहिए
Wa Laqad 'Akhadha Allāhu Mīthāqa Banī 'Isrā'īla Wa Ba`athnā Minhumu Athnay `Ashara Naqībāan ۖ Wa Qāla Allāhu 'Innī Ma`akum ۖ La'in 'Aqamtumu Aş-Şalāata Wa 'Ātaytumu Az-Zakāata Wa 'Āmantum Birusulī Wa `Azzartumūhum Wa 'Aqrađtumu Allāha Qarđāan Ĥasanāan La'ukaffiranna `Ankum Sayyi'ātikum Wa La'udkhilannakum Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'Anhāru ۚ Faman Kafara Ba`da Dhālika Minkum FaqadĐalla Sawā'a As-Sabīli
005-012 और इसमें भी शक नहीं कि ख़ुदा ने बनी इसराईल से (भी ईमान का) एहद व पैमान ले लिया था और हम (ख़ुदा) ने इनमें के बारह सरदार उनपर मुक़र्रर किए और ख़ुदा ने बनी इसराईल से फ़रमाया था कि मैं तो यक़ीनन तुम्हारे साथ हूं अगर तुम भी पाबन्दी से नमाज़ पढ़ते और ज़कात देते रहो और हमारे पैग़म्बरों पर ईमान लाओ और उनकी मदद करते रहो और ख़ुदा (की ख़ुशनूदी के वास्ते लोगों को) क़र्जे हसना देते रहो तो मैं भी तुम्हारे गुनाह तुमसे ज़रूर दूर करूंगा और तुमको बेहिश्त के उन (हरे भरे ) बाग़ों में जा पहुंचाऊॅगा जिनके (दरख्तों के) नीचे नहरें जारी हैं फिर तुममें से जो शख्स इसके बाद भी इन्कार करे तो यक़ीनन वह राहे रास्त से भटक गया
Fabimā Naqđihim Mīthāqahum La`annāhum Wa Ja`alnā QulūbahumQāsiyatan ۖ Yuĥarrifūna Al-Kalima `An Mawāđi`ihi ۙ Wa Nasū Ĥažžāan Mimmā Dhukkirū Bihi ۚ Wa Lā Tazālu Taţţali`u `Alá Khā'inatin Minhum 'Illā Qalīlāan Minhum ۖ Fā`fu `Anhum Wa Aşfaĥ ۚ 'Inna Allāha Yuĥibbu Al-Muĥsinīna
005-013 पस हमने उनकीे एहद शिकनी की वजह से उनपर लानत की और उनके दिलों को (गोया) हमने ख़ुद सख्त बना दिया कि (हमारे) कलमात को उनके असली मायनों से बदल कर दूसरे मायनो में इस्तेमाल करते हैं और जिन जिन बातों की उन्हें नसीहत की गयी थी उनमें से एक बड़ा हिस्सा भुला बैठे और (ऐ रसूल) अब तो उनमें से चन्द आदमियों के सिवा एक न एक की ख्यानत पर बराबर मुत्तेला होते रहते हो तो तुम उन (के क़सूर) को माफ़ कर दो और (उनसे) दरगुज़र करो (क्योंकि) ख़ुदा एहसान करने वालों को ज़रूर दोस्त रखता है
Wa Mina Al-Ladhīna Qālū 'Innā Naşārá 'Akhadhnā Mīthāqahum Fanasū Ĥažžāan Mimmā Dhukkirū Bihi Fa'aghraynā Baynahumu Al-`Adāwata Wa Al-Baghđā'a 'Ilá Yawmi Al-Qiyāmati ۚ Wa Sawfa Yunabbi'uhumu Allāhu Bimā Kānū Yaşna`ūna
005-014 और जो लोग कहते हैं कि हम नसरानी हैं उनसे (भी) हमने ईमान का एहद (व पैमान) लिया था मगर जब जिन जिन बातों की उन्हें नसीहत की गयी थी उनमें से एक बड़ा हिस्सा (रिसालत) भुला बैठे तो हमने भी (उसकी सज़ा में) क़यामत तक उनमें बाहम अदावत व दुशमनी की बुनियाद डाल दी और ख़ुदा उन्हें बहुत जल्द (क़यामत के दिन) बता देगा कि वह क्या क्या करते थे
Yā 'Ahla Al-Kitābi Qad Jā'akumRasūlunā Yubayyinu Lakum Kathīrāan Mimmā Kuntum Tukhfūna Mina Al-Kitābi Wa Ya`fū `An Kathīrin ۚ Qad Jā'akum Mina Allāhi Nūrun Wa Kitābun Mubīnun
005-015 ऐ अहले किताब तुम्हारे पास हमारा पैगम्बर (मोहम्मद सल्ल) आ चुका जो किताबे ख़ुदा की उन बातों में से जिन्हें तुम छुपाया करते थे बहुतेरी तो साफ़ साफ़ बयान कर देगा और बहुतेरी से (अमदन) दरगुज़र करेगा तुम्हरे पास तो ख़ुदा की तरफ़ से एक (चमकता हुआ) नूर और साफ़ साफ़ बयान करने वाली किताब (कुरान) आ चुकी है
Yahdī Bihi Allāhu Mani Attaba`a Riđwānahu Subula As-Salāmi Wa Yukhrijuhum Mina Až-Žulumāti 'Ilá An-Nūri Bi'idhnihi Wa Yahdīhim 'Ilá Şirāţin Mustaqīmin
005-016 जो लोग ख़ुदा की ख़ुशनूदी के पाबन्द हैं उनको तो उसके ज़रिए से राहे निजात की हिदायत करता है और अपने हुक्म से (कुफ़्र की) तारीकी से निकालकर (ईमान की) रौशनी में लाता है और राहे रास्त पर पहुंचा देता है
Laqad Kafara Al-Ladhīna Qālū 'Inna Allāha Huwa Al-Masīĥu Abnu Maryama ۚ Qul Faman Yamliku Mina Allāhi Shay'āan 'In 'Arāda 'An Yuhlika Al-Masīĥa Abna Maryama Wa 'Ummahu Wa Man Fī Al-'Arđi Jamī`āan ۗ Wa Lillāh Mulku As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Mā Baynahumā ۚ Ykhluqu Mā Yashā'u Wa ۚ Allāhu `Alá Kulli Shay'inQadīrun
005-017 जो लोग उसके क़ायल हैं कि मरियम के बेटे मसीह बस ख़ुदा हैं वह ज़रूर काफ़िर हो गए (ऐ रसूल) उनसे पूंछो तो कि भला अगर ख़ुदा मरियम के बेटे मसीह और उनकी मॉ को और जितने लोग ज़मीन में हैं सबको मार डालना चाहे तो कौन ऐसा है जिसका ख़ुदा से भी ज़ोर चले (और रोक दे) और सारे आसमान और ज़मीन में और जो कुछ भी उनके दरमियान में है सब ख़ुदा ही की सल्तनत है जो चाहता है पैदा करता है और ख़ुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर है
Wa Qālati Al-Yahūdu Wa An-Naşārá Naĥnu 'Abnā'u Allāhi Wa 'Aĥibbā'uuhu ۚ Qul Falima Yu`adhdhibukum Bidhunūbikum ۖ Bal 'Antum Basharun Mimman Khalaqa ۚ Yaghfiru Liman Yashā'u Wa Yu`adhdhibu Man Yashā'u ۚ Wa Lillāh Mulku As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Mā Baynahumā ۖ Wa 'Ilayhi Al-Maşīru
005-018 और नसरानी और यहूदी तो कहते हैं कि हम ही ख़ुदा के बेटे और उसके चहेते हैं (ऐ रसूल) उनसे तुम कह दो (कि अगर ऐसा है) तो फिर तुम्हें तुम्हारे गुनाहों की सज़ा क्यों देता है (तुम्हारा ख्याल लग़ो है) बल्कि तुम भी उसकी मख़लूक़ात से एक बशर हो ख़ुदा जिसे चाहेगा बख़ देगा और जिसको चाहेगा सज़ा देगा आसमान और ज़मीन और जो कुछ उन दोनों के दरमियान में है सब ख़ुदा ही का मुल्क है और सबको उसी की तरफ़ लौट कर जाना है
Yā 'Ahla Al-Kitābi Qad Jā'akumRasūlunā Yubayyinu Lakum `Alá Fatratin Mina Ar-Rusuli 'An Taqūlū Mā Jā'anā Min Bashīrin Wa Lā Nadhīrin ۖ Faqad Jā'akum Bashīrun Wa Nadhīrun Wa ۗ Allāhu `Alá Kulli Shay'inQadīrun
005-019 ऐ अहले किताब जब पैग़म्बरों की आमद में बहुत रूकावट हुई तो हमारा रसूल तुम्हारे पास आया जो एहकामे ख़ुदा को साफ़ साफ़ बयान करता है ताकि तुम कहीं ये न कह बैठो कि हमारे पास तो न कोई ख़ुशख़बरी देने वाला (पैग़म्बर) आया न (अज़ाब से) डराने वाला अब तो (ये नहीं कह सकते क्योंकि) यक़ीनन तुम्हारे पास ख़ुशख़बरी देने वाला और डराने वाला पैग़म्बर आ गया और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
Wa 'IdhQāla Mūsá Liqawmihi Yā Qawmi Adhkurū Ni`mata Allāhi `Alaykum 'Idh Ja`ala Fīkum 'Anbiyā'a Wa Ja`alakum Mulūkāan Wa 'Ātākum Mā Lam Yu'uti 'Aĥadāan Mina Al-`Ālamīna
005-020 ऐ रसूल उनको वह वक्त याद (दिलाओ) जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा था कि ऐ मेरी क़ौम जो नेअमते ख़ुदा ने तुमको दी है उसको याद करो इसलिए कि उसने तुम्हीं लोगों से बहुतेरे पैग़म्बर बनाए और तुम ही लोगों को बादशाह (भी) बनाया और तुम्हें वह नेअमतें दी हैं जो सारी ख़ुदायी में किसी एक को न दीं
005-021 ऐ मेरी क़ौम (शाम) की उस मुक़द्दस ज़मीन में जाओ जहॉ ख़ुदा ने तुम्हारी तक़दीर में (हुकूमत) लिख दी है और दुशमन के मुक़ाबले पीठ न फेरो (क्योंकि) इसमें तो तुम ख़ुद उलटा घाटा उठाओगे
Qālū Yā Mūsá 'Inna Fīhā Qawmāan Jabbārīna Wa 'Innā Lan Nadkhulahā Ĥattá Yakhrujū Minhā Fa'in Yakhrujū Minhā Fa'innā Dākhilūna
005-022 वह लोग कहने लगे कि ऐ मूसा इस मुल्क में तो बड़े ज़बरदस्त (सरकश) लोग रहते हैं और जब तक वह लोग इसमें से निकल न जाएं हम तो उसमें कभी पॉव भी न रखेंगे हॉ अगर वह लोग ख़ुद इसमें से निकल जाएं तो अलबत्ता हम ज़रूर जाएंगे
005-023 (मगर) वह आदमी (यूशा कालिब) जो ख़ुदा का ख़ौफ़ रखते थे और जिनपर ख़ुदा ने ख़ास अपना फ़ज़ल (करम) किया था बेधड़क बोल उठे कि (अरे) उनपर हमला करके (बैतुल मुक़दस के फाटक में तो घुस पड़ो फिर देखो तो यह ऐसे बोदे हैं कि) इधर तुम फाटक में घुसे और (ये सब भाग खड़े हुए और) तुम्हारी जीत हो गयी और अगर सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा ही पर भरोसा रखो
Qālū Yā Mūsá 'Innā Lan Nadkhulahā 'Abadāan Mā Dāmū Fīhā ۖ Fādh/hab 'Anta Wa Rabbuka Faqātilā 'Innā Hāhunā Qā`idūna
005-024 वह कहने लगे एक मूसा (चाहे जो कुछ हो) जब तक वह लोग इसमें हैं हम तो उसमें हरगिज़ (लाख बरस) पॉव न रखेंगे हॉ तुम जाओ और तुम्हारा ख़ुदा जाए ओर दोनों (जाकर) लड़ो हम तो यहीं जमे बैठे हैं
Qāla Rabbi 'Innī Lā 'Amliku 'Illā Nafsī Wa 'Akhī ۖ Fāfruq Baynanā Wa Bayna Al-Qawmi Al-Fāsiqīna
005-025 तब मूसा ने अर्ज़ की ख़ुदावन्दा तू ख़ूब वाक़िफ़ है कि अपनी ज़ाते ख़ास और अपने भाई के सिवा किसी पर मेरा क़ाबू नहीं बस अब हमारे और उन नाफ़रमान लोगों के दरमियान जुदाई डाल दे
005-026 हमारा उनका साथ नहीं हो सकता (ख़ुदा ने फ़रमाया) (अच्छा) तो उनकी सज़ा यह है कि उनको चालीस बरस तक की हुकूमत नसीब न होगा (और उस मुद्दते दराज़ तक) यह लोग (मिस्र के) जंगल में सरगरदॉ रहेंगे तो फिर तुम इन बदचलन बन्दों पर अफ़सोस न करना
Wa Atlu `Alayhim Naba'a Abnay 'Ādama Bil-Ĥaqqi 'IdhQarrabā Qurbānāan Fatuqubbila Min 'Aĥadihimā Wa Lam Yutaqabbal Mina Al-'Ākhari Qāla La'aqtulannaka ۖ Qāla 'Innamā Yataqabbalu Allāhu Mina Al-Muttaqīna
005-027 (ऐ रसूल) तुम इन लोगों से आदम के दो बेटों (हाबील, क़ाबील) का सच्चा क़स्द बयान कर दो कि जब उन दोनों ने ख़ुदा की दरगाह में नियाज़ें चढ़ाई तो (उनमें से) एक (हाबील) की (नज़र तो) क़ुबूल हुई और दूसरे (क़ाबील) की नज़र न क़ुबूल हुई तो (मारे हसद के) हाबील से कहने लगा मैं तो तुझे ज़रूर मार डालूंगा उसने जवाब दिया कि (भाई इसमें अपना क्या बस है) ख़ुदा तो सिर्फ परहेज़गारों की नज़र कुबूल करता है
005-028 अगर तुम मेरे क़त्ल के इरादे से मेरी तरफ़ अपना हाथ बढ़ाओगे (तो ख़ैर बढ़ाओ) (मगर) मैं तो तुम्हारे क़त्ल के ख्याल से अपना हाथ बढ़ाने वाला नहीं (क्योंकि) मैं तो उस ख़ुदा से जो सारे जहॉन का पालने वाला है ज़रूर डरता हूं
005-031 (तब उसे फ़िक्र हुई कि लाश को क्या करे) तो ख़ुदा ने एक कौवे को भेजा कि वह ज़मीन को कुरेदने लगा ताकि उसे (क़ाबील) को दिखा दे कि उसे अपने भाई की लाश क्योंकर छुपानी चाहिए (ये देखकर) वह कहने लगा हाए अफ़सोस क्या मैं उस से भी आजिज़ हूं कि उस कौवे की बराबरी कर सकॅू कि (बला से यह भी होता) तो अपने भाई की लाश छुपा देता अलगरज़ वह (अपनी हरकत से) बहुत पछताया
005-032 इसी सबब से तो हमने बनी इसराईल पर वाजिब कर दिया था कि जो शख्स किसी को न जान के बदले में और न मुल्क में फ़साद फैलाने की सज़ा में (बल्कि नाहक़) क़त्ल कर डालेगा तो गोया उसने सब लोगों को क़त्ल कर डाला और जिसने एक आदमी को जिला दिया तो गोया उसने सब लोगों को जिला लिया और उन (बनी इसराईल) के पास तो हमारे पैग़म्बर (कैसे कैसे) रौशन मौजिज़े लेकर आ चुके हैं (मगर) फिर उसके बाद भी यक़ीनन उसमें से बहुतेरे ज़मीन पर ज्यादतियॉ करते रहे
'Innamā Jazā'u Al-Ladhīna Yuĥāribūna Allāha Wa Rasūlahu Wa Yas`awna Fī Al-'Arđi Fasādāan 'An Yuqattalū 'Aw Yuşallabū 'Aw Tuqaţţa`a 'Aydīhim Wa 'Arjuluhum Min Khilāfin 'Aw Yunfaw Mina Al-'Arđi ۚ Dhālika LahumKhizyun Fī Ad-Dunyā ۖ Wa Lahum Fī Al-'Ākhirati `Adhābun `Ažīmun
005-033 जो लोग ख़ुदा और उसके रसूल से लड़ते भिड़ते हैं (और एहकाम को नहीं मानते) और फ़साद फैलाने की ग़रज़ से मुल्को (मुल्को) दौड़ते फिरते हैं उनकी सज़ा बस यही है कि (चुन चुनकर) या तो मार डाले जाएं या उन्हें सूली दे दी जाए या उनके हाथ पॉव हेर फेर कर एक तरफ़ का हाथ दूसरी तरफ़ का पॉव काट डाले जाएं या उन्हें (अपने वतन की) सरज़मीन से शहर बदर कर दिया जाए यह रूसवाई तो उनकी दुनिया में हुई और फिर आख़ेरत में तो उनके लिए बहुत बड़ा अज़ाब ही है
005-034 मगर (हॉ) जिन लोगों ने इससे पहले कि तुम इनपर क़ाबू पाओ तौबा कर लो तो उनका गुनाह बख्श दिया जाएगा क्योंकि समझ लो कि ख़ुदा बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
'Inna Al-Ladhīna Kafarū Law 'Anna Lahum Mā Fī Al-'Arđi Jamī`āan Wa Mithlahu Ma`ahu Liyaftadū Bihi Min `Adhābi Yawmi Al-Qiyāmati Mā Tuqubbila Minhum ۖ Wa Lahum `Adhābun 'Alīmun
005-036 इसमें शक नहीं कि जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया अगर उनके पास ज़मीन में जो कुछ (माल ख़ज़ाना) है (वह) सब बल्कि उतना और भी उसके साथ हो कि रोज़े क़यामत के अज़ाब का मुआवेज़ा दे दे (और ख़ुद बच जाए) तब भी (उसका ये मुआवेज़ा) कुबूल न किया जाएगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है
Wa As-Sāriqu Wa As-Sāriqatu Fāqţa`ū 'Aydiyahumā Jazā'an Bimā Kasabā Nakālāan Mina Allāhi Wa ۗ Allāhu `Azīzun Ĥakīmun
005-038 और चोर ख्वाह मर्द हो या औरत तुम उनके करतूत की सज़ा में उनका (दाहिना) हाथ काट डालो ये (उनकी सज़ा) ख़ुदा की तरफ़ से है और ख़ुदा (तो) बड़ा ज़बरदस्त हिकमत वाला है
Faman Tāba Min Ba`di Žulmihi Wa 'Aşlaĥa Fa'inna Allāha Yatūbu `Alayhi ۗ 'Inna Allāha GhafūrunRaĥīmun
005-039 हॉ जो अपने गुनाह के बाद तौबा कर ले और अपने चाल चलन दुरूस्त कर लें तो बेशक ख़ुदा भी तौबा कुबूल कर लेता है क्योंकि ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
'Alam Ta`lam 'Anna Allāha Lahu Mulku As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Yu`adhdhibu Man Yashā'u Wa Yaghfiru Liman Yashā'u Wa ۗ Allāhu `Alá Kulli Shay'inQadīrun
005-040 ऐ शख्स क्या तू नहीं जानता कि सारे आसमान व ज़मीन (ग़रज़ दुनिया जहान) में ख़ास ख़ुदा की हुकूमत है जिसे चाहे अज़ाब करे और जिसे चाहे माफ़ कर दे और ख़ुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर है
Yā 'Ayyuhā Ar-Rasūlu Lā Yaĥzunka Al-Ladhīna Yusāri`ūna Fī Al-Kufri Mina Al-Ladhīna Qālū 'Āmannā Bi'afwāhihim Wa Lam Tu'uminQulūbuhum ۛ Wa Mina Al-Ladhīna Hādū ۛ Sammā`ūna Lilkadhibi Sammā`ūna Liqawmin 'Ākharīna Lam Ya'tūka ۖ Yuĥarrifūna Al-Kalima Min Ba`di Mawāđi`ihi ۖ Yaqūlūna 'In 'Ūtītum Hādhā Fakhudhūhu Wa 'In Lam Tu'utawhu Fāĥdharū ۚ Wa Man Yuridi Allāhu Fitnatahu Falan Tamlika Lahu Mina Allāhi Shay'āan ۚ 'Ūlā'ika Al-Ladhīna Lam Yuridi Allāhu 'An Yuţahhira Qulūbahum ۚ Lahum Fī Ad-Dunyā Khizyun ۖ Wa Lahum Fī Al-'Ākhirati `Adhābun `Ažīmun
005-041 ऐ रसूल जो लोग कुफ़्र की तरफ़ लपक के चले जाते हैं तुम उनका ग़म न खाओ उनमें बाज़ तो ऐसे हैं कि अपने मुंह से बे तकल्लुफ़ कह देते हैं कि हम ईमान लाए हालॉकि उनके दिल बेईमान हैं और बाज़ यहूदी ऐसे हैं कि (जासूसी की ग़रज़ से) झूठी बातें बहुत (शौक से) सुनते हैं ताकि कुफ्फ़ार के दूसरे गिरोह को जो (अभी तक) तुम्हारे पास नहीं आए हैं सुनाएं ये लोग (तौरैत के) अल्फ़ाज़ की उनके असली मायने (मालूम होने) के बाद भी तहरीफ़ करते हैं (और लोगों से) कहते हैं कि (ये तौरैत का हुक्म है) अगर मोहम्मद की तरफ़ से (भी) तुम्हें यही हुक्म दिया जाय तो उसे मान लेना और अगर यह हुक्म तुमको न दिया जाए तो उससे अलग ही रहना और (ऐ रसूल) जिसको ख़ुदा ख़राब करना चाहता है तो उसके वास्ते ख़ुदा से तुम्हारा कुछ ज़ोर नहीं चल सकता यह लोग तो वही हैं जिनके दिलों को ख़ुदा ने (गुनाहों से) पाक करने का इरादा ही नहीं किया (बल्कि) उनके लिए तो दुनिया में भी रूसवाई है और आख़ेरत में भी (उनके लिए) बड़ा (भारी) अज़ाब होगा
005-042 ये (कम्बख्त) झूठी बातों को बड़े शौक़ से सुनने वाले और बड़े ही हरामख़ोर हैं तो (ऐ रसूल) अगर ये लोग तुम्हारे पास (कोई मामला लेकर) आए तो तुमको इख्तेयार है ख्वाह उनके दरमियान फैसला कर दो या उनसे किनाराकशी करो और अगर तुम किनाराकश रहोगे तो (कुछ ख्याल न करो) ये लोग तुम्हारा हरगिज़ कुछ बिगाड़ नहीं सकते और अगर उनमें फैसला करो तो इन्साफ़ से फैसला करो क्योंकि ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है
Wa Kayfa Yuĥakkimūnaka Wa `Indahumu At-Tawrāatu Fīhā Ĥukmu Allāhi Thumma Yatawallawna Min Ba`di Dhālika ۚ Wa Mā 'Ūlā'ika Bil-Mu'uminīna
005-043 और जब ख़ुद उनके पास तौरेत है और उसमें ख़ुदा का हुक्म (मौजूद) है तो फिर तुम्हारे पास फैसला कराने को क्यों आते हैं और (लुत्फ़ तो ये है कि) इसके बाद फिर (तुम्हारे हुक्म से) फिर जाते हैं ओर सच तो यह है कि यह लोग ईमानदार ही नहीं हैं
'Innā 'Anzalnā At-Tawrāata Fīhā Hudan Wa Nūrun ۚ Yaĥkumu Bihā An-Nabīyūna Al-Ladhīna 'Aslamū Lilladhīna Hādū Wa Ar-Rabbānīyūna Wa Al-'Aĥbāru Bimā Astuĥfižū Min Kitābi Allāhi Wa Kānū `Alayhi Shuhadā'a ۚ Falā Takhshaw An-Nāsa Wa Akhshawnī Wa Lā Tashtarū Bi'āyātī ThamanāanQalīlāan ۚ Wa Man Lam Yaĥkum Bimā 'Anzala Allāhu Fa'ūlā'ika Humu Al-Kāfirūna
005-044 बेशक हम ने तौरेत नाज़िल की जिसमें (लोगों की) हिदायत और नूर (ईमान) है उसी के मुताबिक़ ख़ुदा के फ़रमाबरदार बन्दे (अम्बियाए बनी इसराईल) यहूदियों को हुक्म देते रहे और अल्लाह वाले और उलेमाए (यहूद) भी किताबे ख़ुदा से (हुक्म देते थे) जिसके वह मुहाफ़िज़ बनाए गए थे और वह उसके गवाह भी थे पस (ऐ मुसलमानों) तुम लोगों से (ज़रा भी) न डरो (बल्कि) मुझ ही से डरो और मेरी आयतों के बदले में (दुनिया की दौलत जो दर हक़ीक़त बहुत थोड़ी क़ीमत है) न लो और (समझ लो कि) जो शख्स ख़ुदा की नाज़िल की हुई (किताब) के मुताबिक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग काफ़िर हैं
Wa Katabnā `Alayhim Fīhā 'Anna An-Nafsa Bin-Nafsi Wa Al-`Ayna Bil-`Ayni Wa Al-'Anfa Bil-'Anfi Wa Al-'Udhuna Bil-'Udhuni Wa As-Sinna Bis-Sinni Wa Al-Jurūĥa Qişāşun ۚ Faman Taşaddaqa Bihi Fahuwa Kaffāratun Lahu ۚ Wa Man Lam Yaĥkum Bimā 'Anzala Allāhu Fa'ūlā'ika Humu Až-Žālimūna
005-045 और हम ने तौरेत में यहूदियों पर यह हुक्म फर्ज क़र दिया था कि जान के बदले जान और ऑख के बदले ऑख और नाक के बदले नाक और कान के बदले कान और दॉत के बदले दॉत और जख्म के बदले (वैसा ही) बराबर का बदला (जख्म) है फिर जो (मज़लूम ज़ालिम की) ख़ता माफ़ कर दे तो ये उसके गुनाहों का कफ्फ़ारा हो जाएगा और जो शख्स ख़ुदा की नाज़िल की हुई (किताब) के मुवाफ़िक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग ज़ालिम हैं
Wa Qaffaynā `Alá 'Āthārihim Bi`īsá Abni Maryama Muşaddiqāan Limā Bayna Yadayhi Mina At-Tawrāati ۖ Wa 'Ātaynāhu Al-'Injīla Fīhi Hudan Wa Nūrun Wa Muşaddiqāan Limā Bayna Yadayhi Mina At-Tawrāati Wa Hudan Wa Maw`ižatan Lilmuttaqīna
005-046 और हम ने उन्हीं पैग़म्बरों के क़दम ब क़दम मरियम के बेटे ईसा को चलाया और वह इस किताब तौरैत की भी तस्दीक़ करते थे जो उनके सामने (पहले से) मौजूद थी और हमने उनको इन्जील (भी) अता की जिसमें (लोगों के लिए हर तरह की) हिदायत थी और नूर (ईमान) और वह इस किताब तौरेत की जो वक्ते नुज़ूले इन्जील (पहले से) मौजूद थी तसदीक़ करने वाली और परहेज़गारों की हिदायत व नसीहत थी
Wa Līaĥkum 'Ahlu Al-'Injīli Bimā 'Anzala Allāhu Fīhi ۚ Wa Man Lam Yaĥkum Bimā 'Anzala Allāhu Fa'ūlā'ika Humu Al-Fāsiqūna
005-047 और इन्जील वालों (नसारा) को जो कुछ ख़ुदा ने (उसमें) नाज़िल किया है उसके मुताबिक़ हुक्म करना चाहिए और जो शख्स ख़ुदा की नाज़िल की हुई (किताब के मुआफ़िक) हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग बदकार हैं
Wa 'Anzalnā 'Ilayka Al-Kitāba Bil-Ĥaqqi Muşaddiqāan Limā Bayna Yadayhi Mina Al-Kitābi Wa Muhaymināan `Alayhi ۖ Fāĥkum Baynahum Bimā 'Anzala Allāhu ۖ Wa Lā Tattabi` 'Ahwā'ahum `Ammā Jā'aka Mina Al-Ĥaqqi ۚ Likullin Ja`alnā MinkumShir`atan Wa Minhājāan ۚ Wa Law Shā'a Allāhu Laja`alakum 'Ummatan Wāĥidatan Wa Lakin Liyabluwakum Fī Mā 'Ātākum ۖ Fāstabiqū Al-Khayrāti ۚ 'Ilá Allāhi Marji`ukum Jamī`āan Fayunabbi'ukum Bimā Kuntum Fīhi Takhtalifūna
005-048 और (ऐ रसूल) हमने तुम पर भी बरहक़ किताब नाज़िल की जो किताब (उसके पहले से) उसके वक्त में मौजूद है उसकी तसदीक़ करती है और उसकी निगेहबान (भी) है जो कुछ तुम पर ख़ुदा ने नाज़िल किया है उसी के मुताबिक़ तुम भी हुक्म दो और जो हक़ बात ख़ुदा की तरफ़ से आ चुकी है उससे कतरा के उन लोगों की ख्वाहिशे नफ़सियानी की पैरवी न करो और हमने तुम में हर एक के वास्ते (हस्बे मसलेहते वक्त) एक एक शरीयत और ख़ास तरीक़े पर मुक़र्रर कर दिया और अगर ख़ुदा चाहता तो तुम सब के सब को एक ही (शरीयत की) उम्मत बना देता मगर (मुख़तलिफ़ शरीयतों से) ख़ुदा का मतलब यह था कि जो कुछ तुम्हें दिया है उसमें तुम्हारा इमतेहान करे बस तुम नेकी में लपक कर आगे बढ़ जाओ और (यक़ीन जानो कि) तुम सब को ख़ुदा ही की तरफ़ लौट कर जाना है
Wa 'Ani Aĥkum Baynahum Bimā 'Anzala Allāhu Wa Lā Tattabi` 'Ahwā'ahum Wa Aĥdharhum 'An Yaftinūka `An Ba`đi Mā 'Anzala Allāhu 'Ilayka ۖ Fa'in Tawallaw Fā`lam 'Annamā Yurīdu Allāhu 'An Yuşībahum Biba`đi Dhunūbihim ۗ Wa 'Inna Kathīrāan Mina An-Nāsi Lafāsiqūna
005-049 तब (उस वक्त) ज़िन बातों में तुम इख्तेलाफ़ करते वह तुम्हें बता देगा और (ऐ रसूल) हम फिर कहते हैं कि जो एहकाम ख़ुदा नाज़िल किए हैं तुम उसके मुताबिक़ फैसला करो और उनकी (बेजा) ख्वाहिशे नफ़सियानी की पैरवी न करो (बल्कि) तुम उनसे बचे रहो (ऐसा न हो) कि किसी हुक्म से जो ख़ुदा ने तुम पर नाज़िल किया है तुमको ये लोग भटका दें फिर अगर ये लोग तुम्हारे हुक्म से मुंह मोड़ें तो समझ लो कि (गोया) ख़ुदा ही की मरज़ी है कि उनके बाज़ गुनाहों की वजह से उन्हें मुसीबत में फॅसा दे और इसमें तो शक ही नहीं कि बहुतेरे लोग बदचलन हैं
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Tattakhidhū Al-Yahūda Wa An-Naşārá 'Awliyā'a ۘ Ba`đuhum 'Awliyā'u Ba`đin ۚ Wa Man Yatawallahum Minkum Fa'innahu Minhum ۗ 'Inna Allāha Lā Yahdī Al-Qawma Až-Žālimīna
005-051 ऐ ईमानदारों यहूदियों और नसरानियों को अपना सरपरस्त न बनाओ (क्योंकि) ये लोग (तुम्हारे मुख़ालिफ़ हैं मगर) बाहम एक दूसरे के दोस्त हैं और (याद रहे कि) तुममें से जिसने उनको अपना सरपरस्त बनाया पस फिर वह भी उन्हीं लोगों में से हो गया बेशक ख़ुदा ज़ालिम लोगों को राहे रास्त पर नहीं लाता
005-052 तो (ऐ रसूल) जिन लोगों के दिलों में (नेफ़ाक़ की) बीमारी है तुम उन्हें देखोगे कि उनमें दौड़ दौड़ के मिले जाते हैं और तुमसे उसकी वजह यह बयान करते हैं कि हम तो इससे डरते हैं कि कहीं ऐसा न हो उनके न (मिलने से) ज़माने की गर्दिश में न मुब्तिला हो जाएं तो अनक़रीब ही ख़ुदा (मुसलमानों की) फ़तेह या कोई और बात अपनी तरफ़ से ज़ाहिर कर देगा तब यह लोग इस बदगुमानी पर जो अपने जी में छिपाते थे शर्माएंगे (
005-053 और मोमिनीन (जब उन पर नेफ़ाक़ ज़ाहिर हो जाएगा तो) कहेंगे क्या ये वही लोग हैं जो सख्त से सख्त क़समें खाकर (हमसे) कहते थे कि हम ज़रूर तुम्हारे साथ हैं उनका सारा किया धरा अकारत हुआ और सख्त घाटे में आ गए
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Man Yartadda Minkum `An Dīnihi Fasawfa Ya'tī Al-Lahu Biqawmin Yuĥibbuhum Wa Yuĥibbūnahu~ 'Adhillatin `Alá Al-Mu'uminīna 'A`izzatin `Alá Al-Kāfirīna Yujāhidūna Fī Sabīli Allāhi Wa Lā Yakhāfūna Lawmata Lā'imin ۚ Dhālika Fađlu Allāhi Yu'utīhi Man Yashā'u Wa ۚ Allāhu Wāsi`un `Alīmun
005-054 ऐ ईमानदारों तुममें से जो कोई अपने दीन से फिर जाएगा तो (कुछ परवाह नहीं फिर जाए) अनक़रीब ही ख़ुदा ऐसे लोगों को ज़ाहिर कर देगा जिन्हें ख़ुदा दोस्त रखता होगा और वह उसको दोस्त रखते होंगे ईमानदारों के साथ नर्म और मुन्किर (और) काफ़िरों के साथ सख्त ख़ुदा की राह में जेहाद करेंगे और किसी मलामत करने वाले की मलामत की कुछ परवाह न करेंगे ये ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) है वह जिसे चाहता हे देता है और ख़ुदा तो बड़ी गुन्जाइश वाला वाक़िफ़कार है
'Innamā Wa Līyukumu Allāhu Wa Rasūluhu Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Al-Ladhīna Yuqīmūna Aş-Şalāata Wa Yu'utūna Az-Zakāata Wa HumRāki`ūna
005-055 (ऐ ईमानदारों) तुम्हारे मालिक सरपरस्त तो बस यही हैं ख़ुदा और उसका रसूल और वह मोमिनीन जो पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं और हालत रूकूउ में ज़कात देते हैं
Wa Man Yatawalla Allāha Wa Rasūlahu Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Fa'inna Ĥizba Allāhi Humu Al-Ghālibūna
005-056 और जिस शख्स ने ख़ुदा और रसूल और (उन्हीं) ईमानदारों को अपना सरपरस्त बनाया तो (ख़ुदा के लशकर में आ गया और) इसमें तो शक नहीं कि ख़ुदा ही का लशकर वर (ग़ालिब) रहता है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Tattakhidhū Al-Ladhīna Attakhadhū Dīnakum Huzūan Wa La`ibāan Mina Al-Ladhīna 'Ūtū Al-Kitāba MinQablikum Wa Al-Kuffāra 'Awliyā'a ۚ Wa Attaqū Allaha 'In Kuntum Mu'uminīna
005-057 ऐ ईमानदारों जिन लोगों (यहूद व नसारा) को तुम से पहले किताबे (ख़ुदा तौरेत, इन्जील) दी जा चुकी है उनमें से जिन लोगों ने तुम्हारे दीन को हॅसी खेल बना रखा है उनको और कुफ्फ़ार को अपना सरपरस्त न बनाओ और अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा ही से डरते रहो
Wa 'Idhā Nādaytum 'Ilá Aş-Şalāati Attakhadhūhā Huzūan Wa La`ibāan ۚ Dhālika Bi'annahumQawmun Lā Ya`qilūna
005-058 और (उनकी शरारत यहॉ तक पहुंची) कि जब तुम (अज़ान देकर) नमाज़ के वास्ते (लोगों को) बुलाते हो ये लोग नमाज़ को हॅसी खेल बनाते हैं ये इस वजह से कि (लोग बिल्कुल बे अक्ल हैं) और कुछ नहीं समझते
Qul Yā 'Ahla Al-Kitābi Hal Tanqimūna Minnā 'Illā 'An 'Āmannā Billāhi Wa Mā 'Unzila 'Ilaynā Wa Mā 'Unzila MinQablu Wa 'Anna 'Aktharakum Fāsiqūna
005-059 (ऐ रसूल अहले किताब से कहो कि) आख़िर तुम हमसे इसके सिवा और क्या ऐब लगा सकते हो कि हम ख़ुदा पर और जो (किताब) हमारे पास भेजी गयी है और जो हमसे पहले भेजी गयी ईमान लाए हैं और ये तुममें के अक्सर बदकार हैं
Qul Hal 'Unabbi'ukum Bisharrin MinDhālika Mathūbatan `Inda Allāhi ۚ Man La`anahu Allāhu Wa Ghađiba `Alayhi Wa Ja`ala Minhumu Al-Qiradata Wa Al-Khanāzīra Wa `Abada Aţ-Ţāghūta ۚ 'Ūlā'ika Sharrun Makānāan Wa 'Ađallu `An Sawā'i As-Sabīli
005-060 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुम्हें ख़ुदा के नज़दीक सज़ा में इससे कहीं बदतर ऐब बता दूं (अच्छा लो सुनो) जिसपर ख़ुदा ने लानत की हो और उस पर ग़ज़ब ढाया हो और उनमें से किसी को (मसख़ करके) बन्दर और (किसी को) सूअर बना दिया हो और (ख़ुदा को छोड़कर) शैतान की परस्तिश की हो पस ये लोग दरजे में कहीं बदतर और राहे रास्त से भटक के सबसे ज्यादा दूर जा पहुंचे हैं
Wa 'Idhā Jā'ūkumQālū 'Āmannā Wa Qad Dakhalū Bil-Kufri Wa HumQadKharajū Bihi Wa ۚ Allāhu 'A`lamu Bimā Kānū Yaktumūna
005-061 और (मुसलमानों) जब ये लोग तुम्हारे पास आ जाते हैं तो कहते हैं कि हम तो ईमान लाए हैं हालॉकि वह कुफ़्र ही को साथ लेकर आए और फिर निकले भी तो साथ लिए हुए और जो नेफ़ाक़ वह छुपाए हुए थे ख़ुदा उसे ख़ूब जानता है
Wa Qālati Al-Yahūdu Yadu Allāhi Maghlūlatun ۚ Ghullat 'Aydīhim Wa Lu`inū Bimā Qālū ۘ Bal Yadāhu Mabsūţatāni Yunfiqu Kayfa Yashā'u ۚ Wa Layazīdanna Kathīrāan Minhum Mā 'Unzila 'Ilayka MinRabbika Ţughyānāan Wa Kufrāan ۚ Wa 'Alqaynā Baynahumu Al-`Adāwata Wa Al-Baghđā'a 'Ilá Yawmi Al-Qiyāmati ۚ Kullamā 'Awqadū Nārāan Lilĥarbi 'Aţfa'ahā Al-Lahu ۚ Wa Yas`awna Fī Al-'Arđi Fasādāan Wa ۚ Allāhu Lā Yuĥibbu Al-Mufsidīna
005-064 और यहूदी कहने लगे कि ख़ुदा का हाथ बॅधा हुआ है (बख़ील हो गया) उन्हीं के हाथ बॉध दिए जाएं और उनके (इस) कहने पर (ख़ुदा की) फिटकार बरसे (ख़ुदा का हाथ बॅधने क्यों लगा) बल्कि उसके दोनों हाथ कुशादा हैं जिस तरह चाहता है ख़र्च करता है और जो (किताब) तुम्हारे पास नाज़िल की गयी है (उनका शक व हसद) उनमें से बहुतेरों को कुफ़्र व सरकशी को और बढ़ा देगा और (गोया) हमने ख़ुद उनके आपस में रोज़े क़यामत तक अदावत और कीने की बुनियाद डाल दी जब ये लोग लड़ाई की आग भड़काते हैं तो ख़ुदा उसको बुझा देता है और रूए ज़मीन में फ़साद फेलाने के लिए दौड़ते फिरते हैं और ख़ुदा फ़सादियों को दोस्त नहीं रखता
Wa Law 'Annahum 'Aqāmū At-Tawrāata Wa Al-'Injīla Wa Mā 'Unzila 'Ilayhim MinRabbihim La'akalū Min Fawqihim Wa Min Taĥti 'Arjulihim ۚ Minhum 'Ummatun Muqtaşidatun ۖ Wa Kathīrun Minhum Sā'a Mā Ya`malūna
005-066 और अगर यह लोग तौरैत और इन्जील और (सहीफ़े) उनके पास उनके परवरदिगार की तरफ़ से नाज़िल किये गए थे (उनके एहकाम को) क़ायम रखते तो ज़रूर (उनके) ऊपर से भी (रिज़क़ बरस पड़ता) और पॉवों के नीचे से भी उबल आता और (ये ख़ूब चैन से) खाते उनमें से कुछ लोग तो एतदाल पर हैं (मगर) उनमें से बहुतेरे जो कुछ करते हैं बुरा ही करते हैं
Yā 'Ayyuhā Ar-Rasūlu Balligh Mā 'Unzila 'Ilayka MinRabbika ۖ Wa 'In Lam Taf`al Famā Ballaghta Risālatahu Wa ۚ Allāhu Ya`şimuka Mina An-Nāsi ۗ 'Inna Allāha Lā Yahdī Al-Qawma Al-Kāfirīna
005-067 ऐ रसूल जो हुक्म तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से तुम पर नाज़िल किया गया है पहुंचा दो और अगर तुमने ऐसा न किया तो (समझ लो कि) तुमने उसका कोई पैग़ाम ही नहीं पहुंचाया और (तुम डरो नहीं) ख़ुदा तुमको लोगों के श्शर से महफ़ूज़ रखेगा ख़ुदा हरगिज़ काफ़िरों की क़ौम को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुंचाता
Qul Yā 'Ahla Al-Kitābi Lastum `Alá Shay'in Ĥattá Tuqīmū At-Tawrāata Wa Al-'Injīla Wa Mā 'Unzila 'Ilaykum MinRabbikum ۗ Wa Layazīdanna Kathīrāan Minhum Mā 'Unzila 'Ilayka MinRabbika Ţughyānāan Wa Kufrāan ۖ Falā Ta'sa `Alá Al-Qawmi Al-Kāfirīna
005-068 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ अहले किताब जब तक तुम तौरेत और इन्जील और जो (सहीफ़े) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से तुम पर नाज़िल हुए हैं उनके (एहकाम) को क़ायम न रखोगे उस वक्त तक तुम्हारा मज़बह कुछ भी नहीं और (ऐ रसूल) जो (किताब) तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से भेजी गयी है (उसका) रश्क (हसद) उनमें से बहुतेरों की सरकशी व कुफ़्र को और बढ़ा देगा तुम काफ़िरों के गिरोह पर अफ़सोस न करना
'Inna Al-Ladhīna 'Āmanū Wa Al-Ladhīna Hādū Wa Aş-Şābi'ūna Wa An-Naşārá Man 'Āmana Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri Wa `Amila Şāliĥāan Falā Khawfun `Alayhim Wa Lā Hum Yaĥzanūna
005-069 इसमें तो शक ही नहीं कि मुसलमान हो या यहूदी हकीमाना ख्याल के पाबन्द हों ख्वाह नसरानी (गरज़ कुछ भी हो) जो ख़ुदा और रोज़े क़यामत पर ईमान लाएगा और अच्छे (अच्छे) काम करेगा उन पर अलबत्ता न तो कोई ख़ौफ़ होगा न वह लोग आज़ुर्दा ख़ातिर होंगे
Laqad 'Akhadhnā Mīthāqa Banī 'Isrā'īla Wa 'Arsalnā 'IlayhimRusulāan ۖ Kullamā Jā'ahumRasūlun Bimā Lā Tahwá 'Anfusuhum Farīqāan Kadhdhabū Wa Farīqāan Yaqtulūna
005-070 हमने बनी इसराईल से एहद व पैमान ले लिया था और उनके पास बहुत रसूल भी भेजे थे (इस पर भी) जब उनके पास कोई रसूल उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ हुक्म लेकर आया तो इन (कम्बख्त) लोगों ने किसी को झुठला दिया और किसी को क़त्ल ही कर डाला
Wa Ĥasibū 'Allā Takūna Fitnatun Fa`amū Wa Şammū Thumma Tāba Allāhu `AlayhimThumma `Amū Wa Şammū Kathīrun Minhum Wa ۚ Allāhu Başīrun Bimā Ya`malūna
005-071 और समझ लिया कि (इसमें हमारे लिए) कोई ख़राबी न होगी पस (गोया) वह लोग (अम्र हक़ से) अंधे और बहरे बन गए (मगर बावजूद इसके) जब इन लोगों ने तौबा की तो फिर ख़ुदा ने उनकी तौबा क़ुबूल कर ली (मगर) फिर (इस पर भी) उनमें से बहुतेरे अंधे और बहरे बन गए और जो कुछ ये लोग कर रहे हैं अल्लाह तो देखता है
Laqad Kafara Al-Ladhīna Qālū 'Inna Allāha Huwa Al-Masīĥu Abnu Maryama ۖ Wa Qāla Al-Masīĥu Yā Banī 'Isrā'īla A`budū Allaha Rabbī Wa Rabbakum ۖ 'Innahu Man Yushrik Billāhi Faqad Ĥarrama Allāhu `Alayhi Al-Jannata Wa Ma'wāhu An-Nāru ۖ Wa Mā Lilžžālimīna Min 'Anşārin
005-072 जो लोग उसके क़ायल हैं कि मरियम के बेटे ईसा मसीह ख़ुदा हैं वह सब काफ़िर हैं हालॉकि मसीह ने ख़ुद यूं कह दिया था कि ऐ बनी इसराईल सिर्फ उसी ख़ुदा की इबादत करो जो हमारा और तुम्हारा पालने वाला है क्योंकि (याद रखो) जिसने ख़ुदा का शरीक बनाया उस पर ख़ुदा ने बेहिश्त को हराम कर दिया है और उसका ठिकाना जहन्नुम है और ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं
Laqad Kafara Al-Ladhīna Qālū 'Inna Allāha Thālithu Thalāthatin ۘ Wa Mā Min 'Ilahin 'Illā 'Ilahun Wāĥidun ۚ Wa 'In Lam Yantahū `Ammā Yaqūlūna Layamassanna Al-Ladhīna Kafarū Minhum `Adhābun 'Alīmun
005-073 जो लोग इसके क़ायल हैं कि ख़ुदा तीन में का (तीसरा) है वह यक़ीनन काफ़िर हो गए (याद रखो कि) ख़ुदाए यकता के सिवा कोई माबूद नहीं और (ख़ुदा के बारे में) ये लोग जो कुछ बका करते हैं अगर उससे बाज़ न आए तो (समझ रखो कि) जो लोग उसमें से (काफ़िर के) काफ़िर रह गए उन पर ज़रूर दर्दनाक अज़ाब नाज़िल होगा
005-075 मरियम के बेटे मसीह तो बस एक रसूल हैं और उनके क़ब्ल (और भी) बहुतेरे रसूल गुज़र चुके हैं और उनकी मॉ भी (ख़ुदा की) एक सच्ची बन्दी थी (और आदमियों की तरह) ये दोनों (के दोनों भी) खाना खाते थे (ऐ रसूल) ग़ौर तो करो हम अपने एहकाम इनसे कैसा साफ़ साफ़ बयान करते हैं
Qul 'Ata`budūna Min Dūni Allāhi Mā Lā Yamliku LakumĐarrāan Wa Lā Naf`āan Wa ۚ Allāhu Huwa As-Samī`u Al-`Alīmu
005-076 फिर देखो तो कि (उसपर भी उलटे) ये लोग कहॉ भटके जा रहे हैं (ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या तुम ख़ुदा (जैसे क़ादिर व तवाना) को छोड़कर (ऐसी ज़लील) चीज़ की इबादत करते हो जिसको न तो नुक़सान ही इख्तेयार है और न नफ़े का और ख़ुदा तो (सबकी) सुनता (और सब कुछ) जानता है
Qul Yā 'Ahla Al-Kitābi Lā Taghlū Fī DīnikumGhayra Al-Ĥaqqi Wa Lā Tattabi`ū 'Ahwā'a QawminQadĐallū MinQablu Wa 'Ađallū Kathīrāan Wa Đallū `An Sawā'i As-Sabīli
005-077 ऐ रसूल तुम कह दो कि ऐ अहले किताब तुम अपने दीन में नाहक़ ज्यादती न करो और न उन लोगों (अपने बुज़ुगों) की नफ़सियानी ख्वाहिशों पर चलो जो पहले ख़ुद ही गुमराह हो चुके और (अपने साथ और भी) बहुतेरों को गुमराह कर छोड़ा और राहे रास्त से (दूर) भटक गए
Lu`ina Al-Ladhīna Kafarū Min Banī 'Isrā'īla `Alá Lisāni Dāwūda Wa `Īsá Abni Maryama ۚ Dhālika Bimā `Aşaw Wa Kānū Ya`tadūna
005-078 बनी इसराईल में से जो लोग काफ़िर थे उन पर दाऊद और मरियम के बेटे ईसा की ज़बानी लानत की गयी ये (लानत उन पर पड़ी तो सिर्फ) इस वजह से कि (एक तो) उन लोगों ने नाफ़रमानी की और (फिर हर मामले में) हद से बढ़ जाते थे
005-080 (ऐ रसूल) तुम उन (यहूदियों) में से बहुतेरों को देखोगे कि कुफ्फ़ार से दोस्ती रखते हैं जो सामान पहले से उन लोगों ने ख़ुद अपने वास्ते दुरूस्त किया है किस क़दर बुरा है (जिसका नतीजा ये है) कि (दुनिया में भी) ख़ुदा उन पर गज़बनाक हुआ और (आख़ेरत में भी) हमेशा अज़ाब ही में रहेंगे
Wa Law Kānū Yu'uminūna Billāhi Wa An-Nabīyi Wa Mā 'Unzila 'Ilayhi Mā Attakhadhūhum 'Awliyā'a Wa Lakinna Kathīrāan Minhum Fāsiqūna
005-081 और अगर ये लोग ख़ुदा और रसूल पर और जो कुछ उनपर नाज़िल किया गया है ईमान रखते हैं तो हरगिज़ (उनको अपना) दोस्त न बनाते मगर उनमें के बहुतेरे तो बदचलन हैं
Latajidanna 'Ashadda An-Nāsi `Adāwatan Lilladhīna 'Āmanū Al-Yahūda Wa Al-Ladhīna 'Ashrakū ۖ Wa Latajidanna 'Aqrabahum Mawaddatan Lilladhīna 'Āmanū Al-Ladhīna Qālū 'Innā Naşārá ۚ Dhālika Bi'anna MinhumQissīsīna Wa Ruhbānāan Wa 'Annahum Lā Yastakbirūna
005-082 (ऐ रसूल) ईमान लाने वालों का दुशमन सबसे बढ़के यहूदियों और मुशरिकों को पाओगे और ईमानदारों का दोस्ती में सबसे बढ़के क़रीब उन लोगों को पाओगे जो अपने को नसारा कहते हैं क्योंकि इन (नसारा) में से यक़ीनी बहुत से आमिल और आबिद हैं और इस सबब से (भी) कि ये लोग हरगिज़ शेख़ी नहीं करते
Wa 'Idhā Sami`ū Mā 'Unzila 'Ilá Ar-Rasūli Tará 'A`yunahum Tafīđu Mina Ad-Dam`i Mimmā `Arafū Mina Al-Ĥaqqi ۖ Yaqūlūna Rabbanā 'Āmannā Fāktubnā Ma`a Ash-Shāhidīna
005-083 और तू देखता है कि जब यह लोग (इस कुरान) को सुनते हैं जो हमारे रसूल पर नाज़िल किया गया है तो उनकी ऑंखों से बेसाख्ता (छलक कर) ऑंसू जारी हो जातें है क्योंकि उन्होंने (अम्र) हक़ को पहचान लिया है (और) अर्ज़ करते हैं कि ऐ मेरे पालने वाले हम तो ईमान ला चुके तो (रसूल की) तसदीक़ करने वालों के साथ हमें भी लिख रख
Wa Mā Lanā Lā Nu'uminu Billāhi Wa Mā Jā'anā Mina Al-Ĥaqqi Wa Naţma`u 'An Yudkhilanā Rabbunā Ma`a Al-Qawmi Aş-Şāliĥīna
005-084 और हमको क्या हो गया है कि हम ख़ुदा और जो हक़ बात हमारे पास आ चुकी है उस पर तो ईमान न लाएँ और (फिर) ख़ुदा से उम्मीद रखें कि वह अपने नेक बन्दों के साथ हमें (बेहिश्त में) पहुँचा ही देगा
Fa'athābahumu Allāhu Bimā Qālū Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā ۚ Wa Dhalika Jazā'u Al-Muĥsinīna
005-085 तो ख़ुदा ने उन्हें उनके (सदक़ दिल से) अर्ज़ करने के सिले में उन्हें वह (हरे भरे) बाग़ात अता फरमाए जिनके (दरख्तों के) नीचे नहरें जारी हैं (और) वह उसमें हमेशा रहेंगे और (सदक़ दिल से) नेकी करने वालों का यही ऐवज़ है
005-087 ऐ ईमानदार जो पाक चीज़े ख़ुदा ने तुम्हारे वास्ते हलाल कर दी हैं उनको अपने ऊपर हराम न करो और हद से न बढ़ो क्यों कि ख़ुदा हद से बढ़ जाने वालों को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता
005-089 ख़ुदा तुम्हारे बेकार (बेकार) क़समों (के खाने) पर तो ख़ैर गिरफ्तार न करेगा मगर बाक़सद (सच्ची) पक्की क़सम खाने और उसके ख़िलाफ करने पर तो ज़रुर तुम्हारी ले दे करेगा (लो सुनो) उसका जुर्माना जैसा तुम ख़ुद अपने एहलोअयाल को खिलाते हो उसी क़िस्म का औसत दर्जे का दस मोहताजों को खाना खिलाना या उनको कपड़े पहनाना या एक गुलाम आज़ाद करना है फिर जिससे यह सब न हो सके तो मैं तीन दिन के रोज़े (रखना) ये (तो) तुम्हारी क़समों का जुर्माना है जब तुम क़सम खाओ (और पूरी न करो) और अपनी क़समों (के पूरा न करने) का ख्याल रखो ख़ुदा अपने एहकाम को तुम्हारे वास्ते यूँ साफ़ साफ़ बयान करता है ताकि तुम शुक्र करो
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū 'Innamā Al-Khamru Wa Al-Maysiru Wa Al-'Anşābu Wa Al-'Azlāmu Rijsun Min `Amali Ash-Shayţāni Fājtanibūhu La`allakum Tufliĥūna
005-090 ऐ ईमानदारों शराब, जुआ और बुत और पाँसे तो बस नापाक (बुरे) शैतानी काम हैं तो तुम लोग इससे बचे रहो ताकि तुम फलाह पाओ
'Innamā Yurīdu Ash-Shayţānu 'An Yūqi`a Baynakumu Al-`Adāwata Wa Al-Baghđā'a Fī Al-Khamri Wa Al-Maysiri Wa Yaşuddakum `AnDhikri Allāhi Wa `Ani Aş-Şalāati ۖ Fahal 'Antum Muntahūna
005-091 शैतान की तो बस यही तमन्ना है कि शराब और जुए की बदौलत तुममें बाहम अदावत व दुशमनी डलवा दे और ख़ुदा की याद और नमाज़ से बाज़ रखे तो क्या तुम उससे बाज़ आने वाले हो
Wa 'Aţī`ū Allaha Wa 'Aţī`ū Ar-Rasūla Wa Aĥdharū ۚ Fa'in Tawallaytum Fā`lamū 'Annamā `Alá Rasūlinā Al-Balāghu Al-Mubīnu
005-092 और ख़ुदा का हुक्म मानों और रसूल का हुक्म मानों और (नाफ़रमानी) से बचे रहो इस पर भी अगर तुमने (हुक्म ख़ुदा से) मुँह फेरा तो समझ रखो कि हमारे रसूल पर बस साफ़ साफ़ पैग़ाम पहुँचा देना फर्ज है
Laysa `Alá Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Junāĥun Fīmā Ţa`imū 'Idhā Mā Attaqaw Wa 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Thumma Attaqaw Wa 'Āmanū Thumma Attaqaw Wa 'Aĥsanū Wa ۗ Allāhu Yuĥibbu Al-Muĥsinīna
005-093 (फिर करो चाहे न करो तुम मुख़तार हो) जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए हैं उन पर जो कुछ खा (पी) चुके उसमें कुछ गुनाह नहीं जब उन्होंने परहेज़गारी की और ईमान ले आए और अच्छे (अच्छे) काम किए फिर परहेज़गारी की और नेकियाँ कीं और ख़ुदा नेकी करने वालों को दोस्त रखता है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Layabluwannakumu Allāhu Bishay'in Mina Aş-Şaydi Tanāluhu~ 'Aydīkum Wa Rimāĥukum Liya`lama Allāhu Man Yakhāfuhu Bil-Ghaybi ۚ Famani A`tadá Ba`da Dhālika Falahu `Adhābun 'Alīmun
005-094 ऐ ईमानदारों कुछ शिकार से जिन तक तुम्हारे हाथ और नैज़ें पहुँच सकते हैं ख़ुदा ज़रुर इम्तेहान करेगा ताकि ख़ुदा देख ले कि उससे बे देखे भाले कौन डरता है फिर उसके बाद भी जो ज्यादती करेगा तो उसके लिए दर्दनाक अज़ाब है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Taqtulū Aş-Şayda Wa 'Antum Ĥurumun ۚ Wa ManQatalahu Minkum Muta`ammidāan Fajazā'un Mithlu Mā Qatala Mina An-Na`ami Yaĥkumu Bihi Dhawā `Adlin Minkum Hadyāan Bāligha Al-Ka`bati 'Aw KaffāratunŢa`āmu Masākīna 'Aw `Adlu Dhālika Şiyāmāan Liyadhūqa Wabāla 'Amrihi ۗ `Afā Al-Lahu `Ammā Salafa ۚ Wa Man `Āda Fayantaqimu Allāhu Minhu Wa ۗ Allāhu `AzīzunDhū Antiqāmin
005-095 (ऐ ईमानदारों जब तुम हालते एहराम में हो तो शिकार न मारो और तुममें से जो कोई जान बूझ कर शिकार मारेगा तो जिस (जानवर) को मारा है चौपायों में से उसका मसल तुममें से जो दो मुन्सिफ आदमी तजवीज़ कर दें उसका बदला (देना) होगा (और) काबा तक पहुँचा कर कुर्बानी की जाए या (उसका) जुर्माना (उसकी क़ीमत से) मोहताजों को खाना खिलाना या उसके बराबर रोज़े रखना (यह जुर्माना इसलिए है) ताकि अपने किए की सज़ा का मज़ा चखो जो हो चुका उससे तो ख़ुदा ने दरग़ुज़र की और जो फिर ऐसी हरकत करेगा तो ख़ुदा उसकी सज़ा देगा और ख़ुदा ज़बरदस्त बदला लेने वाला है
'Uĥilla LakumŞaydu Al-Baĥri Wa Ţa`āmuhu Matā`āan Lakum Wa Lilssayyārati ۖ Wa Ĥurrima `AlaykumŞaydu Al-Barri Mā Dumtum Ĥurumāan ۗ Wa Attaqū Allaha Al-Ladhī 'Ilayhi Tuĥsharūna
005-096 तुम्हारे और काफ़िले के वास्ते दरियाई शिकार और उसका खाना तो (हर हालत में) तुम्हारे वास्ते जायज़ कर दिया है मगर खुश्की का शिकार जब तक तुम हालते एहराम में रहो तुम पर हराम है और उस ख़ुदा से डरते रहो जिसकी तरफ (मरने के बाद) उठाए जाओगे
Ja`ala Allāhu Al-Ka`bata Al-Bayta Al-Ĥarāma Qiyāmāan Lilnnāsi Wa Ash-Shahra Al-Ĥarāma Wa Al-Hadya Wa Al-Qalā'ida ۚ Dhālika Lita`lamū 'Anna Allāha Ya`lamu Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi Wa 'Anna Allāha Bikulli Shay'in `Alīmun
005-097 ख़ुदा ने काबा को जो (उसका) मोहतरम घर है और हुरमत दार महीनों को और कुरबानी को और उस जानवर को जिसके गले में (क़ुरबानी के वास्ते) पट्टे डाल दिए गए हों लोगों के अमन क़ायम रखने का सबब क़रार दिया यह इसलिए कि तुम जान लो कि ख़ुदा जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है यक़ीनन (सब) जानता है और ये भी (समझ लो) कि बेशक ख़ुदा हर चीज़ से वाक़िफ है
Mā `Alá Ar-Rasūli 'Illā Al-Balāghu Wa ۗ Allāhu Ya`lamu Mā Tubdūna Wa Mā Taktumūna
005-099 (हमारे) रसूल पर पैग़ाम पहुँचा देने के सिवा (और) कुछ (फर्ज़) नहीं और जो कुछ तुम ज़ाहिर बा ज़ाहिर करते हो और जो कुछ तुम छुपा कर करते हो ख़ुदा सब जानता है
Qul Lā Yastawī Al-Khabīthu Wa Aţ-Ţayyibu Wa Law 'A`jabaka Kathratu Al-Khabīthi Fa ۚ Attaqū Allaha Yā 'Ūlī Al-'Albābi La`allakum Tufliĥūna
005-100 (ऐ रसूल) कह दो कि नापाक (हराम) और पाक (हलाल) बराबर नहीं हो सकता अगरचे नापाक की कसरत तुम्हें भला क्यों न मालूम हो तो ऐसे अक्लमन्दों अल्लाह से डरते रहो ताकि तुम कामयाब रहो
005-101 ऐ ईमान वालों ऐसी चीज़ों के बारे में (रसूल से) न पूछा करो कि अगर तुमको मालूम हो जाए तो तुम्हें बुरी मालूम हो और अगर उनके बारे में कुरान नाज़िल होने के वक्त पूछ बैठोगे तो तुम पर ज़ाहिर कर दी जाएगी (मगर तुमको बुरा लगेगा जो सवालात तुम कर चुके) ख़ुदा ने उनसे दरगुज़र की और ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला बुर्दबार है
Mā Ja`ala Allāhu Min Baĥīratin Wa Lā Sā'ibatin Wa Lā Waşīlatin Wa Lā Ĥāmin ۙ Wa Lakinna Al-Ladhīna Kafarū Yaftarūna `Alá Allāhi Al-Kadhiba ۖ Wa 'Aktharuhum Lā Ya`qilūna
005-103 फिर (जब बरदाश्त न हो सका तो) उसके मुन्किर हो गए ख़ुदा ने न तो कोई बहीरा (कान फटी ऊँटनी) मुक़र्रर किया है न सायवा (साँढ़) न वसीला (जुडवा बच्चे) न हाम (बुढ़ा साँढ़) मुक़र्रर किया है मगर कुफ्फ़ार ख़ुदा पर ख्वाह मा ख्वाह झूठ (मूठ) बोहतान बाँधते हैं और उनमें के अक्सर नहीं समझते
Wa 'Idhā Qīla Lahum Ta`ālaw 'Ilá Mā 'Anzala Allāhu Wa 'Ilá Ar-Rasūli Qālū Ĥasbunā Mā Wajadnā `Alayhi 'Ābā'anā ۚ 'Awalaw Kāna 'Ābā'uuhum Lā Ya`lamūna Shay'āan Wa Lā Yahtadūna
005-104 और जब उनसे कहा जाता है कि जो (क़ुरान) ख़ुदा ने नाज़िल फरमाया है उसकी तरफ और रसूल की आओ (और जो कुछ कहे उसे मानों तो कहते हैं कि हमने जिस (रंग) में अपने बाप दादा को पाया वही हमारे लिए काफी है क्या (ये लोग लकीर के फकीर ही रहेंगे) अगरचे उनके बाप दादा न कुछ जानते ही हों न हिदायत ही पायी हो
005-105 ऐ ईमान वालों तुम अपनी ख़बर लो जब तुम राहे रास्त पर हो तो कोई गुमराह हुआ करे तुम्हें नुक़सान नहीं पहुँचा सकता तुम सबके सबको ख़ुदा ही की तरफ लौट कर जाना है तब (उस वक्त नेक व बद) जो कुछ (दुनिया में) करते थे तुम्हें बता देगा
005-106 ऐ ईमान वालों जब तुममें से किसी (के सर) पर मौत खड़ी हो तो वसीयत के वक्त तुम (मोमिन) में से दो आदिलों की गवाही होनी ज़रुरी है और जब तुम इत्तेफाक़न कहीं का सफर करो और (सफर ही में) तुमको मौत की मुसीबत का सामना हो तो (भी) दो गवाह ग़ैर (मोमिन) सही (और) अगर तुम्हें शक़ हो तो उन दोनों को नमाज़ के बाद रोक लो फिर वह दोनों ख़ुदा की क़सम खाएँ कि हम इस (गवाही) के (ऐवज़ कुछ दाम नहीं लेंगे अगरचे हम जिसकी गवाही देते हैं हमारा अज़ीज़ ही क्यों न) हो और हम खुदा लगती गवाही न छुपाएँगे अगर ऐसा करें तो हम बेशक गुनाहगार हैं
005-107 अगर इस पर मालूम हो जाए कि वह दोनों (दरोग़ हलफ़ी (झूठी कसम) से) गुनाह के मुस्तहक़ हो गए तो दूसरे दो आदमी उन लोगों में से जिनका हक़ दबाया गया है और (मय्यत) के ज्यादा क़राबतदार हैं (उनकी तरवीद में) उनकी जगह खड़े हो जाएँ फिर दो नए गवाह ख़ुदा की क़सम खाएँ कि पहले दो गवाहों की निस्बत हमारी गवाही ज्यादा सच्ची है और हमने (हक़) नहीं छुपाया और अगर ऐसा किया हो तो उस वक्त बेशक हम ज़ालिम हैं
Dhālika 'Adná 'An Ya'tū Bish-Shahādati `Alá Wajhihā 'Aw Yakhāfū 'An Turadda 'Aymānun Ba`da 'Aymānihim Wa Attaqū ۗ Allaha Wa Asma`ū Wa Allāhu ۗ Lā Yahdī Al-Qawma Al-Fāsiqīna
005-108 ये ज्यादा क़रीन क़यास है कि इस तरह पर (आख़ेरत के डर से) ठीक ठीक गवाही दें या (दुनिया की रूसवाई का) अन्देशा हो कि कहीं हमारी क़समें दूसरे फरीक़ की क़समों के बाद रद न कर दी जाएँ मुसलमानों ख़ुदा से डरो और (जी लगा कर) सुन लो और ख़ुदा बदचलन लोगों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाता
005-109 (उस वक्त क़ो याद करो) जिस दिन ख़ुदा अपने पैग़म्बरों को जमा करके पूछेगा कि (तुम्हारी उममत की तरफ से तबलीग़े एहकाम का) क्या जवाब दिया गया तो अर्ज क़रेगें कि हम तो (चन्द ज़ाहिरी बातों के सिवा) कुछ नहीं जानते तू तो खुद बड़ा ग़ैब वॉ है
'IdhQāla Allāhu Yā `Īsá Abna Maryama Adhkur Ni`matī `Alayka Wa `Alá Wa A-Datika 'Idh 'Ayyadttuka Birūĥi Al-Qudusi Tukallimu An-Nāsa Fī Al-Mahdi Wa Kahlāan ۖ Wa 'Idh `Allamtuka Al-Kitāba Wa Al-Ĥikmata Wa At-Tawrāata Wa Al-'Injīla ۖ Wa 'Idh Takhluqu Mina Aţ-Ţīni Kahay'ati Aţ-Ţayri Bi'idhnī Fatanfukhu Fīhā Fatakūnu Ţayrāan Bi'idhnī ۖ Wa Tubri'u Al-'Akmaha Wa Al-'Abraşa Bi'idhnī ۖ Wa 'Idh Tukhriju Al-Mawtá Bi'idhnī ۖ Wa 'Idh Kafaftu Banī 'Isrā'īla `Anka 'Idh Ji'tahum Bil-Bayyināti Faqāla Al-Ladhīna Kafarū Minhum 'In Hādhā 'Illā Siĥrun Mubīnun
005-110 (वह वक्त याद करो) जब ख़ुदा फरमाएगा कि ये मरियम के बेटे ईसा हमने जो एहसानात तुम पर और तुम्हारी माँ पर किये उन्हे याद करो जब हमने रूहुलक़ुदूस (जिबरील) से तुम्हारी ताईद की कि तुम झूले में (पड़े पड़े) और अधेड़ होकर (शक़ सा बातें) करने लगे और जब हमने तुम्हें लिखना और अक़ल व दानाई की बातें और (तौरेत व इन्जील (ये सब चीजे) सिखायी और जब तुम मेरे हुक्म से मिट्टी से चिड़िया की मूरत बनाते फिर उस पर कुछ दम कर देते तो वह मेरे हुक्म से (सचमुच) चिड़िया बन जाती थी और मेरे हुक्म से मादरज़ाद (पैदायशी) अंधे और कोढ़ी को अच्छा कर देते थे और जब तुम मेरे हुक्म से मुर्दों को ज़िन्दा (करके क़ब्रों से) निकाल खड़ा करते थे और जिस वक्त तुम बनी इसराईल के पास मौजिज़े लेकर आए और उस वक्त मैने उनको तुम (पर दस्त दराज़ी करने) से रोका तो उनमें से बाज़ कुफ्फ़ार कहने लगे ये तो बस खुला हुआ जादू है
Wa 'Idh 'Awĥaytu 'Ilá Al-Ĥawārīyīna 'An 'Āminū Bī Wa Birasūlī Qālū 'Āmannā Wa Ash/had Bi'annanā Muslimūna
005-111 और जब मैने हवारियों से इलहाम किया कि मुझ पर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ तो अर्ज़ करने लगे हम ईमान लाए और तू गवाह रहना कि हम तेरे फरमाबरदार बन्दे हैं
'IdhQāla Al-Ĥawārīyūna Yā `Īsá Abna Maryama Hal Yastaţī`u Rabbuka 'An Yunazzila `Alaynā Mā'idatan Mina As-Samā'i ۖ Qāla Attaqū Allaha 'In Kuntum Mu'uminīna
005-112 (वह वक्त याद करो) जब हवारियों ने ईसा से अर्ज़ की कि ऐ मरियम के बेटे ईसा क्या आप का ख़ुदा उस पर क़ादिर है कि हम पर आसमान से (नेअमत की) एक ख्वान नाज़िल फरमाए ईसा ने कहा अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा से डरो (ऐसी फरमाइश जिसमें इम्तेहान मालूम हो न करो)
Qālū Nurīdu 'An Na'kula Minhā Wa Taţma'inna Qulūbunā Wa Na`lama 'AnQadŞadaqtanā Wa Nakūna `Alayhā Mina Ash-Shāhidīna
005-113 वह अर्ज़ करने लगे हम तो फक़त ये चाहते है कि इसमें से (बरतकन) कुछ खाएँ और हमारे दिल को (आपकी रिसालत का पूरा पूरा) इत्मेनान हो जाए और यक़ीन कर लें कि आपने हमसे (जो कुछ कहा था) सच फरमाया था और हम लोग इस पर गवाह रहें
Qāla `Īsá Abnu Maryama Allāhumma Rabbanā 'Anzil `Alaynā Mā'idatan Mina As-Samā'i Takūnu Lanā `Īdāan Li'wwalinā Wa 'Ākhirinā Wa 'Āyatan Minka ۖ Wa Arzuqnā Wa 'Anta Khayru Ar-Rāziqīna
005-114 (तब) मरियम के बेटे ईसा ने (बारगाहे ख़ुदा में) अर्ज़ की ख़ुदा वन्दा ऐ हमारे पालने वाले हम पर आसमान से एक ख्वान (नेअमत) नाज़िल फरमा कि वह दिन हम लोगों के लिए हमारे अगलों के लिए और हमारे पिछलों के लिए ईद का करार पाए (और हमारे हक़ में) तेरी तरफ से एक बड़ी निशानी हो और तू हमें रोज़ी दे और तू सब रोज़ी देने वालो से बेहतर है
005-115 खुदा ने फरमाया मै ख्वान तो तुम पर ज़रुर नाज़िल करुगाँ (मगर याद रहे कि) फिर तुममें से जो भी शख़्श उसके बाद काफ़िर हुआ तो मै उसको यक़ीन ऐसे सख्त अज़ाब की सज़ा दूँगा कि सारी ख़ुदायी में किसी एक पर भी वैसा (सख्त) अज़ाब न करुगाँ
005-116 और (वह वक्त भी याद करो) जब क़यामत में ईसा से ख़ुदा फरमाएग कि (क्यों) ऐ मरियम के बेटे ईसा क्या तुमने लोगों से ये कह दिया था कि ख़ुदा को छोड़कर मुझ को और मेरी माँ को ख़ुदा बना लो ईसा अर्ज़ करेगें सुबहान अल्लाह मेरी तो ये मजाल न थी कि मै ऐसी बात मुँह से निकालूं जिसका मुझे कोई हक़ न हो (अच्छा) अगर मैने कहा होगा तो तुझको ज़रुर मालूम ही होगा क्योंकि तू मेरे दिल की (सब बात) जानता है हाँ अलबत्ता मै तेरे जी की बात नहीं जानता (क्योंकि) इसमें तो शक़ ही नहीं कि तू ही ग़ैब की बातें ख़ूब जानता है
Mā Qultu Lahum 'Illā Mā 'Amartanī Bihi~ 'Ani A`budū Allaha Rabbī Wa Rabbakum ۚ Wa Kuntu `AlayhimShahīdāan Mā Dumtu Fīhim ۖ Falammā Tawaffaytanī Kunta 'Anta Ar-Raqība `Alayhim ۚ Wa 'Anta `Alá Kulli Shay'inShahīdun
005-117 तूने मुझे जो कुछ हुक्म दिया उसके सिवा तो मैने उनसे कुछ भी नहीं कहा यही कि ख़ुदा ही की इबादत करो जो मेरा और तुम्हारा सबका पालने वाला है और जब तक मैं उनमें रहा उन की देखभाल करता रहा फिर जब तूने मुझे (दुनिया से) उठा लिया तो तू ही उनका निगेहबान था और तू तो ख़ुद हर चीज़ का गवाह (मौजूद) है
005-118 तू अगर उन पर अज़ाब करेगा तो (तू मालिक है) ये तेरे बन्दे हैं और अगर उन्हें बख्श देगा तो (कोई तेरा हाथ नहीं पकड़ सकता क्योंकि) बेशक तू ज़बरदस्त हिकमत वाला है
005-119 ख़ुदा फरमाएगा कि ये वह दिन है कि सच्चे बन्दों को उनकी सच्चाई (आज) काम आएगी उनके लिए (हरे भरे बेहिश्त के) वह बाग़ात है जिनके (दरख्तो के) नीचे नहरे जारी हैं (और) वह उसमें अबादुल आबाद तक रहेंगे ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से खुश यही बहुत बड़ी कामयाबी है