007-002 (ऐ रसूल) ये किताब ख़ुदा (क़ुरान) तुम पर इस ग़रज़ से नाज़िल की गई है ताकि तुम उसके ज़रिये से लोगों को अज़ाबे ख़ुदा से डराओ और ईमानदारों के लिए नसीहत का बायस हो
Attabi`ū Mā 'Unzila 'Ilaykum MinRabbikum Wa Lā Tattabi`ū Min Dūnihi~ 'Awliyā'a ۗ Qalīlāan Mā Tadhakkarūna
007-003 तुम्हारे दिल में उसकी वजह से कोई न तंगी पैदा हो (लोगों) जो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाज़िल किया गया है उसकी पैरवी करो और उसके सिवा दूसरे (फर्ज़ी) बुतों (माबुदों) की पैरवी न करो
Wa Kam MinQaryatin 'Ahlaknāhā Fajā'ahā Ba'sunā Bayātāan 'Aw HumQā'ilūna
007-004 तुम लोग बहुत ही कम नसीहत क़ुबूल करते हो और क्या (तुम्हें) ख़बर नहीं कि ऐसी बहुत सी बस्तियाँ हैं जिन्हें हमने हलाक कर डाला तो हमारा अज़ाब (ऐसे वक्त) आ पहुचा
007-005 कि वह लोग या तो रात की नींद सो रहे थे या दिन को क़लीला (खाने के बाद का लेटना) कर रहे थे तब हमारा अज़ाब उन पर आ पड़ा तो उनसे सिवाए इसके और कुछ न कहते बन पड़ा कि हम बेशक ज़ालिम थे
Wa Al-Waznu Yawma'idhin Al-Ĥaqqu ۚ FamanThaqulat Mawāzīnuhu Fa'ūlā'ika Humu Al-Mufliĥūna
007-008 और हम कुछ ग़ायब तो थे नहीं और उस दिन (आमाल का) तौला जाना बिल्कुल ठीक है फिर तो जिनके (नेक अमाल के) पल्ले भारी होगें तो वही लोग फायज़ुलहराम (नजात पाये हुए) होगें
Wa Laqad Makkannākum Fī Al-'Arđi Wa Ja`alnā Lakum Fīhā Ma`āyisha ۗ Qalīlāan Mā Tashkurūna
007-010 और (ऐ बनीआदम) हमने तो यक़ीनन तुमको ज़मीन में क़ुदरत व इख़तेदार दिया और उसमें तुम्हारे लिए असबाब ज़िन्दगी मुहय्या किए (मगर) तुम बहुत ही कम शुक्र करते हो
Wa LaqadKhalaqnākumThumma ŞawwarnākumThumma Qulnā Lilmalā'ikati Asjudū Li'dama Fasajadū 'Illā 'Iblīsa Lam Yakun Mina As-Sājidīna
007-011 हालाकि इसमें तो शक ही नहीं कि हमने तुम्हारे बाप आदम को पैदा किया फिर तुम्हारी सूरते बनायीं फिर हमनें फ़रिश्तों से कहा कि तुम सब के सब आदम को सजदा करो तो सब के सब झुक पड़े मगर शैतान कि वह सजदा करने वालों में शामिल न हुआ।
Qāla Mā Mana`aka 'Allā Tasjuda 'Idh 'Amartuka ۖ Qāla 'Anā Khayrun Minhu Khalaqtanī Min Nārin Wa Khalaqtahu MinŢīnin
007-012 ख़ुदा ने (शैतान से) फरमाया जब मैनें तुझे हुक्म दिया कि तू फिर तुझे सजदा करने से किसी ने रोका कहने लगा मैं उससे अफ़ज़ल हूँ (क्योंकि) तूने मुझे आग (ऐसे लतीफ अनसर) से पैदा किया
007-013 और उसको मिट्टी (ऐसी कशीफ़ अनसर) से पैदा किया ख़ुदा ने फरमाया (तुझको ये ग़ुरूर है) तो बेहश्त से नीचे उतर जाओ क्योंकि तेरी ये मजाल नहीं कि तू यहाँ रहकर ग़ुरूर करे तो यहाँ से (बाहर) निकल बेशक तू ज़लील लोगों से है
007-016 फ़रमाया (अच्छा मंजूर) तुझे ज़रूर मोहलत दी गयी कहने लगा चूँकि तूने मेरी राह मारी तो मैं भी तेरी सीधी राह पर बनी आदम को (गुमराह करने के लिए) ताक में बैठूं तो सही
Thumma La'ātiyannahum Min Bayni 'Aydīhim Wa Min Khalfihim Wa `An 'Aymānihim Wa `AnShamā'ilihim ۖ Wa Lā Tajidu 'AktharahumShākirīna
007-017 फिर उन लोगों से और उनके पीछे से और उनके दाहिने से और उनके बाएं से (गरज़ हर तरफ से) उन पर आ पडूंगा और (उनको बहकाउंगा) और तू उन में से बहुतरों की शुक्रग़ुज़ार नहीं पायेगा
007-018 ख़ुदा ने फरमाया यहाँ से बुरे हाल में (राइन्दा होकर निकल) (दूर) जा उन लोगों से जो तेरा कहा मानेगा तो मैं यक़ीनन तुम (और उन) सबको जहन्नुम में भर दूंगा
Wa Yā'ādamu Askun 'Anta Wa Zawjuka Al-Jannata Fakulā Min Ĥaythu Shi'tumā Wa Lā Taqrabā Hadhihi Ash-Shajarata Fatakūnā Mina Až-Žālimīna
007-019 और (आदम से कहा) ऐ आदम तुम और तुम्हारी बीबी (दोनों) बेहश्त में रहा सहा करो और जहाँ से चाहो खाओ (पियो) मगर (ख़बरदार) उस दरख्त के करीब न जाना वरना तुम अपना आप नुक़सान करोगे
Fawaswasa Lahumā Ash-Shayţānu Liyubdiya Lahumā Mā Wūriya `Anhumā Min Saw'ātihimā Wa Qāla Mā Nahākumā Rabbukumā `An Hadhihi Ash-Shajarati 'Illā 'An Takūnā Malakayni 'Aw Takūnā Mina Al-Khālidīna
007-020 फिर शैतान ने उन दोनों को वसवसा (शक) दिलाया ताकि (नाफरमानी की वजह से) उनके अस्तर की चीज़े जो उनकी नज़र से बेहश्ती लिबास की वजह से पोशीदा थी खोल डाले कहने लगा कि तुम्हारे परवरदिगार ने दोनों को दरख्त (के फल खाने) से सिर्फ इसलिए मना किया है (कि मुबादा) तुम दोनों फरिश्ते बन जाओ या हमेशा (ज़िन्दा) रह जाओ
Fadallāhumā Bighurūrin ۚ Falammā Dhāqā Ash-Shajarata Badat Lahumā Saw'ātuhumā Wa Ţafiqā Yakhşifāni `Alayhimā Min Waraqi Al-Jannati ۖ Wa Nādāhumā Rabbuhumā 'Alam 'Anhakumā `An Tilkumā Ash-Shajarati Wa 'Aqul Lakumā 'Inna Ash-Shayţāna Lakumā `Adūwun Mubīnun
007-022 ग़रज़ धोखे से उन दोनों को उस (के खाने) की तरफ ले गया ग़रज़ जो ही उन दोनों ने इस दरख्त (के फल) को चखा कि (बेहश्ती लिबास गिर गया और समझ पैदा हुई) उन पर उनकी शर्मगाहें ज़ाहिर हो गयीं और बेहश्त के पत्ते (तोड़ जोड़ कर) अपने ऊपर ढापने लगे तब उनको परवरदिगार ने उनको आवाज़ दी कि क्यों मैंने तुम दोनों को इस दरख्त के पास (जाने) से मना नहीं किया था और (क्या) ये न जता दिया था कि शैतान तुम्हारा यक़ीनन खुला हुआ दुश्मन है
Qālā Rabbanā Žalamnā 'Anfusanā Wa 'In Lam Taghfir Lanā Wa Tarĥamnā Lanakūnanna Mina Al-Khāsirīna
007-023 ये दोनों अर्ज क़रने लगे ऐ हमारे पालने वाले हमने अपना आप नुकसान किया और अगर तू हमें माफ न फरमाएगा और हम पर रहम न करेगा तो हम बिल्कुल घाटे में ही रहेगें
Qāla Ahbiţū Ba`đukum Liba`đin `Adūwun ۖ Wa Lakum Fī Al-'Arđi Mustaqarrun Wa Matā`un 'Ilá Ĥīnin
007-024 हुक्म हुआ तुम (मियां बीबी शैतान) सब के सब बेहशत से नीचे उतरो तुममें से एक का एक दुश्मन है और (एक ख़ास) वक्त तक तुम्हारा ज़मीन में ठहराव (ठिकाना) और ज़िन्दगी का सामना है
Yā Banī 'Ādama Qad 'Anzalnā `Alaykum Libāsāan Yuwārī Saw''ātikum Wa Rīshāan ۖ Wa Libāsu At-Taqwá Dhālika Khayrun ۚ Dhālika Min 'Āyā Ti Allāhi La`allahum Yadhdhakkarūna
007-026 और उसी में से (और) उसी में से फिर दोबारा तुम ज़िन्दा करके निकाले जाओगे ऐ आदम की औलाद हमने तुम्हारे लिए पोशाक नाज़िल की जो तुम्हारे शर्मगाहों को छिपाती है और ज़ीनत के लिए कपड़े और इसके अलावा परहेज़गारी का लिबास है और ये सब (लिबासों) से बेहतर है ये (लिबास) भी ख़ुदा (की कुदरत) की निशानियों से है
Yā Banī 'Ādama Lā Yaftinannakumu Ash-Shayţānu Kamā 'Akhraja 'Abawaykum Mina Al-Jannati Yanzi`u `Anhumā Libāsahumā Liyuriyahumā Saw''ātihimā ۗ 'Innahu Yarākum Huwa Wa Qabīluhu Min Ĥaythu Lā Tarawnahum ۗ 'Innā Ja`alnā Ash-Shayā Ţīna 'Awliyā 'A Lilladhīna Lā Yu'uminūna
007-027 ताकि लोग नसीहत व इबरत हासिल करें ऐ औलादे आदम (होशियार रहो) कहीं तुम्हें शैतान बहका न दे जिस तरह उसने तुम्हारे बाप माँ आदम व हव्वा को बेहश्त से निकलवा छोड़ा उसी ने उन दोनों से (बेहश्ती) पोशाक उतरवाई ताकि उन दोनों को उनकी शर्मगाहें दिखा दे वह और उसका क़ुनबा ज़रूर तुम्हें इस तरह देखता रहता है कि तुम उन्हे नहीं देखने पाते हमने शैतानों को उन्हीं लोगों का रफीक़ क़रार दिया है
007-028 जो ईमान नही रखते और वह लोग जब कोई बुरा काम करते हैं कि हमने उस तरीके पर अपने बाप दादाओं को पाया और ख़ुदा ने (भी) यही हुक्म दिया है (ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि ख़ुदा ने (भी) यही हुक्म दिया है (ऐ रसूल) तुम (साफ) कह दो कि ख़ुदा हरगिज़ बुरे काम का हुक्म नहीं देता क्या तुम लोग ख़ुदा पर (इफ्तिरा करके) वह बातें कहते हो जो तुम नहीं जानते
Qul 'AmaraRabbī Bil-Qisţi ۖ Wa 'Aqīmū Wujūhakum `Inda Kulli Masjidin Wa Ad`ūhu Mukhlişīna Lahu Ad-Dīna ۚ Kamā Bada'akum Ta`ūdūna
007-029 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मेरे परवरदिगार ने तो इन्साफ का हुक्म दिया है और (ये भी क़रार दिया है कि) हर नमाज़ के वक्त अपने अपने मुँह (क़िबले की तरफ़) सीधे कर लिया करो और इसके लिए निरी खरी इबादत करके उससे दुआ मांगो जिस तरह उसने तुम्हें शुरू शुरू पैदा किया था
Farīqāan Hadá Wa Farīqāan Ĥaqqa `Alayhimu Ađ-Đalālatu ۗ 'Innahumu Attakhadhū Ash-Shayāţīna 'Awliyā'a Min Dūni Allāhi Wa Yaĥsabūna 'Annahum Muhtadūna
007-030 उसी तरह फिर (दोबारा) ज़िन्दा किये जाओगे उसी ने एक फरीक़ की हिदायत की और एक गिरोह (के सर) पर गुमराही सवार हो गई उन लोगों ने ख़ुदा को छोड़कर शैतानों को अपना सरपरस्त बना लिया और बावजूद उसके गुमराह करते हैं कि वह राह रास्ते पर है
Yā Banī 'Ādama Khudhū Zīnatakum `Inda Kulli Masjidin Wa Kulū Wa Ashrabū Wa Lā Tusrifū ۚ 'Innahu Lā Yuĥibbu Al-Musrifīna
007-031 ऐ औलाद आदम हर नमाज़ के वक्त बन सवर के निखर जाया करो और खाओ और पियो और फिज़ूल ख़र्ची मत करो (क्योंकि) ख़ुदा फिज़ूल ख़र्च करने वालों को दोस्त नहीं रखता
Qul Man Ĥarrama Zīnata Allāhi Allatī 'Akhraja Li`ibādihi Wa Aţ-Ţayyibāti Mina Ar-Rizqi ۚ Qul Hiya Lilladhīna 'Āmanū Fī Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Khālişatan Yawma Al-Qiyāmati ۗ Kadhālika Nufaşşilu Al-'Āyāti Liqawmin Ya`lamūna
007-032 (ऐ रसूल से) पूछो तो कि जो ज़ीनत (के साज़ों सामान) और खाने की साफ सुथरी चीज़ें ख़ुदा ने अपने बन्दो के वास्ते पैदा की हैं किसने हराम कर दी तुम ख़ुद कह दो कि सब पाक़ीज़ा चीज़े क़यामत के दिन उन लोगों के लिए ख़ास हैं जो दुनिया की (ज़रा सी) ज़िन्दगी में ईमान लाते थे हम यूँ अपनी आयतें समझदार लोगों के वास्ते तफसीलदार बयान करतें हैं
Qul 'Innamā Ĥarrama Rabbiya Al-Fawāĥisha Mā Žahara Minhā Wa Mā Baţana Wa Al-'Ithma Wa Al-Baghya Bighayri Al-Ĥaqqi Wa 'An Tushrikū Billāhi Mā Lam Yunazzil Bihi Sulţānāan Wa 'An Taqūlū `Alá Allāhi Mā Lā Ta`lamūna
007-033 (ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि हमारे परवरदिगार ने तो तमाम बदकारियों को ख्वाह (चाहे) ज़ाहिरी हो या बातिनी और गुनाह और नाहक़ ज्यादती करने को हराम किया है और इस बात को कि तुम किसी को ख़ुदा का शरीक बनाओ जिनकी उनसे कोई दलील न ही नाज़िल फरमाई और ये भी कि बे समझे बूझे ख़ुदा पर बोहतान बॉधों
007-035 ऐ औलादे आदम जब तुम में के (हमारे) पैग़म्बर तुम्हारे पास आए और तुमसे हमारे एहकाम बयान करे तो (उनकी इताअत करना क्योंकि जो शख्स परहेज़गारी और नेक काम करेगा तो ऐसे लोगों पर न तो (क़यामत में) कोई ख़ौफ़ होगा और न वह आर्ज़दा ख़ातिर (परेशान) होंगे
007-037 तो जो शख्स ख़ुदा पर झूठ बोहतान बॉधे या उसकी आयतों को झुठलाए उससे बढ़कर ज़ालिम और कौन होगा फिर तो वह लोग हैं जिन्हें उनकी (तक़दीर) का लिखा हिस्सा (रिज़क) वग़ैरह मिलता रहेगा यहाँ तक कि जब हमारे भेजे हुए (फरिश्ते) उनके पास आकर उनकी रूह कब्ज़ करेगें तो (उनसे) पूछेगें कि जिन्हें तुम ख़ुदा को छोड़कर पुकारा करते थे अब वह (कहाँ हैं तो वह कुफ्फार) जवाब देगें कि वह सब तो हमें छोड़ कर चल चंपत हुए और अपने खिलाफ आप गवाही देगें कि वह बेशक काफ़िर थे
Qāla Adkhulū Fī 'UmaminQadKhalat MinQablikum Mina Al-Jinni Wa Al-'Insi Fī An-Nāri ۖ Kullamā Dakhalat 'Ummatun La`anat 'Ukhtahā ۖ Ĥattá 'Idhā Addārakū Fīhā Jamī`āanQālat 'Ukhrāhum Li'wlāhumRabbanā Hā'uulā' 'Ađallūnā Fa'ātihim `AdhābāanĐi`fāan Mina An-Nāri ۖ Qāla LikullinĐi`fun Wa Lakin Lā Ta`lamūna
007-038 (तब ख़ुदा उनसे) फरमाएगा कि जो लोग जिन व इन्स के तुम से पहले बसे हैं उन्हीं में मिलजुल कर तुम भी जहन्नुम वासिल हो जाओ (और ) अहले जहन्नुम का ये हाल होगा कि जब उसमें एक गिरोह दाख़िल होगा तो अपने साथी दूसरे गिरोह पर लानत करेगा यहाँ तक कि जब सब के सब पहुंच जाएगें तो उनमें की पिछली जमात अपने से पहली जमाअत के वास्ते बदद्आ करेगी कि परवरदिगार उन्हीं लोगों ने हमें गुमराह किया था तो उन पर जहन्नुम का दोगुना अज़ाब फरमा (इस पर) ख़ुदा फरमाएगा कि हर एक के वास्ते दो गुना अज़ाब है लेकिन (तुम पर) तुफ़ है तुम जानते नहीं
Wa Qālat 'Ūlāhum Li'khrāhum Famā Kāna Lakum `Alaynā Min Fađlin Fadhūqū Al-`Adhāba Bimā Kuntum Taksibūna
007-039 और उनमें से पहली जमाअत पिछली जमाअत की तरफ मुख़ातिब होकर कहेगी कि अब तो तुमको हमपर कोई फज़ीलत न रही पस (हमारी तरह) तुम भी अपने करतूत की बदौलत अज़ाब (के मज़े) चखो बेशक जिन लोगों ने हमारे आयात को झुठलाया
'Inna Al-Ladhīna Kadhdhabū Bi'āyātinā Wa Astakbarū `Anhā Lā Tufattaĥu Lahum 'Abwābu As-Samā'i Wa Lā Yadkhulūna Al-Jannata Ĥattá Yalija Al-Jamalu Fī Sammi Al-Khiyāţi ۚ Wa Kadhalika Najzī Al-Mujrimīna
007-040 और उनसे सरताबी की न उनके लिए आसमान के दरवाज़े खोले जाएंगें और वह बेहश्त ही में दाखिल होने पाएगें यहाँ तक कि ऊँट सूई के नाके में होकर निकल जाए (यानि जिस तरह ये मुहाल है) उसी तरह उनका बेहश्त में दाखिल होना मुहाल है और हम मुजरिमों को ऐसी ही सज़ा दिया करते हैं उनके लिए जहन्नुम (की आग) का बिछौना होगा
Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Lā Nukallifu Nafsāan 'Illā Wus`ahā 'Ūlā'ika 'Aşĥābu Al-Jannati ۖ Hum Fīhā Khālidūna
007-042 और अच्छे अच्छे काम किये और हम तो किसी शख्स को उसकी ताकत से ज्यादा तकलीफ देते ही नहीं यहीं लोग जन्नती हैं कि वह हमेशा जन्नत ही में रहा (सहा) करेगें
Wa Naza`nā Mā Fī Şudūrihim Min Ghillin Tajrī Min Taĥtihimu Al-'Anhāru ۖ Wa Qālū Al-Ĥamdu Lillāh Al-Ladhī Hadānā Lihadhā Wa Mā Kunnā Linahtadiya Lawlā 'An Hadānā Al-Lahu ۖ Laqad Jā'at Rusulu Rabbinā Bil-Ĥaqqi ۖ Wa Nūdū 'An Tilkumu Al-Jannatu 'Ūrithtumūhā Bimā Kuntum Ta`malūna
007-043 और उन लोगों के दिल में जो कुछ (बुग़ज़ व कीना) होगा वह सब हम निकाल (बाहर कर) देगें उनके महलों के नीचे नहरें जारी होगीं और कहते होगें शुक्र है उस ख़ुदा का जिसने हमें इस (मंज़िले मक़सूद) तक पहुंचाया और अगर ख़ुदा हमें यहाँ न पहुंचाता तो हम किसी तरह यहाँ न पहुंच सकते बेशक हमारे परवरदिगार के पैग़म्बर दीने हक़ लेकर आये थे और उन लोगों से पुकार कर कह दिया जाएगा कि वह बेहिश्त हैं जिसके तुम अपनी कारग़ुज़ारियों की जज़ा में वारिस व मालिक बनाए गये हों
007-044 और जन्नती लोग जहन्नुमी वालों से पुकार कर कहेगें हमने तो बेशक जो हमारे परवरदिगार ने हमसे वायदा किया था ठीक ठीक पा लिया तो क्या तुमने भी जो तुमसे तम्हारे परवरदिगार ने वायदा किया था ठीक पाया (या नहीं) अहले जहन्नुम कहेगें हाँ (पाया) एक मुनादी उनके दरमियान निदा करेगा कि ज़ालिमों पर ख़ुदा की लानत है
Wa Baynahumā Ĥijābun ۚ Wa `Alá Al-'A`rāfi Rijālun Ya`rifūna Kullāan Bisīmāhum ۚ Wa Nādaw 'Aşĥāba Al-Jannati 'An Salāmun `Alaykum ۚ Lam Yadkhulūhā Wa Hum Yaţma`ūna
007-046 और बेहश्त व दोज़ख के दरमियान एक हद फ़ासिल है और कुछ लोग आराफ़ पर होगें जो हर शख्स को (बेहिश्ती हो या जहन्नुमी) उनकी पेशानी से पहचान लेगें और वह जन्नत वालों को आवाज़ देगें कि तुम पर सलाम हो या (आराफ़ वाले) लोग अभी दाख़िले जन्नत नहीं हुए हैं मगर वह तमन्ना ज़रूर रखते हैं
007-047 और जब उनकी निगाहें पलटकर जहन्नुमी लोगों की तरफ जा पड़ेगीं (तो उनकी ख़राब हालत देखकर ख़ुदा से अर्ज़ करेगें) ऐ हमारे परवरदिगार हमें ज़ालिम लोगों का साथी न बनाना
Wa Nādá 'Aşĥābu Al-'A`rāfi Rijālāan Ya`rifūnahum BisīmāhumQālū Mā 'Aghná `Ankum Jam`ukum Wa Mā Kuntum Tastakbirūna
007-048 और आराफ वाले कुछ (जहन्नुमी) लोगों को जिन्हें उनका चेहरा देखकर पहचान लेगें आवाज़ देगें और और कहेगें अब न तो तुम्हारा जत्था ही तुम्हारे काम आया और न तुम्हारी शेखी बाज़ी ही (सूद मन्द हुई)
007-049 जो तुम दुनिया में किया करते थे यही लोग वह हैं जिनकी निस्बत तुम कसमें खाया करते थे कि उन पर ख़ुदा (अपनी) रहमत न करेगा (देखो आज वही लोग हैं जिनसे कहा गया कि बेतकल्लुफ) बेहश्त में चलो जाओ न तुम पर कोई खौफ है और न तुम किसी तरह आर्ज़ुदा ख़ातिर परेशानी होगी
007-050 और दोज़ख वाले अहले बेहिश्त को (लजाजत से) आवाज़ देगें कि हम पर थोड़ा सा पानी ही उंडेल दो या जो (नेअमतों) खुदा ने तुम्हें दी है उसमें से कुछ (दे डालो दो तो अहले बेहिश्त जवाब में) कहेंगें कि ख़ुदा ने तो जन्नत का खाना पानी काफिरों पर कतई हराम कर दिया है
Al-Ladhīna Attakhadhū Dīnahum Lahwan Wa La`ibāan Wa Gharrat/humu Al-Ĥayāatu Ad-Dunyā ۚ Fālyawma Nansāhum Kamā Nasū Liqā'a Yawmihim Hādhā Wa Mā Kānū Bi'āyātinā Yajĥadūna
007-051 जिन लोगों ने अपने दीन को खेल तमाशा बना लिया था और दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी ने उनको फरेब दिया था तो हम भी आज (क़यामत में) उन्हें (क़सदन) भूल जाएगें
007-053 जिसे हर तरह समझ बूझ के तफसीलदार बयान कर दिया है (और वह) ईमानदार लोगों के लिए हिदायत और रहमत है क्या ये लोग बस सिर्फ अन्जाम (क़यामत ही) के मुन्तज़िर है (हालांकि) जिस दिन उसके अन्जाम का (वक्त) आ जाएगा तो जो लोग उसके पहले भूले बैठे थे (बेसाख्ता) बोल उठेगें कि बेशक हमारे परवरदिगार के सब रसूल हक़ लेकर आये थे तो क्या उस वक्त हमारी भी सिफरिश करने वाले हैं जो हमारी सिफारिश करें या हम फिर (दुनिया में) लौटाएं जाएं तो जो जो काम हम करते थे उसको छोड़कर दूसरें काम करें
'Inna Rabbakumu Allāhu Al-Ladhī Khalaqa As-Samāwāti Wa Al-'Arđa Fī Sittati 'AyyāminThumma Astawá `Alá Al-`Arshi Yughshī Al-Layla An-Nahāra Yaţlubuhu Ĥathīthāan Wa Ash-Shamsa Wa Al-Qamara Wa An-Nujūma Musakhkharātin Bi'amrihi~ ۗ 'Alā Lahu Al-Khalqu Wa Al-'Amru ۗ Tabāraka Allāhu Rabbu Al-`Ālamīna
007-054 बेशक उन लोगों ने अपना सख्त घाटा किया और जो इफ़तेरा परदाज़िया किया करते थे वह सब गायब (ग़ल्ला) हो गयीं बेशक तुम्हारा परवरदिगार ख़ुदा ही है जिसके (सिर्फ) 6 दिनों में आसमान और ज़मीन को पैदा किया फिर अर्श के बनाने पर आमादा हुआ वही रात को दिन का लिबास पहनाता है तो (गोया) रात दिन को पीछे पीछे तेज़ी से ढूंढती फिरती है और उसी ने आफ़ताब और माहताब और सितारों को पैदा किया कि ये सब के सब उसी के हुक्म के ताबेदार हैं
Wa Lā Tufsidū Fī Al-'Arđi Ba`da 'Işlāĥihā Wa Ad`ūhu Khawfāan Wa Ţama`āan ۚ 'Inna Raĥmata Allāhi Qarībun Mina Al-Muĥsinīna
007-056 (लोगों) अपने परवरदिगार से गिड़गिड़ाकर और चुपके - चुपके दुआ करो, वह हद से तजाविज़ करने वालों को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता और ज़मीन में असलाह के बाद फसाद न करते फिरो और (अज़ाब) के ख़ौफ से और (रहमत) की आस लगा के ख़ुदा से दुआ मांगो
007-057 (क्योंकि) नेकी करने वालों से ख़ुदा की रहमत यक़ीनन क़रीब है और वही तो (वह) ख़ुदा है जो अपनी रहमत (अब्र) से पहले खुशखबरी देने वाली हवाओ को भेजता है यहाँ तक कि जब हवाएं (पानी से भरे) बोझल बादलों के ले उड़े तो हम उनको किसी शहर की की तरफ (जो पानी का नायाबी (कमी) से गोया) मर चुका था हॅका दिया फिर हमने उससे पानी बरसाया, फिर हमने उससे हर तरह के फल ज़मीन से निकाले
007-058 हम यूं ही (क़यामत के दिन ज़मीन से) मुर्दों को निकालेंगें ताकि तुम लोग नसीहत व इबरत हासिल करो और उम्दा ज़मीन उसके परवरदिगार के हुक्म से उस सब्ज़ा (अच्छा ही) है और जो ज़मीन बड़ी है उसकी पैदावार ख़राब ही होती है
007-059 हम यू अपनी आयतों को उलेटफेर कर शुक्रग़ुजार लोगों के वास्ते बयान करते हैं बेशक हमने नूह को उनकी क़ौम के पास (रसूल बनाकर) भेजा तो उन्होनें (लोगों से ) कहाकि ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा की ही इबादत करो उसके सिवा तुम्हारा कोई माबूद नहीं है और मैं तुम्हारी निस्बत (क़यामत जैसे) बड़े ख़ौफनाक दिन के अज़ाब से डरता हूँ
'UballighukumRisālāti Rabbī Wa 'Anşaĥu Lakum Wa 'A`lamu Mina Allāhi Mā Lā Ta`lamūna
007-062 तुम तक अपने परवरदिगार के पैग़ामात पहुचाएं देता हूँ और तुम्हारे लिए तुम्हारी ख़ैर ख्वाही करता हूँ और ख़ुदा की तरफ से जो बातें मै जानता हूँ तुम नहीं जानते
'Awa`ajibtum 'An Jā'akumDhikrun MinRabbikum `Alá Rajulin Minkum Liyundhirakum Wa Litattaqū Wa La`allakum Turĥamūna
007-063 क्या तुम्हें उस बात पर ताअज्जुब है कि तुम्हारे पास तुम्ही में से एक मर्द (आदमी) के ज़रिए से तुम्हारे परवरदिगार का ज़िक्र (हुक्म) आया है ताकि वह तुम्हें (अज़ाब से) डराए और ताकि तुम परहेज़गार बनों और ताकि तुम पर रहम किया जाए
Fakadhdhabūhu Fa'anjaynāhu Wa Al-Ladhīna Ma`ahu Fī Al-Fulki Wa 'Aghraqnā Al-Ladhīna Kadhdhabū Bi'āyātinā ۚ 'Innahum Kānū Qawmāan `Amīna
007-064 इस पर भी लोगों ने उनकों झुठला दिया तब हमने उनको और जो लोग उनके साथ कश्ती में थे बचा लिया और बाक़ी जितने लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया था सबको डुबो मारा ये सब के सब यक़ीनन अन्धे लोग थे
Wa 'Ilá `Ādin 'Akhāhum Hūdāan ۗ Qāla Yā Qawmi A`budū Allaha Mā Lakum Min 'Ilahin Ghayruhu~ ۚ 'Afalā Tattaqūna
007-065 और (हमने) क़ौम आद की तरफ उनके भाई हूद को (रसूल बनाकर भेजा) तो उन्होनें लोगों से कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की इबादत करो उसके सिवा तुम्हारा कोई माबूद नहीं तो क्या तुम (ख़ुदा से) डरते नहीं हो
'Awa`ajibtum 'An Jā'akumDhikrun MinRabbikum `Alá Rajulin Minkum Liyundhirakum ۚ Wa Adhkurū 'Idh Ja`alakumKhulafā'a Min Ba`di Qawmi Nūĥin Wa Zādakum Fī Al-Khalqi Basţatan ۖ Fādhkurū 'Ālā'a Allāhi La`allakum Tufliĥūna
007-069 क्या तुम्हें इस पर ताअज्जुब है कि तुम्हारे परवरदिगार का हुक्म तुम्हारे पास तुम्ही में एक मर्द (आदमी) के ज़रिए से (आया) कि तुम्हें (अजाब से) डराए और (वह वक्त) याद करो जब उसने तुमको क़ौम नूह के बाद ख़लीफा (व जानशीन) बनाया और तुम्हारी ख़िलाफ़त में भी बहुत ज्यादती कर दी तो ख़ुदा की नेअमतों को याद करो ताकि तुम दिली मुरादे पाओ
Qālū 'Aji'tanā Lina`buda Allāha Waĥdahu Wa Nadhara Mā Kāna Ya`budu 'Ābā'uunā ۖ Fa'tinā Bimā Ta`idunā 'In Kunta Mina Aş-Şādiqīna
007-070 तो वह लोग कहने लगे क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो कि सिर्फ ख़ुदा की तो इबादत करें और जिनको हमारे बाप दादा पूजते चले आए छोड़ बैठें पस अगर तुम सच्चे हो तो जिससे तुम हमको डराते हो हमारे पास लाओ
Qāla Qad Waqa`a `Alaykum MinRabbikumRijsun Wa Ghađabun ۖ 'Atujādilūnanī Fī 'Asmā'in Sammaytumūhā 'Antum Wa 'Ābā'uukum Mā Nazzala Allāhu Bihā Min Sulţānin ۚ Fāntažirū 'Innī Ma`akum Mina Al-Muntažirīna
007-071 हूद ने जवाब दिया (कि बस समझ लो) कि तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर अज़ाब और ग़ज़ब नाज़िल हो चुका क्या तुम मुझसे चन्द (बुतो के फर्ज़ी) नामों के बारे में झगड़ते हो जिनको तुमने और तुम्हारे बाप दादाओं ने (ख्वाहमख्वाह) गढ़ लिए हैं हालाकि ख़ुदा ने उनके लिए कोई सनद नहीं नाज़िल की पस तुम ( अज़ाबे ख़ुदा का) इन्तज़ार करो मैं भी तुम्हारे साथ मुन्तिज़र हूँ
Fa'anjaynāhu Wa Al-Ladhīna Ma`ahu Biraĥmatin Minnā Wa Qaţa`nā Dābira Al-Ladhīna Kadhdhabū Bi'āyātinā ۖ Wa Mā Kānū Mu'uminīna
007-072 आख़िर हमने उनको और जो लोग उनके साथ थे उनको अपनी रहमत से नजात दी और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया था हमने उनकी जड़ काट दी और वह लोग ईमान लाने वाले थे भी नहीं
Wa 'Ilá Thamūda 'AkhāhumŞāliĥāan ۗ Qāla Yā Qawmi A`budū Allaha Mā Lakum Min 'Ilahin Ghayruhu ۖ Qad Jā'atkum Bayyinatun MinRabbikum ۖ Hadhihi Nāqatu Allāhi Lakum 'Āyatan ۖ Fadharūhā Ta'kul Fī 'Arđi Allāhi ۖ Wa Lā Tamassūhā Bisū'in Faya'khudhakum `Adhābun 'Alīmun
007-073 और (हमने क़ौम) समूद की तरफ उनके भाई सालेह को रसूल बनाकर भेजा तो उन्होनें (उन लोगों से कहा) ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की इबादत करो और उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं है तुम्हारे पास तो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वाज़ेए और रौशन दलील आ चुकी है ये ख़ुदा की भेजी हुई ऊँटनी तुम्हारे वास्ते एक मौजिज़ा है तो तुम लोग उसको छोड़ दो कि ख़ुदा की ज़मीन में जहाँ चाहे चरती फिरे और उसे कोई तकलीफ़ ना पहुंचाओ वरना तुम दर्दनाक अज़ाब में गिरफ्तार हो जाआगे
Wa Adhkurū 'Idh Ja`alakumKhulafā'a Min Ba`di `Ādin Wa Bawwa'akum Fī Al-'Arđi Tattakhidhūna Min Suhūlihā Quşūrāan Wa Tanĥitūna Al-Jibāla Buyūtāan ۖ Fādhkurū 'Ālā'a Allāhi Wa Lā Ta`thaw Fī Al-'Arđi Mufsidīna
007-074 और वह वक्त याद करो जब उसने तुमको क़ौम आद के बाद (ज़मीन में) ख़लीफा (व जानशीन) बनाया और तुम्हें ज़मीन में इस तरह बसाया कि तुम हमवार व नरम ज़मीन में (बड़े-बड़े) महल उठाते हो और पहाड़ों को तराश के घर बनाते हो तो ख़ुदा की नेअमतों को याद करो और रूए ज़मीन में फसाद न करते फिरो
007-075 तो उसकी क़ौम के बड़े बड़े लोगों ने बेचारें ग़रीबों से उनमें से जो ईमान लाए थे कहा क्या तुम्हें मालूम है कि सालेह (हक़ीकतन) अपने परवरदिगार के सच्चे रसूल हैं - उन बेचारों ने जवाब दिया कि जिन बातों का वह पैग़ाम लाए हैं हमारा तो उस पर ईमान है
Fa`aqarū An-Nāqata Wa `Ataw `An 'Amri Rabbihim Wa Qālū Yā Şāliĥu A'tinā Bimā Ta`idunā 'In Kunta Mina Al-Mursalīna
007-077 ग़रज़ उन लोगों ने ऊँटनी के कूचें और पैर काट डाले और अपने परवरदिगार के हुक्म से सरताबी की और (बेबाकी से) कहने लगे अगर तुम सच्चे रसूल हो तो जिस (अज़ाब) से हम लोगों को डराते थे अब लाओ
Fatawallá `Anhum Wa Qāla Yā Qawmi Laqad 'AblaghtukumRisālata Rabbī Wa Naşaĥtu Lakum Wa Lakin Lā Tuĥibbūna An-Nāşiĥīna
007-079 उसके बाद सालेह उनसे टल गए और (उनसे मुख़ातिब होकर) कहा मेरी क़ौम (आह) मैनें तो अपने परवरदिगार के पैग़ाम तुम तक पहुचा दिए थे और तुम्हारे ख़ैरख्वाही की थी (और ऊँच नीच समझा दिया था) मगर अफसोस तुम (ख़ैरख्वाह) समझाने वालों को अपना दोस्त ही नहीं समझते
Wa Lūţāan 'IdhQāla Liqawmihi~ 'Ata'tūna Al-Fāĥishata Mā Sabaqakum Bihā Min 'Aĥadin Mina Al-`Ālamīna
007-080 और (लूत को हमने रसूल बनाकर भेजा था) जब उन्होनें अपनी क़ौम से कहा कि (अफसोस) तुम ऐसी बदकारी (अग़लाम) करते हो कि तुमसे पहले सारी ख़ुदाई में किसी ने ऐसी बदकारी नहीं की थी
007-082 सिर्फ करनें वालों (को नुत्फे को ज़ाए करते हो उस पर उसकी क़ौम का उसके सिवा और कुछ जवाब नहीं था कि वह आपस में कहने लगे कि उन लोगों को अपनी बस्ती से निकाल बाहर करो क्योंकि ये तो वह लोग हैं जो पाक साफ बनना चाहते हैं)
Wa 'Ilá Madyana 'AkhāhumShu`aybāan ۗ Qāla Yā Qawmi A`budū Allaha Mā Lakum Min 'Ilahin Ghayruhu ۖ Qad Jā'atkum Bayyinatun MinRabbikum ۖ Fa'awfū Al-Kayla Wa Al-Mīzāna Wa Lā Tabkhasū An-Nāsa 'Ashyā 'Ahum Wa Lā Tufsidū Fī Al-'Arđi Ba`da ۚ 'Işlāĥihā DhālikumKhayrun Lakum 'In Kuntum Mu'uminīna
007-085 और (हमने) मदयन (वालों के) पास उनके भाई शुएब को (रसूल बनाकर भेजा) तो उन्होंने (उन लोगों से) कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की इबादत करो उसके सिवा कोई दूसरा माबूद नहीं (और) तुम्हारे पास तो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से एक वाजेए व रौशन मौजिज़ा (भी) आ चुका तो नाप और तौल पूरी किया करो और लोगों को उनकी (ख़रीदी हुई) चीज़ में कम न दिया करो और ज़मीन में उसकी असलाह व दुरूस्ती के बाद फसाद न करते फिरो अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है
Wa Lā Taq`udū Bikulli Şirāţin Tū`idūna Wa Taşuddūna `An Sabīli Allāhi Man 'Āmana Bihi Wa Tabghūnahā `Iwajāan ۚ Wa Adhkurū 'Idh KuntumQalīlāan Fakaththarakum ۖ Wa Anžurū Kayfa Kāna `Āqibatu Al-Mufsidīna
007-086 और तुम लोग जो रास्तों पर (बैठकर) जो ख़ुदा पर ईमान लाया है उसको डराते हो और ख़ुदा की राह से रोकते हो और उसकी राह में (ख्वाहमाख्वाह) कज़ी ढूँढ निकालते हो अब न बैठा करो और उसको तो याद करो कि जब तुम (शुमार में) कम थे तो ख़ुदा ही ने तुमको बढ़ाया, और ज़रा ग़ौर तो करो कि (आख़िर) फसाद फैलाने वालों का अन्जाम क्या हुआ
Wa 'In Kāna Ţā'ifatun Minkum 'Āmanū Bial-Ladhī 'Ursiltu Bihi Wa Ţā'ifatun Lam Yu'uminū Fāşbirū Ĥattá Yaĥkuma Allāhu Baynanā ۚ Wa Huwa Khayru Al-Ĥākimīna
007-087 और जिन बातों का मै पैग़ाम लेकर आया हूँ अगर तुममें से एक गिरोह ने उनको मान लिया और एक गिरोह ने नहीं माना तो (कुछ परवाह नहीं) तो तुम सब्र से बैठे (देखते) रहो यहाँ तक कि ख़ुदा (खुद) हमारे दरमियान फैसला कर दे, वह तो सबसे बेहतर फैसला करने वाला है
007-088 तो उनकी क़ौम में से जिन लोगों को (अपनी हशमत (दुनिया पर) बड़ा घमण्ड था कहने लगे कि ऐ शुएब हम तुम्हारे साथ ईमान लाने वालों को अपनी बस्ती से निकाल बाहर कर देगें मगर जबकि तुम भी हमारे उसी मज़हब मिल्लत में लौट कर आ जाओ
007-089 हम अगरचे तुम्हारे मज़हब से नफरत ही रखते हों (तब भी लौट जाएं माज़अल्लाह) जब तुम्हारे बातिल दीन से ख़ुदा ने मुझे नजात दी उसके बाद भी अब अगर हम तुम्हारे मज़हब मे लौट जाएं तब हमने ख़ुदा पर बड़ा झूठा बोहतान बॉधा (ना) और हमारे वास्ते तो किसी तरह जायज़ नहीं कि हम तुम्हारे मज़हब की तरफ लौट जाएँ मगर हाँ जब मेरा परवरदिगार अल्लाह चाहे तो हमारा परवरदिगार तो (अपने) इल्म से तमाम (आलम की) चीज़ों को घेरे हुए है हमने तो ख़ुदा ही पर भरोसा कर लिया ऐ हमारे परवरदिगार तू ही हमारे और हमारी क़ौम के दरमियान ठीक ठीक फैसला कर दे और तू सबसे बेहतर फ़ैसला करने वाला है
Fatawallá `Anhum Wa Qāla Yā Qawmi Laqad 'AblaghtukumRisālāti Rabbī Wa Naşaĥtu Lakum ۖ Fakayfa 'Āsá `Alá Qawmin Kāfirīna
007-093 तब शुएब उन लोगों के सर से टल गए और (उनसे मुख़ातिब हो के) कहा ऐ मेरी क़ौम मैं ने तो अपने परवरदिगार के पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिए और तुम्हारी ख़ैर ख्वाही की थी, फिर अब मैं काफिरों पर क्यों कर अफसोस करूँ
Wa Mā 'Arsalnā Fī Qaryatin Min Nabīyin 'Illā 'Akhadhnā 'Ahlahā Bil-Ba'sā'i Wa Ađ-Đarrā'i La`allahum Yađđarra`ūna
007-094 और हमने किसी बस्ती में कोई नबी नही भेजा मगर वहाँ के रहने वालों को (कहना न मानने पर) सख्ती और मुसीबत में मुब्तिला किया ताकि वह लोग (हमारी बारगाह में) गिड़गिड़ाए
Thumma Baddalnā Makāna As-Sayyi'ati Al-Ĥasanata Ĥattá `Afaw Wa Qālū Qad Massa 'Ābā'anā Ađ-Đarrā'u Wa As-Sarrā'u Fa'akhadhnāhum Baghtatan Wa Hum Lā Yash`urūna
007-095 फिर हमने तकलीफ़ की जगह आराम को बदल दिया यहाँ तक कि वह लोग बढ़ निकले और कहने लगे कि इस तरह की तकलीफ़ व आराम तो हमारे बाप दादाओं को पहुँच चुका है तब हमने (उस बढ़ाने के की सज़ा में (अचानक उनको अज़ाब में) गिरफ्तार किया
Wa Law 'Anna 'Ahla Al-Qurá 'Āmanū Wa Attaqaw Lafataĥnā `Alayhim Barakātin Mina As-Samā'i Wa Al-'Arđi Wa Lakin Kadhdhabū Fa'akhadhnāhum Bimā Kānū Yaksibūna
007-096 और वह बिल्कुल बेख़बर थे और अगर उन बस्तियों के रहने वाले ईमान लाते और परहेज़गार बनते तो हम उन पर आसमान व ज़मीन की बरकतों (के दरवाजे) ख़ोल देते मगर (अफसोस) उन लोगों ने (हमारे पैग़म्बरों को) झूठलाया तो हमने भी उनके करतूतों की बदौलत उन को (अज़ाब में) गिरफ्तार किया
'Awalam Yahdi Lilladhīna Yarithūna Al-'Arđa Min Ba`di 'Ahlihā 'An Law Nashā'u 'Aşabnāhum Bidhunūbihim ۚ Wa Naţba`u `Alá Qulūbihim Fahum Lā Yasma`ūna
007-100 क्या जो लोग अहले ज़मीन के बाद ज़मीन के वारिस (व मालिक) होते हैं उन्हें ये मालूम नहीं कि अगर हम चाहते तो उनके गुनाहों की बदौलत उनको मुसीबत में फँसा देते (मगर ये लोग ऐसे नासमझ हैं कि गोया) उनके दिलों पर हम ख़ुद (मोहर कर देते हैं कि ये लोग कुछ सुनते ही नहीं
007-101 (ऐ रसूल) ये चन्द बस्तियाँ हैं जिन के हालात हम तुमसे बयान करते हैं और इसमें तो शक़ ही नहीं कि उनके पैग़म्बर उनके पास वाजेए व रौशन मौजिज़े लेकर आए मगर ये लोग जिसके पहले झुठला चुके थे उस पर भला काहे को ईमान लाने वाले थे ख़ुदा यूं काफिरों के दिलों पर अलामत मुकर्रर कर देता है (कि ये ईमान न लाएँगें)
Thumma Ba`athnā Min Ba`dihim Mūsá Bi'āyātinā 'Ilá Fir`awna Wa Mala'ihi Fažalamū Bihā ۖ Fānžur Kayfa Kāna `Āqibatu Al-Mufsidīna
007-103 फिर हमने (उन पैग़म्बरान मज़कूरीन के बाद) मूसा को फिरऔन और उसके सरदारों के पास मौजिज़े अता करके (रसूल बनाकर) भेजा तो उन लोगों ने उन मौजिज़ात के साथ (बड़ी बड़ी) शरारतें की पस ज़रा ग़ौर तो करो कि आख़िर फसादियों का अन्जाम क्या हुआ
007-105 मुझ पर वाजिब है कि ख़ुदा पर सच के सिवा (एक हुरमत भी झूठ) न कहूँ मै यक़ीनन तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वाजेए व रोशन मौजिज़े लेकर आया हूँ
Qālū 'Arjihi Wa 'Akhāhu Wa 'Arsil Fī Al-Madā'ini Ĥāshirīna
007-111 (आख़िर) सबने मुत्तफिक़ अलफाज़ (एक ज़बान होकर) कहा कि (ऐ फिरऔन) उनको और उनके भाई (हारून) को चन्द दिन कैद में रखिए और (एतराफ़ के) शहरों में हरकारों को भेजिए
Qāla 'Alqū ۖ Falammā 'Alqaw Saĥarū 'A`yuna An-Nāsi Wa Astarhabūhum Wa Jā'ū Bisiĥrin `Ažīmin
007-116 मूसा ने कहा (अच्छा पहले) तुम ही फेक (के अपना हौसला निकालो) तो तब जो ही उन लोगों ने (अपनी रस्सियाँ) डाली तो लोगों की नज़र बन्दी कर दी (कि सब सापँ मालूम होने लगे) और लोगों को डरा दिया
007-117 और उन लोगों ने बड़ा (भारी जादू दिखा दिया और हमने मूसा के पास वही भेजी कि (बैठे क्या हो) तुम भी अपनी छड़ी डाल दो तो क्या देखते हैं कि वह छड़ी उनके बनाए हुए (झूठे साँपों को) एक एक करके निगल रही है
007-123 फिरऔन ने कहा (हाए) तुम लोग मेरी इजाज़त के क़ब्ल (पहले) उस पर ईमान ले आए ये ज़रूर तुम लोगों की मक्कारी है जो तुम लोगों ने उस शहर में फैला रखी है ताकि उसके बाशिन्दों को यहाँ से निकाल कर बाहर करो पस तुम्हें अन क़रीब ही उस शरारत का मज़ा मालूम हो जाएगा
Wa Mā Tanqimu Minnā 'Illā 'An 'Āmannā Bi'āyāti Rabbinā Lammā Jā'atnā ۚ Rabbanā 'Afrigh `Alaynā Şabrāan Wa Tawaffanā Muslimīna
007-126 तू हमसे उसके सिवा और काहे की अदावत रखता है कि जब हमारे पास ख़ुदा की निशानियाँ आयी तो हम उन पर ईमान लाए (और अब तो हमारी ये दुआ है कि) ऐ हमारे परवरदिगार हम पर सब्र (का मेंह बरसा)
Wa Qāla Al-Mala'u MinQawmi Fir`awna 'Atadharu Mūsá Wa Qawmahu Liyufsidū Fī Al-'Arđi Wa Yadharaka Wa 'Ālihataka ۚ Qāla Sanuqattilu 'Abnā'ahum Wa Nastaĥyī Nisā'ahum Wa 'Innā FawqahumQāhirūna
007-127 और हमने अपनी फरमाबरदारी की हालत में दुनिया से उठा ले और फिरऔन की क़ौम के चन्द सरदारों ने (फिरऔन) से कहा कि क्या आप मूसा और उसकी क़ौम को उनकी हालत पर छोड़ देंगे कि मुल्क में फ़साद करते फिरे और आपके और आपके ख़ुदाओं (की परसतिश) को छोड़ बैठें- फिरऔन कहने लगा (तुम घबराओ नहीं) हम अनक़रीब ही उनके बेटों की क़त्ल करते हैं और उनकी औरतों को (लौन्डियॉ बनाने के वास्ते) जिन्दा रखते हैं और हम तो उन पर हर तरह क़ाबू रखते हैं
Qāla Mūsá Liqawmihi Asta`īnū Billāhi Wa Aşbirū ۖ 'Inna Al-'Arđa Lillāh Yūrithuhā Man Yashā'u Min `Ibādihi Wa ۖ Al-`Āqibatu Lilmuttaqīna
007-128 (ये सुनकर) मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि (भाइयों) ख़ुदा से मदद माँगों और सब्र करो सारी ज़मीन तो ख़ुदा ही की है वह अपने बन्दों में जिसकी चाहे उसका वारिस (व मालिक) बनाए और ख़ातमा बिल ख़ैर तो सब परहेज़गार ही का है
Qālū 'Ūdhīnā MinQabli 'An Ta'tiyanā Wa Min Ba`di Mā Ji'tanā ۚ Qāla `Asá Rabbukum 'An Yuhlika `Adūwakum Wa Yastakhlifakum Fī Al-'Arđi Fayanžura Kayfa Ta`malūna
007-129 वह लोग कहने लगे कि (ऐ मूसा) तुम्हारे आने के क़ब्ल (पहले) ही से और तुम्हारे आने के बाद भी हम को तो बराबर तकलीफ ही पहुँच रही है (आख़िर कहाँ तक सब्र करें) मूसा ने कहा अनकरीब ही तुम्हारा परवरदिगार तुम्हारे दुश्मन को हलाक़ करेगा और तुम्हें (उसका जानशीन) बनाएगा फिर देखेगा कि तुम कैसा काम करते हो
Fa'idhā Jā'at/humu Al-Ĥasanatu Qālū Lanā Hadhihi ۖ Wa 'In Tuşibhum Sayyi'atun Yaţţayyarū Bimūsá Wa Man Ma`ahu~ ۗ 'Alā 'Innamā Ţā'iruhum `Inda Allāhi Wa Lakinna 'Aktharahum Lā Ya`lamūna
007-131 तो जब उन्हें कोई राहत मिलती तो कहने लगते कि ये तो हमारे लिए सज़ावार ही है और जब उन्हें कोई मुसीबत पहुँचती तो मूसा और उनके साथियों की बदशुगूनी समझते देखो उनकी बदशुगूनी तो ख़ुदा के हा (लिखी जा चुकी) थी मगर बहुतेरे लोग नही जानते हैं
Fa'arsalnā `Alayhimu Aţ-Ţūfāna Wa Al-Jarāda Wa Al-Qummala Wa Ađ-Đafādi`a Wa Ad-Dama 'Āyātin Mufaşşalātin Fāstakbarū Wa Kānū Qawmāan Mujrimīna
007-133 तब हमने उन पर (पानी को) तूफान और टिड़डियाँ और जुएं और मेंढ़कों और खून (का अज़ाब भेजा कि सब जुदा जुदा (हमारी कुदरत की) निशानियाँ थी उस पर भी वह लोग तकब्बुर ही करते रहें और वह लोग गुनेहगार तो थे ही
007-134 (और जब उन पर अज़ाब आ पड़ता तो कहने लगते कि ऐ मूसा तुम से जो ख़ुदा ने (क़बूल दुआ का) अहद किया है उसी की उम्मीद पर अपने ख़ुदा से दुआ माँगों और अगर तुमने हम से अज़ाब को टाल दिया तो हम ज़रूर भेज देगें
Wa 'Awrathnā Al-Qawma Al-Ladhīna Kānū Yustađ`afūna Mashāriqa Al-'Arđi Wa Maghāribahā Allatī Bāraknā Fīhā ۖ Wa Tammat Kalimatu Rabbika Al-Ĥusná `Alá Banī 'Isrā'īla Bimā Şabarū ۖ Wa Dammarnā Mā Kāna Yaşna`u Fir`awnu Wa Qawmuhu Wa Mā Kānū Ya`rishūna
007-137 और जिन बेचारों को ये लोग कमज़ोर समझते थे उन्हीं को (मुल्क शाम की) ज़मीन का जिसमें हमने (ज़रखेज़ होने की) बरकत दी थी उसके पूरब पश्चिम (सब) का वारिस (मालिक) बना दिया और चूंकि बनी इसराईल नें (फिरऔन के ज़ालिमों) पर सब्र किया था इसलिए तुम्हारे परवरदिगार का नेक वायदा (जो उसने बनी इसराइल से किया था) पूरा हो गया और जो कुछ फिरऔन और उसकी क़ौम के लोग करते थे और जो ऊँची ऊँची इमारते बनाते थे सब हमने बरबाद कर दी
007-138 और हमने बनी ईसराइल को दरिया के उस पार उतार दिया तो एक ऐसे लोगों पर से गुज़रे जो अपने (हाथों से बनाए हुए) बुतों की परसतिश पर जमा बैठे थे (तो उनको देख कर बनी ईसराइल से) कहने लगे ऐ मूसा जैसे उन लोगों के माबूद (बुत) हैं वैसे ही हमारे लिए भी एक माबूद बनाओ मूसा ने जवाब दिया कि तुम लोग जाहिल लोग हो
Wa 'Idh 'Anjaynākum Min 'Āli Fir`awna Yasūmūnakum Sū'a Al-`Adhābi ۖ Yuqattilūna 'Abnā'akum Wa Yastaĥyūna Nisā'akum ۚ Wa Fī Dhālikum Balā'un MinRabbikum `Ažīmun
007-141 हालॉकि उसने तुमको सारी खुदाई पर फज़ीलत दी है (ऐ बनी इसराइल वह वक्त याद करो) जब हमने तुमको फिरऔन के लोगों से नजात दी जब वह लोग तुम्हें बड़ी बड़ी तकलीफें पहुंचाते थे तुम्हारे बेटों को तो (चुन चुन कर) क़त्ल कर डालते थे और तुम्हारी औरतों को (लौन्डियॉ बनाने के वास्ते ज़िन्दा रख छोड़ते) और उसमें तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे (सब्र की) सख्त आज़माइश थी
Wa Wā`adnā Mūsá Thalāthīna Laylatan Wa 'Atmamnāhā Bi`ashrin Fatamma Mīqātu Rabbihi~ 'Arba`īna Laylatan ۚ Wa Qāla Mūsá Li'khīhi Hārūna Akhlufnī Fī Qawmī Wa 'Aşliĥ Wa Lā Tattabi` Sabīla Al-Mufsidīna
007-142 और हमने मूसा से तौरैत देने के लिए तीस रातों का वायदा किया और हमने उसमें दस रोज़ बढ़ाकर पूरा कर दिया ग़रज़ उसके परवरदिगार का वायदा चालीस रात में पूरा हो गया और (चलते वक्त) मूसा ने अपने भाई हारून कहा कि तुम मेरी क़ौम में मेरे जानशीन रहो और उनकी इसलाह करना और फसाद करने वालों के तरीक़े पर न चलना
Wa Lammā Jā'a Mūsá Limīqātinā Wa KallamahuRabbuhuQāla Rabbi 'Arinī 'Anžur 'Ilayka ۚ Qāla Lan Tarānī Wa Lakini Anžur 'Ilá Al-Jabali Fa'ini Astaqarra Makānahu Fasawfa Tarānī ۚ Falammā Tajallá Rabbuhu Liljabali Ja`alahu Dakkāan Wa Kharra Mūsá Şa`iqāan ۚ Falammā 'Afāqa Qāla Subĥānaka Tubtu 'Ilayka Wa 'Anā 'Awwalu Al-Mu'uminīna
007-143 और जब मूसा हमारा वायदा पूरा करते (कोहेतूर पर) आए और उनका परवरदिगार उनसे हम कलाम हुआ तो मूसा ने अर्ज़ किया कि ख़ुदाया तू मेझे अपनी एक झलक दिखला दे कि मैं तूझे देखँ ख़ुदा ने फरमाया तुम मुझे हरगिज़ नहीं देख सकते मगर हॉ उस पहाड़ की तरफ देखो (हम उस पर अपनी तजल्ली डालते हैं) पस अगर (पहाड़) अपनी जगह पर क़ायम रहे तो समझना कि अनक़रीब मुझे भी देख लोगे (वरना नहीं) फिर जब उनके परवरदिगार ने पहाड़ पर तजल्ली डाली तो उसको चकनाचूर कर दिया और मूसा बेहोश होकर गिर पड़े फिर जब होश में आए तो कहने लगे ख़ुदा वन्दा तू (देखने दिखाने से) पाक व पाकीज़ा है-मैने तेरी बारगाह में तौबा की और मै सब से पहले तेरी अदम रवायत का यक़ीन करता हूँ
Qāla Yā Mūsá 'Innī Aşţafaytuka `Alá An-Nāsi Birisālātī Wa Bikalāmī Fakhudh Mā 'Ātaytuka Wa Kun Mina Ash-Shākirīna
007-144 ख़ुदा ने फरमाया ऐ मूसा मैने तुमको तमाम लोगों पर अपनी पैग़म्बरी और हम कलामी (का दरजा देकर) बरगूज़ीदा किया है तब जो (किताब तौरैत) हमने तुमको अता की है उसे लो और शुक्रगुज़ार रहो
Wa Katabnā Lahu Fī Al-'Alwāĥi Min Kulli Shay'in Maw`ižatan Wa Tafşīlāan Likulli Shay'in Fakhudh/hā Biqūwatin Wa 'Mur Qawmaka Ya'khudhū Bi'aĥsanihā ۚ Sa'urīkum Dāra Al-Fāsiqīna
007-145 और हमने (तौरैत की) तख्तियों में मूसा के लिए हर तरह की नसीहत और हर चीज़ का तफसीलदार बयान लिख दिया था तो (ऐ मूसा) तुम उसे मज़बूती से तो (अमल करो) और अपनी क़ौम को हुक्म दे दो कि उसमें की अच्छी बातों पर अमल करें और बहुत जल्द तुम्हें बदकिरदारों का घर दिखा दूँगा (कि कैसे उजड़ते हैं)
007-146 जो लोग (ख़ुदा की) ज़मीन पर नाहक़ अकड़ते फिरते हैं उनको अपनी आयतों से बहुत जल्द फेर दूंगा और मै क्या फेरूंगा ख़ुदा (उसका दिल ऐसा सख्त है कि) अगर दुनिया जहॉन के सारे मौजिज़े भी देखते तो भी ये उन पर ईमान न लाएगें और (अगर) सीधा रास्ता भी देख पाएं तो भी अपनी राह न जाएगें और अगर गुमराही की राह देख लेगें तो झटपट उसको अपना तरीक़ा बना लेगें ये कजरवी इस सबब से हुई कि उन लोगों ने हमारी आयतों को झुठला दिया और उनसे ग़फलत करते रहे
Wa Al-Ladhīna Kadhdhabū Bi'āyātinā Wa Liqā'i Al-'Ākhirati Ĥabiţat 'A`māluhum ۚ Hal Yujzawna 'Illā Mā Kānū Ya`malūna
007-147 और जिन लोगों ने हमारी आयतों को और आख़िरत की हुज़ूरी को झूठलाया उनका सब किया कराया अकारत हो गया, उनको बस उन्हीं आमाल की जज़ा या सज़ा दी जाएगी जो वह करते थे
Wa Attakhadha Qawmu Mūsá Min Ba`dihi Min Ĥulīyihim `Ijlāan Jasadāan Lahu Khuwārun ۚ 'Alam Yaraw 'Annahu Lā Yukallimuhum Wa Lā Yahdīhim Sabīlāan ۘ Attakhadhūhu Wa Kānū Žālimīna
007-148 और मूसा की क़ौम ने (कोहेतूर पर) उनके जाने के बाद अपने जेवरों को (गलाकर) एक बछड़े की मूरत बनाई (यानि) एक जिस्म जिसमें गाए की सी आवाज़ थी (अफसोस) क्या उन लोगों ने इतना भी न देखा कि वह न तो उनसे बात ही कर सकता और न किसी तरह की हिदायत ही कर सकता है (खुलासा) उन लोगों ने उसे (अपनी माबूद बना लिया)
Wa Lammā Suqiţa Fī 'Aydīhim Wa Ra'aw 'AnnahumQadĐallū Qālū La'in Lam Yarĥamnā Rabbunā Wa Yaghfir Lanā Lanakūnanna Mina Al-Khāsirīna
007-149 और आप अपने ऊपर ज़ुल्म करते थे और जब वह पछताए और उन्होने अपने को यक़ीनी गुमराह देख लिया तब कहने लगे कि अगर हमारा परदिगार हम पर रहम नहीं करेगा और हमारा कुसूर न माफ़ करेगा तो हम यक़ीनी घाटा उठाने वालों में हो जाएगें
Wa Lammā Raja`a Mūsá 'Ilá Qawmihi Ghađbāna 'AsifāanQāla Bi'samā Khalaftumūnī Min Ba`dī ۖ 'A`ajiltum 'AmraRabbikum ۖ Wa 'Alqá Al-'Alwāĥa Wa 'Akhadha Bira'si 'Akhīhi Yajurruhu~ 'Ilayhi ۚ Qāla Abna 'Umma 'Inna Al-Qawma Astađ`afūnī Wa Kādū Yaqtulūnanī Falā Tushmit Biya Al-'A`dā'a Wa Lā Taj`alnī Ma`a Al-Qawmi Až-Žālimīna
007-150 और जब मूसा पलट कर अपनी क़ौम की तरफ आए तो (ये हालत देखकर) रंज व गुस्से में (अपनी क़ौम से) कहने लगे कि तुम लोगों ने मेरे बाद बहुत बुरी हरकत की-तुम लोग अपने परवरदिगार के हुक्म (मेरे आने में) किस कदर जल्दी कर बैठे और (तौरैत की) तख्तियों को फेंक दिया और अपने भाई (हारून) के सर (के बालों को पकड़ कर अपनी तर फ खींचने लगे) उस पर हारून ने कहा ऐ मेरे मांजाए (भाई) मै क्या करता क़ौम ने मुझे हक़ीर समझा और (मेरा कहना न माना) बल्कि क़रीब था कि मुझे मार डाले तो मुझ पर दुश्मनों को न हॅसवाइए और मुझे उन ज़ालिम लोगों के साथ न करार दीजिए
'Inna Al-Ladhīna Attakhadhū Al-`Ijla SayanāluhumGhađabun MinRabbihim Wa Dhillatun Fī Al-Ĥayāati Ad-Dunyā ۚ Wa Kadhalika Najzī Al-Muftarīna
007-152 बेशक जिन लोगों ने बछड़े को (अपना माबूद) बना लिया उन पर अनक़रीब ही उनके परवरदिगार की तरफ से अज़ाब नाज़िल होगा और दुनियावी ज़िन्दगी में ज़िल्लत (उसके अलावा) और हम बोहतान बॉधने वालों की ऐसी ही सज़ा करते हैं
Wa Lammā Sakata `An Mūsá Al-Ghađabu 'Akhadha Al-'Alwāĥa ۖ Wa Fī Nuskhatihā Hudan Wa Raĥmatun Lilladhīna Hum Lirabbihim Yarhabūna
007-154 और जब मूसा का गुस्सा ठण्डा हुआ तो (तौरैत) की तख्तियों को (ज़मीन से) उठा लिया और तौरैत के नुस्खे में जो लोग अपने परवरदिगार से डरते है उनके लिए हिदायत और रहमत है
Wa Akhtāra Mūsá Qawmahu Sab`īna Rajulāan Limīqātinā ۖ Falammā 'Akhadhat/humu Ar-Rajfatu Qāla Rabbi Law Shi'ta 'Ahlaktahum MinQablu Wa 'Īyāya ۖ 'Atuhlikunā Bimā Fa`ala As-Sufahā'u Minnā ۖ 'In Hiya 'Illā Fitnatuka Tuđillu Bihā Man Tashā'u Wa Tahdī Man Tashā'u ۖ 'Anta Walīyunā Fāghfir Lanā Wa Arĥamnā ۖ Wa 'Anta Khayru Al-Ghāfirīna
007-155 और मूसा ने अपनी क़ौम से हमारा वायदा पूरा करने को (कोहतूर पर ले जाने के वास्ते) सत्तर आदमियों को चुना फिर जब उनको ज़लज़ले ने आ पकड़ा तो हज़रत मूसा ने अर्ज़ किया परवरदिगार अगर तू चाहता तो मुझको और उन सबको पहले ही हलाक़ कर डालता क्या हम में से चन्द बेवकूफों की करनी की सज़ा में हमको हलाक़ करता है ये तो सिर्फ तेरी आज़माइश थी तू जिसे चाहे उसे गुमराही में छोड़ दे और जिसको चाहे हिदायत दे तू ही हमारा मालिक है तू ही हमारे कुसूर को माफ कर और हम पर रहम कर और तू तो तमाम बख्शने वालों से कहीें बेहतर है
Wa Aktub Lanā Fī Hadhihi Ad-Dunyā Ĥasanatan Wa Fī Al-'Ākhirati 'Innā Hudnā 'Ilayka ۚ Qāla `Adhābī 'Uşību Bihi Man 'Ashā'u ۖ Wa Raĥmatī Wasi`at Kulla Shay'in ۚ Fasa'aktubuhā Lilladhīna Yattaqūna Wa Yu'utūna Az-Zakāata Wa Al-Ladhīna Hum Bi'āyātinā Yu'uminūna
007-156 और तू ही इस दुनिया (फ़ानी) और आख़िरत में हमारे वास्ते भलाई के लिए लिख ले हम तेरी ही तरफ रूझू करते हैं ख़ुदा ने फरमाया जिसको मैं चाहता हूँ (मुस्तहक़ समझकर) अपना अज़ाब पहुँचा देता हूँ और मेरी रहमत हर चीज़ पर छाई हैं मै तो उसे बहुत जल्द ख़ास उन लोगों के लिए लिख दूँगा (जो बुरी बातों से) बचते रहेंगे और ज़कात दिया करेंगे और जो हमारी बातों पर ईमान रखा करेंगें
Al-Ladhīna Yattabi`ūna Ar-Rasūla An-Nabīya Al-'Ummīya Al-Ladhī Yajidūnahu Maktūbāan `Indahum Fī At-Tawrāati Wa Al-'Injīli Ya'muruhum Bil-Ma`rūfi Wa Yanhāhum `Ani Al-Munkari Wa Yuĥillu Lahumu Aţ-Ţayyibāti Wa Yuĥarrimu `Alayhimu Al-Khabā'itha Wa Yađa`u `Anhum 'Işrahum Wa Al-'Aghlāla Allatī Kānat `Alayhim ۚ Fa-Al-Ladhīna 'Āmanū Bihi Wa `Azzarūhu Wa Naşarūhu Wa Attaba`ū An-Nūra Al-Ladhī 'Unzila Ma`ahu~ ۙ 'Ūlā'ika Humu Al-Mufliĥūna
007-157 (यानि) जो लोग हमारे बनी उल उम्मी पैग़म्बर के क़दम बा क़दम चलते हैं जिस (की बशारत) को अपने हॉ तौरैत और इन्जील में लिखा हुआ पाते है (वह नबी) जो अच्छे काम का हुक्म देता है और बुरे काम से रोकता है और जो पाक व पाकीज़ा चीजे तो उन पर हलाल और नापाक गन्दी चीजे उन पर हराम कर देता है और (सख्त एहकाम का) बोझ जो उनकी गर्दन पर था और वह फन्दे जो उन पर (पड़े हुए) थे उनसे हटा देता है पस (याद रखो कि) जो लोग (नबी मोहम्मद) पर ईमान लाए और उसकी इज्ज़त की और उसकी मदद की और उस नूर (क़ुरान) की पैरवी की जो उसके साथ नाज़िल हुआ है तो यही लोग अपनी दिली मुरादे पाएंगें
Qul Yā 'Ayyuhā An-Nāsu 'Innī Rasūlu Allāhi 'Ilaykum Jamī`āan Al-Ladhī Lahu Mulku As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۖ Lā 'Ilāha 'Illā Huwa Yuĥyī Wa Yumītu ۖ Fa'āminū Billāhi Wa Rasūlihi An-Nabīyi Al-'Ummīyi Al-Ladhī Yu'uminu Billāhi Wa Kalimātihi Wa Attabi`ūhu La`allakum Tahtadūna
007-158 (ऐ रसूल) तुम (उन लोगों से) कह दो कि लोगों में तुम सब लोगों के पास उस ख़ुदा का भेजा हुआ (पैग़म्बर) हूँ जिसके लिए ख़ास सारे आसमान व ज़मीन की बादशाहत (हुकूमत) है उसके सिवा और कोई माबूद नहीं वही ज़िन्दा करता है वही मार डालता है पस (लोगों) ख़ुदा और उसके रसूल नबी उल उम्मी पर ईमान लाओ जो (ख़ुद भी) ख़ुदा पर और उसकी बातों पर (दिल से) ईमान रखता है और उसी के क़दम बा क़दम चलो ताकि तुम हिदायत पाओ
Wa Qaţţa`nāhumu Athnatay `Ashrata 'Asbāţāan 'Umamāan ۚ Wa 'Awĥaynā 'Ilá Mūsá 'IdhAstasqāhu Qawmuhu~ 'Ani Ađrib Bi`aşāka Al-Ĥajara ۖ Fānbajasat Minhu Athnatā `Ashrata `Aynāan ۖ Qad `Alima Kullu 'Unāsin Mashrabahum ۚ Wa Žallalnā `Alayhimu Al-Ghamāma Wa 'Anzalnā `Alayhimu Al-Manna Wa As-Salwá ۖ Kulū MinŢayyibāti Mā Razaqnākum ۚ Wa Mā Žalamūnā Wa Lakin Kānū 'Anfusahum Yažlimūna
007-160 और हमने बनी ईसराइल के एक एक दादा की औलाद को जुदा जुदा बारह गिरोह बना दिए और जब मूसा की क़ौम ने उनसे पानी मॉगा तो हमने उनके पास वही भेजी कि तुम अपनी छड़ी पत्थर पर मारो (छड़ी मारना था) कि उस पत्थर से पानी के बारह चश्मे फूट निकले और ऐसे साफ साफ अलग अलग कि हर क़बीले ने अपना अपना घाट मालूम कर लिया और हमने बनी ईसराइल पर अब्र (बादल) का साया किया और उन पर मन व सलवा (सी नेअमत) नाज़िल की (लोगों) जो पाक (पाकीज़ा) चीज़े तुम्हें दी हैं उन्हें (शौक़ से खाओ पियो) और उन लोगों ने (नाफरमानी करके) कुछ हमारा नहीं बिगाड़ा बल्कि अपना आप ही बिगाड़ते हैं
Wa 'IdhQīla Lahumu Askunū Hadhihi Al-Qaryata Wa Kulū Minhā Ĥaythu Shi'tum Wa Qūlū Ĥiţţatun Wa Adkhulū Al-Bāba Sujjadāan Naghfir LakumKhaţī'ātikum ۚ Sanazīdu Al-Muĥsinīna
007-161 और जब उनसे कहा गया कि उस गाँव में जाकर रहो सहो और उसके मेवों से जहाँ तुम्हारा जी चाहे (शौक़ से) खाओ (पियो) और मुँह से हुतमा कहते और सजदा करते हुए दरवाजे में दाखिल हो तो हम तुम्हारी ख़ताए बख्श देगें और नेकी करने वालों को हम कुछ ज्यादा ही देगें
007-163 और (ऐ रसूल) उनसे ज़रा उस गाँव का हाल तो पूछो जो दरिया के किनारे वाक़ऐ था जब ये लोग उनके बुज़ुर्ग शुम्बे (सनीचर) के दिन ज्यादती करने लगे कि जब उनका शुम्बे (वाला इबादत का) दिन होता तब तो मछलियाँ सिमट कर उनके सामने पानी पर उभर के आ जाती और जब उनका शुम्बा (वाला इबादत का) दिन न होता तो मछलियॉ उनके पास ही न फटकतीं और चॅूकि ये लोग बदचलन थे उस दरजे से हम भी उनकी यूं ही आज़माइश किया करते थे
Wa 'IdhQālat 'Ummatun Minhum Lima Ta`ižūna Qawmāan ۙ Al-Lahu Muhlikuhum 'Aw Mu`adhdhibuhum `AdhābāanShadīdāan ۖ Qālū Ma`dhiratan 'Ilá Rabbikum Wa La`allahum Yattaqūna
007-164 और जब उनमें से एक जमाअत ने (उन लोगों में से जो शुम्बे के दिन शिकार को मना करते थे) कहा कि जिन्हें ख़ुदा हलाक़ करना या सख्त अज़ाब में मुब्तिला करना चाहता है उन्हें (बेफायदे) क्यो नसीहत करते हो तो वह कहने लगे कि फक़त तुम्हारे परवरदिगार में (अपने को) इल्ज़ाम से बचाने के लिए यायद इसलिए कि ये लोग परहेज़गारी एख्तियार करें
007-165 फिर जब वह लोग जिस चीज़ की उन्हें नसीहत की गई थी उसे भूल गए तो हमने उनको तो तजावीज़ (नजात) दे दी जो बुरे काम से लोगों को रोकते थे और जो लोग ज़ालिम थे उनको उनकी बद चलनी की वजह से बड़े अज़ाब में गिरफ्तार किया
007-166 फिर जिस बात की उन्हें मुमानिअत (रोक) की गई थी जब उन लोगों ने उसमें सरकशी की तो हमने हुक्म दिया कि तुम ज़लील और ख़्वार (धुत्कारे) हुए बन्दर बन जाओ (और वह बन गए)
Wa 'Idh Ta'adhdhana Rabbuka Layab`athanna `Alayhim 'Ilá Yawmi Al-Qiyāmati Man Yasūmuhum Sū'a Al-`Adhābi ۗ 'Inna Rabbaka Lasarī`u Al-`Iqābi ۖ Wa 'Innahu LaghafūrunRaĥīmun
007-167 (ऐ रसूल वह वक्त याद दिलाओ) जब तुम्हारे परवरदिगार ने पुकार पुकार के (बनी ईसराइल से कह दिया था कि वह क़यामत तक उन पर ऐसे हाक़िम को मुसल्लत देखेगा जो उन्हें बुरी बुरी तकलीफें देता रहे क्योंकि) इसमें तो शक़ ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बहुत जल्द अज़ाब करने वाला है और इसमें भी शक़ नहीं कि वह बड़ा बख्शने वाला (मेहरबान) भी है
Wa Qaţţa`nāhum Fī Al-'Arđi 'Umamāan ۖ Minhumu Aş-Şāliĥūna Wa Minhum Dūna Dhālika ۖ Wa Balawnāhum Bil-Ĥasanāti Wa As-Sayyi'āti La`allahum Yarji`ūna
007-168 और हमने उनको रूए ज़मीन में गिरोह गिरोह तितिर बितिर कर दिया उनमें के कुछ लोग तो नेक हैं और कुछ लोग और तरह के (बदकार) हैं और हमने उन्हें सुख और दुख (दोनो तरह) से आज़माया ताकि वह (शरारत से) बाज़ आए
Fakhalafa Min Ba`dihimKhalfun Wa Rithū Al-Kitāba Ya'khudhūna `Arađa Hādhā Al-'Adná Wa Yaqūlūna Sayughfaru Lanā Wa 'In Ya'tihim `Arađun Mithluhu Ya'khudhūhu ۚ 'Alam Yu'ukhadh `Alayhim Mīthāqu Al-Kitābi 'An Lā Yaqūlū `Alá Allāhi 'Illā Al-Ĥaqqa Wa Darasū Mā Fīhi Wa ۗ Ad-Dāru Al-'Ākhiratu Khayrun Lilladhīna Yattaqūna ۗ 'Afalā Ta`qilūna
007-169 फिर उनके बाद कुछ जानशीन हुए जो किताब (ख़ुदा तौरैत) के तो वारिस बने (मगर लोगों के कहने से एहकामे ख़ुदा को बदलकर (उसके ऐवज़) नापाक कमीनी दुनिया के सामान ले लेते हैं (और लुत्फ तो ये है) कहते हैं कि हम तो अनक़रीब बख्श दिए जाएंगें (और जो लोग उन पर तान करते हैं) अगर उनके पास भी वैसा ही (दूसरा सामान आ जाए तो उसे ये भी न छोड़े और) ले ही लें क्या उनसे किताब (ख़ुदा तौरैत) का एहदो पैमान नहीं लिया गया था कि ख़ुदा पर सच के सिवा (झूठ कभी) नहीं कहेगें और जो कुछ उस किताब में है उन्होनें (अच्छी तरह) पढ़ लिया है और आख़िर का घर तो उन्हीं लोगों के वास्ते ख़ास है जो परहेज़गार हैं तो क्या तुम (इतना भी नहीं समझते)
Wa Al-Ladhīna Yumassikūna Bil-Kitābi Wa 'Aqāmū Aş-Şalāata 'Innā Lā Nuđī`u 'Ajra Al-Muşliĥīna
007-170 और जो लोग किताब (ख़ुदा) को मज़बूती से पकड़े हुए हैं और पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं (उन्हें उसका सवाब ज़रूर मिलेगा क्योंकि) हम हरगिज़ नेकोकारो का सवाब बरबाद नहीं करते
Wa 'Idh Nataqnā Al-Jabala Fawqahum Ka'annahu Žullatun Wa Žannū 'Annahu Wāqi`un BihimKhudhū Mā 'Ātaynākum Biqūwatin Wa Adhkurū Mā Fīhi La`allakum Tattaqūna
007-171 तो (ऐ रसूल यहूद को याद दिलाओ) जब हम ने उन (के सरों) पर पहाड़ को इस तरह लटका दिया कि गोया साएबान (छप्पर) था और वह लोग समझ चुके थे कि उन पर अब गिरा और हमने उनको हुक्म दिया कि जो कुछ हमने तुम्हें अता किया है उसे मज़बूती से पकड़ लो और जो कुछ उसमें लिखा है याद रखो ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ
Wa 'Idh 'Akhadha Rabbuka Min Banī 'Ādama MinŽuhūrihimDhurrīyatahum Wa 'Ash/hadahum `Alá 'Anfusihim 'Alastu Birabbikum ۖ Qālū Balá ۛ Shahidnā ۛ 'An Taqūlū Yawma Al-Qiyāmati 'Innā Kunnā `An Hādhā Ghāfilīna
007-172 और उसे रसूल वह वक्त भी याद (दिलाओ) जब तुम्हारे परवरदिगार ने आदम की औलाद से बस्तियों से (बाहर निकाल कर) उनकी औलाद से खुद उनके मुक़ाबले में एक़रार कर लिया (पूछा) कि क्या मैं तुम्हारा परवरदिगार नहीं हूँ तो सब के सब बोले हाँ हम उसके गवाह हैं ये हमने इसलिए कहा कि ऐसा न हो कहीं तुम क़यामत के दिन बोल उठो कि हम तो उससे बिल्कुल बे ख़बर थे
'Aw Taqūlū 'Innamā 'Ashraka 'Ābā'uunā MinQablu Wa Kunnā Dhurrīyatan Min Ba`dihim ۖ 'Afatuhlikunā Bimā Fa`ala Al-Mubţilūna
007-173 या ये कह बैठो कि (हम क्या करें) हमारे तो बाप दादाओं ही ने पहले शिर्क किया था और हम तो उनकी औलाद थे (कि) उनके बाद दुनिया में आए तो क्या हमें उन लोगों के ज़ुर्म की सज़ा में हलाक करेगा जो पहले ही बातिल कर चुके
Wa Atlu `Alayhim Naba'a Al-Ladhī 'Ātaynāhu 'Āyātinā Fānsalakha Minhā Fa'atba`ahu Ash-Shayţānu Fakāna Mina Al-Ghāwīna
007-175 और (ऐ रसूल) तुम उन लोगों को उस शख़्श का हाल पढ़ कर सुना दो जिसे हमने अपनी आयतें अता की थी फिर वह उनसे निकल भागा तो शैतान ने उसका पीछा पकड़ा और आख़िरकार वह गुमराह हो गया
Wa Law Shi'nā Larafa`nāhu Bihā Wa Lakinnahu~ 'Akhlada 'Ilá Al-'Arđi Wa Attaba`a Hawāhu ۚ Famathaluhu Kamathali Al-Kalbi 'In Taĥmil `Alayhi Yalhath 'Aw Tatruk/hu Yalhath ۚ Dhālika Mathalu Al-Qawmi Al-Ladhīna Kadhdhabū Bi'āyātinā ۚ Fāqşuşi Al-Qaşaşa La`allahum Yatafakkarūna
007-176 और अगर हम चाहें तो हम उसे उन्हें आयतों की बदौलत बुलन्द मरतबा कर देते मगर वह तो ख़ुद ही पस्ती (नीचे) की तरफ झुक पड़ा और अपनी नफसानी ख्वाहिश का ताबेदार बन बैठा तो उसकी मसल है कि अगर उसको धुत्कार दो तो भी ज़बान निकाले रहे और उसको छोड़ दो तो भी ज़बान निकले रहे ये मसल उन लोगों की है जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया तो (ऐ रसूल) ये क़िस्से उन लोगों से बयान कर दो ताकि ये लोग खुद भी ग़ौर करें
Wa LaqadDhara'nā Lijahannama Kathīrāan Mina Al-Jinni Wa Al-'Insi ۖ LahumQulūbun Lā Yafqahūna Bihā Wa Lahum 'A`yunun Lā Yubşirūna Bihā Wa Lahum 'Ādhānun Lā Yasma`ūna Bihā ۚ 'Ūlā'ika Kāl'an`āmi Bal Hum 'Ađallu ۚ 'Ūlā'ika Humu Al-Ghāfilūna
007-179 और गोया हमने (ख़ुदा) बहुतेरे जिन्नात और आदमियों को जहन्नुम के वास्ते पैदा किया और उनके दिल तो हैं (मगर कसदन) उन से देखते ही नहीं और उनके कान भी है (मगर) उनसे सुनने का काम ही नहीं लेते (खुलासा) ये लोग गोया जानवर हैं बल्कि उनसे भी कहीं गए गुज़रे हुए यही लोग (अमूर हक़) से बिल्कुल बेख़बर हैं
Wa Lillāh Al-'Asmā'u Al-Ĥusná Fād`ūhu Bihā ۖ Wa Dharū Al-Ladhīna Yulĥidūna Fī 'Asmā'ihi ۚ Sayujzawna Mā Kānū Ya`malūna
007-180 और अच्छे (अच्छे) नाम ख़ुदा ही के ख़ास हैं तो उसे उन्हीं नामों में पुकारो और जो लोग उसके नामों में कुफ्र करते हैं उन्हें (उनके हाल पर) छोड़ दो और वह बहुत जल्द अपने करतूत की सज़ाएं पाएंगें
'Awalam Yanžurū Fī Malakūti As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Mā Khalaqa Allāhu MinShay'in Wa 'An `Asá 'An Yakūna Qadi Aqtaraba 'Ajaluhum ۖ Fabi'ayyi Ĥadīthin Ba`dahu Yu'uminūna
007-185 क्या उन लोगों ने आसमान व ज़मीन की हुकूमत और ख़ुदा की पैदा की हुई चीज़ों में ग़ौर नहीं किया और न इस बात में कि यायद उनकी मौत क़रीब आ गई हो फिर इतना समझाने के बाद (भला) किस बात पर ईमान लाएंगें
007-187 (ऐ रसूल) तुमसे लोग क़यामत के बारे में पूछा करते हैं कि कहीं उसका कोई वक्त भी तय है तुम कह दो कि उसका इल्म बस फक़त पररवदिगार ही को है वही उसके वक्त मुअय्यन पर उसको ज़ाहिर कर देगा। वह सारे आसमान व ज़मीन में एक कठिन वक्त होगा वह तुम्हारे पास पस अचानक आ जाएगी तुमसे लोग इस तरह पूछते हैं गोया तुम उनसे बखूबी वाक़िफ हो तुम (साफ) कह दो कि उसका इल्म बस ख़ुदा ही को है मगर बहुतेरे लोग नहीं जानते
Qul Lā 'Amliku Linafsī Naf`āan Wa Lā Đarrāan 'Illā Mā Shā'a Allāhu ۚ Wa Law Kuntu 'A`lamu Al-Ghayba Lāstakthartu Mina Al-Khayri Wa Mā Massaniya As-Sū'u ۚ 'In 'Anā 'Illā Nadhīrun Wa Bashīrun Liqawmin Yu'uminūna
007-188 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै ख़ुद अपना आप तो एख़तियार रखता ही नहीं न नफे क़ा न ज़रर का मगर बस वही ख़ुदा जो चाहे और अगर (बग़ैर ख़ुदा के बताए) गैब को जानता होता तो यक़ीनन मै अपना बहुत सा फ़ायदा कर लेता और मुझे कभी कोई तकलीफ़ भी न पहुँचती मै तो सिर्फ ईमानदारों को (अज़ाब से डराने वाला) और वेहशत की खुशख़बरी देने वाला हँ
Huwa Al-Ladhī Khalaqakum Min Nafsin Wāĥidatin Wa Ja`ala Minhā Zawjahā Liyaskuna 'Ilayhā ۖ Falammā Taghashshāhā Ĥamalat Ĥamlāan Khafīfāan Famarrat Bihi ۖ Falammā 'Athqalat Da`awā Al-Laha Rabbahumā La'in 'Ātaytanā Şāliĥāan Lanakūnanna Mina Ash-Shākirīna
007-189 वह ख़ुदा ही तो है जिसने तुमको एक शख़्श (आदम) से पैदा किया और उसकी बची हुई मिट्टी से उसका जोड़ा भी बना डाला ताकि उसके साथ रहे सहे फिर जब इन्सान अपनी बीबी से हम बिस्तरी करता है तो बीबी एक हलके से हमल से हमला हो जाती है फिर उसे लिए चलती फिरती है फिर जब वह (ज्यादा दिन होने से बोझल हो जाती है तो दोनो (मिया बीबी) अपने परवरदिगार ख़ुदा से दुआ करने लगे कि अगर तो हमें नेक फरज़न्द अता फरमा तो हम ज़रूर तेरे शुक्रगुज़ार होगें
007-190 फिर जब ख़ुदा ने उनको नेक (फरज़न्द) अता फ़रमा दिया तो जो (औलाद) ख़ुदा ने उन्हें अता किया था लगे उसमें ख़ुदा का शरीक बनाने तो ख़ुदा (की शान) शिर्क से बहुत ऊँची है
007-193 और अगर तुम उन्हें हिदायत की तरफ बुलाओंगे भी तो ये तुम्हारी पैरवी नहीं करने के तुम्हारे वास्ते बराबर है ख्वाह (चाहे) तुम उनको बुलाओ या तुम चुपचाप बैठे रहो
007-194 बेशक वह लोग जिनकी तुम ख़ुदा को छोड़कर हाजत करते हो वह (भी) तुम्हारी तरह (ख़ुदा के) बन्दे हैं भला तुम उन्हें पुकार के देखो तो अगर तुम सच्चे हो तो वह तुम्हारी कुछ सुन लें
007-195 क्या उनके ऐसे पॉव भी हैं जिनसे चल सकें या उनके ऐसे हाथ भी हैं जिनसे (किसी चीज़ को) पकड़ सके या उनकी ऐसी ऑखे भी है जिनसे देख सकें या उनके ऐसे कान हैं जिनसे सुन सकें (ऐ रसूल उन लोगों से) कह दो कि तुम अपने बनाए हुए शरीको को बुलाओ फिर सब मिलकर मुझ पर दॉव चले फिर (मुझे) मोहलत न दो
'Inna Walīyiya Allāhu Al-Ladhī Nazzala Al-Kitāba ۖ Wa Huwa Yatawallá Aş-Şāliĥīna
007-196 (फिर देखो मेरा क्या बना सकते हो) बेशक मेरा मालिक व मुमताज़ तो बस ख़ुदा है जिस ने किताब क़ुरान को नाज़िल फरमाया और वही (अपने) नेक बन्दों का हाली (मददगार) है
Wa 'Immā Yanzaghannaka Mina Ash-Shayţāni Nazghun Fāsta`idh Billāhi~ ۚ 'Innahu Samī`un `Alīmun
007-200 अगर शैतान की तरफ से तुम्हारी (उम्मत के) दिल में किसी तरह का (वसवसा (शक) पैदा हो तो ख़ुदा से पनाह मॉगों (क्योंकि) उसमें तो शक़ ही नहीं कि वह बड़ा सुनने वाला वाक़िफकार है
Wa 'Idhā Lam Ta'tihim Bi'āyatinQālū Lawlā Ajtabaytahā ۚ Qul 'Innamā 'Attabi`u Mā Yūĥá 'Ilayya MinRabbī ۚ Hādhā Başā'iru MinRabbikum Wa Hudan Wa Raĥmatun Liqawmin Yu'uminūna
007-203 और जब तुम उनके पास कोई (ख़ास) मौजिज़ा नहीं लाते तो कहते हैं कि तुमने उसे क्यों नहीं बना लिया (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै तो बस इसी वही का पाबन्द हूँ जो मेरे परवरदिगार की तरफ से मेरे पास आती है ये (क़ुरान) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (हक़ीकत) की दलीलें हैं
Wa AdhkurRabbaka Fī Nafsika Tađarru`āan Wa Khīfatan Wa Dūna Al-Jahri Mina Al-Qawli Bil-Ghudūwi Wa Al-'Āşāli Wa Lā Takun Mina Al-Ghāfilīna
007-205 और अपने परवरदिगार को अपने जी ही में गिड़गिड़ा के और डर के और बहुत चीख़ के नहीं (धीमी) आवाज़ से सुबह व शाम याद किया करो और (उसकी याद से) ग़ाफिल बिल्कुल न हो जाओ
'Inna Al-Ladhīna `Inda Rabbika Lā Yastakbirūna `An `Ibādatihi Wa Yusabbiĥūnahu Wa Lahu Yasjudūna
007-206 बेशक जो लोग (फरिशते बग़ैरह) तुम्हारे परवरदिगार के पास मुक़र्रिब हैं और वह उसकी इबादत से सर कशी नही करते और उनकी तसबीह करते हैं और उसका सजदा करते हैं (206) सजदा