Yā 'Ayyuhā An-Nāsu Attaqū Rabbakumu Al-Ladhī Khalaqakum Min Nafsin Wāĥidatin Wa Khalaqa Minhā Zawjahā Wa Baththa Minhumā Rijālāan Kathīrāan Wa Nisā'an ۚ Wa Attaqū Allaha Al-Ladhī Tasā'alūna Bihi Wa Al-'Arĥāma ۚ 'Inna Allāha Kāna `AlaykumRaqībāan
004-001 ऐ लोगों अपने पालने वाले से डरो जिसने तुम सबको (सिर्फ) एक शख्स से पैदा किया और (वह इस तरह कि पहले) उनकी बाकी मिट्टी से उनकी बीवी (हव्वा) को पैदा किया और (सिर्फ़) उन्हीं दो (मियॉ बीवी) से बहुत से मर्द और औरतें दुनिया में फैला दिये और उस ख़ुदा से डरो जिसके वसीले से आपस में एक दूसरे से सवाल करते हो और क़तए रहम से भी डरो बेशक ख़ुदा तुम्हारी देखभाल करने वाला है
Wa 'Ātū Al-Yatāmá 'Amwālahum ۖ Wa Lā Tatabaddalū Al-Khabītha Biţ-Ţayyibi ۖ Wa Lā Ta'kulū 'Amwālahum 'Ilá 'Amwālikum ۚ 'Innahu Kāna Ĥūbāan Kabīrāan
004-002 और यतीमों को उनके माल दे दो और बुरी चीज़ (माले हराम) को भली चीज़ (माले हलाल) के बदले में न लो और उनके माल अपने मालों में मिलाकर न चख जाओ क्योंकि ये बहुत बड़ा गुनाह है
Wa 'In Khiftum 'Allā Tuqsiţū Fī Al-Yatāmá Fānkiĥū Mā Ţāba Lakum Mina An-Nisā' Mathná Wa Thulātha Wa Rubā`a ۖ Fa'in Khiftum 'Allā Ta`dilū Fawāĥidatan 'Aw Mā Malakat 'Aymānukum ۚ Dhālika 'Adná 'Allā Ta`ūlū
004-003 और अगर तुमको अन्देशा हो कि (निकाह करके) तुम यतीम लड़कियों (की रखरखाव) में इन्साफ न कर सकोगे तो और औरतों में अपनी मर्ज़ी के मवाफ़िक दो दो और तीन तीन और चार चार निकाह करो (फिर अगर तुम्हें इसका) अन्देशा हो कि (मुततइद) बीवियों में (भी) इन्साफ न कर सकोगे तो एक ही पर इक्तेफ़ा करो या जो (लोंडी) तुम्हारी ज़र ख़रीद हो (उसी पर क़नाअत करो) ये तदबीर बेइन्साफ़ी न करने की बहुत क़रीने क़यास है
Wa Lā Tu'utū As-Sufahā'a 'Amwālakumu Allatī Ja`ala Allāhu LakumQiyāmāan Wa Arzuqūhum Fīhā Wa Aksūhum Wa Qūlū LahumQawlāan Ma`rūfāan
004-005 और अपने वह माल जिनपर ख़ुदा ने तुम्हारी गुज़र न क़रार दी है बेवकूफ़ों (ना समझ यतीम) को न दे बैठो हॉ उसमें से उन्हें खिलाओ और उनको पहनाओ (तो मज़ाएक़ा नहीं) और उनसे (शौक़ से) अच्छी तरह बात करो
Wa Abtalū Al-Yatāmá Ĥattá 'Idhā Balaghū An-Nikāĥa Fa'in 'Ānastum MinhumRushdāan Fādfa`ū 'Ilayhim 'Amwālahum ۖ Wa Lā Ta'kulūhā 'Isrāfāan Wa Bidārāan 'An Yakbarū ۚ Wa Man Kāna Ghanīyāan Falyasta`fif ۖ Wa Man Kāna Faqīrāan Falya'kul Bil-Ma`rūfi ۚ Fa'idhā Dafa`tum 'Ilayhim 'Amwālahum Fa'ash/hidū `Alayhim ۚ Wa Kafá Billāhi Ĥasībāan
004-006 और यतीमों को कारोबार में लगाए रहो यहॉ तक के ब्याहने के क़ाबिल हों फिर उस वक्त तुम उन्हे (एक महीने का ख़र्च) उनके हाथ से कराके अगर होशियार पाओ तो उनका माल उनके हवाले कर दो और (ख़बरदार) ऐसा न करना कि इस ख़ौफ़ से कि कहीं ये बड़े हो जाएंगे फ़ुज़ूल ख़र्ची करके झटपट उनका माल चट कर जाओ और जो (जो वली या सरपरस्त) दौलतमन्द हो तो वह (माले यतीम अपने ख़र्च में लाने से) बचता रहे और (हॉ) जो मोहताज हो वह अलबत्ता (वाजिबी) दस्तूर के मुताबिक़ खा सकता है पस जब उनके माल उनके हवाले करने लगो तो लोगों को उनका गवाह बना लो और (यूं तो) हिसाब लेने को ख़ुदा काफ़ी ही है
Lilrrijāli Naşībun Mimmā Taraka Al-Wālidāni Wa Al-'Aqrabūna Wa Lilnnisā'i Naşībun Mimmā Taraka Al-Wālidāni Wa Al-'Aqrabūna Mimmā Qalla Minhu 'Aw Kathura ۚ Naşībāan Mafrūđāan
004-007 मॉ बाप और क़राबतदारों के तर्के में कुछ हिस्सा ख़ास मर्दों का है और उसी तरह माँ बाब और क़राबतदारो के तरके में कुछ हिस्सा ख़ास औरतों का भी है ख्वाह तर्क कम हो या ज्यादा (हर शख्स का) हिस्सा (हमारी तरफ़ से) मुक़र्रर किया हुआ है
Wa 'Idhā Ĥađara Al-Qismata 'Ūlū Al-Qurbá Wa Al-Yatāmá Wa Al-Masākīnu Fārzuqūhum Minhu Wa Qūlū LahumQawlāan Ma`rūfāan
004-008 और जब (तर्क की) तक़सीम के वक्त (वह) क़राबतदार (जिनका कोई हिस्सा नहीं) और यतीम बच्चे और मोहताज लोग आ जाएं तो उन्हे भी कुछ उसमें से दे दो और उसे अच्छी तरह (उनवाने शाइस्ता से) बात करो
Wa Līakhsha Al-Ladhīna Law Tarakū Min KhalfihimDhurrīyatanĐi`āfāan Khāfū `Alayhim Falyattaqū Allaha Wa Līaqūlū Qawlāan Sadīdāan
004-009 और उन लोगों को डरना (और ख्याल करना चाहिये) कि अगर वह लोग ख़ुद अपने बाद (नन्हे नन्हे) नातवॉ बच्चे छोड़ जाते तो उन पर (किस क़दर) तरस आता पस उनको (ग़रीब बच्चों पर सख्ती करने में) ख़ुदा से डरना चाहिये और उनसे सीधी तरह बात करना चाहिए
004-011 (मुसलमानों) ख़ुदा तुम्हारी औलाद के हक़ में तुमसे वसीयत करता है कि लड़के का हिस्सा दो लड़कियों के बराबर है और अगर (मय्यत की) औलाद में सिर्फ लड़कियॉ ही हों (दो) या (दो) से ज्यादा तो उनका (मक़र्रर हिस्सा) कुल तर्के का दो तिहाई है और अगर एक लड़की हो तो उसका आधा है और मय्यत के बाप मॉ हर एक का अगर मय्यत की कोई औलाद मौजूद न हो तो माल मुस्तरद का में से मुअय्यन (ख़ास चीज़ों में) छटा हिस्सा है और अगर मय्यत के कोई औलाद न हो और उसके सिर्फ मॉ बाप ही वारिस हों तो मॉ का मुअय्यन (ख़ास चीज़ों में) एक तिहाई हिस्सा तय है और बाक़ी बाप का लेकिन अगर मय्यत के (हक़ीक़ी और सौतेले) भाई भी मौजूद हों तो (अगरचे उन्हें कुछ न मिले) उस वक्त मॉ का हिस्सा छठा ही होगा (और वह भी) मय्यत नें जिसके बारे में वसीयत की है उसकी तालीम और (अदाए) क़र्ज़ के बाद तुम्हारे बाप हों या बेटे तुम तो यह नहीं जानते हों कि उसमें कौन तुम्हारी नाफ़रमानी में ज्यादा क़रीब है (फिर तुम क्या दख़ल दे सकते हो) हिस्सा तो सिर्फ ख़ुदा की तरफ़ से मुअय्यन होता है क्योंकि ख़ुदा तो ज़रूर हर चीज़ को जानता और तदबीर वाला है
004-012 और जो कुछ तुम्हारी बीवियां छोड़ कर (मर) जाए पस अगर उनके कोई औलाद न हो तो तुम्हारा आधा है और अगर उनके कोई औलाद हो तो जो कुछ वह तरका छोड़े उसमें से बाज़ चीज़ों में चौथाई तुम्हारा है (और वह भी) औरत ने जिसकी वसीयत की हो और (अदाए) क़र्ज़ के बाद अगर तुम्हारे कोई औलाद न हो तो तुम्हारे तरके में से तुम्हारी बीवियों का बाज़ चीज़ों में चौथाई है और अगर तुम्हारी कोई औलाद हो तो तुम्हारे तर्के में से उनका ख़ास चीज़ों में आठवॉ हिस्सा है (और वह भी) तुमने जिसके बारे में वसीयत की है उसकी तामील और (अदाए) क़र्ज़ के बाद और अगर कोई मर्द या औरत अपनी मादरजिलों (ख्याली) भाई या बहन को वारिस छोड़े तो उनमें से हर एक का ख़ास चीजों में छठा हिस्सा है और अगर उससे ज्यादा हो तो सबके सब एक ख़ास तिहाई में शरीक़ रहेंगे और (ये सब) मय्यत ने जिसके बारे में वसीयत की है उसकी तामील और (अदाए) क़र्ज क़े बाद मगर हॉ वह वसीयत (वारिसों को ख्वाह मख्वाह) नुक्सान पहुंचाने वाली न हो (तब) ये वसीयत ख़ुदा की तरफ़ से है और ख़ुदा तो हर चीज़ का जानने वाला और बुर्दबार है
Tilka Ĥudūdu Allāhi ۚ Wa Man Yuţi`i Allāha Wa Rasūlahu Yudkhilhu Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā ۚ Wa Dhalika Al-Fawzu Al-`Ažīmu
004-013 यह ख़ुदा की (मुक़र्रर की हुई) हदें हैं और ख़ुदा और रसूल की इताअत करे उसको ख़ुदा आख़ेरत में ऐसे (हर भरे) बाग़ों में पहुंचा देगा जिसके नीचे नहरें जारी होंगी और वह उनमें हमेशा (चैन से) रहेंगे और यही तो बड़ी कामयाबी है
004-015 और वह उसमें हमेशा अपना किया भुगतता रहेगा और उसके लिए बड़ी रूसवाई का अज़ाब है और तुम्हारी औरतों में से जो औरतें बदकारी करें तो उनकी बदकारी पर अपने लोगों में से चार गवाही लो और फिर अगर चारों गवाह उसकी तसदीक़ करें तो (उसकी सज़ा ये है कि) उनको घरों में बन्द रखो यहॉ तक कि मौत आ जाए या ख़ुदा उनकी कोई (दूसरी) राह निकाले
Wa Al-Ladhāni Ya'tiyānihā Minkum Fa'ādhūhumā ۖ Fa'in Tābā Wa 'Aşlaĥā Fa'a`riđū `Anhumā ۗ 'Inna Allāha Kāna TawwābāanRaĥīmāan
004-016 और तुम लोगों में से जिनसे बदकारी सरज़द हुई हो उनको मारो पीटो फिर अगर वह दोनों (अपनी हरकत से) तौबा करें और इस्लाह कर लें तो उनको छोड़ दो बेशक ख़ुदा बड़ा तौबा कुबूल करने वाला मेहरबान है
004-017 मगर ख़ुदा की बारगाह में तौबा तो सिर्फ उन्हीं लोगों की (ठीक) है जो नादानिस्ता बुरी हरकत कर बैठे (और) फिर जल्दी से तौबा कर ले तो ख़ुदा भी ऐसे लोगों की तौबा क़ुबूल कर लेता है और ख़ुदा तो बड़ा जानने वाला हकीम है
Wa Laysati At-Tawbatu Lilladhīna Ya`malūna As-Sayyi'āti Ĥattá 'Idhā Ĥađara 'Aĥadahumu Al-Mawtu Qāla 'Innī Tubtu Al-'Āna Wa Lā Al-Ladhīna Yamūtūna Wa Hum Kuffārun ۚ 'Ūlā'ika 'A`tadnā Lahum `Adhābāan 'Alīmāan
004-018 और तौबा उन लोगों के लिये (मुफ़ीद) नहीं है जो (उम्र भर) तो बुरे काम करते रहे यहॉ तक कि जब उनमें से किसी के सर पर मौत आ खड़ी हुई तो कहने लगे अब मैंने तौबा की और (इसी तरह) उन लोगों के लिए (भी तौबा) मुफ़ीद नहीं है जो कुफ़्र ही की हालत में मर गये ऐसे ही लोगों के वास्ते हमने दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है
004-019 ऐ ईमानदारों तुमको ये जायज़ नहीं कि (अपने मुरिस की) औरतों से (निकाह कर) के (ख्वाह मा ख्वाह) ज़बरदस्ती वारिस बन जाओ और जो कुछ तुमने उन्हें (शौहर के तर्के से) दिया है उसमें से कुछ (आपस से कुछ वापस लेने की नीयत से) उन्हें दूसरे के साथ (निकाह करने से) न रोको हॉ जब वह खुल्लम खुल्ला कोई बदकारी करें तो अलबत्ता रोकने में (मज़ाएक़ा (हर्ज)नहीं) और बीवियों के साथ अच्छा सुलूक करते रहो और अगर तुम किसी वजह से उन्हें नापसन्द करो (तो भी सब्र करो क्योंकि) अजब नहीं कि किसी चीज़ को तुम नापसन्द करते हो और ख़ुदा तुम्हारे लिए उसमें बहुत बेहतरी कर दे
Wa 'In 'Aradtumu Astibdāla Zawjin Makāna Zawjin Wa 'Ātaytum 'Iĥdāhunna Qinţārāan Falā Ta'khudhū Minhu Shay'āan ۚ 'Ata'khudhūnahu Buhtānāan Wa 'Ithmāan Mubīnāan
004-020 और अगर तुम एक बीवी (को तलाक़ देकर उस) की जगह दूसरी बीवी (निकाह करके) तबदील करना चाहो तो अगरचे तुम उनमें से एक को (जिसे तलाक़ देना चाहते हो) बहुत सा माल दे चुके हो तो तुम उनमें से कुछ (वापस न लो) क्या तुम्हारी यही गैरत है कि (ख्वाह मा ख्वाह) बोहतान बॉधकर या सरीही जुर्म लगाकर वापस ले लो
Wa Kayfa Ta'khudhūnahu Wa Qad 'Afđá Ba`đukum 'Ilá Ba`đin Wa 'Akhadhna Minkum Mīthāqāan Ghalīžāan
004-021 और क्या तुम उसको (वापस लोगे हालॉकि तुममें से) एक दूसरे के साथ ख़िलवत कर चुका है और बीवियॉ तुमसे (निकाह के वक्त नुक़फ़ा वगैरह का) पक्का क़रार ले चुकी हैं
Wa Lā Tankiĥū Mā Nakaĥa 'Ābā'uukum Mina An-Nisā' 'Illā Mā Qad Salafa ۚ 'Innahu Kāna Fāĥishatan Wa Maqtāan Wa Sā'a Sabīlāan
004-022 और जिन औरतों से तुम्हारे बाप दादाओं से (निकाह) जमाअ (अगरचे ज़िना) किया हो तुम उनसे निकाह न करो मगर जो हो चुका (वह तो हो चुका) वह बदकारी और ख़ुदा की नाख़ुशी की बात ज़रूर थी और बहुत बुरा तरीक़ा था
Ĥurrimat `Alaykum 'Ummahātukum Wa Banātukum Wa 'Akhawātukum Wa `Ammātukum Wa Khālātukum Wa Banātu Al-'Akhi Wa Banātu Al-'Ukhti Wa 'Ummahātukumu Al-Lātī 'Arđa`nakum Wa 'Akhawātukum Mina Ar-Rađā`ati Wa 'Ummahātu Nisā'ikum Wa Rabā'ibukumu Al-Lātī Fī Ĥujūrikum Min Nisā'ikumu Al-Lātī Dakhaltum Bihinna Fa'in Lam Takūnū Dakhaltum Bihinna Falā Junāĥa `Alaykum Wa Ĥalā'ilu 'Abnā'ikumu Al-Ladhīna Min 'Aşlābikum Wa 'An Tajma`ū Bayna Al-'Ukhtayni 'Illā Mā Qad Salafa ۗ 'Inna Allāha Kāna GhafūrāanRaĥīmāan
004-023 (मुसलमानों हसबे जेल) औरतें तुम पर हराम की गयी हैं तुम्हारी माएं (दादी नानी वगैरह सब) और तुम्हारी बेटियॉ (पोतियॉ) नवासियॉ (वगैरह) और तुम्हारी बहनें और तुम्हारी फुफियॉ और तुम्हारी ख़ालाएं और भतीजियॉ और भंजियॉ और तुम्हारी वह माएं जिन्होंने तुमको दूध पिलाया है और तुम्हारी रज़ाई (दूध शरीक) बहनें और तुम्हारी बीवीयों की माँए और वह (मादर ज़िलो) लड़कियां जो तुम्हारी गोद में परवरिश पा चुकी हो और उन औरतों (के पेट) से (पैदा हुई) हैं जिनसे तुम हमबिस्तरी कर चुके हो हाँ अगर तुमने उन बीवियों से (सिर्फ निकाह किया हो) हमबिस्तरी न की तो अलबत्ता उन मादरज़िलों (लड़कियों से) निकाह (करने में) तुम पर कुछ गुनाह नहीं है और तुम्हारे सुलबी लड़को (पोतों नवासों वगैरह) की बीवियॉ (बहुएं) और दो बहनों से एक साथ निकाह करना मगर जो हो चुका (वह माफ़ है) बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Wa Al-Muĥşanātu Mina An-Nisā' 'Illā Mā Malakat 'Aymānukum ۖ Kitāba Allāhi `Alaykum ۚ Wa 'Uĥilla Lakum Mā Warā'a Dhālikum 'An Tabtaghū Bi'amwālikum Muĥşinīna Ghayra Musāfiĥīna ۚ Famā Astamta`tum Bihi Minhunna Fa'ātūhunna 'Ujūrahunna Farīđatan ۚ Wa Lā Junāĥa `Alaykum Fīmā Tarāđaytum Bihi Min Ba`di Al-Farīđati ۚ 'Inna Allāha Kāna `Alīmāan Ĥakīmāan
004-024 और शौहरदार औरतें मगर वह औरतें जो (जिहाद में कुफ्फ़ार से) तुम्हारे कब्ज़े में आ जाएं हराम नहीं (ये) ख़ुदा का तहरीरी हुक्म (है जो) तुमपर (फ़र्ज़ किया गया) है और उन औरतों के सिवा (और औरतें) तुम्हारे लिए जायज़ हैं बशर्ते कि बदकारी व ज़िना नहीं बल्कि तुम इफ्फ़त या पाकदामिनी की ग़रज़ से अपने माल (व मेहर) के बदले (निकाह करना) चाहो हॉ जिन औरतों से तुमने मुताअ किया हो तो उन्हें जो मेहर मुअय्यन किया है दे दो और मेहर के मुक़र्रर होने के बाद अगर आपस में (कम व बेश पर) राज़ी हो जाओ तो उसमें तुमपर कुछ गुनाह नहीं है बेशक ख़ुदा (हर चीज़ से) वाक़िफ़ और मसलेहतों का पहचानने वाला है
Wa Man Lam Yastaţi` MinkumŢawlāan 'An Yankiĥa Al-Muĥşanāti Al-Mu'umināti Famin Mā Malakat 'Aymānukum Min Fatayātikumu Al-Mu'umināti Wa ۚ Allāhu 'A`lamu Bi'īmānikum ۚ Ba`đukum Min Ba`đin ۚ Fānkiĥūhunna Bi'idhni 'Ahlihinna Wa 'Ātūhunna 'Ujūrahunna Bil-Ma`rūfi Muĥşanātin Ghayra Musāfiĥātin Wa Lā Muttakhidhāti 'Akhdānin ۚ Fa'idhā 'Uĥşinna Fa'in 'Atayna Bifāĥishatin Fa`alayhinna Nişfu Mā `Alá Al-Muĥşanāti Mina Al-`Adhābi ۚ Dhālika Liman Khashiya Al-`Anata Minkum ۚ Wa 'An Taşbirū Khayrun Lakum Wa ۗ Allāhu GhafūrunRaĥīmun
004-025 और तुममें से जो शख्स आज़ाद इफ्फ़तदार औरतों से निकाह करने की माली हैसियत से क़ुदरत न रखता हो तो वह तुम्हारी उन मोमिना लौन्डियों से जो तुम्हारे कब्ज़े में हैं निकाह कर सकता है और ख़ुदा तुम्हारे ईमान से ख़ूब वाक़िफ़ है (ईमान की हैसियत से तो) तुममें एक दूसरे का हमजिन्स है पस (बे ताम्मुल) उनके मालिकों की इजाज़त से लौन्डियों से निकाह करो और उनका मेहर हुस्ने सुलूक से दे दो मगर उन्हीं (लौन्डियो) से निकाह करो जो इफ्फ़त के साथ तुम्हारी पाबन्द रहें न तो खुले आम ज़िना करना चाहें और न चोरी छिपे से आशनाई फिर जब तुम्हारी पाबन्द हो चुकी उसके बाद कोई बदकारी करे तो जो सज़ा आज़ाद बीवियों को दी जाती है उसकी आधी (सज़ा) लौन्डियों को दी जाएगी (और लौन्डियों) से निकाह कर भी सकता है तो वह शख्स जिसको ज़िना में मुब्तिला हो जाने का ख़ौफ़ हो और सब्र करे तो तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है और ख़ुदा बख्शने वाला मेहरबान है
Yurīdu Allāhu Liyubayyina Lakum Wa Yahdiyakum Sunana Al-Ladhīna MinQablikum Wa Yatūba `Alaykum Wa ۗ Allāhu `Alīmun Ĥakīmun
004-026 ख़ुदा तो ये चाहता है कि (अपने) एहकाम तुम लोगों से साफ़ साफ़ बयान कर दे और जो (अच्छे) लोग तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनके तरीक़े पर चला दे और तुम्हारी तौबा कुबूल करे और ख़ुदा तो (हर चीज़ से) वाक़िफ़ और हिकमत वाला है
Yurīdu Allāhu 'An Yukhaffifa `Ankum ۚ Wa Khuliqa Al-'Insānu Đa`īfāan
004-028 करे और जो लोग नफ़सियानी ख्वाहिश के पीछे पडे हैं वह ये चाहते हैं कि तुम लोग (राहे हक़ से) बहुत दूर हट जाओ और ख़ुदा चाहता है कि तुमसे बार में तख़फ़ीफ़ कर दें क्योंकि आदमी तो बहुत कमज़ोर पैदा किया गया है
004-029 ए ईमानवालों आपस में एक दूसरे का माल नाहक़ न खा जाया करो लेकिन (हॉ) तुम लोगों की बाहमी रज़ामन्दी से तिजारत हो (और उसमें एक दूसरे का माल हो तो मुज़ाएक़ा नहीं) और अपना गला आप घूंट के अपनी जान न दो (क्योंकि) ख़ुदा तो ज़रूर तुम्हारे हाल पर मेहरबान है
004-031 जिन कामों की तुम्हें मनाही की जाती है अगर उनमें से तुम गुनाहे कबीरा से बचते रहे तो हम तुम्हारे (सग़ीरा) गुनाहों से भी दरगुज़र करेंगे और तुमको बहुत अच्छी इज्ज़त की जगह पहुंचा देंगे
Wa Lā Tatamannaw Mā Fađđala Allāhu Bihi Ba`đakum `Alá Ba`đin ۚ Lilrrijāli Naşībun Mimmā Aktasabū ۖ Wa Lilnnisā'i Naşībun Mimmā Aktasabna ۚ Wa As'alū Allaha Min Fađlihi~ ۗ 'Inna Allāha Kāna Bikulli Shay'in `Alīmāan
004-032 और ख़ुदा ने जो तुममें से एक दूसरे पर तरजीह दी है उसकी हवस न करो (क्योंकि फ़ज़ीलत तो आमाल से है) मर्दो को अपने किए का हिस्सा है और औरतों को अपने किए का हिस्सा और ये और बात है कि तुम ख़ुदा से उसके फज़ल व करम की ख्वाहिश करो ख़ुदा तो हर चीज़े से वाक़िफ़ है
Wa Likullin Ja`alnā Mawāliya Mimmā Taraka Al-Wālidāni Wa Al-'Aqrabūna Wa ۚ Al-Ladhīna `Aqadat 'Aymānukum Fa'ātūhum Naşībahum ۚ 'Inna Allāha Kāna `Alá Kulli Shay'inShahīdāan
004-033 और मां बाप (या) और क़राबतदार (ग़रज़) तो शख्स जो तरका छोड़ जाए हमने हर एक का (वाली) वारिस मुक़र्रर कर दिया है और जिन लोगों से तुमने मुस्तहकम (पक्का) एहद किया है उनका मुक़र्रर हिस्सा भी तुम दे दो बेशक ख़ुदा तो हर चीज़ पर गवाह है
Ar-Rijālu Qawwāmūna `Alá An-Nisā' Bimā Fađđala Allāhu Ba`đahum `Alá Ba`đin Wa Bimā 'Anfaqū Min 'Amwālihim ۚ Fālşşāliĥātu Qānitātun Ĥāfižātun Lilghaybi Bimā Ĥafiža Allāhu Wa ۚ Al-Lātī Takhāfūna Nushūzahunna Fa`ižūhunna Wa Ahjurūhunna Fī Al-Mađāji`i Wa Ađribūhunna ۖ Fa'in 'Aţa`nakum Falā Tabghū `Alayhinna Sabīlāan ۗ 'Inna Allāha Kāna `Alīyāan Kabīrāan
004-034 मर्दो का औरतों पर क़ाबू है क्योंकि (एक तो) ख़ुदा ने बाज़ आदमियों (मर्द) को बाज़ अदमियों (औरत) पर फ़ज़ीलत दी है और (इसके अलावा) चूंकि मर्दो ने औरतों पर अपना माल ख़र्च किया है पस नेक बख्त बीवियॉ तो शौहरों की ताबेदारी करती हैं (और) उनके पीठ पीछे जिस तरह ख़ुदा ने हिफ़ाज़त की वह भी (हर चीज़ की) हिफ़ाज़त करती है और वह औरतें जिनके नाफरमान सरकश होने का तुम्हें अन्देशा हो तो पहले उन्हें समझाओ और (उसपर न माने तो) तुम उनके साथ सोना छोड़ दो और (इससे भी न माने तो) मारो मगर इतना कि खून न निकले और कोई अज़ो न (टूटे) पस अगर वह तुम्हारी मुतीइ हो जाएं तो तुम भी उनके नुक़सान की राह न ढूंढो ख़ुदा तो ज़रूर सबसे बरतर बुजुर्ग़ है
Wa 'In KhiftumShiqāqa Baynihimā Fāb`athū Ĥakamāan Min 'Ahlihi Wa Ĥakamāan Min 'Ahlihā 'In Yurīdā 'Işlāĥāan Yuwaffiqi Allāhu Baynahumā ۗ 'Inna Allāha Kāna `Alīmāan Khabīrāan
004-035 और ऐ हुक्काम (वक्त) अगर तुम्हें मियॉ बीवी की पूरी नाइत्तेफ़ाक़ी का तरफैन से अन्देशा हो तो एक सालिस (पन्च) मर्द के कुनबे में से एक और सालिस औरत के कुनबे में मुक़र्रर करो अगर ये दोनों सालिस दोनों में मेल करा देना चाहें तो ख़ुदा उन दोनों के दरमियान उसका अच्छा बन्दोबस्त कर देगा ख़ुदा तो बेशक वाक़िफ व ख़बरदार है
Wa A`budū Allaha Wa Lā Tushrikū Bihi Shay'āan ۖ Wa Bil-Wālidayni 'Iĥsānāan Wa Bidhī Al-Qurbá Wa Al-Yatāmá Wa Al-Masākīni Wa Al-Jāri Dhī Al-Qurbá Wa Al-Jāri Al-Junubi Wa Aş-Şāĥibi Bil-Janbi Wa Abni As-Sabīli Wa Mā Malakat 'Aymānukum ۗ 'Inna Allāha Lā Yuĥibbu Man Kāna Mukhtālāan Fakhūrāan
004-036 और ख़ुदा ही की इबादत करो और किसी को उसका शरीक न बनाओ और मॉ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों और रिश्तेदार पड़ोसियों और अजनबी पड़ोसियों और पहलू में बैठने वाले मुसाहिबों और पड़ोसियों और ज़र ख़रीद लौन्डी और गुलाम के साथ एहसान करो बेशक ख़ुदा अकड़ के चलने वालों और शेख़ीबाज़ों को दोस्त नहीं रखता
Al-Ladhīna Yabkhalūna Wa Ya'murūna An-Nāsa Bil-Bukhli Wa Yaktumūna Mā 'Ātāhumu Allāhu Min Fađlihi ۗ Wa 'A`tadnā Lilkāfirīna `Adhābāan Muhīnāan
004-037 ये वह लोग हैं जो ख़ुद तो बुख्ल करते ही हैं और लोगों को भी बुख्ल का हुक्म देते हैं और जो माल ख़ुदा ने अपने फ़ज़ल व (करम) से उन्हें दिया है उसे छिपाते हैं और हमने तो कुफ़राने नेअमत करने वालों के वास्ते सख्त ज़िल्लत का अज़ाब तैयार कर रखा है
Wa Al-Ladhīna Yunfiqūna 'AmwālahumRi'ā'a An-Nāsi Wa Lā Yu'uminūna Billāhi Wa Lā Bil-Yawmi Al-'Ākhiri ۗ Wa Man Yakuni Ash-Shayţānu LahuQarīnāan Fasā'a Qarīnāan
004-038 और जो लोग महज़ लोगों को दिखाने के वास्ते अपने माल ख़र्च करते हैं और न खुदा ही पर ईमान रखते हैं और न रोजे आख़ेरत पर ख़ुदा भी उनके साथ नहीं क्योंकि उनका साथी तो शैतान है और जिसका साथी शैतान हो तो क्या ही बुरा साथी है
Wa Mādhā `Alayhim Law 'Āmanū Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri Wa 'Anfaqū Mimmā Razaqahumu Allāhu ۚ Wa Kāna Allāhu Bihim `Alīmāan
004-039 अगर ये लोग ख़ुदा और रोज़े आख़िरत पर ईमान लाते और जो कुछ ख़ुदा ने उन्हें दिया है उसमें से राहे ख़ुदा में ख़र्च करते तो उन पर क्या आफ़त आ जाती और ख़ुदा तो उनसे ख़ूब वाक़िफ़ है
'Inna Allāha Lā Yažlimu Mithqāla Dharratin ۖ Wa 'In Taku Ĥasanatan Yuđā`ifhā Wa Yu'uti Min Ladunhu 'Ajrāan `Ažīmāan
004-040 ख़ुदा तो हरगिज़ ज़र्रा बराबर भी ज़ुल्म नहीं करता बल्कि अगर ज़र्रा बराबर भी किसी की कोई नेकी हो तो उसको दूना करता है और अपनी तरफ़ से बड़ा सवाब अता फ़रमाता है
Fakayfa 'Idhā Ji'nā Min Kulli 'Ummatin Bishahīdin Wa Ji'nā Bika `Alá Hā'uulā' Shahīdāan
004-041 (ख़ैर दुनिया में तो जो चाहे करें) भला उस वक्त क्या हाल होगा जब हम हर गिरोह के गवाह तलब करेंगे और (मोहम्मद) तुमको उन सब पर गवाह की हैसियत में तलब करेंगे
Yawma'idhin Yawaddu Al-Ladhīna Kafarū Wa `Aşaw Ar-Rasūla Law Tusawwá Bihimu Al-'Arđu Wa Lā Yaktumūna Allāha Ĥadīthāan
004-042 उस दिन जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया और रसूल की नाफ़रमानी की ये आरज़ू करेंगे कि काश (वह पेवन्दे ख़ाक हो जाते) और उनके ऊपर से ज़मीन बराबर कर दी जाती और अफ़सोस ये लोग ख़ुदा से कोई बात उस दिन छुपा भी न सकेंगे
004-043 ऐ ईमानदारों तुम नशे की हालत में नमाज़ के क़रीब न जाओ ताकि तुम जो कुछ मुंह से कहो समझो भी तो और न जिनाबत की हालत में यहॉ तक कि ग़ुस्ल कर लो मगर राह गुज़र में हो (और गुस्ल मुमकिन नहीं है तो अलबत्ता ज़रूरत नहीं) बल्कि अगर तुम मरीज़ हो और पानी नुक़सान करे या सफ़र में हो तुममें से किसी का पैख़ाना निकल आए या औरतों से सोहबत की हो और तुमको पानी न मयस्सर हो (कि तहारत करो) तो पाक मिट्टी पर तैमूम कर लो और (उस का तरीक़ा ये है कि) अपने मुंह और हाथों पर मिट्टी भरा हाथ फेरो तो बेशक ख़ुदा माफ़ करने वाला है (और) बख्श ने वाला है
'Alam Tara 'Ilá Al-Ladhīna 'Ūtū Naşībāan Mina Al-Kitābi Yashtarūna Ađ-Đalālata Wa Yurīdūna 'An Tađillū As-Sabīla
004-044 (ऐ रसूल) क्या तूमने उन लोगों के हाल पर नज़र नहीं की जिन्हें किताबे ख़ुदा का कुछ हिस्सा दिया गया था (मगर) वह लोग (हिदायत के बदले) गुमराही ख़रीदने लगे उनकी ऐन मुराद यह है कि तुम भी राहे रास्त से बहक जाओ
Mina Al-Ladhīna Hādū Yuĥarrifūna Al-Kalima `An Mawāđi`ihi Wa Yaqūlūna Sami`nā Wa `Aşaynā Wa Asma` Ghayra Musma`in Wa Rā`inā Layyāan Bi'alsinatihim Wa Ţa`nāan Fī Ad-Dīni ۚ Wa Law 'AnnahumQālū Sami`nā Wa 'Aţa`nā Wa Asma` Wa Anžurnā Lakāna Khayrāan Lahum Wa 'Aqwama Wa Lakin La`anahumu Allāhu Bikufrihim Falā Yu'uminūna 'Illā Qalīlāan
004-046 (ऐ रसूल) यहूद से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बातों में उनके महल व मौक़े से हेर फेर डाल देते हैं और अपनी ज़बानों को मरोड़कर और दीन पर तानाज़नी की राह से तुमसे समेअना व असैना (हमने सुना और नाफ़रमानी की) और वसमअ गैरा मुसमइन (तुम मेरी सुनो ख़ुदा तुमको न सुनवाए) राअना मेरा ख्याल करो मेरे चरवाहे कहा करते हैं और अगर वह इसके बदले समेअना व अताअना (हमने सुना और माना) और इसमाआ (मेरी सुनो) और (राअना) के एवज़ उनजुरना (हमपर निगाह रख) कहते तो उनके हक़ में कहीं बेहतर होता और बिल्कुल सीधी बात थी मगर उनपर तो उनके कुफ़्र की वजह से ख़ुदा की फ़िटकार है
004-047 पस उनमें से चन्द लोगों के सिवा और लोग ईमान ही न लाएंगे ऐ अहले किताब जो (किताब) हमने नाज़िल की है और उस (किताब) की भी तस्दीक़ करती है जो तुम्हारे पास है उस पर ईमान लाओ मगर क़ब्ल इसके कि हम कुछ लोगों के चेहरे बिगाड़कर उनके पुश्त की तरफ़ फेर दें या जिस तरह हमने असहाबे सबत (हफ्ते वालों) पर फिटकार बरसायी वैसी ही फिटकार उनपर भी करें
'Inna Allāha Lā Yaghfiru 'An Yushraka Bihi Wa Yaghfiru Mā Dūna Dhālika Liman Yashā'u ۚ Wa Man Yushrik Billāhi Faqadi Aftará 'Ithmāan `Ažīmāan
004-048 और ख़ुदा का हुक्म किया कराया हुआ काम समझो ख़ुदा उस जुर्म को तो अलबत्ता नहीं माफ़ करता कि उसके साथ शिर्क किया जाए हॉ उसके सिवा जो गुनाह हो जिसको चाहे माफ़ कर दे और जिसने (किसी को) ख़ुदा का शरीक बनाया तो उसने बड़े गुनाह का तूफान बॉधा
'Alam Tara 'Ilá Al-Ladhīna Yuzakkūna 'Anfusahum ۚ Bali Allāhu Yuzakkī Man Yashā'u Wa Lā Yužlamūna Fatīlāan
004-049 (ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर नज़र नहीं की जो आप बड़े मुक़द्दस बनते हैं (मगर उससे क्या होता है) बल्कि ख़ुदा जिसे चाहता है मुक़द्दस बनाता है और ज़ुल्म तो किसी पर धागे के बराबर हो ही गा नहीं
'Alam Tara 'Ilá Al-Ladhīna 'Ūtū Naşībāan Mina Al-Kitābi Yu'uminūna Bil-Jibti Wa Aţ-Ţāghūti Wa Yaqūlūna Lilladhīna Kafarū Hā'uulā' 'Ahdá Mina Al-Ladhīna 'Āmanū Sabīlāan
004-051 (ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के (हाल पर) नज़र नहीं की जिन्हें किताबे ख़ुदा का कुछ हिस्सा दिया गया था और (फिर) शैतान और बुतों का कलमा पढ़ने लगे और जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया है उनकी निस्बत कहने लगे कि ये तो ईमान लाने वालों से ज्यादा राहे रास्त पर हैं
'Am Yaĥsudūna An-Nāsa `Alá Mā 'Ātāhumu Allāhu Min Fađlihi ۖ Faqad 'Ātaynā 'Āla 'Ibrāhīma Al-Kitāba Wa Al-Ĥikmata Wa 'Ātaynāhum Mulkāan `Ažīmāan
004-054 या ख़ुदा ने जो अपने फ़ज़ल से (तुम) लोगों को (कुरान) अता फ़रमाया है इसके रश्क पर चले जाते हैं (तो उसका क्या इलाज है) हमने तो इबराहीम की औलाद को किताब और अक्ल की बातें अता फ़रमायी हैं और उनको बहुत बड़ी सल्तनत भी दी
004-056 (याद रहे) कि जिन लोगों ने हमारी आयतों से इन्कार किया उन्हें ज़रूर अनक़रीब जहन्नुम की आग में झोंक देंगे (और जब उनकी खालें जल कर) जल जाएंगी तो हम उनके लिए दूसरी खालें बदल कर पैदा करे देंगे ताकि वह अच्छी तरह अज़ाब का मज़ा चखें बेशक ख़ुदा हरचीज़ पर ग़ालिब और हिकमत वाला है
Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Sanudkhiluhum Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā 'Abadāan ۖ Lahum Fīhā 'Azwājun Muţahharatun ۖ Wa NudkhiluhumŽillā Žalīlāan
004-057 और जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम किए हम उनको अनक़रीब ही (बेहिश्त के) ऐसे ऐसे (हरे भरे) बाग़ों में जा पहुंचाएंगे जिन के नीचे नहरें जारी होंगी और उनमें हमेशा रहेंगे वहां उनकी साफ़ सुथरी बीवियॉ होंगी और उन्हे घनी छॉव में ले जाकर रखेंगे
004-058 ऐ ईमानदारों ख़ुदा तुम्हें हुक्म देता है कि लोगों की अमानतें अमानत रखने वालों के हवाले कर दो और जब लोगों के बाहमी झगड़ों का फैसला करने लगो तो इन्साफ़ से फैसला करो (ख़ुदा तुमको) इसकी क्या ही अच्छी नसीहत करता है इसमें तो शक नहीं कि ख़ुदा सबकी सुनता है (और सब कुछ) देखता है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū 'Aţī`ū Allaha Wa 'Aţī`ū Ar-Rasūla Wa 'Ūlī Al-'Amri Minkum ۖ Fa'in Tanāza`tum Fī Shay'in Faruddūhu 'Ilá Allāhi Wa Ar-Rasūli 'In Kuntum Tu'uminūna Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri ۚ Dhālika Khayrun Wa 'Aĥsanu Ta'wīlāan
004-059 ऐ ईमानदारों ख़ुदा की इताअत करो और रसूल की और जो तुममें से साहेबाने हुकूमत हों उनकी इताअत करो और अगर तुम किसी बात में झगड़ा करो पस अगर तुम ख़ुदा और रोज़े आख़िरत पर ईमान रखते हो तो इस अम्र में ख़ुदा और रसूल की तरफ़ रूजू करो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है और अन्जाम की राह से बहुत अच्छा है
'Alam Tara 'Ilá Al-Ladhīna Yaz`umūna 'Annahum 'Āmanū Bimā 'Unzila 'Ilayka Wa Mā 'Unzila MinQablika Yurīdūna 'An Yataĥākamū 'Ilá Aţ-Ţāghūti Wa Qad 'Umirū 'An Yakfurū Bihi Wa Yurīdu Ash-Shayţānu 'An YuđillahumĐalālāan Ba`īdāan
004-060 (ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों की (हालत) पर नज़र नहीं की जो ये ख्याली पुलाओ पकाते हैं कि जो किताब तुझ पर नाज़िल की गयी और जो किताबें तुम से पहले नाज़िल की गयी (सब पर ईमान है) लाए और दिली तमन्ना ये है कि सरकशों को अपना हाकिम बनाएं हालॉकि उनको हुक्म दिया गया कि उसकी बात न मानें और शैतान तो यह चाहता है कि उन्हें बहका के बहुत दूर ले जाए
Wa 'Idhā Qīla Lahum Ta`ālaw 'Ilá Mā 'Anzala Allāhu Wa 'Ilá Ar-Rasūli Ra'ayta Al-Munāfiqīna Yaşuddūna `Anka Şudūdāan
004-061 और जब उनसे कहा जाता है कि ख़ुदा ने जो किताब नाज़िल की है उसकी तरफ़ और रसूल की तरफ़ रूजू करो तो तुम मुनाफ़िक़ीन को देखते हो कि तुमसे किस तरह मुंह फेर लेते हैं
004-062 कि जब उनपर उनके करतूत की वजह से कोई मुसीबत पड़ती है तो क्योंकर तुम्हारे पास ख़ुदा की क़समें खाते हैं कि हमारा मतलब नेकी और मेल मिलाप के सिवा कुछ न था ये वह लोग हैं कि कुछ ख़ुदा ही उनके दिल की हालत ख़ूब जानता है
'Ūlā'ika Al-Ladhīna Ya`lamu Allāhu Mā Fī Qulūbihim Fa'a`riđ `Anhum Wa `Ižhum Wa Qul Lahum Fī 'AnfusihimQawlāan Balīghāan
004-063 पस तुम उनसे दरगुज़र करो और उनको नसीहत करो और उनसे उनके दिल में असर करने वाली बात कहो और हमने कोई रसूल नहीं भेजा मगर इस वास्ते कि ख़ुदा के हुक्म से लोग उसकी इताअत करें
Wa Mā 'Arsalnā MinRasūlin 'Illā Liyuţā`a Bi'idhni Allāhi ۚ Wa Law 'Annahum 'IdhŽalamū 'Anfusahum Jā'ūka Fāstaghfarū Allaha Wa Astaghfara Lahumu Ar-Rasūlu Lawajadū Allaha TawwābāanRaĥīmāan
004-064 और (रसूल) जब उन लोगों ने (नाफ़रमानी करके) अपनी जानों पर जुल्म किया था अगर तुम्हारे पास चले आते और ख़ुदा से माफ़ी मॉगते और रसूल (तुम) भी उनकी मग़फ़िरत चाहते तो बेशक वह लोग ख़ुदा को बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान पाते
Falā Wa Rabbika Lā Yu'uminūna Ĥattá Yuĥakkimūka Fīmā Shajara BaynahumThumma Lā Yajidū Fī 'Anfusihim Ĥarajāan Mimmā Qađayta Wa Yusallimū Taslīmāan
004-065 पस (ऐ रसूल) तुम्हारे परवरदिगार की क़सम ये लोग सच्चे मोमिन न होंगे तावक्ते क़ि अपने बाहमी झगड़ों में तुमको अपना हाकिम (न) बनाएं फिर (यही नहीं बल्कि) जो कुछ तुम फैसला करो उससे किसी तरह दिलतंग भी न हों बल्कि ख़ुशी ख़ुशी उसको मान लें
Wa Law 'Annā Katabnā `Alayhim 'Ani Aqtulū 'Anfusakum 'Aw Akhrujū Min Diyārikum Mā Fa`alūhu 'Illā Qalīlun Minhum ۖ Wa Law 'Annahum Fa`alū Mā Yū`ažūna Bihi Lakāna Khayrāan Lahum Wa 'Ashadda Tathbītāan
004-066 (इस्लामी शरीयत में तो उनका ये हाल है) और अगर हम बनी इसराइल की तरह उनपर ये हुक्म जारी कर देते कि तुम अपने आपको क़त्ल कर डालो या शहर बदर हो जाओ तो उनमें से चन्द आदमियों के सिवा ये लोग तो उसको न करते और अगर ये लोग इस बात पर अमल करते जिसकी उन्हें नसीहत की जाती है तो उनके हक़ में बहुत बेहतर होता
Wa Man Yuţi`i Allāha Wa Ar-Rasūla Fa'ūlā'ika Ma`a Al-Ladhīna 'An`ama Allāhu `Alayhim Mina An-Nabīyīna Wa Aş-Şiddīqīna Wa Ash-Shuhadā'i Wa Aş-Şāliĥīna ۚ Wa Ĥasuna 'Ūlā'ika Rafīqāan
004-069 और जिस शख्स ने ख़ुदा और रसूल की इताअत की तो ऐसे लोग उन (मक़बूल) बन्दों के साथ होंगे जिन्हें ख़ुदा ने अपनी नेअमतें दी हैं यानि अम्बिया और सिद्दीक़ीन और शोहदा और सालेहीन और ये लोग क्या ही अच्छे रफ़ीक़ हैं
004-071 ऐ ईमानवालों (जिहाद के वक्त) अपनी हिफ़ाज़त के (ज़राए) अच्छी तरह देखभाल लो फिर तुम्हें इख्तेयार है ख्वाह दस्ता दस्ता निकलो या सबके सब इकट्ठे होकर निकल खड़े हो
Wa 'Inna Minkum Laman Layubaţţi'anna Fa'in 'Aşābatkum MuşībatunQāla Qad 'An`ama Allāhu `Alayya 'Idh Lam 'Akun Ma`ahumShahīdāan
004-072 और तुममें से बाज़ ऐसे भी हैं जो (जेहाद से) ज़रूर पीछे रहेंगे फिर अगर इत्तेफ़ाक़न तुमपर कोई मुसीबत आ पड़ी तो कहने लगे ख़ुदा ने हमपर बड़ा फ़ज़ल किया कि उनमें (मुसलमानों) के साथ मौजूद न हुआ
Wa La'in 'Aşābakum Fađlun Mina Allāhi Layaqūlanna Ka'an Lam Takun Baynakum Wa Baynahu Mawaddatun Yā Laytanī Kuntu Ma`ahum Fa'afūza Fawzāan `Ažīmāan
004-073 और अगर तुमपर ख़ुदा ने फ़ज़ल किया (और दुश्मन पर ग़ालिब आए) तो इस तरह अजनबी बनके कि गोया तुममें उसमें कभी मोहब्बत ही न थी यूं कहने लगा कि ऐ काश उनके साथ होता तो मैं भी बड़ी कामयाबी हासिल करता
004-074 पस जो लोग दुनिया की ज़िन्दगी (जान तक) आख़ेरत के वास्ते दे डालने को मौजूद हैं उनको ख़ुदा की राह में जेहाद करना चाहिए और जिसने ख़ुदा की राह में जेहाद किया फिर शहीद हुआ तो गोया ग़ालिब आया तो (बहरहाल) हम तो अनक़रीब ही उसको बड़ा अज्र अता फ़रमायेंगे
Wa Mā Lakum Lā Tuqātilūna Fī Sabīli Allāhi Wa Al-Mustađ`afīna Mina Ar-Rijāli Wa An-Nisā' Wa Al-Wildāni Al-Ladhīna Yaqūlūna Rabbanā 'Akhrijnā Min Hadhihi Al-Qaryati Až-Žālimi 'Ahluhā Wa Aj`al Lanā Min Ladunka Walīyāan Wa Aj`al Lanā Min Ladunka Naşīrāan
004-075 (और मुसलमानों) तुमको क्या हो गया है कि ख़ुदा की राह में उन कमज़ोर और बेबस मर्दो और औरतों और बच्चों (को कुफ्फ़ार के पंजे से छुड़ाने) के वास्ते जेहाद नहीं करते जो (हालते मजबूरी में) ख़ुदा से दुआएं मॉग रहे हैं कि ऐ हमारे पालने वाले किसी तरह इस बस्ती (मक्का) से जिसके बाशिन्दे बड़े ज़ालिम हैं हमें निकाल और अपनी तरफ़ से किसी को हमारा सरपरस्त बना और तू ख़ुद ही किसी को अपनी तरफ़ से हमारा मददगार बना
004-076 (पस देखो) ईमानवाले तो ख़ुदा की राह में लड़ते हैं और कुफ्फ़ार शैतान की राह में लड़ते मरते हैं पस (मुसलमानों) तुम शैतान के हवा ख़ाहों से लड़ो और (कुछ परवाह न करो) क्योंकि शैतान का दाओ तो बहुत ही बोदा है
'Alam Tara 'Ilá Al-Ladhīna Qīla Lahum Kuffū 'Aydiyakum Wa 'Aqīmū Aş-Şalāata Wa 'Ātū Az-Zakāata Falammā Kutiba `Alayhimu Al-Qitālu 'Idhā Farīqun Minhum Yakhshawna An-Nāsa Kakhashyati Allāhi 'Aw 'Ashadda Khashyatan ۚ Wa Qālū Rabbanā Lima Katabta `Alaynā Al-Qitāla Lawlā 'Akhkhartanā 'Ilá 'AjalinQarībin ۗ Qul Matā`u Ad-Dunyā Qalīlun Wa Al-'Ākhiratu Khayrun Limani Attaqá Wa Lā Tužlamūna Fatīlāan
004-077 (ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों (के हाल) पर नज़र नहीं की जिनको (जेहाद की आरज़ू थी) और उनको हुक्म दिया गया था कि (अभी) अपने हाथ रोके रहो और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ो और ज़कात दिए जाओ मगर जब जिहाद (उनपर वाजिब किया गया तो) उनमें से कुछ लोग (बोदेपन में) लोगों से इस तरह डरने लगे जैसे कोई ख़ुदा से डरे बल्कि उससे कहीं ज्यादा और (घबराकर) कहने लगे ख़ुदाया तूने हमपर जेहाद क्यों वाजिब कर दिया हमको कुछ दिनों की और मोहलत क्यों न दी (ऐ रसूल) उनसे कह दो कि दुनिया की आसाइश बहुत थोड़ा सा है और जो (ख़ुदा से) डरता है उसकी आख़ेरत उससे कहीं बेहतर है
'Aynamā Takūnū Yudrikkumu Al-Mawtu Wa Law Kuntum Fī Burūjin Mushayyadatin ۗ Wa 'In Tuşibhum Ĥasanatun Yaqūlū Hadhihi Min `Indi Allāhi ۖ Wa 'In Tuşibhum Sayyi'atun Yaqūlū Hadhihi Min `Indika ۚ Qul Kullun Min `Indi Allāhi ۖ Famāli Hā'uulā' Al-Qawmi Lā Yakādūna Yafqahūna Ĥadīthāan
004-078 और वहां रेशा (बाल) बराबर भी तुम लोगों पर जुल्म नहीं किया जाएगा तुम चाहे जहॉ हो मौत तो तुमको ले डालेगी अगरचे तुम कैसे ही मज़बूत पक्के गुम्बदों में जा छुपो और उनको अगर कोई भलाई पहुंचती है तो कहने लगते हैं कि ये ख़ुदा की तरफ़ से है और अगर उनको कोई तकलीफ़ पहुंचती है तो (शरारत से) कहने लगते हैं कि (ऐ रसूल) ये तुम्हारी बदौलत है (ऐ रसूल) तुम कह दो कि सब ख़ुदा की तरफ़ से है पस उन लोगों को क्या हो गया है कि र्कोई बात ही नहीं समझते
Mā 'Aşābaka Min Ĥasanatin Famina Allāhi ۖ Wa Mā 'Aşābaka Min Sayyi'atin Famin Nafsika ۚ Wa 'Arsalnāka Lilnnāsi Rasūlāan ۚ Wa Kafá Billāhi Shahīdāan
004-079 हालॉकि (सच तो यूं है कि) जब तुमको कोई फ़ायदा पहुंचे तो (समझो कि) ख़ुदा की तरफ़ से है और जब तुमको कोई फ़ायदा पहुंचे तो (समझो कि) ख़ुद तुम्हारी बदौलत है और (ऐ रसूल) हमने तुमको लोगों के पास पैग़म्बर बनाकर भेजा है और (इसके लिए) ख़ुदा की गवाही काफ़ी है
Man Yuţi`i Ar-Rasūla Faqad 'Aţā`a Allāha ۖ Wa Man Tawallá Famā 'Arsalnāka `Alayhim Ĥafīžāan
004-080 जिसने रसूल की इताअत की तो उसने ख़ुदा की इताअत की और जिसने रूगरदानी की तो तुम कुछ ख्याल न करो (क्योंकि) हमने तुम को पासबान (मुक़र्रर) करके तो भेजा नहीं है
Wa Yaqūlūna Ţā`atun Fa'idhā Barazū Min `Indika Bayyata Ţā'ifatun MinhumGhayra Al-Ladhī Taqūlu Wa ۖ Allāhu Yaktubu Mā Yubayyitūna ۖ Fa'a`riđ `Anhum Wa Tawakkal `Alá Allāhi ۚ Wa Kafá Billāhi Wa Kīlāan
004-081 (ये लोग तुम्हारे सामने) तो कह देते हैं कि हम (आपके) फ़रमाबरदार हैं लेकिन जब तुम्हारे पास से बाहर निकले तो उनमें से कुछ लोग जो कुछ तुमसे कह चुके थे उसके ख़िलाफ़ रातों को मशवरा करते हैं हालॉकि (ये नहीं समझते) ये लोग रातों को जो कुछ भी मशवरा करते हैं उसे ख़ुदा लिखता जाता है पास तुम उन लोगों की कुछ परवाह न करो और ख़ुदा पर भरोसा रखो और ख़ुदा कारसाज़ी के लिए काफ़ी है
'Afalā Yatadabbarūna Al-Qur'āna ۚ Wa Law Kāna Min `Indi Ghayri Allāhi Lawajadū Fīhi Akhtilāfāan Kathīrāan
004-082 तो क्या ये लोग क़ुरान में भी ग़ौर नहीं करते और (ये नहीं ख्याल करते कि) अगर ख़ुदा के सिवा किसी और की तरफ़ से (आया) होता तो ज़रूर उसमें बड़ा इख्तेलाफ़ पाते
Wa 'Idhā Jā'ahum 'Amrun Mina Al-'Amni 'Awi Al-Khawfi 'Adhā`ū Bihi ۖ Wa Law Raddūhu 'Ilá Ar-Rasūli Wa 'Ilá 'Ūlī Al-'Amri Minhum La`alimahu Al-Ladhīna Yastanbiţūnahu Minhum ۗ Wa Lawlā Fađlu Allāhi `Alaykum Wa Raĥmatuhu Lāttaba`tumu Ash-Shayţāna 'Illā Qalīlāan
004-083 और जब उनके (मुसलमानों के) पास अमन या ख़ौफ़ की ख़बर आयी तो उसे फ़ौरन मशहूर कर देते हैं हालॉकि अगर वह उसकी ख़बर को रसूल (या) और ईमानदारो में से जो साहबाने हुकूमत तक पहुंचाते तो बेशक जो लोग उनमें से उसकी तहक़ीक़ करने वाले हैं (पैग़म्बर या वली) उसको समझ लेते कि (मशहूर करने की ज़रूरत है या नहीं) और (मुसलमानों) अगर तुमपर ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती तो चन्द आदमियों के सिवा तुम सबके सब शैतान की पैरवी करने लगते
Faqātil Fī Sabīli Allāhi Lā Tukallafu 'Illā Nafsaka ۚ Wa Ĥarriđi Al-Mu'uminīna ۖ `Asá Allāhu 'An Yakuffa Ba'sa Al-Ladhīna Kafarū Wa ۚ Allāhu 'Ashaddu Ba'sāan Wa 'Ashaddu Tankīlāan
004-084 पस (ऐ रसूल) तुम ख़ुदा की राह में जिहाद करो और तुम अपनी ज़ात के सिवा किसी और के ज़िम्मेदार नहीं हो और ईमानदारों को (जेहाद की) तरग़ीब दो और अनक़रीब ख़ुदा काफ़िरों की हैबत रोक देगा और ख़ुदा की हैबत सबसे ज्यादा है और उसकी सज़ा बहुत सख्त है
Man Yashfa` Shafā`atan Ĥasanatan Yakun Lahu Naşībun Minhā ۖ Wa Man Yashfa` Shafā`atan Sayyi'atan Yakun Lahu Kiflun Minhā ۗ Wa Kāna Allāhu `Alá Kulli Shay'in Muqītāan
004-085 जो शख्स अच्छे काम की सिफ़ारिश करे तो उसको भी उस काम के सवाब से कुछ हिस्सा मिलेगा और जो बुरे काम की सिफ़ारिश करे तो उसको भी उसी काम की सज़ा का कुछ हिस्सा मिलेगा और ख़ुदा तो हर चीज़ पर निगेहबान है
Al-Lahu Lā 'Ilāha 'Illā Huwa ۚ Layajma`annakum 'Ilá Yawmi Al-Qiyāmati Lā Rayba Fīhi ۗ Wa Man 'Aşdaqu Mina Allāhi Ĥadīthāan
004-087 अल्लाह तो वही परवरदिगार है जिसके सिवा कोई क़ाबिले परस्तिश नहीं वह तुमको क़यामत के दिन जिसमें ज़रा भी शक नहीं ज़रूर इकट्ठा करेगा और ख़ुदा से बढ़कर बात में सच्चा कौन होगा
Famā Lakum Fī Al-Munāfiqīna Fi'atayni Wa Allāhu 'Arkasahum Bimā Kasabū ۚ 'Aturīdūna 'An Tahdū Man 'Ađalla Allāhu ۖ Wa Man Yuđlili Allāhu Falan Tajida Lahu Sabīlāan
004-088 (मुसलमानों) फिर तुमको क्या हो गया है कि तुम मुनाफ़िक़ों के बारे में दो फ़रीक़ हो गए हो (एक मुवाफ़िक़ एक मुख़ालिफ़) हालॉकि ख़ुद ख़ुदा ने उनके करतूतों की बदौलत उनकी अक्लों को उलट पुलट दिया है क्या तुम ये चाहते हो कि जिसको ख़ुदा ने गुमराही में छोड़ दिया है तुम उसे राहे रास्त पर ले आओ हालॉकि ख़ुदा ने जिसको गुमराही में छोड़ दिया है उसके लिए तुममें से कोई शख्स रास्ता निकाल ही नहीं सकता
004-089 उन लोगों की ख्वाहिश तो ये है कि जिस तरह वह काफ़िर हो गए तुम भी काफ़िर हो जाओ ताकि तुम उनके बराबर हो जाओ पस जब तक वह ख़ुदा की राह में हिजरत न करें तो उनमें से किसी को दोस्त न बनाओ फिर अगर वह उससे भी मुंह मोड़ें तो उन्हें गिरफ्तार करो और जहॉ पाओ उनको क़त्ल करो और उनमें से किसी को न अपना दोस्त बनाओ न मददगार
004-090 मगर जो लोग किसी ऐसी क़ौम से जा मिलें कि तुममें और उनमें (सुलह का) एहद व पैमान हो चुका है या तुमसे जंग करने या अपनी क़ौम के साथ लड़ने से दिलतंग होकर तुम्हारे पास आए हों (तो उन्हें आज़ार न पहुंचाओ) और अगर ख़ुदा चाहता तो उनको तुमपर ग़लबा देता तो वह तुमसे ज़रूर लड़ पड़ते पस अगर वह तुमसे किनारा कशी करे और तुमसे न लड़े और तुम्हारे पास सुलाह का पैग़ाम दे तो तुम्हारे लिए उन लोगों पर आज़ार पहुंचाने की ख़ुदा ने कोई सबील नहीं निकाली
Satajidūna 'Ākharīna Yurīdūna 'An Ya'manūkum Wa Ya'manū Qawmahum Kulla Mā Ruddū 'Ilá Al-Fitnati 'Urkisū Fīhā ۚ Fa'in Lam Ya`tazilūkum Wa Yulqū 'Ilaykumu As-Salama Wa Yakuffū 'Aydiyahum Fakhudhūhum Wāqtulūhum Ĥaythu Thaqiftumūhum ۚ Wa 'Ūla'ikum Ja`alnā Lakum `Alayhim Sulţānāan Mubīnāan
004-091 अनक़रीब तुम कुछ ऐसे और लोगों को भी पाओगे जो चाहते हैं कि तुमसे भी अमन में रहें और अपनी क़ौम से भी अमन में रहें (मगर) जब कभी झगड़े की तरफ़ बुलाए गए तो उसमें औंधे मुंह के बल गिर पड़े पस अगर वह तुमसे न किनारा कशी करें और न तुम्हें सुलह का पैग़ाम दें और न लड़ाई से अपने हाथ रोकें पस उनको पकड़ों और जहॉ पाओ उनको क़त्ल करो और यही वह लोग हैं जिनपर हमने तुम्हें सरीही ग़लबा अता फ़रमाया
Wa Mā Kāna Limu'uminin 'An Yaqtula Mu'umināan 'Illā Khaţa'an ۚ Wa ManQatala Mu'umināan Khaţa'an Fataĥrīru Raqabatin Mu'uminatin Wa Diyatun Musallamatun 'Ilá 'Ahlihi~ 'Illā 'An Yaşşaddaqū ۚ Fa'in Kāna MinQawmin `Adūwin Lakum Wa Huwa Mu'uminun Fataĥrīru Raqabatin Mu'uminatin ۖ Wa 'In Kāna MinQawmin Baynakum Wa Baynahum Mīthāqun Fadiyatun Musallamatun 'Ilá 'Ahlihi Wa Taĥrīru Raqabatin Mu'uminatin ۖ Faman Lam Yajid Faşiyāmu Shahrayni Mutatābi`ayni Tawbatan Mina Allāhi ۗ Wa Kāna Allāhu `Alīmāan Ĥakīmāan
004-092 और किसी ईमानदार को ये जायज़ नहीं कि किसी मोमिन को जान से मार डाले मगर धोखे से (क़त्ल किया हो तो दूसरी बात है) और जो शख्स किसी मोमिन को धोखे से (भी) मार डाले तो (उसपर) एक ईमानदार गुलाम का आज़ाद करना और मक़तूल के क़राबतदारों को खूंन बहा देना (लाज़िम) है मगर जब वह लोग माफ़ करें फिर अगर मक़तूल उन लोगों में से हो वह जो तुम्हारे दुशमन (काफ़िर हरबी) हैं और ख़ुद क़ातिल मोमिन है तो (सिर्फ) एक मुसलमान ग़ुलाम का आज़ाद करना और अगर मक़तूल उन (काफ़िर) लोगों में का हो जिनसे तुम से एहद व पैमान हो चुका है तो (क़ातिल पर) वारिसे मक़तूल को ख़ून बहा देना और एक बन्दए मोमिन का आज़ाद करना (वाजिब) है फ़िर जो शख्स (ग़ुलाम आज़ाद करने को) न पाये तो उसका कुफ्फ़ारा ख़ुदा की तरफ़ से लगातार दो महीने के रोज़े हैं और ख़ुदा ख़ूब वाकिफ़कार (और) हिकमत वाला है
Wa Man Yaqtul Mu'umināan Muta`ammidāan Fajazā'uuhu Jahannamu Khālidāan Fīhā Wa Ghađiba Allāhu `Alayhi Wa La`anahu Wa 'A`adda Lahu `Adhābāan `Ažīmāan
004-093 और जो शख्स किसी मोमिन को जानबूझ के मार डाले (ग़ुलाम की आज़ादी वगैरह उसका कुफ्फ़ारा नहीं बल्कि) उसकी सज़ा दोज़क है और वह उसमें हमेशा रहेगा उसपर ख़ुदा ने (अपना) ग़ज़ब ढाया है और उसपर लानत की है और उसके लिए बड़ा सख्त अज़ाब तैयार कर रखा है
004-094 ऐ ईमानदारों जब तुम ख़ुदा की राह में (जेहाद करने को) सफ़र करो तो (किसी के क़त्ल करने में जल्दी न करो बल्कि) अच्छी तरह जॉच कर लिया करो और जो शख्स (इज़हारे इस्लाम की ग़रज़ से) तुम्हे सलाम करे तो तुम बे सोचे समझे न कह दिया करो कि तू ईमानदार नहीं है (इससे ज़ाहिर होता है) कि तुम (फ़क्त) दुनियावी आसाइश की तमन्ना रखते हो मगर इसी बहाने क़त्ल करके लूट लो और ये नहीं समझते कि (अगर यही है) तो ख़ुदा के यहॉ बहुत से ग़नीमतें हैं (मुसलमानों) पहले तुम ख़ुद भी तो ऐसे ही थे फिर ख़ुदा ने तुमपर एहसान किया (कि बेखटके मुसलमान हो गए) ग़रज़ ख़ूब छानबीन कर लिया करो बेशक ख़ुदा तुम्हारे हर काम से ख़बरदार है
Lā Yastawī Al-Qā`idūna Mina Al-Mu'uminīna Ghayru 'Ūlī Ađ-Đarari Wa Al-Mujāhidūna Fī Sabīli Allāhi Bi'amwālihim Wa 'Anfusihim ۚ Fađđala Allāhu Al-Mujāhidīna Bi'amwālihim Wa 'Anfusihim `Alá Al-Qā`idīna Darajatan ۚ Wa Kullāan Wa`ada Allāhu Al-Ĥusná ۚ Wa Fađđala Allāhu Al-Mujāhidīna `Alá Al-Qā`idīna 'Ajrāan `Ažīmāan
004-095 माज़ूर लोगों के सिवा जेहाद से मुंह छिपा के घर में बैठने वाले और ख़ुदा की राह में अपने जान व माल से जिहाद करने वाले हरगिज़ बराबर नहीं हो सकते (बल्कि) अपने जान व माल से जिहाद करने वालों को घर बैठे रहने वालें पर ख़ुदा ने दरजे के एतबार से बड़ी फ़ज़ीलत दी है (अगरचे) ख़ुदा ने सब ईमानदारों से (ख्वाह जिहाद करें या न करें) भलाई का वायदा कर लिया है मगर ग़ाज़ियों को खाना नशीनों पर अज़ीम सवाब के एतबार से ख़ुदा ने बड़ी फ़ज़ीलत दी है
004-097 बेशक जिन लोगों की क़ब्जे रूह फ़रिश्ते ने उस वक़त की है कि (दारूल हरब में पड़े) अपनी जानों पर ज़ुल्म कर रहे थे और फ़रिश्ते कब्जे रूह के बाद हैरत से कहते हैं तुम किस (हालत) ग़फ़लत में थे तो वह (माज़ेरत के लहजे में) कहते है कि हम तो रूए ज़मीन में बेकस थे तो फ़रिश्ते कहते हैं कि ख़ुदा की (ऐसी लम्बी चौड़ी) ज़मीन में इतनी सी गुन्जाइश न थी कि तुम (कहीं) हिजरत करके चले जाते पस ऐसे लोगों का ठिकाना जहन्नुम है और वह बुरा ठिकाना है
Wa Man Yuhājir Fī Sabīli Allāhi Yajid Fī Al-'Arđi Murāghamāan Kathīrāan Wa Sa`atan ۚ Wa Man Yakhruj Min Baytihi Muhājirāan 'Ilá Allāhi Wa Rasūlihi Thumma Yudrik/hu Al-Mawtu Faqad Waqa`a 'Ajruhu `Alá Allāhi ۗ Wa Kāna Allāhu GhafūrāanRaĥīmāan
004-100 और जो शख्स ख़ुदा की राह में हिजरत करेगा तो वह रूए ज़मीन में बा फ़राग़त (चैन से रहने सहने के) बहुत से कुशादा मक़ाम पाएगा और जो शख्स अपने घर से जिलावतन होके ख़ुदा और उसके रसूल की तरफ़ निकल ख़ड़ा हुआ फिर उसे (मंज़िले मक़सूद) तक पहुंचने से पहले मौत आ जाए तो ख़ुदा पर उसका सवाब लाज़िम हो गया और ख़ुदा तो बड़ा बख्श ने वाला मेहरबान है ही
004-101 (मुसलमानों जब तुम रूए ज़मीन पर सफ़र करो) और तुमको इस अम्र का ख़ौफ़ हो कि कुफ्फ़ार (असनाए नमाज़ में) तुमसे फ़साद करेंगे तो उसमें तुम्हारे वास्ते कुछ मुज़ाएक़ा नहीं कि नमाज़ में कुछ कम कर दिया करो बेशक कुफ्फ़ार तो तुम्हारे ख़ुल्लम ख़ुल्ला दुश्मन हैं
Wa 'Idhā Kunta Fīhim Fa'aqamta Lahumu Aş-Şalāata FaltaqumŢā'ifatun Minhum Ma`aka Wa Līa'khudhū 'Asliĥatahum Fa'idhā Sajadū Falyakūnū Min Warā'ikum Wa Lta'ti Ţā'ifatun 'Ukhrá Lam Yuşallū Falyuşallū Ma`aka Wa Līa'khudhū Ĥidhrahum Wa 'Asliĥatahum ۗ Wadda Al-Ladhīna Kafarū Law Taghfulūna `An 'Asliĥatikum Wa 'Amti`atikum Fayamīlūna `Alaykum Maylatan Wāĥidatan ۚ Wa Lā Junāĥa `Alaykum 'In Kāna Bikum 'Adhan Min Maţarin 'Aw Kuntum Marđá 'An Tađa`ū 'Asliĥatakum ۖ Wa Khudhū Ĥidhrakum ۗ 'Inna Allāha 'A`adda Lilkāfirīna `Adhābāan Muhīnāan
004-102 और (ऐ रसूल) तुम मुसलमानों में मौजूद हो और (लड़ाई हो रही हो) कि तुम उनको नमाज़ पढ़ाने लगो तो (दो गिरोह करके) एक को लड़ाई के वास्ते छोड़ दो (और) उनमें से एक जमाअत तुम्हारे साथ नमाज़ पढ़े और अपने हरबे तैयार अपने साथ लिए रहे फिर जब (पहली रकअत के) सजदे कर (दूसरी रकअत फुरादा पढ़) ले तो तुम्हारे पीछे पुश्त पनाह बनें और दूसरी जमाअत जो (लड़ रही थी और) जब तक नमाज़ नहीं पढ़ने पायी है और (तुम्हारी दूसरी रकअत में) तुम्हारे साथ नमाज़ पढ़े और अपनी हिफ़ाज़त की चीजे अौर अपने हथियार (नमाज़ में साथ) लिए रहे कुफ्फ़ार तो ये चाहते ही हैं कि काश अपने हथियारों और अपने साज़ व सामान से ज़रा भी ग़फ़लत करो तो एक बारगी सबके सब तुम पर टूट पड़ें हॉ अलबत्ता उसमें कुछ मुज़ाएक़ा नहीं कि (इत्तेफ़ाक़न) तुमको बारिश के सबब से कुछ तकलीफ़ पहुंचे या तुम बीमार हो तो अपने हथियार (नमाज़ में) उतार के रख दो और अपनी हिफ़ाज़त करते रहो और ख़ुदा ने तो काफ़िरों के लिए ज़िल्लत का अज़ाब तैयार कर रखा है
Fa'idhā Qađaytumu Aş-Şalāata Fādhkurū Allaha Qiyāmāan Wa Qu`ūdāan Wa `Alá Junūbikum ۚ Fa'idhā Aţma'nantum Fa'aqīmū Aş-Şalāata ۚ 'Inna Aş-Şalāata Kānat `Alá Al-Mu'uminīna Kitābāan Mawqūtāan
004-103 फिर जब तुम नमाज़ अदा कर चुको तो उठते बैठते लेटते (ग़रज़ हर हाल में) ख़ुदा को याद करो फिर जब तुम (दुश्मनों से) मुतमईन हो जाओ तो (अपने मअमूल) के मुताबिक़ नमाज़ पढ़ा करो क्योंकि नमाज़ तो ईमानदारों पर वक्त मुतय्यन करके फ़र्ज़ की गयी है
Wa Lā Tahinū Fī Abtighā'i Al-Qawmi ۖ 'In Takūnū Ta'lamūna Fa'innahum Ya'lamūna Kamā Ta'lamūna ۖ Wa Tarjūna Mina Allāhi Mā Lā Yarjūna ۗ Wa Kāna Allāhu `Alīmāan Ĥakīmāan
004-104 और (मुसलमानों) दुशमनों के पीछा करने में सुस्ती न करो अगर लड़ाई में तुमको तकलीफ़ पहुंचती है तो जैसी तुमको तकलीफ़ पहुंचती है उनको भी वैसी ही अज़ीयत होती है और (तुमको) ये भी (उम्मीद है कि) तुम ख़ुदा से वह वह उम्मीदें रखते हो जो (उनको) नसीब नहीं और ख़ुदा तो सबसे वाक़िफ़ (और) हिकमत वाला है
004-105 (ऐ रसूल) हमने तुमपर बरहक़ किताब इसलिए नाज़िल की है कि ख़ुदा ने तुम्हारी हिदायत की है उसी तरह लोगों के दरमियान फ़ैसला करो और ख्यानत करने वालों के तरफ़दार न बनो
Wa Lā Tujādil `Ani Al-Ladhīna Yakhtānūna 'Anfusahum ۚ 'Inna Allāha Lā Yuĥibbu Man Kāna Khawwānāan 'Athīmāan
004-107 और (ऐ रसूल) तुम (उन बदमाशों) की तरफ़ होकर (लोगों से) न लड़ो जो अपने ही (लोगों) से दग़ाबाज़ी करते हैं बेशक ख़ुदा ऐसे शख्स को दोस्त नहीं रखता जो दग़ाबाज़ गुनाहगार हो
Yastakhfūna Mina An-Nāsi Wa Lā Yastakhfūna Mina Allāhi Wa Huwa Ma`ahum 'Idh Yubayyitūna Mā Lā Yarđá Mina Al-Qawli ۚ Wa Kāna Allāhu Bimā Ya`malūna Muĥīţāan
004-108 लोगों से तो अपनी शरारत छुपाते हैं और (ख़ुदा से नहीं छुपा सकते) हालॉकि वह तो उस वक्त भी उनके साथ साथ है जब वह लोग रातों को (बैठकर) उन बातों के मशवरे करते हैं जिनसे ख़ुदा राज़ी नहीं और ख़ुदा तो उनकी सब करतूतों को (इल्म के अहाते में) घेरे हुए है
Hā'antum Hā'uulā' Jādaltum `Anhum Fī Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Faman Yujādilu Allāha `Anhum Yawma Al-Qiyāmati 'Am Man Yakūnu `Alayhim Wa Kīlāan
004-109 (मुसलमानों) ख़बरदार हो जाओ भला दुनिया की (ज़रा सी) ज़िन्दगी में तो तुम उनकी तरफ़ होकर लड़ने खडे हो गए (मगर ये तो बताओ) फिर क़यामत के दिन उनका तरफ़दार बनकर ख़ुदा से कौन लड़ेगा या कौन उनका वकील होगा
Wa Man Ya`mal Sū'āan 'Aw Yažlim Nafsahu Thumma Yastaghfiri Allāha Yajidi Allāha GhafūrāanRaĥīmāan
004-110 और जो शख्स कोई बुरा काम करे या (किसी तरह) अपने नफ्स पर ज़ुल्म करे उसके बाद ख़ुदा से अपनी मग़फ़िरत की दुआ मॉगे तो ख़ुदा को बड़ा बख्शने वाला मेहरबान पाएगा
Wa Lawlā Fađlu Allāhi `Alayka Wa Raĥmatuhu LahammatŢā'ifatun Minhum 'An Yuđillūka Wa Mā Yuđillūna 'Illā 'Anfusahum ۖ Wa Mā Yađurrūnaka MinShay'in ۚ Wa 'Anzala Allāhu `Alayka Al-Kitāba Wa Al-Ĥikmata Wa `Allamaka Mā Lam Takun Ta`lamu ۚ Wa Kāna Fađlu Allāhi `Alayka `Ažīmāan
004-113 और (ऐ रसूल) अगर तुमपर ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती तो उन (बदमाशों) में से एक गिरोह तुमको गुमराह करने का ज़रूर क़सद करता हालॉकि वह लोग बस अपने आप को गुमराह कर रहे हैं और यह लोग तुम्हें कुछ भी ज़रर नहीं पहुंचा सकते और ख़ुदा ही ने तो (मेहरबानी की कि) तुमपर अपनी किताब और हिकमत नाज़िल की और जो बातें तुम नहीं जानते थे तुम्हें सिखा दी और तुम पर तो ख़ुदा का बड़ा फ़ज़ल है
Lā Khayra Fī Kathīrin Min Najwāhum 'Illā Man 'Amara Bişadaqatin 'Aw Ma`rūfin 'Aw 'Işlāĥin Bayna An-Nāsi ۚ Wa Man Yaf`al Dhālika Abtighā'a Marđāati Allāhi Fasawfa Nu'utīhi 'Ajrāan `Ažīmāan
004-114 (ऐ रसूल) उनके राज़ की बातों में अक्सर में भलाई (का तो नाम तक) नहीं मगर (हॉ) जो शख्स किसी को सदक़ा देने या अच्छे काम करे या लोगों के दरमियान मेल मिलाप कराने का हुक्म दे (तो अलबत्ता एक बात है) और जो शख्स (महज़) ख़ुदा की ख़ुशनूदी की ख्वाहिश में ऐसे काम करेगा तो हम अनक़रीब ही उसे बड़ा अच्छा बदला अता फरमाएंगे
Wa Man Yushāqiqi Ar-Rasūla Min Ba`di Mā Tabayyana Lahu Al-Hudá Wa Yattabi` Ghayra Sabīli Al-Mu'uminīna Nuwallihi Mā Tawallá Wa Nuşlihi Jahannama ۖ Wa Sā'at Maşīrāan
004-115 और जो शख्स राहे रास्त के ज़ाहिर होने के बाद रसूल से सरकशी करे और मोमिनीन के तरीक़े के सिवा किसी और राह पर चले तो जिधर वह फिर गया है हम भी उधर ही फेर देंगे और (आख़िर) उसे जहन्नुम में झोंक देंगे और वह तो बहुत ही बुरा ठिकाना
'Inna Allāha Lā Yaghfiru 'An Yushraka Bihi Wa Yaghfiru Mā Dūna Dhālika Liman Yashā'u ۚ Wa Man Yushrik Billāhi FaqadĐalla Đalālāan Ba`īdāan
004-116 ख़ुदा बेशक उसको तो नहीं बख्शता कि उसका कोई और शरीक बनाया जाए हॉ उसके सिवा जो गुनाह हो जिसको चाहे बख्श दे और (माज़ अल्लाह) जिसने किसी को ख़ुदा का शरीक बनाया तो वह बस भटक के बहुत दूर जा पड़ा
'In Yad`ūna Min Dūnihi~ 'Illā 'Ināthāan Wa 'In Yad`ūna 'Illā Shayţānāan Marīdāan
004-117 मुशरेकीन ख़ुदा को छोड़कर बस औरतों ही की परसतिश करते हैं (यानी बुतों की जो उनके) ख्याल में औरतें हैं (दर हक़ीक़त) ये लोग सरकश शैतान की परसतिश करते हैं
Wa La'uđillannahum Wa La'umanniyannahum Wa La'āmurannahum Falayubattikunna 'Ādhāna Al-'An`ām Wa La'āmurannahum Falayughayyirunna Khalqa Allāhi ۚ Wa Man Yattakhidhi Ash-Shayţāna Walīyāan Min Dūni Allāhi FaqadKhasira Khusrānāan Mubīnāan
004-119 और फिर उन्हें ज़रूर गुमराह करूंगा और उन्हें बड़ी बड़ी उम्मीदें भी ज़रूर दिलाऊंगा और यक़ीनन उन्हें सिखा दूंगा फिर वो (बुतों के वास्ते) जानवरों के काम ज़रूर चीर फाड़ करेंगे और अलबत्ता उनसे कह दूंगा बस फिर वो (मेरी तालीम के मुवाफ़िक़) ख़ुदा की बनाई हुई सूरत को ज़रूर बदल डालेंगे और (ये याद रहे कि) जिसने ख़ुदा को छोड़कर शैतान को अपना सरपरस्त बनाया तो उसने खुल्लम खुल्ला सख्त घाटा उठाया
Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Sanudkhiluhum Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā 'Abadāan ۖ Wa`da Allāhi Ĥaqqāan ۚ Wa Man 'Aşdaqu Mina Allāhi Qīlāan
004-122 और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उन्हें हम अनक़रीब ही (बेहिश्त के) उन (हरे भरे) बाग़ों में जा पहुंचाएगें जिनके (दरख्तों के) नीचे नहरें जारी होंगी और ये लोग उसमें हमेशा आबादुल आबाद तक रहेंगे (ये उनसे) ख़ुदा का पक्का वायदा है और ख़ुदा से ज्यादा (अपनी) बात में सच्चा कौन होगा
Laysa Bi'amānīyikum Wa Lā 'Amānīyi 'Ahli Al-Kitābi ۗ Man Ya`mal Sū'āan Yujza Bihi Wa Lā Yajid Lahu Min Dūni Allāhi Walīyāan Wa Lā Naşīrāan
004-123 न तुम लोगों की आरज़ू से (कुछ काम चल सकता है) न अहले किताब की तमन्ना से कुछ हासिल हो सकता है बल्कि (जैसा काम वैसा दाम) जो बुरा काम करेगा उसे उसका बदला दिया जाएगा और फिर ख़ुदा के सिवा किसी को न तो अपना सरपरस्त पाएगा और न मददगार
Wa Man Ya`mal Mina Aş-Şāliĥāti MinDhakarin 'Aw 'Unthá Wa Huwa Mu'uminun Fa'ūlā'ika Yadkhulūna Al-Jannata Wa Lā Yužlamūna Naqīrāan
004-124 और जो शख्स अच्छे अच्छे काम करेगा (ख्वाह) मर्द हो या औरत और ईमानदार (भी) हो तो ऐसे लोग बेहिश्त में (बेखटके) जा पहुंचेंगे और उनपर तिल भी ज़ुल्म न किया जाएगा
Wa Man 'Aĥsanu Dīnāan Mimman 'Aslama Wajhahu Lillāh Wa Huwa Muĥsinun Wa Attaba`a Millata 'Ibrāhīma Ĥanīfāan Wa Attakhadha ۗ Allāhu 'Ibrāhīma Khalīlāan
004-125 और उस शख्स से दीन में बेहतर कौन होगा जिसने ख़ुदा के सामने अपना सरे तसलीम झुका दिया और नेको कार भी है और इबराहीम के तरीके पर चलता है जो बातिल से कतरा कर चलते थे और ख़ुदा ने इब्राहिम को तो अपना ख़लिस दोस्त बना लिया
Wa Yastaftūnaka Fī An-Nisā' ۖ Quli Allāhu Yuftīkum Fīhinna Wa Mā Yutlá `Alaykum Fī Al-Kitābi Fī Yatāmá An-Nisā' Al-Lātī Lā Tu'utūnahunna Mā Kutiba Lahunna Wa Targhabūna 'An Tankiĥūhunna Wa Al-Mustađ`afīna Mina Al-Wildāni Wa 'An Taqūmū Lilyatāmá Bil-Qisţi ۚ Wa Mā Taf`alū Min Khayrin Fa'inna Allāha Kāna Bihi `Alīmāan
004-127 (ऐ रसूल) ये लोग तुमसे (यतीम लड़कियों) से निकाह के बारे में फ़तवा तलब करते हैं तुम उनसे कह दो कि ख़ुदा तुम्हें उनसे (निकाह करने) की इजाज़त देता है और जो हुक्म मनाही का कुरान में तुम्हें (पहले) सुनाया जा चुका है वह हक़ीक़तन उन यतीम लड़कियों के वास्ते था जिन्हें तुम उनका मुअय्यन किया हुआ हक़ नहीं देते और चाहते हो (कि यूं ही) उनसे निकाह कर लो और उन कमज़ोर नातवॉ (कमजोर) बच्चों के बारे में हुक्म फ़रमाता है और (वो) ये है कि तुम यतीमों के हुक़ूक़ के बारे में इन्साफ पर क़ायम रहो और (यक़ीन रखो कि) जो कुछ तुम नेकी करोगे तो ख़ुदा ज़रूर वाक़िफ़कार है
Wa 'Ini Amra'atun Khāfat Min Ba`lihā Nushūzāan 'Aw 'I`rāđāan Falā Junāĥa `Alayhimā 'An Yuşliĥā Baynahumā Şulĥāan Wa ۚ Aş-Şulĥu Khayrun ۗ Wa 'Uĥđirati Al-'Anfusu Ash-Shuĥĥa ۚ Wa 'In Tuĥsinū Wa Tattaqū Fa'inna Allāha Kāna Bimā Ta`malūna Khabīrāan
004-128 और अगर कोई औरत अपने शौहर की ज्यादती व बेतवज्जोही से (तलाक़ का) ख़ौफ़ रखती हो तो मियॉ बीवी के बाहम किसी तरह मिलाप कर लेने में दोनों (में से किसी पर) कुछ गुनाह नहीं है और सुलह तो (बहरहाल) बेहतर है और बुख्ल से तो क़रीब क़रीब हर तबियत के हम पहलू है और अगर तुम नेकी करो और परहेजदारी करो तो ख़ुदा तुम्हारे हर काम से ख़बरदार है (वही तुमको अज्र देगा)
Wa Lan Tastaţī`ū 'An Ta`dilū Bayna An-Nisā' Wa Law Ĥaraştum ۖ Falā Tamīlū Kulla Al-Mayli Fatadharūhā Kālmu`allaqati ۚ Wa 'In Tuşliĥū Wa Tattaqū Fa'inna Allāha Kāna GhafūrāanRaĥīmāan
004-129 और अगरचे तुम बहुतेरा चाहो (लेकिन) तुममें इतनी सकत तो हरगिज़ नहीं है कि अपनी कई बीवियों में (पूरा पूरा) इन्साफ़ कर सको (मगर) ऐसा भी तो न करो कि (एक ही की तरफ़) हमातन माएल हो जाओ कि (दूसरी को अधड़ में) लटकी हुई छोड़ दो और अगर बाहम मेल कर लो और (ज्यादती से) बचे रहो तो ख़ुदा यक़ीनन बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Wa 'In Yatafarraqā Yughni Allāhu Kullā Min Sa`atihi ۚ Wa Kāna Allāhu Wāsi`āan Ĥakīmāan
004-130 और अगर दोनों मियॉ बीवी एक दूसरे से बाज़रिए तलाक़ जुदा हो जाएं तो ख़ुदा अपने वसी ख़ज़ाने से (फ़रागुल बाली अता फ़रमाकर) दोनों को (एक दूसरे से) बेनियाज़ कर देगा और ख़ुदा तो बड़ी गुन्जाइश और तदबीर वाला है और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज सब कुछ) ख़ुदा ही का है
Wa Lillāh Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi ۗ Wa Laqad Waşşaynā Al-Ladhīna 'Ūtū Al-Kitāba MinQablikum Wa 'Īyākum 'Ani Attaqū Allaha ۚ Wa 'In Takfurū Fa'inna Lillāh Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi ۚ Wa Kāna Allāhu Ghanīyāan Ĥamīdāan
004-131 और जिन लोगों को तुमसे पहले किताबे ख़ुदा अता की गयी है उनको और तुमको भी उसकी हमने वसीयत की थी कि (ख़ुदा) (की नाफ़रमानी) से डरते रहो और अगर (कहीं) तुमने कुफ़्र इख्तेयार किया तो (याद रहे कि) जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज सब कुछ) ख़ुदा ही का है (जो चाहे कर सकता है) और ख़ुदा तो सबसे बेपरवा और (हमा सिफ़त) मौसूफ़ हर हम्द वाला है
Man Kāna Yurīdu Thawāba Ad-Dunyā Fa`inda Allāhi Thawābu Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati ۚ Wa Kāna Allāhu Samī`āan Başīrāan
004-134 और जो शख्स (अपने आमाल का) बदला दुनिया ही में चाहता है तो ख़ुदा के पास दुनिया व आख़िरत दोनों का अज्र मौजूद है और ख़ुदा तो हर शख्स की सुनता और सबको देखता है
004-135 ऐ ईमानवालों मज़बूती के साथ इन्साफ़ पर क़ायम रहो और ख़ुदा के लये गवाही दो अगरचे (ये गवाही) ख़ुद तुम्हारे या तुम्हारे मॉ बाप या क़राबतदारों के लिए खिलाफ़ (ही क्यो) न हो ख्वाह मालदार हो या मोहताज (क्योंकि) ख़ुदा तो (तुम्हारी बनिस्बत) उनपर ज्यादा मेहरबान है तो तुम (हक़ से) कतराने में ख्वाहिशे नफ़सियानी की पैरवी न करो और अगर घुमा फिरा के गवाही दोगे या बिल्कुल इन्कार करोगे तो (याद रहे जैसी करनी वैसी भरनी क्योंकि) जो कुछ तुम करते हो ख़ुद उससे ख़ूब वाक़िफ़ है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū 'Āminū Billāhi Wa Rasūlihi Wa Al-Kitābi Al-Ladhī Nazzala `Alá Rasūlihi Wa Al-Kitābi Al-Ladhī 'Anzala MinQablu ۚ Wa Man Yakfur Billāhi Wa Malā'ikatihi Wa Kutubihi Wa Rusulihi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri FaqadĐalla Đalālāan Ba`īdāan
004-136 ऐ ईमानवालों ख़ुदा और उसके रसूल (मोहम्मद) पर और उसकी किताब पर जो उसने अपने रसूल (मोहम्मद) पर नाज़िल की है और उस किताब पर जो उसने पहले नाज़िल की ईमान लाओ और (ये भी याद रहे कि) जो शख्स ख़ुदा और उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों और उसके रसूलों और रोज़े आख़िरत का मुन्किर हुआ तो वह राहे रास्त से भटक के जूर जा पड़ा
004-137 बेशक जो लोग ईमान लाए उसके बाद फ़िर काफ़िर हो गए फिर ईमान लाए और फिर उसके बाद काफ़िर हो गये और कुफ़्र में बढ़ते चले गए तो ख़ुदा उनकी मग़फ़िरत करेगा और न उन्हें राहे रास्त की हिदायत ही करेगा
Wa Qad Nazzala `Alaykum Fī Al-Kitābi 'An 'Idhā Sami`tum 'Āyāti Allāhi Yukfaru Bihā Wa Yustahza'u Bihā Falā Taq`udū Ma`ahum Ĥattá Yakhūđū Fī Ĥadīthin Ghayrihi~ ۚ 'Innakum 'Idhāan Mithluhum ۗ 'Inna Allāha Jāmi`u Al-Munāfiqīna Wa Al-Kāfirīna Fī Jahannama Jamī`āan
004-140 (मुसलमानों) हालॉकि ख़ुदा तुम पर अपनी किताब कुरान में ये हुक्म नाज़िल कर चुका है कि जब तुम सुन लो कि ख़ुदा की आयतों से ईन्कार किया जाता है और उससे मसख़रापन किया जाता है तो तुम उन (कुफ्फ़ार) के साथ मत बैठो यहॉ तक कि वह किसी दूसरी बात में ग़ौर करने लगें वरना तुम भी उस वक्त उनके बराबर हो जाओगे उसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा तमाम मुनाफ़िक़ों और काफ़िरों को (एक न एक दिन) जहन्नुम में जमा ही करेगा
Al-Ladhīna Yatarabbaşūna Bikum Fa'in Kāna Lakum Fatĥun Mina Allāhi Qālū 'Alam Nakun Ma`akum Wa 'In Kāna Lilkāfirīna NaşībunQālū 'Alam Nastaĥwidh `Alaykum Wa Namna`kum Mina Al-Mu'uminīna ۚ Fa-Allāhu Yaĥkumu Baynakum Yawma Al-Qiyāmati ۗ Wa Lan Yaj`ala Allāhu Lilkāfirīna `Alá Al-Mu'uminīna Sabīlāan
004-141 (वो मुनाफ़ेकीन) जो तुम्हारे मुन्तज़िर है (कि देखिए फ़तेह होती है या शिकस्त) तो अगर ख़ुदा की तरफ़ से तुम्हें फ़तेह हुई तो कहने लगे कि क्या हम तुम्हारे साथ न थे और अगर (फ़तेह का) हिस्सा काफ़िरों को मिला तो (काफ़िरों के तरफ़दार बनकर) कहते हैं क्या हम तुमपर ग़ालिब न आ गए थे (मगर क़सदन तुमको छोड़ दिया) और तुमको मोमिनीन (के हाथों) से हमने बचाया नहीं था (मुनाफ़िक़ों) क़यामत के दिन तो ख़ुदा तुम्हारे दरमियान फैसला करेगा और ख़ुदा ने काफ़िरों को मोमिनीन पर वर (ऊँचा) रहने की हरगिज़ कोई राह नहीं क़रार दी है
'Inna Al-Munāfiqīna Yukhādi`ūna Allāha Wa Huwa Khādi`uhum Wa 'Idhā Qāmū 'Ilá Aş-Şalāati Qāmū Kusālá Yurā'ūna An-Nāsa Wa Lā Yadhkurūna Allāha 'Illā Qalīlāan
004-142 बेशक मुनाफ़िक़ीन (अपने ख्याल में) ख़ुदा को फरेब देते हैं हालॉकि ख़ुदा ख़ुद उन्हें धोखा देता है और ये लोग जब नमाज़ पढ़ने खड़े होते हैं तो (बे दिल से) अलकसाए हुए खड़े होते हैं और सिर्फ लोगों को दिखाते हैं और दिल से तो ख़ुदा को कुछ यूं ही सा याद करते हैं
Mudhabdhabīna Bayna Dhālika Lā 'Ilá Hā'uulā' Wa Lā 'Ilá Hā'uulā' ۚ Wa Man Yuđlili Allāhu Falan Tajida Lahu Sabīlāan
004-143 इस कुफ़्र व ईमान के बीच अधड़ में पड़े झूल रहे हैं न उन (मुसलमानों) की तरफ़ न उन काफ़िरों की तरफ़ और (ऐ रसूल) जिसे ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे उसकी (हिदायत की) तुम हरगिज़ सबील नहीं कर सकते
'Illā Al-Ladhīna Tābū Wa 'Aşlaĥū Wa A`taşamū Billāhi Wa 'Akhlaşū Dīnahum Lillāh Fa'ūlā'ika Ma`a Al-Mu'uminīna ۖ Wa Sawfa Yu'uti Allāhu Al-Mu'uminīna 'Ajrāan `Ažīmāan
004-146 मगर (हॉ) जिन लोगों ने (निफ़ाक़ से) तौबा कर ली और अपनी हालत दुरूस्त कर ली और ख़ुदा से लगे लिपटे रहे और अपने दीन को महज़ ख़ुदा के वास्ते निरा खरा कर लिया तो ये लोग मोमिनीन के साथ (बेहिश्त में) होंगे और मोमिनीन को ख़ुदा अनक़रीब ही बड़ा (अच्छा) बदला अता फ़रमाएगा
Lā Yuĥibbu Allāhu Al-Jahra Bis-Sū'i Mina Al-Qawli 'Illā ManŽulima ۚ Wa Kāna Allāhu Samī`āan `Alīmāan
004-148 ख़ुदा (किसी को) हॉक पुकार कर बुरा कहने को पसन्द नहीं करता मगर मज़लूम (ज़ालिम की बुराई बयान कर सकता है) और ख़ुदा तो (सबकी) सुनता है (और हर एक को) जानता है
'Inna Al-Ladhīna Yakfurūna Billāhi Wa Rusulihi Wa Yurīdūna 'An Yufarriqū Bayna Allāhi Wa Rusulihi Wa Yaqūlūna Nu'uminu Biba`đin Wa Nakfuru Biba`đin Wa Yurīdūna 'An Yattakhidhū Bayna Dhālika Sabīlāan
004-150 बेशक जो लोग ख़ुदा और उसके रसूलों से इन्कार करते हैं और ख़ुदा और उसके रसूलों में तफ़रक़ा डालना चाहते हैं और कहते हैं कि हम बाज़ (पैग़म्बरों) पर ईमान लाए हैं और बाज़ का इन्कार करते हैं और चाहते हैं कि इस (कुफ़्र व ईमान) के दरमियान एक दूसरी राह निकलें
Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Billāhi Wa Rusulihi Wa Lam Yufarriqū Bayna 'Aĥadin Minhum 'Ūlā'ika Sawfa Yu'utīhim 'Ujūrahum ۗ Wa Kāna Allāhu GhafūrāanRaĥīmāan
004-152 और जो लोग ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाए और उनमें से किसी में तफ़रक़ा नहीं करते तो ऐसे ही लोगों को ख़ुदा बहुत जल्द उनका अज्र अता फ़रमाएगा और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
004-153 (ऐ रसूल) अहले किताब (यहूदी) जो तुमसे (ये) दरख्वास्त करते हैं कि तुम उनपर एक किताब आसमान से उतरवा दो (तुम उसका ख्याल न करो क्योंकि) ये लोग मूसा से तो इससे कहीं बढ़ (बढ़) के दरख्वास्त कर चुके हैं चुनान्चे कहने लगे कि हमें ख़ुदा को खुल्लम खुल्ला दिखा दो तब उनकी शरारत की वजह से बिजली ने ले डाला फिर (बावजूद के) उन लोगों के पास तौहीद की वाजैए और रौशन (दलीलें) आ चुकी थी उसके बाद भी उन लोगों ने बछड़े को (ख़ुदा) बना लिया फिर हमने उससे भी दरगुज़र किया और मूसा को हमने सरीही ग़लबा अता किया
Wa Rafa`nā Fawqahumu Aţ-Ţūra Bimīthāqihim Wa Qulnā LahumAdkhulū Al-Bāba Sujjadāan Wa Qulnā Lahumu Lā Ta`dū Fī As-Sabti Wa 'Akhadhnā Minhum Mīthāqāan Ghalīžāan
004-154 और हमने उनके एहद व पैमान की वजह से उनके (सर) पर (कोहे) तूर को लटका दिया और हमने उनसे कहा कि (शहर के) दरवाज़े में सजदा करते हुए दाख़िल हो और हमने (ये भी) कहा कि तुम हफ्ते के दिन (हमारे हुक्म से) तजावुज़ न करना और हमने उनसे बहुत मज़बूत एहदो पैमान ले लिया
Fabimā Naqđihim Mīthāqahum Wa Kufrihim Bi'āyāti Allāhi Wa Qatlihimu Al-'Anbiyā'a Bighayri Ĥaqqin Wa QawlihimQulūbunā Ghulfun ۚ Bal Ţaba`a Allāhu `Alayhā Bikufrihim Falā Yu'uminūna 'Illā Qalīlāan
004-155 फिर उनके अपने एहद तोड़ डालने और एहकामे ख़ुदा से इन्कार करने और नाहक़ अम्बिया को क़त्ल करने और इतरा कर ये कहने की वजह से कि हमारे दिलों पर ग़िलाफ़ चढे हुए हैं (ये तो नहीं) बल्कि ख़ुदा ने उनके कुफ़्र की वजह से उनके दिलों पर मोहर कर दी है तो चन्द आदमियों के सिवा ये लोग ईमान नहीं लाते
Wa Qawlihim 'Innā Qatalnā Al-Masīĥa `Īsá Abna Maryama Rasūla Allāhi Wa Mā Qatalūhu Wa Mā Şalabūhu Wa LakinShubbiha Lahum ۚ Wa 'Inna Al-Ladhīna Akhtalafū Fīhi Lafī Shakkin Minhu ۚ Mā Lahum Bihi Min `Ilmin 'Illā Attibā`a Až-Žanni ۚ Wa Mā Qatalūhu Yaqīnāan
004-157 और उनके यह कहने की वजह से कि हमने मरियम के बेटे ईसा (स.) ख़ुदा के रसूल को क़त्ल कर डाला हालॉकि न तो उन लोगों ने उसे क़त्ल ही किया न सूली ही दी उनके लिए (एक दूसरा शख्स ईसा) से मुशाबेह कर दिया गया और जो लोग इस बारे में इख्तेलाफ़ करते हैं यक़ीनन वह लोग (उसके हालत) की तरफ़ से धोखे में (आ पड़े) हैं उनको उस (वाक़िये) की ख़बर ही नहीं मगर फ़क्त अटकल के पीछे (पड़े) हैं और ईसा को उन लोगों ने यक़ीनन क़त्ल नहीं किया
Wa 'In Min 'Ahli Al-Kitābi 'Illā Layu'uminanna BihiQabla Mawtihi ۖ Wa Yawma Al-Qiyāmati Yakūnu `AlayhimShahīdāan
004-159 और (जब ईसा मेहदी मौऊद के ज़हूर के वक्त आसमान से उतरेंगे तो) अहले किताब में से कोई शख्स ऐसा न होगा जो उनपर उनके मरने के क़ब्ल ईमान न लाए और ख़ुद ईसा क़यामत के दिन उनके ख़िलाफ़ गवाही देंगे
Fabižulmin Mina Al-Ladhīna Hādū Ĥarramnā `AlayhimŢayyibātin 'Uĥillat Lahum Wa Bişaddihim `An Sabīli Allāhi Kathīrāan
004-160 ग़रज़ यहूदियों की (उन सब) शरारतों और गुनाह की वजह से हमने उनपर वह साफ़ सुथरी चीजें ज़ो उनके लिए हलाल की गयी थीं हराम कर दी और उनके ख़ुदा की राह से बहुत से लोगों को रोकने कि वजह से भी
Wa 'Akhdhihimu Ar-Ribā Wa Qad Nuhū `Anhu Wa 'Aklihim 'Amwāla An-Nāsi Bil-Bāţili ۚ Wa 'A`tadnā Lilkāfirīna Minhum `Adhābāan 'Alīmāan
004-161 और बावजूद मुमानिअत सूद खा लेने और नाहक़ ज़बरदस्ती लोगों के माल खाने की वजह से उनमें से जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया उनके वास्ते हमने दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है
Lakini Ar-Rāsikhūna Fī Al-`Ilmi Minhum Wa Al-Mu'uminūna Yu'uminūna Bimā 'Unzila 'Ilayka Wa Mā 'Unzila MinQablika Wa ۚ Al-Muqīmīna Aş-Şalāata Wa ۚ Al-Mu'utūna Az-Zakāata Wa Al-Mu'uminūna Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri 'Ūlā'ika Sanu'utīhim 'Ajrāan `Ažīmāan
004-162 लेकिन (ऐ रसूल) उनमें से जो लोग इल्म (दीन) में बड़े मज़बूत पाए पर फ़ायज़ हैं वह और ईमान वाले तो जो (किताब) तुमपर नाज़िल हुई है (सब पर ईमान रखते हैं) और से नमाज़ पढ़ते हैं और ज़कात अदा करते हैं और ख़ुदा और रोज़े आख़ेरत का यक़ीन रखते हैं ऐसे ही लोगों को हम अनक़रीब बहुत बड़ा अज्र अता फ़रमाएंगे
'Innā 'Awĥaynā 'Ilayka Kamā 'Awĥaynā 'Ilá Nūĥin Wa An-Nabīyīna Min Ba`dihi ۚ Wa 'Awĥaynā 'Ilá 'Ibrāhīma Wa 'Ismā`īla Wa 'Isĥāqa Wa Ya`qūba Wa Al-'Asbāţi Wa `Īsá Wa 'Ayyūba Wa Yūnus Wa Hārūna Wa Sulaymāna ۚ Wa 'Ātaynā Dāwūda Zabūrāan
004-163 (ऐ रसूल) हमने तुम्हारे पास (भी) तो इसी तरह 'वही' भेजी जिस तरह नूह और उसके बाद वाले पैग़म्बरों पर भेजी थी और जिस तरह इबराहीम और इस्माइल और इसहाक़ और याक़ूब और औलादे याक़ूब व ईसा व अय्यूब व युनुस व हारून व सुलेमान के पास 'वही' भेजी थी और हमने दाऊद को ज़ुबूर अता की
Rusulāan Mubashshirīna Wa Mundhirīna Li'llā Yakūna Lilnnāsi `Alá Allāhi Ĥujjatun Ba`da Ar-Rusuli ۚ Wa Kāna Allāhu `Azīzāan Ĥakīmāan
004-165 और हमने नेक लोगों को बेहिश्त की ख़ुशख़बरी देने वाले और बुरे लोगों को अज़ाब से डराने वाले पैग़म्बर (भेजे) ताकि पैग़म्बरों के आने के बाद लोगों की ख़ुदा पर कोई हुज्जत बाक़ी न रह जाए और ख़ुदा तो बड़ा ज़बरदस्त हकीम है (ये कुफ्फ़ार नहीं मानते न मानें)
Lakini Allāhu Yash/hadu Bimā 'Anzala 'Ilayka ۖ 'Anzalahu Bi`ilmihi Wa ۖ Al-Malā'ikatu Yash/hadūna ۚ Wa Kafá Billāhi Shahīdāan
004-166 मगर ख़ुदा तो इस पर गवाही देता है जो कुछ तुम पर नाज़िल किया है ख़ूब समझ बूझ कर नाज़िल किया है (बल्कि) उसकी गवाही तो फ़रिश्ते तक देते हैं हालॉकि ख़ुदा गवाही के लिए काफ़ी है
Yā 'Ayyuhā An-Nāsu Qad Jā'akumu Ar-Rasūlu Bil-Ĥaqqi MinRabbikum Fa'āminū Khayrāan Lakum ۚ Wa 'In Takfurū Fa'inna Lillāh Mā Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۚ Wa Kāna Allāhu `Alīmāan Ĥakīmāan
004-170 ऐ लोगों तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से रसूल (मोहम्मद) दीने हक़ के साथ आ चुके हैं ईमान लाओ (यही) तुम्हारे हक़ में बेहतर है और अगर इन्कार करोगे तो (समझ रखो कि) जो कुछ ज़मीन और आसमानों में है सब ख़ुदा ही का है और ख़ुदा बड़ा वाक़िफ़कार हकीम है
Yā 'Ahla Al-Kitābi Lā Taghlū Fī Dīnikum Wa Lā Taqūlū `Alá Allāhi 'Illā Al-Ĥaqqa ۚ 'Innamā Al-Masīĥu `Īsá Abnu Maryama Rasūlu Allāhi Wa Kalimatuhu~ 'Alqāhā 'Ilá Maryama Wa Rūĥun Minhu ۖ Fa'āminū Billāhi Wa Rusulihi ۖ Wa Lā Taqūlū Thalāthatun ۚ Antahū Khayrāan Lakum ۚ 'Innamā Al-Lahu 'Ilahun Wāĥidun ۖ Subĥānahu~ 'An Yakūna Lahu Waladun ۘ Lahu Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi ۗ Wa Kafá Billāhi Wa Kīlāan
004-171 ऐ अहले किताब अपने दीन में हद (एतदाल) से तजावुज़ न करो और ख़ुदा की शान में सच के सिवा (कोई दूसरी बात) न कहो मरियम के बेटे ईसा मसीह (न ख़ुदा थे न ख़ुदा के बेटे) पस ख़ुदा के एक रसूल और उसके कलमे (हुक्म) थे जिसे ख़ुदा ने मरियम के पास भेज दिया था (कि हामला हो जा) और ख़ुदा की तरफ़ से एक जान थे पस ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाओ और तीन (ख़ुदा) के क़ायल न बनो (तसलीस से) बाज़ रहो (और) अपनी भलाई (तौहीद) का क़सद करो अल्लाह तो बस यकता माबूद है वह उस (नुक्स) से पाक व पाकीज़ा है उसका कोई लड़का हो (उसे लड़के की हाजत ही क्या है) जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब तो उसी का है और ख़ुदा तो कारसाज़ी में काफ़ी है
Lan Yastankifa Al-Masīĥu 'An Yakūna `Abdāan Lillāh Wa Lā Al-Malā'ikatu Al-Muqarrabūna ۚ Wa Man Yastankif `An `Ibādatihi Wa Yastakbir Fasayaĥshuruhum 'Ilayhi Jamī`āan
004-172 न तो मसीह ही ख़ुदा का बन्दा होने से हरगिज़ इन्कार कर सकते हैं और न (ख़ुदा के) मुक़र्रर फ़रिश्ते और (याद रहे) जो शख्स उसके बन्दा होने से इन्कार करेगा और शेख़ी करेगा तो अनक़रीब ही ख़ुदा उन सबको अपनी तरफ़ उठा लेगा (और हर एक को उसके काम की सज़ा देगा)
Fa'ammā Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Fayuwaffīhim 'Ujūrahum Wa Yazīduhum Min Fađlihi ۖ Wa 'Ammā Al-Ladhīna Astankafū Wa Astakbarū Fayu`adhdhibuhum `Adhābāan 'Alīmāan Wa Lā Yajidūna Lahum Min Dūni Allāhi Walīyāan Wa Lā Naşīrāan
004-173 पस जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया है और अच्छे (अच्छे) काम किए हैं उनका उन्हें सवाब पूरा पूरा भर देगा बल्कि अपने फ़ज़ल (व करम) से कुछ और ज्यादा ही देगा और लोग उसका बन्दा होने से इन्कार करते थे और शेख़ी करते थे उन्हें तो दर्दनाक अज़ाब में मुब्तिला करेगा और लुत्फ़ ये है कि वह लोग ख़ुदा के सिवा न अपना सरपरस्त ही पाएंगे और न मददगार
Fa'ammā Al-Ladhīna 'Āmanū Billāhi Wa A`taşamū Bihi Fasayudkhiluhum Fī Raĥmatin Minhu Wa Fađlin Wa Yahdīhim 'Ilayhi Şirāţāan Mustaqīmāan
004-175 पस जो लोग ख़ुदा पर ईमान लाए और उसी से लगे लिपटे रहे तो ख़ुदा भी उन्हें अनक़रीब ही अपनी रहमत व फ़ज़ल के सादाब बाग़ो में पहुंचा देगा और उन्हे अपने हुज़ूरी का सीधा रास्ता दिखा देगा 175
Yastaftūnaka Quli Allāhu Yuftīkum Fī Al-Kalālati ۚ 'Ini Amru'uun Halaka Laysa Lahu Waladun Wa Lahu~ 'Ukhtun Falahā Nişfu Mā Taraka ۚ Wa Huwa Yarithuhā 'In Lam Yakun Lahā Waladun ۚ Fa'in Kānatā Athnatayni Falahumā Ath-Thuluthāni Mimmā Taraka ۚ Wa 'In Kānū 'IkhwatanRijālāan Wa Nisā'an Falildhdhakari Mithlu Ĥažži Al-'Unthayayni ۗ Yubayyinu Allāhu Lakum 'An Tađillū Wa ۗ Allāhu Bikulli Shay'in `Alīmun
004-176 (ऐ रसूल) तुमसे लोग फ़तवा तलब करते हैं तुम कह दो कि कलाला (भाई बहन) के बारे में ख़ुदा तो ख़ुद तुम्हे फ़तवा देता है कि अगर कोई ऐसा शख्स मर जाए कि उसके न कोई लड़का बाला हो (न मॉ बाप) और उसके (सिर्फ) एक बहन हो तो उसका तर्के से आधा होगा (और अगर ये बहन मर जाए) और उसके कोई औलाद न हो (न मॉ बाप) तो उसका वारिस बस यही भाई होगा और अगर दो बहनें (ज्यादा) हों तो उनको (भाई के) तर्के से दो तिहाई मिलेगा और अगर किसी के वारिस भाई बहन दोनों (मिले जुले) हों तो मर्द को औरत के हिस्से का दुगना मिलेगा तुम लोगों के भटकने के ख्याल से ख़ुदा अपने एहकाम वाजेए करके बयान फ़रमाता है और ख़ुदा तो हर चीज़ से वाक़िफ़ है