'Idhā Jā'aka Al-Munāfiqūna Qālū Nash/hadu 'Innaka Larasūlu Allāhi Wa ۗ Allāhu Ya`lamu 'Innaka Larasūluhu Wa Allāhu Yash/hadu 'Inna Al-Munāfiqīna Lakādhibūna
063-001 (ऐ रसूल) जब तुम्हारे पास मुनाफेक़ीन आते हैं तो कहते हैं कि हम तो इक़रार करते हैं कि आप यक़नीन ख़ुदा के रसूल हैं और ख़ुदा भी जानता है तुम यक़ीनी उसके रसूल हो मगर ख़ुदा ज़ाहिर किए देता है कि ये लोग अपने (एतक़ाद के लिहाज़ से) ज़रूर झूठे हैं
063-004 और जब तुम उनको देखोगे तो तनासुबे आज़ा की वजह से उनका क़द व क़ामत तुम्हें बहुत अच्छा मालूम होगा और गुफ्तगू करेंगे तो ऐसी कि तुम तवज्जो से सुनो (मगर अक्ल से ख़ाली) गोया दीवारों से लगायी हुयीं बेकार लकड़ियाँ हैं हर चीख़ की आवाज़ को समझते हैं कि उन्हीं पर आ पड़ी ये लोग तुम्हारे दुश्मन हैं तुम उनसे बचे रहो ख़ुदा इन्हें मार डाले ये कहाँ बहके फिरते हैं
Wa 'Idhā Qīla Lahum Ta`ālaw Yastaghfir LakumRasūlu Allāhi Lawwaw Ru'ūsahum Wa Ra'aytahum Yaşuddūna Wa Hum Mustakbirūna
063-005 और जब उनसे कहा जाता है कि आओ रसूलअल्लाह तुम्हारे वास्ते मग़फेरत की दुआ करें तो वह लोग अपने सर फेर लेते हैं और तुम उनको देखोगे कि तकब्बुर करते हुए मुँह फेर लेते हैं
063-006 तो तुम उनकी मग़फेरत की दुआ माँगो या न माँगो उनके हक़ में बराबर है (क्यों कि) ख़ुदा तो उन्हें हरगिज़ बख्शेगा नहीं ख़ुदा तो हरगिज़ बदकारों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता
Humu Al-Ladhīna Yaqūlūna Lā Tunfiqū `Alá Man `Inda Rasūli Allāhi Ĥattá Yanfađđū ۗ Wa Lillāh Khazā'inu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Lakinna Al-Munāfiqīna Lā Yafqahūna
063-007 ये वही लोग तो हैं जो (अन्सार से) कहते हैं कि जो (मुहाजिरीन) रसूले ख़ुदा के पास रहते हैं उन पर ख़र्च न करो यहाँ तक कि ये लोग ख़ुद तितर बितर हो जाएँ हालॉकि सारे आसमान और ज़मीन के ख़ज़ाने ख़ुदा ही के पास हैं मगर मुनाफेक़ीन नहीं समझते
Yaqūlūna La'inRaja`nā 'Ilá Al-Madīnati Layukhrijanna Al-'A`azzu Minhā Al-'Adhalla ۚ Wa Lillāh Al-`Izzatu Wa Lirasūlihi Wa Lilmu'uminīna Wa Lakinna Al-Munāfiqīna Lā Ya`lamūna
063-008 ये लोग तो कहते हैं कि अगर हम लौट कर मदीने पहुँचे तो इज्ज़दार लोग (ख़ुद) ज़लील (रसूल) को ज़रूर निकाल बाहर कर देंगे हालॉकि इज्ज़त तो ख़ास ख़ुदा और उसके रसूल और मोमिनीन के लिए है मगर मुनाफेक़ीन नहीं जानते
Wa 'Anfiqū Min Mā Razaqnākum MinQabli 'An Ya'tiya 'Aĥadakumu Al-Mawtu Fayaqūla Rabbi Lawlā 'Akhkhartanī 'Ilá 'AjalinQarībin Fa'aşşaddaqa Wa 'Akun Mina Aş-Şāliĥīna
063-010 और हमने जो कुछ तुम्हें दिया है उसमें से क़ब्ल इसके (ख़ुदा की राह में) ख़र्च कर डालो कि तुममें से किसी की मौत आ जाए तो (इसकी नौबत न आए कि) कहने लगे कि परवरदिगार तूने मुझे थोड़ी सी मोहलत और क्यों न दी ताकि ख़ैरात करता और नेकीकारों से हो जाता