Qad Sami`a Allāhu Qawla Allatī Tujādiluka Fī Zawjihā Wa Tashtakī 'Ilá Allāhi Wa Allāhu Yasma`u Taĥāwurakumā ۚ 'Inna Allāha Samī`un Başīrun
058-001 ऐ रसूल जो औरत (ख़ुला) तुमसे अपने शौहर (उस) के बारे में तुमसे झगड़ती और ख़ुदा से गिले शिकवे करती है ख़ुदा ने उसकी बात सुन ली और ख़ुदा तुम दोनों की ग़ुफ्तगू सुन रहा है बेशक ख़ुदा बड़ा सुनने वाला देखने वाला है
Al-Ladhīna Yužāhirūna Minkum Min Nisā'ihim Mā Hunna 'Ummahātihim ۖ 'In 'Ummahātuhum 'Illā Al-Lā'ī Waladnahum ۚ Wa 'Innahum Layaqūlūna Munkarāan Mina Al-Qawli Wa Zūrāan ۚ Wa 'Inna Allāha La`afūwun Ghafūrun
058-002 तुम में से जो लोग अपनी बीवियों के साथ ज़हार करते हैं अपनी बीवी को माँ कहते हैं वह कुछ उनकी माएँ नहीं (हो जातीं) उनकी माएँ तो बस वही हैं जो उनको जनती हैं और वह बेशक एक नामाक़ूल और झूठी बात कहते हैं और ख़ुदा बेशक माफ करने वाला और बड़ा बख्शने वाला है
Wa Al-Ladhīna Yužāhirūna Min Nisā'ihimThumma Ya`ūdūna Limā Qālū Fataĥrīru Raqabatin MinQabli 'An Yatamāssā ۚ Dhālikum Tū`ažūna Bihi Wa ۚ Allāhu Bimā Ta`malūna Khabīrun
058-003 और जो लोग अपनी बीवियों से ज़हार कर बैठे फिर अपनी बात वापस लें तो दोनों के हमबिस्तर होने से पहले (कफ्फ़ारे में) एक ग़ुलाम का आज़ाद करना (ज़रूरी) है उसकी तुमको नसीहत की जाती है और तुम जो कुछ भी करते हो (ख़ुदा) उससे आगाह है
058-004 फिर जिसको ग़ुलाम न मिले तो दोनों की मुक़ारबत के क़ब्ल दो महीने के पै दर पै रोज़े रखें और जिसको इसकी भी क़ुदरत न हो साठ मोहताजों को खाना खिलाना फर्ज़ है ये (हुक्म इसलिए है) ताकि तुम ख़ुदा और उसके रसूल की (पैरवी) तसदीक़ करो और ये ख़ुदा की मुक़र्रर हदें हैं और काफ़िरों के लिए दर्दनाक अज़ाब है
'Inna Al-Ladhīna Yuĥāddūna Allāha Wa Rasūlahu Kubitū Kamā Kubita Al-Ladhīna MinQablihim ۚ Wa Qad 'Anzalnā 'Āyātin Bayyinātin ۚ Wa Lilkāfirīna `Adhābun Muhīnun
058-005 बेशक जो लोग ख़ुदा की और उसके रसूल की मुख़ालेफ़त करते हैं वह (उसी तरह) ज़लील किए जाएँगे जिस तरह उनके पहले लोग किए जा चुके हैं और हम तो अपनी साफ़ और सरीही आयतें नाज़िल कर चुके और काफिरों के लिए ज़लील करने वाला अज़ाब है
Yawma Yab`athuhumu Allāhu Jamī`āan Fayunabbi'uhum Bimā `Amilū ۚ 'Aĥşāhu Allāhu Wa Nasūhu Wa ۚ Allāhu `Alá Kulli Shay'inShahīdun
058-006 जिस दिन ख़ुदा उन सबको दोबारा उठाएगा तो उनके आमाल से उनको आगाह कर देगा ये लोग (अगरचे) उनको भूल गये हैं मगर ख़ुदा ने उनको याद रखा है और ख़ुदा तो हर चीज़ का गवाह है
'Alam Tará 'Anna Allāha Ya`lamu Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi ۖ Mā Yakūnu Min Najwá Thalāthatin 'Illā Huwa Rābi`uhum Wa Lā Khamsatin 'Illā Huwa Sādisuhum Wa Lā 'Adná MinDhālika Wa Lā 'Akthara 'Illā Huwa Ma`ahum 'Ayna Mā Kānū ۖ Thumma Yunabbi'uhum Bimā `Amilū Yawma Al-Qiyāmati ۚ 'Inna Allāha Bikulli Shay'in `Alīmun
058-007 क्या तुमको मालूम नहीं कि जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा जानता है जब तीन (आदमियों) का ख़ुफिया मशवेरा होता है तो वह (ख़ुद) उनका ज़रूर चौथा है और जब पाँच का मशवेरा होता है तो वह उनका छठा है और उससे कम हो या ज्यादा और चाहे जहाँ कहीं हो वह उनके साथ ज़रूर होता है फिर जो कुछ वह (दुनिया में) करते रहे क़यामत के दिन उनको उससे आगाह कर देगा बेशक ख़ुदा हर चीज़ से ख़ूब वाक़िफ़ है
'Alam Tará 'Ilá Al-Ladhīna Nuhū `Ani An-Najwá Thumma Ya`ūdūna Limā Nuhū `Anhu Wa Yatanājawna Bil-'Ithmi Wa Al-`Udwāni Wa Ma`şiyati Ar-Rasūli Wa 'Idhā Jā'ūka Ĥayyawka Bimā Lam Yuĥayyika Bihi Allāhu Wa Yaqūlūna Fī 'Anfusihim Lawlā Yu`adhdhibunā Al-Lahu Bimā Naqūlu ۚ Ĥasbuhum Jahannamu Yaşlawnahā ۖ Fabi'sa Al-Maşīru
058-008 क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जिनको सरगोशियाँ करने से मना किया गया ग़रज़ जिस काम की उनको मुमानिअत की गयी थी उसी को फिर करते हैं और (लुत्फ़ तो ये है कि) गुनाह और (बेजा) ज्यादती और रसूल की नाफरमानी की सरगोशियाँ करते हैं और जब तुम्हारे पास आते हैं तो जिन लफ्ज़ों से ख़ुदा ने भी तुम को सलाम नहीं किया उन लफ्ज़ों से सलाम करते हैं और अपने जी में कहते हैं कि (अगर ये वाक़ई पैग़म्बर हैं तो) जो कुछ हम कहते हैं ख़ुदा हमें उसकी सज़ा क्यों नहीं देता (ऐ रसूल) उनको दोज़ख़ ही (की सज़ा) काफी है जिसमें ये दाख़िल होंगे तो वह (क्या) बुरी जगह है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū 'Idhā Tanājaytum Falā Tatanājaw Bil-'Ithmi Wa Al-`Udwāni Wa Ma`şiyati Ar-Rasūli Wa Tanājaw Bil-Birri Wa At-Taqwá ۖ Wa Attaqū Allaha Al-Ladhī 'Ilayhi Tuĥsharūna
058-009 ऐ ईमानदारों जब तुम आपस में सरगोशी करो तो गुनाह और ज्यादती और रसूल की नाफरमानी की सरगोशी न करो बल्कि नेकीकारी और परहेज़गारी की सरगोशी करो और ख़ुदा से डरते रहो जिसके सामने (एक दिन) जमा किए जाओगे
'Innamā An-Najwá Mina Ash-Shayţāni Liyaĥzuna Al-Ladhīna 'Āmanū Wa Laysa BiđārrihimShay'āan 'Illā Bi'idhni Allāhi ۚ Wa `Alá Allāhi Falyatawakkali Al-Mu'uminūna
058-010 (बरी बातों की) सरगोशी तो बस एक शैतानी काम है (और इसलिए करते हैं) ताकि ईमानदारों को उससे रंज पहुँचे हालॉकि ख़ुदा की तरफ से आज़ादी दिए बग़ैर सरगोशी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकती और मोमिनीन को तो ख़ुदा ही पर भरोसा रखना चाहिए
058-011 ऐ ईमानदारों जब तुमसे कहा जाए कि मजलिस में जगह कुशादा करो वह तो कुशादा कर दिया करो ख़ुदा तुमको कुशादगी अता करेगा और जब तुमसे कहा जाए कि उठ खड़े हो तो उठ खड़े हुआ करो जो लोग तुमसे ईमानदार हैं और जिनको इल्म अता हुआ है ख़ुदा उनके दर्जे बुलन्द करेगा और ख़ुदा तुम्हारे सब कामों से बेख़बर है
058-012 ऐ ईमानदारों जब पैग़म्बर से कोई बात कान में कहनी चाहो तो कुछ ख़ैरात अपनी सरगोशी से पहले दे दिया करो यही तुम्हारे वास्ते बेहतर और पाकीज़ा बात है पस अगर तुमको इसका मुक़दूर न हो तो बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
'A'ashfaqtum 'An Tuqaddimū Bayna Yaday NajwākumŞadaqātin ۚ Fa'idh Lam Taf`alū Wa Tāba Allāhu `Alaykum Fa'aqīmū Aş-Şalāata Wa 'Ātū Az-Zakāata Wa 'Aţī`ū Allaha Wa Rasūlahu Wa ۚ Allāhu Khabīrun Bimā Ta`malūna
058-013 (मुसलमानों) क्या तुम इस बात से डर गए कि (रसूल के) कान में बात कहने से पहले ख़ैरात कर लो तो जब तुम लोग (इतना सा काम) न कर सके और ख़ुदा ने तुम्हें माफ़ कर दिया तो पाबन्दी से नमाज़ पढ़ो और ज़कात देते रहो और ख़ुदा उसके रसूल की इताअत करो और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे बाख़बर है
'Alam Tará 'Ilá Al-Ladhīna Tawallaw Qawmāan Ghađiba Allāhu `Alayhim Mā Hum Minkum Wa Lā Minhum Wa Yaĥlifūna `Alá Al-Kadhibi Wa Hum Ya`lamūna
058-014 क्या तुमने उन लोगों की हालत पर ग़ौर नहीं किया जो उन लोगों से दोस्ती करते हैं जिन पर ख़ुदा ने ग़ज़ब ढाया है तो अब वह न तुम मे हैं और न उनमें ये लोग जानबूझ कर झूठी बातो पर क़समें खाते हैं और वह जानते हैं
058-018 जिस दिन ख़ुदा उन सबको दोबार उठा खड़ा करेगा तो ये लोग जिस तरह तुम्हारे सामने क़समें खाते हैं उसी तरह उसके सामने भी क़समें खाएँगे और ख्याल करते हैं कि वह राहे सवाब पर हैं आगाह रहो ये लोग यक़ीनन झूठे हैं
Lā Tajidu Qawmāan Yu'uminūna Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri Yuwāddūna Man Ĥādda Allāha Wa Rasūlahu Wa Law Kānū 'Ābā'ahum 'Aw 'Abnā'ahum 'Aw 'Ikhwānahum 'Aw `Ashīratahum ۚ 'Ūlā'ika Kataba Fī Qulūbihimu Al-'Īmāna Wa 'Ayyadahum Birūĥin Minhu ۖ Wa Yudkhiluhum Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā ۚ Rađiya Allāhu `Anhum Wa Rađū `Anhu ۚ 'Ūlā'ika Ĥizbu Allāhi ۚ 'Alā 'Inna Ĥizba Allāhi Humu Al-Mufliĥūna
058-022 जो लोग ख़ुदा और रोज़े आख़ेरत पर ईमान रखते हैं तुम उनको ख़ुदा और उसके रसूल के दुश्मनों से दोस्ती करते हुए न देखोगे अगरचे वह उनके बाप या बेटे या भाई या ख़ानदान ही के लोग (क्यों न हों) यही वह लोग हैं जिनके दिलों में ख़ुदा ने ईमान को साबित कर दिया है और ख़ास अपने नूर से उनकी ताईद की है और उनको (बेहिश्त में) उन (हरे भरे) बाग़ों में दाखिल करेगा जिनके नीचे नहरे जारी है (और वह) हमेश उसमें रहेंगे ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से ख़ुश यही ख़ुदा का गिरोह है सुन रखो कि ख़ुदा के गिरोग के लोग दिली मुरादें पाएँगे