049-002 ऐ ईमानदारों (बोलने में) अपनी आवाज़े पैग़म्बर की आवाज़ से ऊँची न किया करो और जिस तरह तुम आपस में एक दूसरे से ज़ोर (ज़ोर) से बोला करते हो उनके रूबरू ज़ोर से न बोला करो (ऐसा न हो कि) तुम्हारा किया कराया सब अकारत हो जाए और तुमको ख़बर भी न हो
049-003 बेशक जो लोग रसूले ख़ुदा के सामने अपनी आवाज़ें धीमी कर लिया करते हैं यही लोग हैं जिनके दिलों को ख़ुदा ने परहेज़गारी के लिए जाँच लिया है उनके लिए (आख़ेरत में) बख़्शिस और बड़ा अज्र है
049-006 ऐ ईमानदारों अगर कोई बदकिरदार तुम्हारे पास कोई ख़बर लेकर आए तो ख़ूब तहक़ीक़ कर लिया करो (ऐसा न हो) कि तुम किसी क़ौम को नादानी से नुक़सान पहुँचाओ फिर अपने किए पर नादिम हो
Wa A`lamū 'Anna FīkumRasūla Allāhi ۚ Law Yuţī`ukum Fī Kathīrin Mina Al-'Amri La`anittum Wa Lakinna Allāha Ĥabbaba 'Ilaykumu Al-'Īmāna Wa Zayyanahu Fī Qulūbikum Wa Karraha 'Ilaykumu Al-Kufra Wa Al-Fusūqa Wa Al-`Işyāna ۚ 'Ūlā'ika Humu Ar-Rāshidūna
049-007 और जान रखो कि तुम में ख़ुदा के पैग़म्बर (मौजूद) हैं बहुत सी बातें ऐसी हैं कि अगर रसूल उनमें तुम्हारा कहा मान लिया करें तो (उलटे) तुम ही मुश्किल में पड़ जाओ लेकिन ख़ुदा ने तुम्हें ईमान की मोहब्बत दे दी है और उसको तुम्हारे दिलों में उमदा कर दिखाया है और कुफ़्र और बदकारी और नाफ़रमानी से तुमको बेज़ार कर दिया है यही लोग ख़ुदा के फ़ज़ल व एहसान से राहे हिदायत पर हैं
049-009 और अगर मोमिनीन में से दो फिरक़े आपस में लड़ पड़े तो उन दोनों में सुलह करा दो फिर अगर उनमें से एक (फ़रीक़) दूसरे पर ज्यादती करे तो जो (फिरक़ा) ज्यादती करे तुम (भी) उससे लड़ो यहाँ तक वह ख़ुदा के हुक्म की तरफ रूझू करे फिर जब रूजू करे तो फरीकैन में मसावात के साथ सुलह करा दो और इन्साफ़ से काम लो बेशक ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Yaskhar Qawmun MinQawmin `Asá 'An Yakūnū Khayrāan Minhum Wa Lā Nisā'un Min Nisā'in `Asá 'An Yakunna Khayrāan Minhunna ۖ Wa Lā Talmizū 'Anfusakum Wa Lā Tanābazū Bil-'Alqābi ۖ Bi'sa Al-Aismu Al-Fusūqu Ba`da Al-'Īmāni ۚ Wa Man Lam Yatub Fa'ūlā'ika Humu Až-Žālimūna
049-011 ऐ ईमानदारों (तुम किसी क़ौम का) कोई मर्द ( दूसरी क़ौम के मर्दों की हँसी न उड़ाये मुमकिन है कि वह लोग (ख़ुदा के नज़दीक) उनसे अच्छे हों और न औरते औरतों से (तमसख़ुर करें) क्या अजब है कि वह उनसे अच्छी हों और तुम आपस में एक दूसरे को मिलने न दो न एक दूसरे का बुरा नाम धरो ईमान लाने के बाद बदकारी (का) नाम ही बुरा है और जो लोग बाज़ न आएँ तो ऐसे ही लोग ज़ालिम हैं
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Ajtanibū Kathīrāan Mina Až-Žanni 'Inna Ba`đa Až-Žanni 'Ithmun ۖ Wa Lā Tajassasū Wa Lā Yaghtab Ba`đukum Ba`đāan ۚ 'Ayuĥibbu 'Aĥadukum 'An Ya'kula Laĥma 'Akhīhi Maytāan Fakarihtumūhu ۚ Wa Attaqū Allaha ۚ 'Inna Allāha TawwābunRaĥīmun
049-012 ऐ ईमानदारों बहुत से गुमान (बद) से बचे रहो क्यों कि बाज़ बदगुमानी गुनाह हैं और आपस में एक दूसरे के हाल की टोह में न रहा करो और न तुममें से एक दूसरे की ग़ीबत करे क्या तुममें से कोई इस बात को पसन्द करेगा कि अपने मरे हुए भाई का गोश्त खाए तो तुम उससे (ज़रूर) नफरत करोगे और ख़ुदा से डरो, बेशक ख़ुदा बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान है
Yā 'Ayyuhā An-Nāsu 'Innā Khalaqnākum MinDhakarin Wa 'Unthá Wa Ja`alnākumShu`ūbāan Wa Qabā'ila Lita`ārafū ۚ 'Inna 'Akramakum `Inda Allāhi 'Atqākum ۚ 'Inna Allāha `Alīmun Khabīrun
049-013 लोगों हमने तो तुम सबको एक मर्द और एक औरत से पैदा किया और हम ही ने तुम्हारे कबीले और बिरादरियाँ बनायीं ताकि एक दूसरे की शिनाख्त करे इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा के नज़दीक तुम सबमें बड़ा इज्ज़तदार वही है जो बड़ा परहेज़गार हो बेशक ख़ुदा बड़ा वाक़िफ़कार ख़बरदार है
Qālati Al-'A`rābu 'Āmannā ۖ Qul Lam Tu'uminū Wa LakinQūlū 'Aslamnā Wa Lammā Yadkhuli Al-'Īmānu Fī Qulūbikum ۖ Wa 'In Tuţī`ū Allaha Wa Rasūlahu Lā Yalitkum Min 'A`mālikumShay'āan ۚ 'Inna Allāha GhafūrunRaĥīmun
049-014 अरब के देहाती कहते हैं कि हम ईमान लाए (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम ईमान नहीं लाए बल्कि (यूँ) कह दो कि इस्लाम लाए हालॉकि ईमान का अभी तक तुम्हारे दिल में गुज़र हुआ ही नहीं और अगर तुम ख़ुदा की और उसके रसूल की फरमाबरदारी करोगे तो ख़ुदा तुम्हारे आमाल में से कुछ कम नहीं करेगा - बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
'Innamā Al-Mu'uminūna Al-Ladhīna 'Āmanū Billāhi Wa Rasūlihi Thumma Lam Yartābū Wa Jāhadū Bi'amwālihim Wa 'Anfusihim Fī Sabīli Allāhi ۚ 'Ūlā'ika Humu Aş-Şādiqūna
049-015 (सच्चे मोमिन) तो बस वही हैं जो ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाए फिर उन्होंने उसमें किसी तरह का शक़ शुबह न किया और अपने माल से और अपनी जानों से ख़ुदा की राह में जेहाद किया यही लोग (दावाए ईमान में) सच्चे हैं
Qul 'Atu`allimūna Allāha Bidīnikum Wa Allāhu Ya`lamu Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi Wa ۚ Allāhu Bikulli Shay'in `Alīmun
049-016 (ऐ रसूल इनसे) पूछो तो कि क्या तुम ख़ुदा को अपनी दीदारी जताते हो और ख़ुदा तो जो कुछ आसमानों मे है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) जानता है और ख़ुदा हर चीज़ से ख़बरदार है
049-017 (ऐ रसूल) तुम पर ये लोग (इसलाम लाने का) एहसान जताते हैं तुम (साफ़) कह दो कि तुम अपने इसलाम का मुझ पर एहसान न जताओ (बल्कि) अगर तुम (दावाए ईमान में) सच्चे हो तो समझो कि, ख़ुदा ने तुम पर एहसान किया कि उसने तुमको ईमान का रास्ता दिखाया