Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Wa 'Āmanū Bimā Nuzzila `Alá Muĥammadin Wa Huwa Al-Ĥaqqu MinRabbihim ۙ Kaffara `Anhum Sayyi'ātihim Wa 'Aşlaĥa Bālahum
047-002 और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए और जो (किताब) मोहम्मद पर उनके परवरदिगार की तरफ से नाज़िल हुई है और वह बरहक़ है उस पर ईमान लाए तो ख़ुदा ने उनके गुनाह उनसे दूर कर दिए और उनकी हालत संवार दी
047-003 ये इस वजह से कि काफिरों ने झूठी बात की पैरवी की और ईमान वालों ने अपने परवरदिगार का सच्चा दीन एख्तेयार किया यूँ ख़ुदा लोगों के समझाने के लिए मिसालें बयान करता है
Fa'idhā Laqītumu Al-Ladhīna Kafarū Fađarba Ar-Riqābi Ĥattá 'Idhā 'Athkhantumūhum Fashuddū Al-Wathāqa Fa'immā Mannāan Ba`du Wa 'Immā Fidā'an Ĥattá Tađa`a Al-Ĥarbu 'Awzārahā ۚ Dhālika Wa Law Yashā'u Allāhu Lāntaşara Minhum Wa Lakin Liyabluwa Ba`đakum Biba`đin Wa ۗ Al-Ladhīna Qutilū Fī Sabīli Allāhi Falan Yuđilla 'A`mālahum
047-004 तो जब तुम काफिरों से भिड़ो तो (उनकी) गर्दनें मारो यहाँ तक कि जब तुम उन्हें ज़ख्मों से चूर कर डालो तो उनकी मुश्कें कस लो फिर उसके बाद या तो एहसान रख (कर छोड़ दे) या मुआवेज़ा लेकर, यहाँ तक कि (दुशमन) लड़ाई के हथियार रख दे तो (याद रखो) अगर ख़ुदा चाहता तो (और तरह) उनसे बदला लेता मगर उसने चाहा कि तुम्हारी आज़माइश एक दूसरे से (लड़वा कर) करे और जो लोग ख़ुदा की राह में यहीद किये गए उनकी कारगुज़ारियों को ख़ुदा हरगिज़ अकारत न करेगा
047-010 तो क्या ये लोग रूए ज़मीन पर चले फिरे नहीं तो देखते जो लोग उनसे पहले थे उनका अन्जाम क्या (ख़राब) हुआ कि ख़ुदा ने उन पर तबाही डाल दी और इसी तरह (उन) काफिरों को भी (सज़ा मिलेगी)
'Inna Allāha Yudkhilu Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'Anhāru Wa ۖ Al-Ladhīna Kafarū Yatamatta`ūna Wa Ya'kulūna Kamā Ta'kulu Al-'An`ām Wa An-Nāru Mathwan Lahum
047-012 ख़ुदा उन लोगों को जो ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे ज़रूर बेहिश्त के उन बाग़ों में जा पहुँचाएगा जिनके नीचे नहरें जारी हैं और जो काफ़िर हैं वह (दुनिया में) चैन करते हैं और इस तरह (बेफिक्री से खाते (पीते) हैं जैसे चारपाए खाते पीते हैं और आख़िर) उनका ठिकाना जहन्नुम है
047-013 और जिस बस्ती से तुम लोगों ने निकाल दिया उससे ज़ोर में कहीं बढ़ चढ़ के बहुत सी बस्तियाँ थीं जिनको हमने तबाह बर्बाद कर दिया तो उनका कोई मददगार भी न हुआ
047-014 क्या जो शख़्श अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हो उस शख़्श के बराबर हो सकता है जिसकी बदकारियाँ उसे भली कर दिखायीं गयीं हों वह अपनी नफ़सियानी ख्वाहिशों पर चलते हैं
Mathalu Al-Jannati Allatī Wu`ida Al-Muttaqūna ۖ Fīhā 'Anhārun Min Mā'in Ghayri 'Āsinin Wa 'Anhārun Min Labanin Lam Yataghayyar Ţa`muhu Wa 'Anhārun Min Khamrin Ladhdhatin Lilshshāribīna Wa 'Anhārun Min `Asalin Muşaffan ۖ Wa Lahum Fīhā Min Kulli Ath-Thamarāti Wa Maghfiratun MinRabbihim ۖ Kaman Huwa Khālidun Fī An-Nāri Wa Suqū Mā'an Ĥamīmāan Faqaţţa`a 'Am`ā'ahum
047-015 जिस बेहिश्त का परहेज़गारों से वायदा किया जाता है उसकी सिफत ये है कि उसमें पानी की नहरें जिनमें ज़रा बू नहीं और दूध की नहरें हैं जिनका मज़ा तक नहीं बदला और शराब की नहरें हैं जो पीने वालों के लिए (सरासर) लज्ज़त है और साफ़ शफ्फ़ाफ़ यहद की नहरें हैं और वहाँ उनके लिए हर किस्म के मेवे हैं और उनके परवरदिगार की तरफ से बख़्शिस है (भला ये लोग) उनके बराबर हो सकते हैं जो हमेशा दोज़ख़ में रहेंगे और उनको खौलता हुआ पानी पिलाया जाएगा तो वह ऑंतों के टुकड़े टुकड़े कर डालेगा
Wa Minhum Man Yastami`u 'Ilayka Ĥattá 'Idhā Kharajū Min `Indika Qālū Lilladhīna 'Ūtū Al-`Ilma Mādhā Qāla 'Ānifāan ۚ 'Ūlā'ika Al-Ladhīna Ţaba`a Allāhu `Alá Qulūbihim Wa Attaba`ū 'Ahwā'ahum
047-016 और (ऐ रसूल) उनमें से बाज़ ऐसे भी हैं जो तुम्हारी तरफ कान लगाए रहते हैं यहाँ तक कि सब सुना कर जब तुम्हारे पास से निकलते हैं तो जिन लोगों को इल्म (कुरान) दिया गया है उनसे कहते हैं (क्यों भई) अभी उस शख़्श ने क्या कहा था ये वही लोग हैं जिनके दिलों पर ख़ुदा ने (कुफ़्र की) अलामत मुक़र्रर कर दी है और ये अपनी नफसियानी ख्वाहिशों पर चल रहे हैं
047-018 तो क्या ये लोग बस क़यामत ही के मुनतज़िर हैं कि उन पर एक बारगी आ जाए तो उसकी निशानियाँ आ चुकी हैं तो जिस वक्त क़यामत उन (के सर) पर आ पहुँचेगी फिर उन्हें नसीहत कहाँ मुफीद हो सकती है
Fā`lam 'Annahu Lā 'Ilāha 'Illā Al-Lahu Wa Astaghfir Lidhanbika Wa Lilmu'uminīna Wa Al-Mu'umināti Wa ۗ Allāhu Ya`lamu Mutaqallabakum Wa Mathwākum
047-019 तो फिर समझ लो कि ख़ुदा के सिवा कोई माबूद नहीं और (हम से) अपने और ईमानदार मर्दों और ईमानदार औरतों के गुनाहों की माफ़ी मांगते रहो और ख़ुदा तुम्हारे चलने फिरने और ठहरने से (ख़ूब) वाक़िफ़ है
047-020 और मोमिनीन कहते हैं कि (जेहाद के बारे में) कोई सूरा क्यों नहीं नाज़िल होता लेकिन जब कोई साफ़ सरीही मायनों का सूरा नाज़िल हुआ और उसमें जेहाद का बयान हो तो जिन लोगों के दिल में (नेफ़ाक़) का मर्ज़ है तुम उनको देखोगे कि तुम्हारी तरफ़ इस तरह देखते हैं जैसे किसी पर मौत की बेहोशी (छायी) हो (कि उसकी ऑंखें पथरा जाएं) तो उन पर वाए हो
047-022 (मुनाफ़िक़ों) क्या तुमसे कुछ दूर है कि अगर तुम हाक़िम बनो तो रूए ज़मीन में फसाद फैलाने और अपने रिश्ते नातों को तोड़ने लगो ये वही लोग हैं जिन पर ख़ुदा ने लानत की है
'Inna Al-Ladhīna Artaddū `Alá 'Adbārihim Min Ba`di Mā Tabayyana Lahumu Al-Hudá ۙ Ash-Shayţānu Sawwala Lahum Wa 'Amlá Lahum
047-025 बेशक जो लोग राहे हिदायत साफ़ साफ़ मालूम होने के बाद उलटे पाँव (कुफ़्र की तरफ) फिर गये शैतान ने उन्हें (बुते देकर) ढील दे रखी है और उनकी (तमन्नाओं) की रस्सियाँ दराज़ कर दी हैं
047-026 यह इसलिए जो लोग ख़ुदा की नाज़िल की हुई(किताब) से बेज़ार हैं ये उनसे कहते हैं कि बाज़ कामों में हम तुम्हारी ही बात मानेंगे और ख़ुदा उनके पोशीदा मशवरों से वाक़िफ है
047-028 ये इस सबब से कि जिस चीज़ों से ख़ुदा नाख़ुश है उसकी तो ये लोग पैरवी करते हैं और जिसमें ख़ुदा की ख़ुशी है उससे बेज़ार हैं तो ख़ुदा ने भी उनकी कारस्तानियों को अकारत कर दिया
Wa Law Nashā'u La'araynākahum Fala`araftahum Bisīmāhum ۚ Wa Lata`rifannahum Fī Laĥni Al-Qawli Wa ۚ Allāhu Ya`lamu 'A`mālakum
047-030 तो हम चाहते तो हम तुम्हें इन लोगों को दिखा देते तो तुम उनकी पेशानी ही से उनको पहचान लेते अगर तुम उन्हें उनके अन्दाज़े गुफ्तगू ही से ज़रूर पहचान लोगे और ख़ुदा तो तुम्हारे आमाल से वाक़िफ है
'Inna Al-Ladhīna Kafarū Wa Şaddū `An Sabīli Allāhi Wa Shāqqū Ar-Rasūla Min Ba`di Mā Tabayyana Lahumu Al-Hudá Lan Yađurrū Allaha Shay'āan Wa Sayuĥbiţu 'A`mālahum
047-032 बेशक जिन लोगों पर (दीन की) सीधी राह साफ़ ज़ाहिर हो गयी उसके बाद इन्कार कर बैठे और (लोगों को) ख़ुदा की राह से रोका और पैग़म्बर की मुख़ालेफ़त की तो ख़ुदा का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेंगे और वह उनका सब किया कराया अक़ारत कर देगा
'Innamā Al-Ĥayāatu Ad-Dunyā La`ibun Wa Lahwun ۚ Wa 'In Tu'uminū Wa Tattaqū Yu'utikum 'Ujūrakum Wa Lā Yas'alkum 'Amwālakum
047-036 दुनियावी ज़िन्दगी तो बस खेल तमाशा है और अगर तुम (ख़ुदा पर) ईमान रखोगे और परहेज़गारी करोगे तो वह तुमको तुम्हारे अज्र इनायत फरमाएगा और तुमसे तुम्हारे माल नहीं तलब करेगा
Hā'antum Hā'uulā' Tud`awna Litunfiqū Fī Sabīli Allāhi Faminkum Man Yabkhalu Wa Man ۖ Yabkhal Fa'innamā Yabkhalu `An Nafsihi Wa Allāhu ۚ Al-Ghanīyu Wa 'Antumu Al-Fuqarā'u Wa 'In ۚ Tatawallaw Yastabdil Qawmāan GhayrakumThumma Lā Yakūnū 'Amthālakum
047-038 और ख़ुदा तो तुम्हारे कीने को ज़रूर ज़ाहिर करके रहेगा देखो तुम लोग वही तो हो कि ख़ुदा की राह में ख़र्च के लिए बुलाए जाते हो तो बाज़ तुम में ऐसे भी हैं जो बुख्ल करते हैं और (याद रहे कि) जो बुख्ल करता है तो ख़ुद अपने ही से बुख्ल करता है और ख़ुदा तो बेनियाज़ है और तुम (उसके) मोहताज हो और अगर तुम (ख़ुदा के हुक्म से) मुँह फेरोगे तो ख़ुदा (तुम्हारे सिवा) दूसरों बदल देगा और वह तुम्हारे ऐसे (बख़ील) न होंगे