Wa Akhtilāfi Al-Layli Wa An-Nahāri Wa Mā 'Anzala Allāhu Mina As-Samā'i MinRizqin Fa'aĥyā Bihi Al-'Arđa Ba`da Mawtihā Wa Taşrīfi Ar-Riyāĥi 'Āyātun Liqawmin Ya`qilūna
045-005 और रात दिन के आने जाने में और ख़ुदा ने आसमान से जो (ज़रिया) रिज़क (पानी) नाज़िल फरमाया फिर उससे ज़मीन को उसके मर जाने के बाद ज़िन्दा किया (उसमें) और हवाओं फेर बदल में अक्लमन्द लोगों के लिए बहुत सी निशानियाँ हैं
045-008 कि ख़ुदा की आयतें उसके सामने पढ़ी जाती हैं और वह सुनता भी है फिर ग़ुरूर से (कुफ़्र पर) अड़ा रहता है गोया उसने उन आयतों को सुना ही नहीं तो (ऐ रसूल) तुम उसे दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो
Min Warā'ihim Jahannamu ۖ Wa Lā Yughnī `Anhum Mā Kasabū Shay'āan Wa Lā Mā Attakhadhū Min Dūni Allāhi 'Awliyā'a ۖ Wa Lahum `Adhābun `Ažīmun
045-010 जहन्नुम तो उनके पीछे ही (पीछे) है और जो कुछ वह आमाल करते रहे न तो वही उनके कुछ काम आएँगे और न जिनको उन्होंने ख़ुदा को छोड़कर (अपने) सरपरस्त बनाए थे और उनके लिए बड़ा (सख्त) अज़ाब है
Al-Lahu Al-Ladhī Sakhkhara Lakumu Al-Baĥra Litajriya Al-Fulku Fīhi Bi'amrihi Wa Litabtaghū Min Fađlihi Wa La`allakum Tashkurūna
045-012 ख़ुदा ही तो है जिसने दरिया को तुम्हारे क़ाबू में कर दिया ताकि उसके हुक्म से उसमें कश्तियां चलें और ताकि उसके फज़ल (व करम) से (मआश की) तलाश करो और ताकि तुम शुक्र करो
Wa Sakhkhara Lakum Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi Jamī`āan Minhu ۚ 'Inna Fī Dhālika La'āyātin Liqawmin Yatafakkarūna
045-013 और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सबको अपने (हुक्म) से तुम्हारे काम में लगा दिया है जो लोग ग़ौर करते हैं उनके लिए इसमें (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं
045-014 (ऐ रसूल) मोमिनों से कह दो कि जो लोग ख़ुदा के दिनों की (जो जज़ा के लिए मुक़र्रर हैं) तवक्क़ो नहीं रखते उनसे दरगुज़र करें ताकि वह लोगों के आमाल का बदला दे
Wa 'Ātaynāhum Bayyinātin Mina Al-'Amri ۖ Famā Akhtalafū 'Illā Min Ba`di Mā Jā'ahumu Al-`Ilmu Baghyāan Baynahum ۚ 'Inna Rabbaka Yaqđī Baynahum Yawma Al-Qiyāmati Fīmā Kānū Fīhi Yakhtalifūna
045-017 और उनको दीन की खुली हुई दलीलें इनायत की तो उन लोगों ने इल्म आ चुकने के बाद बस आपस की ज़िद में एक दूसरे से एख्तेलाफ़ किया कि ये लोग जिन बातों से एख्तेलाफ़ कर रहें हैं क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार उनमें फैसला कर देगा
'Am Ĥasiba Al-Ladhīna Ajtaraĥū As-Sayyi'āti 'An Naj`alahum Kālladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Sawā'an Maĥyāhum Wa Mamātuhum ۚ Sā'a Mā Yaĥkumūna
045-021 जो लोग बुरा काम किया करते हैं क्या वह ये समझते हैं कि हम उनको उन लोगों के बराबर कर देंगे जो ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम भी करते रहे और उन सब का जीना मरना एक सा होगा ये लोग (क्या) बुरे हुक्म लगाते हैं
Wa Khalaqa Allāhu As-Samāwāti Wa Al-'Arđa Bil-Ĥaqqi Wa Litujzá Kullu Nafsin Bimā Kasabat Wa Hum Lā Yužlamūna
045-022 और ख़ुदा ने सारे आसमान व ज़मीन को हिकमत व मसलेहत से पैदा किया और ताकि हर शख़्श को उसके किये का बदला दिया जाए और उन पर (किसी तरह का) ज़ुल्म नहीं किया जाएगा
'Afara'ayta Mani Attakhadha 'Ilahahu Hawāhu Wa 'Ađallahu Allāhu `Alá `Ilmin Wa Khatama `Alá Sam`ihi Wa Qalbihi Wa Ja`ala `Alá Başarihi Ghishāwatan Faman Yahdīhi Min Ba`di Allāhi ۚ 'Afalā Tadhakkarūna
045-023 भला तुमने उस शख़्श को भी देखा है जिसने अपनी नफसियानी ख़वाहिशों को माबूद बना रखा है और (उसकी हालत) समझ बूझ कर ख़ुदा ने उसे गुमराही में छोड़ दिया है और उसके कान और दिल पर अलामत मुक़र्रर कर दी है (कि ये ईमान न लाएगा) और उसकी ऑंख पर पर्दा डाल दिया है फिर ख़ुदा के बाद उसकी हिदायत कौन कर सकता है तो क्या तुम लोग (इतना भी) ग़ौर नहीं करते
Wa Qālū Mā Hiya 'Illā Ĥayātunā Ad-Dunyā Namūtu Wa Naĥyā Wa Mā Yuhlikunā 'Illā Ad-Dahru ۚ Wa Mā Lahum Bidhālika Min `Ilmin ۖ 'In Hum 'Illā Yažunnūna
045-024 और वह लोग कहते हैं कि हमारी ज़िन्दगी तो बस दुनिया ही की है (यहीं) मरते हैं और (यहीं) जीते हैं और हमको बस ज़माना ही (जिलाता) मारता है और उनको इसकी कुछ ख़बर तो है नहीं ये लोग तो बस अटकल की बातें करते हैं
045-025 और जब उनके सामने हमारी खुली खुली आयतें पढ़ी जाती हैं तो उनकी कट हुज्जती बस यही होती है कि वह कहते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो हमारे बाप दादाओं को (जिला कर) ले तो आओ
045-026 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा ही तुमको ज़िन्दा (पैदा) करता है और वही तुमको मारता है फिर वही तुमको क़यामत के दिन जिस (के होने) में किसी तरह का शक़ नहीं जमा करेगा मगर अक्सर लोग नहीं जानते
045-028 और (ऐ रसूल) तुम हर उम्मत को देखोगे कि (फैसले की मुन्तज़िर अदब से) घूटनों के बल बैठी होगी और हर उम्मत अपने नामाए आमाल की तरफ बुलाइ जाएगी जो कुछ तुम लोग करते थे आज तुमको उसका बदला दिया जाएगा
Fa'ammā Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti FayudkhiluhumRabbuhum Fī Raĥmatihi ۚ Dhālika Huwa Al-Fawzu Al-Mubīnu
045-030 ग़रज़ जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किये तो उनको उनका परवरदिगार अपनी रहमत (से बेहिश्त) में दाख़िल करेगा यही तो सरीही कामयाबी है
Wa 'Ammā Al-Ladhīna Kafarū 'Afalam Takun 'Āyātī Tutlá `Alaykum Fāstakbartum Wa KuntumQawmāan Mujrimīna
045-031 और जिन्होंने कुफ्र एख्तेयार किया (उनसे कहा जाएगा) तो क्या तुम्हारे सामने हमारी आयतें नहीं पढ़ी जाती थीं (ज़रूर) तो तुमने तकब्बुर किया और तुम लोग तो गुनेहगार हो गए
Wa 'Idhā Qīla 'Inna Wa`da Allāhi Ĥaqqun Wa As-Sā`atu Lā Rayba Fīhā Qultum Mā Nadrī Mā As-Sā`atu 'In Nažunnu 'Illā Žannāan Wa Mā Naĥnu Bimustayqinīna
045-032 और जब (तुम से) कहा जाता था कि ख़ुदा का वायदा सच्चा है और क़यामत (के आने) में कुछ शुबहा नहीं तो तुम कहते थे कि हम नहीं जानते कि क़यामत क्या चीज़ है हम तो बस (उसे) एक ख्याली बात समझते हैं और हम तो (उसका) यक़ीन नहीं रखते
Wa Qīla Al-Yawma Nansākum Kamā Nasītum Liqā'a Yawmikum Hādhā Wa Ma'wākumu An-Nāru Wa Mā Lakum Min Nāşirīna
045-034 और (उनसे) कहा जाएगा कि जिस तरह तुमने उस दिन के आने को भुला दिया था उसी तरह आज हम तुमको अपनी रहमत से अमदन भुला देंगे और तुम्हारा ठिकाना दोज़ख़ है और कोई तुम्हारा मददगार नहीं
Dhālikum Bi'annakumAttakhadhtum 'Āyāti Allāhi Huzūan Wa Gharratkumu Al-Ĥayāatu Ad-Dunyā ۚ Fālyawma Lā Yukhrajūna Minhā Wa Lā Hum Yusta`tabūna
045-035 ये इस सबब से कि तुम लोगों ने ख़ुदा की आयतों को हँसी ठट्ठा बना रखा था और दुनयावी ज़िन्दगी ने तुमको धोखे में डाल दिया था ग़रज़ ये लोग न तो आज दुनिया से निकाले जाएँगे और न उनको इसका मौका दिया जाएगा कि (तौबा करके ख़ुदा को) राज़ी कर ले