'Inna Fir`awna `Alā Fī Al-'Arđi Wa Ja`ala 'Ahlahā Shiya`āan Yastađ`ifu Ţā'ifatan Minhum Yudhabbiĥu 'Abnā'ahum Wa Yastaĥyī Nisā'ahum ۚ 'Innahu Kāna Mina Al-Mufsidīna
028-004 बेशक फिरऔन ने (मिस्र की) सरज़मीन में बहुत सर उठाया था और उसने वहाँ के रहने वालों को कई गिरोह कर दिया था उनमें से एक गिरोह (बनी इसराइल) को आजिज़ कर रखा थ कि उनके बेटों को ज़बाह करवा देता था और उनकी औरतों (बेटियों) को ज़िन्दा छोड़ देता था बेशक वह भी मुफ़सिदों में था
Wa Nurīdu 'An Namunna `Alá Al-Ladhīna Astuđ`ifū Fī Al-'Arđi Wa Naj`alahum 'A'immatan Wa Naj`alahumu Al-Wārithīna
028-005 और हम तो ये चाहते हैं कि जो लोग रुए ज़मीन में कमज़ोर कर दिए गए हैं उनपर एहसान करे और उन्हींको (लोगों का) पेशवा बनाएँ और उन्हीं को इस (सरज़मीन) का मालिक बनाएँ
Wa Numakkina Lahum Fī Al-'Arđi Wa Nuriya Fir`awna Wa Hāmāna Wa Junūdahumā Minhum Mā Kānū Yaĥdharūna
028-006 और उन्हीं को रुए ज़मीन पर पूरी क़ुदरत अता करे और फिरऔन और हामान और उन दोनों के लश्करो को उन्हीं कमज़ोरों के हाथ से वह चीज़ें दिखायें जिससे ये लोग डरते थे
Wa 'Awĥaynā 'Ilá 'Ummi Mūsá 'An 'Arđi`īhi ۖ Fa'idhā Khifti `Alayhi Fa'alqīhi Fī Al-Yammi Wa Lā Takhāfī Wa Lā Taĥzanī ۖ 'Innā Rāddūhu 'Ilayki Wa Jā`ilūhu Mina Al-Mursalīna
028-007 और हमने मूसा की माँ के पास ये वही भेजी कि तुम उसको दूध पिला लो फिर जब उसकी निस्बत तुमको कोई ख़ौफ हो तो इसको (एक सन्दूक़ में रखकर) दरिया में डाल दो और (उस पर) तुम कुछ न डरना और न कुढ़ना (तुम इतमेनान रखो) हम उसको फिर तुम्हारे पास पहुँचा देगें और उसको (अपना) रसूल बनाएँगें
Fāltaqaţahu~ 'Ālu Fir`awna Liyakūna Lahum `Adūwāan Wa Ĥazanāan ۗ 'Inna Fir`awna Wa Hāmāna Wa Junūdahumā Kānū Khāţi'īna
028-008 (ग़रज़ मूसा की माँ ने दरिया में डाल दिया) वह सन्दूक़ बहते बहते फिरऔन के महल के पास आ लगा तो फिरऔन के लोगों ने उसे उठा लिया ताकि (एक दिन यही) उनका दुश्मन और उनके राज का बायस बने इसमें शक नहीं कि फिरऔन और हामान उन दोनों के लश्कर ग़लती पर थे
Wa Qālat Amra'atu Fir`awna Qurratu `Aynin Lī Wa Laka ۖ Lā Taqtulūhu `Asá 'An Yanfa`anā 'Aw Nattakhidhahu Waladāan Wa Hum Lā Yash`urūna
028-009 और (जब मूसा महल में लाए गए तो) फिरऔन की बीबी (आसिया अपने शौहर से) बोली कि ये मेरी और तुम्हारी (दोनों की) ऑंखों की ठन्डक है तो तुम लोग इसको क़त्ल न करो क्या अजब है कि ये हमको नफ़ा पहुँचाए या हम उसे ले पालक ही बना लें और उन्हें (उसी के हाथ से बर्बाद होने की) ख़बर न थी
Wa 'Aşbaĥa Fu'uādu 'Ummi Mūsá Fārighāan ۖ 'In Kādat Latubdī Bihi Lawlā 'AnRabaţnā `Alá Qalbihā Litakūna Mina Al-Mu'uminīna
028-010 इधर तो ये हो रहा था और (उधर) मूसा की माँ का दिल ऐसा बेचैन हो गया कि अगर हम उसके दिल को मज़बूत कर देते तो क़रीब था कि मूसा का हाल ज़ाहिर कर देती (और हमने इसीलिए ढारस दी) ताकि वह (हमारे वायदे का) यक़ीन रखे
Wa Qālat Li'khtihiQuşşīhi ۖ Fabaşurat Bihi `An Junubin Wa Hum Lā Yash`urūna
028-011 और मूसा की माँ ने (दरिया में डालते वक्त) उनकी बहन (कुलसूम) से कहा कि तुम इसके पीछे पीछे (अलग) चली जाओ तो वह मूसा को दूर से देखती रही और उन लोगो को उसकी ख़बर भी न हुई
Wa Ĥarramnā `Alayhi Al-Marāđi`a MinQablu Faqālat Hal 'Adullukum `Alá 'Ahli Baytin Yakfulūnahu Lakum Wa Hum Lahu Nāşiĥūna
028-012 और हमने मूसा पर पहले ही से और दाईयों (के दूध) को हराम कर दिया था (कि किसी की छाती से मुँह न लगाया) तब मूसा की बहन बोली भला मै तुम्हें एक घराने का पता बताऊ कि वह तुम्हारी ख़ातिर इस बच्चे की परवरिश कर देंगे और वह यक़ीनन इसके खैरख्वाह होगे
Faradadnāhu 'Ilá 'Ummihi Kay Taqarra `Aynuhā Wa Lā Taĥzana Wa Lita`lama 'Anna Wa`da Allāhi Ĥaqqun Wa Lakinna 'Aktharahum Lā Ya`lamūna
028-013 ग़रज़ (इस तरकीब से) हमने मूसा को उसकी माँ तक फिर पहुँचा दिया ताकि उसकी ऑंख ठन्डी हो जाए और रंज न करे और ताकि समझ ले ख़ुदा का वायदा बिल्कुल ठीक है मगर उनमें के अक्सर नहीं जानते हैं
Wa Lammā Balagha 'Ashuddahu Wa Astawá 'Ātaynāhu Ĥukmāan Wa `Ilmāan ۚ Wa Kadhalika Najzī Al-Muĥsinīna
028-014 और जब मूसा अपनी जवानी को पहुँचे और (हाथ पाँव निकाल के) दुरुस्त हो गए तो हमने उनको हिकमत और इल्म अता किया और नेकी करने वालों को हम यूँ जज़ाए खैर देते हैं
Wa Dakhala Al-Madīnata `Alá Ĥīni Ghaflatin Min 'Ahlihā Fawajada Fīhā Rajulayni Yaqtatilāni Hādhā MinShī`atihi Wa Hadhā Min `Adūwihi ۖ Fāstaghāthahu Al-Ladhī MinShī`atihi `Alá Al-Ladhī Min `Adūwihi Fawakazahu Mūsá Faqađá `Alayhi ۖ Qāla Hādhā Min `Amali Ash-Shayţāni ۖ 'Innahu `Adūwun Muđillun Mubīnun
028-015 और एक दिन इत्तिफाक़न मूसा शहर में ऐसे वक्त अाए कि वहाँ के लोग (नींद की) ग़फलत में पडे हुए थे तो देखा कि वहाँ दो आदमी आपस में लड़े मरते हैं ये (एक) तो उनकी क़ौम (बनी इसराइल) में का है और वह (दूसरा) उनके दुश्मन की क़ौम (क़िब्ती) का है तो जो शख्स उनकी क़ौम का था उसने उस शख्स से जो उनके दुश्मनों में था (ग़लबा हासिल करने के लिए) मूसा से मदद माँगी ये सुनते ही मूसा ने उसे एक घूसा मारा था कि उसका काम तमाम हो गया फिर (ख्याल करके) कहने लगे ये शैतान का काम था इसमें शक नहीं कि वह दुश्मन और खुल्लम खुल्ला गुमराह करने वाला है
028-016 (फिर बारगाहे ख़ुदा में) अर्ज़ की परवरदिगार बेशक मैने अपने ऊपर आप ज़ुल्म किया (कि इस शहर में आया) तो तू मुझे (दुश्मनों से) पोशीदा रख-ग़रज़ ख़ुदा ने उन्हें पोशीदा रखा (इसमें तो शक नहीं कि वह बड़ा पोशीदा रखने वाला मेहरबान है)
028-018 ग़रज़ (रात तो जो त्यों गुज़री) सुबह को उम्मीदो बीम की हालत में मूसा शहर में गए तो क्या देखते हैं कि वही शख्स जिसने कल उनसे मदद माँगी थी उनसे (फिर) फरियाद कर रहा है-मूसा ने उससे कहा बेशक तू यक़ीनी खुल्लम खुल्ला गुमराह है
028-019 ग़रज़ जब मूसा ने चाहा कि उस शख्स पर जो दोनों का दुश्मन था (छुड़ाने के लिए) हाथ बढ़ाएँ तो क़िब्ती कहने लगा कि ऐ मूसा जिस तरह तुमने कल एक आदमी को मार डाला (उसी तरह) मुझे भी मार डालना चाहते हो तो तुम बस ये चाहते हो कि रुए ज़मीन में सरकश बन कर रहो और मसलह (क़ौम) बनकर रहना नहीं चाहते
Wa Jā'a Rajulun Min 'Aqşá Al-Madīnati Yas`á Qāla Yā Mūsá 'Inna Al-Mala'a Ya'tamirūna Bika Liyaqtulūka Fākhruj 'Innī Laka Mina An-Nāşiĥīna
028-020 और एक शख्स शहर के उस किनारे से डराता हुआ आया और (मूसा से) कहने लगा मूसा (तुम ये यक़ीन जानो कि शहर के) बड़े बड़े आदमी तुम्हारे आदमी तुम्हारे बारे में मशवरा कर रहे हैं कि तुमको कत्ल कर डालें तो तुम (शहर से) निकल भागो
028-021 मै तुमसे ख़ैरख्वाहाना (भलाइ के लिए) कहता हूँ ग़रज़ मूसा वहाँ से उम्मीद व बीम की हालत में निकल खडे हुए और (बारगाहे ख़ुदा में) अर्ज़ की परवरदिगार मुझे ज़ालिम लोगों (के हाथ) से नजात दे
Wa Lammā Warada Mā'a Madyana Wajada `Alayhi 'Ummatan Mina An-Nāsi Yasqūna Wa Wajada Min Dūnihimu Amra'tayni Tadhūdāni ۖ Qāla Mā Khaţbukumā ۖ Qālatā Lā Nasqī Ĥattá Yuşdira Ar-Ri`ā'u ۖ Wa 'Abūnā Shaykhun Kabīrun
028-023 और (आठ दिन फाक़ा करते चले) जब शहर मदियन के कुओं पर (जो शहर के बाहर था) पहुँचें तो कुओं पर लोगों की भीड़ देखी कि वह (अपने जानवरों को) पानी पिला रहे हैं और उन सबके पीछे दो औरतो (हज़रत शुएब की बेटियों) को देखा कि वह (अपनी बकरियों को) रोके खड़ी है मूसा ने पूछा कि तुम्हारा क्या मतलब है वह बोली जब तक सब चरवाहे (अपने जानवरों को) ख़ूब छक के पानी पिला कर फिर न जाएँ हम नहीं पिला सकते और हमारे वालिद बहुत बूढे हैं
028-024 तब मूसा ने उन की (बकरियों) के लिए (पानी खीच कर) पिला दिया फिर वहाँ से हट कर छांव में जा बैठे तो (चूँकि बहुत भूक थी) अर्ज क़ी परवरदिगार (उस वक्त) ज़ो नेअमत तू मेरे पास भेज दे मै उसका सख्त हाजत मन्द हूँ
028-025 इतने में उन्हीं दो मे से एक औरत शर्मीली चाल से आयी (और मूसा से) कहने लगी-मेरे वालिद तुम को बुलाते हैं ताकि तुमने जो (हमारी बकरियों को) पानी पिला दिया है तुम्हें उसकी मज़दूरी दे ग़रज़ जब मूसा उनके पास आए और उनसे अपने किस्से बयान किए तो उन्होंने कहा अब कुछ अन्देशा न करो तुमने ज़ालिम लोगों के हाथ से नजात पायी
028-026 (इसी असना में) उन दोनों में से एक लड़की ने कहा ऐ अब्बा इन को नौकर रख लीजिए क्योंकि आप जिसको भी नौकर रखें सब में बेहतर वह है जो मज़बूत और अमानतदार हो
028-027 (और इनमें दोनों बातें पायी जाती हैं तब) शुएब ने कहा मै चाहता हूँ कि अपनी दोनों लड़कियों में से एक के साथ तुम्हारा इस (महर) पर निकाह कर दूँ कि तुम आठ बरस तक मेरी नौकरी करो और अगर तुम दस बरस पूरे कर दो तो तुम्हारा एहसान और मै तुम पर मेहनत मशक्क़त भी डालना नही चाहता और तुम मुझे इन्शा अल्लाह नेको कार आदमी पाओगे
Qāla Dhālika Baynī Wa Baynaka ۖ 'Ayyamā Al-'Ajalayni Qađaytu Falā `Udwāna `Alayya Wa ۖ Allāhu `Alá Mā Naqūlu Wa Kīlun
028-028 मूसा ने कहा ये मेरे और आप के दरमियान (मुहाएदा) है दोनों मुद्दतों मे से मै जो भी पूरी कर दूँ (मुझे एख्तियार है) फिर मुझ पर जब्र और ज्यादती (देने का आपको हक़) नहीं और हम आप जो कुछ कर रहे हैं (उसका) ख़ुदा गवाह है
Falammā Qađá Mūsá Al-'Ajala Wa Sāra Bi'ahlihi~ 'Ānasa Min Jānibi Aţ-Ţūri NārāanQāla Li'hlihi Amkuthū 'Innī 'Ānastu Nārāan La`allī 'Ātīkum Minhā Bikhabarin 'Aw Jadhwatin Mina An-Nāri La`allakum Taşţalūna
028-029 ग़रज़ मूसा का छोटी लड़की से निकाह हो गया और रहने लगे फिर जब मूसा ने अपनी (दस बरस की) मुद्दत पूरी की और बीवी को लेकर चले तो अंधेरीरात जाड़ों के दिन राह भूल गए और बीबी सफ़ूरा को दर्द ज़ेह शुरु हुआ (इतने में) कोहेतूर की तरफ आग दिखायी दी तो अपने लड़के बालों से कहा तुम लोग ठहरो मैने यक़ीनन आग देखी है (मै वहाँ जाता हूँ) क्या अजब है वहाँ से (रास्ते की) कुछ ख़बर लाऊँ या आग की कोई चिंगारी (लेता आऊँ) ताकि तुम लोग तापो
028-030 ग़रज़ जब मूसा आग के पास आए तो मैदान के दाहिने किनारे से इस मुबारक जगह में एक दरख्त से उन्हें आवाज़ आयी कि ऐ मूसा इसमें शक नहीं कि मै ही अल्लाह सारे जहाँ का पालने वाला हूँ
Wa 'An 'Alqi `Aşāka ۖ Falammā Ra'āhā Tahtazzu Ka'annahā Jānnun Wallá Mudbirāan Wa Lam Yu`aqqib ۚ Yā Mūsá 'Aqbil Wa Lā Takhaf ۖ 'Innaka Mina Al-'Āminīna
028-031 और यह (भी आवाज़ आयी) कि तुम आपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दो फिर जब (डाल दिया तो) देखा कि वह इस तरह बल खा रही है कि गोया वह (ज़िन्दा) अजदहा है तो पीठ फेरके भागे और पीछे मुड़कर भी न देखा (तो हमने फरमाया) ऐ मूसा आगे आओ और डरो नहीं तुम पर हर तरह अमन व अमान में हो
Asluk Yadaka Fī Jaybika Takhruj Bayđā'a Min Ghayri Sū'in Wa Ađmum 'Ilayka Janāĥaka Mina Ar-Rahbi ۖ Fadhānika Burhānāni MinRabbika 'Ilá Fir`awna Wa Mala'ihi~ ۚ 'Innahum Kānū Qawmāan Fāsiqīna
028-032 (अच्छा और लो) अपना हाथ गरेबान में डालो (और निकाल लो) तो सफेद बुर्राक़ होकर बेऐब निकल आया और ख़ौफ की (वजह) से अपने बाजू अपनी तरफ समेट लो (ताकि ख़ौफ जाता रहे) ग़रज़ ये दोनों (असा व यदे बैज़ा) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (तुम्हारी नुबूवत की) दो दलीलें फिरऔन और उसके दरबार के सरदारों के वास्ते हैं और इसमें शक नहीं कि वह बदकार लोग थे
Wa 'Akhī Hārūnu Huwa 'Afşaĥu Minnī Lisānāan Fa'arsilhu Ma`iya Rid'āan Yuşaddiqunī ۖ 'Innī 'Akhāfu 'An Yukadhdhibūni
028-034 और मेरा भाई हारुन वह मुझसे (ज़बान में ज्यादा) फ़सीह है तो तू उसे मेरे साथ मेरा मददगार बनाकर भेज कि वह मेरी तसदीक करे क्योंकि यक़ीनन मै इस बात से डरता हूँ कि मुझे वह लोग झुठला देंगे (तो उनके जवाब के लिए गोयाइ की ज़रुरत है)
Qāla Sanashuddu `Ađudaka Bi'akhīka Wa Naj`alu Lakumā Sulţānāan Falā Yaşilūna 'Ilaykumā ۚ Bi'āyātinā 'Antumā Wa Mani Attaba`akumā Al-Ghālibūna
028-035 फ़रमाया अच्छा हम अनक़रीब तुम्हारे भाई की वजह से तुम्हारे बाज़ू क़वी कर देगें और तुम दोनों को ऐसा ग़लबा अता करेंगें कि फिरऔनी लोग तुम दोनों तक हमारे मौजिज़े की वजह से पहुँच भी न सकेंगे लो जाओ तुम दोनो और तुम्हारे पैरवी करने वाले गालिब रहेंगे
028-036 ग़रज़ जब मूसा हमारे वाजेए व रौशन मौजिज़े लेकर उनके पास आए तो वह लोग कहने लगे कि ये तो बस अपने दिल का गढ़ा हुआ जादू है और हमने तो अपने अगले बाप दादाओं (के ज़माने) में ऐसी बात सुनी भी नहीें
Wa Qāla Mūsá Rabbī 'A`lamu Biman Jā'a Bil-Hudá Min `Indihi Wa Man Takūnu Lahu `Āqibatu Ad-Dāri ۖ 'Innahu Lā Yufliĥu Až-Žālimūna
028-037 और मूसा ने कहा मेरा परवरदिगार उस शख्स से ख़ूब वाक़िफ़ है जो उसकी बारगाह से हिदायत लेकर आया है और उस शख्स से भी जिसके लिए आख़िरत का घर है इसमें तो शक ही नहीं कि ज़ालिम लोग कामयाब नहीं होते
Wa Qāla Fir`awnu Yā 'Ayyuhā Al-Mala'u Mā `Alimtu Lakum Min 'Ilahin Ghayrī Fa'awqid Lī Yā Hāmānu `Alá Aţ-Ţīni Fāj`al Lī Şarĥāan La`allī 'Aţţali`u 'Ilá 'Ilahi Mūsá Wa 'Innī La'ažunnuhu Mina Al-Kādhibīna
028-038 और (ये सुनकर) फिरऔन ने कहा ऐ मेरे दरबार के सरदारों मुझ को तो अपने सिवा तुम्हारा कोई परवरदिगार मालूम नही होता (और मूसा दूसरे को ख़ुदा बताता है) तो ऐ हामान (वज़ीर फिरऔन) तुम मेरे वास्ते मिट्टी (की ईटों) का पजावा सुलगाओ फिर मेरे वास्ते एक पुख्ता महल तैयार कराओ ताकि मै (उस पर चढ़ कर) मूसा के ख़ुदा को देंखू और मै तो यक़ीनन मूसा को झूठा समझता हूँ
Wa Ja`alnāhum 'A'immatan Yad`ūna 'Ilá An-Nāri ۖ Wa Yawma Al-Qiyāmati Lā Yunşarūna
028-041 और हमने उनको (गुमराहों का) पेशवा बनाया कि (लोगों को) जहन्नुम की तरफ बुलाते है और क़यामत के दिन (ऐसे बेकस होगें कि) उनको किसी तरह की मदद न दी जाएगी
Wa Laqad 'Ātaynā Mūsá Al-Kitāba Min Ba`di Mā 'Ahlaknā Al-Qurūna Al-'Ūlá Başā'ira Lilnnāsi Wa Hudan Wa Raĥmatan La`allahum Yatadhakkarūna
028-043 और हमने बहुतेरी अगली उम्मतों को हलाक कर डाला उसके बाद मूसा को किताब (तौरैत) अता की जो लोगों के लिए अजसरतापा बसीरत और हिदायत और रहमत थी ताकि वह लोग इबरत व नसीहत हासिल करें
Wa Mā Kunta Bijānibi Al-Gharbīyi 'IdhQađaynā 'Ilá Mūsá Al-'Amra Wa Mā Kunta Mina Ash-Shāhidīn
028-044 और (ऐ रसूल) जिस वक्त हमने मूसा के पास अपना हुक्म भेजा था तो तुम (तूर के) मग़रिबी जानिब मौजूद न थे और न तुम उन वाक्यात को चश्मदीद देखने वालों में से थे
Wa Lakinnā 'Ansha'nā Qurūnāan Fataţāwala `Alayhimu Al-`Umuru ۚ Wa Mā Kunta Thāwīāan Fī 'Ahli Madyana Tatlū `Alayhim 'Āyātinā Wa Lakinnā Kunnā Mursilīna
028-045 मगर हमने (मूसा के बाद) बहुतेरी उम्मतें पैदा की फिर उन पर एक ज़माना दराज़ गुज़र गया और न तुम मदैन के लोगों में रहे थे कि उनके सामने हमारी आयते पढ़ते (और न तुम को उन के हालात मालूम होते) मगर हम तो (तुमको) पैग़म्बर बनाकर भेजने वाले थे
Wa Mā Kunta Bijānibi Aţ-Ţūri 'Idh Nādaynā Wa LakinRaĥmatan MinRabbika Litundhira Qawmāan Mā 'Atāhum Min Nadhīrin MinQablika La`allahum Yatadhakkarūna
028-046 और न तुम तूर की किसी जानिब उस वक्त मौजूद थे जब हमने (मूसा को) आवाज़ दी थी (ताकि तुम देखते) मगर ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी है ताकि तुम उन लोगों को जिनके पास तुमसे पहले कोई डराने वाला आया ही नहीं डराओ ताकि ये लोग नसीहत हासिल करें
Wa Lawlā 'An Tuşībahum Muşībatun Bimā Qaddamat 'Aydīhim Fayaqūlū Rabbanā Lawlā 'Arsalta 'Ilaynā Rasūlāan Fanattabi`a 'Āyātika Wa Nakūna Mina Al-Mu'uminīna
028-047 और अगर ये नही होता कि जब उन पर उनकी अगली करतूतों की बदौलत कोई मुसीबत पड़ती तो बेसाख्ता कह बैठते कि परवरदिगार तूने हमारे पास कोई पैग़म्बर क्यों न भेजा कि हम तेरे हुक्मों पर चलते और ईमानदारों में होते (तो हम तुमको न भेजते )
028-048 मगर फिर जब हमारी बारगाह से (दीन) हक़ उनके पास पहुँचा तो कहने लगे जैसे (मौजिज़े) मूसा को अता हुए थे वैसे ही इस रसूल (मोहम्मद) को क्यों नही दिए गए क्या जो मौजिज़े इससे पहले मूसा को अता हुए थे उनसे इन लोगों ने इन्कार न किया था कुफ्फ़ार तो ये भी कह गुज़रे कि ये दोनों के दोनों (तौरैत व कुरान) जादू हैं कि बाहम एक दूसरे के मददगार हो गए हैं
Qul Fa'tū Bikitābin Min `Indi Allāhi Huwa 'Ahdá Minhumā 'Attabi`hu 'In KuntumŞādiqīna
028-049 और ये भी कह चुके कि हम एब के मुन्किर हैं (ऐ रसूल) तुम (इन लोगों से) कह दो कि अगर सच्चे हो तो ख़ुदा की तरफ से एक ऐसी किताब जो इन दोनों से हिदायत में बेहतर हो ले आओ
Fa'in Lam Yastajībū Laka Fā`lam 'Annamā Yattabi`ūna 'Ahwā'ahum ۚ Wa Man 'Ađallu Mimmani Attaba`a Hawāhu Bighayri Hudan Mina Allāhi ۚ 'Inna Allāha Lā Yahdī Al-Qawma Až-Žālimīna
028-050 कि मै भी उस पर चलँ फिर अगर ये लोग (इस पर भी) न मानें तो समझ लो कि ये लोग बस अपनी हवा व हवस की पैरवी करते है और जो शख्स ख़ुदा की हिदायत को छोड़ कर अपनी हवा व हवस की पैरवी करते है उससे ज्यादा गुमराह कौन होगा बेशक ख़ुदा सरकश लोगों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता
028-053 और जब उनके सामने ये पढ़ा जाता है तो बोल उठते हैं कि हम तो इस पर ईमान ला चुके बेशक ये ठीक है (और) हमारे परवरदिगार की तरफ से है हम तो इसको पहले ही मानते थे
'Ūlā'ika Yu'utawna 'Ajrahum Marratayni Bimā Şabarū Wa Yadra'ūna Bil-Ĥasanati As-Sayyi'ata Wa Mimmā Razaqnāhum Yunfiqūna
028-054 यही वह लोग हैं जिन्हें (इनके आमाले ख़ैर की) दोहरी जज़ा दी जाएगी-चूँकि उन लोगों ने सब्र किया और बदी को नेकी से दफ़ा करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें अता किया है उसमें से (हमारी राह में) ख़र्च करते हैं
Wa 'Idhā Sami`ū Al-Laghwa 'A`rađū `Anhu Wa Qālū Lanā 'A`mālunā Wa Lakum 'A`mālukum Salāmun `Alaykum Lā Nabtaghī Al-Jāhilīna
028-055 और जब किसी से कोई बुरी बात सुनी तो उससे किनारा कश रहे और साफ कह दिया कि हमारे वास्ते हमारी कारगुज़ारियाँ हैं और तुम्हारे वास्ते तुम्हारी कारस्तानियाँ (बस दूर ही से) तुम्हें सलाम है हम जाहिलो (की सोहबत) के ख्वाहॉ नहीं
'Innaka Lā Tahdī Man 'Aĥbabta Wa Lakinna Allāha Yahdī Man Yashā'u ۚ Wa Huwa 'A`lamu Bil-Muhtadīna
028-056 (ऐ रसूल) बेशक तुम जिसे चाहो मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचा सकते मगर हाँ जिसे खुदा चाहे मंज़िल मक़सूद तक पहुचाए और वही हिदायत याफ़ता लोगों से ख़ूब वाक़िफ़ है
Wa Qālū 'In Nattabi`i Al-Hudá Ma`aka Nutakhaţţaf Min 'Arđinā ۚ 'Awalam Numakkin Lahum Ĥaramāan 'Āmināan Yujbá 'Ilayhi Thamarātu Kulli Shay'inRizqāan Min Ladunnā Wa Lakinna 'Aktharahum Lā Ya`lamūna
028-057 (ऐ रसूल) कुफ्फ़ार (मक्का) तुमसे कहते हैं कि अगर हम तुम्हारे साथ दीन हक़ की पैरवी करें तो हम अपने मुल्क़ से उचक लिए जाएँ (ये क्या बकते है) क्या हमने उन्हें हरम (मक्का) में जहाँ हर तरह का अमन है जगह नहीं दी वहाँ हर किस्म के फल रोज़ी के वास्ते हमारी बारगाह से खिंचे चले जाते हैं मगर बहुतेरे लोग नहीं जाते
Wa Kam 'Ahlaknā MinQaryatin Baţirat Ma`īshatahā ۖ Fatilka Masākinuhum Lam Tuskan Min Ba`dihim 'Illā Qalīlāan ۖ Wa Kunnā Naĥnu Al-Wārithīna
028-058 और हमने तो बहुतेरी बस्तियाँ बरबाद कर दी जो अपनी मइशत (रोजी) में बहुत इतराहट से (ज़िन्दगी) बसर किया करती थीं-(तो देखो) ये उन ही के (उजड़े हुए) घर हैं जो उनके बाद फिर आबाद नहीं हुए मगर बहुत कम और (आख़िर) हम ही उनके (माल व असबाब के) वारिस हुए
Wa Mā Kāna Rabbuka Muhlika Al-Qurá Ĥattá Yab`atha Fī 'Ummihā Rasūlāan Yatlū `Alayhim 'Āyātinā ۚ Wa Mā Kunnā Muhlikī Al-Qurá 'Illā Wa 'Ahluhā Žālimūna
028-059 और तुम्हारा परवरदिगार जब तक उन गाँव के सदर मक़ाम पर अपना पैग़म्बर न भेज ले और वह उनके सामने हमारी आयतें न पढ़ दे (उस वक्त तक) बस्तियों को बरबाद नहीं कर दिया करता-और हम तो बस्तियों को बरबाद करते ही नहीं जब तक वहाँ के लोग ज़ालिम न हों
Wa Mā 'Ūtītum MinShay'in Famatā`u Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Wa Zīnatuhā ۚ Wa Mā `Inda Allāhi Khayrun Wa 'Abqá ۚ 'Afalā Ta`qilūna
028-060 और तुम लोगों को जो कुछ अता हुआ है तो दुनिया की (ज़रा सी) ज़िन्दगी का फ़ायदा और उसकी आराइश है और जो कुछ ख़ुदा के पास है वह उससे कही बेहतर और पाएदार है तो क्या तुम इतना भी नहीं समझते
'Afaman Wa`adnāhu Wa`dāan Ĥasanāan Fahuwa Lāqīhi Kaman Matta`nāhu Matā`a Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Thumma Huwa Yawma Al-Qiyāmati Mina Al-Muĥđarīna
028-061 तो क्या वह शख्स जिससे हमने (बेहश्त का) अच्छा वायदा किया है और वह उसे पाकर रहेगा उस शख्स के बराबर हो सकता है जिसे हमने दुनियावी ज़िन्दगी के (चन्द रोज़ा) फायदे अता किए हैं और फिर क़यामत के दिन (जवाब देही के वास्ते हमारे सामने) हाज़िर किए जाएँगें
028-063 वह लोग जो हमारे अज़ाब के मुस्ताजिब हो चुके हैं कह देगे कि परवरदिगार यही वह लोग हैं जिन्हें हमने गुमराह किया था जिस तरह हम ख़़ुद गुमराह हुए उसी तरह हमने इनको गुमराह किया-अब हम तेरी बारगाह में (उनसे) दस्तबरदार होते है-ये लोग हमारी इबादत नहीं करते थे
Wa Qīla Ad`ū Shurakā'akum Fada`awhum Falam Yastajībū Lahum Wa Ra'aw Al-`Adhāba ۚ Law 'Annahum Kānū Yahtadūna
028-064 और कहा जाएगा कि भला अपने उन शरीको को (जिन्हें तुम ख़ुदा समझते थे) बुलाओ तो ग़रज़ वह लोग उन्हें बुलाएँगे तो वह उन्हें जवाब तक नही देगें और (अपनी ऑंखों से) अज़ाब को देखेंगें काश ये लोग (दुनिया में) राह पर आए होते
Wa Rabbuka Yakhluqu Mā Yashā'u Wa Yakhtāru ۗ Mā Kāna Lahumu Al-Khiyaratu ۚ Subĥāna Allāhi Wa Ta`ālá `Ammā Yushrikūna
028-068 और तुम्हारा परवरदिगार जो चाहता है पैदा करता है और (जिसे चाहता है) मुन्तख़िब करता है और ये इन्तिख़ाब लोगों के एख्तियार में नहीं है और जिस चीज़ को ये लोग ख़ुदा का शरीक बनाते हैं उससे ख़ुदा पाक और (कहीं) बरतर है
Wa Huwa Allāhu Lā 'Ilāha 'Illā Huwa ۖ Lahu Al-Ĥamdu Fī Al-'Ūlá Wa Al-'Ākhirati ۖ Wa Lahu Al-Ĥukmu Wa 'Ilayhi Turja`ūna
028-070 और वही ख़ुदा है उसके सिवा कोई क़ाबिले परसतिश नहीं दुनिया और आख़िरत में उस की तारीफ़ है और उसकी हुकूमत है और तुम लोग (मरने के बाद) उसकी तरफ लौटाए जाओगे
028-071 (ऐ रसूल इन लोगों से) कहो कि भला तुमने देखा कि अगर ख़ुदा हमेशा के लिए क़यामत तक तुम्हारे सरों पर रात को छाए रहता तो अल्लाह के सिवा कौन ख़ुदा है जो तुम्हारे पास रौशनी ले आता तो क्या तुम सुनते नहीं हो
028-072 (ऐ रसूल उन से) कह दो कि भला तुमने देखा कि अगर ख़ुदा क़यामत तक बराबर तुम्हारे सरों पर दिन किए रहता तो अल्लाह के सिवा कौन ख़ुदा है जो तुम्हारे लिए रात को ले आता कि तुम लोग इसमें रात को आराम करो तो क्या तुम लोग (इतना भी) नहीं देखते
Wa MinRaĥmatihi Ja`ala Lakumu Al-Layla Wa An-Nahāra Litaskunū Fīhi Wa Litabtaghū Min Fađlihi Wa La`allakum Tashkurūna
028-073 और उसने अपनी मेहरबानी से तुम्हारे वास्ते रात और दिन को बनाया ताकि तुम रात में आराम करो और दिन में उसके फज़ल व करम (रोज़ी) की तलाश करो और ताकि तुम लोग शुक्र करो
Wa Naza`nā Min Kulli 'UmmatinShahīdāan Faqulnā Hātū Burhānakum Fa`alimū 'Anna Al-Ĥaqqa Lillāh Wa Đalla `Anhum Mā Kānū Yaftarūna
028-075 और हम हर एक उम्मत से एक गवाह (पैग़म्बर) निकाले (सामने बुलाएँगे) फिर (उस दिन मुशरेकीन से) कहेंगे कि अपनी (बराअत की) दलील पेश करो तब उन्हें मालूम हो जाएगा कि हक़ ख़ुदा ही की तरफ़ है और जो इफ़तेरा परवाज़ियाँ ये लोग किया करते थे सब उनसे ग़ायब हो जाएँगी
028-076 (नाशुक्री का एक क़िस्सा सुनो) मूसा की क़ौम से एक शख्स कारुन (नामी) था तो उसने उन पर सरकशी शुरु की और हमने उसको इस क़दर ख़ज़ाने अता किए थे कि उनकी कुन्जियाँ एक सकतदार जमाअत (की जामअत) को उठाना दूभर हो जाता था जब (एक बार) उसकी क़ौम ने उससे कहा कि (अपनी दौलत पर) इतरा मत क्योंकि ख़ुदा इतराने वालों को दोस्त नहीं रखता
Wa Abtaghi Fīmā 'Ātāka Allāhu Ad-Dāra Al-'Ākhirata ۖ Wa Lā Tansa Naşībaka Mina Ad-Dunyā ۖ Wa 'Aĥsin Kamā 'Aĥsana Allāhu 'Ilayka ۖ Wa Lā Tabghi Al-Fasāda Fī Al-'Arđi ۖ 'Inna Allāha Lā Yuĥibbu Al-Mufsidīna
028-077 और जो कुछ ख़ुदा ने तूझे दे रखा है उसमें आख़िरत के घर की भी जुस्तजू कर और दुनिया से जिस क़दर तेरा हिस्सा है मत भूल जा और जिस तरह ख़ुदा ने तेरे साथ एहसान किया है तू भी औरों के साथ एहसान कर और रुए ज़मीन में फसाद का ख्वाहा न हो-इसमें शक नहीं कि ख़ुदा फ़साद करने वालों को दोस्त नहीं रखता
Qāla 'Innamā 'Ūtītuhu `Alá `Ilmin `Indī ۚ 'Awalam Ya`lam 'Anna Allāha Qad 'Ahlaka MinQablihi Mina Al-Qurūni Man Huwa 'Ashaddu Minhu Qūwatan Wa 'Aktharu Jam`āan ۚ Wa Lā Yus'alu `AnDhunūbihimu Al-Mujrimūna
028-078 तो क़ारुन कहने लगा कि ये (माल व दौलत) तो मुझे अपने इल्म (कीमिया) की वजह से हासिल होता है क्या क़ारुन ने ये भी न ख्याल किया कि अल्लाह उसके पहले उन लोगों को हलाक़ कर चुका है जो उससे क़ूवत और हैसियत में कहीं बढ़ बढ़ के थे और गुनाहगारों से (उनकी सज़ा के वक्त) उनके गुनाहों की पूछताछ नहीं हुआ करती
028-079 ग़रज़ (एक दिन क़ारुन) अपनी क़ौम के सामने बड़ी आराइश और ठाठ के साथ निकला तो जो लोग दुनिया को (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी के तालिब थे (इस शान से देख कर) कहने लगे जो माल व दौलत क़ारुन को अता हुई है काश मेरे लिए भी होती इसमें शक नहीं कि क़ारुन बड़ा नसीब वर था
Wa Qāla Al-Ladhīna 'Ūtū Al-`Ilma WaylakumThawābu Allāhi Khayrun Liman 'Āmana Wa `Amila Şāliĥāan Wa Lā Yulaqqāhā 'Illā Aş-Şābirūna
028-080 और जिन लोगों को (हमारी बारगाह में) इल्म अता हुआ था कहनें लगे तुम्हारा नास हो जाए (अरे) जो शख्स ईमान लाए और अच्छे काम करे उसके लिए तो ख़ुदा का सवाब इससे कही बेहतर है और वह तो अब सब्र करने वालों के सिवा दूसरे नहीं पा सकते
Wa 'Aşbaĥa Al-Ladhīna Tamannaw Makānahu Bil-'Amsi Yaqūlūna Wayka'anna Allāha Yabsuţu Ar-Rizqa Liman Yashā'u Min `Ibādihi Wa Yaqdiru ۖ Lawlā 'An Manna Allāhu `Alaynā Lakhasafa Binā ۖ Wayka'annahu Lā Yufliĥu Al-Kāfirūna
028-082 और जिन लोगों ने कल उसके जाह व मरतबे की तमन्ना की थी वह (आज ये तमाशा देखकर) कहने लगे अरे माज़अल्लाह ये तो ख़ुदा ही अपने बन्दों से जिसकी रोज़ी चाहता है कुशादा कर देता है और जिसकी रोज़ी चाहता है तंग कर देता है और अगर (कहीं) ख़ुदा हम पर मेहरबानी न करता (और इतना माल दे देता) तो उसकी तरह हमको भी ज़रुर धॅसा देता-और माज़अल्लाह (सच है) हरगिज़ कुफ्फार अपनी मुरादें न पाएँगें
Tilka Ad-Dāru Al-'Ākhiratu Naj`aluhā Lilladhīna Lā Yurīdūna `Ulūwāan Fī Al-'Arđi Wa Lā Fasādāan Wa ۚ Al-`Āqibatu Lilmuttaqīna
028-083 ये आख़िरत का घर तो हम उन्हीं लोगों के लिए ख़ास कर देगें जो रुए ज़मीन पर न सरकशी करना चाहते हैं और न फसाद-और (सच भी यूँ ही है कि) फिर अन्जाम तो परहेज़गारों ही का है
Man Jā'a Bil-Ĥasanati Falahu Khayrun Minhā ۖ Wa Man Jā'a Bis-Sayyi'ati Falā Yujzá Al-Ladhīna `Amilū As-Sayyi'āti 'Illā Mā Kānū Ya`malūna
028-084 जो शख्स नेकी करेगा तो उसके लिए उसे कहीं बेहतर बदला है औ जो बुरे काम करेगा तो वह याद रखे कि जिन लोगों ने बुराइयाँ की हैं उनका वही बदला हे जो दुनिया में करते रहे हैं
Wa Mā Kunta Tarjū 'An Yulqá 'Ilayka Al-Kitābu 'Illā Raĥmatan MinRabbika ۖ Falā Takūnanna Žahīrāan Lilkāfirīna
028-086 इससे मेरा परवरदिगार ख़ूब वाक़िफ है और तुमको तो ये उम्मीद न थी कि तुम्हारे पास ख़ुदा की तरफ से किताब नाज़िल की जाएगी मगर तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी से नाज़िल हुई तो तुम हरग़िज़ काफिरों के पुश्त पनाह न बनना
Wa Lā Yaşuddunnaka `An 'Āyāti Allāhi Ba`da 'Idh 'Unzilat 'Ilayka ۖ Wa Ad`u 'Ilá Rabbika ۖ Wa Lā Takūnanna Mina Al-Mushrikīna
028-087 कहीं ऐसा न हो एहकामे ख़ुदा वन्दी नाज़िल होने के बाद तुमको ये लोग उनकी तबलीग़ से रोक दें और तुम अपने परवरदिगार की तरफ (लोगों को) बुलाते जाओ और ख़बरदार मुशरेकीन से हरगिज़ न होना
Wa Lā Tad`u Ma`a Allāhi 'Ilahāan 'Ākhara ۘ Lā 'Ilāha 'Illā Huwa ۚ Kullu Shay'in Hālikun 'Illā Wajhahu Lahu ۚ Al-Ĥukmu Wa 'Ilayhi Turja`ūna
028-088 और ख़ुदा के सिवा किसी और माबूद की परसतिश न करना उसके सिवा कोई क़ाबिले परसतिश नहीं उसकी ज़ात के सिवा हर चीज़ फना होने वाली है उसकी हुकूमत है और तुम लोग उसकी तरफ़ (मरने के बाद) लौटाये जाओगे