027-007 (वह वाक़िया याद दिलाओ) जब मूसा ने अपने लड़के बालों से कहा कि मैने (अपनी बायीं तरफ) आग देखी है (एक ज़रा ठहरो तो) मै वहाँ से कुछ (राह की) ख़बर लाँऊ या तुम्हें एक सुलगता हुआ आग का अंगारा ला दूँ ताकि तुम तापो
Falammā Jā'ahā Nūdiya 'An Būrika Man Fī An-Nāri Wa Man Ĥawlahā Wa Subĥāna Allāhi Rabbi Al-`Ālamīna
027-008 ग़रज़ जब मूसा इस आग के पास आए तो उनको आवाज़ आयी कि मुबारक है वह जो आग में (तजल्ली दिखाना) है और जो उसके गिर्द है और वह ख़ुदा सारे जहाँ का पालने वाला है
027-010 और (हाँ) अपनी छड़ी तो (ज़मीन पर) डाल दो तो जब मूसा ने उसको देखा कि वह इस तरह लहरा रही है गोया वह जिन्दा अज़दहा है तो पिछले पावँ भाग चले और पीछे मुड़कर भी न देखा (तो हमने कहा) ऐ मूसा डरो नहीं हमारे पास पैग़म्बर लोग डरा नहीं करते हैं
Wa 'Adkhil Yadaka Fī Jaybika Takhruj Bayđā'a Min Ghayri Sū'in ۖ Fī Tis`i 'Āyātin 'Ilá Fir`awna Wa Qawmihi~ ۚ 'Innahum Kānū Qawmāan Fāsiqīna
027-012 (वहाँ) और अपना हाथ अपने गरेबॉ में तो डालो कि वह सफेद बुर्राक़ होकर बेऐब निकल आएगा (ये वह मौजिज़े) मिन जुमला नौ मोजिज़ात के हैं जो तुमको मिलेगें तुम फिरऔन और उसकी क़ौम के पास (जाओ) क्योंकि वह बदकिरदार लोग हैं
Wa Jaĥadū Bihā Wa Astayqanat/hā 'AnfusuhumŽulmāan Wa `Ulūwāan ۚ Fānžur Kayfa Kāna `Āqibatu Al-Mufsidīna
027-014 और बावजूद के उनके दिल को उन मौजिज़ात का यक़ीन था मगर फिर भी उन लोगों ने सरकशी और तकब्बुर से उनको न माना तो (ऐ रसूल) देखो कि (आखिर) मुफसिदों का अन्जाम क्या होगा
Wa Laqad 'Ātaynā Dāwūda Wa Sulaymāna `Ilmāan ۖ Wa Qālā Al-Ĥamdu Lillāh Al-Ladhī Fađđalanā `Alá Kathīrin Min `Ibādihi Al-Mu'uminīna
027-015 और इसमें शक नहीं कि हमने दाऊद और सुलेमान को इल्म अता किया और दोनों ने (ख़ुश होकर) कहा ख़ुदा का शुक्र जिसने हमको अपने बहुतेरे ईमानदार बन्दों पर फज़ीलत दी
Wa Waritha Sulaymānu Dāwūda ۖ Wa Qāla Yā 'Ayyuhā An-Nāsu `Ullimnā Manţiqa Aţ-Ţayri Wa 'Ūtīnā Min Kulli Shay'in ۖ 'Inna Hādhā Lahuwa Al-Fađlu Al-Mubīnu
027-016 और (इल्म हिकमत जाएदाद (मनकूला) गैर मनकूला सब में) सुलेमान दाऊद के वारिस हुए और कहा कि लोग हम को (ख़ुदा के फज़ल से) परिन्दों की बोली भी सिखायी गयी है और हमें (दुनिया की) हर चीज़ अता की गयी है इसमें शक नहीं कि ये यक़ीनी (ख़ुदा का) सरीही फज़ल व करम है
027-018 तो वह सबके सब (मसल मसल) खडे क़िए जाते थे (ग़रज़ इस तरह लशकर चलता) यहाँ तक कि जब (एक दिन) चीटीयों के मैदान में आ निकले तो एक चीटीं बोली ऐ चीटीयों अपने अपने बिल में घुस जाओ- ऐसा न हो कि सुलेमान और उनका लश्कर तुम्हे रौन्द डाले और उन्हें उसकी ख़बर भी न हो
Fatabassama Đāĥikāan MinQawlihā Wa Qāla Rabbi 'Awzi`nī 'An 'Ashkura Ni`mataka Allatī 'An`amta `Alayya Wa `Alá Wa A-Dayya Wa 'An 'A`mala Şāliĥāan Tarđāhu Wa 'Adkhilnī Biraĥmatika Fī `Ibādika Aş-Şāliĥīna
027-019 तो सुलेमान इस बात से मुस्कुरा के हँस पड़ें और अर्ज क़ी परवरदिगार मुझे तौफीक़ अता फरमा कि जैसी जैसी नेअमतें तूने मुझ पर और मेरे वालदैन पर नाज़िल फरमाई हैं मै (उनका) शुक्रिया अदा करुँ और मैं ऐसे नेक काम करुँ जिसे तू पसन्द फरमाए और तू अपनी ख़ास मेहरबानी से मुझे (अपने) नेकोकार बन्दों में दाखिल कर
Wa Tafaqqada Aţ-Ţayra Faqāla Mā Lī Lā 'Ará Al-Hud/huda 'Am Kāna Mina Al-Ghā'ibīna
027-020 और सुलेमान ने परिन्दों (के लश्कर) की हाज़िरी ली तो कहने लगे कि क्या बात है कि मै हुदहुद को (उसकी जगह पर) नहीं देखता क्या (वाक़ई में) वह कही ग़ायब है
Famakatha Ghayra Ba`īdin Faqāla 'Aĥaţtu Bimā Lam Tuĥiţ Bihi Wa Ji'tuka Min Saba'iin Binaba'iin Yaqīnin
027-022 ग़रज़ सुलेमान ने थोड़ी ही देर (तवक्कुफ़ किया था कि (हुदहुद) आ गया) तो उसने अर्ज़ की मुझे यह बात मालूम हुई है जो अब तक हुज़ूर को भी मालूम नहीं है और आप के पास शहरे सबा से एक तहक़ीकी ख़बर लेकर आया हूँ
Wa Jadtuhā Wa Qawmahā Yasjudūna Lilshshamsi Min Dūni Allāhi Wa Zayyana Lahumu Ash-Shayţānu 'A`mālahum Faşaddahum `Ani As-Sabīli Fahum Lā Yahtadūna
027-024 मैने खुद मलका को देखा और उसकी क़ौम को देखा कि वह लोग ख़ुदा को छोड़कर आफताब को सजदा करते हैं शैतान ने उनकी करतूतों को (उनकी नज़र में) अच्छा कर दिखाया है और उनको राहे रास्त से रोक रखा है
'Allā Yasjudū Lillāh Al-Ladhī Yukhriju Al-Khab'a Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Ya`lamu Mā Tukhfūna Wa Mā Tu`linūna
027-025 तो उन्हें (इतनी सी बात भी नहीं सूझती) कि वह लोग ख़ुदा ही का सजदा क्यों नहीं करते जो आसमान और ज़मीन की पोशीदा बातों को ज़ाहिर कर देता है और तुम लोग जो कुछ छिपाकर या ज़ाहिर करके करते हो सब जानता है
027-032 तब मलका (विलक़ीस) बोली ऐ मेरे दरबार के सरदारों तुम मेरे इस मामले में मुझे राय दो (क्योंकि मेरा तो ये क़ायदा है कि) जब तक तुम लोग मेरे सामने मौजूद न हो (मशवरा न दे दो) मैं किसी अम्र में क़तई फैसला न किया करती
Qālū Naĥnu 'Ūlū Qūwatin Wa 'Ūlū Ba'sinShadīdin Wa Al-'Amru 'Ilayki Fānžurī Mādhā Ta'murīna
027-033 उन लोगों ने अर्ज़ की हम बड़े ज़ोरावर बडे लड़ने वाले हैं और (आइन्दा) हर अम्र का आप को एख्तियार है तो जो हुक्म दे आप (खुद अच्छी) तरह इसके अन्जाम पर ग़ौर कर ले
Qālat 'Inna Al-Mulūka 'Idhā Dakhalū Qaryatan 'Afsadūhā Wa Ja`alū 'A`izzata 'Ahlihā 'Adhillatan ۖ Wa Kadhalika Yaf`alūna
027-034 मलका ने कहा बादशाहों का क़ायदा है कि जब किसी बस्ती में (बज़ोरे फ़तेह) दाख़िल हो जाते हैं तो उसको उजाड़ देते हैं और वहाँ के मुअज़िज़ लोगों को ज़लील व रुसवा कर देते हैं और ये लोग भी ऐसा ही करेंगे
Wa 'Innī Mursilatun 'Ilayhim Bihadīyatin Fanāžiratun Bima Yarji`u Al-Mursalūna
027-035 और मैं उनके पास (एलचियों की माअरफ़त कुछ तोहफा भेजकर देखती हूँ कि एलची लोग क्या जवाब लाते हैं) ग़रज़ जब बिलक़ीस का एलची (तोहफा लेकर) सुलेमान के पास आया
027-036 तो सुलेमान ने कहा क्या तुम लोग मुझे माल की मदद देते हो तो ख़ुदा ने जो (माल दुनिया) मुझे अता किया है वह (माल) उससे जो तुम्हें बख्शा है कहीं बेहतर है (मैं तो नही) बल्कि तुम्ही लोग अपने तोहफे तहायफ़ से ख़ुश हुआ करो
Arji` 'Ilayhim Falana'tiyannahum Bijunūdin Lā Qibala Lahum Bihā Wa Lanukhrijannahum Minhā 'Adhillatan Wa HumŞāghirūna
027-037 (फिर तोहफा लाने वाले ने कहा) तो उन्हीं लोगों के पास जा हम यक़ीनन ऐसे लश्कर से उन पर चढ़ाई करेंगे जिसका उससे मुक़ाबला न हो सकेगा और हम ज़रुर उन्हें वहाँ से ज़लील व रुसवा करके निकाल बाहर करेंगे
027-038 (जब वह जा चुका) तो सुलेमान ने अपने अहले दरबार से कहा ऐ मेरे दरबार के सरदारो तुममें से कौन ऐसा है कि क़ब्ल इसके वह लोग मेरे सामने फरमाबरदार बनकर आयें
Qāla `Ifrytun Mina Al-Jinni 'Anā 'Ātīka BihiQabla 'An Taqūma Min Maqāmika ۖ Wa 'Innī `Alayhi Laqawīyun 'Amīnun
027-039 मलिका का तख्त मेरे पास ले आए (इस पर) जिनों में से एक दियो बोल उठा कि क़ब्ल इसके कि हुज़ूर (दरबार बरख़ास्त करके) अपनी जगह से उठे मै तख्त आपके पास ले आऊँगा और यक़ीनन उस पर क़ाबू रखता हूँ (और) ज़िम्मेदार हूँ
Qāla Al-Ladhī `Indahu `Ilmun Mina Al-Kitābi 'Anā 'Ātīka BihiQabla 'An Yartadda 'Ilayka Ţarfuka ۚ Falammā Ra'āhu Mustaqirrāan `IndahuQāla Hādhā Min Fađli Rabbī Liyabluwanī 'A'ashkuru 'Am 'Akfuru ۖ Wa ManShakara Fa'innamā Yashkuru Linafsihi ۖ Wa Man Kafara Fa'inna Rabbī Ghanīyun Karīmun
027-040 इस पर अभी सुलेमान कुछ कहने न पाए थे कि वह शख्स (आसिफ़ बिन बरख़िया) जिसके पास किताबे (ख़ुदा) का किस कदर इल्म था बोला कि मै आप की पलक झपकने से पहले तख्त को आप के पास हाज़िर किए देता हूँ (बस इतने ही में आ गया) तो जब सुलेमान ने उसे अपने पास मौजूद पाया तो कहने लगे ये महज़ मेरे परवरदिगार का फज़ल व करम है ताकि वह मेरा इम्तेहान ले कि मै उसका शुक्र करता हूँ या नाशुक्री करता हूँ और जो कोई शुक्र करता है वह अपनी ही भलाई के लिए शुक्र करता है और जो शख्स ना शुक्री करता है तो (याद रखिए) मेरा परवरदिगार यक़ीनन बेपरवा और सख़ी है
027-041 (उसके बाद) सुलेमान ने कहा कि उसके तख्त में (उसकी अक्ल के इम्तिहान के लिए) तग़य्युर तबददुल कर दो ताकि हम देखें कि फिर भी वह समझ रखती है या उन लोगों में है जो कुछ समझ नहीं रखते
Falammā Jā'at Qīla 'Ahakadhā `Arshuki ۖ Qālat Ka'annahu Huwa ۚ Wa 'Ūtīnā Al-`Ilma MinQablihā Wa Kunnā Muslimīna
027-042 (चुनान्चे ऐसा ही किया गया) फिर जब बिलक़ीस (सुलेमान के पास) आयी तो पूछा गया कि तुम्हारा तख्त भी ऐसा ही है वह बोली गोया ये वही है (फिर कहने लगी) हमको तो उससे पहले ही (आपकी नुबूवत) मालूम हो गयी थी और हम तो आपके फ़रमाबरदार थे ही
027-044 फिर उससे कहा गया कि आप अब महल मे चलिए तो जब उसने महल (में शीशे के फर्श) को देखा तो उसको गहरा पानी समझी (और गुज़रने के लिए इस तरह अपने पाएचे उठा लिए कि) अपनी दोनों पिन्डलियाँ खोल दी सुलेमान ने कहा (तुम डरो नहीं) ये (पानी नहीं है) महल है जो शीशे से मढ़ा हुआ है (उस वक्त तम्बीह हुई और) अर्ज़ की परवरदिगार मैने (आफताब को पूजा कर) यक़ीनन अपने ऊपर ज़ुल्म किया
Wa Laqad 'Arsalnā 'Ilá Thamūda 'AkhāhumŞāliĥāan 'Ani A`budū Allaha Fa'idhā Hum Farīqāni Yakhtaşimūna
027-045 और अब मैं सुलेमान के साथ सारे जहाँ के पालने वाले खुदा पर ईमान लाती हूँ और हम ही ने क़ौम समूद के पास उनके भाई सालेह को पैग़म्बर बनाकर भेजा कि तुम लोग ख़ुदा की इबादत करो तो वह सालेह के आते ही (मोमिन व काफिर) दो फरीक़ बनकर बाहम झगड़ने लगे
027-046 सालेह ने कहा ऐ मेरी क़ौम (आख़िर) तुम लोग भलाई से पहल बुराई के वास्ते जल्दी क्यों कर रहे हो तुम लोग ख़ुदा की बारगाह में तौबा व अस्तग़फार क्यों नही करते ताकि तुम पर रहम किया जाए
Qālū Aţţayyarnā Bika Wa Biman Ma`aka ۚ Qāla Ţā'irukum `Inda Allāhi ۖ Bal 'AntumQawmun Tuftanūna
027-047 वह लोग बोले हमने तो तुम से और तुम्हारे साथियों से बुरा शगुन पाया सालेह ने कहा तुम्हारी बदकिस्मती ख़ुदा के पास है (ये सब कुछ नहीं) बल्कि तुम लोगों की आज़माइश की जा रही है
Qālū Taqāsamū Billāhi Lanubayyitannahu Wa 'Ahlahu Thumma Lanaqūlanna Liwalīyihi Mā Shahidnā Mahlika 'Ahlihi Wa 'Innā Laşādiqūna
027-049 कि हम लोग सालेह और उसके लड़के बालो पर शब खून करे उसके बाद उसके वाली वारिस से कह देगें कि हम लोग उनके घर वालों को हलाक़ होते वक्त मौजूद ही न थे और हम लोग तो यक़ीनन सच्चे हैं
'A'innakum Lata'tūna Ar-Rijāla Shahwatan Min Dūni An-Nisā' ۚ Bal 'AntumQawmun Tajhalūna
027-055 क्या तुम औरतों को छोड़कर शहवत से मर्दों के आते हो (ये तुम अच्छा नहीं करते) बल्कि तुम लोग बड़ी जाहिल क़ौम हो तो लूत की क़ौम का इसके सिवा कुछ जवाब न था
027-059 (ऐ रसूल) तुम कह दो (उनके हलाक़ होने पर) खुदा का शुक्र और उसके बरगुज़ीदा बन्दों पर सलाम भला ख़ुदा बेहतर है या वह चीज़ जिसे ये लोग शरीके ख़ुदा कहते हैं
'Amman Khalaqa As-Samāwāti Wa Al-'Arđa Wa 'Anzala Lakum Mina As-Samā'i Mā'an Fa'anbatnā Bihi Ĥadā'iqa Dhāta Bahjatin Mā Kāna Lakum 'An Tunbitū Shajarahā ۗ 'A'ilahun Ma`a Allāhi ۚ Bal HumQawmun Ya`dilūna
027-060 भला वह कौन है जिसने आसमान और ज़मीन को पैदा किया और तुम्हारे वास्ते आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने पानी से दिल चस्प (ख़ुशनुमा) बाग़ उठाए तुम्हारे तो ये बस की बात न थी कि तुम उनके दरख्तों को उगा सकते तो क्या ख़ुदा के साथ कोई और माबूद भी है (हरगिज़ नहीं) बल्कि ये लोग खुद अपने जी से गढ़ के बुतो को उसके बराबर बनाते हैं
'Amman Ja`ala Al-'Arđa Qarārāan Wa Ja`ala Khilālahā 'Anhārāan Wa Ja`ala Lahā Rawāsiya Wa Ja`ala Bayna Al-Baĥrayni Ĥājizāan ۗ 'A'ilahun Ma`a Allāhi ۚ Bal 'Aktharuhum Lā Ya`lamūna
027-061 भला वह कौन है जिसने ज़मीन को (लोगों के) ठहरने की जगह बनाया और उसके दरमियान जा बजा नहरें दौड़ायी और उसकी मज़बूती के वास्ते पहाड़ बनाए और (मीठे खारी) दरियाओं के दरमियान हदे फासिल बनाया तो क्या ख़ुदा के साथ कोई और माबूद भी है (हरगिज़ नहीं) बल्कि उनमें के अकसर कुछ जानते ही नहीं
'Amman Yujību Al-Muđţarra 'Idhā Da`āhu Wa Yakshifu As-Sū'a Wa Yaj`alukumKhulafā'a Al-'Arđi ۗ 'A'ilahun Ma`a Allāhi ۚ Qalīlāan Mā Tadhakkarūna
027-062 भला वह कौन है कि जब मुज़तर उसे पुकारे तो दुआ क़ुबूल करता है और मुसीबत को दूर करता है और तुम लोगों को ज़मीन में (अपना) नायब बनाता है तो क्या ख़ुदा के साथ कोई और माबूद है (हरगिज़ नहीं) उस पर भी तुम लोग बहुत कम नसीहत व इबरत हासिल करते हो
'Amman Yahdīkum Fī Žulumāti Al-Barri Wa Al-Baĥri Wa Man Yursilu Ar-Riyāĥa Bushrāan Bayna Yaday Raĥmatihi~ ۗ 'A'ilahun Ma`a Allāhi ۚ Ta`ālá Allāhu `Ammā Yushrikūna
027-063 भला वह कौन है जो तुम लोगों की ख़़ुश्की और तरी की तारिक़ियों में राह दिखाता है और कौन उसकी बाराने रहमत के आगे आगे (बारिश की) ख़ुशखबरी लेकर हवाओं को भेजता है-क्या ख़ुदा के साथ कोई और माबूद भी है (हरगिज़ नहीं) ये लोग जिन चीज़ों को ख़ुदा का शरीक ठहराते हैं ख़ुदा उससे बालातर है
'Amman Yabda'u Al-Khalqa Thumma Yu`īduhu Wa Man Yarzuqukum Mina As-Samā'i Wa Al-'Arđi ۗ 'A'ilahun Ma`a Allāhi ۚ Qul Hātū Burhānakum 'In KuntumŞādiqīna
027-064 भला वह कौन हैं जो ख़िलकत को नए सिरे से पैदा करता है फिर उसे दोबारा (मरने के बाद) पैदा करेगा और कौन है जो तुम लोगों को आसमान व ज़मीन से रिज़क़ देता है- तो क्या ख़ुदा के साथ कोई और माबूद भी है (हरग़िज़ नहीं) (ऐ रसूल) तुम (इन मुशरेकीन से) कहा दो कि अगर तुम सच्चे हो तो अपनी दलील पेश करो
Qul Lā Ya`lamu Man Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Al-Ghayba 'Illā Al-Lahu ۚ Wa Mā Yash`urūna 'Ayyāna Yub`athūna
027-065 (ऐ रसूल इन से) कह दो कि जितने लोग आसमान व ज़मीन में हैं उनमे से कोई भी गैब की बात के सिवा नहीं जानता और वह भी तो नहीं समझते कि क़ब्र से दोबारा कब ज़िन्दा उठ खडे क़िए जाएँगें
Bal Addāraka `Ilmuhum Fī Al-'Ākhirati ۚ Bal Hum Fī Shakkin Minhā ۖ Bal Hum Minhā `Amūna
027-066 बल्कि (असल ये है कि) आख़िरत के बारे में उनके इल्म का ख़ात्मा हो गया है बल्कि उसकी तरफ से शक में पड़ें हैं बल्कि (सच ये है कि) इससे ये लोग अंधे बने हुए हैं
Wa 'Idhā Waqa`a Al-Qawlu `Alayhim 'Akhrajnā Lahum Dābbatan Mina Al-'Arđi Tukallimuhum 'Anna An-Nāsa Kānū Bi'āyātinā Lā Yūqinūna
027-082 फिर वही लोग तो मानने वाले भी हैं जब उन लोगों पर (क़यामत का) वायदा पूरा होगा तो हम उनके वास्ते ज़मीन से एक चलने वाला निकाल खड़ा करेंगे जो उनसे ये बाते करेंगा कि (फलॉ फला) लोग हमारी आयतो का यक़ीन नहीं रखते थे
Wa Yawma Naĥshuru Min Kulli 'Ummatin Fawjāan Mimman Yukadhdhibu Bi'āyātinā Fahum Yūza`ūna
027-083 और (उस दिन को याद करो) जिस दिन हम हर उम्मत से एक ऐसे गिरोह को जो हमारी आयतों को झुठलाया करते थे (ज़िन्दा करके) जमा करेंगे फिर उन की टोलियाँ अलहदा अलहदा करेंगे
027-084 यहाँ तक कि जब वह सब (ख़ुदा के सामने) आएँगें और ख़ुदा उनसे कहेगा क्या तुम ने हमारी आयतों को बगैर अच्छी तरह समझे बूझे झुठलाया-भला तुम क्या क्या करते थे और चूँकि ये लोग ज़ुल्म किया करते थे
027-086 क्या इन लोगों ने ये भी न देखा कि हमने रात को इसलिए बनाया कि ये लोग इसमे चैन करें और दिन को रौशन (ताकि देखभाल करे) बेशक इसमें ईमान लाने वालों के लिए (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं
Wa Yawma Yunfakhu Fī Aş-Şūri Fafazi`a Man Fī As-Samāwāti Wa Man Fī Al-'Arđi 'Illā ManShā'a Allāhu ۚ Wa Kullun 'Atawhu Dākhirīna
027-087 और (उस दिन याद करो) जिस दिन सूर फूँका जाएगा तो जितने लोग आसमानों मे हैं और जितने लोग ज़मीन में हैं (ग़रज़ सब के सब) दहल जाएंगें मगर जिस शख्स को ख़ुदा चाहे (वो अलबत्ता मुतमइन रहेगा) और सब लोग उसकी बारगाह में ज़िल्लत व आजिज़ी की हालत में हाज़िर होगें
027-088 और तुम पहाड़ों को देखकर उन्हें मज़बूर जमे हुए समझतें हो हालाकि ये (क़यामत के दिन) बादल की तरह उड़े उडे फ़िरेगें (ये भी) ख़ुदा की कारीगरी है कि जिसने हर चीज़ को ख़ूब मज़बूत बनाया है बेशक जो कुछ तुम लोग करते हो उससे वह ख़ूब वाक़िफ़ है
Wa Man Jā'a Bis-Sayyi'ati Fakubbat Wujūhuhum Fī An-Nāri Hal Tujzawna 'Illā Mā Kuntum Ta`malūna
027-090 और जो लोग बुरा काम करेंगे वह मुँह के बल जहन्नुम में झोक दिए जाएँगे (और उनसे कहा जाएगा कि) जो कुछ तुम (दुनिया में) करते थे बस उसी का जज़ा तुम्हें दी जाएगी
'Innamā 'Umirtu 'An 'A`buda Rabba Hadhihi Al-Baldati Al-Ladhī Ĥarramahā Wa Lahu Kullu Shay'in ۖ Wa 'Umirtu 'An 'Akūna Mina Al-Muslimīna
027-091 (ऐ रसूल उनसे कह दो कि) मुझे तो बस यही हुक्म दिया गया है कि मै इस शहर (मक्का) के मालिक की इबादत करुँ जिसने उसे इज्ज़त व हुरमत दी है और हर चीज़ उसकी है और मुझे ये हुक्म दिया गया कि मै (उसके) फरमाबरदार बन्दों में से हूँ
Wa 'An 'Atluwa Al-Qur'āna ۖ Famani Ahtadá Fa'innamā Yahtadī Linafsihi ۖ Wa ManĐalla Faqul 'Innamā 'Anā Mina Al-Mundhirīna
027-092 और ये कि मै क़ुरान पढ़ा करुँ फिर जो शख्स राह पर आया तो अपनी ज़ात के नफे क़े वास्ते राह पर आया और जो गुमराह हुआ तो तुम कह दो कि मै भी एक एक डराने वाला हूँ
Wa Quli Al-Ĥamdu Lillāh Sayurīkum 'Āyātihi Fata`rifūnahā ۚ Wa Mā Rabbuka Bighāfilin `Ammā Ta`malūna
027-093 और तुम कह दो कि अल्हमदोलिल्लाह वह अनक़रीब तुम्हें (अपनी क़ुदरत की) निशानियाँ दिखा देगा तो तुम उन्हें पहचान लोगे और जो कुछ तुम करते हो तुम्हारा परवरदिगार उससे ग़ाफिल नहीं है