Subĥāna Al-Ladhī 'Asrá Bi`abdihi Laylāan Mina Al-Masjidi Al-Ĥarāmi 'Ilá Al-Masjidi Al-'Aqşá Al-Ladhī Bāraknā Ĥawlahu Linuriyahu Min 'Āyātinā ۚ 'Innahu Huwa As-Samī`u Al-Başīru
017-001 वह ख़ुदा (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है जिसने अपने बन्दों को रातों रात मस्जिदुल हराम (ख़ान ऐ काबा) से मस्जिदुल अक़सा (आसमानी मस्जिद) तक की सैर कराई जिसके चौगिर्द हमने हर किस्म की बरकत मुहय्या कर रखी हैं ताकि हम उसको (अपनी कुदरत की) निशानियाँ दिखाए इसमें शक़ नहीं कि (वह सब कुछ) सुनता (और) देखता है
Wa 'Ātaynā Mūsá Al-Kitāba Wa Ja`alnāhu Hudan Libanī 'Isrā'īla 'Allā Tattakhidhū Min Dūnī Wa Kīlāan
017-002 और हमने मूसा को किताब (तौरैत) अता की और उस को बनी इसराईल की रहनुमा क़रार दिया (और हुक्म दे दिया) कि ऐ उन लोगों की औलाद जिन्हें हम ने नूह के साथ कश्ती में सवार किया था
017-005 फिर जब उन दो फसादों में पहले का वक्त अा पहुँचा तो हमने तुम पर कुछ अपने बन्दों (नजतुलनस्र) और उसकी फौज को मुसल्लत (ग़ालिब) कर दिया जो बड़े सख्त लड़ने वाले थे तो वह लोग तुम्हारे घरों के अन्दर घुसे (और खूब क़त्ल व ग़ारत किया) और ख़ुदा के अज़ाब का वायदा जो पूरा होकर रहा
'In 'Aĥsantum 'Aĥsantum Li'nfusikum ۖ Wa 'In 'Asa'tum Falahā ۚ Fa'idhā Jā'a Wa`du Al-'Ākhirati Liyasū'ū Wujūhakum Wa Liyadkhulū Al-Masjida Kamā Dakhalūhu 'Awwala Marratin Wa Liyutabbirū Mā `Alaw Tatbīrāan
017-007 अगर तुम अच्छे काम करोगे तो अपने फायदे के लिए अच्छे काम करोगे और अगर तुम बुरे काम करोगे तो (भी) अपने ही लिए फिर जब दूसरे वक्त क़ा वायदा आ पहुँचा तो (हमने तैतूस रोगी को तुम पर मुसल्लत किया) ताकि वह लोग (मारते मारते) तुम्हारे चेहरे बिगाड़ दें (कि पहचाने न जाओ) और जिस तरह पहली दफा मस्जिद बैतुल मुक़द्दस में घुस गये थे उसी तरह फिर घुस पड़ें और जिस चीज़ पर क़ाबू पाए खूब अच्छी तरह बरबाद कर दी
`Asá Rabbukum 'An Yarĥamakum ۚ Wa 'In `Udtum `Udnā ۘ Wa Ja`alnā Jahannama Lilkāfirīna Ĥaşīrāan
017-008 (अब भी अगर तुम चैन से रहो तो) उम्मीद है कि तुम्हारा परवरदिगार तुम पर तरस खाए और अगर (कहीं) वही शरारत करोगे तो हम भी फिर पकड़ेंगे और हमने तो काफिरों के लिए जहन्नुम को क़ैद खाना बना ही रखा है
017-009 इसमें शक़ नहीं कि ये क़ुरान उस राह की हिदायत करता है जो सबसे ज्यादा सीधी है और जो ईमानदार अच्छे अच्छे काम करते हैं उनको ये खुशख़बरी देता है कि उनके लिए बहुत बड़ा अज्र और सवाब (मौजूद) है
Wa Ja`alnā Al-Layla Wa An-Nahāra 'Āyatayni ۖ Famaĥawnā 'Āyata Al-Layli Wa Ja`alnā 'Āyata An-Nahāri Mubşiratan Litabtaghū Fađlāan MinRabbikum Wa Lita`lamū `Adada As-Sinīna Wa Al-Ĥisāba ۚ Wa Kulla Shay'in Faşşalnāhu Tafşīlāan
017-012 और हमने रात और दिन को (अपनी क़ुदरत की) दो निशानियाँ क़रार दिया फिर हमने रात की निशानी (चाँद) को धुँधला बनाया और दिन की निशानी (सूरज) को रौशन बनाया (कि सब चीज़े दिखाई दें) ताकि तुम लोग अपने परवरदिगार का फज़ल ढूँढते फिरों और ताकि तुम बरसों की गिनती और हिसाब को जानो (बूझों) और हमने हर चीज़ को खूब अच्छी तरह तफसील से बयान कर दिया है
Wa Kulla 'Insānin 'Alzamnāhu Ţā'irahu Fī `Unuqihi ۖ Wa Nukhriju Lahu Yawma Al-Qiyāmati Kitābāan Yalqāhu Manshūrāan
017-013 और हमने हर आदमी के नामए अमल को उसके गले का हार बना दिया है (कि उसकी किस्मत उसके साथ रहे) और क़यामत के दिन हम उसे उसके सामने निकल के रख देगें कि वह उसको एक खुली हुई किताब अपने रुबरु पाएगा
Mani Ahtadá Fa'innamā Yahtadī Linafsihi ۖ Wa ManĐalla Fa'innamā Yađillu `Alayhā ۚ Wa Lā Taziru Wāziratun Wizra 'Ukhrá ۗ Wa Mā Kunnā Mu`adhdhibīna Ĥattá Nab`atha Rasūlāan
017-015 जो शख़्श रुबरु होता है तो बस अपने फायदे के लिए यह पर आता है और जो शख़्श गुमराह होता है तो उसने भटक कर अपना आप बिगाड़ा और कोई शख़्श किसी दूसरे (के गुनाह) का बोझ अपने सर नहीं लेगा और हम तो जब तक रसूल को भेजकर तमाम हुज्जत न कर लें किसी पर अज़ाब नहीं किया करते
017-016 और हमको जब किसी बस्ती का वीरान करना मंज़ूर होता है तो हम वहाँ के खुशहालों को (इताअत का) हुक्म देते हैं तो वह लोग उसमें नाफरमानियाँ करने लगे तब वह बस्ती अज़ाब की मुस्तहक़ होगी उस वक्त हमने उसे अच्छी तरह तबाह व बरबाद कर दिया
Wa Kam 'Ahlaknā Mina Al-Qurūni Min Ba`di Nūĥin ۗ Wa Kafá Birabbika Bidhunūbi `Ibādihi Khabīrāan Başīrāan
017-017 और नूह के बाद से (उस वक्त तक) हमने कितनी उम्मतों को हलाक कर मारा और (ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार अपने बन्दों के गुनाहों को जानने और देखने के लिए काफी है
Man Kāna Yurīdu Al-`Ājilata `Ajjalnā Lahu Fīhā Mā Nashā'u Liman Nurīdu Thumma Ja`alnā Lahu Jahannama Yaşlāhā Madhmūmāan Madĥūrāan
017-018 (और गवाह याहिद की ज़रुरत नहीं) और जो शख़्श दुनिया का ख्वाहाँ हो तो हम जिसे चाहते और जो चाहते हैं उसी दुनिया में सिरदस्त (फ़ौरन) उसे अता करते हैं (मगर) फिर हमने उसके लिए तो जहन्नुम ठहरा ही रखा है कि वह उसमें बुरी हालत से रौंदा हुआ दाख़िल होगा
Kullāan Numiddu Hā'uulā' Wa Hā'uulā' Min `Aţā'i Rabbika ۚ Wa Mā Kāna `Aţā'u Rabbika Maĥžūrāan
017-020 (ऐ रसूल) उनको (ग़रज़ सबको) हम ही तुम्हारे परवरदिगार की (अपनी) बख़्शिस से मदद देते हैं और तुम्हारे परवरदिगार की बख़्शिस तो (आम है) किसी पर बन्द नहीं
Anžur Kayfa Fađđalnā Ba`đahum `Alá Ba`đin ۚ Wa Lal'ākhiratu 'Akbaru Darajātin Wa 'Akbaru Tafđīlāan
017-021 (ऐ रसूल) ज़रा देखो तो कि हमने बाज़ लोगों को बाज़ पर कैसी फज़ीलत दी है और आख़िरत के दर्जे तो यक़ीनन (यहाँ से) कहीं बढ़के है और वहाँ की फज़ीलत भी तो कैसी बढ़ कर है
Wa Qađá Rabbuka 'Allā Ta`budū 'Illā 'Īyāhu Wa Bil-Wālidayni 'Iĥsānāan ۚ 'Immā Yablughanna `Indaka Al-Kibara 'Aĥaduhumā 'Aw Kilāhumā Falā Taqul Lahumā 'Uffin Wa Lā Tanharhumā Wa Qul Lahumā Qawlāan Karīmāan
017-023 और तुम्हारे परवरदिगार ने तो हुक्म ही दिया है कि उसके सिवा किसी दूसरे की इबादत न करना और माँ बाप से नेकी करना अगर उनमें से एक या दोनों तेरे सामने बुढ़ापे को पहुँचे (और किसी बात पर खफा हों) तो (ख़बरदार उनके जवाब में उफ तक) न कहना और न उनको झिड़कना और जो कुछ कहना सुनना हो तो बहुत अदब से कहा करो
Wa Akhfiđ Lahumā Janāĥa Adh-Dhulli Mina Ar-Raĥmati Wa Qul Rrabbi Arĥamhumā Kamā Rabbayānī Şaghīrāan
017-024 और उनके सामने नियाज़ (रहमत) से ख़ाकसारी का पहलू झुकाए रखो और उनके हक़ में दुआ करो कि मेरे पालने वाले जिस तरह इन दोनों ने मेरे छोटेपन में मेरी मेरी परवरिश की है
017-025 इसी तरह तू भी इन पर रहम फरमा तुम्हारे दिल की बात तुम्हारा परवरदिगार ख़ूब जानता है अगर तुम (वाक़ई) नेक होगे और भूले से उनकी ख़ता की है तो वह तुमको बख्श देगा क्योंकि वह तो तौबा करने वालों का बड़ा बख़शने वाला है
Wa Lā Taj`al Yadaka Maghlūlatan 'Ilá `Unuqika Wa Lā Tabsuţhā Kulla Al-Basţi Fataq`uda Malūmāan Maĥsūrāan
017-029 और अपने हाथ को न तो गर्दन से बँधा हुआ (बहुत तंग) कर लो (कि किसी को कुछ दो ही नहीं) और न बिल्कुल खोल दो कि सब कुछ दे डालो और आख़िर तुम को मलामत ज़दा हसरत से बैठना पड़े
'Inna Rabbaka Yabsuţu Ar-Rizqa Liman Yashā'u Wa Yaqdiru ۚ 'Innahu Kāna Bi`ibādihi Khabīrāan Başīrāan
017-030 इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार जिसके लिए चाहता है रोज़ी को फराख़ (बढ़ा) देता है और जिसकी रोज़ी चाहता है तंग रखता है इसमें शक़ नहीं कि वह अपने बन्दों से बहुत बाख़बर और देखभाल रखने वाला है
Wa Lā Taqtulū 'AwlādakumKhashyata 'Imlāqin ۖ Naĥnu Narzuquhum Wa 'Īyākum ۚ 'Inna Qatlahum Kāna Khiţ'āan Kabīrāan
017-031 और (लोगों) मुफलिसी (ग़रीबी) के ख़ौफ से अपनी औलाद को क़त्ल न करो (क्योंकि) उनको और तुम को (सबको) तो हम ही रोज़ी देते हैं बेशक औलाद का क़त्ल करना बहुत सख्त गुनाह है
017-033 और जिस जान का मारना ख़ुदा ने हराम कर दिया है उसके क़त्ल न करना मगर जायज़ तौर पर और जो शख़्श नाहक़ मारा जाए तो हमने उसके वारिस को (क़ातिल पर क़सास का क़ाबू दिया है तो उसे चाहिए कि क़त्ल (ख़ून का बदला लेने) में ज्यादती न करे बेशक वह मदद दिया जाएगा
017-034 (कि क़त्ल ही करे और माफ न करे) और यतीम जब तक जवानी को पहुँचे उसके माल के क़रीब भी न पहुँच जाना मगर हाँ इस तरह पर कि (यतीम के हक़ में) बेहतर हो और एहद को पूरा करो क्योंकि (क़यामत में) एहद की ज़रुर पूछ गछ होगी
Wa 'Awfū Al-Kayla 'Idhā Kiltum Wa Zinū Bil-Qisţāsi Al-Mustaqīmi ۚ Dhālika Khayrun Wa 'Aĥsanu Ta'wīlāan
017-035 और जब नाप तौल कर देना हो तो पैमाने को पूरा भर दिया करो और (जब तौल कर देना हो तो) बिल्कुल ठीक तराजू से तौला करो (मामले में) यही (तरीक़ा) बेहतर है और अन्जाम (भी उसका) अच्छा है
Wa Lā Taqfu Mā Laysa Laka Bihi `Ilmun ۚ 'Inna As-Sam`a Wa Al-Başara Wa Al-Fu'uāda Kullu 'Ūlā'ika Kāna `Anhu Mas'ūlāan
017-036 और जिस चीज़ का कि तुम्हें यक़ीन न हो (ख्वाह मा ख्वाह) उसके पीछे न पड़ा करो (क्योंकि) कान और ऑंख और दिल इन सबकी (क़यामत के दिना यक़ीनन बाज़पुर्स होती है
Wa Lā Tamshi Fī Al-'Arđi Maraĥāan ۖ 'Innaka Lan Takhriqa Al-'Arđa Wa Lan Tablugha Al-Jibāla Ţūlāan
017-037 और (देखो) ज़मीन पर अकड़ कर न चला करो क्योंकि तू (अपने इस धमाके की चाल से) न तो ज़मीन को हरगिज़ फाड़ डालेगा और न (तनकर चलने से) हरगिज़ लम्बाई में पहाड़ों के बराबर पहुँच सकेगा
Dhālika Mimmā 'Awĥá 'Ilayka Rabbuka Mina Al-Ĥikmati ۗ Wa Lā Taj`al Ma`a Allāhi 'Ilahāan 'Ākhara Fatulqá Fī Jahannama Malūmāan Madĥūrāan
017-039 ये बात तो हिकमत की उन बातों में से जो तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हारे पास 'वही' भेजी और ख़ुदा के साथ कोई दूसरा माबूद न बनाना और न तू मलामत ज़दा राइन्द (धुत्कारा) होकर जहन्नुम में झोंक दिया जाएगा
'Afa'aşfākumRabbukum Bil-Banīna Wa Attakhadha Mina Al-Malā'ikati 'Ināthāan ۚ 'Innakum Lataqūlūna Qawlāan `Ažīmāan
017-040 (ऐ मुशरेकीन मक्का) क्या तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हें चुन चुन कर बेटे दिए हैं और खुद बेटियाँ ली हैं (यानि) फरिश्ते इसमें शक़ नहीं कि बड़ी (सख्त) बात कहते हो
017-042 (ऐ रसूल उनसे) तुम कह दो कि अगर ख़ुदा के साथ जैसा ये लोग कहते हैं और माबूद भी होते तो अब तक उन माबूदों ने अर्श तक (पहुँचाने की कोई न कोई राह निकाल ली होती
Tusabbiĥu Lahu As-Samāwātu As-Sab`u Wa Al-'Arđu Wa Man Fīhinna ۚ Wa 'In MinShay'in 'Illā Yusabbiĥu Biĥamdihi Wa Lakin Lā Tafqahūna Tasbīĥahum ۗ 'Innahu Kāna Ĥalīmāan Ghafūrāan
017-044 सातों आसमान और ज़मीन और जो लोग इनमें (सब) उसकी तस्बीह करते हैं और (सारे जहाँन) में कोई चीज़ ऐसी नहीं जो उसकी (हम्द व सना) की तस्बीह न करती हो मगर तुम लोग उनकी तस्बीह नहीं समझते इसमें शक़ नहीं कि वह बड़ा बुर्दबार बख्शने वाला है
Wa Ja`alnā `Alá Qulūbihim 'Akinnatan 'An Yafqahūhu Wa Fī 'Ādhānihim Waqrāan Wa 'Idhā ۚ Dhakarta Rabbaka Fī Al-Qur'āni Waĥdahu Wa Llaw `Alá 'Adbārihim Nufūrāan
017-046 और (गोया) हम उनके कानों में गरानी पैदा कर देते हैं कि न सुन सकें जब तुम क़ुरान में अपने परवरदिगार का तन्हा ज़िक्र करते हो तो कुफ्फार उलटे पावँ नफरत करके (तुम्हारे पास से) भाग खड़े होते हैं
017-047 जब ये लोग तुम्हारी तरफ कान लगाते हैं तो जो कुछ ये ग़ौर से सुनते हैं हम तो खूब जानते हैं और जब ये लोग बाहम कान में बात करते हैं तो उस वक्त ये ज़ालिम (ईमानदारों से) कहते हैं कि तुम तो बस एक (दीवाने) आदमी के पीछे पड़े हो जिस पर किसी ने जादू कर दिया है
017-048 (ऐ रसूल) ज़रा देखो तो ये कम्बख्त तुम्हारी निस्बत कैसी कैसी फब्तियाँ कहते हैं तो (इसी वजह से) ऐसे गुमराह हुए कि अब (हक़ की) राह किसी तरह पा ही नहीं सकते
Wa Qālū 'A'idhā Kunnā `Ižāmāan Wa Rufātāan 'A'innā Lamab`ūthūna Khalqāan Jadīdāan
017-049 और ये लोग कहते हैं कि जब हम (मरने के बाद सड़ गल कर) हड्डियाँ रह जाएँगें और रेज़ा रेज़ा हो जाएँगें तो क्या नये सिरे से पैदा करके उठा खड़े किए जाएँगें
017-050 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम (मरने के बाद) चाहे पत्थर बन जाओ या लोहा या कोई और चीज़ जो तुम्हारे ख्याल में बड़ी (सख्त) हो
قُلْ كُونُوا حِجَارَةً أَوْ حَدِيداً
'Aw Khalqāan Mimmā Yakburu Fī Şudūrikum ۚ Fasayaqūlūna Man Yu`īdunā ۖ Quli Al-Ladhī Faţarakum 'Awwala Marratin ۚ Fasayunghiđūna 'Ilayka Ru'ūsahum Wa Yaqūlūna Matá Huwa ۖ Qul `Asá 'An Yakūna Qarībāan
017-051 और उसका ज़िन्दा होना दुश्वार हो वह भी ज़रुर ज़िन्दा हो गई तो ये लोग अनक़रीब ही तुम से पूछेगें भला हमें दोबारा कौन ज़िन्दा करेगा तुम कह दो कि वही (ख़ुदा) जिसने तुमको पहली मरतबा पैदा किया (जब तुम कुछ न थे) इस पर ये लोग तुम्हारे सामने अपने सर मटकाएँगें और कहेगें (अच्छा अगर होगा) तो आख़िर कब तुम कह दो कि बहुत जल्द अनक़रीब ही होगा
Yawma Yad`ūkum Fatastajībūna Biĥamdihi Wa Tažunnūna 'In Labithtum 'Illā Qalīlāan
017-052 जिस दिन ख़ुदा तुम्हें (इसराफील के ज़रिए से) बुंलाएगा तो उसकी हम्दो सना करते हुए उसकी तामील करोगे (और क़ब्रों से निकलोगे) और तुम ख्याल करोगे कि (मरने के बाद क़ब्रों में) बहुत ही कम ठहरे
017-053 और (ऐ रसूल) मेरे (सच्चे) बन्दों (मोमिनों से कह दो कि वह (काफिरों से) बात करें तो अच्छे तरीक़े से (सख्त कलामी न करें) क्योंकि शैतान तो (ऐसी ही) बातों से फसाद डलवाता है इसमें तो शक़ ही नहीं कि शैतान आदमी का खुला हुआ दुश्मन है
Rabbukum 'A`lamu Bikum ۖ 'In Yasha' Yarĥamkum 'Aw 'In Yasha' Yu`adhdhibkum ۚ Wa Mā 'Arsalnāka `Alayhim Wa Kīlāan
017-054 तुम्हारा परवरदिगार तुम्हारे हाल से खूब वाक़िफ है अगर चाहेगा तुम पर रहम करेगा और अगर चाहेगा तुम पर अज़ाब करेगा और (ऐ रसूल) हमने तुमको कुछ उन लोगों का ज़िम्मेदार बनाकर नहीं भेजा है
Wa Rabbuka 'A`lamu Biman Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۗ Wa Laqad Fađđalnā Ba`đa An-Nabīyīna `Alá Ba`đin ۖ Wa 'Ātaynā Dāwūda Zabūrāan
017-055 और जो लोग आसमानों में है और ज़मीन पर हैं (सब को) तुम्हारा परवरदिगार खूब जानता है और हम ने यक़ीनन बाज़ पैग़म्बरों को बाज़ पर फज़ीलत दी और हम ही ने दाऊद को जूबूर अता की
Quli Ad`ū Al-Ladhīna Za`amtum Min Dūnihi Falā Yamlikūna Kashfa Ađ-Đurri `Ankum Wa Lā Taĥwīlāan
017-056 (ऐ रसूल) तुम उनसे कह दों कि ख़ुदा के सिवा और जिन लोगों को माबूद समझते हो उनको (वक्त पडे) पुकार के तो देखो कि वह न तो तुम से तुम्हारी तकलीफ ही दफा कर सकते हैं और न उसको बदल सकते हैं
017-057 ये लोग जिनको मुशरेकीन (अपना ख़ुदा समझकर) इबादत करते हैं वह खुद अपने परवरदिगार की क़ुरबत के ज़रिए ढूँढते फिरते हैं कि (देखो) इनमें से कौन ज्यादा कुरबत रखता है और उसकी रहमत की उम्मीद रखते और उसके अज़ाब से डरते हैं इसमें शक़ नहीं कि तेरे परवरदिगार का अज़ाब डरने की चीज़ है
017-058 और कोई बस्ती नहीं है मगर रोज़ क़यामत से पहले हम उसे तबाह व बरबाद कर छोड़ेगें या (नाफरमानी) की सज़ा में उस पर सख्त से सख्त अज़ाब करेगें (और) ये बात किताब (लौहे महफूज़) में लिखी जा चुकी है
Wa Mā Mana`anā 'An Nursila Bil-'Āyāti 'Illā 'An Kadhdhaba Bihā Al-'Awwalūna ۚ Wa 'Ātaynā Thamūda An-Nāqata Mubşiratan Fažalamū Bihā ۚ Wa Mā Nursilu Bil-'Āyāti 'Illā Takhwīfāan
017-059 और हमें मौजिज़ात भेजने से किसी चीज़ ने नहीं रोका मगर इसके सिवा कि अगलों ने उन्हें झुठला दिया और हमने क़ौमे समूद को (मौजिज़े से) ऊँटनी अता की जो (हमारी कुदरत की) दिखाने वाली थी तो उन लोगों ने उस पर ज़ुल्म किया यहाँ तक कि मार डाला और हम तो मौजिज़े सिर्फ डराने की ग़रज़ से भेजा करते हैं
Wa 'IdhQulnā Laka 'Inna Rabbaka 'Aĥāţa Bin-Nāsi ۚ Wa Mā Ja`alnā Ar-Ru'uyā Allatī 'Araynāka 'Illā Fitnatan Lilnnāsi Wa Ash-Shajarata Al-Mal`ūnata Fī Al-Qur'āni ۚ Wa Nukhawwifuhum Famā Yazīduhum 'Illā Ţughyānāan Kabīrāan
017-060 और (ऐ रसूल) वह वक्त याद करो जब तुमसे हमने कह दिया था कि तुम्हारे परवरदिगार ने लोगों को (हर तरफ से) रोक रखा है कि (तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं सकते और हमने जो ख्वाब तुमाको दिखलाया था तो बस उसे लोगों (के ईमान) की आज़माइश का ज़रिया ठहराया था और (इसी तरह) वह दरख्त जिस पर क़ुरान में लानत की गई है और हम बावजूद कि उन लोगों को (तरह तरह) से डराते हैं मगर हमारा डराना उनकी सख्त सरकशी को बढ़ाता ही गया
Wa 'IdhQulnā Lilmalā'ikati Asjudū Li'dama Fasajadū 'Illā 'Iblīsa Qāla 'A'asjudu Liman Khalaqta Ţīnāan
017-061 और जब हम ने फरिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो तो सबने सजदा किया मगर इबलीस वह (गुरुर से) कहने लगा कि क्या मै ऐसे शख़्श को सजदा करुँ जिसे तूने मिट्टी से पैदा किया है
017-062 और (शेख़ी से) बोला भला देखो तो सही यही वह शख़्श है जिसको तूने मुझ पर फज़ीलत दी है अगर तू मुझ को क़यामत तक की मोहलत दे तो मैं (दावे से कहता हूँ कि) कम लोगों के सिवा इसकी नस्ल की जड़ काटता रहूँगा
Wa Astafziz Mani Astaţa`ta Minhum Bişawtika Wa 'Ajlib `Alayhim Bikhaylika Wa Rajilika Wa Shārik/hum Fī Al-'Amwli Wa Al-'Awlādi Wa `Id/hum ۚ Wa Mā Ya`iduhumu Ash-Shayţānu 'Illā Ghurūrāan
017-064 और इसमें से जिस पर अपनी (चिकनी चुपड़ी) बात से क़ाबू पा सके वहॉ और अपने (चेलों के लश्कर) सवार और पैदल (सब) से चढ़ाई कर और माल और औलाद में उनके साथ साझा करे और उनसे (खूब झूठे) वायदे कर और शैतान तो उनसे जो वायदे करता है धोखे के सिवा कुछ नहीं होता
017-066 लोगों) तुम्हारा परवरदिगार वह (क़ादिरे मुत्तलिक़) है जो तुम्हारे लिए समन्दर में जहाज़ों को चलाता है ताकि तुम उसके फज़ल व करम (रोज़ी) की तलाश करो इसमें शक़ नहीं कि वह तुम पर बड़ा मेहरबान है
Wa 'Idhā Massakumu Ađ-Đurru Fī Al-Baĥri Đalla Man Tad`ūna 'Illā 'Īyāhu ۖ Falammā Najjākum 'Ilá Al-Barri 'A`rađtum ۚ Wa Kāna Al-'Insānu Kafūrāan
017-067 और जब समन्दर में कभी तुम को कोई तकलीफ पहुँचे तो जिनकी तुम इबादत किया करते थे ग़ायब हो गए मगर बस वही (एक ख़ुदा याद रहता है) उस पर भी जब ख़ुदा ने तुम को छुटकारा देकर खुशकी तक पहुँचा दिया तो फिर तुम इससे मुँह मोड़ बैठें और इन्सान बड़ा ही नाशुक्रा है
017-068 तो क्या तुम उसको इस का भी इत्मिनान हो गया कि वह तुम्हें खुश्की की तरफ (ले जाकर) (क़ारुन की तरह) ज़मीन में धंसा दे या तुम पर (क़ौम) लूत की तरह पत्थरों का मेंह बरसा दे फिर (उस वक्त) तुम किसी को अपना कारसाज़ न पाओगे
017-069 या तुमको इसका भी इत्मेनान हो गया कि फिर तुमको दोबारा इसी समन्दर में ले जाएगा उसके बाद हवा का एक ऐसा झोका जो (जहाज़ के) परख़चे उड़ा दे तुम पर भेजे फिर तुम्हें तुम्हारे कुफ्र की सज़ा में डुबा मारे फिर तुम किसी को (ऐसा हिमायती) न पाओगे जो हमारा पीछा करे और (तुम्हें छोड़ा जाए)
Wa Laqad Karramnā Banī 'Ādama Wa Ĥamalnāhum Fī Al-Barri Wa Al-Baĥri Wa Razaqnāhum Mina Aţ-Ţayyibāti Wa Fađđalnāhum `Alá Kathīrin Mimman Khalaqnā Tafđīlāan
017-070 और हमने यक़ीनन आदम की औलाद को इज्ज़त दी और खुश्की और तरी में उनको (जानवरों कश्तियों के ज़रिए) लिए लिए फिरे और उन्हें अच्छी अच्छी चीज़ें खाने को दी और अपने बहुतेरे मख़लूक़ात पर उनको अच्छी ख़ासी फज़ीलत दी
017-071 उस दिन (को याद करो) जब हम तमाम लोगों को उन पेशवाओं के साथ बुलाएँगें तो जिसका नामए अमल उनके दाहिने हाथ में दिया जाएगा तो वह लोग (खुश खुश) अपना नामए अमल पढ़ने लगेगें और उन पर रेशा बराबर ज़ुल्म नहीं किया जाएगा
Wa 'In Kādū Layaftinūnaka `Ani Al-Ladhī 'Awĥaynā 'Ilayka Litaftariya `Alaynā Ghayrahu ۖ Wa 'Idhāan Lāttakhadhūka Khalīlāan
017-073 और (ऐ रसूल) हमने तो (क़ुरान) तुम्हारे पास 'वही' के ज़रिए भेजा अगर चे लोग तो तुम्हें इससे बहकाने ही लगे थे ताकि तुम क़ुरान के अलावा फिर (दूसरी बातों का) इफ़तेरा बाँधों और (जब तुम ये कर गुज़रते उस वक्त ये लोग तुम को अपना सच्चा दोस्त बना लेते
017-075 और (अगर तुम ऐसा करते तो) उस वक्त हम तुमको ज़िन्दगी में भी और मरने पर भी दोहरे (अज़ाब) का मज़ा चखा देते और फिर तुम को हमारे मुक़ाबले में कोई मददगार भी न मिलता
Wa 'In Kādū Layastafizzūnaka Mina Al-'Arđi Liyukhrijūka Minhā ۖ Wa 'Idhāan Lā Yalbathūna Khilāfaka 'Illā Qalīlāan
017-076 और ये लोग तो तुम्हें (सर ज़मीन मक्के) से दिल बर्दाश्त करने ही लगे थे ताकि तुम को वहाँ से (शाम की तरफ) निकाल बाहर करें और ऐसा होता तो तुम्हारे पीछे में ये लोग चन्द रोज़ के सिवा ठहरने भी न पाते
017-077 तुमसे पहले जितने रसूल हमने भेजे हैं उनका बराबर यही दस्तूर रहा है और जो दस्तूर हमारे (ठहराए हुए) हैं उनमें तुम तग्य्युर तबद्दुल (रद्दो बदल) न पाओगे
017-078 (ऐ रसूल) सूरज के ढलने से रात के अंधेरे तक नमाज़े ज़ोहर, अस्र, मग़रिब, इशा पढ़ा करो और नमाज़ सुबह (भी) क्योंकि सुबह की नमाज़ पर (दिन और रात दोनों के फरिश्तों की) गवाही होती है
Wa QulRabbi 'Adkhilnī Mudkhala Şidqin Wa 'Akhrijnī Mukhraja Şidqin Wa Aj`al Lī Min Ladunka Sulţānāan Naşīrāan
017-080 और ये दुआ माँगा करो कि ऐ मेरे परवरदिगार मुझे (जहाँ) पहुँचा अच्छी तरह पहुँचा और मुझे (जहाँ से निकाल) तो अच्छी तरह निकाल और मुझे ख़ास अपनी बारगाह से एक हुकूमत अता फरमा जिस से (हर क़िस्म की) मदद पहुँचे
017-084 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हर (एक अपने तरीक़े पर कारगुज़ारी करता है फिर तुम में से जो शख़्श बिल्कुल ठीक सीधी राह पर है तुम्हारा परवरदिगार (उससे) खूब वाक़िफ है
Wa Yas'alūnaka `Ani Ar-Rūĥi ۖ Quli Ar-Rūĥu Min 'Amri Rabbī Wa Mā 'Ūtītum Mina Al-`Ilmi 'Illā Qalīlāan
017-085 और (ऐ रसूल) तुमसे लोग रुह के बारे में सवाल करते हैं तुम (उनके जवाब में) कह दो कि रूह (भी) मेरे परदिगार के हुक्म से (पैदा हुईहै) और तुमको बहुत थोड़ा सा इल्म दिया गया है
Wa La'inShi'nā Lanadh/habanna Bial-Ladhī 'Awĥaynā 'Ilayka Thumma Lā Tajidu Laka Bihi `Alaynā Wa Kīlāan
017-086 (इसकी हक़ीकत नहीं समझ सकते) और (ऐ रसूल) अगर हम चाहे तो जो (क़ुरान) हमने तुम्हारे पास 'वही' के ज़रिए भेजा है (दुनिया से) उठा ले जाएँ फिर तुम अपने वास्ते हमारे मुक़ाबले में कोई मददगार न पाओगे
Qul La'ini Ajtama`ati Al-'Insu Wa Al-Jinnu `Alá 'An Ya'tū Bimithli Hādhā Al-Qur'āni Lā Ya'tūna Bimithlihi Wa Law Kāna Ba`đuhum Liba`đinŽahīrāan
017-088 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (अगर सारे दुनिया जहाँन के) आदमी और जिन इस बात पर इकट्ठे हो कि उस क़ुरान का मिसल ले आएँ तो (ना मुमकिन) उसके बराबर नहीं ला सकते अगरचे (उसको कोशिश में) एक का एक मददगार भी बने
017-092 या जैसा तुम गुमान रखते थे हम पर आसमान ही को टुकड़े (टुकड़े) करके गिराओ या ख़ुदा और फरिश्तों को (अपने क़ौल की तस्दीक़) में हमारे सामने (गवाही में ला खड़ा कर दिया
'Aw Yakūna Laka Baytun Min Zukhrufin 'Aw Tarqá Fī As-Samā'i Wa Lan Nu'umina Liruqīyika Ĥattá Tunazzila `Alaynā Kitābāan Naqra'uuhu ۗ Qul Subĥāna Rabbī Hal Kuntu 'Illā BasharāanRasūlāan
017-093 और जब तक तुम हम पर ख़ुदा के यहाँ से एक किताब न नाज़िल करोगे कि हम उसे खुद पढ़ भी लें उस वक्त तक हम तुम्हारे (आसमान पर चढ़ने के भी) क़ायल न होगें (ऐ रसूल) तुम कह दो कि सुबहान अल्लाह मै एक आदमी (ख़ुदा के) रसूल के सिवा आख़िर और क्या हूँ
017-094 (जो ये बेहूदा बातें करते हो) और जब लोगों के पास हिदायत आ चुकी तो उनको ईमान लाने से इसके सिवा किसी चीज़ ने न रोका कि वह कहने लगे कि क्या ख़ुदा ने आदमी को रसूल बनाकर भेजा है
Qul Law Kāna Fī Al-'Arđi Malā'ikatun Yamshūna Muţma'innīna Lanazzalnā `Alayhim Mina As-Samā'i MalakāanRasūlāan
017-095 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर ज़मीन पर फ़रिश्ते (बसे हुये) होते कि इत्मेनान से चलते फिरते तो हम उन लोगों के पास फ़रिश्ते ही को रसूल बनाकर नाज़िल करते
017-096 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हमारे तुम्हारे दरमियान गवाही के वास्ते बस ख़ुदा काफी है इसमें शक़ नहीं कि वह अपने बन्दों के हाल से खूब वाक़िफ और देखता रहता है
Wa Man Yahdi Allāhu Fahuwa Al-Muhtadi ۖ Wa Man Yuđlil Falan Tajida Lahum 'Awliyā'a Min Dūnihi ۖ Wa Naĥshuruhum Yawma Al-Qiyāmati `Alá Wajūhihim `Umyāan Wa Bukmāan Wa Şummāan ۖ Ma'wāhum Jahannamu ۖ Kullamā Khabat Zidnāhum Sa`īrāan
017-097 और ख़ुदा जिसकी हिदायत करे वही हिदायत याफता है और जिसको गुमराही में छोड़ दे तो (याद रखो कि) फिर उसके सिवा किसी को उसका सरपरस्त न पाआगे और क़यामत के दिन हम उन लोगों का मुँह के बल औंधे और गूँगें और बहरे क़ब्रों से उठाएँगें उनका ठिकाना जहन्नुम है कि जब कभी बुझने को होगी तो हम उन लोगों पर (उसे) और भड़का देंगे
Dhālika Jazā'uuhum Bi'annahum Kafarū Bi'āyātinā Wa Qālū 'A'idhā Kunnā `Ižāmāan Wa Rufātāan 'A'innā Lamab`ūthūna Khalqāan Jadīdāan
017-098 ये सज़ा उनकी इस वज़ह से है कि उन लोगों ने हमारी आयतों से इन्कार किया और कहने लगे कि जब हम (मरने के बाद सड़ गल) कर हड्डियाँ और रेज़ा रेज़ा हो जाएँगीं तो क्या फिर हम नये सिरे से पैदा करके उठाए जाएँगें
017-099 क्या उन लोगों ने इस पर भी नहीं ग़ौर किया कि वह ख़ुदा जिसने सारे आसमान और ज़मीन बनाए इस पर भी (ज़रुर) क़ादिर है कि उनके ऐसे आदमी दोबारा पैदा करे और उसने उन (की मौत) की एक मियाद मुक़र्रर कर दी है जिसमें ज़रा भी शक़ नहीं उस पर भी ये ज़ालिम इन्कार किए बग़ैर न रहे
Qul Law 'Antum Tamlikūna Khazā'ina Raĥmati Rabbī 'Idhāan La'amsaktumKhashyata Al-'Infāqi ۚ Wa Kāna Al-'Insānu Qatūrāan
017-100 (ऐ रसूल) इनसे कहो कि अगर मेरे परवरदिगार के रहमत के ख़ज़ाने भी तुम्हारे एख़तियार में होते तो भी तुम खर्च हो जाने के डर से (उनको) बन्द रखते और आदमी बड़ा ही तंग दिल है
017-101 और हमने यक़ीनन मूसा को खुले हुए नौ मौजिज़े अता किए तो (ऐ रसूल) बनी इसराईल से (यही) पूछ देखो कि जब मूसा उनके पास आए तो फिरऔन ने उनसे कहा कि ऐ मूसा मै तो समझता हूँ कि किसी ने तुम पर जादू करके दीवाना बना दिया है
Qāla Laqad `Alimta Mā 'Anzala Hā'uulā' 'Illā Rabbu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Başā'ira Wa 'Innī La'ažunnuka Yā Fir`awnu Mathbūrāan
017-102 मूसा ने कहा तुम ये ज़रुर जानते हो कि ये मौजिज़े सारे आसमान व ज़मीन के परवरदिगार ने नाज़िल किए (और वह भी लोगों की) सूझ बूझ की बातें हैं और ऐ फिरऔन मै तो ख्याल करता हूँ कि तुम पर यामत आई है
Wa Qulnā Min Ba`dihi Libanī 'Isrā'īla Askunū Al-'Arđa Fa'idhā Jā'a Wa`du Al-'Ākhirati Ji'nā Bikum Lafīfāan
017-104 और उसके बाद हमने बनी इसराईल से कहा कि (अब तुम ही) इस मुल्क में (खूब आराम से) रहो सहो फिर जब आख़िरत का वायदा आ पहुँचेगा तो हम तुम सबको समेट कर ले आएँगें
Wa Bil-Ĥaqqi 'Anzalnāhu Wa Bil-Ĥaqqi Nazala ۗ Wa Mā 'Arsalnāka 'Illā Mubashshirāan Wa Nadhīrāan
017-105 और (ऐ रसूल) हमने इस क़ुरान को बिल्कुल ठीक नाज़िल किया और बिल्कुल ठीक नाज़िल हुआ और तुमको तो हमने (जन्नत की) खुशखबरी देने वाला और (अज़ाब से) डराने वाला (रसूल) बनाकर भेजा है
017-107 और (इसी वजह से) हमने उसको रफ्ता रफ्ता नाज़िल किया तुम कह दो कि ख्वाह तुम इस पर ईमान लाओ या न लाओ इसमें शक़ नहीं कि जिन लोगों को उसके क़ब्ल ही (आसमानी किताबों का इल्म अता किया गया है उनके सामने जब ये पढ़ा जाता है तो ठुडडियों से (मुँह के बल) सजदे में गिर पड़तें हैं
Qul Ad`ū Allaha 'Aw Ad`ū Ar-Raĥmana ۖ 'Ayyanan Mmā Tad`ū Falahu Al-'Asmā'u Al-Ĥusná ۚ Wa Lā Tajhar Bişalātika Wa Lā Tukhāfit Bihā Wa Abtaghi Bayna Dhālika Sabīlāan
017-110 (ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो कि (तुम को एख़तियार है) ख्वाह उसे अल्लाह (कहकर) पुकारो या रहमान कह कर पुकारो (ग़रज़) जिस नाम को भी पुकारो उसके तो सब नाम अच्छे (से अच्छे) हैं और (ऐ रसूल) न तो अपनी नमाज़ बहुत चिल्ला कर पढ़ो न और न बिल्कुल चुपके से बल्कि उसके दरमियान एक औसत तरीका एख्तेयार कर लो
Wa Quli Al-Ĥamdu Lillāh Al-Ladhī Lam Yattakhidh Waladāan Wa Lam Yakun Lahu Sharīkun Fī Al-Mulki Wa Lam Yakun Lahu Wa Līyun Mina Adh-Dhulli ۖ Wa Kabbirhu Takbīrāan
017-111 और कहो कि हर तरह की तारीफ उसी ख़ुदा को (सज़ावार) है जो न तो कोई औलाद रखता है और न (सारे जहाँन की) सल्तनत में उसका कोई साझेदार है और न उसे किसी तरह की कमज़ोरी है न कोई उसका सरपरस्त हो और उसकी बड़ाई अच्छी तरह करते रहा करो