016-001 ऐ कुफ्फ़ारे मक्का (ख़ुदा का हुक्म (क़यामत गोया) आ पहुँचा तो (ऐ काफिरों बे फायदे) तुम इसकी जल्दी न मचाओ जिस चीज़ को ये लोग शरीक क़रार देते हैं उससे वह ख़ुदा पाक व पाकीज़ा और बरतर है
Yunazzilu Al-Malā'ikata Bir-Rūĥi Min 'Amrihi `Alá Man Yashā'u Min `Ibādihi~ 'An 'Andhirū 'Annahu Lā 'Ilāha 'Illā 'Anā Fa Attaqūni
016-002 वही अपने हुक्म से अपने बन्दों में से जिसके पास चाहता है 'वहीं' देकर फ़रिश्तों को भेजता है कि लोगों को इस बात से आगाह कर दें कि मेरे सिवा कोई माबूद नहीं तो मुझी से डरते रहो
016-007 तो उनकी वजह से तुम्हारी रौनक़ भी है और जिन शहरों तक बग़ैर बड़ी जान ज़ोख़म में डाले बगैर के पहुँच न सकते थे वहाँ तक ये चौपाए भी तुम्हारे बोझे भी उठा लिए फिरते हैं इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बड़ा शफीक़ मेहरबान है
Wa `Alá Allāhi Qaşdu As-Sabīli Wa Minhā Jā'irun ۚ Wa Law Shā'a Lahadākum 'Ajma`īna
016-009 (उसके अलावा) और चीज़े भी पैदा करेगा जिनको तुम नहीं जानते हो और (ख़ुश्क व तर में) सीधी राह (की हिदायत तो ख़ुदा ही के ज़िम्मे हैं और बाज़ रस्ते टेढे हैं
Huwa Al-Ladhī 'Anzala Mina As-Samā'i Mā'an ۖ Lakum Minhu Sharābun Wa Minhu Shajarun Fīhi Tusīmūna
016-010 और अगर ख़ुदा चाहता तो तुम सबको मज़िले मक़सूद तक पहुँचा देता वह वही (ख़ुदा) है जिसने आसमान से पानी बरसाया जिसमें से तुम सब पीते हो और इससे दरख्त शादाब होते हैं
Yunbitu Lakum Bihi Az-Zar`a Wa Az-Zaytūna Wa An-Nakhīla Wa Al-'A`nāba Wa Min Kulli Ath-Thamarāti ۗ 'Inna Fī Dhālika La'āyatan Liqawmin Yatafakkarūna
016-011 जिनमें तुम (अपने मवेशियों को) चराते हो इसी पानी से तुम्हारे वास्ते खेती और जैतून और खुरमें और अंगूर उगाता है और हर तरह के फल (पैदा करता है) इसमें शक़ नहीं कि इसमें ग़ौर करने वालो के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत बड़ी निशानी है
Wa Sakhkhara Lakumu Al-Layla Wa An-Nahāra Wa Ash-Shamsa Wa Al-Qamara Wa ۖ An-Nujūmu Musakhkharātun Bi'amrihi~ ۗ 'Inna Fī Dhālika La'āyātin Liqawmin Ya`qilūna
016-012 उसी ने तुम्हारे वास्ते रात को और दिन को और सूरज और चाँद को तुम्हारा ताबेए बना दिया है और सितारे भी उसी के हुक्म से (तुम्हारे) फरमाबरदार हैं कुछ शक़ ही नहीं कि (इसमें) समझदार लोगों के वास्ते यक़ीनन (कुदरत खुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं
Wa Huwa Al-Ladhī Sakhkhara Al-Baĥra Lita'kulū Minhu LaĥmāanŢarīyāan Wa Tastakhrijū Minhu Ĥilyatan Talbasūnahā Wa Tará Al-Fulka Mawākhira Fīhi Wa Litabtaghū Min Fađlihi Wa La`allakum Tashkurūna
016-014 कुछ शक़ नहीं कि इसमें भी इबरत व नसीहत हासिल करने वालों के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानी है और वही (वह ख़ुदा है जिसने दरिया को (भी तुम्हारे) क़ब्ज़े में कर दिया ताकि तुम इसमें से (मछलियों का) ताज़ा ताज़ा गोश्त खाओ और इसमें से जेवर (की चीज़े मोती वगैरह) निकालो जिन को तुम पहना करते हो और तू कश्तियों को देखता है कि (आमद व रफत में) दरिया में (पानी को) चीरती फाड़ती आती है
Wa 'Alqá Fī Al-'Arđi Rawāsiya 'An Tamīda Bikum Wa 'Anhārāan Wa Subulāan Lla`allakum Tahtadūna
016-015 और (दरिया को तुम्हारे ताबेए) इसलिए (कर दिया) कि तुम लोग उसके फज़ल (नफा तिजारत) की तलाश करो और ताकि तुम शुक्र करो और उसी ने ज़मीन पर (भारी भारी) पहाड़ों को गाड़ दिया
016-017 ताकि तुम (अपनी अपनी मंज़िले मक़सूद तक पहुँचों (उसके अलावा रास्तों में) और बहुत सी निशानियाँ (पैदा की हैं) और बहुत से लोग सितारे से भी राह मालूम करते हैं
016-018 तो क्या जो (ख़ुदा इतने मख़लूकात को) पैदा करता है वह उन (बुतों के बराबर हो सकता है जो कुछ भी पैदा नहीं कर सकते तो क्या तुम (इतनी बात भी) नहीं समझते और अगर तुम ख़ुदा की नेअमतों को गिनना चाहो तो (इस कसरत से हैं कि) तुम नहीं गिन सकते हो
Wa Al-Ladhīna Yad`ūna Min Dūni Allāhi Lā Yakhluqūna Shay'āan Wa Hum Yukhlaqūna
016-020 और जो कुछ तुम छिपाकर करते हो और जो कुछ ज़ाहिर करते हो (ग़रज़) ख़ुदा (सब कुछ) जानता है और (ये कुफ्फार) ख़ुदा को छोड़कर जिन लोगों को (हाजत के वक्त) पुकारते हैं वह कुछ भी पैदा नहीं कर सकते
016-022 (फिर क्या काम आएंगीं)तुम्हारा परवरदिगार यकता खुदा है तो जो लोग आख़िरत पर ईमान नहीं रखते उनके दिल ही (इस वजह के हैं कि हर बात का) इन्कार करते हैं और वह बड़े मग़रुर हैं
Liyaĥmilū 'Awzārahum Kāmilatan Yawma Al-Qiyāmati ۙ Wa Min 'Awzāri Al-Ladhīna Yuđillūnahum Bighayri `Ilmin ۗ 'Alā Sā'a Mā Yazirūna
016-025 (उनको बकने दो ताकि क़यामत के दिन) अपने (गुनाहों) के पूरे बोझ और जिन लोगों को उन्होंने बे समझे बूझे गुमराह किया है उनके (गुनाहों के) बोझ भी उन्हीं को उठाने पड़ेगें ज़रा देखो तो कि ये लोग कैसा बुरा बोझ अपने ऊपर लादे चले जा रहें हैं
Qad Makara Al-Ladhīna MinQablihim Fa'atá Allāhu Bunyānahum Mina Al-Qawā`idi Fakharra `Alayhimu As-Saqfu Min Fawqihim Wa 'Atāhumu Al-`Adhābu Min Ĥaythu Lā Yash`urūna
016-026 बेशक जो लोग उनसे पहले थे उन्होंने भी मक्कारियाँ की थीं तो (ख़ुदा का हुक्म) उनके ख्यालात की इमारत की जड़ की तरफ से आ पड़ा (पस फिर क्या था) इस ख्याली इमारत की छत उन पर उनके ऊपर से धम से गिर पड़ी (और सब ख्याल हवा हो गए) और जिधर से उन पर अज़ाब आ पहुँचा उसकी उनको ख़बर तक न थी
016-027 (फिर उसी पर इकतिफा नहीं) उसके बाद क़यामत के दिन ख़ुदा उनको रुसवा करेगा और फरमाएगा कि (अब बताओ) जिसको तुमने मेरा यशरीक बना रखा था और जिनके बारे में तुम (ईमानदारों से) झगड़ते थे कहाँ हैं (वह तो कुछ जवाब देगें नहीं मगर) जिन लोगों को (ख़ुदा की तरफ से) इल्म दिया गया है कहेगें कि आज के दिन रुसवाई और ख़राबी (सब कुछ) काफिरों पर ही है
016-028 वह लोग हैं कि जब फरिश्ते उनकी रुह क़ब्ज़ करने लगते हैं (और) ये लोग (कुफ्र करके) आप अपने ऊपर सितम ढ़ाते रहे तो इताअत पर आमादा नज़र आते हैं और (कहते हैं कि) हम तो (अपने ख्याल में) कोई बुराई नहीं करते थे (तो फरिश्ते कहते हैं) हाँ जो कुछ तुम्हारी करतूते थी ख़ुदा उससे खूब अच्छी तरह वाक़िफ हैं
Wa Qīla Lilladhīna Attaqaw Mādhā 'Anzala Rabbukum ۚ Qālū Khayrāan ۗ Lilladhīna 'Aĥsanū Fī Hadhihi Ad-Dunyā Ĥasanatun ۚ Wa Ladāru Al-'Ākhirati Khayrun ۚ Wa Lani`ma Dāru Al-Muttaqīna
016-030 और जब परहेज़गारों से पूछा जाता है कि तुम्हारे परवरदिगार ने क्या नाज़िल किया है तो बोल उठते हैं सब अच्छे से अच्छा जिन लोगों ने नेकी की उनके लिए इस दुनिया में (भी) भलाई (ही भलाई) है और आख़िरत का घर क्या उम्दा है
016-031 सदा बहार (हरे भरे) बाग़ हैं जिनमें (वे तकल्लुफ) जा पहुँचेगें उनके नीचे नहरें जारी होंगी और ये लोग जो चाहेगें उनके लिए मुयय्या (मौजूद) है यूँ ख़ुदा परहेज़गारों (को उनके किए) की जज़ा अता फरमाता है
016-032 (ये) वह लोग हैं जिनकी रुहें फरिश्ते इस हालत में क़ब्ज़ करतें हैं कि वह (नजासते कुफ्र से) पाक व पाकीज़ा होते हैं तो फरिश्ते उनसे (निहायत तपाक से) कहते है सलामुन अलैकुम जो नेकियाँ दुनिया में तुम करते थे उसके सिले में जन्नत में (बेतकल्लुफ) चले जाओ
Hal Yanžurūna 'Illā 'An Ta'tiyahumu Al-Malā'ikatu 'Aw Ya'tiya 'AmruRabbika ۚ Kadhālika Fa`ala Al-Ladhīna MinQablihim ۚ Wa Mā Žalamahumu Allāhu Wa Lakin Kānū 'Anfusahum Yažlimūna
016-033 (ऐ रसूल) क्या ये (अहले मक्का) इसी बात के मुन्तिज़र है कि उनके पास फरिश्ते (क़ब्ज़े रुह को) आ ही जाएँ या (उनके हलाक करने को) तुम्हारे परवरदिगार का अज़ाब ही आ पहुँचे जो लोग उनसे पहले हो गुज़रे हैं वह ऐसी बातें कर चुके हैं और ख़ुदा ने उन पर (ज़रा भी) जुल्म नहीं किया बल्कि वह लोग ख़ुद कुफ़्र की वजह से अपने ऊपर आप जुल्म करते रहे
Wa Qāla Al-Ladhīna 'Ashrakū Law Shā'a Allāhu Mā `Abadnā Min Dūnihi MinShay'in Naĥnu Wa Lā 'Ābā'uunā Wa Lā Ĥarramnā Min Dūnihi MinShay'in ۚ Kadhālika Fa`ala Al-Ladhīna MinQablihim ۚ Fahal `Alá Ar-Rusuli 'Illā Al-Balāghu Al-Mubīnu
016-035 और मुशरेकीन कहते हैं कि अगर ख़ुदा चाहता तो न हम ही उसके सिवा किसी और चीज़ की इबादत करते और न हमारे बाप दादा और न हम बग़ैर उस (की मर्ज़ी) के किसी चीज़ को हराम कर बैठते जो लोग इनसे पहले हो गुज़रे हैं वह भी ऐसे (हीला हवाले की) बातें कर चुके हैं तो (कहा करें) पैग़म्बरों पर तो उसके सिवा कि एहकाम को साफ साफ पहुँचा दे और कुछ भी नहीं
Wa Laqad Ba`athnā Fī Kulli 'UmmatinRasūlāan 'Ani Au`budū Allaha Wa Ajtanibū Aţ-Ţāghūta ۖ Faminhum Man Hadá Allāhu Wa Minhum Man Ĥaqqat `Alayhi Ađ-Đalālatu ۚ Fasīrū Fī Al-'Arđi Fānžurū Kayfa Kāna `Āqibatu Al-Mukadhdhibīna
016-036 और हमने तो हर उम्मत में एक (न एक) रसूल इस बात के लिए ज़रुर भेजा कि लोगों ख़ुदा की इबादत करो और बुतों (की इबादत) से बचे रहो ग़रज़ उनमें से बाज़ की तो ख़ुदा ने हिदायत की और बाज़ के (सर) पर गुमराही सवार हो गई तो ज़रा तुम लोग रुए ज़मीन पर चल फिर कर देखो तो कि (पैग़म्बराने ख़ुदा के) झुठलाने वालों को क्या अन्जाम हुआ
'In Taĥriş `Alá Hudāhum Fa'inna Allāha Lā Yahdī Man Yuđillu ۖ Wa Mā Lahum Min Nāşirīna
016-037 (ऐ रसूल) अगर तुमको इन लोगों के राहे रास्त पर जाने का हौका है (तो बे फायदा) क्योंकि ख़ुदा तो हरगिज़ उस शख़्श की हिदायत नहीं करेगा जिसको (नाज़िल होने की वजह से) गुमराही में छोड़ देता है और न उनका कोई मददगार है
Wa 'Aqsamū Billāhi Jahda 'Aymānihim ۙ Lā Yab`athu Allāhu Man Yamūtu ۚ Balá Wa`dāan `Alayhi Ĥaqqāan Wa Lakinna 'Akthara An-Nāsi Lā Ya`lamūna
016-038 (कि अज़ाब से बचाए) और ये कुफ्फार ख़ुदा की जितनी क़समें उनके इमकान में तुम्हें खा (कर कहते) हैं कि जो शख़्श मर जाता है फिर उसको ख़ुदा दोबारा ज़िन्दा नहीं करेगा (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हाँ ज़रुर ऐसा करेगा इस पर अपने वायदे की (वफा) लाज़िम व ज़रुरी है मगर बहुतेरे आदमी नहीं जानते हैं
016-039 (दोबारा ज़िन्दा करना इसलिए ज़रुरी है) कि जिन बातों पर ये लोग झगड़ा करते हैं उन्हें उनके सामने साफ वाज़ेए कर देगा और ताकि कुफ्फार ये समझ लें कि ये लोग (दुनिया में) झूठे थे
'Innamā Qawlunā Lishay'in 'Idhā 'Aradnāhu 'An Naqūla Lahu Kun Fayakūnu
016-040 हम जब किसी चीज़ (के पैदा करने) का इरादा करते हैं तो हमारा कहना उसके बारे में इतना ही होता है कि हम कह देते हैं कि 'हो जा' बस फौरन हो जाती है (तो फिर मुर्दों का जिलाना भी कोई बात है)
Wa Al-Ladhīna Hājarū Fī Al-Lahi Min Ba`di Mā Žulimū Lanubawwi'annahum Fī Ad-Dunyā Ĥasanatan ۖ Wa La'ajru Al-'Ākhirati 'Akbaru ۚ Law Kānū Ya`lamūna
016-041 और जिन लोगों ने (कुफ्फ़ार के ज़ुल्म पर ज़ुल्म सहने के बाद ख़ुदा की खुशी के लिए घर बार छोड़ा हिजरत की हम उनको ज़रुर दुनिया में भी अच्छी जगह बिठाएँगें और आख़िरत की जज़ा तो उससे कहीं बढ़ कर है काश ये लोग जिन्होंने ख़ुदा की राह में सख्तियों पर सब्र किया
016-043 और (ऐ रसूल) तुम से पहले आदमियों ही को पैग़म्बर बना बनाकर भेजा किए जिन की तरफ हम वहीं भेजते थे तो (तुम अहले मक्का से कहो कि) अगर तुम खुद नहीं जानते हो तो अहले ज़िक्र (आलिमों से) पूछो (और उन पैग़म्बरों को भेजा भी तो) रौशन दलीलों और किताबों के साथ
Bil-Bayyināti Wa Az-Zuburi ۗ Wa 'Anzalnā 'Ilayka Adh-Dhikra Litubayyina Lilnnāsi Mā Nuzzila 'Ilayhim Wa La`allahum Yatafakkarūna
016-044 और तुम्हारे पास क़ुरान नाज़िल किया है ताकि जो एहकाम लोगों के लिए नाज़िल किए गए है तुम उनसे साफ साफ बयान कर दो ताकि वह लोग खुद से कुछ ग़ौर फिक्र करें
016-045 तो क्या जो लोग बड़ी बड़ी मक्कारियाँ (शिर्क वग़ैरह) करते थे (उनको इस बात का इत्मिनान हो गया है (और मुत्तलिक़ ख़ौफ नहीं) कि ख़ुदा उन्हें ज़मीन में धसा दे या ऐसी तरफ से उन पर अज़ाब आ पहुँचे कि उसकी उनको ख़बर भी न हो
'Awalam Yaraw 'Ilá Mā Khalaqa Allāhu MinShay'in Yatafayya'u Žilāluhu `Ani Al-Yamīni Wa Ash-Shamā'ili Sujjadāan Lillāh Wa Hum Dākhirūna
016-048 क्या उन लोगों ने ख़ुदा की मख़लूक़ात में से कोई ऐसी चीज़ नहीं देखी जिसका साया (कभी) दाहिनी तरफ और कभी बायीं तरफ पलटा रहता है कि (गोया) ख़ुदा के सामने सर सजदा है और सब इताअत का इज़हार करते हैं
Wa Lillāh Yasjudu Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi Min Dābbatin Wa Al-Malā'ikatu Wa Hum Lā Yastakbirūna
016-049 और जितनी चीज़ें (चादँ सूरज वग़ैरह) आसमानों में हैं और जितने जानवर ज़मीन में हैं सब ख़ुदा ही के आगे सर सजूद हैं और फरिश्ते तो (है ही) और वह हुक्में ख़ुदा से सरकशी नहीं करते (49) (सजदा)
Wa Lahu Mā Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Lahu Ad-Dīnu Wa Aşibāan ۚ 'Afaghayra Allāhi Tattaqūna
016-052 और जो कुछ आसमानों में हैं और जो कुछ ज़मीन में हैं (ग़रज़) सब कुछ उसी का है और ख़ालिस फरमाबरदारी हमेशा उसी को लाज़िम (जरूरी) है तो क्या तुम लोग ख़ुदा के सिवा (किसी और से भी) डरते हो
016-056 और हमने जो रोज़ी उनको दी है उसमें से ये लोग उन बुतों का हिस्सा भी क़रार देते है जिनकी हक़ीकत नहीं जानते तो ख़ुदा की (अपनी) क़िस्म जो इफ़तेरा परदाज़ियाँ तुम करते थे (क़यामत में) उनकी बाज़पुर्स (पूछ गछ) तुम से ज़रुर की जाएगी
016-059 और वह ज़हर का सा घूँट पीकर रह जाता है (बेटी की) जिसकी खुशखबरी दी गई है अपनी क़ौम के लोगों से छिपा फिरता है (और सोचता है) कि क्या इसको ज़िल्लत उठाके ज़िन्दा रहने दे या (ज़िन्दा ही) इसको ज़मीन में गाड़ दे-देखो तुम लोग किस क़दर बुरा एहकाम (हुक्म) लगाते हैं
Lilladhīna Lā Yu'uminūna Bil-'Ākhirati Mathalu As-Saw'i ۖ Wa Lillāh Al-Mathalu Al-'A`lá ۚ Wa Huwa Al-`Azīzu Al-Ĥakīmu
016-060 बुरी (बुरी) बातें तो उन्हीं लोगों के लिए ज्यादा मुनासिब हैं जो आख़िरत का यक़ीन नहीं रखते और ख़ुदा की शान के लायक़ तो आला सिफते (बहुत बड़ी अच्छाइया) हैं और वही तो ग़ालिब है
Wa Law Yu'uākhidhu Allāhu An-Nāsa Bižulmihim Mā Taraka `Alayhā Min Dābbatin Wa Lakin Yu'uakhkhiruhum 'Ilá 'Ajalin Musamman ۖ Fa'idhā Jā'a 'Ajaluhum Lā Yasta'khirūna Sā`atan ۖ Wa Lā Yastaqdimūna
016-061 और अगर (कहीं) ख़ुदा अपने बन्दों की नाफरमानियों की गिरफ़त करता तो रुए ज़मीन पर किसी एक जानदार को बाक़ी न छोड़ता मगर वह तो एक मुक़र्रर वक्त तक उन सबको मोहलत देता है फिर जब उनका (वह) वक्त अा पहुँचेगा तो न एक घड़ी पीछे हट सकते हैं और न आगे बढ़ सकते हैं
Wa Yaj`alūna Lillāh Mā Yakrahūna Wa Taşifu 'Alsinatuhumu Al-Kadhiba 'Anna Lahumu Al-Ĥusná ۖ Lā Jarama 'Anna Lahumu An-Nāra Wa 'Annahum Mufraţūna
016-062 और ये लोग खुद जिन बातों को पसन्द नहीं करते उनको ख़ुदा के वास्ते क़रार देते हैं और अपनी ही ज़बान से ये झूठे दावे भी करते हैं कि (आख़िरत में भी) उन्हीं के लिए भलाई है (भलाई तो नहीं मगर) हाँ उनके लिए जहन्नुम की आग ज़रुरी है और यही लोग सबसे पहले (उसमें) झोंके जाएँगें
016-063 (ऐ रसूल) ख़ुदा की (अपनी) कसम तुमसे पहले उम्मतों के पास बहुतेरे पैग़म्बर भेजे तो शैतान ने उनकी कारस्तानियों को उम्दा कर दिखाया तो वही (शैतान) आज भी उन लोगों का सरपरस्त बना हुआ है हालॉकि उनके वास्ते दर्दनाक अज़ाब है
Wa Mā 'Anzalnā `Alayka Al-Kitāba 'Illā Litubayyina Lahumu Al-Ladhī Akhtalafū Fīhi ۙ Wa Hudan Wa Raĥmatan Liqawmin Yu'uminūna
016-064 और हमने तुम पर किताब (क़ुरान) तो इसी लिए नाज़िल की ताकि जिन बातों में ये लोग बाहम झगड़ा किए हैं उनको तुम साफ साफ बयान करो (और यह किताब) ईमानदारों के लिए तो (अज़सरतापा) हिदायत और रहमत है
Wa Allāhu 'Anzala Mina As-Samā'i Mā'an Fa'aĥyā Bihi Al-'Arđa Ba`da Mawtihā ۚ 'Inna Fī Dhālika La'āyatan Liqawmin Yasma`ūna
016-065 और ख़ुदा ही ने आसमान से पानी बरसाया तो उसके ज़रिए ज़मीन को मुर्दा होने के बाद ज़िन्दा (शादाब) (हरी भरी) किया क्या कुछ शक नहीं कि इसमें जो लोग बसते हैं उनके वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत बड़ी निशानी है
Wa 'Inna Lakum Fī Al-'An`ām La`ibratan ۖ Nusqīkum Mimmā Fī Buţūnihi Min Bayni Farthin Wa Damin Labanāan Khālişāan Sā'ighāan Lilshshāribīna
016-066 और इसमें शक़ नहीं कि चौपायों में भी तुम्हारे लिए (इबरत की बात) है कि उनके पेट में ख़ाक, बला, गोबर और ख़ून (जो कुछ भरा है) उसमें से हमे तुमको ख़ालिस दूध पिलाते हैं जो पीने वालों के लिए खुशगवार है
Wa MinThamarāti An-Nakhīli Wa Al-'A`nābi Tattakhidhūna Minhu Sakarāan Wa Rizqāan Ĥasanāan ۗ 'Inna Fī Dhālika La'āyatan Liqawmin Ya`qilūna
016-067 और इसी तरह खुरमें और अंगूर के फल से (हम तुमको शीरा पिलाते हैं) जिसकी (कभी तो) तुम शराब बना लिया करते हो और कभी अच्छी रोज़ी (सिरका वगैरह) इसमें शक नहीं कि इसमें भी समझदार लोगों के लिए (क़ुदरत ख़ुदा की) बड़ी निशानी है
Wa 'Awĥá Rabbuka 'Ilá An-Naĥli 'Ani Attakhidhī Mina Al-Jibāli Buyūtāan Wa Mina Ash-Shajari Wa Mimmā Ya`rishūna
016-068 और (ऐ रसूल) तुम्हारे परवरदिगार ने शहद की मक्खियों के दिल में ये बात डाली कि तू पहाड़ों और दरख्तों और ऊँची ऊँची ट्ट्टियाँ (और मकानात पाट कर) बनाते हैं
016-069 उनमें अपने छत्ते बना फिर हर तरह के फलों (के पूर से) (उनका अर्क़) चूस कर फिर अपने परवरदिगार की राहों में ताबेदारी के साथ चली मक्खियों के पेट से पीने की एक चीज़ निकलती है (शहद) जिसके मुख्तलिफ रंग होते हैं इसमें लोगों (के बीमारियों) की शिफ़ा (भी) है इसमें शक़ नहीं कि इसमें ग़ौर व फ़िक्र करने वालों के वास्ते (क़ुदरते ख़ुदा की बहुत बड़ी निशानी है)
Wa Allāhu KhalaqakumThumma Yatawaffākum ۚ Wa Minkum Man Yuraddu 'Ilá 'Ardhali Al-`Umuri Likay Lā Ya`lama Ba`da `IlminShay'āan ۚ 'Inna Allāha `AlīmunQadīrun
016-070 और ख़ुदा ही ने तुमको पैदा किया फिर वही तुमको (दुनिया से) उठा लेगा और तुममें से बाज़ ऐसे भी हैं जो ज़लील ज़िन्दगी (सख्त बुढ़ापे) की तरफ लौटाए जाते हैं (बहुत कुछ) जानने के बाद (ऐसे सड़ीले हो गए कि) कुछ नहीं जान सके बेशक ख़ुदा (सब कुछ) जानता और (हर तरह की) कुदरत रखता है
016-071 और ख़ुदा ही ने तुममें से बाज़ को बाज़ पर रिज़क (दौलत में) तरजीह दी है फिर जिन लोगों को रोज़ी ज्यादा दी गई है वह लोग अपनी रोज़ी में से उन लोगों को जिन पर उनका दस्तरस (इख्तेयार) है (लौन्डी ग़ुलाम वग़ैरह) देने वाला नहीं (हालॉकि इस माल में तो सब के सब मालिक गुलाम वग़ैरह) बराबर हैं तो क्या ये लोग ख़ुदा की नेअमत के मुन्किर हैं
Wa Allāhu Ja`ala Lakum Min 'Anfusikum 'Azwājāan Wa Ja`ala Lakum Min 'Azwājikum Banīna Wa Ĥafadatan Wa Razaqakum Mina Aţ-Ţayyibāti ۚ 'Afabiālbāţili Yu'uminūna Wa Bini`mati Allāhi Hum Yakfurūna
016-072 और ख़ुदा ही ने तुम्हारे लिए बीबियाँ तुम ही में से बनाई और उसी ने तुम्हारे वास्ते तुम्हारी बीवियों से बेटे और पोते पैदा किए और तुम्हें पाक व पाकीज़ा रोज़ी खाने को दी तो क्या ये लोग बिल्कुल बातिल (सुल्तान बुत वग़ैरह) पर ईमान रखते हैं और ख़ुदा की नेअमत (वहदानियत वग़ैरह से) इन्कार करते हैं
Wa Ya`budūna Min Dūni Allāhi Mā Lā Yamliku LahumRizqāan Mina As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Shay'āan Wa Lā Yastaţī`ūna
016-073 और ख़ुदा को छोड़कर ऐसी चीज़ की परसतिश करते हैं जो आसमानों और ज़मीन में से उनको रिज़क़ देने का कुछ भी न एख्तियार रखते हैं और न कुदरत हासिल कर सकते हैं
Đaraba Allāhu Mathalāan `Abdāan Mamlūkāan Lā Yaqdiru `Alá Shay'in Wa ManRazaqnāhu Minnā Rizqāan Ĥasanāan Fahuwa Yunfiqu Minhu Sirrāan Wa Jahrāan ۖ Hal Yastawūna ۚ Al-Ĥamdu Lillāh ۚ Bal 'Aktharuhum Lā Ya`lamūna
016-075 एक मसल ख़ुदा ने बयान फरमाई कि एक ग़ुलाम है जो दूसरे के कब्जे में है (और) कुछ भी एख्तियार नहीं रखता और एक शख़्श वह है कि हमने उसे अपनी बारगाह से अच्छी (खासी) रोज़ी दे रखी है तो वह उसमें से छिपा के दिखा के (ग़रज़ हर तरह ख़ुदा की राह में) ख़र्च करता है क्या ये दोनो बराबर हो सकते हैं (हरगिज़ नहीं) अल्हमदोलिल्लाह (कि वह भी उसके मुक़र्रर हैं) मगर उनके बहुतेरे (इतना भी) नहीं जानते
Wa Đaraba Allāhu MathalāanRajulayni 'Aĥaduhumā 'Abkamu Lā Yaqdiru `Alá Shay'in Wa Huwa Kallun `Alá Mawlāhu 'Aynamā Yuwajjhhhu Lā Ya'ti Bikhayrin ۖ Hal Yastawī Huwa Wa Man Ya'muru Bil-`Adli ۙ Wa Huwa `Alá Şirāţin Mustaqīmin
016-076 और ख़ुदा एक दूसरी मसल बयान फरमाता है दो आदमी हैं कि एक उनमें से बिल्कुल गूँगा उस पर गुलाम जो कुछ भी (बात वग़ैरह की) कुदरत नहीं रखता और (इस वजह से) वह अपने मालिक को दूभर हो रहा है कि उसको जिधर भेजता है (ख़ैर से) कभी भलाई नहीं लाता क्या ऐसा ग़ुलाम और वह शख़्श जो (लोगों को) अदल व मियाना रवी का हुक्म करता है वह खुद भी ठीक सीधी राह पर क़ायम है (दोनों बराबर हो सकते हैं (हरगिज़ नहीं)
Wa Lillāh Ghaybu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۚ Wa Mā 'Amru As-Sā`ati 'Illā Kalamĥi Al-Başari 'Aw Huwa 'Aqrabu ۚ 'Inna Allāha `Alá Kulli Shay'inQadīrun
016-077 और सारे आसमान व ज़मीन की ग़ैब की बातें ख़ुदा ही के लिए मख़सूस हैं और ख़ुदा क़यामत का वाकेए होना तो ऐसा है जैसे पलक का झपकना बल्कि इससे भी जल्दी बेशक ख़ुदा हर चीज़ पर क़ुदरत कामेला रखता है
Wa Allāhu 'Akhrajakum Min Buţūni 'Ummahātikum Lā Ta`lamūna Shay'āan Wa Ja`ala Lakumu As-Sam`a Wa Al-'Abşāra Wa Al-'Af'idata ۙ La`allakum Tashkurūna
016-078 और ख़ुदा ही ने तुम्हें तुम्हारी माओं के पेट से निकाला (जब) तुम बिल्कुल नासमझ थे और तुम को कान दिए और ऑंखें (अता की) दिल (इनायत किए) ताकि तुम शुक्र करो
016-079 क्या उन लोगों ने परिन्दों की तरफ ग़ौर नहीं किया जो आसमान के नीचे हवा में घिरे हुए (उड़ते रहते हैं) उनको तो बस ख़ुदा ही (गिरने से ) रोकता है बेशक इसमें भी (कुदरते ख़ुदा की) ईमानदारों के लिए बहुत सी निशानियाँ हैं
Wa Allāhu Ja`ala Lakum Min Buyūtikum Sakanāan Wa Ja`ala Lakum Min Julūdi Al-'An`āmi Buyūtāan Tastakhiffūnahā Yawma Ža`nikum Wa Yawma 'Iqāmatikum ۙ Wa Min 'Aşwāfihā Wa 'Awbārihā Wa 'Ash`ārihā 'Athāthāan Wa Matā`āan 'Ilá Ĥīnin
016-080 और ख़ुदा ही ने तुम्हारे घरों को तुम्हारा ठिकाना क़रार दिया और उसी ने तुम्हारे वास्ते चौपायों की खालों से तुम्हारे लिए (हलके फुलके) डेरे (ख़ेमे) बना जिन्हें तुम हलका पाकर अपने सफर और हजर (ठहरने) में काम लाते हो और इन चारपायों की ऊन और रुई और बालो से एक वक्त ख़ास (क़यामत तक) के लिए तुम्हारे बहुत से असबाब और अबकार आमद (काम की) चीज़े बनाई
Wa Allāhu Ja`ala Lakum Mimmā Khalaqa Žilālāan Wa Ja`ala Lakum Mina Al-Jibāli 'Aknānāan Wa Ja`ala Lakum Sarābīla Taqīkumu Al-Ĥarra Wa Sarābīla Taqīkum Ba'sakum ۚ Kadhālika Yutimmu Ni`matahu `Alaykum La`allakum Tuslimūna
016-081 और ख़ुदा ही ने तुम्हारे आराम के लिए अपनी पैदा की हुईचीज़ों के साए बनाए और उसी ने तुम्हारे (छिपने बैठने) के वास्ते पहाड़ों में घरौन्दे (ग़ार वग़ैरह) बनाए और उसी ने तुम्हारे लिए कपड़े बनाए जो तुम्हें (सर्दी) गर्मी से महफूज़ रखें और (लोहे) के कुर्ते जो तुम्हें हाथियों की ज़द (मार) से बचा लंग़ यूँ ख़ुदा अपनी नेअमत तुम पर पूरी करता है
Wa Yawma Nab`athu Min Kulli 'UmmatinShahīdāanThumma Lā Yu'udhanu Lilladhīna Kafarū Wa Lā Hum Yusta`tabūna
016-084 और जिस दिन हम एक उम्मत में से (उसके पैग़म्बरों को) गवाह बनाकर क़ब्रों से उठा खड़ा करेगे फिर तो काफिरों को न (बात करने की) इजाज़त दी जाएगी और न उनका उज्र (जवाब) ही सुना जाएगा
Wa 'Idhā Ra'á Al-Ladhīna 'Ashrakū Shurakā'ahumQālū Rabbanā Hā'uulā' Shurakā'uunā Al-Ladhīna Kunnā Nad`ū Min Dūnika ۖ Fa'alqaw 'Ilayhimu Al-Qawla 'Innakum Lakādhibūna
016-086 और जिन लोगों ने दुनिया में ख़ुदा का शरीक (दूसरे को) ठहराया था जब अपने (उन) शरीकों को (क़यामत में) देखेंगे तो बोल उठेगें कि ऐ हमारे परवरदिगार यही तो हमारे शरीक हैं जिन्हें हम (मुसीबत) के वक्त तुझे छोड़ कर पुकारा करते थे तो वह शरीक उन्हीं की तरफ बात को फेंक मारेगें कि तुम निरे झूठे हो
Wa Yawma Nab`athu Fī Kulli 'UmmatinShahīdāan `Alayhim Min 'Anfusihim ۖ Wa Ji'nā Bika Shahīdāan `Alá Hā'uulā' ۚ Wa Nazzalnā `Alayka Al-Kitāba Tibyānāan Likulli Shay'in Wa Hudan Wa Raĥmatan Wa Bushrá Lilmuslimīna
016-089 और वह दिन याद करो जिस दिन हम हर एक गिरोह में से उन्हीं में का एक गवाह उनके मुक़ाबिल ला खड़ा करेगें और (ऐ रसूल) तुम को उन लोगों पर (उनके) सामने गवाह बनाकर ला खड़ा करेंगें और हमने तुम पर किताब (क़ुरान) नाज़िल की जिसमें हर चीज़ का (शाफी) बयान है और मुसलमानों के लिए (सरमापा) हिदायत और रहमत और खुशख़बरी है
'Inna Allāha Ya'muru Bil-`Adli Wa Al-'Iĥsāni Wa 'Ītā'i Dhī Al-Qurbá Wa Yanhá `Ani Al-Faĥshā'i Wa Al-Munkari Wa Al-Baghyi ۚ Ya`ižukum La`allakum Tadhakkarūna
016-090 इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा इन्साफ और (लोगों के साथ) नेकी करने और क़राबतदारों को (कुछ) देने का हुक्म करता है और बदकारी और नाशाएस्ता हरकतों और सरकशी करने को मना करता है (और) तुम्हें नसीहत करता है ताकि तुम नसीहत हासिल करो
Wa 'Awfū Bi`ahdi Allāhi 'Idhā `Āhadtum Wa Lā Tanquđū Al-'Aymāna Ba`da Tawkīdihā Wa Qad Ja`altumu Allāha `Alaykum Kafīlāan ۚ 'Inna Allāha Ya`lamu Mā Taf`alūna
016-091 और जब तुम लोग बाहम क़ौल व क़रार कर लिया करो तो ख़ुदा के एहदो पैमान को पूरा करो और क़समों को उनके पक्का हो जाने के बाद न तोड़ा करो हालॉकि तुम तो ख़ुदा को अपना ज़ामिन बना चुके हो जो कुछ भी तुम करते हो ख़ुदा उसे ज़रुर जानता है
Wa Lā Takūnū Kāllatī Naqađat Ghazlahā Min Ba`di Qūwatin 'Ankāthāan Tattakhidhūna 'Aymānakum Dakhalāan Baynakum 'An Takūna 'Ummatun Hiya 'Arbá Min 'Ummatin ۚ 'Innamā Yablūkumu Allāhu Bihi ۚ Wa Layubayyinanna Lakum Yawma Al-Qiyāmati Mā Kuntum Fīhi Takhtalifūna
016-092 और तुम लोग (क़समों के तोड़ने में) उस औरत के ऐसे न हो जो अपना सूत मज़बूत कातने के बाद टुकड़े टुकड़े करके तोड़ डाले कि अपने एहदो को आपस में उस बात की मक्कारी का ज़रिया बनाने लगो कि एक गिरोह दूसरे गिरोह से (ख्वामख़वाह) बढ़ जाए इससे बस ख़ुदा तुमको आज़माता है (कि तुम किसी की पालाइश करते हो) और जिन बातों में तुम दुनिया में झगड़ते थे क़यामत के दिन ख़ुदा खुद तुम से साफ साफ बयान कर देगा
Wa Law Shā'a Allāhu Laja`alakum 'Ummatan Wāĥidatan Wa Lakin Yuđillu Man Yashā'u Wa Yahdī Man Yashā'u ۚ Wa Latus'alunna `Ammā Kuntum Ta`malūna
016-093 और अगर ख़ुदा चाहता तो तुम सबको एक ही (किस्म के) गिरोह बना देता मगर वह तो जिसको चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसकी चाहता है हिदायत करता है और जो कुछ तुम लोग दुनिया में किया करते थे उसकी बाज़ पुर्स (पुछ गछ) तुमसे ज़रुर की जाएगी
Wa Lā Tattakhidhū 'Aymānakum Dakhalāan Baynakum Fatazilla Qadamun Ba`da Thubūtihā Wa Tadhūqū As-Sū'a Bimā Şadadtum `An Sabīli Allāhi ۖ Wa Lakum `Adhābun `Ažīmun
016-094 और तुम अपनी क़समों को आपस में के फसाद का सबब न बनाओ ताकि (लोगों के) क़दम जमने के बाद (इस्लाम से) उखड़ जाएँ और फिर आख़िरकार क़यामत में तुम्हें लोगों को ख़ुदा की राह से रोकने की पादाश (रोकने के बदले) में अज़ाब का मज़ा चखना पड़े और तुम्हारे वास्ते बड़ा सख्त अज़ाब हो
Mā `Indakum Yanfadu ۖ Wa Mā `Inda Allāhi Bāqin ۗ Wa Lanajziyanna Al-Ladhīna Şabarū 'Ajrahum Bi'aĥsani Mā Kānū Ya`malūna
016-096 (क्योंकि माल दुनिया से) जो कुछ तुम्हारे पास है एक न एक दिन ख़त्म हो जाएगा और (अज्र) ख़ुदा के पास है वह हमेशा बाक़ी रहेगा और जिन लोगों ने दुनिया में सब्र किया था उनको (क़यामत में) उनके कामों का हम अच्छे से अच्छा अज्र व सवाब अता करेंगें
Man `Amila Şāliĥāan MinDhakarin 'Aw 'Unthá Wa Huwa Mu'uminun Falanuĥyiyannahu ĤayāatanŢayyibatan ۖ Wa Lanajziyannahum 'Ajrahum Bi'aĥsani Mā Kānū Ya`malūna
016-097 मर्द हो या औरत जो शख़्श नेक काम करेगा और वह ईमानदार भी हो तो हम उसे (दुनिया में भी) पाक व पाकीज़ा जिन्दगी बसर कराएँगें और (आख़िरत में भी) जो कुछ वह करते थे उसका अच्छे से अच्छा अज्र व सवाब अता फरमाएँगें
Wa 'Idhā Baddalnā 'Āyatan Makāna 'Āyatin Wa ۙ Allāhu 'A`lamu Bimā Yunazzilu Qālū 'Innamā 'Anta Muftarin ۚ Bal 'Aktharuhum Lā Ya`lamūna
016-101 और (ऐ रसूल) हम जब एक आयत के बदले दूसरी आयत नाज़िल करते हैं तो हालॉकि ख़ुदा जो चीज़ नाज़िल करता है उस (की मसलहतों) से खूब वाक़िफ है मगर ये लोग (तुम को) कहने लगते हैं कि तुम बस बिल्कुल मुज़तरी (ग़लत बयान करने वाले) हो बल्कि खुद उनमें के बहुतेरे (मसालेह को) नहीं जानते
Qul Nazzalahu Rūĥu Al-Qudusi MinRabbika Bil-Ĥaqqi Liyuthabbita Al-Ladhīna 'Āmanū Wa Hudan Wa Bushrá Lilmuslimīna
016-102 (ऐ रसूल) तुम (साफ) कह दो कि इस (क़ुरान) को तो रुहलकुदूस (जिबरील) ने तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हक़ नाज़िल किया है ताकि जो लोग ईमान ला चुके हैं उनको साबित क़दम रखे और मुसलमानों के लिए (अज़सरतापा) खुशखबरी है
Wa Laqad Na`lamu 'Annahum Yaqūlūna 'Innamā Yu`allimuhu Basharun ۗ Lisānu Al-Ladhī Yulĥidūna 'Ilayhi 'A`jamīyun Wa Hadhā Lisānun `Arabīyun Mubīnun
016-103 और (ऐ रसूल) हम तहक़ीक़तन जानते हैं कि ये कुफ्फार तुम्हारी निस्बत कहा करते है कि उनको (तुम को) कोई आदमी क़ुरान सिखा दिया करता है हालॉकि बिल्कुल ग़लत है क्योंकि जिस शख्स की तरफ से ये लोग निस्बत देते हैं उसकी ज़बान तो अजमी है और ये तो साफ साफ अरबी ज़बान है
Man Kafara Billāhi Min Ba`di 'Īmānihi~ 'Illā Man 'Ukriha Wa Qalbuhu Muţma'innun Bil-'Īmāni Wa Lakin ManSharaĥa Bil-Kufri Şadrāan Fa`alayhimGhađabun Mina Allāhi Wa Lahum `Adhābun `Ažīmun
016-106 और हक़ीक़त अम्र ये है कि यही लोग झूठे हैं उस शख्स के सिवा जो (कलमाए कुफ्र) पर मजबूर किया जाए और उसका दिल ईमान की तरफ से मुतमइन हो जो शख्स भी ईमान लाने के बाद कुफ्र एख्तियार करे बल्कि खूब सीना कुशादा (जी खोलकर) कुफ्र करे तो उन पर ख़ुदा का ग़ज़ब है और उनके लिए बड़ा (सख्त) अज़ाब है
016-107 ये इस वजह से कि उन लोगों ने दुनिया की चन्द रोज़ा ज़िन्दगी को आख़िरत पर तरजीह दी और इस वजह से की ख़ुदा काफिरों को हरगिज़ मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता
Thumma 'Inna Rabbaka Lilladhīna Hājarū Min Ba`di Mā Futinū Thumma Jāhadū Wa Şabarū 'Inna Rabbaka Min Ba`dihā LaghafūrunRaĥīmun
016-110 फिर इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार उन लोगों को जिन्होने मुसीबत में मुब्तिला होने क बाद घर बार छोडे फ़िर (ख़ुदा की राह में) जिहाद किए और तकलीफों पर सब्र किया इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार इन सब बातों के बाद अलबत्ता बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Wa Đaraba Allāhu MathalāanQaryatan Kānat 'Āminatan Muţma'innatan Ya'tīhā Rizquhā Raghadāan Min Kulli Makānin Fakafarat Bi'an`umi Allāhi Fa'adhāqahā Al-Lahu Libāsa Al-Jū`i Wa Al-Khawfi Bimā Kānū Yaşna`ūna
016-112 और हर शख़्श को जो कुछ भी उसने किया था उसका पूरा पूरा बदला मिलेगा और उन पर किसी तरह का जुल्म न किया जाएगा ख़ुदा ने एक गाँव की मसल बयान फरमाई जिसके रहने वाले हर तरह के चैन व इत्मेनान में थे हर तरफ से बाफराग़त (बहुत ज्यादा) उनकी रोज़ी उनके पास आई थी फिर उन लोगों ने ख़ुदा की नूअमतों की नाशुक्री की तो ख़ुदा ने उनकी करतूतों की बदौलत उनको मज़ा चखा दिया
016-114 फिर अज़ाब (ख़ुदा) ने उन्हें ले डाला और वह ज़ालिम थे ही तो ख़ुदा ने जो कुछ तुम्हें हलाल तय्यब (ताहिर) रोज़ी दी है उसको (शौक़ से) खाओ और अगर तुम खुदा ही की परसतिश (का दावा करते हो)
'Innamā Ĥarrama `Alaykumu Al-Maytata Wa Ad-Dama Wa Laĥma Al-Khinzīri Wa Mā 'Uhilla Lighayri Allāhi Bihi ۖ Famani AđţurraGhayra Bāghin Wa Lā `Ādin Fa'inna Allāha GhafūrunRaĥīmun
016-115 उसकी नेअमत का शुक्र अदा किया करो तुम पर उसने मुरदार और खून और सूअर का गोश्त और वह जानवर जिस पर (ज़बाह के वक्त) ख़ुदा के सिवा (किसी) और का नाम लिया जाए हराम किया है फिर जो शख़्श (मारे भूक के) मजबूर हो ख़ुदा से सरतापी (नाफरमानी) करने वाला हो और न (हद ज़रुरत से) बढ़ने वाला हो और (हराम खाए) तो बेशक ख़ुदा बख्शने वाला मेहरबान है
016-116 और झूट मूट जो कुछ तुम्हारी ज़बान पर आए (बे समझे बूझे) न कह बैठा करों कि ये हलाल है और हराम है ताकि इसकी बदौलत ख़ुदा पर झूठ बोहतान बाँधने लगो इसमें शक़ नहीं कि जो लोग ख़ुदा पर झूठ बोहतान बाधते हैं वह कभी कामयाब न होगें
Thumma 'Inna Rabbaka Lilladhīna `Amilū As-Sū'a BijahālatinThumma Tābū Min Ba`di Dhālika Wa 'Aşlaĥū 'Inna Rabbaka Min Ba`dihā LaghafūrunRaĥīmun
016-119 मगर वह लोग खुद अपने ऊपर सितम तोड़ रहे हैं फिर इसमे शक़ नहीं कि जो लोग नादानी से गुनाह कर बैठे उसके बाद सदक़ दिल से तौबा कर ली और अपने को दुरुस्त कर लिया तो (ऐ रसूल) इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार इसके बाद बख्शने वाला मेहरबान है
Thumma 'Awĥaynā 'Ilayka 'Ani Attabi` Millata 'Ibrāhīma Ĥanīfāan ۖ Wa Mā Kāna Mina Al-Mushrikīna
016-123 और वह आख़िरत में भी यक़ीनन नेको कारों से होगें ऐ रसूल फिर तुम्हारे पास वही भेजी कि इबराहीम के तरीक़े की पैरवी करो जो बातिल से कतरा के चलते थे और मुशरेकीन से नहीं थे
016-124 (ऐ रसूल) हफ्ते (के दिन) की ताज़ीम तो बस उन्हीं लोगों पर लाज़िम की गई थी (यहूद व नसारा इसके बारे में) एख्तिलाफ करते थे और कुछ शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार उनके दरमियान जिस अग्र में वह झगड़ा करते थे क़यामत के दिन फैसला कर देगा
Ad`u 'Ilá Sabīli Rabbika Bil-Ĥikmati Wa Al-Maw`ižati Al-Ĥasanati ۖ Wa Jādilhum Bi-Atī Hiya 'Aĥsanu ۚ 'Inna Rabbaka Huwa 'A`lamu BimanĐalla `An Sabīlihi ۖ Wa Huwa 'A`lamu Bil-Muhtadīna
016-125 (ऐ रसूल) तुम (लोगों को) अपने परवरदिगार की राह पर हिकमत और अच्छी अच्छी नसीहत के ज़रिए से बुलाओ और बहस व मुबाशा करो भी तो इस तरीक़े से जो लोगों के नज़दीक सबसे अच्छा हो इसमें शक़ नहीं कि जो लोग ख़ुदा की राह से भटक गए उनको तुम्हारा परवरदिगार खूब जानता है
Wa 'In `Āqabtum Fa`āqibū Bimithli Mā `Ūqibtum Bihi ۖ Wa La'inŞabartum Lahuwa Khayrun Lilşşābirīna
016-126 और हिदायत याफ़ता लोगों से भी खूब वाक़िफ है और अगर (मुख़ालिफीन के साथ) सख्ती करो भी तो वैसी ही सख्ती करो जैसे सख्ती उन लोगों ने तुम पर की थी और अगर तुम सब्र करो तो सब्र करने वालों के वास्ते बेहतर हैं
Wa Aşbir Wa Mā Şabruka 'Illā Billāhi ۚ Wa Lā Taĥzan `Alayhim Wa Lā Taku Fī Đayqin Mimmā Yamkurūna
016-127 और (ऐ रसूल) तुम सब्र ही करो (और ख़ुदा की (मदद) बग़ैर तो तुम सब्र कर भी नहीं सकते और उन मुख़ालिफीन के हाल पर तुम रंज न करो और जो मक्कारीयाँ ये लोग करते हैं उससे तुम तंग दिल न हो