010-002 क्या लोगों को इस बात से बड़ा ताज्जुब हुआ कि हमने उन्हीं लोगों में से एक आदमी के पास वही भेजी कि (बे ईमान) लोगों को डराओ और ईमानदारो को इसकी ख़ुश ख़बरी सुना दो कि उनके लिए उनके परवरदिगार की बारगाह में बुलन्द दर्जे है (मगर) कुफ्फार (उन आयतों को सुनकर) कहने लगे कि ये (शख्स तो यक़ीनन सरीही जादूगर) है
010-003 इसमें तो शक़ ही नहीं कि तुमरा परवरदिगार वही ख़ुदा है जिसने सारे आसमान व ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया फिर उसने अर्श को बुलन्द किया वही हर काम का इन्तज़ाम करता है (उसके सामने) कोई (किसी का) सिफारिशी नहीं (हो सकता) मगर उसकी इजाज़त के बाद वही ख़ुदा तो तुम्हारा परवरदिगार है तो उसी की इबादत करो तो क्या तुम अब भी ग़ौर नही करते
'Ilayhi Marji`ukum Jamī`āan ۖ Wa`da Allāhi Ĥaqqāan ۚ 'Innahu Yabda'u Al-Khalqa Thumma Yu`īduhu Liyajziya Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Bil-Qisţi Wa ۚ Al-Ladhīna Kafarū LahumSharābun Min Ĥamīmin Wa `Adhābun 'Alīmun Bimā Kānū Yakfurūna
010-004 तुम सबको (आख़िर) उसी की तरफ लौटना है ख़ुदा का वायदा सच्चा है वही यक़ीनन मख़लूक को पहली मरतबा पैदा करता है फिर (मरने के बाद) वही दुबारा जिन्दा करेगा ताकि जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनको इन्साफ के साथ जज़ाए (ख़ैर) अता फरमाएगा और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तियार किया उन के लिए उनके कुफ्र की सज़ा में पीने को खौलता हुआ पानी और दर्दनाक अज़ाब होगा
Huwa Al-Ladhī Ja`ala Ash-Shamsa Điyā'an Wa Al-Qamara Nūrāan Wa Qaddarahu Manāzila Lita`lamū `Adada As-Sinīna Wa Al-Ĥisāba ۚ Mā Khalaqa Allāhu Dhālika 'Illā Bil-Ĥaqqi ۚ Yufaşşilu Al-'Āyāti Liqawmin Ya`lamūna
010-005 वही वह (ख़ुदाए क़ादिर) है जिसने आफ़ताब को चमकदार और महताब को रौशन बनाया और उसकी मंज़िलें मुक़र्रर की ताकि तुम लोग बरसों की गिनती और हिसाब मालूम करो ख़ुदा ने उसे हिकमत व मसलहत से बनाया है वह (अपनी) आयतों का वाक़िफ़कार लोगों के लिए तफ़सीलदार बयान करता है
'Inna Fī Akhtilāfi Al-Layli Wa An-Nahāri Wa Mā Khalaqa Allāhu Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi La'āyātin Liqawmin Yattaqūna
010-006 इसमें ज़रा भी शक़ नहीं कि रात दिन के उलट फेर में और जो कुछ ख़ुदा ने आसमानों और ज़मीन में बनाया है (उसमें) परहेज़गारों के वास्ते बहुतेरी निशानियाँ हैं
'Inna Al-Ladhīna Lā Yarjūna Liqā'anā Wa Rađū Bil-Ĥayāati Ad-Dunyā Wa Aţma'annū Bihā Wa Al-Ladhīna Hum `An 'Āyātinā Ghāfilūna
010-007 इसमें भी शक़ नहीं कि जिन लोगों को (क़यामत में) हमारी (बारगाह की) हुज़ूरी का ठिकाना नहीं और दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी से निहाल हो गए और उसी पर चैन से बैठे हैं और जो लोग हमारी आयतों से ग़ाफिल हैं
'Inna Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti YahdīhimRabbuhum Bi'īmānihim ۖ Tajrī Min Taĥtihimu Al-'Anhāru Fī Jannāti An-Na`īmi
010-009 बेशक जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उन्हें उनका परवरदिगार उनके ईमान के सबब से मंज़िल मक़सूद तक पहुँचा देगा कि आराम व आसाइश के बाग़ों में (रहेगें) और उन के नीचे नहरें जारी होगी
Da`wāhum Fīhā Subĥānaka Allāhumma Wa Taĥīyatuhum Fīhā Salāmun ۚ Wa 'Ākhiru Da`wāhum 'Ani Al-Ĥamdu Lillāh Rabbi Al-`Ālamīna
010-010 उन बाग़ों में उन लोगों का बस ये कौल होगा ऐ ख़ुदा तू पाक व पाकीज़ा है और उनमें उनकी बाहमी (आपसी) खैरसलाही (मुलाक़ात) सलाम से होगी और उनका आख़िरी क़ौल ये होगा कि सब तारीफ ख़ुदा ही को सज़ावार है जो सारे जहाँन का पालने वाला है
Wa Law Yu`ajjilu Allāhu Lilnnāsi Ash-SharraAsti`jālahum Bil-Khayri Laquđiya 'Ilayhim 'Ajaluhum ۖ Fanadharu Al-Ladhīna Lā Yarjūna Liqā'anā Fī Ţughyānihim Ya`mahūna
010-011 और जिस तरह लोग अपनी भलाई के लिए जल्दी कर बैठे हैं उसी तरह अगर ख़ुदा उनकी शरारतों की सज़ा में बुराई में जल्दी कर बैठता है तो उनकी मौत उनके पास कब की आ चुकी होती मगर हम तो उन लोगों को जिन्हें (मरने के बाद) हमारी हुज़ूरी का खटका नहीं छोड़ देते हैं कि वह अपनी सरकशी में आप सरग़िरदा रहें
010-012 और इन्सान को जब कोई नुकसान छू भी गया तो अपने पहलू पर (लेटा हो) या बैठा हो या ख़ड़ा (गरज़ हर हालत में) हम को पुकारता है फिर जब हम उससे उसकी तकलीफ को दूर कर देते है तो ऐसा खिसक जाता है जैसे उसने तकलीफ के (दफा करने के) लिए जो उसको पहुँचती थी हमको पुकारा ही न था जो लोग ज्यादती करते हैं उनकी कारस्तानियाँ यूँ ही उन्हें अच्छी कर दिखाई गई हैं
Wa Laqad 'Ahlaknā Al-Qurūna MinQablikum Lammā Žalamū ۙ Wa Jā'at/humRusuluhum Bil-Bayyināti Wa Mā Kānū Liyu'uminū ۚ Kadhālika Najzī Al-Qawma Al-Mujrimīna
010-013 और तुमसे पहली उम्मत वालों को जब उन्होंने शरारत की तो हम ने उन्हें ज़रुर हलाक कर डाला हालॉकि उनके (वक्त क़े) रसूल वाजेए व रौशन मोज़िज़ात लेकर आ चुके थे और वह लोग ईमान (न लाना था) न लाए हम गुनेहगार लोगों की यूँ ही सज़ा किया करते हैं
010-015 और जब उन लोगों के सामने हमारी रौशन आयते पढ़ीं जाती हैं तो जिन लोगों को (मरने के बाद) हमारी हुजूरी का खटका नहीं है वह कहते है कि हमारे सामने इसके अलावा कोई दूसरा (कुरान लाओ या उसका रद्दो बदल कर डालो (ऐ रसूल तुम कह दो कि मुझे ये एख्तेयार नहीं कि मै उसे अपने जी से बदल डालूँ मै तो बस उसी का पाबन्द हूँ जो मेरी तरफ वही की गई है मै तो अगर अपने परवरदिगार की नाफरमानी करु तो बड़े (कठिन) दिन के अज़ाब से डरता हूँ
Qul Law Shā'a Allāhu Mā Talawtuhu `Alaykum Wa Lā 'Adrākum Bihi ۖ Faqad Labithtu Fīkum `Umurāan MinQablihi~ ۚ 'Afalā Ta`qilūna
010-016 (ऐ रसूल) कह दो कि ख़ुदा चाहता तो मै न तुम्हारे सामने इसको पढ़ता और न वह तुम्हें इससे आगाह करता क्योंकि मै तो (आख़िर) तुमने इससे पहले मुद्दतों रह चुका हूँ (और कभी 'वही' का नाम भी न लिया)
010-017 तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते तो जो शख़्स ख़ुदा पर झूठ बोहतान बॉधे या उसकी आयतो को झुठलाए उससे बढ़ कर और ज़ालिम कौन होगा इसमें शक़ नहीं कि (ऐसे) गुनाहगार कामयाब नहीं हुआ करते
Wa Ya`budūna Min Dūni Allāhi Mā Lā Yađurruhum Wa Lā Yanfa`uhum Wa Yaqūlūna Hā'uulā' Shufa`ā'uunā `Inda Allāhi ۚ Qul 'Atunabbi'ūna Allāha Bimā Lā Ya`lamu Fī As-Samāwāti Wa Lā Fī Al-'Arđi ۚ Subĥānahu Wa Ta`ālá `Ammā Yushrikūna
010-018 या लोग ख़ुदा को छोड़ कर ऐसी चीज़ की परसतिश करते है जो न उनको नुकसान ही पहुँचा सकती है न नफा और कहते हैं कि ख़ुदा के यहाँ यही लोग हमारे सिफारिशी होगे (ऐ रसूल) तुम (इनसे) कहो तो क्या तुम ख़ुदा को ऐसी चीज़ की ख़बर देते हो जिसको वह न तो आसमानों में (कहीं) पाता है और न ज़मीन में ये लोग जिस चीज़ को उसका शरीक बनाते है
Wa Mā Kāna An-Nāsu 'Illā 'Ummatan Wāĥidatan Fākhtalafū ۚ Wa Lawlā Kalimatun Sabaqat MinRabbika Laquđiya Baynahum Fīmā Fīhi Yakhtalifūna
010-019 उससे वह पाक साफ और बरतर है और सब लोग तो (पहले) एक ही उम्मत थे और (ऐ रसूल) अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से एक बात (क़यामत का वायदा) पहले न हो चुकी होती जिसमें ये लोग एख्तिलाफ कर रहे हैं उसका फैसला उनके दरमियान (कब न कब) कर दिया गया होता
Wa Yaqūlūna Lawlā 'Unzila `Alayhi 'Āyatun MinRabbihi ۖ Faqul 'Innamā Al-Ghaybu Lillāh Fāntažirū 'Innī Ma`akum Mina Al-Muntažirīna
010-020 और कहते हैं कि उस पैग़म्बर पर कोई मोजिज़ा (हमारी ख्वाहिश के मुवाफिक़) क्यों नहीं नाज़िल किया गया तो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ग़ैब (दानी) तो सिर्फ ख़ुदा के वास्ते ख़ास है तो तुम भी इन्तज़ार करो और तुम्हारे साथ मै (भी) यक़ीनन इन्तज़ार करने वालों में हूँ
010-021 और लोगों को जो तकलीफ पहुँची उसके बाद जब हमने अपनी रहमत का जाएक़ा चखा दिया तो यकायक उन लोगों से हमारी आयतों में हीले बाज़ी शुरू कर दी (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तद्बीर में ख़ुदा सब से ज्यादा तेज़ है तुम जो कुछ मक्कारी करते हो वह हमारे भेजे हुए (फरिश्ते) लिखते जाते हैं
Huwa Al-Ladhī Yusayyirukum Fī Al-Barri Wa Al-Baĥri ۖ Ĥattá 'Idhā Kuntum Fī Al-Fulki Wa Jarayna Bihim BirīĥinŢayyibatin Wa Fariĥū Bihā Jā'at/hā Rīĥun `Āşifun Wa Jā'ahumu Al-Mawju Min Kulli Makānin Wa Žannū 'Annahum 'Uĥīţa Bihim ۙ Da`aw Al-Laha Mukhlişīna Lahu Ad-Dīna La'in 'Anjaytanā Min Hadhihi Lanakūnanna Mina Ash-Shākirīna
010-022 वह वही ख़ुदा है जो तुम्हें ख़ुश्की और दरिया में सैर कराता फिरता है यहाँ तक कि जब (कभी) तुम कश्तियों पर सवार होते हो और वह उन लोगों को बाद मुवाफिक़ (हवा के धारे) की मदद से लेकर चली और लोग उस (की रफ्तार) से ख़ुश हुए (यकायक) कश्ती पर हवा का एक झोंका आ पड़ा और (आना था कि) हर तरफ से उस पर लहरें (बढ़ी चली) आ रही हैं और उन लोगों ने समझ लिया कि अब घिर गए (और जान न बचेगी) तब अपने अक़ीदे को उसके वास्ते निरा खरा करके खुदा से दुआएँ मागँने लगते हैं कि (ख़ुदाया) अगर तूने इस (मुसीबत) से हमें नजात दी तो हम ज़रुर बड़े शुक्र गुज़ार होंगे
010-023 फिर जब ख़ुदा ने उन्हें नजात दी तो वह लोग ज़मीन पर (कदम रखते ही) फौरन नाहक़ सरकशी करने लगते हैं (ऐ लोगों तुम्हारी सरकशी का वबाल) तो तुम्हारी ही जान पर है - (ये भी) दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी का फायदा है फिर आख़िर हमारी (ही) तरफ तुमको लौटकर आना है तो (उस वक्त) हम तुमको जो कुछ (दुनिया में) करते थे बता देगे
010-024 दुनियावी ज़िदगी की मसल तो बस पानी की सी है कि हमने उसको आसमान से बरसाया फिर ज़मीन के साग पात जिसको लोग और चौपाए खा जाते हैं (उसके साथ मिल जुलकर निकले यहाँ तक कि जब ज़मीन ने (फसल की चीज़ों से) अपना बनाओ सिंगार कर लिया और (हर तरह) आरास्ता हो गई और खेत वालों ने समझ लिया कि अब वह उस पर यक़ीनन क़ाबू पा गए (जब चाहेंगे काट लेगे) यकायक हमारा हुक्म व अज़ाब रात या दिन को आ पहुँचा तो हमने उस खेत को ऐसा साफ कटा हुआ बना दिया कि गोया कुल उसमें कुछ था ही नहीं जो लोग ग़ौर व फिक्र करते हैं उनके वास्ते हम आयतों को यूँ तफसीलदार बयान करते है
Lilladhīna 'Aĥsanū Al-Ĥusná Wa Ziyādatun ۖ Wa Lā Yarhaqu WujūhahumQatarun Wa Lā Dhillatun ۚ 'Ūlā'ika 'Aşĥābu Al-Jannati ۖ Hum Fīhā Khālidūna
010-026 जिन लोगों ने दुनिया में भलाई की उनके लिए (आख़िरत में भी) भलाई है (बल्कि) और कुछ बढ़कर और न (गुनेहगारों की तरह) उनके चेहरों पर कालिक लगी हुई होगी और न (उन्हें ज़िल्लत होगी यही लोग जन्नती हैं कि उसमें हमेशा रहा सहा करेंगे
Wa Al-Ladhīna Kasabū As-Sayyi'āti Jazā'u Sayyi'atin Bimithlihā Wa TarhaquhumDhillatun ۖ Mā Lahum Mina Allāhi Min `Āşimin ۖ Ka'annamā 'Ughshiyat WujūhuhumQiţa`āan Mina Al-Layli Mužlimāan ۚ 'Ūlā'ika 'Aşĥābu An-Nāri ۖ Hum Fīhā Khālidūna
010-027 और जिन लोगों ने बुरे काम किए हैं तो गुनाह की सज़ा उसके बराबर है और उन पर रुसवाई छाई होगी ख़ुदा (के अज़ाब) से उनका कोई बचाने वाला न होगा (उनके मुह ऐसे काले होंगे) गोया उनके चेहरे यबों यज़ूर (अंधेरी रात) के टुकड़े से ढक दिए गए हैं यही लोग जहन्नुमी हैं कि ये उसमें हमेशा रहेंगे
Wa Yawma Naĥshuruhum Jamī`āanThumma Naqūlu Lilladhīna 'Ashrakū Makānakum 'Antum Wa Shurakā'uukum ۚ Fazayyalnā Baynahum ۖ Wa Qāla Shurakā'uuhum Mā Kuntum 'Īyānā Ta`budūna
010-028 (ऐ रसूल उस दिन से डराओ) जिस दिन सब को इकट्ठा करेगें-फिर मुशरेकीन से कहेंगें कि तुम और तुम्हारे (बनाए हुए ख़ुदा के) शरीक ज़रा अपनी जगह ठहरो फिर हम वाहम उनमें फूट डाल देगें और उनके शरीक उनसे कहेंगे कि तुम तो हमारी परसतिश करते न थे
Hunālika Tablū Kullu Nafsin Mā 'Aslafat ۚ Wa Ruddū 'Ilá Allāhi Mawlāhumu Al-Ĥaqqi ۖ Wa Đalla `Anhum Mā Kānū Yaftarūna
010-030 (ग़रज़) वहाँ हर शख़्श जो कुछ जिसने पहले (दुनिया में) किया है जाँच लेगा और वह सब के सब अपने सच्चे मालिक ख़ुदा की बारगाह में लौटकर लाए जाएँगें और (दुनिया में) जो कुछ इफ़तेरा परदाज़िया (झूठी बातें) करते थे सब उनके पास से चल चंपत हो जाएगें
Qul Man Yarzuqukum Mina As-Samā'i Wa Al-'Arđi 'Amman Yamliku As-Sam`a Wa Al-'Abşāra Wa Man Yukhriju Al-Ĥayya Mina Al-Mayyiti Wa Yukhriju Al-Mayyita Mina Al-Ĥayyi Wa Man Yudabbiru Al-'Amra ۚ Fasayaqūlūna Allāhu ۚ Faqul 'Afalā Tattaqūna
010-031 ऐ रसूल तुम उने ज़रा पूछो तो कि तुम्हें आसमान व ज़मीन से कौन रोज़ी देता है या (तुम्हारे) कान और (तुम्हारी) ऑंखों का कौन मालिक है और कौन शख़्श मुर्दे से ज़िन्दा को निकालता है और ज़िन्दा से मुर्दे को निकालता है और हर अम्र (काम) का बन्दोबस्त कौन करता है तो फौरन बोल उठेंगे कि ख़ुदा (ऐ रसूल) तुम कहो तो क्या तुम इस पर भी (उससे) नहीं डरते हो
Qul Hal MinShurakā'ikum Man Yabda'u Al-Khalqa Thumma Yu`īduhu ۚ Quli Allāhu Yabda'u Al-Khalqa Thumma Yu`īduhu ۖ Fa'anná Tu'ufakūna
010-034 (ऐ रसूल) उनसे पूछो तो कि तुम ने जिन लोगों को (ख़ुदा का) शरीक बनाया है कोई भी ऐसा है जो मख़लूकात को पहली बार पैदा करे फिर उन को (मरने के बाद) दोबारा ज़िन्दा करे (तो क्या जवाब देगें) तुम्ही कहो कि ख़ुदा ही पहले भी पैदा करता है फिर वही दोबारा ज़िन्दा करता है तो किधर तुम उल्टे जा रहे हो
010-035 (ऐ रसूल उनसे) कहो तो कि तुम्हारे (बनाए हुए) शरीकों में से कोई ऐसा भी है जो तुम्हें (दीन) हक़ की राह दिखा सके तुम ही कह दो कि (ख़ुदा) दीन की राह दिखाता है तो जो तुम्हे दीने हक़ की राह दिखाता है क्या वह ज्यादा हक़दार है कि उसके हुक्म की पैरवी की जाए या वह शख़्श जो (दूसरे) की हिदायत तो दर किनार खुद ही जब तक दूसरा उसको राह न दिखाए राह नही देख पाता तो तुम लोगों को क्या हो गया है
Wa Mā Yattabi`u 'Aktharuhum 'Illā Žannāan ۚ 'Inna Až-Žanna Lā Yughnī Mina Al-Ĥaqqi Shay'āan ۚ 'Inna Allāha `Alīmun Bimā Yaf`alūna
010-036 तुम कैसे हुक्म लगाते हो और उनमें के अक्सर तो बस अपने गुमान पर चलते हैं (हालॉकि) गुमान यक़ीन के मुक़ाबले में हरगिज़ कुछ भी काम नहीं आ सकता बेशक वह लोग जो कुछ (भी) कर रहे हैं खुदा उसे खूब जानता है
Wa Mā Kāna Hādhā Al-Qur'ānu 'An Yuftará Min Dūni Allāhi Wa Lakin Taşdīqa Al-Ladhī Bayna Yadayhi Wa Tafşīla Al-Kitābi Lā Rayba Fīhi MinRabbi Al-`Ālamīna
010-037 और ये कुरान ऐसा नहीं कि खुदा के सिवा कोई और अपनी तरफ से झूठ मूठ बना डाले बल्कि (ये तो) जो (किताबें) पहले की उसके सामने मौजूद हैं उसकी तसदीक़ और (उन) किताबों की तफ़सील है उसमें कुछ भी शक़ नहीं कि ये सारे जहाँन के परवरदिगार की तरफ से है
'Am Yaqūlūna Aftarāhu ۖ Qul Fa'tū Bisūratin Mithlihi Wa Ad`ū Mani Astaţa`tum Min Dūni Allāhi 'In KuntumŞādiqīna
010-038 क्या ये लोग कहते हैं कि इसको रसूल ने खुद झूठ मूठ बना लिया है (ऐ रसूल) तुम कहो कि (अच्छा) तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो (भला) एक ही सूरा उसके बराबर का बना लाओ और ख़ुदा के सिवा जिसको तुम्हें (मदद के वास्ते) बुलाते बन पड़े बुला लो
010-039 (ये लोग लाते तो क्या) बल्कि (उलटे) जिसके जानने पर उनका हाथ न पहुँचा हो लगे उसको झुठलाने हालॉकि अभी तक उनके जेहन में उसके मायने नहीं आए इसी तरह उन लोगों ने भी झुठलाया था जो उनसे पहले थे-तब ज़रा ग़ौर तो करो कि (उन) ज़ालिमों का क्या (बुरा) अन्जाम हुआ
Wa 'In Kadhdhabūka Faqul Lī `Amalī Wa Lakum `Amalukum ۖ 'Antum Barī'ūna Mimmā 'A`malu Wa 'Anā Barī'un Mimmā Ta`malūna
010-041 और (ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार फसादियों को खूब जानता है और अगर वह तुम्हे झुठलाए तो तुम कह दो कि हमारे लिए हमारी कार गुजारी है और तुम्हारे लिए तुम्हारी कारस्तानी जो कुछ मै करता हूँ उसके तुम ज़िम्मेदार नहीं और जो कुछ तुम करते हो उससे मै बरी हूँ
Wa Minhum Man Yanžuru 'Ilayka ۚ 'Afa'anta Tahdī Al-`Umya Wa Law Kānū Lā Yubşirūna
010-043 तुम कही बहरों को कुछ सुना सकते हो और बाज़ उनमें से ऐसे हैं जो तुम्हारी तरफ (टकटकी बाँधे) देखते हैं तो (क्या वह ईमान लाएँगें हरगिज़ नहीं) अगरचे उन्हें कुछ न सूझता हो तो तुम अन्धे को राहे रास्त दिखा दोगे
Wa Yawma Yaĥshuruhum Ka'an Lam Yalbathū 'Illā Sā`atan Mina An-Nahāri Yata`ārafūna Baynahum ۚ QadKhasira Al-Ladhīna Kadhdhabū Biliqā'i Allāhi Wa Mā Kānū Muhtadīna
010-045 और जिस दिन ख़ुदा इन लोगों को (अपनी बारगाह में) जमा करेगा तो गोया ये लोग (समझेगें कि दुनिया में) बस घड़ी दिन भर ठहरे और आपस में एक दूसरे को पहचानेंगे जिन लोगों ने ख़ुदा की बारगाह में हाज़िर होने को झुठलाया वह ज़रुर घाटे में हैं और हिदायत याफता न थे
010-046 ऐ रसूल हम जिस जिस (अज़ाब) का उनसे वायदा कर चुके हैं उनमें से बाज़ ख्वाहा तुम्हें दिखा दें या तुमको (पहले ही दुनिया से) उठा ले फिर (आख़िर) तो उन सबको हमारी तरफ लौटना ही है फिर जो कुछ ये लोग कर रहे हैं ख़ुदा तो उस पर गवाह ही है
Wa Likulli 'UmmatinRasūlun ۖ Fa'idhā Jā'a RasūluhumQuđiya Baynahum Bil-Qisţi Wa Hum Lā Yužlamūna
010-047 और हर उम्मत का ख़ास (एक) एक रसूल हुआ है फिर जब उनका रसूल (हमारी बारगाह में) आएगा तो उनके दरमियान इन्साफ़ के साथ फैसला कर दिया जाएगा और उन पर ज़र्रा बराबर ज़ुल्म न किया जाएगा
010-049 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै खुद अपने वास्ते नुकसान पर क़ादिर हूँ न नफा पर मगर जो ख़ुदा चाहे हर उम्मत (के रहने) का (उसके इल्म में) एक वक्त मुक़र्रर है-जब उन का वक्त आ जाता है तो न एक घड़ी पीछे हट सकती हैं और न आगे बढ़ सकते हैं
010-050 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या तुम समझते हो कि अगर उसका अज़ाब तुम पर रात को या दिन को आ जाए तो (तुम क्या करोगे) फिर गुनाहगार लोग आख़िर काहे की जल्दी मचा रहे हैं
010-052 फिर (क़यामत के दिन) ज़ालिम लोगों से कहा जाएगा कि (अब हमेशा के अज़ाब के मजे चखो (दुनिया में) जैसी तुम्हारी करतूतें तुम्हें (आख़िरत में) वैसा ही बदला दिया जाएगा
Wa Yastanbi'ūnaka 'Aĥaqqun Huwa ۖ Qul 'Ī Wa Rabbī 'Innahu Laĥaqqun ۖ Wa Mā 'Antum Bimu`jizīna
010-053 (ऐ रसूल) तुम से लोग पूछतें हैं कि क्या (जो कुछ तुम कहते हो) वह सब ठीक है तुम कह दो (हाँ) अपने परवरदिगार की कसम ठीक है और तुम (ख़ुदा को) हरा नहीं सकते
Wa Law 'Anna Likulli NafsinŽalamat Mā Fī Al-'Arđi Lāftadat Bihi ۗ Wa 'Asarrū An-Nadāmata Lammā Ra'aw Al-`Adhāba ۖ Wa Quđiya Baynahum Bil-Qisţi ۚ Wa Hum Lā Yužlamūna
010-054 और (दुनिया में) जिस जिसने (हमारी नाफरमानी कर के) ज़ुल्म किया है (क़यामत के दिन) अगर तमाम ख़ज़ाने जो जमीन में हैं उसे मिल जाएँ तो अपने गुनाह के बदले ज़रुर फिदया दे निकले और जब वह लोग अज़ाब को देखेगें तो इज़हारे निदामत करेगें (शर्मिंदा होंगे) और उनमें बाहम इन्साफ़ के साथ हुक्म दिया जाएगा और उन पर ज़र्रा (बराबर ज़ुल्म न किया जाएगा
'Alā 'Inna Lillāh Mā Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۗ 'Alā 'Inna Wa`da Allāhi Ĥaqqun Wa Lakinna 'Aktharahum Lā Ya`lamūna
010-055 आगाह रहो कि जो कुछ आसमानों में और ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ही का है आग़ाह राहे कि ख़ुदा का वायदा यक़ीनी ठीक है मगर उनमें के अक्सर नहीं जानते हैं
Yā 'Ayyuhā An-Nāsu Qad Jā'atkum Maw`ižatun MinRabbikum Wa Shifā'un Limā Fī Aş-Şudūri Wa Hudan Wa Raĥmatun Lilmu'uminīna
010-057 लोगों तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से नसीहत (किताबे ख़ुदा आ चुकी और जो (मरज़ शिर्क वगैरह) दिल में हैं उनकी दवा और ईमान वालों के लिए हिदायत और रहमत
010-059 और जो कुछ वह जमा कर रहे हैं उससे कहीं बेहतर है (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम्हारा क्या ख्याल है कि ख़ुदा ने तुम पर रोज़ी नाज़िल की तो अब उसमें से बाज़ को हराम बाज़ को हलाल बनाने लगे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या ख़ुदा ने तुम्हें इजाज़त दी है या तुम ख़ुदा पर बोहतान बाँधते हो
010-060 और जो लोग ख़ुदा पर झूठ मूठ बोहतान बॉधा करते हैं रोजे क़यामत का क्या ख्याल करते हैं उसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा तो लोगों पर बड़ा फज़ल व (करम) है मगर उनमें से बहुतेरे शुक्र गुज़ार नहीं हैं
Wa Mā Takūnu Fī Sha'nin Wa Mā Tatlū Minhu MinQur'ānin Wa Lā Ta`malūna Min `Amalin 'Illā Kunnā `AlaykumShuhūdāan 'Idh Tufīđūna Fīhi ۚ Wa Mā Ya`zubu `AnRabbika Min Mithqāli Dharratin Fī Al-'Arđi Wa Lā Fī As-Samā'i Wa Lā 'Aşghara MinDhālika Wa Lā 'Akbara 'Illā Fī Kitābin Mubīnin
010-061 (और ऐ रसूल) तुम (चाहे) किसी हाल में हो और क़ुरान की कोई सी भी आयत तिलावत करते हो और (लोगों) तुम कोई सा भी अमल कर रहे हो हम (हम सर वक़त) जब तुम उस काम में मशग़ूल होते हो तुम को देखते रहते हैं और तुम्हारे परवरदिगार से ज़र्रा भी कोई चीज़ ग़ायब नहीं रह सकती न ज़मीन में और न आसमान में और न कोई चीज़ ज़र्रे से छोटी है और न उससे बढ़ी चीज़ मगर वह रौशन किताब लौहे महफूज़ में ज़रुर है
'Alā 'Inna Lillāh Man Fī As-Samāwāti Wa Man Fī Al-'Arđi ۗ Wa Mā Yattabi`u Al-Ladhīna Yad`ūna Min Dūni Allāhi Shurakā'a ۚ 'In Yattabi`ūna 'Illā Až-Žanna Wa 'In Hum 'Illā Yakhruşūna
010-066 आगाह रहो इसमें शक़ नहीं कि जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ही के लिए है और जो लोग ख़ुदा को छोड़कर (दूसरों को) पुकारते हैं वह तो (ख़ुदा के फर्ज़ी) शरीकों की राह पर भी नहीं चलते बल्कि वह तो सिर्फ अपनी अटकल पर चलते हैं और वह सिर्फ वहमी और ख्याली बातें किया करते हैं
Huwa Al-Ladhī Ja`ala Lakumu Al-Layla Litaskunū Fīhi Wa An-Nahāra Mubşirāan ۚ 'Inna Fī Dhālika La'āyātin Liqawmin Yasma`ūna
010-067 वह वही (खुदाए क़ादिर तवाना) है जिसने तुम्हारे नफा के वास्ते रात को बनाया ताकि तुम इसमें चैन करो और दिन को (बनाया) कि उसकी रौशनी में देखो भालो उसमें शक़ नहीं जो लोग सुन लेते हैं उनके लिए इसमें (कुदरत की बहुतेरी निशानियाँ हैं)
010-068 लोगों ने तो कह दिया कि ख़ुदा ने बेटा बना लिया-ये महज़ लगों वह तमाम नकायस से पाक व पाकीज़ा वह (हर तरह) से बेपरवाह हैं व जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (सब) उसी का है (जो कुछ) तुम कहते हो( उसकी कोई दलील तो तुम्हारे पास है नहीं क्या तुम ख़ुदा पर) (यू ही) बे जाने बूझे झूठ बोला करते हो
Wa Atlu `Alayhim Naba'a Nūĥin 'IdhQāla Liqawmihi Yā Qawmi 'In Kāna Kabura `Alaykum Maqāmī Wa Tadhkīrī Bi'āyā Ti Allāhi Fa`alá Allāhi Tawakkaltu Fa'ajmi`ū 'Amrakum Wa Shurakā'akumThumma Lā Yakun 'Amrukum `AlaykumGhummatanThumma Aqđū 'Ilayya Wa Lā Tunžirūni
010-071 और (ऐ रसूल) तुम उनके सामने नूह का हाल पढ़ दो जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा ऐ मेरी क़ौम अगर मेरा ठहरना और ख़ुदा की आयतों का चर्चा करना तुम पर शाक़ व गिरां (बुरा) गुज़रता है तो मैं सिर्फ ख़ुदा ही पर भरोसा रखता हूँ तो तुम और तुमहारे शरीक़ सब मिलकर अपना काम ठीक कर लो फिर तुम्हारी बात तुम (में से किसी) पर महज़ (छुपी) न रहे फिर (जो तुम्हारा जी चाहे) मेरे साथ कर गुज़रों और गुझे (दम मारने की भी) मोहलत न दो
Fa'in Tawallaytum Famā Sa'altukum Min 'Ajrin ۖ 'In 'Ajrī 'Illā `Alá Allāhi ۖ Wa 'Umirtu 'An 'Akūna Mina Al-Muslimīna
010-072 फिर भी अगर तुम ने (मेरी नसीहत से) मुँह मोड़ा तो मैने तुम से कुछ मज़दूरी तो न माँगी थी-मेरी मज़दूरी तो सिर्फ ख़ुदा ही पर है और (उसी की तरफ से) मुझे हुक्म दिया गया है कि मैं उसके फरमाबरदार बन्दों में से हो जाऊँ
Fakadhdhabūhu Fanajjaynāhu Wa Man Ma`ahu Fī Al-Fulki Wa Ja`alnāhumKhalā'ifa Wa 'Aghraqnā Al-Ladhīna Kadhdhabū Bi'āyātinā ۖ Fānžur Kayfa Kāna `Āqibatu Al-Mundharīna
010-073 उस पर भी उन लोगों ने उनको झुठलाया तो हमने उनको और जो लोग उनके साथ कश्ती में (सवार) थे (उनको) नजात दी और उनको (अगलों का) जानशीन बनाया और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया था उनको डुबो मारा
010-074 फिर ज़रा ग़ौर तो करो फिर हमने नूह के बाद और रसूलों को अपनी क़ौम के पास भेजा तो वह पैग़म्बर उनके पास वाजेए (खुले हुए) व रौशन मौजिज़े लेकर आए इस पर भी जिस चीज़ को ये लोग पहले झुठला चुके थे उस पर ईमान (न लाना था) न लाए हम यूंही हद से गुज़र जाने वालों के दिलों पर (गोया) खुद मोहर कर देते हैं
Thumma Ba`athnā Min Ba`dihim Mūsá Wa Hārūna 'Ilá Fir`awna Wa Mala'ihi Bi'āyātinā Fāstakbarū Wa Kānū Qawmāan Mujrimīna
010-075 फिर हमने इन पैग़म्बरों के बाद मूसा व हारुन को अपनी निशानियाँ (मौजिज़े) लेकर फिरऔन और उस (की क़ौम) के सरदारों के पास भेजा तो वह लोग अकड़ बैठे और ये लोग थे ही कुसूरवार
Qālū 'Aji'tanā Litalfitanā `Ammā Wajadnā `Alayhi 'Ābā'anā Wa Takūna Lakumā Al-Kibriyā'u Fī Al-'Arđi Wa Mā Naĥnu Lakumā Bimu'uminīna
010-078 वह लोग कहने लगे कि (ऐ मूसा) क्यों तुम हमारे पास उस वास्ते आए हो कि जिस दीन पर हमने अपने बाप दादाओं को पाया उससे तुम हमे बहका दो और सारी ज़मीन में ही दोनों की बढ़ाई हो और ये लोग तुम दोनों पर ईमान लाने वाले नहीं
010-081 फिर जब वह लोग (रस्सियों को साँप बनाकर) डाल चुके तू मूसा ने कहा जो कुछ तुम (बनाकर) लाए हो (वह तो सब) जादू है-इसमें तो शक़ ही नहीं कि ख़ुदा उसे फौरन मिटियामेट कर देगा (क्योंकर) ख़ुदा तो हरगिज़ मफ़सिदों (फसाद करने वालों) का काम दुरुस्त नहीं होने देता
Famā 'Āmana Limūsá 'Illā Dhurrīyatun MinQawmihi `Alá Khawfin Min Fir`awna Wa Mala'ihim 'An Yaftinahum ۚ Wa 'Inna Fir`awna La`ālin Fī Al-'Arđi Wa 'Innahu Lamina Al-Musrifīna
010-083 अलग़रज़ मूसा पर उनकी क़ौम की नस्ल के चन्द आदमियों के सिवा फिरऔन और उसके सरदारों के इस ख़ौफ से कि उन पर कोई मुसीबत डाल दे कोई ईमान न लाया और इसमें शक़ नहीं कि फिरऔनरुए ज़मीन में बहुत बढ़ा चढ़ा था और इसमें शक़ नहीं कि वह यक़ीनन ज्यादती करने वालों में से था
Wa 'Awĥaynā 'Ilá Mūsá Wa 'Akhīhi 'An Tabawwa'ā Liqawmikumā Bimişra Buyūtāan Wa Aj`alū BuyūtakumQiblatan Wa 'Aqīmū Aş-Şalāata ۗ Wa Bashshiri Al-Mu'uminīna
010-087 और हमने मूसा और उनके भाई (हारुन) के पास 'वही' भेजी कि मिस्र में अपनी क़ौम के (रहने सहने के) लिए घर बना डालो और अपने अपने घरों ही को मस्जिदें क़रार दे लो और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ों और मोमिनीन को (नजात का) खुशख़बरी दे दो
Wa Qāla Mūsá Rabbanā 'Innaka 'Ātayta Fir`awna Wa Mala'ahu Zīnatan Wa 'Amwālāan Fī Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Rabbanā Liyuđillū `An Sabīlika ۖ Rabbanā Aţmis `Alá 'Amwālihim Wa Ashdud `Alá Qulūbihim Falā Yu'uminū Ĥattá Yaraw Al-`Adhāba Al-'Alīma
010-088 और मूसा ने अर्ज़ की ऐ हमारे पालने वाले तूने फिरऔन और उसके सरदारों को दुनिया की ज़िन्दगी में (बड़ी) आराइश और दौलत दे रखी है (क्या तूने ये सामान इस लिए अता किया है) ताकि ये लोग तेरे रास्तें से लोगों को बहकाएं परवरदिगार तू उनके माल (दौलत) को ग़ारत (बरबाद) कर दे और उनके दिलों पर सख्ती कर (क्योंकि) जब तक ये लोग तकलीफ देह अज़ाब न देख लेगें ईमान न लाएगें
Wa Jāwaznā Bibanī 'Isrā'īla Al-Baĥra Fa'atba`ahum Fir`awnu Wa Junūduhu Baghyāan Wa`adwan ۖ Ĥattá 'Idhā 'Adrakahu Al-Gharaqu Qāla 'Āmantu 'Annahu Lā 'Ilāha 'Illā Al-Ladhī 'Āmanat Bihi Banū 'Isrā'īla Wa 'Anā Mina Al-Muslimīna
010-090 और हमने बनी इसराइल को दरिया के उस पार कर दिया फिर फिरऔन और उसके लश्कर ने सरकशी की और शरारत से उनका पीछा किया-यहाँ तक कि जब वह डूबने लगा तो कहने लगा कि जिस ख़ुदा पर बनी इसराइल ईमान लाए हैं मै भी उस पर ईमान लाता हूँ उससे सिवा कोई माबूद नहीं और मैं फरमाबरदार बन्दों से हूँ
Fālyawma Nunajjīka Bibadanika Litakūna Liman Khalfaka 'Āyatan ۚ Wa 'Inna Kathīrāan Mina An-Nāsi `An 'Āyātinā Laghāfilūna
010-092 तो हम आज तेरी रुह को तो नहीं (मगर) तेरे बदन को (तह नशीन होने से) बचाएँगें ताकि तू अपने बाद वालों के लिए इबरत का (बाइस) हो और इसमें तो शक़ नहीं कि तेरे लोग हमारी निशानियों से यक़ीनन बेख़बर हैं
Wa Laqad Bawwa'nā Banī 'Isrā'īla Mubawwa'a Şidqin Wa Razaqnāhum Mina Aţ-Ţayyibāti Famā Akhtalafū Ĥattá Jā'ahumu Al-`Ilmu ۚ 'Inna Rabbaka Yaqđī Baynahum Yawma Al-Qiyāmati Fīmā Kānū Fīhi Yakhtalifūna
010-093 और हमने बनी इसराइल को (मालिक शाम में) बहुत अच्छी जगह बसाया और उन्हं अच्छी अच्छी चीज़ें खाने को दी तो उन लोगों के पास जब तक इल्म (न) आ चुका उन लोगों ने एख्तेलाफ़ नहीं किया इसमें तो शक़ ही नहीं जिन बातों में ये (दुनिया में) बाहम झगड़े रहे है क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार इसमें फैसला कर देगा
010-094 पस जो कुरान हमने तुम्हारी तरफ नाज़िल किया है अगर उसके बारे में तुम को कुछ शक़ हो तो जो लोग तुम से पहले से किताब (ख़ुदा) पढ़ा करते हैं उन से पूछ के देखों तुम्हारे पास यक़ीनन तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से बरहक़ किताब आ चुकी तो तू न हरगिज़ शक़ करने वालों से होना
010-098 कोई बस्ती ऐसी क्यों न हुई कि ईमान क़ुबूल करती तो उसको उसका ईमान फायदे मन्द होता हाँ यूनूस की क़ौम जब (अज़ाब देख कर) ईमान लाई तो हमने दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी में उनसे रुसवाई का अज़ाब दफा कर दिया और हमने उन्हें एक ख़ास वक्त तक चैन करने दिया
Wa Law Shā'a Rabbuka La'āmana Man Fī Al-'Arđi Kulluhum Jamī`āan ۚ 'Afa'anta Tukrihu An-Nāsa Ĥattá Yakūnū Mu'uminīna
010-099 और (ऐ पैग़म्बर) अगर तेरा परवरदिगार चाहता तो जितने लोग रुए ज़मीन पर हैं सबके सब ईमान ले आते तो क्या तुम लोगों पर ज़बरदस्ती करना चाहते हो ताकि सबके सब ईमानदार हो जाएँ हालॉकि किसी शख़्स को ये एख्तेयार नहीं
Qul Anžurū Mādhā Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۚ Wa Mā Tughnī Al-'Āyātu Wa An-Nudhuru `AnQawmin Lā Yu'uminūna
010-101 (ऐ रसूल) तुम कहा दो कि ज़रा देखों तो सही कि आसमानों और ज़मीन में (ख़ुदा की निशानियाँ क्या) क्या कुछ हैं (मगर सच तो ये है) और जो लोग ईमान नहीं क़ुबूल करते उनको हमारी निशानियाँ और डरावे कुछ भी मुफीद नहीं
010-102 तो ये लोग भी उन्हें सज़ाओं के मुन्तिज़र (इन्तजार में) हैं जो उनसे क़ब्ल (पहले) वालो पर गुज़र चुकी हैं (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि अच्छा तुम भी इन्तज़ार करो मैं भी तुम्हारे साथ यक़ीनन इन्तज़ार करता हूँ
010-103 फिर (नुज़ूले अज़ाब के वक्त) हम अपने रसूलों को और जो लोग ईमान लाए उनको (अज़ाब से) तलूउ बचा लेते हैं यूँ ही हम पर लाज़िम है कि हम ईमान लाने वालों को भी बचा लें
Qul Yā 'Ayyuhā An-Nāsu 'In Kuntum Fī Shakkin Min Dīnī Falā 'A`budu Al-Ladhīna Ta`budūna Min Dūni Allāhi Wa Lakin 'A`budu Allāha Al-Ladhī Yatawaffākum ۖ Wa 'Umirtu 'An 'Akūna Mina Al-Mu'uminīna
010-104 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर तुम लोग मेरे दीन के बारे में शक़ में पड़े हो तो (मैं भी तुमसे साफ कहें देता हूँ) ख़ुदा के सिवा तुम भी जिन लोगों की परसतिश करते हो मै तो उनकी परसतिश नहीं करने का मगर (हाँ) मै उस ख़ुदा की इबादत करता हूँ जो तुम्हें (अपनी कुदरत से दुनिया से) उठा लेगा और मुझे तो ये हुक्म दिया गया है कि मोमिन हूँ
Wa Lā Tad`u Min Dūni Allāhi Mā Lā Yanfa`uka Wa Lā Yađurruka ۖ Fa'in Fa`alta Fa'innaka 'Idhāan Mina Až-Žālimīna
010-106 और ख़ुदा को छोड़ ऐसी चीज़ को पुकारना जो न तुझे नफा ही पहुँचा सकती हैं न नुक़सान ही पहुँचा सकती है तो अगर तुमने (कहीं ऐसा) किया तो उस वक्त तुम भी ज़ालिमों में (शुमार) होगें
Wa 'In Yamsaska Allāhu Biđurrin Falā Kāshifa Lahu~ 'Illā Huwa ۖ Wa 'In Yuridka Bikhayrin Falā Rādda Lifađlihi ۚ Yuşību Bihi Man Yashā'u Min `Ibādihi ۚ Wa Huwa Al-Ghafūru Ar-Raĥīmu
010-107 और (याद रखो कि) अगर ख़ुदा की तरफ से तुम्हें कोई बुराई छू भी गई तो फिर उसके सिवा कोई उसका दफा करने वाला नहीं होगा और अगर तुम्हारे साथ भलाई का इरादा करे तो फिर उसके फज़ल व करम का लपेटने वाला भी कोई नहीं वह अपने बन्दों में से जिसको चाहे फायदा पहुँचाएँ और वह बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Qul Yā 'Ayyuhā An-Nāsu Qad Jā'akumu Al-Ĥaqqu MinRabbikum ۖ Famani Ahtadá Fa'innamā Yahtadī Linafsihi ۖ Wa ManĐalla Fa'innamā Yađillu `Alayhā ۖ Wa Mā 'Anā `Alaykum Biwakīlin
010-108 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ लोगों तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास हक़ (क़ुरान) आ चुका फिर जो शख़्स सीधी राह पर चलेगा तो वह सिर्फ अपने ही दम के लिए हिदायत एख्तेयार करेगा और जो गुमराही एख्तेयार करेगा वह तो भटक कर कुछ अपना ही खोएगा और मैं कुछ तुम्हारा ज़िम्मेदार तो हूँ नहीं
Wa Attabi` Mā Yūĥá 'Ilayka Wa Aşbir Ĥattá Yaĥkuma Allāhu ۚ Wa Huwa Khayru Al-Ĥākimīna
010-109 और (ऐ रसूल) तुम्हारे पास जो 'वही' भेजी जाती है तुम बस उसी की पैरवी करो और सब्र करो यहाँ तक कि ख़ुदा तुम्हारे और काफिरों के दरमियान फैसला फरमाए और वह तो तमाम फैसला करने वालों से बेहतर है