Fasīĥū Fī Al-'Arđi 'Arba`ata 'Ash/hurin Wa A`lamū 'AnnakumGhayru Mu`jizī Al-Lahi ۙ Wa 'Anna Allāha Mukhzī Al-Kāfirīna
009-002 तो (ऐ मुशरिकों) बस तुम चार महीने (ज़ीकादा, जिल हिज्जा, मुहर्रम रजब) तो (चैन से बेख़तर) रूए ज़मीन में सैरो सियाहत (घूम फिर) कर लो और ये समझते रहे कि तुम (किसी तरह) ख़ुदा को आजिज़ नहीं कर सकते और ये भी कि ख़ुदा काफ़िरों को ज़रूर रूसवा करके रहेगा
Wa 'Adhānun Mina Allāhi Wa Rasūlihi~ 'Ilá An-Nāsi Yawma Al-Ĥajji Al-'Akbari 'Anna Allāha Barī'un Mina Al-Mushrikīna ۙ Wa Rasūluhu ۚ Fa'in Tubtum Fahuwa Khayrun Lakum ۖ Wa 'In Tawallaytum Fā`lamū 'AnnakumGhayru Mu`jizī Al-Lahi ۗ Wa Bashshiri Al-Ladhīna Kafarū Bi`adhābin 'Alīmin
009-003 और ख़ुदा और उसके रसूल की तरफ से हज अकबर के दिन (तुम) लोगों को मुनादी की जाती है कि ख़ुदा और उसका रसूल मुशरिकों से बेज़ार (और अलग) है तो (मुशरिकों) अगर तुम लोगों ने (अब भी) तौबा की तो तुम्हारे हक़ में यही बेहतर है और अगर तुम लोगों ने (इससे भी) मुंह मोड़ा तो समझ लो कि तुम लोग ख़ुदा को हरगिज़ आजिज़ नहीं कर सकते और जिन लोगों ने कुफ्र इख्तेयार किया उनको दर्दनाक अज़ाब की ख़ुश ख़बरी दे दो
009-004 मगर (हाँ) जिन मुशरिकों से तुमने एहदो पैमान किया था फिर उन लोगों ने भी कभी कुछ तुमसे (वफ़ा एहद में) कमी नहीं की और न तुम्हारे मुक़ाबले में किसी की मदद की हो तो उनके एहद व पैमान को जितनी मुद्द्त के वास्ते मुक़र्रर किया है पूरा कर दो ख़ुदा परहेज़गारों को यक़ीनन दोस्त रखता है
Fa'idhā Ansalakha Al-'Ash/huru Al-Ĥurumu Fāqtulū Al-Mushrikīna Ĥaythu Wajadtumūhum Wa Khudhūhum Wa Aĥşurūhum Wāq`udū Lahum Kulla Marşadin ۚ Fa'in Tābū Wa 'Aqāmū Aş-Şalāata Wa 'Ātaw Az-Zakāata Fakhallū Sabīlahum ۚ 'Inna Allāha GhafūrunRaĥīmun
009-005 फिर जब हुरमत के चार महीने गुज़र जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ पाओ (बे ताम्मुल) कत्ल करो और उनको गिरफ्तार कर लो और उनको कैद करो और हर घात की जगह में उनकी ताक में बैठो फिर अगर वह लोग (अब भी शिर्क से) बाज़ आऎं और नमाज़ पढ़ने लगें और ज़कात दे तो उनकी राह छोड़ दो (उनसे ताअरूज़ न करो) बेशक ख़ुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है
Wa 'In 'Aĥadun Mina Al-Mushrikīna Astajāraka Fa'ajirhu Ĥattá Yasma`a Kalāma Allāhi Thumma 'Abligh/hu Ma'manahu ۚ Dhālika Bi'annahumQawmun Lā Ya`lamūna
009-006 और (ऐ रसूल) अगर मुशरिकीन में से कोई तुमसे पनाह मागें तो उसको पनाह दो यहाँ तक कि वह ख़ुदा का कलाम सुन ले फिर उसे उसकी अमन की जगह वापस पहुँचा दो ये इस वजह से कि ये लोग नादान हैं
009-007 (जब) मुशरिकीन ने ख़ुद एहद शिकनी (तोड़ा) की तो उन का कोई एहदो पैमान ख़ुदा के नज़दीक और उसके रसूल के नज़दीक क्योंकर (क़ायम) रह सकता है मगर जिन लोगों से तुमने खानाए काबा के पास मुआहेदा किया था तो वह लोग (अपनी एहदो पैमान) तुमसे क़ायम रखना चाहें तो तुम भी उन से (अपना एहद) क़ायम रखो बेशक ख़ुदा (बद एहदी से) परहेज़ करने वालों को दोस्त रखता है
Kayfa Wa 'In Yažharū `Alaykum Lā Yarqubū Fīkum 'Illāan Wa Lā Dhimmatan ۚ Yurđūnakum Bi'afwāhihim Wa Ta'bá Qulūbuhum Wa 'Aktharuhum Fāsiqūna
009-008 (उनका एहद) क्योंकर (रह सकता है) जब (उनकी ये हालत है) कि अगर तुम पर ग़लबा पा जाएं तो तुम्हारे में न तो रिश्ते नाते ही का लिहाज़ करेगें और न अपने क़ौल व क़रार का ये लोग तुम्हें अपनी ज़बानी (जमा खर्च में) खुश कर देते हैं हालॉकि उनके दिल नहीं मानते और उनमें के बहुतेरे तो बदचलन हैं
009-009 और उन लोगों ने ख़ुदा की आयतों के बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनियावी फायदे) हासिल करके (लोगों को) उसकी राह से रोक दिया बेशक ये लोग जो कुछ करते हैं ये बहुत ही बुरा है
Fa'in Tābū Wa 'Aqāmū Aş-Şalāata Wa 'Ātaw Az-Zakāata Fa'ikhwānukum Fī Ad-Dīni ۗ Wa Nufaşşilu Al-'Āyāti Liqawmin Ya`lamūna
009-011 तो अगर (अभी मुशरिक से) तौबा करें और नमाज़ पढ़ने लगें और ज़कात दें तो तुम्हारे दीनी भाई हैं और हम अपनी आयतों को वाक़िफकार लोगों के वास्ते तफ़सीलन बयान करते हैं
Wa 'In Nakathū 'Aymānahum Min Ba`di `Ahdihim Wa Ţa`anū Fī Dīnikum Faqātilū 'A'immata Al-Kufri ۙ 'Innahum Lā 'Aymāna Lahum La`allahum Yantahūna
009-012 और अगर ये लोग एहद कर चुकने के बाद अपनी क़समें तोड़ डालें और तुम्हारे दीन में तुमको ताना दें तो तुम कुफ्र के सरवर आवारा लोगों से खूब लड़ाई करो उनकी क़समें का हरगिज़ कोई एतबार नहीं ताकि ये लोग (अपनी शरारत से) बाज़ आएँ
009-013 (मुसलमानों) भला तुम उन लोगों से क्यों नहीं लड़ते जिन्होंने अपनी क़समों को तोड़ डाला और रसूल को निकाल बाहर करना (अपने दिल में) ठान लिया था और तुमसे पहले छेड़ भी उन्होनें ही शुरू की थी क्या तुम उनसे डरते हो तो अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा उनसे कहीं बढ़ कर तुम्हारे डरने के क़ाबिल है
Qātilūhum Yu`adhdhibhumu Allāhu Bi'aydīkum Wa Yukhzihim Wa Yanşurkum `Alayhim Wa Yashfi ŞudūraQawmin Mu'uminīna
009-014 इनसे (बेख़ौफ (ख़तर) लड़ो ख़ुदा तुम्हारे हाथों उनकी सज़ा करेगा और उन्हें रूसवा करेगा और तुम्हें उन पर फतेह अता करेगा और ईमानदार लोगों के कलेजे ठन्डे करेगा
Wa Yudh/hibGhayža Qulūbihim ۗ Wa Yatūbu Allāhu `Alá Man Yashā'u Wa ۗ Allāhu `Alīmun Ĥakīmun
009-015 और उन मोनिनीन के दिल की क़ुदरतें जो (कुफ्फ़ार से पहुचॅती है) दफ़ा कर देगा और ख़ुदा जिसकी चाहे तौबा क़ुबूल करे और ख़ुदा बड़ा वाक़िफकार (और) हिकमत वाला है
'Am Ĥasibtum 'An Tutrakū Wa Lammā Ya`lami Allāhu Al-Ladhīna Jāhadū Minkum Wa Lam Yattakhidhū Min Dūni Allāhi Wa Lā Rasūlihi Wa Lā Al-Mu'uminīna Walījatan Wa ۚ Allāhu Khabīrun Bimā Ta`malūna
009-016 क्या तुमने ये समझ लिया है कि तुम (यूं ही) छोड़ दिए जाओगे और अभी तक तो ख़ुदा ने उन लोगों को मुमताज़ किया ही नहीं जो तुम में के (राहे ख़ुदा में) जिहाद करते हैं और ख़ुदा और उसके रसूल और मोमेनीन के सिवा किसी को अपना राज़दार दोस्त नहीं बनाते और जो कुछ भी तुम करते हो ख़ुदा उससे बाख़बर है
009-017 मुशरेकीन का ये काम नहीं कि जब वह अपने कुफ़्र का ख़ुद इक़रार करते है तो ख़ुदा की मस्जिदों को (जाकर) आबाद करे यही वह लोग हैं जिनका किया कराया सब अकारत हुआ और ये लोग हमेशा जहन्नुम में रहेंगे
'Innamā Ya`muru Masājida Allāhi Man 'Āmana Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri Wa 'Aqāma Aş-Şalāata Wa 'Ātá Az-Zakāata Wa Lam Yakhsha 'Illā Al-Laha ۖ Fa`asá 'Ūlā'ika 'An Yakūnū Mina Al-Muhtadīna
009-018 ख़ुदा की मस्जिदों को बस सिर्फ वहीं शख़्स (जाकर) आबाद कर सकता है जो ख़ुदा और रोजे आख़िरत पर ईमान लाए और नमाज़ पढ़ा करे और ज़कात देता रहे और ख़ुदा के सिवा (और) किसी से न डरो तो अनक़रीब यही लोग हिदायत याफ्ता लोगों मे से हो जाऎंगे
'Aja`altum Siqāyata Al-Ĥājji Wa `Imārata Al-Masjidi Al-Ĥarāmi Kaman 'Āmana Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri Wa Jāhada Fī Sabīli Allāhi ۚ Lā Yastawūna `Inda Allāhi Wa ۗ Allāhu Lā Yahdī Al-Qawma Až-Žālimīna
009-019 क्या तुम लोगों ने हाजियों की सक़ाई (पानी पिलाने वाले) और मस्जिदुल हराम (ख़ानाए काबा की आबादियों को उस शख़्स के हमसर (बराबर) बना दिया है जो ख़ुदा और रोज़े आख़ेरत के दिन पर ईमान लाया और ख़ुदा के राह में जेहाद किया ख़ुदा के नज़दीक तो ये लोग बराबर नहीं और खुदा ज़ालिम लोगों की हिदायत नहीं करता है
Al-Ladhīna 'Āmanū Wa Hājarū Wa Jāhadū Fī Sabīli Allāhi Bi'amwālihim Wa 'Anfusihim 'A`žamu Darajatan `Inda Allāhi ۚ Wa 'Ūlā'ika Humu Al-Fā'izūna
009-020 जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और (ख़ुदा के लिए) हिजरत एख्तियार की और अपने मालों से और अपनी जानों से ख़ुदा की राह में जिहाद किया वह लोग ख़ुदा के नज़दीक दर्जें में कही बढ़ कर हैं और यही लोग (आला दर्जे पर) फायज़ होने वाले हैं
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Tattakhidhū 'Ābā'akum Wa 'Ikhwānakum 'Awliyā'a 'Ini Astaĥabbū Al-Kufra `Alá Al-'Īmāni ۚ Wa Man Yatawallahum Minkum Fa'ūlā'ika Humu Až-Žālimūna
009-023 ऐ ईमानदारों अगर तुम्हारे माँ बाप और तुम्हारे (बहन) भाई ईमान के मुक़ाबले कुफ़्र को तरजीह देते हो तो तुम उनको (अपना) ख़ैर ख्वाह (हमदर्द) न समझो और तुममें जो शख़्स उनसे उलफ़त रखेगा तो यही लोग ज़ालिम है
Qul 'In Kāna 'Ābā'uukum Wa 'Abnā'uukum Wa 'Ikhwānukum Wa 'Azwājukum Wa `Ashīratukum Wa 'Amwālun Aqtaraftumūhā Wa Tijāratun Takhshawna Kasādahā Wa Masākinu Tarđawnahā 'Aĥabba 'Ilaykum Mina Allāhi Wa Rasūlihi Wa Jihādin Fī Sabīlihi Fatarabbaşū Ĥattá Ya'tiya Allāhu Bi'amrihi Wa ۗ Allāhu Lā Yahdī Al-Qawma Al-Fāsiqīna
009-024 (ऐ रसूल) तुम कह दो तुम्हारे बाप दादा और तुम्हारे बेटे और तुम्हारे भाई बन्द और तुम्हारी बीबियाँ और तुम्हारे कुनबे वाले और वह माल जो तुमने कमा के रख छोड़ा हैं और वह तिजारत जिसके मन्द पड़ जाने का तुम्हें अन्देशा है और वह मकानात जिन्हें तुम पसन्द करते हो अगर तुम्हें ख़ुदा से और उसके रसूल से और उसकी राह में जिहाद करने से ज्यादा अज़ीज़ है तो तुम ज़रा ठहरो यहाँ तक कि ख़ुदा अपना हुक्म (अज़ाब) मौजूद करे और ख़ुदा नाफरमान लोगों की हिदायत नहीं करता
009-025 (मुसलमानों) ख़ुदा ने तुम्हारी बहुतेरे मक़ामात पर (ग़ैबी) इमदाद की और (ख़ासकर) जंग हुनैन के दिन जब तुम्हें अपनी क़सरत (तादाद) ने मग़रूर कर दिया था फिर वह क़सरत तुम्हें कुछ भी काम न आयी और (तुम ऐसे घबराए कि) ज़मीन बावजूद उस वसअत (फैलाव) के तुम पर तंग हो गई तुम पीठ कर भाग निकले
Thumma 'Anzala Allāhu Sakīnatahu `Alá Rasūlihi Wa `Alá Al-Mu'uminīna Wa 'Anzala Junūdāan Lam Tarawhā Wa `Adhdhaba Al-Ladhīna Kafarū ۚ Wa Dhalika Jazā'u Al-Kāfirīna
009-026 तब ख़ुदा ने अपने रसूल पर और मोमिनीन पर अपनी (तरफ से) तसकीन नाज़िल फरमाई और (रसूल की ख़ातिर से) फ़रिश्तों के लश्कर भेजे जिन्हें तुम देखते भी नहीं थे और कुफ्फ़ार पर अज़ाब नाज़िल फरमाया और काफिरों की यही सज़ा है
009-028 ऐ ईमानदारों मुशरेकीन तो निरे नजिस हैं तो अब वह उस साल के बाद मस्जिदुल हराम (ख़ाना ए काबा) के पास फिर न फटकने पाएँ और अगर तुम (उनसे जुदा होने में) फक़रों फाक़ा से डरते हो तो अनकरीब ही ख़ुदा तुमको अगर चाहेगा तो अपने फज़ल (करम) से ग़नीकर देगा बेशक ख़ुदा बड़ा वाक़िफकार हिकमत वाला है
Qātilū Al-Ladhīna Lā Yu'uminūna Billāhi Wa Lā Bil-Yawmi Al-'Ākhiri Wa Lā Yuĥarrimūna Mā Ĥarrama Allāhu Wa Rasūluhu Wa Lā Yadīnūna Dīna Al-Ĥaqqi Mina Al-Ladhīna 'Ūtū Al-Kitāba Ĥattá Yu`ţū Al-Jizyata `An Yadin Wa HumŞāghirūna
009-029 अहले किताब में से जो लोग न तो (दिल से) ख़ुदा ही पर ईमान रखते हैं और न रोज़े आख़िरत पर और न ख़ुदा और उसके रसूल की हराम की हुई चीज़ों को हराम समझते हैं और न सच्चे दीन ही को एख्तियार करते हैं उन लोगों से लड़े जाओ यहाँ तक कि वह लोग ज़लील होकर (अपने) हाथ से जज़िया दे
009-030 यहूद तो कहते हैं कि अज़ीज़ ख़ुदा के बेटे हैं और ईसाई कहते हैं कि मसीहा (ईसा) ख़ुदा के बेटे हैं ये तो उनकी बात है और (वह ख़ुद) उन्हीं के मुँह से ये लोग भी उन्हीं काफ़िरों की सी बातें बनाने लगे जो उनसे पहले गुज़र चुके हैं ख़ुदा उनको क़त्ल (तहस नहस) करके (देखो तो) कहाँ से कहाँ भटके जा रहे हैं
Attakhadhū 'Aĥbārahum Wa Ruhbānahum 'Arbābāan Min Dūni Allāhi Wa Al-Masīĥa Abna Maryama Wa Mā 'Umirū 'Illā Liya`budū 'Ilahāan Wāĥidāan ۖ Lā 'Ilāha 'Illā Huwa ۚ Subĥānahu `Ammā Yushrikūna
009-031 उन लोगों ने तो अपने ख़ुदा को छोड़कर अपनी आलिमों को और अपने ज़ाहिदों को और मरियम के बेटे मसीह को अपना परवरदिगार बना डाला हालॉकि उन्होनें सिवाए इसके और हुक्म ही नहीं दिया गया कि ख़ुदाए यक़ता (सिर्फ़ ख़ुदा) की इबादत करें उसके सिवा (और कोई क़ाबिले परसतिश नहीं)
Yurīdūna 'An Yuţfi'ū Nūra Allāhi Bi'afwāhihim Wa Ya'bá Allāhu 'Illā 'An Yutimma Nūrahu Wa Law Kariha Al-Kāfirūna
009-032 जिस चीज़ को ये लोग उसका शरीक़ बनाते हैं वह उससे पाक व पाक़ीजा है ये लोग चाहते हैं कि अपने मुँह से (फ़ूंक मारकर) ख़ुदा के नूर को बुझा दें और ख़ुदा इसके सिवा कुछ मानता ही नहीं कि अपने नूर को पूरा ही करके रहे
Huwa Al-Ladhī 'Arsala Rasūlahu Bil-Hudá Wa Dīni Al-Ĥaqqi Liyužhirahu `Alá Ad-Dīni Kullihi Wa Law Kariha Al-Mushrikūna
009-033 अगरचे कुफ्फ़ार बुरा माना करें वही तो (वह ख़ुदा) है कि जिसने अपने रसूल (मोहम्मद) को हिदायत और सच्चे दीन के साथ ( मबऊस करके) भेजता कि उसको तमाम दीनो पर ग़ालिब करे अगरचे मुशरेकीन बुरा माना करे
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū 'Inna Kathīrāan Mina Al-'Aĥbāri Wa Ar-Ruhbāni Laya'kulūna 'Amwāla An-Nāsi Bil-Bāţili Wa Yaşuddūna `An Sabīli Allāhi Wa ۗ Al-Ladhīna Yaknizūna Adh-Dhahaba Wa Al-Fiđđata Wa Lā Yunfiqūnahā Fī Sabīli Allāhi Fabashshirhum Bi`adhābin 'Alīmin
009-034 ऐ ईमानदारों इसमें उसमें शक़ नहीं कि (यहूद व नसारा के) बहुतेरे आलिम ज़ाहिद लोगों के माल (नाहक़) चख जाते है और (लोगों को) ख़ुदा की राह से रोकते हैं और जो लोग सोना और चाँदी जमा करते जाते हैं और उसको ख़ुदा की राह में खर्च नहीं करते तो (ऐ रसूल) उन को दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशखबरी सुना दो
009-035 (जिस दिन वह (सोना चाँदी) जहन्नुम की आग में गर्म (और लाल) किया जाएगा फिर उससे उनकी पेशानियाँ और उनके पहलू और उनकी पीठें दाग़ी जाऎंगी (और उनसे कहा जाएगा) ये वह है जिसे तुमने अपने लिए (दुनिया में) जमा करके रखा था तो (अब) अपने जमा किए का मज़ा चखो
009-036 इसमें तो शक़ ही नहीं कि ख़ुदा ने जिस दिन आसमान व ज़मीन को पैदा किया (उसी दिन से) ख़ुदा के नज़दीक ख़ुदा की किताब (लौहे महफूज़) में महीनों की गिनती बारह महीने है उनमें से चार महीने (अदब व) हुरमत के हैं यही दीन सीधी राह है तो उन चार महीनों में तुम अपने ऊपर (कुश्त व ख़ून (मार काट) करके) ज़ुल्म न करो और मुशरेकीन जिस तरह तुम से सबके बस मिलकर लड़ते हैं तुम भी उसी तरह सबके सब मिलकर उन से लड़ों और ये जान लो कि ख़ुदा तो यक़ीनन परहेज़गारों के साथ है
009-037 महीनों का आगे पीछे कर देना भी कुफ़्र ही की ज्यादती है कि उनकी बदौलत कुफ्फ़ार (और) बहक जाते हैं एक बरस तो उसी एक महीने को हलाल समझ लेते हैं और (दूसरे) साल उसी महीने को हराम कहते हैं ताकि ख़ुदा ने जो (चार महीने) हराम किए हैं उनकी गिनती ही पूरी कर लें और ख़ुदा की हराम की हुई चीज़ को हलाल कर लें उनकी बुरी (बुरी) कारस्तानियॉ उन्हें भली कर दिखाई गई हैं और खुदा काफिर लोगो को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता
009-038 ऐ ईमानदारों तुम्हें क्या हो गया है कि जब तुमसे कहा जाता है कि ख़ुदा की राह में (जिहाद के लिए) निकलो तो तुम लदधड़ (ढीले) हो कर ज़मीन की तरफ झुके पड़ते हो क्या तुम आख़िरत के बनिस्बत दुनिया की (चन्द रोज़ा) जिन्दगी को पसन्द करते थे तो (समझ लो कि) दुनिया की ज़िन्दगी का साज़ो सामान (आख़िर के) ऐश व आराम के मुक़ाबले में बहुत ही थोड़ा है
'Illā Tanfirū Yu`adhdhibkum `Adhābāan 'Alīmāan Wa Yastabdil Qawmāan Ghayrakum Wa Lā Tađurrūhu Shay'āan Wa ۗ Allāhu `Alá Kulli Shay'inQadīrun
009-039 अगर (अब भी) तुम न निकलोगे तो ख़ुदा तुम पर दर्दनाक अज़ाब नाज़िल फरमाएगा और (ख़ुदा कुछ मजबरू तो है नहीं) तुम्हारे बदले किसी दूसरी क़ौम को ले आएगा और तुम उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
009-040 अगर तुम उस रसूल की मदद न करोगे तो (कुछ परवाह् नहीं ख़ुदा मददगार है) उसने तो अपने रसूल की उस वक्त मदद की जब उसकी कुफ्फ़ार (मक्का) ने (घर से) निकल बाहर किया उस वक्त सिर्फ (दो आदमी थे) दूसरे रसूल थे जब वह दोनो ग़ार (सौर) में थे जब अपने साथी को (उसकी गिरिया व ज़ारी (रोने) पर) समझा रहे थे कि घबराओ नहीं ख़ुदा यक़ीनन हमारे साथ है तो ख़ुदा ने उन पर अपनी (तरफ से) तसकीन नाज़िल फरमाई और (फ़रिश्तों के) ऐसे लश्कर से उनकी मदद की जिनको तुम लोगों ने देखा तक नहीं और ख़ुदा ने काफिरों की बात नीची कर दिखाई और ख़ुदा ही का बोल बाला है और ख़ुदा तो ग़ालिब हिकमत वाला है
Anfirū Khifāfāan Wa Thiqālāan Wa Jāhidū Bi'amwālikum Wa 'Anfusikum Fī Sabīli Allāhi ۚ DhālikumKhayrun Lakum 'In Kuntum Ta`lamūna
009-041 (मुसलमानों) तुम हलके फुलके (हॅसते) हो या भारी भरकम (मसलह) बहर हाल जब तुमको हुक्म दिया जाए फौरन चल खड़े हो और अपनी जानों से अपने मालों से ख़ुदा की राह में जिहाद करो अगर तुम (कुछ जानते हो तो) समझ लो कि यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है
Law Kāna `ArađāanQarībāan Wa SafarāanQāşidāan Lāttaba`ūka Wa Lakin Ba`udat `Alayhimu Ash-Shuqqatu ۚ Wa Sayaĥlifūna Billāhi Law Astaţa`nā Lakharajnā Ma`akum Yuhlikūna 'Anfusahum Wa Allāhu Ya`lamu 'Innahum Lakādhibūna
009-042 (ऐ रसूल) अगर सरे दस्त फ़ायदा और सफर आसान होता तो यक़ीनन ये लोग तुम्हारा साथ देते मगर इन पर मुसाफ़त (सफ़र) की मशक़क़त (सख्ती) तूलानी हो गई और अगर पीछे रह जाने की वज़ह से पूछोगे तो ये लोग फौरन ख़ुदा की क़समें खॉएगें कि अगर हम में सकत होती तो हम भी ज़रूर तुम लोगों के साथ ही चल खड़े होते ये लोग झूठी कसमें खाकर अपनी जान आप हलाक किए डालते हैं और ख़ुदा तो जानता है कि ये लोग बेशक झूठे हैं
`Afā Al-Lahu `Anka Lima 'Adhinta Lahum Ĥattá Yatabayyana Laka Al-Ladhīna Şadaqū Wa Ta`lama Al-Kādhibīna
009-043 (ऐ रसूल) ख़ुदा तुमसे दरगुज़र फरमाए तुमने उन्हें (पीछे रह जाने की) इजाज़त ही क्यों दी ताकि (तुम) अगर ऐसा न करते तो) तुम पर सच बोलने वाले (अलग) ज़ाहिर हो जाते और तुम झूटों को (अलग) मालूम कर लेते
Lā Yasta'dhinuka Al-Ladhīna Yu'uminūna Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri 'An Yujāhidū Bi'amwālihim Wa 'Anfusihim Wa ۗ Allāhu `Alīmun Bil-Muttaqīna
009-044 (ऐ रसूल) जो लोग (दिल से) ख़ुदा और रोज़े आख़िरत पर ईमान रखते हैं वह तो अपने माल से और अपनी जानों से जिहाद (न) करने की इजाज़त मॉगने के नहीं (बल्कि वह ख़ुद जाऎंगे) और ख़ुदा परहेज़गारों से खूब वाक़िफ है
'Innamā Yasta'dhinuka Al-Ladhīna Lā Yu'uminūna Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri Wa Artābat Qulūbuhum Fahum Fī Raybihim Yataraddadūna
009-045 (पीछे रह जाने की) इजाज़त तो बस वही लोग मॉगेंगे जो ख़ुदा और रोजे आख़िरत पर ईमान नहीं रखते और उनके दिल (तरह तरह) के शक़ कर रहे है तो वह अपने शक़ में डावॉडोल हो रहे हैं
Wa Law 'Arādū Al-Khurūja La'a`addū Lahu `Uddatan Wa Lakin Kariha Allāhu Anbi`āthahum Fathabbaţahum Wa Qīla Aq`udū Ma`a Al-Qā`idīna
009-046 (कि क्या करें क्या न करें) और अगर ये लोग (घर से) निकलने की ठान लेते तो (कुछ न कुछ सामान तो करते मगर (बात ये है) कि ख़ुदा ने उनके साथ भेजने को नापसन्द किया तो उनको काहिल बना दिया और (गोया) उनसे कह दिया गया कि तुम बैठने वालों के साथ बैठे (मक्खी मारते) रहो
Law Kharajū Fīkum Mā Zādūkum 'Illā Khabālāan Wa La'awđa`ū Khilālakum Yabghūnakumu Al-Fitnata Wa Fīkum Sammā`ūna Lahum Wa ۗ Allāhu `Alīmun Biž-Žālimīna
009-047 अगर ये लोग तुममें (मिलकर) निकलते भी तो बस तुममे फ़साद ही बरपा कर देते और तुम्हारे हक़ में फ़ितना कराने की ग़रज़ से तुम्हारे दरमियान (इधर उधर) घोड़े दौड़ाते फिरते और तुममें से उनके जासूस भी हैं (जो तुम्हारी उनसे बातें बयान करते हैं) और ख़ुदा शरीरों से ख़ूब वाक़िफ़ है
Laqadi Abtaghaw Al-Fitnata MinQablu Wa Qallabū Laka Al-'Umūra Ĥattá Jā'a Al-Ĥaqqu Wa Žahara 'Amru Allāhi Wa Hum Kārihūna
009-048 (ए रसूल) इसमें तो शक़ नहीं कि उन लोगों ने पहले ही फ़साद डालना चाहा था और तुम्हारी बहुत सी बातें उलट पुलट के यहॉ तक कि हक़ आ पहुंचा और ख़ुदा ही का हुक्म ग़ालिब रहा और उनको नागवार ही रहा
Wa Minhum Man Yaqūlu A'dhan Lī Wa Lā Taftinnī ۚ 'Alā Fī Al-Fitnati Saqaţū ۗ Wa 'Inna Jahannama Lamuĥīţatun Bil-Kāfirīna
009-049 उन लोगों में से बाज़ ऐसे भी हैं जो साफ कहते हैं कि मुझे तो (पीछे रह जाने की) इजाज़त दीजिए और मुझ बला में न फॅसाइए (ऐ रसूल) आगाह हो कि ये लोग खुद बला में (औंधे मुँह) गिर पड़े और जहन्नुम तो काफिरों का यक़ीनन घेरे हुए ही हैं
'In Tuşibka Ĥasanatun Tasu'uhum ۖ Wa 'In Tuşibka Muşībatun Yaqūlū Qad 'Akhadhnā 'Amranā MinQablu Wa Yatawallaw Wa Hum Fariĥūna
009-050 तुमको कोई फायदा पहुंचा तो उन को बुरा मालूम होता है और अगर तुम पर कोई मुसीबत आ पड़ती तो ये लोग कहते हैं कि (इस वजह से) हमने अपना काम पहले ही ठीक कर लिया था और (ये कह कर) ख़ुश (तुम्हारे पास से उठकर) वापस लौटतें है
Qul Lan Yuşībanā 'Illā Mā Kataba Allāhu Lanā Huwa Mawlānā ۚ Wa `Alá Allāhi Falyatawakkali Al-Mu'uminūna
009-051 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हम पर हरगिज़ कोई मुसीबत पड़ नही सकती मगर जो ख़ुदा ने तुम्हारे लिए (हमारी तक़दीर में) लिख दिया है वही हमारा मालिक है और ईमानदारों को चाहिए भी कि ख़ुदा ही पर भरोसा रखें
Qul Hal Tarabbaşūna Binā 'Illā 'Iĥdá Al-Ĥusnayayni ۖ Wa Naĥnu Natarabbaşu Bikum 'An Yuşībakumu Allāhu Bi`adhābin Min `Indihi~ 'Aw Bi'aydīnā ۖ Fatarabbaşū 'Innā Ma`akum Mutarabbişūna
009-052 (ऐ रसूल) तुम मुनाफिकों से कह दो कि तुम तो हमारे वास्ते (फतेह या शहादत) दो भलाइयों में से एक के ख्वाह मख्वाह मुन्तज़िर ही हो और हम तुम्हारे वास्ते उसके मुन्तज़िर हैं कि ख़ुदा तुम पर (ख़ास) अपने ही से कोई अज़ाब नाज़िल करे या हमारे हाथों से फिर (अच्छा) तुम भी इन्तेज़ार करो हम भी तुम्हारे साथ (साथ) इन्तेज़ार करते हैं
Wa Mā Mana`ahum 'An Tuqbala Minhum Nafaqātuhum 'Illā 'Annahum Kafarū Billāhi Wa Birasūlihi Wa Lā Ya'tūna Aş-Şalāata 'Illā Wa Hum Kusālá Wa Lā Yunfiqūna 'Illā Wa Hum Kārihūna
009-054 और उनकी ख़ैरात के क़ुबूल किए जाने में और कोई वजह मायने नहीं मगर यही कि उन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल की नाफ़रमानी की और नमाज़ को आते भी हैं तो अलकसाए हुए और ख़ुदा की राह में खर्च करते भी हैं तो बे दिली से
Falā Tu`jibka 'Amwāluhum Wa Lā 'Awlāduhum ۚ 'Innamā Yurīdu Allāhu Liyu`adhdhibahum Bihā Fī Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Wa Tazhaqa 'Anfusuhum Wa Hum Kāfirūna
009-055 (ऐ रसूल) तुम को न तो उनके माल हैरत में डाले और न उनकी औलाद (क्योंकि) ख़ुदा तो ये चाहता है कि उनको आल व माल की वजह से दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी (ही) में मुबितलाए अज़ाब करे और जब उनकी जानें निकलें तब भी वह काफिर (के काफिर ही) रहें
Wa Minhum Man Yalmizuka Fī Aş-Şadaqāti Fa'in 'U`ţū Minhā Rađū Wa 'In Lam Yu`ţaw Minhā 'Idhā Hum Yaskhaţūna
009-058 (ऐ रसूल) उनमें से कुछ तो ऐसे भी हैं जो तुम्हें ख़ैरात (की तक़सीम) में (ख्वाह मा ख्वाह) इल्ज़ाम देते हैं फिर अगर उनमे से कुछ (माक़ूल मिक़दार(हिस्सा)) दे दिया गया तो खुश हो गए और अगर उनकी मर्ज़ी के मुवाफिक़ उसमें से उन्हें कुछ नहीं दिया गया तो बस फौरन ही बिगड़ बैठे
Wa Law 'AnnahumRađū Mā 'Ātāhumu Allāhu Wa Rasūluhu Wa Qālū Ĥasbunā Al-Lahu Sayu'utīnā Al-Lahu Min Fađlihi Wa Rasūluhu~ 'Innā 'Ilá Allāhi Rāghibūna
009-059 और जो कुछ ख़ुदा ने और उसके रसूल ने उनको अता फरमाया था अगर ये लोग उस पर राज़ी रहते और कहते कि ख़ुदा हमारे वास्ते काफी है (उस वक्त नहीं तो) अनक़रीब ही खुदा हमें अपने फज़ल व करम से उसका रसूल दे ही देगा हम तो यक़ीनन अल्लाह ही की तरफ लौ लगाए बैठे हैं
'Innamā Aş-Şadaqātu Lilfuqarā'i Wa Al-Masākīni Wa Al-`Āmilīna `Alayhā Wa Al-Mu'uallafati Qulūbuhum Wa Fī Ar-Riqābi Wa Al-Ghārimīna Wa Fī Sabīli Allāhi Wa Aibni As-Sabīli ۖ Farīđatan Mina Allāhi Wa ۗ Allāhu `Alīmun Ĥakīmun
009-060 (तो उनका क्या कहना था) ख़ैरात तो बस ख़ास फकीरों का हक़ है और मोहताजों का और उस (ज़कात वग़ैरह) के कारिन्दों का और जिनकी तालीफ़ क़लब की गई है (उनका) और (जिन की) गर्दनों में (गुलामी का फन्दा पड़ा है उनका) और ग़द्दारों का (जो ख़ुदा से अदा नहीं कर सकते) और खुदा की राह (जिहाद) में और परदेसियों की किफ़ालत में ख़र्च करना चाहिए ये हुकूक़ ख़ुदा की तरफ से मुक़र्रर किए हुए हैं और ख़ुदा बड़ा वाक़िफ कार हिकमत वाला है
Wa Minhumu Al-Ladhīna Yu'udhūna An-Nabīya Wa Yaqūlūna Huwa 'Udhunun ۚ Qul 'Udhunu Khayrin Lakum Yu'uminu Billāhi Wa Yu'uminu Lilmu'uminīna Wa Raĥmatun Lilladhīna 'Āmanū Minkum Wa ۚ Al-Ladhīna Yu'udhūna Rasūla Allāhi Lahum `Adhābun 'Alīmun
009-061 और उसमें से बाज़ ऐसे भी हैं जो (हमारे) रसूल को सताते हैं और कहते हैं कि बस ये कान ही (कान) हैं (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (कान तो हैं मगर) तुम्हारी भलाई सुन्ने के कान हैं कि ख़ुदा पर ईमान रखते हैं और मोमिनीन की (बातों) का यक़ीन रखते हैं और तुममें से जो लोग ईमान ला चुके हैं उनके लिए रहमत और जो लोग रसूले ख़ुदा को सताते हैं उनके लिए दर्दनाक अज़ाब हैं
'Alam Ya`lamū 'Annahu Man Yuĥādidi Allāha Wa Rasūlahu Fa'anna Lahu Nāra Jahannama Khālidāan Fīhā ۚ Dhālika Al-Khizyu Al-`Ažīmu
009-063 तो ख़ुदा और उसका रसूल कहीं ज्यादा हक़दार है कि उसको राज़ी रखें क्या ये लोग ये भी नहीं जानते कि जिस शख़्स ने ख़ुदा और उसके रसूल की मुख़ालेफ़त की तो इसमें शक़ ही नहीं कि उसके लिए जहन्नुम की आग (तैयार रखी) है
009-064 जिसमें वह हमेशा (जलता भुनता) रहेगा यही तो बड़ी रूसवाई है मुनाफेक़ीन इस बात से डरतें हैं कि (कहीं ऐसा न हो) इन मुलसमानों पर (रसूल की माअरफ़त) कोई सूरा नाज़िल हो जाए जो उनको जो कुछ उन मुनाफिक़ीन के दिल में है बता दे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (अच्छा) तुम मसख़रापन किए जाओ
Wa La'in Sa'altahum Layaqūlunna 'Innamā Kunnā Nakhūđu Wa Nal`abu ۚ Qul 'Abiālllahi Wa 'Āyātihi Wa Rasūlihi Kuntum Tastahzi'ūna
009-065 जिससे तुम डरते हो ख़ुदा उसे ज़रूर ज़ाहिर कर देगा और अगर तुम उनसे पूछो (कि ये हरकत थी) तो ज़रूर यूं ही कहेगें कि हम तो यूं ही बातचीत (दिल्लगी) बाज़ी ही कर रहे थे तुम कहो कि हाए क्या तुम ख़ुदा से और उसकी आयतों से और उसके रसूल से हॅसी कर रहे थे
009-066 अब बातें न बनाओं हक़ तो ये हैं कि तुम ईमान लाने के बाद काफ़िर हो बैठे अगर हम तुममें से कुछ लोगों से दरगुज़र भी करें तो हम कुछ लोगों को सज़ा ज़रूर देगें इस वजह से कि ये लोग कुसूरवार ज़रूर हैं
Al-Munāfiqūna Wa Al-Munāfiqātu Ba`đuhum Min Ba`đin ۚ Ya'murūna Bil-Munkari Wa Yanhawna `Ani Al-Ma`rūfi Wa Yaqbiđūna 'Aydiyahum ۚ Nasū Allaha Fanasiyahum ۗ 'Inna Al-Munāfiqīna Humu Al-Fāsiqūna
009-067 मुनाफिक़ मर्द और मुनाफिक़ औरतें एक दूसरे के बाहम जिन्स हैं कि (लोगों को) बुरे काम का तो हुक्म करते हैं और नेक कामों से रोकते हैं और अपने हाथ (राहे ख़ुदा में ख़र्च करने से) बन्द रखते हैं (सच तो यह है कि) ये लोग ख़ुदा को भूल बैठे तो ख़ुदा ने भी (गोया) उन्हें भुला दिया बेशक मुनाफ़िक़ बदचलन है
Wa`ada Allāhu Al-Munāfiqīna Wa Al-Munāfiqāti Wa Al-Kuffāra Nāra Jahannama Khālidīna Fīhā ۚ Hiya Ĥasbuhum ۚ Wa La`anahumu Allāhu ۖ Wa Lahum `Adhābun Muqīmun
009-068 मुनाफिक़ मर्द और मुनाफिक़ औरतें और काफिरों से ख़ुदा ने जहन्नुम की आग का वायदा तो कर लिया है कि ये लोग हमेशा उसी में रहेगें और यही उन के लिए काफ़ी है और ख़ुदा ने उन पर लानत की है और उन्हीं के लिए दाइमी (हमेशा रहने वाला) अज़ाब है
Kālladhīna MinQablikum Kānū 'Ashadda MinkumQūwatan Wa 'Akthara 'Amwālāan Wa 'Awlādāan Fāstamta`ū Bikhalāqihim Fāstamta`tum Bikhalāqikum Kamā Astamta`a Al-Ladhīna MinQablikum Bikhalāqihim Wa Khuđtum Kālladhī Khāđū ۚ 'Ūlā'ika Ĥabiţat 'A`māluhum Fī Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati ۖ Wa 'Ūlā'ika Humu Al-Khāsirūna
009-069 (मुनाफिक़ो तुम्हारी तो) उनकी मसल है जो तुमसे पहले थे वह लोग तुमसे कूवत में (भी) ज्यादा थे और औलाद में (भी) कही बढ़ कर तो वह अपने हिस्से से भी फ़ायदा उठा हो चुके तो जिस तरह तुम से पहले लोग अपने हिस्से से फायदा उठा चुके हैं इसी तरह तुम ने अपने हिस्से से फायदा उठा लिया और जिस तरह वह बातिल में घुसे रहे उसी तरह तुम भी घुसे रहे ये वह लोग हैं जिन का सब किया धरा दुनिया और आख़िरत (दोनों) में अकारत हुआ और यही लोग घाटे में हैं
'Alam Ya'tihim Naba'u Al-Ladhīna MinQablihimQawmi Nūĥin Wa `Ādin Wa Thamūda Wa Qawmi 'Ibrāhīma Wa 'Aşĥābi Madyana Wa Al-Mu'utafikāti ۚ 'Atat/humRusuluhum Bil-Bayyināti ۖ Famā Kāna Allāhu Liyažlimahum Wa Lakin Kānū 'Anfusahum Yažlimūna
009-070 क्या इन मुनाफिक़ों को उन लोगों की ख़बर नहीं पहुँची है जो उनसे पहले हो गुज़रे हैं नूह की क़ौम और आद और समूद और इबराहीम की क़ौम और मदियन वाले और उलटी हुई बस्तियों के रहने वाले कि उनके पास उनके रसूल वाजेए (और रौशन) मौजिज़े लेकर आए तो (वह मुब्तिलाए अज़ाब हुए) और ख़ुदा ने उन पर जुल्म नहीं किया मगर ये लोग ख़ुद अपने ऊपर जुल्म करते थे
Wa Al-Mu'uminūna Wa Al-Mu'uminātu Ba`đuhum 'Awliyā'u Ba`đin ۚ Ya'murūna Bil-Ma`rūfi Wa Yanhawna `Ani Al-Munkari Wa Yuqīmūna Aş-Şalāata Wa Yu'utūna Az-Zakāata Wa Yuţī`ūna Allāha Wa Rasūlahu~ ۚ 'Ūlā'ika Sayarĥamuhumu Allāhu ۗ 'Inna Allāha `Azīzun Ĥakīmun
009-071 और ईमानदार मर्द और ईमानदार औरते उनमें से बाज़ के बाज़ रफीक़ है और नामज़ पाबन्दी से पढ़ते हैं और ज़कात देते हैं और ख़ुदा और उसके रसूल की फरमाबरदारी करते हैं यही लोग हैं जिन पर ख़ुदा अनक़रीब रहम करेगा बेशक ख़ुदा ग़ालिब हिकमत वाला है
Wa`ada Allāhu Al-Mu'uminīna Wa Al-Mu'umināti Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā Wa Masākina Ţayyibatan Fī Jannāti `Adnin ۚ Wa Riđwānun Mina Allāhi 'Akbaru ۚ Dhālika Huwa Al-Fawzu Al-`Ažīmu
009-072 ख़ुदा ने ईमानदार मर्दों और ईमानदारा औरतों से (बेहश्त के) उन बाग़ों का वायदा कर लिया है जिनके नीचे नहरें जारी हैं और वह उनमें हमेशा रहेगें (बेहश्त) अदन के बाग़ो में उम्दा उम्दा मकानात का (भी वायदा फरमाया) और ख़ुदा की ख़ुशनूदी उन सबसे बालातर है- यही तो बड़ी (आला दर्जे की) कामयाबी है
Yā 'Ayyuhā An-Nabīyu Jāhidi Al-Kuffāra Wa Al-Munāfiqīna Wa Aghluž `Alayhim ۚ Wa Ma'wāhum Jahannamu ۖ Wa Bi'sa Al-Maşīru
009-073 ऐ रसूल कुफ्फ़ार के साथ (तलवार से) और मुनाफिकों के साथ (ज़बान से) जिहाद करो और उन पर सख्ती करो और उनका ठिकाना तो जहन्नुम ही है और वह (क्या) बुरी जगह है
Yaĥlifūna Billāhi Mā Qālū Wa LaqadQālū Kalimata Al-Kufri Wa Kafarū Ba`da 'Islāmihim Wa Hammū Bimā Lam Yanālū ۚ Wa Mā Naqamū 'Illā 'An 'Aghnāhumu Allāhu Wa Rasūluhu Min Fađlihi ۚ Fa'in Yatūbū Yaku Khayrāan Lahum ۖ Wa 'In Yatawallaw Yu`adhdhibhumu Allāhu `Adhābāan 'Alīmāan Fī Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati ۚ Wa Mā Lahum Fī Al-'Arđi Min Wa Līyin Wa Lā Naşīrin
009-074 ये मुनाफेक़ीन ख़ुदा की क़समें खाते है कि (कोई बुरी बात) नहीं कही हालॉकि उन लोगों ने कुफ़्र का कलमा ज़रूर कहा और अपने इस्लाम के बाद काफिर हो गए और जिस बात पर क़ाबू न पा सके उसे ठान बैठे और उन लोगें ने (मुसलमानों से) सिर्फ इस वजह से अदावत की कि अपने फज़ल व करम से ख़ुदा और उसके रसूल ने दौलत मन्द बना दिया है तो उनके लिए उसमें ख़ैर है कि ये लोग अब भी तौबा कर लें और अगर ये न मानेगें तो ख़ुदा उन पर दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब नाज़िल फरमाएगा और तमाम दुनिया में उन का न कोई हामी होगा और न मददगार
Wa Minhum Man `Āhada Allāha La'in 'Ātānā Min Fađlihi Lanaşşaddaqanna Wa Lanakūnanna Mina Aş-Şāliĥīna
009-075 और इन (मुनाफेक़ीन) में से बाज़ ऐसे भी हैं जो ख़ुदा से क़ौल क़रार कर चुके थे कि अगर हमें अपने फज़ल (व करम) से (कुछ माल) देगा तो हम ज़रूर ख़ैरात किया करेगें और नेकोकार बन्दे हो जाऎंगे
Fa'a`qabahum Nifāqāan Fī Qulūbihim 'Ilá Yawmi Yalqawnahu Bimā 'Akhlafū Allaha Mā Wa`adūhu Wa Bimā Kānū Yakdhibūna
009-077 फिर उनसे उनके ख़ामयाजे (बदले) में अपनी मुलाक़ात के दिन (क़यामत) तक उनके दिल में (गोया खुद) निफाक डाल दिया इस वजह से उन लोगों ने जो ख़ुदा से वायदा किया था उसके ख़िलाफ किया और इस वजह से कि झूठ बोला करते थे
Al-Ladhīna Yalmizūna Al-Muţţawwi`īna Mina Al-Mu'uminīna Fī Aş-Şadaqāti Wa Al-Ladhīna Lā Yajidūna 'Illā Juhdahum Fayaskharūna Minhum ۙ Sakhira Allāhu Minhum Wa Lahum `Adhābun 'Alīmun
009-079 जो लोग दिल खोलकर ख़ैरात करने वाले मोमिनीन पर (रियाकारी का) और उन मोमिनीन पर जो सिर्फ अपनी शफ़क़क़्त (मेहनत) की मज़दूरी पाते (शेख़ी का) इल्ज़ाम लगाते हैं फिर उनसे मसख़रापन करते तो ख़ुदा भी उन से मसख़रापन करेगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है
009-080 (ऐ रसूल) ख्वाह तुम उन (मुनाफिक़ों) के लिए मग़फिरत की दुआ मॉगों या उनके लिए मग़फिरत की दुआ न मॉगों (उनके लिए बराबर है) तुम उनके लिए सत्तर बार भी बख्शिस की दुआ मांगोगे तो भी ख़ुदा उनको हरगिज़ न बख्शेगा ये (सज़ा) इस सबब से है कि उन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल के साथ कुफ्र किया और ख़ुदा बदकार लोगों को मंज़िलें मकसूद तक नहीं पहुँचाया करता
Fariĥa Al-Mukhallafūna Bimaq`adihimKhilāfa Rasūli Allāhi Wa Karihū 'An Yujāhidū Bi'amwālihim Wa 'Anfusihim Fī Sabīli Allāhi Wa Qālū Lā Tanfirū Fī Al-Ĥarri ۗ Qul Nāru Jahannama 'Ashaddu Ĥarrāan ۚ Law Kānū Yafqahūna
009-081 (जंगे तबूक़ में) रसूले ख़ुदा के पीछे रह जाने वाले अपनी जगह बैठ रहने (और जिहाद में न जाने) से ख़ुश हुए और अपने माल और आपनी जानों से ख़ुदा की राह में जिहाद करना उनको मकरू मालूम हुआ और कहने लगे (इस) गर्मी में (घर से) न निकलो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि जहन्नुम की आग (जिसमें तुम चलोगे उससे कहीं ज्यादा गर्म है
Fa'inRaja`aka Allāhu 'Ilá Ţā'ifatin Minhum Fāsta'dhanūka Lilkhurūji Faqul Lan Takhrujū Ma`iya 'Abadāan Wa Lan Tuqātilū Ma`iya `Adūwāan ۖ 'InnakumRađītum Bil-Qu`ūdi 'Awwala Marratin Fāq`udū Ma`a Al-Khālifīna
009-083 तो (ऐ रसूल) अगर ख़ुदा तुम इन मुनाफेक़ीन के किसी गिरोह की तरफ (जिहाद से सहीसालिम) वापस लाए फिर तुमसे (जिहाद के वास्ते) निकलने की इजाज़त माँगें तो तुम साफ़ कह दो कि तुम मेरे साथ (जिहाद के वास्ते) हरगिज़ न निकलने पाओगे और न हरगिज़ दुश्मन से मेरे साथ लड़ने पाओगे जब तुमने पहली मरतबा (घर में) बैठे रहना पसन्द किया तो (अब भी) पीछे रह जाने वालों के साथ (घर में) बैठे रहो
Wa Lā Tuşalli `Alá 'Aĥadin Minhum Māta 'Abadāan Wa Lā Taqum `Alá Qabrihi~ ۖ 'Innahum Kafarū Billāhi Wa Rasūlihi Wa Mātū Wa Hum Fāsiqūna
009-084 और (ऐ रसूल) उन मुनाफिक़ीन में से जो मर जाए तो कभी ना किसी पर नमाजे ज़नाज़ा पढ़ना और न उसकी क़ब्र पर (जाकर) खडे होना इन लोगों ने यक़ीनन ख़ुदा और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया और बदकारी की हालत में मर (भी) गए
Wa Lā Tu`jibka 'Amwāluhum Wa 'Awlāduhum ۚ 'Innamā Yurīdu Allāhu 'An Yu`adhdhibahum Bihā Fī Ad-Dunyā Wa Tazhaqa 'Anfusuhum Wa Hum Kāfirūna
009-085 और उनके माल और उनकी औलाद (की कसरत) तुम्हें ताज्जुब (हैरत) में न डाले (क्योकि) ख़ुदा तो बस ये चाहता है कि दुनिया में भी उनके माल और औलाद की बदौलत उनको अज़ाब में मुब्तिला करे और उनकी जान निकालने लगे तो उस वक्त भी ये काफ़िर (के काफ़िर ही) रहें
Wa 'Idhā 'Unzilat Sūratun 'An 'Āminū Billāhi Wa Jāhidū Ma`a Rasūlihi Asta'dhanaka 'Ūlū Aţ-Ţawli Minhum Wa Qālū Dharnā Nakun Ma`a Al-Qā`idīna
009-086 और जब कोई सूरा इस बारे में नाज़िल हुआ कि ख़ुदा को मानों और उसके रसूल के साथ जिहाद करो तो जो उनमें से दौलत वाले हैं वह तुमसे इजाज़त मांगते हैं और कहते हैं कि हमें (यहीं छोड़ दीजिए) कि हम भी (घर बैठने वालो के साथ (बैठे) रहें
Lakini Ar-Rasūlu Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Ma`ahu Jāhadū Bi'amwālihim Wa 'Anfusihim ۚ Wa 'Ūlā'ika Lahumu Al-Khayrātu ۖ Wa 'Ūlā'ika Humu Al-Mufliĥūna
009-088 मगर रसूल और जो लोग उनके साथ ईमान लाए हैं उन लोगों ने अपने अपने माल और अपनी अपनी जानों से जिहाद किया- यही वह लोग हैं जिनके लिए (हर तरह की) भलाइयाँ हैं और यही लोग कामयाब होने वाले हैं
009-089 ख़ुदा ने उनके वास्ते (बेहश्त) के वह (हरे भरे) बाग़ तैयार कर रखे हैं जिनके (दरख्तों के) नीचे नहरे जारी हैं (और ये) इसमें हमेशा रहेंगें यही तो बड़ी कामयाबी हैं
Wa Jā'a Al-Mu`adhdhirūna Mina Al-'A`rābi Liyu'udhana Lahum Wa Qa`ada Al-Ladhīna Kadhabū Allaha Wa Rasūlahu ۚ Sayuşību Al-Ladhīna Kafarū Minhum `Adhābun 'Alīmun
009-090 और (तुम्हारे पास) कुछ हीला करने वाले गवार देहाती (भी) आ मौजदू हुए ताकि उनको भी (पीछे रह जाने की) इजाज़त दी जाए और जिन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल से झूठ कहा था वह (घर में) बैठ रहे (आए तक नहीं) उनमें से जिन लोगों ने कुफ़्र एख्तेयार किया अनक़रीब ही उन पर दर्दनाक अज़ाब आ पहुँचेगा
Laysa `Alá Ađ-Đu`afā'i Wa Lā `Alá Al-Marđá Wa Lā `Alá Al-Ladhīna Lā Yajidūna Mā Yunfiqūna Ĥarajun 'Idhā Naşaĥū Lillāh Wa Rasūlihi ۚ Mā `Alá Al-Muĥsinīna Min Sabīlin Wa ۚ Allāhu GhafūrunRaĥīmun
009-091 (ऐ रसूल जिहाद में न जाने का) न तो कमज़ोरों पर कुछ गुनाह है न बीमारों पर और न उन लोगों पर जो कुछ नहीं पाते कि ख़र्च करें बशर्ते कि ये लोग ख़ुदा और उसके रसूल की ख़ैर ख्वाही करें नेकी करने वालों पर (इल्ज़ाम की) कोई सबील नहीं और ख़ुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है
Wa Lā `Alá Al-Ladhīna 'Idhā Mā 'Atawka LitaĥmilahumQulta Lā 'Ajidu Mā 'Aĥmilukum `Alayhi Tawallaw Wa 'A`yunuhum Tafīđu Mina Ad-Dam`i Ĥazanāan 'Allā Yajidū Mā Yunfiqūna
009-092 और न उन्हीं लोगों पर कोई इल्ज़ाम है जो तुम्हारे पास आए कि तुम उनके लिए सवारी बाहम पहुँचा दो और तुमने कहा कि मेरे पास (तो कोई सवारी) मौजूद नहीं कि तुमको उस पर सवार करूँ तो वह लोग (मजबूरन) फिर गए और हसरत (व अफसोस) उसे उस ग़म में कि उन को ख़र्च मयस्सर न आया
009-093 उनकी ऑंखों से ऑंसू जारी थे (इल्ज़ाम की) सबील तो सिर्फ उन्हीं लोगों पर है जिन्होंने बावजूद मालदार होने के तुमसे (जिहाद में) न जाने की इजाज़त चाही और उनके पीछे रह जाने वाले (औरतों, बच्चों) के साथ रहना पसन्द आया और ख़ुदा ने उनके दिलों पर (गोया) मोहर कर दी है तो ये लोग कुछ नहीं जानते
Ya`tadhirūna 'Ilaykum 'Idhā Raja`tum 'Ilayhim ۚ Qul Lā Ta`tadhirū Lan Nu'umina LakumQad Nabba'anā Al-Lahu Min 'Akhbārikum ۚ Wa Sayará Allāhu `Amalakum Wa Rasūluhu Thumma Turaddūna 'Ilá `Ālimi Al-Ghaybi Wa Ash-Shahādati Fayunabbi'ukum Bimā Kuntum Ta`malūna
009-094 जब तुम उनके पास (जिहाद से लौट कर) वापस आओगे तो ये (मुनाफिक़ीन) तुमसे (तरह तरह) की माअज़रत करेंगे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि बातें न बनाओ हम हरग़िज़ तुम्हारी बात न मानेंगे (क्योंकि) हमे तो ख़ुदा ने तुम्हारे हालात से आगाह कर दिया है अनक़ीरब ख़ुदा और उसका रसूल तुम्हारी कारस्तानी को मुलाहज़ा फरमाएगें फिर तुम ज़ाहिर व बातिन के जानने वालों (ख़ुदा) की हुज़ूरी में लौटा दिए जाओगे तो जो कुछ तुम (दुनिया में) करते थे (ज़र्रा ज़र्रा) बता देगा
009-095 जब तुम उनके पास (जिहाद से) वापस आओगे तो तुम्हारे सामने ख़ुदा की क़समें खाएगें ताकि तुम उनसे दरगुज़र करो तो तुम उनकी तरफ से मुँह फेर लो बेशक ये लोग नापाक हैं और उनका ठिकाना जहन्नुम है (ये) सज़ा है उसकी जो ये (दुनिया में) किया करते थे
Al-'A`rābu 'Ashaddu Kufrāan Wa Nifāqāan Wa 'Ajdaru 'Allā Ya`lamū Ĥudūda Mā 'Anzala Allāhu `Alá Rasūlihi Wa ۗ Allāhu `Alīmun Ĥakīmun
009-097 (ये) अरब के गॅवार देहाती कुफ्र व निफाक़ में बड़े सख्त हैं और इसी क़ाबिल हैं कि जो किताब ख़ुदा ने अपने रसूल पर नाज़िल फरमाई है उसके एहक़ाम न जानें और ख़ुदा तो बड़ा दाना हकीम है
Wa Mina Al-'A`rābi Man Yattakhidhu Mā Yunfiqu Maghramāan Wa Yatarabbaşu Bikumu Ad-Dawā'ira ۚ `Alayhim Dā'iratu As-Saw'i Wa ۗ Allāhu Samī`un `Alīmun
009-098 और कुछ गॅवार देहाती (ऐसे भी हैं कि जो कुछ ख़ुदा की) राह में खर्च करते हैं उसे तावान (जुर्माना) समझते हैं और तुम्हारे हक़ में (ज़माने की) गर्दिशों के मुन्तज़िर (इन्तेज़ार में) हैं उन्हीं पर (ज़माने की) बुरी गर्दिश पड़े और ख़ुदा तो सब कुछ सुनता जानता है
Wa Mina Al-'A`rābi Man Yu'uminu Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri Wa Yattakhidhu Mā Yunfiqu Qurubātin `Inda Allāhi Wa Şalawāti Ar-Rasūli ۚ 'Alā 'Innahā Qurbatun Lahum ۚ Sayudkhiluhumu Allāhu Fī Raĥmatihi~ ۗ 'Inna Allāha GhafūrunRaĥīmun
009-099 और कुछ देहाती तो ऐसे भी हैं जो ख़ुदा और आख़िरत पर ईमान रखते हैं और जो कुछ खर्च करते है उसे ख़ुदा की (बारगाह में) नज़दीकी और रसूल की दुआओं का ज़रिया समझते हैं आगाह रहो वाक़ई ये (ख़ैरात) ज़रूर उनके तक़र्रुब (क़रीब होने का) का बाइस है ख़ुदा उन्हें बहुत जल्द अपनी रहमत में दाख़िल करेगा बेशक ख़ुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है
Wa As-Sābiqūna Al-'Awwalūna Mina Al-Muhājirīna Wa Al-'Anşāri Wa Al-Ladhīna Attaba`ūhum Bi'iĥsāninRađiya Allāhu `Anhum Wa Rađū `Anhu Wa 'A`adda Lahum Jannātin Tajrī Taĥtahā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā 'Abadāan ۚ Dhālika Al-Fawzu Al-`Ažīmu
009-100 और मुहाजिरीन व अन्सार में से (ईमान की तरफ) सबक़त (पहल) करने वाले और वह लोग जिन्होंने नेक नीयती से (कुबूले ईमान में उनका साथ दिया ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से ख़ुश और उनके वास्ते ख़ुदा ने (वह हरे भरे) बाग़ जिन के नीचे नहरें जारी हैं तैयार कर रखे हैं वह हमेशा अब्दआलाबाद (हमेशा) तक उनमें रहेगें यही तो बड़ी कामयाबी हैं
Wa Mimman Ĥawlakum Mina Al-'A`rābi Munāfiqūna ۖ Wa Min 'Ahli Al-Madīnati ۖ Maradū `Alá An-Nifāqi Lā Ta`lamuhum ۖ Naĥnu Na`lamuhum ۚ Sanu`adhdhibuhum Marratayni Thumma Yuraddūna 'Ilá `Adhābin `Ažīmin
009-101 और (मुसलमानों) तुम्हारे एतराफ़ (आस पास) के गॅवार देहातियों में से बाज़ मुनाफिक़ (भी) हैं और ख़ुद मदीने के रहने वालों मे से भी (बाज़ मुनाफिक़ हैं) जो निफ़ाक पर अड़ गए हैं (ऐ रसूल) तुम उन को नहीं जानते (मगर) हम उनको (ख़ूब) जानते हैं अनक़रीब हम (दुनिया में) उनकी दोहरी सज़ा करेगें फिर ये लोग (क़यामत में) एक बड़े अज़ाब की तरफ लौटाए जाऎंगे
Wa 'Ākharūna A`tarafū BidhunūbihimKhalaţū `AmalāanŞāliĥāan Wa 'Ākhara Sayyi'āan `Asá Allāhu 'An Yatūba `Alayhim ۚ 'Inna Allāha GhafūrunRaĥīmun
009-102 और कुछ लोग हैं जिन्होंने अपने गुनाहों का (तो) एकरार किया (मगर) उन लोगों ने भले काम को और कुछ बुरे काम को मिला जुला (कर गोलमाल) कर दिया क़रीब है कि ख़ुदा उनकी तौबा कुबूल करे (क्योंकि) ख़ुदा तो यक़ीनी बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान हैं
Khudh Min 'AmwālihimŞadaqatan Tuţahhiruhum Wa Tuzakkīhim Bihā Wa Şalli `Alayhim ۖ 'Inna Şalātaka Sakanun Lahum Wa ۗ Allāhu Samī`un `Alīmun
009-103 (ऐ रसूल) तुम उनके माल की ज़कात लो (और) इसकी बदौलत उनको (गुनाहो से) पाक साफ करों और उनके वास्ते दुआएं ख़ैर करो क्योंकि तुम्हारी दुआ इन लोगों के हक़ में इत्मेनान (का बाइस है) और ख़ुदा तो (सब कुछ) सुनता (और) जानता है
'Alam Ya`lamū 'Anna Allāha Huwa Yaqbalu At-Tawbata `An `Ibādihi Wa Ya'khudhu Aş-Şadaqāti Wa 'Anna Allāha Huwa At-Tawwābu Ar-Raĥīmu
009-104 क्या इन लोगों ने इतने भी नहीं जाना यक़ीनन ख़ुदा बन्दों की तौबा क़ुबूल करता है और वही ख़ैरातें (भी) लेता है और इसमें शक़ नहीं कि वही तौबा का बड़ा कुबूल करने वाला मेहरबान है
Wa Quli A`malū Fasayará Allāhu `Amalakum Wa Rasūluhu Wa Al-Mu'uminūna ۖ Wa Saturaddūna 'Ilá `Ālimi Al-Ghaybi Wa Ash-Shahādati Fayunabbi'ukum Bimā Kuntum Ta`malūna
009-105 और (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम लोग अपने अपने काम किए जाओ अभी तो ख़ुदा और उसका रसूल और मोमिनीन तुम्हारे कामों को देखेगें और बहुत जल्द (क़यामत में) ज़ाहिर व बातिन के जानने वाले (ख़ुदा) की तरफ लौटाए जाऎंगे तब वह जो कुछ भी तुम करते थे तुम्हें बता देगा
Wa 'Ākharūna Murjawna Li'amri Allāhi 'Immā Yu`adhdhibuhum Wa 'Immā Yatūbu `Alayhim Wa ۗ Allāhu `Alīmun Ĥakīmun
009-106 और कुछ लोग हैं जो हुक्मे ख़ुदा के उम्मीदवार किए गए हैं (उसको अख्तेयार है) ख्वाह उन पर अज़ाब करे या उन पर मेहरबानी करे और ख़ुदा (तो) बड़ा वाकिफकार हिकमत वाला है
Wa Al-Ladhīna Attakhadhū MasjidāanĐirārāan Wa Kufrāan Wa Tafrīqāan Bayna Al-Mu'uminīna Wa 'Irşādāan Liman Ĥāraba Allāha Wa Rasūlahu MinQablu ۚ Wa Layaĥlifunna 'In 'Aradnā 'Illā Al-Ĥusná Wa ۖ Allāhu Yash/hadu 'Innahum Lakādhibūna
009-107 और (वह लोग भी मुनाफिक़ हैं) जिन्होने (मुसलमानों के) नुकसान पहुंचाने और कुफ़्र करने वाले और मोमिनीन के दरमियान तफरक़ा (फूट) डालते और उस शख़्स की घात में बैठने के वास्ते मस्जिद बनाकर खड़ी की है जो ख़ुदा और उसके रसूल से पहले लड़ चुका है (और लुत्फ़ तो ये है कि) ज़रूर क़समें खाएगें कि हमने भलाई के सिवा कुछ और इरादा ही नहीं किया और ख़ुदा ख़ुद गवाही देता है
009-108 ये लोग यक़ीनन झूठे है (ऐ रसूल) तुम इस (मस्जिद) में कभी खड़े भी न होना वह मस्जिद जिसकी बुनियाद अव्वल रोज़ से परहेज़गारी पर रखी गई है वह ज़रूर उसकी ज्यादा हक़दार है कि तुम उसमें खडे होकर (नमाज़ पढ़ो क्योंकि) उसमें वह लोग हैं जो पाक व पाकीज़ा रहने को पसन्द करते हैं और ख़ुदा भी पाक व पाकीज़ा रहने वालों को दोस्त रखता है
'Afaman 'Assasa Bunyānahu `Alá Taqwá Mina Allāhi Wa Riđwānin Khayrun 'Am Man 'Assasa Bunyānahu `Alá Shafā Jurufin Hārin Fānhāra Bihi Fī Nāri Jahannama Wa ۗ Allāhu Lā Yahdī Al-Qawma Až-Žālimīna
009-109 क्या जिस शख़्स ने ख़ुदा के ख़ौफ और ख़ुशनूदी पर अपनी इमारत की बुनियाद डाली हो वह ज्यादा अच्छा है या वह शख़्स जिसने अपनी इमारत की बुनियाद इस बोदे किनारे के लब पर रखी हो जिसमें दरार पड़ चुकी हो और अगर वह चाहता हो फिर उसे ले दे के जहन्नुम की आग में फट पडे और ख़ुदा ज़ालिम लोगों को मंज़िलें मक़सूद तक नहीं पहुंचाया करता
009-110 (ये इमारत की) बुनियाद जो उन लोगों ने क़ायम की उसके सबब से उनके दिलो में हमेशा धरपकड़ रहेगी यहाँ तक कि उनके दिलों के परख़चे उड़ जाएँ और ख़ुदा तो बड़ा वाक़िफकार हकीम हैं
'Inna Allāha Ashtará Mina Al-Mu'uminīna 'Anfusahum Wa 'Amwālahum Bi'anna Lahumu Al-Jannata ۚ Yuqātilūna Fī Sabīli Allāhi Fayaqtulūna Wa Yuqtalūna ۖ Wa`dāan `Alayhi Ĥaqqāan Fī At-Tawrāati Wa Al-'Injīli Wa Al-Qur'āni ۚ Wa Man 'Awfá Bi`ahdihi Mina Allāhi ۚ Fāstabshirū Bibay`ikumu Al-Ladhī Bāya`tum Bihi ۚ Wa Dhalika Huwa Al-Fawzu Al-`Ažīmu
009-111 इसमें तो शक़ ही नहीं कि ख़ुदा ने मोमिनीन से उनकी जानें और उनके माल इस बात पर ख़रीद लिए हैं कि (उनकी क़ीमत) उनके लिए बेहश्त है (इसी वजह से) ये लोग ख़ुदा की राह में लड़ते हैं तो (कुफ्फ़ार को) मारते हैं और ख़ुद (भी) मारे जाते हैं (ये) पक्का वायदा है (जिसका पूरा करना) ख़ुदा पर लाज़िम है और ऐसा पक्का है कि तौरैत और इन्जील और क़ुरान (सब) में (लिखा हुआ है) और अपने एहद का पूरा करने वाला ख़ुदा से बढ़कर कौन है तुम तो अपनी ख़रीद फरोख्त से जो तुमने ख़ुदा से की है खुशियाँ मनाओ यही तो बड़ी कामयाबी है
At-Tā'ibūna Al-`Ābidūna Al-Ĥāmidūna As-Sā'iĥūna Ar-Rāki`ūna As-Sājidūna Al-'Āmirūna Bil-Ma`rūfi Wa An-Nāhūna `Ani Al-Munkari Wa Al-Ĥāfižūna Liĥudūdi Allāhi ۗ Wa Bashshiri Al-Mu'uminīna
009-112 (ये लोग) तौबा करने वाले इबादत गुज़ार (ख़ुदा की) हम्दो सना (तारीफ़) करने वाले (उस की राह में) सफर करने वाले रूकूउ करने वाले सजदा करने वाले नेक काम का हुक्म करने वाले और बुरे काम से रोकने वाले और ख़ुदा की (मुक़र्रर की हुई) हदो को निगाह रखने वाले हैं और (ऐ रसूल) उन मोमिनीन को (बेहिश्त की) ख़ुशख़बरी दे दो
Mā Kāna Lilnnabīyi Wa Al-Ladhīna 'Āmanū 'An Yastaghfirū Lilmushrikīna Wa Law Kānū 'Ūlī Qurbá Min Ba`di Mā Tabayyana Lahum 'Annahum 'Aşĥābu Al-Jaĥīmi
009-113 नबी और मोमिनीन पर जब ज़ाहिर हो चुका कि मुशरेकीन जहन्नुमी है तो उसके बाद मुनासिब नहीं कि उनके लिए मग़फिरत की दुआएं माँगें अगरचे वह मुशरेकीन उनके क़राबतदार हो (क्यों न) हो
009-114 और इबराहीम का अपने बाप के लिए मग़फिरत की दुआ माँगना सिर्फ इस वायदे की वजह से था जो उन्होंने अपने बाप से कर लिया था फिर जब उनको मालूम हो गया कि वह यक़ीनी ख़ुदा का दुश्मन है तो उससे बेज़ार हो गए, बेशक इबराहीम यक़ीनन बड़े दर्दमन्द बुर्दबार (सहन करने वाले) थे
009-115 ख़ुदा की ये शान नहीं कि किसी क़ौम को जब उनकी हिदायत कर चुका हो उसके बाद बेशक ख़ुदा उन्हें गुमराह कर दे हत्ता (यहां तक) कि वह उन्हीं चीज़ों को बता दे जिससे वह परहेज़ करें बेशक ख़ुदा हर चीज़ से (वाक़िफ है)
'Inna Allāha Lahu Mulku As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۖ Yuĥyī Wa Yumītu ۚ Wa Mā Lakum Min Dūni Allāhi Min Wa Līyin Wa Lā Naşīrin
009-116 इसमें तो शक़ ही नहीं कि सारे आसमान व ज़मीन की हुकूमत ख़ुदा ही के लिए ख़ास है वही (जिसे चाहे) जिलाता है और (जिसे चाहे) मारता है और तुम लोगों का ख़ुदा के सिवा न कोई सरपरस्त है न मददगार
Laqad Tāba Allāhu `Alá An-Nabīyi Wa Al-Muhājirīna Wa Al-'Anşāri Al-Ladhīna Attaba`ūhu Fī Sā`ati Al-`Usrati Min Ba`di Mā Kāda Yazīghu Qulūbu Farīqin MinhumThumma Tāba `Alayhim ۚ 'Innahu BihimRa'ūfunRaĥīmun
009-117 अलबत्ता ख़ुदा ने नबी और उन मुहाजिरीन अन्सार पर बड़ा फज़ल किया जिन्होंने तंगदस्ती के वक्त रसूल का साथ दिया और वह भी उसके बाद कि क़रीब था कि उनमे ंसे कुछ लोगों के दिल जगमगा जाएँ फिर ख़ुदा ने उन पर (भी) फज़ल किया इसमें शक़ नहीं कि वह उन लोगों पर पड़ा तरस खाने वाला मेहरबान है
Wa `Alá Ath-Thalāthati Al-Ladhīna Khullifū Ĥattá 'Idhā Đāqat `Alayhimu Al-'Arđu Bimā Raĥubat Wa Đāqat `Alayhim 'Anfusuhum Wa Žannū 'An Lā Malja'a Mina Allāhi 'Illā 'Ilayhi Thumma Tāba `Alayhim Liyatūbū ۚ 'Inna Allāha Huwa At-Tawwābu Ar-Raĥīmu
009-118 और उन यमीमों पर (भी फज़ल किया) जो (जिहाद से पीछे रह गए थे और उन पर सख्ती की गई) यहाँ तक कि ज़मीन बावजूद उस वसअत (फैलाव) के उन पर तंग हो गई और उनकी जानें (तक) उन पर तंग हो गई और उन लोगों ने समझ लिया कि ख़ुदा के सिवा और कहीं पनाह की जगह नहीं फिर ख़ुदा ने उनको तौबा की तौफीक दी ताकि वह (ख़ुदा की तरफ) रूजू करें बेशक ख़ुदा ही बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान है
Mā Kāna Li'hli Al-Madīnati Wa Man Ĥawlahum Mina Al-'A`rābi 'An Yatakhallafū `AnRasūli Allāhi Wa Lā Yarghabū Bi'anfusihim `An Nafsihi ۚ Dhālika Bi'annahum Lā YuşībuhumŽama'un Wa Lā Naşabun Wa Lā Makhmaşatun Fī Sabīli Allāhi Wa Lā Yaţa'ūna Mawţi'āan Yaghīžu Al-Kuffāra Wa Lā Yanālūna Min `Adūwin Naylāan 'Illā Kutiba Lahum Bihi `AmalunŞāliĥun ۚ 'Inna Allāha Lā Yuđī`u 'Ajra Al-Muĥsinīna
009-120 मदीने के रहने वालों और उनके गिर्दोनवॉ (आस पास) देहातियों को ये जायज़ न था कि रसूल ख़ुदा का साथ छोड़ दें और न ये (जायज़ था) कि रसूल की जान से बेपरवा होकर अपनी जानों के बचाने की फ्रिक करें ये हुक्म उसी सबब से था कि उन (जिहाद करने वालों) को ख़ुदा की रूह में जो तकलीफ़ प्यास की या मेहनत या भूख की शिद्दत की पहुँचती है या ऐसी राह चलते हैं जो कुफ्फ़ार के ग़ैज़ (ग़ज़ब का बाइस हो या किसी दुश्मन से कुछ ये लोग हासिल करते हैं तो बस उसके ऐवज़ में (उनके नामए अमल में) एक नेक काम लिख दिया जाएगा बेशक ख़ुदा नेकी करने वालों का अज्र (व सवाब) बरबाद नहीं करता है
Wa Lā Yunfiqūna NafaqatanŞaghīratan Wa Lā Kabīratan Wa Lā Yaqţa`ūna Wa Adīāan 'Illā Kutiba Lahum Liyajziyahumu Allāhu 'Aĥsana Mā Kānū Ya`malūna
009-121 और ये लोग (ख़ुदा की राह में) थोड़ा या बहुत माल नहीं खर्च करते और किसी मैदान को नहीं क़तआ करते मगर फौरन (उनके नामाए अमल में) उनके नाम लिख दिया जाता है ताकि ख़ुदा उनकी कारगुज़ारियों का उन्हें अच्छे से अच्छा बदला अता फरमाए
Wa Mā Kāna Al-Mu'uminūna Liyanfirū Kāffatan ۚ Falawlā Nafara Min Kulli Firqatin MinhumŢā'ifatun Liyatafaqqahū Fī Ad-Dīni Wa Liyundhirū Qawmahum 'Idhā Raja`ū 'Ilayhim La`allahum Yaĥdharūna
009-122 और ये भी मुनासिब नहीं कि मोमिननि कुल के कुल (अपने घरों में) निकल खड़े हों उनमें से हर गिरोह की एक जमाअत (अपने घरों से) क्यों नहीं निकलती ताकि इल्मे दीन हासिल करे और जब अपनी क़ौम की तरफ पलट के आवे तो उनको (अज्र व आख़िरत से) डराए ताकि ये लोग डरें
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Qātilū Al-Ladhīna Yalūnakum Mina Al-Kuffāri Wa Līajidū FīkumGhilžatan ۚ Wa A`lamū 'Anna Allāha Ma`a Al-Muttaqīna
009-123 ऐ ईमानदारों कुफ्फार में से जो लोग तुम्हारे आस पास के है उन से लड़ों और (इस तरह लड़ना) चाहिए कि वह लोग तुम में करारापन महसूस करें और जान रखो कि बेशुबहा ख़ुदा परहेज़गारों के साथ है
Wa 'Idhā Mā 'Unzilat Sūratun Faminhum Man Yaqūlu 'Ayyukum Zādat/hu Hadhihi~ 'Īmānāan ۚ Fa'ammā Al-Ladhīna 'Āmanū Fazādat/hum 'Īmānāan Wa Hum Yastabshirūna
009-124 और जब कोई सूरा नाज़िल किया गया तो उन मुनाफिक़ीन में से (एक दूसरे से) पूछता है कि भला इस सूरे ने तुममें से किसी का ईमान बढ़ा दिया तो जो लोग ईमान ला चुके हैं उनका तो इस सूरे ने ईमान बढ़ा दिया और वह वहां उसकी ख़ुशियाँ मनाते है
009-126 क्या वह लोग (इतना भी) नहीं देखते कि हर साल एक मरतबा या दो मरतबा बला में मुबितला किए जाते हैं फिर भी न तो ये लोग तौबा ही करते हैं और न नसीहत ही मानते हैं
Wa 'Idhā Mā 'Unzilat Sūratun Nažara Ba`đuhum 'Ilá Ba`đin Hal Yarākum Min 'AĥadinThumma Anşarafū ۚ Şarafa Allāhu Qulūbahum Bi'annahumQawmun Lā Yafqahūna
009-127 और जब कोई सूरा नाज़िल किया गया तो उसमें से एक की तरफ एक देखने लगा (और ये कहकर कि) तुम को कोई मुसलमान देखता तो नहीं है फिर (अपने घर) पलट जाते हैं (ये लोग क्या पलटेगें गोया) ख़ुदा ने उनके दिलों को पलट दिया है इस सबब से कि ये बिल्कुल नासमझ लोग हैं
009-128 लोगों तुम ही में से (हमारा) एक रसूल तुम्हारे पास आ चुका (जिसकी शफ़क्क़त (मेहरबानी) की ये हालत है कि) उस पर शाक़ (दुख) है कि तुम तकलीफ उठाओ और उसे तुम्हारी बेहूदी का हौका है ईमानदारो पर हद दर्जे रफ़ीक़ मेहरबान हैं
Fa'in Tawallaw Faqul Ĥasbī Al-Lahu Lā 'Ilāha 'Illā Huwa ۖ `Alayhi Tawakkaltu ۖ Wa Huwa Rabbu Al-`Arshi Al-`Ažīmi
009-129 ऐ रसूल अगर इस पर भी ये लोग (तुम्हारे हुक्म से) मुँह फेरें तो तुम कह दो कि मेरे लिए ख़ुदा काफी है उसके सिवा कोई माबूद नहीं मैने उस पर भरोसा रखा है वही अर्श (ऐसे) बुर्जूग (मख़लूका का) मालिक है