Kadhālika Yūĥī 'Ilayka Wa 'Ilá Al-Ladhīna MinQablika Allāhu Al-`Azīzu Al-Ĥakīmu
042-003 (ऐ रसूल) ग़ालिब व दाना ख़ुदा तुम्हारी तरफ़ और जो (पैग़म्बर) तुमसे पहले गुज़रे उनकी तरफ यूँ ही वही भेजता रहता है जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है ग़रज़ सब कुछ उसी का है
Takādu As-Samāwātu Yatafaţţarna Min Fawqihinna Wa ۚ Al-Malā'ikatu Yusabbiĥūna Biĥamdi Rabbihim Wa Yastaghfirūna Liman Fī Al-'Arđi ۗ 'Alā 'Inna Allāha Huwa Al-Ghafūru Ar-Raĥīmu
042-005 (उनकी बातों से) क़रीब है कि सारे आसमान (उसकी हैबत के मारे) अपने ऊपर वार से फट पड़े और फ़रिश्ते तो अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तसबीह करते हैं और जो लोग ज़मीन में हैं उनके लिए (गुनाहों की) माफी माँगा करते हैं सुन रखो कि ख़ुदा ही यक़ीनन बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Wa Kadhalika 'Awĥaynā 'Ilayka Qur'ānāan `Arabīyāan Litundhira 'Umma Al-Qurá Wa Man Ĥawlahā Wa Tundhira Yawma Al-Jam`i Lā Rayba Fīhi ۚ Farīqun Fī Al-Jannati Wa Farīqun Fī As-Sa`īri
042-007 और हमने तुम्हारे पास अरबी क़ुरान यूँ भेजा ताकि तुम मक्का वालों को और जो लोग इसके इर्द गिर्द रहते हैं उनको डराओ और (उनको) क़यामत के दिन से भी डराओ जिस (के आने) में कुछ भी शक़ नहीं (उस दिन) एक फरीक़ (मानने वाला) जन्नत में होगा और फरीक़ (सानी) दोज़ख़ में
Wa Law Shā'a Allāhu Laja`alahum 'Ummatan Wāĥidatan Wa Lakin Yudkhilu Man Yashā'u Fī Raĥmatihi Wa ۚ Až-Žālimūna Mā Lahum Min Wa Līyin Wa Lā Naşīrin
042-008 और अगर ख़ुदा चाहता तो इन सबको एक ही गिरोह बना देता मगर वह तो जिसको चाहता है (हिदायत करके) अपनी रहमत में दाख़िल कर लेता है और ज़ालिमों का तो (उस दिन) न कोई यार है और न मददगार
Wa Mā Akhtalaftum Fīhi MinShay'in Faĥukmuhu~ 'Ilá Allāhi ۚ Dhalikumu Allāhu Rabbī `Alayhi Tawakkaltu Wa 'Ilayhi 'Unību
042-010 और तुम लोग जिस चीज़ में बाहम एख्तेलाफ़ात रखते हो उसका फैसला ख़ुदा ही के हवाले है वही ख़ुदा तो मेरा परवरदिगार है मैं उसी पर भरोसा रखता हूँ और उसी की तरफ रूजू करता हूँ
Fāţiru As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۚ Ja`ala Lakum Min 'Anfusikum 'Azwājāan Wa Mina Al-'An`ām 'Azwājāan ۖ Yadhra'uukum Fīhi ۚ Laysa Kamithlihi Shay'un ۖ Wa Huwa As-Samī`u Al-Başīru
042-011 सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करने वाला (वही) है उसी ने तुम्हारे लिए तुम्हारी ही जिन्स के जोड़े बनाए और चारपायों के जोड़े भी (उसी ने बनाए) उस (तरफ) में तुमको फैलाता रहता है कोई चीज़ उसकी मिसल नहीं और वह हर चीज़ को सुनता देखता है
Lahu Maqālīdu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۖ Yabsuţu Ar-Rizqa Liman Yashā'u Wa Yaqdiru ۚ 'Innahu Bikulli Shay'in `Alīmun
042-012 सारे आसमान व ज़मीन की कुन्जियाँ उसके पास हैं जिसके लिए चाहता है रोज़ी को फराख़ कर देता है (जिसके लिए) चाहता है तंग कर देता है बेशक वह हर चीज़ से ख़ूब वाक़िफ़ है
Shara`a Lakum Mina Ad-Dīni Mā Waşşá Bihi Nūĥāan Wa Al-Ladhī 'Awĥaynā 'Ilayka Wa Mā Waşşaynā Bihi~ 'Ibrāhīma Wa Mūsá Wa `Īsá ۖ 'An 'Aqīmū Ad-Dīna Wa Lā Tatafarraqū Fīhi ۚ Kabura `Alá Al-Mushrikīna Mā Tad`ūhum 'Ilayhi ۚ Allāhu Yajtabī 'Ilayhi Man Yashā'u Wa Yahdī 'Ilayhi Man Yunību
042-013 उसने तुम्हारे लिए दीन का वही रास्ता मुक़र्रर किया जिस (पर चलने का) नूह को हुक्म दिया था और (ऐ रसूल) उसी की हमने तुम्हारे पास वही भेजी है और उसी का इब्राहीम और मूसा और ईसा को भी हुक्म दिया था (वह) ये (है कि) दीन को क़ायम रखना और उसमें तफ़रक़ा न डालना जिस दीन की तरफ तुम मुशरेकीन को बुलाते हो वह उन पर बहुत शाक़ ग़ुज़रता है ख़ुदा जिसको चाहता है अपनी बारगाह का बरगुज़ीदा कर लेता है और जो उसकी तरफ रूजू करे (अपनी तरफ़ (पहुँचने) का रास्ता दिखा देता है
Wa Mā Tafarraqū 'Illā Min Ba`di Mā Jā'ahumu Al-`Ilmu Baghyāan Baynahum ۚ Wa Lawlā Kalimatun Sabaqat MinRabbika 'Ilá 'Ajalin Musamman Laquđiya Baynahum ۚ Wa 'Inna Al-Ladhīna 'Ūrithū Al-Kitāba Min Ba`dihim Lafī Shakkin Minhu Murībin
042-014 और ये लोग मुतफ़र्रिक़ हुए भी तो इल्म (हक़) आ चुकने के बाद और (वह भी) महज़ आपस की ज़िद से और अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से एक वक्ते मुक़र्रर तक के लिए (क़यामत का) वायदा न हो चुका होता तो उनमें कबका फैसला हो चुका होता और जो लोग उनके बाद (ख़ुदा की) किताब के वारिस हुए वह उसकी तरफ से बहुत सख्त शुबहे में (पड़े हुए) हैं
Falidhalika Fād`u ۖ Wa Astaqim Kamā 'Umirta ۖ Wa Lā Tattabi` 'Ahwā'ahum ۖ Wa Qul 'Āmantu Bimā 'Anzala Allāhu Min Kitābin ۖ Wa 'Umirtu Li'`dila Baynakumu ۖ Allāhu Rabbunā Wa Rabbukum ۖ Lanā 'A`mālunā Wa Lakum 'A`mālukum ۖ Lā Ĥujjata Baynanā Wa Baynakumu ۖ Allāhu Yajma`u Baynanā ۖ Wa 'Ilayhi Al-Maşīru
042-015 तो (ऐ रसूल) तुम (लोगों को) उसी (दीन) की तरफ बुलाते रहे जो और जैसा तुमको हुक्म हुआ है (उसी पर क़ायम रहो और उनकी नफ़सियानी ख्वाहिशों की पैरवी न करो और साफ़ साफ़ कह दो कि जो किताब ख़ुदा ने नाज़िल की है उस पर मैं ईमान रखता हूँ और मुझे हुक्म हुआ है कि मैं तुम्हारे एख्तेलाफात के (दरमेयान) इन्साफ़ (से फ़ैसला) करूँ ख़ुदा ही हमारा भी परवरदिगार है और वही तुम्हारा भी परवरदिगार है हमारी कारगुज़ारियाँ हमारे ही लिए हैं और तुम्हारी कारस्तानियाँ तुम्हारे वास्ते हममें और तुममें तो कुछ हुज्जत (व तक़रार की ज़रूरत) नहीं ख़ुदा ही हम (क़यामत में) सबको इकट्ठा करेगा
Wa Al-Ladhīna Yuĥājjūna Fī Al-Lahi Min Ba`di Mā Astujība Lahu Ĥujjatuhum Dāĥiđatun `Inda Rabbihim Wa `AlayhimGhađabun Wa Lahum `AdhābunShadīdun
042-016 और उसी की तरफ लौट कर जाना है और जो लोग उसके मान लिए जाने के बाद ख़ुदा के बारे में (ख्वाहमख्वाह) झगड़ा करते हैं उनके परवरदिगार के नज़दीक उनकी दलील लग़ो बातिल है और उन पर (ख़ुदा का) ग़ज़ब और उनके लिए सख्त अज़ाब है
042-018 (फिर ये ग़फ़लत कैसी) जो लोग इस पर ईमान नहीं रखते वह तो इसके लिए जल्दी कर रहे हैं और जो मोमिन हैं वह उससे डरते हैं और जानते हैं कि क़यामत यक़ीनी बरहक़ है आगाह रहो कि जो लोग क़यामत के बारे में शक़ किया करते हैं वह बड़े परले दर्जे की गुमराही में हैं
Man Kāna Yurīdu Ĥartha Al-'Ākhirati Nazid Lahu Fī Ĥarthihi ۖ Wa Man Kāna Yurīdu Ĥartha Ad-Dunyā Nu'utihi Minhā Wa Mā Lahu Fī Al-'Ākhirati Min Naşībin
042-020 जो शख़्श आखेरत की खेती का तालिब हो हम उसके लिए उसकी खेती में अफ़ज़ाइश करेंगे और दुनिया की खेती का ख़ास्तगार हो तो हम उसको उसी में से देंगे मगर आखेरत में फिर उसका कुछ हिस्सा न होगा
'Am LahumShurakā'u Shara`ū Lahum Mina Ad-Dīni Mā Lam Ya'dhan Bihi Allāhu ۚ Wa Lawlā Kalimatu Al-Faşli Laquđiya Baynahum ۗ Wa 'Inna Až-Žālimīna Lahum `Adhābun 'Alīmun
042-021 क्या उन लोगों के (बनाए हुए) ऐसे शरीक हैं जिन्होंने उनके लिए ऐसा दीन मुक़र्रर किया है जिसकी ख़ुदा ने इजाज़त नहीं दी और अगर फ़ैसले (के दिन) का वायदा न होता तो उनमें यक़ीनी अब तक फैसला हो चुका होता और ज़ालिमों के वास्ते ज़रूर दर्दनाक अज़ाब है
Tará Až-Žālimīna Mushfiqīna Mimmā Kasabū Wa Huwa Wāqi`un Bihim Wa ۗ Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Fī Rawđāti Al-Jannāti ۖ Lahum Mā Yashā'ūna `Inda Rabbihim ۚ Dhālika Huwa Al-Fađlu Al-Kabīru
042-022 (क़यामत के दिन) देखोगे कि ज़ालिम लोग अपने आमाल (के वबाल) से डर रहे होंगे और वह उन पर पड़ कर रहेगा और जिन्होने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे काम किए वह बेहिश्त के बाग़ों में होंगे वह जो कुछ चाहेंगे उनके लिए उनके परवरदिगार की बारगाह में (मौजूद) है यही तो (ख़ुदा का) बड़ा फज़ल है
042-023 यही (ईनाम) है जिसकी ख़ुदा अपने उन बन्दों को ख़ुशख़बरी देता है जो ईमान लाए और नेक काम करते रहे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं इस (तबलीग़े रिसालत) का अपने क़रातबदारों (अहले बैत) की मोहब्बत के सिवा तुमसे कोई सिला नहीं मांगता और जो शख़्श नेकी हासिल करेगा हम उसके लिए उसकी ख़ूबी में इज़ाफा कर देंगे बेशक वह बड़ा बख्शने वाला क़दरदान है
042-024 क्या ये लोग (तुम्हारी निस्बत कहते हैं कि इस (रसूल) ने ख़ुदा पर झूठा बोहतान बाँधा है तो अगर (ऐसा) होता तो) ख़ुदा चाहता तो तुम्हारे दिल पर मोहर लगा देता (कि तुम बात ही न कर सकते) और ख़ुदा तो झूठ को नेस्तनाबूद और अपनी बातों से हक़ को साबित करता है वह यक़ीनी दिलों के राज़ से ख़ूब वाक़िफ है
Wa Law Basaţa Allāhu Ar-Rizqa Li`ibādihi Labaghaw Fī Al-'Arđi Wa Lakin Yunazzilu Biqadarin Mā Yashā'u ۚ 'Innahu Bi`ibādihi Khabīrun Başīrun
042-027 और अगर ख़ुदा ने अपने बन्दों की रोज़ी में फराख़ी कर दे तो वह लोग ज़रूर (रूए) ज़मीन से सरकशी करने लगें मगर वह तो बाक़दरे मुनासिब जिसकी रोज़ी (जितनी) चाहता है नाज़िल करता है वह बेशक अपने बन्दों से ख़बरदार (और उनको) देखता है
Wa Huwa Al-Ladhī Yunazzilu Al-Ghaytha Min Ba`di Mā Qanaţū Wa YanshuruRaĥmatahu ۚ Wa Huwa Al-Walīyu Al-Ĥamīdu
042-028 और वही तो है जो लोगों के नाउम्मीद हो जाने के बाद मेंह बरसाता है और अपनी रहमत (बारिश की बरकतों) को फैला देता है और वही कारसाज़ (और) हम्द व सना के लायक़ है
Wa Min 'Āyātihi Khalqu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Mā Baththa Fīhimā Min Dābbatin ۚ Wa Huwa `Alá Jam`ihim 'Idhā Yashā'u Qadīrun
042-029 और उसी की (क़ुदरत की) निशानियों में से सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करना और उन जानदारों का भी जो उसने आसमान व ज़मीन में फैला रखे हैं और जब चाहे उनके जमा कर लेने पर (भी) क़ादिर है
042-033 अगर ख़ुदा चाहे तो हवा को ठहरा दे तो जहाज़ भी समन्दर की सतह पर (खड़े के खड़े) रह जाएँ बेशक तमाम सब्र और शुक्र करने वालों के वास्ते इन बातों में (ख़ुदा की क़ुदरत की) बहुत सी निशानियाँ हैं
Wa Ya`lama Al-Ladhīna Yujādilūna Fī 'Āyātinā Mā Lahum Min Maĥīşin
042-035 और वह बहुत कुछ माफ़ करता है और जो लोग हमारी निशानियों में (ख्वाहमाख्वाह) झगड़ा करते हैं वह अच्छी तरह समझ लें कि उनको किसी तरह (अज़ाब से) छुटकारा नहीं
Famā 'Ūtītum MinShay'in Famatā`u Al-Ĥayāati Ad-Dunyā ۖ Wa Mā `Inda Allāhi Khayrun Wa 'Abqá Lilladhīna 'Āmanū Wa `Alá Rabbihim Yatawakkalūna
042-036 (लोगों) तुमको जो कुछ (माल) दिया गया है वह दुनिया की ज़िन्दगी का (चन्द रोज़) साज़ोसामान है और जो कुछ ख़ुदा के यहाँ है वह कहीं बेहतर और पायदार है (मगर ये) ख़ास उन ही लोगों के लिए है जो ईमान लाए और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं
Wa Al-Ladhīna Astajābū Lirabbihim Wa 'Aqāmū Aş-Şalāata Wa 'AmruhumShūrá Baynahum Wa Mimmā Razaqnāhum Yunfiqūna
042-038 और जो अपने परवरदिगार का हुक्म मानते हैं और नमाज़ पढ़ते हैं और उनके कुल काम आपस के मशवरे से होते हैं और जो कुछ हमने उन्हें अता किया है उसमें से (राहे ख़ुदा में) ख़र्च करते हैं
Wa Jazā'u Sayyi'atin Sayyi'atun Mithluhā ۖ Faman `Afā Wa 'Aşlaĥa Fa'ajruhu `Alá Allāhi ۚ 'Innahu Lā Yuĥibbu Až-Žālimīna
042-040 और बुराई का बदला तो वैसी ही बुराई है उस पर भी जो शख्स माफ कर दे और (मामले की) इसलाह कर दें तो इसका सवाब ख़ुदा के ज़िम्मे है बेशक वह ज़ुल्म करने वालों को पसन्द नहीं करता
042-042 इल्ज़ाम तो बस उन्हीं लोगों पर होगा जो लोगों पर ज़ुल्म करते हैं और रूए ज़मीन में नाहक़ ज्यादतियाँ करते फिरते हैं उन्हीं लोगों के लिए दर्दनाक अज़ाब है
Wa Man Yuđlili Allāhu Famā Lahu Min Wa Līyin Min Ba`dihi ۗ Wa Tará Až-Žālimīna Lammā Ra'aw Al-`Adhāba Yaqūlūna Hal 'Ilá Maraddin Min Sabīlin
042-044 और जिसको ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे तो उसके बाद उसका कोई सरपरस्त नहीं और तुम ज़ालिमों को देखोगे कि जब (दोज़ख़) का अज़ाब देखेंगे तो कहेंगे कि भला (दुनिया में) फिर लौट कर जाने की कोई सबील है
Wa Tarāhum Yu`rađūna `Alayhā Khāshi`īna Mina Adh-Dhulli Yanžurūna MinŢarfin Khafīyin ۗ Wa Qāla Al-Ladhīna 'Āmanū 'Inna Al-Khāsirīna Al-Ladhīna Khasirū 'Anfusahum Wa 'Ahlīhim Yawma Al-Qiyāmati ۗ 'Alā 'Inna Až-Žālimīna Fī `Adhābin Muqīmin
042-045 और तुम उनको देखोगे कि दोज़ख़ के सामने लाए गये हैं (और) ज़िल्लत के मारे कटे जाते हैं (और) कनक्खियों से देखे जाते हैं और मोमिनीन कहेंगे कि हकीक़त में वही बड़े घाटे में हैं जिन्होने क़यामत के दिन अपने आप को और अपने घर वालों को ख़सारे में डाला देखो ज़ुल्म करने वाले दाएमी अज़ाब में रहेंगे
Astajībū Lirabbikum MinQabli 'An Ya'tiya Yawmun Lā Maradda Lahu Mina Allāhi ۚ Mā Lakum Min Malja'iin Yawma'idhin Wa Mā Lakum Min Nakīrin
042-047 (लोगों) उस दिन के पहले जो ख़ुदा की तरफ से आयेगा और किसी तरह (टाले न टलेगा) अपने परवरदिगार का हुक्म मान लो (क्यों कि) उस दिन न तो तुमको कहीं पनाह की जगह मिलेगी और न तुमसे (गुनाह का) इन्कार ही बन पड़ेगा
042-048 फिर अगर मुँह फेर लें तो (ऐ रसूल) हमने तुमको उनका निगेहबान बनाकर नहीं भेजा तुम्हारा काम तो सिर्फ (एहकाम का) पहुँचा देना है और जब हम इन्सान को अपनी रहमत का मज़ा चखाते हैं तो वह उससे ख़ुश हो जाता है और अगर उनको उन्हीं के हाथों की पहली करतूतों की बदौलत कोई तकलीफ पहुँचती (सब एहसान भूल गए) बेशक इन्सान बड़ा नाशुक्रा है
Lillāh Mulku As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۚ Yakhluqu Mā Yashā'u ۚ Yahabu Liman Yashā'u 'Ināthāan Wa Yahabu Liman Yashā'u Adh-Dhukūra
042-049 सारे आसमान व ज़मीन की हुकूमत ख़ास ख़ुदा ही की है जो चाहता है पैदा करता है (और) जिसे चाहता है (फ़क़त) बेटियाँ देता है और जिसे चाहता है (महज़) बेटा अता करता है
042-051 और किसी आदमी के लिए ये मुमकिन नहीं कि ख़ुदा उससे बात करे मगर वही के ज़रिए से (जैसे) (दाऊद) परदे के पीछे से जैसे (मूसा) या कोई फ़रिश्ता भेज दे (जैसे मोहम्मद) ग़रज़ वह अपने एख्तेयार से जो चाहता है पैग़ाम भेज देता है बेशक वह आलीशान हिकमत वाला है
Wa Kadhalika 'Awĥaynā 'Ilayka Rūĥāan Min 'Amrinā ۚ Mā Kunta Tadrī Mā Al-Kitābu Wa Lā Al-'Īmānu Wa Lakin Ja`alnāhu Nūrāan Nahdī Bihi Man Nashā'u Min `Ibādinā ۚ Wa 'Innaka Latahdī 'Ilá Şirāţin Mustaqīmin
042-052 और इसी तरह हमने अपने हुक्म को रूह (क़ुरान) तुम्हारी तरफ 'वही' के ज़रिए से भेजे तो तुम न किताब ही को जानते थे कि क्या है और न ईमान को मगर इस (क़ुरान) को एक नूर बनाया है कि इससे हम अपने बन्दों में से जिसकी चाहते हैं हिदायत करते हैं और इसमें शक़ नहीं कि तुम (ऐ रसूल) सीधा ही रास्ता दिखाते हो
042-053 (यानि) उसका रास्ता कि जो आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है सुन रखो सब काम ख़ुदा ही की तरफ रूजू होंगे और वही फैसला करेगा