033-002 और तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास जो ''वही'' की जाती है (बस) उसी की पैरवी करो तुम लोग जो कुछ कर रहे हो खुदा उससे यक़ीनी अच्छा तरह आगाह है।
Mā Ja`ala Allāhu Lirajulin MinQalbayni Fī Jawfihi ۚ Wa Mā Ja`ala 'Azwājakumu Al-Lā'ī Tužāhirūna Minhunna 'Ummahātikum ۚ Wa Mā Ja`ala 'Ad`iyā'akum 'Abnā'akum ۚ DhālikumQawlukum Bi'afwāhikum Wa ۖ Allāhu Yaqūlu Al-Ĥaqqa Wa Huwa Yahdī As-Sabīla
033-004 ख़ुदा ने किसी आदमी के सीने में दो दिल नहीं पैदा किये कि (एक ही वक्त दो इरादे कर सके) और न उसने तुम्हारी बीवियों को जिन से तुम जेहार करते हो तुम्हारी माएँ बना दी और न उसने तुम्हारे लिये पालकों को तुम्हारे बेटे बना दिये। ये तो फ़क़त तुम्हारी मुँह बोली बात (और ज़ुबानी जमा खर्च) है और (चाहे किसी को बुरी लगे या अच्छी) खुदा तो सच्ची कहता है और सीधी राह दिखाता है।
Ad`ūhum Li'abā'ihim Huwa 'Aqsaţu `Inda Allāhi ۚ Fa'in Lam Ta`lamū 'Ābā'ahum Fa'ikhwānukum Fī Ad-Dīni Wa Mawālīkum ۚ Wa Laysa `Alaykum Junāĥun Fīmā 'Akhţa'tum Bihi Wa Lakin Mā Ta`ammadat Qulūbukum ۚ Wa Kāna Allāhu GhafūrāanRaĥīmāan
033-005 लिये पालकों का उनके (असली) बापों के नाम से पुकारा करो यही खुदा के नज़दीक बहुत ठीक है हाँ अगर तुम लोग उनके असली बापों को न जानते हो तो तुम्हारे दीनी भाई और दोस्त हैं (उन्हें भाई या दोस्त कहकर पुकारा करो) और हाँ इसमें भूल चूक जाओ तो अलबत्ता उसका तुम पर कोई इल्ज़ाम नहीं है मगर जब तुम दिल से जानबूझ कर करो (तो ज़रूर गुनाह है) और खुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है।
An-Nabīyu 'Awlá Bil-Mu'uminīna Min 'Anfusihim ۖ Wa 'Azwājuhu~ 'Ummahātuhum ۗ Wa 'Ūlū Al-'Arĥāmi Ba`đuhum 'Awlá Biba`đin Fī Kitābi Allāhi Mina Al-Mu'uminīna Wa Al-Muhājirīna 'Illā 'An Taf`alū 'Ilá 'Awliyā'ikum Ma`rūfāan ۚ Kāna Dhālika Fī Al-Kitābi Masţūrāan
033-006 नबी तो मोमिनीन से खुद उनकी जानों से भी बढ़कर हक़ रखते हैं (क्योंकि वह गोया उम्मत के मेहरबान बाप हैं) और उनकी बीवियाँ (गोया) उनकी माएँ हैं और मोमिनीन व मुहाजिरीन में से (जो लोग बाहम) क़राबतदार हैं। किताबें खुदा की रूह से (ग़ैरों की निस्बत) एक दूसरे के (तर्के के) ज्यादा हक़दार हैं मगर (जब) तुम अपने दोस्तों के साथ सुलूक करना चाहो (तो दूसरी बात है) ये तो किताबे (खुदा) में लिखा हुआ (मौजूद) है
Wa 'Idh 'Akhadhnā Mina An-Nabīyīna Mīthāqahum Wa Minka Wa Min Nūĥin Wa 'Ibrāhīma Wa Mūsá Wa `Īsá Abni Maryama ۖ Wa 'Akhadhnā Minhum Mīthāqāan Ghalīžāan
033-007 और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब हमने और पैग़म्बरों से और ख़ास तुमसे और नूह और इबराहीम और मूसा और मरियम के बेटे ईसा से एहदो पैमाने लिया और उन लोगों से हमने सख्त एहद लिया था
Liyas'ala Aş-Şādiqīna `AnŞidqihim ۚ Wa 'A`adda Lilkāfirīna `Adhābāan 'Alīmāan
033-008 ताकि (क़यामत के दिन) सच्चों (पैग़म्बरों) से उनकी सच्चाई तबलीग़े रिसालत का हाल दरियाफ्त करें और काफिरों के वास्ते तो उसने दर्दनाक अज़ाब तैयार ही कर रखा है।
033-009 (ऐ ईमानदारों खुदा की) उन नेअमतों को याद करो जो उसने तुम पर नाज़िल की हैं (जंगे खन्दक में) जब तुम पर (काफिरों का) लशकर (उमड़ के) आ पड़ा तो (हमने तुम्हारी मदद की) उन पर ऑंधी भेजी और (इसके अलावा फरिश्तों का ऐसा लश्कर भेजा) जिसको तुमने देखा तक नहीं और तुम जो कुछ कर रहे थे खुदा उसे खूब देख रहा था
'Idh Jā'ūkum Min Fawqikum Wa Min 'Asfala Minkum Wa 'Idh Zāghati Al-'Abşāru Wa Balaghati Al-Qulūbu Al-Ĥanājira Wa Tažunnūna Billāhi Až-Žunūna
033-010 जिस वक्त वह लोग तुम पर तुम्हारे ऊपर से आ पड़े और तुम्हारे नीचे की तरफ से भी पिल गए और जिस वक्त (उनकी कसरत से) तुम्हारी ऑंखें ख़ैरा हो गयीं थी और (ख़ौफ से) कलेजे मुँह को आ गए थे और ख़ुदा पर तरह-तरह के (बुरे) ख्याल करने लगे थे।
Wa 'Idh Yaqūlu Al-Munāfiqūna Wa Al-Ladhīna Fī Qulūbihim Marađun Mā Wa`adanā Al-Lahu Wa Rasūluhu~ 'Illā Ghurūrāan
033-012 और जिस वक्त मुनाफेक़ीन और वह लोग जिनके दिलों में (कुफ्र का) मरज़ था कहने लगे थे कि खुदा ने और उसके रसूल ने जो हमसे वायदे किए थे वह बस बिल्कुल धोखे की टट्टी था।
Wa 'IdhQālatŢā'ifatun Minhum Yā 'Ahla Yathriba Lā Muqāma Lakum Fārji`ū ۚ Wa Yasta'dhinu Farīqun Minhumu An-Nabīya Yaqūlūna 'Inna Buyūtanā `Awratun Wa Mā Hiya Bi`awratin ۖ 'In Yurīdūna 'Illā Firārāan
033-013 और अब उनमें का एक गिरोह कहने लगा था कि ऐ मदीने वालों अब (दुश्मन के मुक़ाबलें में ) तुम्हारे कहीं ठिकाना नहीं तो (बेहतर है कि अब भी) पलट चलो और उनमें से कुछ लोग रसूल से (घर लौट जाने की) इजाज़त माँगने लगे थे कि हमारे घर (मर्दों से) बिल्कुल ख़ाली (गैर महफूज़) पड़े हुए हैं - हालाँकि वह ख़ाली (ग़ैर महफूज़) न थे (बल्कि) वह लोग तो (इसी बहाने से) बस भागना चाहते हैं
Wa Law Dukhilat `Alayhim Min 'Aqţārihā Thumma Su'ilū Al-Fitnata La'ātawhā Wa Mā Talabbathū Bihā 'Illā Yasīrāan
033-014 और अगर ऐसा ही लश्कर उन लोगों पर मदीने के एतराफ से आ पड़े और उन से फसाद (ख़ाना जंगी) करने की दरख्वास्त की जाए तो ये लोग उसके लिए (फौरन) आ मौजूद हों
Wa Laqad Kānū `Āhadū Allaha MinQablu Lā Yuwallūna Al-'Adbāra ۚ Wa Kāna `Ahdu Allāhi Mas'ūlāan
033-015 और (उस वक्त) अपने घरों में भी बहुत कम तवक्क़ुफ़ करेंगे (मगर ये तो जिहाद है) हालाँकि उन लोगों ने पहले ही खुदा से एहद किया था कि हम दुश्मन के मुक़ाबले में (अपनी) पीठ न फेरेंगे और खुदा के एहद की पूछगछ तो (एक न एक दिन) होकर रहेगी
Qul Lan Yanfa`akumu Al-Firāru 'In Farartum Mina Al-Mawti 'Awi Al-Qatli Wa 'Idhāan Lā Tumatta`ūna 'Illā Qalīlāan
033-016 (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि अगर तुम मौत का क़त्ल (के ख़ौफ) से भागे भी तो (यह) भागना तुम्हें हरगिज़ कुछ भी मुफ़ीद न होगा और अगर तुम भागकर बच भी गए तो बस यही न की दुनिया में चन्द रोज़ा और चैनकर लो
Qul ManDhā Al-Ladhī Ya`şimukum Mina Allāhi 'In 'Arāda Bikum Sū'āan 'Aw 'Arāda BikumRaĥmatan ۚ Wa Lā Yajidūna Lahum Min Dūni Allāhi Walīyāan Wa Lā Naşīrāan
033-017 (ऐ रसूल) तुम उनसे कह दो कि अगर खुदा तुम्हारे साथ बुराई का इरादा कर बैठे तो तुम्हें उसके (अज़ाब) से कौन ऐसा है जो बचाए या भलाई ही करना चाहे (तो कौन रोक सकता है) और ये लोग खुदा के सिवा न तो किसी को अपना सरपरस्त पाएँगे और न मद्दगार
Qad Ya`lamu Allāhu Al-Mu`awwiqīna Minkum Wa Al-Qā'ilīna Li'ikhwānihim Halumma 'Ilaynā ۖ Wa Lā Ya'tūna Al-Ba'sa 'Illā Qalīlāan
033-018 तुममें से जो लोग (दूसरों को जिहाद से) रोकते हैं खुदा उनको खूब जानता है और (उनको भी खूब जानता है) जो अपने भाई बन्दों से कहते हैं कि हमारे पास चले भी आओ और खुद भी (फक़त पीछा छुड़ाने को लड़ाई के खेत) में बस एक ज़रा सा आकर तुमसे अपनी जान चुराई
033-019 और चल दिए और जब (उन पर) कोई ख़ौफ (का मौक़ा) आ पड़ा तो देखते हो कि (आस से) तुम्हारी तरफ देखते हैं (और) उनकी ऑंखें इस तरह घूमती हैं जैसे किसी शख्स पर मौत की बेहोशी छा जाए फिर वह ख़ौफ (का मौक़ा) जाता रहा और ईमानदारों की फतेह हुई तो माले (ग़नीमत) पर गिरते पड़ते फौरन तुम पर अपनी तेज़ ज़बानों से ताना कसने लगे ये लोग (शुरू) से ईमान ही नहीं लाए (फक़त ज़बानी जमा ख़र्च थी) तो खुदा ने भी इनका किया कराया सब अकारत कर दिया और ये तो खुदा के वास्ते एक (निहायत) आसान बात थी
Yaĥsabūna Al-'Aĥzāba Lam Yadh/habū ۖ Wa 'In Ya'ti Al-'Aĥzābu Yawaddū Law 'Annahum Bādūna Fī Al-'A`rābi Yas'alūna `An 'Anbā'ikum ۖ Wa Law Kānū Fīkum Mā Qātalū 'Illā Qalīlāan
033-020 (मदीने का मुहासेरा करने वाले चल भी दिए मगर) ये लोग अभी यही समझ रहे हैं कि (काफ़िरों के) लश्कर अभी नहीं गए और अगर कहीं (कुफ्फार का) लश्कर फिर आ पहुँचे तो ये लोग चाहेंगे कि काश वह जंगलों में गँवारों में जा बसते और (वहीं से बैठे बैठे) तुम्हारे हालात दरयाफ्त करते रहते और अगर उनको तुम लोगों में रहना पड़ता तो फ़क़त (पीछा छुड़ाने को) ज़रा ज़हूर (कहीं) लड़ते
Laqad Kāna Lakum Fī Rasūli Allāhi 'Uswatun Ĥasanatun Liman Kāna Yarjū Allaha Wa Al-Yawma Al-'Ākhira Wa Dhakara Allāha Kathīrāan
033-021 (मुसलमानों) तुम्हारे वास्ते तो खुद रसूल अल्लाह का (ख़न्दक़ में बैठना) एक अच्छा नमूना था (मगर हाँ यह) उस शख्स के वास्ते है जो खुदा और रोजे आखेरत की उम्मीद रखता हो और खुदा की याद बाकसरत करता हो
Wa Lammā Ra'á Al-Mu'uminūna Al-'Aĥzāba Qālū Hādhā Mā Wa`adanā Al-Lahu Wa Rasūluhu Wa Şadaqa Allāhu Wa Rasūluhu ۚ Wa Mā Zādahum 'Illā 'Īmānāan Wa Taslīmāan
033-022 और जब सच्चे ईमानदारों ने (कुफ्फार के) जमघटों को देखा तो (बेतकल्लुफ़) कहने लगे कि ये वही चीज़ तो है जिसका हम से खुदा ने और उसके रसूल ने वायदा किया था (इसकी परवाह क्या है) और खुदा ने और उसके रसूल ने बिल्कुल ठीक कहा था और (इसके देखने से) उनका ईमानदार और उनकी इताअत और भी ज़िन्दा हो गयी
Mina Al-Mu'uminīna RijālunŞadaqū Mā `Āhadū Allaha `Alayhi ۖ Faminhum ManQađá Naĥbahu Wa Minhum Man Yantažiru ۖ Wa Mā Baddalū Tabdīlāan
033-023 ईमानदारों में से कुछ लोग ऐसे भी हैं कि खुदा से उन्होंने (जॉनिसारी का) जो एहद किया था उसे पूरा कर दिखाया ग़रज़ उनमें से बाज़ वह हैं जो (मर कर) अपना वक्त पूरा कर गए और उनमें से बाज़ (हुक्मे खुदा के) मुन्तज़िर बैठे हैं और उन लोगों ने (अपनी बात) ज़रा भी नहीं बदली
033-024 ये इम्तेहान इसलिए था ताकि खुद सच्चे (ईमानदारों) को उनकी सच्चाई की जज़ाए ख़ैर दे और अगर चाहे तो मुनाफेक़ीन की सज़ा करे या (अगर वह लागे तौबा करें तो) खुदा उनकी तौबा कुबूल फरमाए इसमें शक नहीं कि खुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Waradda Allāhu Al-Ladhīna Kafarū Bighayžihim Lam Yanālū Khayrāan ۚ Wa Kafá Allāhu Al-Mu'uminīna Al-Qitāla ۚ Wa Kāna Allāhu Qawīyāan `Azīzāan
033-025 और खुदा ने (अपनी कुदरत से) क़ाफिरों को मदीने से फेर दिया (और वह लोग) अपनी झुंझलाहट में (फिर गए) और इन्हें कुछ फायदे भी न हुआ और खुदा ने (अपनी मेहरबानी से) मोमिनीन को लड़ने की नौबत न आने दी और खुदा तो (बड़ा) ज़बरदस्त (और) ग़ालिब हैं
Wa 'Anzala Al-Ladhīna Žāharūhum Min 'Ahli Al-Kitābi MinŞayāşīhim Wa Qadhafa Fī Qulūbihimu Ar-Ru`ba Farīqāan Taqtulūna Wa Ta'sirūna Farīqāan
033-026 और अहले किताब में से जिन लोगों (बनी कुरैज़ा) ने उन (कुफ्फार) की मदद की थी खुदा उनको उनके क़िलों से (बेदख़ल करके) नीचे उतार लाया और उनके दिलों में (तुम्हारा) ऐसा रोब बैठा दिया कि तुम उनके कुछ लोगों को क़त्ल करने लगे
Wa 'Awrathakum 'Arđahum Wa Diyārahum Wa 'Amwālahum Wa 'Arđāan Lam Taţa'ūhā ۚ Wa Kāna Allāhu `Alá Kulli Shay'inQadīrāan
033-027 और कुछ को क़ैदी (और गुलाम) बनाने और तुम ही लोगों को उनकी ज़मीन और उनके घर और उनके माल और उस ज़मीन (खैबर) का खुदा ने मालिक बना दिया जिसमें तुमने क़दम तक नहीं रखा था और खुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर वतवाना है
Yā 'Ayyuhā An-Nabīyu Qul Li'zwājika 'In Kuntunna Turidna Al-Ĥayā Ata Ad-Dunyā Wa Zīnatahā Fata`ālayna 'Umatti`kunna Wa 'Usarriĥkunna Sarāĥāan Jamīlāan
033-028 ऐ रसूल अपनी बीवियों से कह दो कि अगर तुम (फक़त) दुनियावी ज़िन्दगी और उसकी आराइश व ज़ीनत की ख्वाहॉ हो तो उधर आओ मैं तुम लोगों को कुछ साज़ो सामान दे दूँ और उनवाने शाइस्ता से रूख़सत कर दूँ
Wa 'In Kuntunna Turidna Allāha Wa Rasūlahu Wa Ad-Dāra Al-'Ākhirata Fa'inna Allāha 'A`adda Lilmuĥsināti Minkunna 'Ajrāan `Ažīmāan
033-029 और अगर तुम लोग खुदा और उसके रसूल और आखेरत के घर की ख्वाहॉ हो तो (अच्छी तरह ख्याल रखो कि) तुम लोगों में से नेकोकार औरतों के लिए खुदा ने यक़ीनन् बड़ा (बड़ा) अज्र व (सवाब) मुहय्या कर रखा है
Yā Nisā'a An-Nabīyi Man Ya'ti Minkunna Bifāĥishatin Mubayyinatin Yuđā`af Lahā Al-`Adhābu Đi`fayni ۚ Wa Kāna Dhālika `Alá Allāhi Yasīrāan
033-030 ऐ पैग़म्बर की बीबियों तुममें से जो कोई किसी सरीही ना शाइस्ता हरकत की का मुरतिब हुई तो (याद रहे कि) उसका अज़ाब भी दुगना बढ़ा दिया जाएगा और खुदा के वास्ते (निहायत) आसान है
Wa Man Yaqnut Minkunna Lillāh Wa Rasūlihi Wa Ta`mal Şāliĥāan Nu'utihā 'Ajrahā Marratayni Wa 'A`tadnā Lahā Rizqāan Karīmāan
033-031 और तुममें से जो (बीवी) खुदा और उसके रसूल की ताबेदारी अच्छे (अच्छे) काम करेगी उसको हम उसका सवाब भी दोहरा अता करेगें और हमने उसके लिए (जन्नत में) इज्ज़त की रोज़ी तैयार कर रखी है
033-032 ऐ नबी की बीवियों तुम और मामूली औरतों की सी तो हो वही (बस) अगर तुम को परहेज़गारी मंजूर रहे तो (अजनबी आदमी से) बात करने में नरम नरम (लगी लिपटी) बात न करो ताकि जिसके दिल में (शहवते ज़िना का) मर्ज़ है वह (कुछ और) इरादा (न) करे
Wa Qarna Fī Buyūtikunna Wa Lā Tabarrajna Tabarruja Al-Jāhilīyati Al-'Ūlá ۖ Wa 'Aqimna Aş-Şalāata Wa 'Ātīna Az-Zakāata Wa 'Aţi`na Allāha Wa Rasūlahu~ ۚ 'Innamā Yurīdu Allāhu Liyudh/hiba `Ankumu Ar-Rijsa 'Ahla Al-Bayti Wa Yuţahhirakum Taţhīrāan
033-033 और (साफ-साफ) उनवाने शाइस्ता से बात किया करो और अपने घरों में निचली बैठी रहो और अगले ज़माने जाहिलियत की तरह अपना बनाव सिंगार न दिखाती फिरो और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ा करो और (बराबर) ज़कात दिया करो और खुदा और उसके रसूल की इताअत करो ऐ (पैग़म्बर के) अहले बैत खुदा तो बस ये चाहता है कि तुमको (हर तरह की) बुराई से दूर रखे और जो पाक व पाकीज़ा दिखने का हक़ है वैसा पाक व पाकीज़ा रखे
Wa Adhkurna Mā Yutlá Fī Buyūtikunna Min 'Āyāti Allāhi Wa Al-Ĥikmati ۚ 'Inna Allāha Kāna Laţīfāan Khabīrāan
033-034 और (ऐ नबी की बीबियों) तुम्हारे घरों में जो खुदा की आयतें और (अक़ल व हिकमत की बातें) पढ़ी जाती हैं उनको याद रखो कि बेशक ख़ुदा बड़ा बारीक है वाक़िफकार है
'Inna Al-Muslimīna Wa Al-Muslimāti Wa Al-Mu'uminīna Wa Al-Mu'umināti Wa Al-Qānitīna Wa Al-Qānitāti Wa Aş-Şādiqīna Wa Aş-Şādiqāti Wa Aş-Şābirīna Wa Aş-Şābirāti Wa Al-Khāshi`īna Wa Al-Khāshi`āti Wa Al-Mutaşaddiqīna Wa Al-Mutaşaddiqāti Wa Aş-Şā'imīna Wa Aş-Şā'imāti Wa Al-Ĥāfižīna Furūjahum Wa Al-Ĥāfižāti Wa Adh-Dhākirīna Allāha Kathīrāan Wa Adh-Dhākirāti 'A`adda Allāhu Lahum Maghfiratan Wa 'Ajrāan `Ažīmāan
033-035 (दिल लगा के सुनो) मुसलमान मर्द और मुसलमान औरतें और ईमानदार मर्द और ईमानदार औरतें और फरमाबरदार मर्द और फरमाबरदार औरतें और रास्तबाज़ मर्द और रास्तबाज़ औरतें और सब्र करने वाले मर्द और सब्र करने वाली औरतें और फिरौतनी करने वाले मर्द और फिरौतनी करने वाली औरतें और آैरात करने वाले मर्द और آैरात करने वाली औरतें और रोज़ादार मर्द और रोज़ादार औरतें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करने वाले मर्द और हिफाज़त करने वाली औरतें और खुदा की बकसरत याद करने वाले मर्द और याद करने वाली औरतें बेशक इन सब लोगों के वास्ते खुदा ने मग़फिरत और (बड़ा) सवाब मुहैय्या कर रखा है
Wa Mā Kāna Limu'uminin Wa Lā Mu'uminatin 'Idhā Qađá Allāhu Wa Rasūluhu~ 'Amrāan 'An Yakūna Lahumu Al-Khiyaratu Min 'Amrihim ۗ Wa Man Ya`şi Allāha Wa Rasūlahu FaqadĐalla Đalālāan Mubīnāan
033-036 और न किसी ईमानदार मर्द को ये मुनासिब है और न किसी ईमानदार औरत को जब खुदा और उसके रसूल किसी काम का हुक्म दें तो उनको अपने उस काम (के करने न करने) अख़तेयार हो और (याद रहे कि) जिस शख्स ने खुदा और उसके रसूल की नाफरमानी की वह यक़ीनन खुल्लम खुल्ला गुमराही में मुब्तिला हो चुका
Wa 'Idh Taqūlu Lilladhī 'An`ama Allāhu `Alayhi Wa 'An`amta `Alayhi 'Amsik `Alayka Zawjaka Wa Attaqi Allāha Wa Tukhfī Fī Nafsika Mā Al-Lahu Mubdīhi Wa Takhshá An-Nāsa Wa Allāhu 'Aĥaqqu 'An Takhshāhu ۖ Falammā Qađá Zaydun Minhā Waţarāan Zawwajnākahā Likay Lā Yakūna `Alá Al-Mu'uminīna Ĥarajun Fī 'Azwāji 'Ad`iyā'ihim 'Idhā Qađaw Minhunna Waţarāan ۚ Wa Kāna 'Amru Allāhi Maf`ūlāan
033-037 और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब तुम उस शख्स (ज़ैद) से कह रहे थे जिस पर खुदा ने एहसान (अलग) किया था और तुमने उस पर (अलग) एहसान किया था कि अपनी बीबी (ज़ैनब) को अपनी ज़ौज़ियत में रहने दे और खुदा से डेर खुद तुम इस बात को अपने दिल में छिपाते थे जिसको (आख़िरकार) खुदा ज़ाहिर करने वाला था और तुम लोगों से डरते थे हालॉकि खुदा इसका ज्यादा हक़दार है कि तुम उस से डरो ग़रज़ जब ज़ैद अपनी हाजत पूरी कर चुका (तलाक़ दे दी) तो हमने (हुक्म देकर) उस औरत (ज़ैनब) का निकाह तुमसे कर दिया ताकि आम मोमिनीन को अपने ले पालक लड़कों की बीवियों (से निकाह करने) में जब वह अपना मतलब उन औरतों से पूरा कर चुकें (तलाक़ दे दें) किसी तरह की तंगी न रहे और खुदा का हुक्म तो किया कराया हुआ (क़तई) होता है
033-038 जो हुक्म खुदा ने पैग़म्बर पर फर्ज क़र दिया (उसके करने) में उस पर कोई मुज़ाएका नहीं जो लोग (उनसे) पहले गुज़र चुके हैं उनके बारे में भी खुदा का (यही) दस्तूर (जारी) रहा है (कि निकाह में तंगी न की) और खुदा का हुक्म तो (ठीक अन्दाज़े से) मुक़र्रर हुआ होता है
Al-Ladhīna Yuballighūna Risālāti Allāhi Wa Yakhshawnahu Wa Lā Yakhshawna 'Aĥadāan 'Illā Al-Laha ۗ Wa Kafá Billāhi Ĥasībāan
033-039 वह लोग जो खुदा के पैग़ामों को (लोगों तक जूँ का तूँ) पहुँचाते थे और उससे डरते थे और खुदा के सिवा किसी से नहीं डरते थे (फिर तुम क्यों डरते हो) और हिसाब लेने के वास्ते तो खुद काफ़ी है
Mā Kāna Muĥammadun 'Abā 'Aĥadin MinRijālikum Wa LakinRasūla Allāhi Wa Khātama An-Nabīyīna ۗ Wa Kāna Allāhu Bikulli Shay'in `Alīmāan
033-040 (लोगों) मोहम्मद तुम्हारे मर्दों में से (हक़ीक़तन) किसी के बाप नहीं हैं (फिर जैद की बीवी क्यों हराम होने लगी) बल्कि अल्लाह के रसूल और नबियों की मोहर (यानी ख़त्म करने वाले) हैं और खुदा तो हर चीज़ से खूब वाक़िफ है
Huwa Al-Ladhī Yuşallī `Alaykum Wa Malā'ikatuhu Liyukhrijakum Mina Až-Žulumāti 'Ilá An-Nūri ۚ Wa Kāna Bil-Mu'uminīna Raĥīmāan
033-043 वह वही तो है जो खुद तुमपर दूरूद (दर्दों रहमत) भेजता है और उसके फ़रिश्ते ताकि तुमको (कुफ़्र की) तारीक़ियों से निकालकर (ईमान की) रौशनी में ले जाए और खुदा ईमानवालों पर बड़ा मेहरबान है
Taĥīyatuhum Yawma Yalqawnahu Salāmun ۚ Wa 'A`adda Lahum 'Ajrāan Karīmāan
033-044 जिस दिन उसकी बारगाह में हाज़िर होंगे (उस दिन) उनकी मुरादात (उसकी तरफ से हर क़िस्म की) सलामती होगी और खुदा ने तो उनके वास्ते बहुत अच्छा बदला (बेहश्त) तैयार रखा है
033-049 ऐ ईमानवालों जब तुम मोमिना औरतों से (बग़ैर मेहर मुक़र्रर किये) निकाह करो उसके बाद उन्हें अपने हाथ लगाने से पहले ही तलाक़ दे दो तो फिर तुमको उनपर कोई हक़ नहीं कि (उनसे) इद्दा पूरा कराओ उनको तो कुछ (कपड़े रूपये वग़ैरह) देकर उनवाने शाइस्ता से रूख़सत कर दो
Yā 'Ayyuhā An-Nabīyu 'Innā 'Aĥlalnā Laka 'Azwājaka Al-Lātī 'Ātayta 'Ujūrahunna Wa Mā Malakat Yamīnuka Mimmā 'Afā'a Allāhu `Alayka Wa Banāti `Ammika Wa Banāti `Ammātika Wa Banāti Khālika Wa Banāti Khālātika Al-Lātī Hājarna Ma`aka Wa Amra'atan Mu'uminatan 'In Wahabat Nafsahā Lilnnabīyi 'In 'Arāda An-Nabīyu 'An Yastankiĥahā Khālişatan Laka Min Dūni Al-Mu'uminīna ۗ Qad `Alimnā Mā Farađnā `Alayhim Fī 'Azwājihim Wa Mā Malakat 'Aymānuhum Likaylā Yakūna `Alayka Ĥarajun ۗ Wa Kāna Allāhu GhafūrāanRaĥīmāan
033-050 ऐ नबी हमने तुम्हारे वास्ते तुम्हारी उन बीवियों को हलाल कर दिया है जिनको तुम मेहर दे चुके हो और तुम्हारी उन लौंडियों को (भी) जो खुदा ने तुमको (बग़ैर लड़े-भिड़े) माले ग़नीमत में अता की है और तुम्हारे चचा की बेटियाँ और तुम्हारी फूफियों की बेटियाँ और तुम्हारे मामू की बेटियाँ और तुम्हारी ख़ालाओं की बेटियाँ जो तुम्हारे साथ हिजरत करके आयी हैं (हलाल कर दी और हर ईमानवाली औरत (भी हलाल कर दी) अगर वह अपने को (बग़ैर मेहर) नबी को दे दें और नबी भी उससे निकाह करना चाहते हों मगर (ऐ रसूल) ये हुक्म सिर्फ तुम्हारे वास्ते ख़ास है और मोमिनीन के लिए नहीं और हमने जो कुछ (मेहर या क़ीमत) आम मोमिनीन पर उनकी बीवियों और उनकी लौंडियों के बारे में मुक़र्रर कर दिया है हम खूब जानते हैं और (तुम्हारी रिआयत इसलिए है) ताकि तुमको (बीवियों की तरफ से) कोई दिक्क़त न हो और खुदा तो बड़ा बख़शने वाला मेहरबान है
Turjī Man Tashā'u Minhunna Wa Tu'uwī 'Ilayka Man Tashā'u ۖ Wa Mani Abtaghayta Mimman `Azalta Falā Junāĥa `Alayka ۚ Dhālika 'Adná 'An Taqarra 'A`yunuhunna Wa Lā Yaĥzanna Wa Yarđayna Bimā 'Ātaytahunna Kulluhunna Wa ۚ Allāhu Ya`lamu Mā Fī Qulūbikum ۚ Wa Kāna Allāhu `Alīmāan Ĥalīmāan
033-051 इनमें से जिसको (जब) चाहो अलग कर दो और जिसको (जब तक) चाहो अपने पास रखो और जिन औरतों को तुमने अलग कर दिया था अगर फिर तुम उनके ख्वाहॉ हो तो भी तुम पर कोई मज़ाएक़ा नहीं है ये (अख़तेयार जो तुमको दिया गया है) ज़रूर इस क़ाबिल है कि तुम्हारी बीवियों की ऑंखें ठन्डी रहे और आर्जूदा ख़ातिर न हो और वो कुछ तुम उन्हें दे दो सबकी सब उस पर राज़ी रहें और जो कुछ तुम्हारे दिलों में है खुदा उसको ख़ुब जानता है और खुदा तो बड़ा वाक़िफकार बुर्दबार है
Lā Yaĥillu Laka An-Nisā' Min Ba`du Wa Lā 'An Tabaddala Bihinna Min 'Azwājin Wa Law 'A`jabaka Ĥusnuhunna 'Illā Mā Malakat Yamīnuka ۗ Wa Kāna Allāhu `Alá Kulli Shay'inRaqībāan
033-052 (ऐ रसूल) अब उन (नौ) के बाद (और) औरतें तुम्हारे वास्ते हलाल नहीं और न ये जायज़ है कि उनके बदले उनमें से किसी को छोड़कर और बीबियाँ कर लो अगर चे तुमको उनका हुस्न कैसा ही भला (क्यों न) मालूम हो मगर तुम्हारी लौंडियाँ (इस के बाद भी जायज़ हैं) और खुदा तो हर चीज़ का निगरॉ है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Tadkhulū Buyūta An-Nabīyi 'Illā 'An Yu'udhana Lakum 'Ilá Ţa`āmin Ghayra Nāžirīna 'Ināhu Wa Lakin 'Idhā Du`ītum Fādkhulū Fa'idhā Ţa`imtum Fāntashirū Wa Lā Musta'nisīna Liĥadīthin ۚ 'Inna Dhālikum Kāna Yu'udhī An-Nabīya Fayastaĥyi Minkum Wa ۖ Allāhu Lā Yastaĥyi Mina Al-Ĥaqqi ۚ Wa 'Idhā Sa'altumūhunna Matā`āan Fās'alūhunna Min Warā'i Ĥijābin ۚ Dhālikum 'Aţharu Liqulūbikum Wa Qulūbihinna ۚ Wa Mā Kāna Lakum 'An Tu'udhū Rasūla Allāhi Wa Lā 'An Tankiĥū 'Azwājahu Min Ba`dihi~ 'Abadāan ۚ 'Inna Dhālikum Kāna `Inda Allāhi `Ažīmāan
033-053 ऐ ईमानदारों तुम लोग पैग़म्बर के घरों में न जाया करो मगर जब तुमको खाने के वास्ते (अन्दर आने की) इजाज़त दी जाए (लेकिन) उसके पकने का इन्तेज़ार (नबी के घर बैठकर) न करो मगर जब तुमको बुलाया जाए तो (ठीक वक्त पर) जाओ और फिर जब खा चुको तो (फौरन अपनी अपनी जगह) चले जाया करो और बातों में न लग जाया करो क्योंकि इससे पैग़म्बर को अज़ीयत होती है तो वह तुम्हारा लैहाज़ करते हैं और खुदा तो ठीक (ठीक कहने) से झेंपता नहीं और जब पैग़म्बर की बीवियों से कुछ माँगना हो तो पर्दे के बाहर से माँगा करो यही तुम्हारे दिलों और उनके दिलों के वास्ते बहुत सफाई की बात है और तुम्हारे वास्ते ये जायज़ नहीं कि रसूले खुदा को (किसी तरह) अज़ीयत दो और न ये जायज़ है कि तुम उसके बाद कभी उनकी बीवियों से निकाह करो बेशक ये ख़ुदा के नज़दीक बड़ा (गुनाह) है
Lā Junāĥa `Alayhinna Fī 'Ābā'ihinna Wa Lā 'Abnā'ihinna Wa Lā 'Ikhwānihinna Wa Lā 'Abnā'i 'Ikhwānihinna Wa Lā 'Abnā'i 'Akhawātihinna Wa Lā Nisā'ihinna Wa Lā Mā Malakat 'Aymānuhunna ۗ Wa Attaqīna Allāha ۚ 'Inna Allāha Kāna `Alá Kulli Shay'inShahīdāan
033-055 औरतों पर न अपने बाप दादाओं (के सामने होने) में कुछ गुनाह है और न अपने बेटों के और न अपने भाईयों के और न अपने भतीजों के और अपने भांजों के और न अपनी (क़िस्म कि) औरतों के और न अपनी लौंडियों के सामने होने में कुछ गुनाह है (ऐ पैग़म्बर की बीबियों) तुम लोग खुदा से डरती रहो इसमें कोई शक ही नहीं की खुदा (तुम्हारे आमाल में) हर चीज़ से वाक़िफ़ है
'Inna Al-Ladhīna Yu'udhūna Allāha Wa Rasūlahu La`anahumu Allāhu Fī Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati Wa 'A`adda Lahum `Adhābāan Muhīnāan
033-057 बेशक जो लोग खुदा को और उसके रसूल को अज़ीयत देते हैं उन पर खुदा ने दुनिया और आखेरत (दोनों) में लानत की है और उनके लिए रूसवाई का अज़ाब तैयार कर रखा है
Wa Al-Ladhīna Yu'udhūna Al-Mu'uminīna Wa Al-Mu'umināti Bighayri Mā Aktasabū Faqadi Aĥtamalū Buhtānāan Wa 'Ithmāan Mubīnāan
033-058 और जो लोग ईमानदार मर्द और ईमानदार औरतों को बगैर कुछ किए द्दरे (तोहमत देकर) अज़ीयत देते हैं तो वह एक बोहतान और सरीह गुनाह का बोझ (अपनी गर्दन पर) उठाते हैं
Yā 'Ayyuhā An-Nabīyu Qul Li'zwājika Wa Banātika Wa Nisā'i Al-Mu'uminīna Yudnīna `Alayhinna Min Jalābībihinna ۚ Dhālika 'Adná 'An Yu`rafna Falā Yu'udhayna ۗ Wa Kāna Allāhu GhafūrāanRaĥīmāan
033-059 ऐ नबी अपनी बीवियों और अपनी लड़कियों और मोमिनीन की औरतों से कह दो कि (बाहर निकलते वक्त) अपने (चेहरों और गर्दनों) पर अपनी चादरों का घूंघट लटका लिया करें ये उनकी (शराफ़त की) पहचान के वास्ते बहुत मुनासिब है तो उन्हें कोई छेड़ेगा नहीं और खुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
La'in Lam Yantahi Al-Munāfiqūna Wa Al-Ladhīna Fī Qulūbihim Marađun Wa Al-Murjifūna Fī Al-Madīnati Lanughriyannaka BihimThumma Lā Yujāwirūnaka Fīhā 'Illā Qalīlāan
033-060 ऐ रसूल मुनाफेक़ीन और वह लोग जिनके दिलों में (कुफ़्र का) मर्ज़ है और जो लोग मदीने में बुरी ख़बरें उड़ाया करते हैं- अगर ये लोग (अपनी शरारतों से) बाज़ न आएंगें तो हम तुम ही को (एक न एक दिन) उन पर मुसल्लत कर देगें फिर वह तुम्हारे पड़ोस में चन्द रोज़ों के सिवा ठहरने (ही) न पाएँगे
033-069 ऐ ईमानवालों (ख़बरदार कहीं) तुम लोग भी उनके से न हो जाना जिन्होंने मूसा को तकलीफ दी तो खुदा ने उनकी तोहमतों से मूसा को बरी कर दिया और मूसा खुदा के नज़दीक एक रवादार (इज्ज़त करने वाले) (पैग़म्बर) थे
Yuşliĥ Lakum 'A`mālakum Wa Yaghfir LakumDhunūbakum ۗ Wa Man Yuţi`i Allāha Wa Rasūlahu Faqad Fāza Fawzāan `Ažīmāan
033-071 तो खुदा तुम्हारी कारगुज़ारियों को दुरूस्त कर देगा और तुम्हारे गुनाह बख्श देगा और जिस शख्स ने खुदा और उसके रसूल की इताअत की वह तो अपनी मुराद को खूब अच्छी तरह पहुँच गया
'Innā `Arađnā Al-'Amānata `Alá As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Al-Jibāli Fa'abayna 'An Yaĥmilnahā Wa 'Ashfaqna Minhā Wa Ĥamalahā Al-'Insānu ۖ 'Innahu Kāna Žalūmāan Jahūlāan
033-072 बेशक हमने (रोज़े अज़ल) अपनी अमानत (इताअत इबादत) को सारे आसमान और ज़मीन पहाड़ों के सामने पेश किया तो उन्होंने उसके (बार) उठाने से इन्कार किया और उससे डर गए और आदमी ने उसे (बे ताम्मुल) उठा लिया बेशक इन्सान (अपने हक़ में) बड़ा ज़ालिम (और) नादान है
Liyu`adhdhiba Allāhu Al-Munāfiqīna Wa Al-Munāfiqāti Wa Al-Mushrikīna Wa Al-Mushrikāti Wa Yatūba Allāhu `Alá Al-Mu'uminīna Wa Al-Mu'umināti ۗ Wa Kāna Allāhu GhafūrāanRaĥīmāan
033-073 इसका नतीजा यह हुआ कि खुदा मुनाफिक़ मर्दों और मुनाफिक़ औरतों और मुशरिक मर्दों और मुशरिक औरतों को (उनके किए की) सज़ा देगा और ईमानदार मर्दों और ईमानदार औरतों की (तक़सीर अमानत की) तौबा क़ुबूल फरमाएगा और खुदा तो बड़ा बख़शने वाला मेहरबान है