Sūratun 'Anzalnāhā Wa Farađnāhā Wa 'Anzalnā Fīhā 'Āyātin Bayyinātin La`allakum Tadhakkarūna
024-001 (ये) एक सूरा है जिसे हमने नाज़िल किया है और उस (के एहक़ाम) को फर्ज क़र दिया है और इसमें हमने वाज़ेए व रौशन आयतें नाज़िल की हैं ताकि तुम (ग़ौर करके) नसीहत हासिल करो
Az-Zāniyatu Wa Az-Zānī Fājlidū Kulla Wāĥidin Minhumā Miā'ata Jaldatin ۖ Wa Lā Ta'khudhkum Bihimā Ra'fatun Fī Dīni Allāhi 'In Kuntum Tu'uminūna Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri ۖ Wa Līash/had `Adhābahumā Ţā'ifatun Mina Al-Mu'uminīna
024-002 ़ज़िना करने वाली औरत और ज़िना करने वाले मर्द इन दोनों में से हर एक को सौ (सौ) कोडे मारो और अगर तुम ख़ुदा और रोजे अाख़िरत पर ईमान रखते हो तो हुक्मे खुदा के नाफिज़ करने में तुमको उनके बारे में किसी तरह की तरस का लिहाज़ न होने पाए और उन दोनों की सज़ा के वक्त मोमिन की एक जमाअत को मौजूद रहना चाहिए
024-003 ज़िना करने वाला मर्द तो ज़िना करने वाली औरत या मुशरिका से निकाह करेगा और ज़िना करने वाली औरत भी बस ज़िना करने वाले ही मर्द या मुशरिक से निकाह करेगी और सच्चे ईमानदारों पर तो इस क़िस्म के ताल्लुक़ात हराम हैं
Wa Al-Ladhīna Yarmūna Al-Muĥşanāti Thumma Lam Ya'tū Bi'arba`ati Shuhadā'a FājlidūhumThamānīna Jaldatan Wa Lā Taqbalū LahumShahādatan 'Abadāan ۚ Wa 'Ūlā'ika Humu Al-Fāsiqūna
024-004 और जो लोग पाक दामन औरतों पर (ज़िना की) तोहमत लगाएँ फिर (अपने दावे पर) चार गवाह पेश न करें तो उन्हें अस्सी कोड़ें मारो और फिर (आइन्दा) कभी उनकी गवाही कुबूल न करो और (याद रखो कि) ये लोग ख़ुद बदकार हैं
Wa Al-Ladhīna Yarmūna 'Azwājahum Wa Lam Yakun LahumShuhadā'u 'Illā 'Anfusuhum Fashahādatu 'Aĥadihim 'Arba`u Shahādātin Billāhi~ ۙ 'Innahu Lamina Aş-Şādiqīna
024-006 और जो लोग अपनी बीवियों पर (ज़िना) का ऐब लगाएँ और (इसके सुबूत में) अपने सिवा उनका कोई गवाह न हो तो ऐसे लोगों में से एक की गवाही चार मरतबा इस तरह होगी कि वह (हर मरतबा) ख़ुदा की क़सम खाकर बयान करे कि वह (अपने दावे में) जरुर सच्चा है
Wa Lawlā Fađlu Allāhi `Alaykum Wa Raĥmatuhu Wa 'Anna Allāha Tawwābun Ĥakīmun
024-010 और अगर तुम पर ख़ुदा का फज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती तो देखते कि तोहमत लगाने वालों का क्या हाल होता और इसमें शक ही नहीं कि ख़ुदा बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला हकीम है
'Inna Al-Ladhīna Jā'ū Bil-'Ifki `Uşbatun Minkum ۚ Lā Taĥsabūhu Sharrāan Lakum ۖ Bal Huwa Khayrun Lakum ۚ Likulli Amri'in Minhum Mā Aktasaba Mina Al-'Ithmi Wa ۚ Al-Ladhī Tawallá Kibrahu Minhum Lahu `Adhābun `Ažīmun
024-011 बेशक जिन लोगों ने झूठी तोहमत लगायी वह तुम्ही में से एक गिरोह है तुम अपने हक़ में इस तोहमत को बड़ा न समझो बल्कि ये तुम्हारे हक़ में बेहतर है इनमें से जिस शख्स ने जितना गुनाह समेटा वह उस (की सज़ा) को खुद भुगतेगा और उनमें से जिस शख्स ने तोहमत का बड़ा हिस्सा लिया उसके लिए बड़ी (सख्त) सज़ा होगी
Lawlā 'Idh Sami`tumūhu Žanna Al-Mu'uminūna Wa Al-Mu'uminātu Bi'anfusihimKhayrāan Wa Qālū Hādhā 'Ifkun Mubīnun
024-012 और जब तुम लोगो ने उसको सुना था तो उसी वक्त ईमानदार मर्दों और ईमानदार औरतों ने अपने लोगों पर भलाई का गुमान क्यो न किया और ये क्यों न बोल उठे कि ये तो खुला हुआ बोहतान है
024-013 और जिन लोगों ने तोहमत लगायी थी अपने दावे के सुबूत में चार गवाह क्यों न पेश किए फिर जब इन लोगों ने गवाह न पेश किये तो ख़ुदा के नज़दीक यही लोग झूठे हैं
Wa Lawlā Fađlu Allāhi `Alaykum Wa Raĥmatuhu Fī Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati Lamassakum Fī Mā 'Afađtum Fīhi `Adhābun `Ažīmun
024-014 और अगर तुम लोगों पर दुनिया और आख़िरत में ख़ुदा का फज़ल (व करम) और उसकी रहमत न होती तो जिस बात का तुम लोगों ने चर्चा किया था उस की वजह से तुम पर कोई बड़ा (सख्त) अज़ाब आ पहुँचता
'Idh Talaqqawnahu Bi'alsinatikum Wa Taqūlūna Bi'afwāhikum Mā Laysa Lakum Bihi `Ilmun Wa Taĥsabūnahu Hayyināan Wa Huwa `Inda Allāhi `Ažīmun
024-015 कि तुम अपनी ज़बानों से इसको एक दूसरे से बयान करने लगे और अपने मुँह से ऐसी बात कहते थे जिसका तुम्हें इल्म व यक़ीन न था (और लुत्फ ये है कि) तुमने इसको एक आसान बात समझी थी हॉलाकि वह ख़ुदा के नज़दीक बड़ी सख्त बात थी
'Inna Al-Ladhīna Yuĥibbūna 'An Tashī`a Al-Fāĥishatu Fī Al-Ladhīna 'Āmanū Lahum `Adhābun 'Alīmun Fī Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati Wa ۚ Allāhu Ya`lamu Wa 'Antum Lā Ta`lamūna
024-019 जो लोग ये चाहते हैं कि ईमानदारों में बदकारी का चर्चा फैल जाए बेशक उनके लिए दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब है और ख़ुदा (असल हाल को) ख़ूब जानता है और तुम लोग नहीं जानते हो
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Tattabi`ū Khuţuwāti Ash-Shayţāni ۚ Wa Man Yattabi` Khuţuwāti Ash-Shayţāni Fa'innahu Ya'muru Bil-Faĥshā'i Wa Al-Munkari ۚ Wa Lawlā Fađlu Allāhi `Alaykum Wa Raĥmatuhu Mā Zakā Minkum Min 'Aĥadin 'Abadāan Wa Lakinna Allāha Yuzakkī Man Yashā'u Wa ۗ Allāhu Samī`un `Alīmun
024-021 (तो तुम देखते क्या होता) ऐ ईमानदारों शैतान के क़दम ब क़दम न चलो और जो शख्स शैतान के क़दम ब क़दम चलेगा तो वह यक़ीनन उसे बदकारी और बुरी बात (करने) का हुक्म देगा और अगर तुम पर ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) और उसकी रहमत न होती तो तुममें से कोई भी कभी पाक साफ न होता मगर ख़ुदा तो जिसे चहता है पाक साफ कर देता है और ख़ुदा बड़ा सुनने वाला वाकिफकार है
Wa Lā Ya'tali 'Ūlū Al-Fađli Minkum Wa As-Sa`ati 'An Yu'utū 'Ūlī Al-Qurbá Wa Al-Masākīna Wa Al-Muhājirīna Fī Sabīli Allāhi ۖ Wa Līa`fū Wa Līaşfaĥū ۗ 'Alā Tuĥibbūna 'An Yaghfira Allāhu Lakum Wa ۗ Allāhu GhafūrunRaĥīmun
024-022 और तुममें से जो लोग ज्यादा दौलत और मुक़द्दर वालें है क़राबतदारों और मोहताजों और ख़ुदा की राह में हिजरत करने वालों को कुछ देने (लेने) से क़सम न खा बैठें बल्कि उन्हें चाहिए कि (उनकी ख़ता) माफ कर दें और दरगुज़र करें क्या तुम ये नहीं चाहते हो कि ख़ुदा तुम्हारी ख़ता माफ करे और खुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
'Inna Al-Ladhīna Yarmūna Al-Muĥşanāti Al-Ghāfilāti Al-Mu'umināti Lu`inū Fī Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati Wa Lahum `Adhābun `Ažīmun
024-023 बेशक जो लोग पाक दामन बेख़बर और ईमानदार औरतों पर (ज़िना की) तोहमत लगाते हैं उन पर दुनिया और आख़िरत में (ख़ुदा की) लानत है और उन पर बड़ा (सख्त) अज़ाब होगा
Al-Khabīthātu Lilkhabīthīna Wa Al-Khabīthūna Lilkhabīthāti Wa ۖ Aţ-Ţayyibātu Lilţţayyibīna Wa Aţ-Ţayyibūna Lilţţayyibāti ۚ 'Ūlā'ika Mubarra'ūna Mimmā Yaqūlūna ۖ Lahum Maghfiratun Wa Rizqun Karīmun
024-026 गन्दी औरते गन्दें मर्दों के लिए (मुनासिब) हैं और गन्दे मर्द गन्दी औरतो के लिए और पाक औरतें पाक मर्दों के लिए (मौज़ूँ) हैं और पाक मर्द पाक औरतों के लिए लोग जो कुछ उनकी निस्बत बका करते हैं उससे ये लोग बुरी उल ज़िम्मा हैं उन ही (पाक लोगों) के लिए (आख़िरत में) बख़्शिस है
024-027 और इज्ज़त की रोज़ी ऐ ईमानदारों अपने घरों के सिवा दूसरे घरों में (दर्राना) न चले जाओ यहाँ तक कि उनसे इजाज़त ले लो और उन घरों के रहने वालों से साहब सलामत कर लो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है
Fa'in Lam Tajidū Fīhā 'Aĥadāan Falā Tadkhulūhā Ĥattá Yu'udhana Lakum ۖ Wa 'InQīla LakumArji`ū Fārji`ū ۖ Huwa 'Azká Lakum Wa ۚ Allāhu Bimā Ta`malūna `Alīmun
024-028 (ये नसीहत इसलिए है) ताकि तुम याद रखो पस अगर तुम उन घरों में किसी को न पाओ तो तावाक़फियत कि तुम को (ख़ास तौर पर) इजाज़त न हासिल हो जाए उन में न जाओ और अगर तुम से कहा जाए कि फिर जाओ तो तुम (बे ताम्मुल) फिर जाओ यही तुम्हारे वास्ते ज्यादा सफाई की बात है और तुम जो कुछ भी करते हो ख़ुदा उससे खूब वाकिफ़ है
Laysa `Alaykum Junāĥun 'An Tadkhulū Buyūtāan Ghayra Maskūnatin Fīhā Matā`un Lakum Wa ۚ Allāhu Ya`lamu Mā Tubdūna Wa Mā Taktumūna
024-029 इसमें अलबत्ता तुम पर इल्ज़ाम नहीं कि ग़ैर आबाद मकानात में जिसमें तुम्हारा कोई असबाब हो (बे इजाज़त) चले जाओ और जो कुछ खुल्लम खुल्ला करते हो और जो कुछ छिपाकर करते हो खुदा (सब कुछ) जानता है
Qul Lilmu'uminīna Yaghuđđū Min 'Abşārihim Wa Yaĥfažū Furūjahum ۚ Dhālika 'Azká Lahum ۗ 'Inna Allāha Khabīrun Bimā Yaşna`ūna
024-030 (ऐ रसूल) ईमानदारों से कह दो कि अपनी नज़रों को नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें यही उनके वास्ते ज्यादा सफाई की बात है ये लोग जो कुछ करते हैं ख़ुदा उससे यक़ीनन ख़ूब वाक़िफ है
Wa Qul Lilmu'umināti Yaghđuđna Min 'Abşārihinna Wa Yaĥfažna Furūjahunna Wa Lā Yubdīna Zīnatahunna 'Illā Mā Žahara Minhā ۖ Wa Līađribna Bikhumurihinna `Alá Juyūbihinna ۖ Wa Lā Yubdīna Zīnatahunna 'Illā Libu`ūlatihinna 'Aw 'Ābā'ihinna 'Aw 'Ābā'i Bu`ūlatihinna 'Aw 'Abnā'ihinna 'Aw 'Abnā'i Bu`ūlatihinna 'Aw 'Ikhwānihinna 'Aw Banī 'Ikhwānihinna 'Aw Banī 'Akhawātihinna 'Aw Nisā'ihinna 'Aw Mā Malakat 'Aymānuhunna 'Awi At-Tābi`īna Ghayri 'Ūlī Al-'Irbati Mina Ar-Rijāli 'Awi Aţ-Ţifli Al-Ladhīna Lam Yažharū `Alá `Awrāti An-Nisā' ۖ Wa Lā Yađribna Bi'arjulihinna Liyu`lama Mā Yukhfīna Min Zīnatihinna ۚ Wa Tūbū 'Ilá Allāhi Jamī`āan 'Ayyuhā Al-Mu'uminūna La`allakum Tufliĥūna
024-031 और (ऐ रसूल) ईमानदार औरतों से भी कह दो कि वह भी अपनी नज़रें नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें और अपने बनाव सिंगार (के मक़ामात) को (किसी पर) ज़ाहिर न होने दें मगर जो खुद ब खुद ज़ाहिर हो जाता हो (छुप न सकता हो) (उसका गुनाह नही) और अपनी ओढ़नियों को (घूँघट मारके) अपने गरेबानों (सीनों) पर डाले रहें और अपने शौहर या अपने बाप दादाओं या आपने शौहर के बाप दादाओं या अपने बेटों या अपने शौहर के बेटों या अपने भाइयों या अपने भतीजों या अपने भांजों या अपने (क़िस्म की) औरतों या अपनी या अपनी लौंडियों या (घर के) नौकर चाकर जो मर्द सूरत हैं मगर (बहुत बूढे होने की वजह से) औरतों से कुछ मतलब नहीं रखते या वह कमसिन लड़के जो औरतों के पर्दे की बात से आगाह नहीं हैं उनके सिवा (किसी पर) अपना बनाव सिंगार ज़ाहिर न होने दिया करें और चलने में अपने पाँव ज़मीन पर इस तरह न रखें कि लोगों को उनके पोशीदा बनाव सिंगार (झंकार वग़ैरह) की ख़बर हो जाए और ऐ ईमानदारों तुम सबके सब ख़ुदा की बारगाह में तौबा करो ताकि तुम फलाह पाओ
Wa 'Ankiĥū Al-'Ayāmá Minkum Wa Aş-Şāliĥīna Min `Ibādikum Wa 'Imā'ikum ۚ 'In Yakūnū Fuqarā'a Yughnihimu Allāhu Min Fađlihi Wa ۗ Allāhu Wāsi`un `Alīmun
024-032 और अपनी (क़ौम की) बेशौहर औरतों और अपने नेक बख्त गुलामों और लौंडियों का निकाह कर दिया करो अगर ये लोग मोहताज होंगे तो खुदा अपने फज़ल व (करम) से उन्हें मालदार बना देगा और ख़ुदा तो बड़ी गुन्जाइश वाला वाक़िफ कार है
Wa Līasta`fifi Al-Ladhīna Lā Yajidūna Nikāĥāan Ĥattá Yughniyahumu Allāhu Min Fađlihi Wa ۗ Al-Ladhīna Yabtaghūna Al-Kitāba Mimmā Malakat 'Aymānukum Fakātibūhum 'In `Alimtum FīhimKhayrāan ۖ Wa 'Ātūhum Min Māli Allāhi Al-Ladhī 'Ātākum ۚ Wa Lā Tukrihū Fatayātikum `Alá Al-Bighā'i 'In 'Aradna Taĥaşşunāan Litabtaghū `Arađa Al-Ĥayāati Ad-Dunyā ۚ Wa Man Yukrihhunna Fa'inna Allāha Min Ba`di 'Ikrāhihinna GhafūrunRaĥīmun
024-033 और जो लोग निकाह करने का मक़दूर नहीं रखते उनको चाहिए कि पाक दामिनी एख्तियार करें यहाँ तक कि ख़ुदा उनको अपने फज़ल व (करम) से मालदार बना दे और तुम्हारी लौन्डी ग़ुलामों में से जो मकातबत होने (कुछ रुपए की शर्त पर आज़ादी का सरख़त लेने) की ख्वाहिश करें तो तुम अगर उनमें कुछ सलाहियत देखो तो उनको मकातिब कर दो और ख़ुदा के माल से जो उसने तुम्हें अता किया है उनका भी दो और तुम्हारी लौन्डियाँ जो पाक दामन ही रहना चाहती हैं उनको दुनियावी ज़िन्दगी के फायदे हासिल करने की ग़रज़ से हराम कारी पर मजबूर न करो और जो शख्स उनको मजबूर करेगा तो इसमें शक नहीं कि ख़ुदा उसकी बेबसी के बाद बड़ा बख्शने वाले मेहरबान है
Wa Laqad 'Anzalnā 'Ilaykum 'Āyātin Mubayyinātin Wa Mathalāan Mina Al-Ladhīna Khalaw MinQablikum Wa Maw`ižatan Lilmuttaqīna
024-034 और (ईमानदारों) हमने तो तुम्हारे पास (अपनी) वाज़ेए व रौशन आयतें और जो लोग तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनकी हालतें और परहेज़गारों के लिए नसीहत (की बाते) नाज़िल की
Al-Lahu Nūru As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۚ Mathalu Nūrihi Kamishkāatin Fīhā Mişbāĥun ۖ Al-Mişbāĥu Fī Zujājatin ۖ Az-Zujājatu Ka'annahā Kawkabun Durrīyun Yūqadu MinShajaratin Mubārakatin Zaytūniatin Lā Sharqīyatin Wa Lā Gharbīyatin Yakādu Zaytuhā Yuđī'u Wa Law Lam Tamsas/hu Nārun ۚ Nūrun `Alá Nūrin ۗ Yahdī Al-Lahu Linūrihi Man Yashā'u ۚ Wa Yađribu Allāhu Al-'Amthāla Lilnnāsi Wa ۗ Allāhu Bikulli Shay'in `Alīmun
024-035 ख़ुदा तो सारे आसमान और ज़मीन का नूर है उसके नूर की मिसल (ऐसी) है जैसे एक ताक़ (सीना) है जिसमे एक रौशन चिराग़ (इल्मे शरीयत) हो और चिराग़ एक शीशे की क़न्दील (दिल) में हो (और) क़न्दील (अपनी तड़प में) गोया एक जगमगाता हुआ रौशन सितारा (वह चिराग़) जैतून के मुबारक दरख्त (के तेल) से रौशन किया जाए जो न पूरब की तरफ हो और न पश्चिम की तरफ (बल्कि बीचों बीच मैदान में) उसका तेल (ऐसा) शफ्फाफ हो कि अगरचे आग उसे छुए भी नही ताहम ऐसा मालूम हो कि आप ही आप रौशन हो जाएगा (ग़रज़ एक नूर नहीं बल्कि) नूर आला नूर (नूर की नूर पर जोत पड़ रही है) ख़ुदा अपने नूर की तरफ जिसे चाहता है हिदायत करता है और ख़ुदा तो हर चीज़ से खूब वाक़िफ है
Fī Buyūtin 'Adhina Allāhu 'An Turfa`a Wa Yudhkara Fīhā Asmuhu Yusabbiĥu Lahu Fīhā Bil-Ghudūwi Wa Al-'Āşāli
024-036 (वह क़न्दील) उन घरों में रौशन है जिनकी निस्बत ख़ुदा ने हुक्म दिया कि उनकी ताज़ीम की जाए और उनमें उसका नाम लिया जाए जिनमें सुबह व शाम वह लोग उसकी तस्बीह किया करते हैं
Rijālun Lā Tulhīhim Tijāratun Wa Lā Bay`un `AnDhikri Allāhi Wa 'Iqāmi Aş-Şalāati Wa 'Ītā'i Az-Zakāati ۙ Yakhāfūna Yawmāan Tataqallabu Fīhi Al-Qulūbu Wa Al-'Abşāru
024-037 ऐसे लोग जिनको ख़ुदा के ज़िक्र और नमाज़ पढ़ने और ज़कात अदा करने से न तो तिजारत ही ग़ाफिल कर सकती है न (ख़रीद फरोख्त) (का मामला क्योंकि) वह लोग उस दिन से डरते हैं जिसमें ख़ौफ के मारे दिल और ऑंखें उलट जाएँगी
Liyajziyahumu Allāhu 'Aĥsana Mā `Amilū Wa Yazīdahum Min Fađlihi Wa ۗ Allāhu Yarzuqu Man Yashā'u Bighayri Ĥisābin
024-038 (उसकी इबादत इसलिए करते हैं) ताकि ख़ुदा उन्हें उनके आमाल का बेहतर से बेहतर बदला अता फरमाए और अपने फज़ल व करम से कुछ और ज्यादा भी दे और ख़ुदा तो जिसे चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है
Wa Al-Ladhīna Kafarū 'A`māluhum Kasarābin Biqī`atin Yaĥsabuhu Až-Žam'ānu Mā'an Ĥattá 'Idhā Jā'ahu Lam Yajid/hu Shay'āan Wa Wajada Allāha `Indahu Fawaffāhu Ĥisābahu Wa ۗ Allāhu Sarī`u Al-Ĥisābi
024-039 और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उनकी कारस्तानियाँ (ऐसी है) जैसे एक चटियल मैदान का चमकता हुआ बालू कि प्यासा उस को दूर से देखे तो पानी ख्याल करता है यहाँ तक कि जब उसके पास आया तो उसको कुछ भी न पाया (और प्यास से तड़प कर मर गया) और ख़ुदा को अपने पास मौजूद पाया तो उसने उसका हिसाब (किताब) पूरा पूरा चुका दिया और ख़ुदा तो बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है
'Aw Kažulumātin Fī Baĥrin Lujjīyin Yaghshāhu Mawjun Min Fawqihi Mawjun Min Fawqihi Saĥābun ۚ Žulumātun Ba`đuhā Fawqa Ba`đin 'Idhā 'Akhraja Yadahu Lam Yakad Yarāhā ۗ Wa Man Lam Yaj`ali Allāhu Lahu Nūrāan Famā Lahu Min Nūrin
024-040 (या काफिरों के आमाल की मिसाल) उस बड़े गहरे दरिया की तारिकियों की सी है- जैसे एक लहर उसके ऊपर दूसरी लहर उसके ऊपर अब्र (तह ब तह) ढॉके हुए हो (ग़रज़) तारिकियाँ है कि एक से ऊपर एक (उमड़ी) चली आती हैं (इसी तरह से) कि अगर कोइ शख्स अपना हाथ निकाले तो (शिद्दत तारीकी से) उसे देख न सके और जिसे खुद ख़ुदा ही ने (हिदायत की) रौशनी न दी हो तो (समझ लो कि) उसके लिए कहीं कोई रौशनी नहीं है
'Alam Tará 'Anna Allāha Yusabbiĥu Lahu Man Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Aţ-ŢayruŞāffātin ۖ KullunQad `Alima Şalātahu Wa Tasbīĥahu Wa ۗ Allāhu `Alīmun Bimā Yaf`alūna
024-041 (ऐ शख्स) क्या तूने इतना भी नहीं देखा कि जितनी मख़लूक़ात सारे आसमान और ज़मीन में हैं और परिन्दें पर फैलाए (ग़रज़ सब) उसी को तस्बीह किया करते हैं सब के सब अपनी नमाज़ और अपनी तस्बीह का तरीक़ा खूब जानते हैं और जो कुछ ये किया करते हैं ख़ुदा उससे खूब वाक़िफ है
'Alam Tará 'Anna Allāha Yuzjī SaĥābāanThumma Yu'uallifu Baynahu Thumma Yaj`aluhuRukāmāan Fatará Al-Wadqa Yakhruju Min Khilālihi Wa Yunazzilu Mina As-Samā'i Min Jibālin Fīhā Min Baradin Fayuşību Bihi Man Yashā'u Wa Yaşrifuhu `An Man Yashā'u ۖ Yakādu Sanā Barqihi Yadh/habu Bil-'Abşāri
024-043 क्या तूने उस पर भी नज़र नहीं की कि यक़ीनन ख़ुदा ही अब्र को चलाता है फिर वही बाहम उसे जोड़ता है-फिर वही उसे तह ब तह रखता है तब तू तो बारिश उसके दरमियान से निकलते हुए देखता है और आसमान में जो (जमे हुए बादलों के) पहाड़ है उनमें से वही उसे बरसाता है- फिर उन्हें जिस (के सर) पर चाहता है पहुँचा देता है- और जिस (के सर) से चाहता है टाल देता है- क़रीब है कि उसकी बिजली की कौन्द आखों की रौशनी उचके लिये जाती है
Wa Allāhu Khalaqa Kulla Dābbatin Min Mā'in ۖ Faminhum Man Yamshī `Alá Baţnihi Wa Minhum Man Yamshī `Alá Rijlayni Wa Minhum Man Yamshī `Alá 'Arba`in ۚ Yakhluqu Allāhu Mā Yashā'u ۚ 'Inna Allāha `Alá Kulli Shay'inQadīrun
024-045 और ख़ुदा ही ने तमाम ज़मीन पर चलने वाले (जानवरों) को पानी से पैदा किया उनमें से बाज़ तो ऐसे हैं जो अपने पेट के बल चलते हैं और बाज़ उनमें से ऐसे हैं जो दो पाँव पर चलते हैं और बाज़ उनमें से ऐसे हैं जो चार पावों पर चलते हैं- ख़ुदा जो चाहता है पैदा करता है इसमें शक नहीं कि खुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
Wa Yaqūlūna 'Āmannā Billāhi Wa Bir-Rasūli Wa 'Aţa`nā Thumma Yatawallá Farīqun Minhum Min Ba`di Dhālika ۚ Wa Mā 'Ūlā'ika Bil-Mu'uminīna
024-047 और (जो लोग ऐसे भी है जो) कहते हैं कि ख़ुदा पर और रसूल पर ईमान लाए और हमने इताअत क़ुबूल की- फिर उसके बाद उन में से कुछ लोग (ख़ुदा के हुक्म से) मुँह फेर लेते हैं और (सच यूँ है कि) ये लोग ईमानदार थे ही नहीं
'Afī Qulūbihim Marađun 'AmArtābū 'Am Yakhāfūna 'An Yaĥīfa Allāhu `Alayhim Wa Rasūluhu ۚ Bal 'Ūlā'ika Humu Až-Žālimūn
024-050 क्या उन के दिल में (कुफ्र का) मर्ज़ (बाक़ी) है या शक में पड़े हैं या इस बात से डरते हैं कि (मुबादा) ख़ुदा और उसका रसूल उन पर ज़ुल्म कर बैठेगा- (ये सब कुछ नहीं) बल्कि यही लोग ज़ालिम हैं
'Innamā Kāna Qawla Al-Mu'uminīna 'Idhā Du`ū 'Ilá Allāhi Wa Rasūlihi Liyaĥkuma Baynahum 'An Yaqūlū Sami`nā Wa 'Aţa`nā ۚ Wa 'Ūlā'ika Humu Al-Mufliĥūna
024-051 ईमानदारों का क़ौल तो बस ये है कि जब उनको ख़ुदा और उसके रसूल के पास बुलाया जाता है ताकि उनके बाहमी झगड़ों का फैसला करो तो कहते हैं कि हमने (हुक्म) सुना और (दिल से) मान लिया और यही लोग (आख़िरत में) कामयाब होने वाले हैं
024-053 और (ऐ रसूल) उन (मुनाफेक़ीन) ने तुम्हारी इताअत की ख़ुदा की सख्त से सख्त क़समें खाई कि अगर तुम उन्हें हुक्म दो तो बिला उज़्र (घर बार छोड़कर) निकल खडे हों- तुम कह दो कि क़समें न खाओ दस्तूर के मुवाफिक़ इताअत (इससे बेहतर) और बेशक तुम जो कुछ करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है
Qul 'Aţī`ū Allaha Wa 'Aţī`ū Ar-Rasūla ۖ Fa'in Tawallaw Fa'innamā `Alayhi Mā Ĥummila Wa `Alaykum Mā Ĥummiltum ۖ Wa 'In Tuţī`ūhu Tahtadū ۚ Wa Mā `Alá Ar-Rasūli 'Illā Al-Balāghu Al-Mubīnu
024-054 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा की इताअत करो और रसूल की इताअत करो इस पर भी अगर तुम सरताबी करोगे तो बस रसूल पर इतना ही (तबलीग़) वाजिब है जिसके वह ज़िम्मेदार किए गए हैं और जिसके ज़िम्मेदार तुम बनाए गए हो तुम पर वाजिब है और अगर तुम उसकी इताअत करोगे तो हिदायत पाओगे और रसूल पर तो सिर्फ साफ तौर पर (एहकाम का) पहुँचाना फर्ज है
Wa`ada Allāhu Al-Ladhīna 'Āmanū Minkum Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Layastakhlifannahum Fī Al-'Arđi Kamā Astakhlafa Al-Ladhīna MinQablihim Wa Layumakkinanna Lahum Dīnahumu Al-Ladhī Artađá Lahum Wa Layubaddilannahum Min Ba`di Khawfihim 'Amnāan ۚ Ya`budūnanī Lā Yushrikūna Bī Shay'āan ۚ Wa Man Kafara Ba`da Dhālika Fa'ūlā'ika Humu Al-Fāsiqūna
024-055 (ऐ ईमानदारों) तुम में से जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उन से ख़ुदा ने वायदा किया कि उन को (एक न एक) दिन रुए ज़मीन पर ज़रुर (अपना) नाएब मुक़र्रर करेगा जिस तरह उन लोगों को नाएब बनाया जो उनसे पहले गुज़र चुके हैं और जिस दीन को उसने उनके लिए पसन्द फरमाया है (इस्लाम) उस पर उन्हें ज़रुर ज़रुर पूरी क़ुदरत देगा और उनके ख़ाएफ़ होने के बाद (उनकी हर आस को) अमन से ज़रुर बदल देगा कि वह (इत्मेनान से) मेरी ही इबादत करेंगे और किसी को हमारा शरीक न बनाएँगे और जो शख्स इसके बाद भी नाशुक्री करे तो ऐसे ही लोग बदकार हैं
Lā Taĥsabanna Al-Ladhīna Kafarū Mu`jizīna Fī Al-'Arđi ۚ Wa Ma'wāhumu An-Nāru ۖ Wa Labi'sa Al-Maşīru
024-057 और (ऐ रसूल) तुम ये ख्याल न करो कि कुफ्फार (इधर उधर) ज़मीन मे (फैल कर हमें) आजिज़ कर देगें (ये ख़ुद आजिज़ हो जाएगें) और उनका ठिकाना तो जहन्नुम है और क्या बुरा ठिकाना है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Liyasta'dhinkumu Al-Ladhīna Malakat 'Aymānukum Wa Al-Ladhīna Lam Yablughū Al-Ĥuluma MinkumThalātha Marrātin ۚ MinQabli Şalāati Al-Fajri Wa Ĥīna Tađa`ūna Thiyā Bakum Mina Až-Žahīrati Wa Min Ba`di Şalāati ۚ Al-`Ishā'i Thalāthu `Awrātin ۚ Lakum Laysa `Alaykum Wa Lā `Alayhim Junāĥun ۚ Ba`dahunna Ţawwāfūna `Alaykum Ba`đukum `Alá ۚ Ba`đin Kadhālika Yubayyinu Allāhu Lakumu ۗ Al-'Āyā Ti Wa Allāhu `Alīmun Ĥakīmun
024-058 ऐ ईमानदारों तुम्हारी लौन्डी ग़ुलाम और वह लड़के जो अभी तक बुलूग़ की हद तक नहीं पहुँचे हैं उनको भी चाहिए कि (दिन रात में) तीन मरतबा (तुम्हारे पास आने की) तुमसे इजाज़त ले लिया करें तब आएँ (एक) नमाज़ सुबह से पहले और (दूसरे) जब तुम (गर्मी से) दोपहर को (सोने के लिए मामूलन) कपड़े उतार दिया करते हो (तीसरी) नमाजे इशा के बाद (ये) तीन (वक्त) तुम्हारे परदे के हैं इन अवक़ात के अलावा (बे अज़न आने मे) न तुम पर कोई इल्ज़ाम है-न उन पर (क्योंकि) उन अवक़ात के अलावा (ब ज़रुरत या बे ज़रुरत) लोग एक दूसरे के पास चक्कर लगाया करते हैं- यँ ख़ुदा (अपने) एहकाम तुम से साफ साफ बयान करता है और ख़ुदा तो बड़ा वाकिफ़कार हकीम है
024-059 और (ऐ ईमानदारों) जब तुम्हारे लड़के हदे बुलूग को पहुँचें तो जिस तरह उन के कब्ल (बड़ी उम्र) वाले (घर में आने की) इजाज़त ले लिया करते थे उसी तरह ये लोग भी इजाज़त ले लिया करें-यूँ ख़ुदा अपने एहकाम साफ साफ बयान करता है और ख़ुदा तो बड़ा वाकिफकार हकीम है
Wa Al-Qawā`idu Mina An-Nisā' Al-Lātī Lā Yarjūna Nikāĥāan Falaysa `Alayhinna Junāĥun 'An Yađa`na Thiyābahunna Ghayra Mutabarrijātin Bizīnatin ۖ Wa 'An Yasta`fifna Khayrun Lahunna Wa ۗ Allāhu Samī`un `Alīmun
024-060 और बूढ़ी बूढ़ी औरतें जो (बुढ़ापे की वजह से) निकाह की ख्वाहिश नही रखती वह अगर अपने कपड़े (दुपट्टे वगैराह) उतारकर (सर नंगा) कर डालें तो उसमें उन पर कुछ गुनाह नही है- बशर्ते कि उनको अपना बनाव सिंगार दिखाना मंज़ूर न हो और (इस से भी) बचें तो उनके लिए और बेहतर है और ख़ुदा तो (सबकी सब कुछ) सुनता और जानता है
024-061 इस बात में न तो अंधे आदमी के लिए मज़ाएक़ा है और न लँगड़ें आदमी पर कुछ इल्ज़ाम है- और न बीमार पर कोई गुनाह है और न ख़ुद तुम लोगो पर कि अपने घरों से खाना खाओ या अपने बाप दादा नाना बग़ैरह के घरों से या अपनी माँ दादी नानी वगैरह के घरों से या अपने भाइयों के घरों से या अपनी बहनों के घरों से या अपने चचाओं के घरों से या अपनी फूफ़ियों के घरों से या अपने मामूओं के घरों से या अपनी खालाओं के घरों से या उस घर से जिसकी कुन्जियाँ तुम्हारे हाथ में है या अपने दोस्तों (के घरों) से इस में भी तुम पर कोई इल्ज़ाम नहीं कि सब के सब मिलकर खाओ या अलग अलग फिर जब तुम घर वालों में जाने लगो (और वहाँ किसी का न पाओ) तो ख़ुद अपने ही ऊपर सलाम कर लिया करो जो ख़ुदा की तरफ से एक मुबारक पाक व पाकीज़ा तोहफा है- ख़ुदा यूँ (अपने) एहकाम तुमसे साफ साफ बयान करता है ताकि तुम समझो
024-062 सच्चे ईमानदार तो सिर्फ वह लोग हैं जो ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाए और जब किसी ऐसे काम के लिए जिसमें लोंगों के जमा होने की ज़रुरत है- रसूल के पास होते हैं जब तक उससे इजाज़त न ले ली न गए (ऐ रसूल) जो लोग तुम से (हर बात में) इजाज़त ले लेते हैं वे ही लोग (दिल से) ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाए हैं तो जब ये लोग अपने किसी काम के लिए तुम से इजाज़त माँगें तो तुम उनमें से जिसको (मुनासिब ख्याल करके) चाहो इजाज़त दे दिया करो और खुदा उसे उसकी बख़्शिस की दुआ भी करो बेशक खुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
024-063 (ऐ ईमानदारों) जिस तरह तुम में से एक दूसरे को (नाम ले कर) बुलाया करते हैं उस तरह आपस में रसूल का बुलाना न समझो ख़ुदा उन लोगों को खूब जानता है जो तुम में से ऑंख बचा के (पैग़म्बर के पास से) खिसक जाते हैं- तो जो लोग उसके हुक्म की मुख़ालफत करते हैं उनको इस बात से डरते रहना चाहिए कि (मुबादा) उन पर कोई मुसीबत आ पडे या उन पर कोई दर्दनाक अज़ाब नाज़िल हो
'Alā 'Inna Lillāh Mā Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۖ Qad Ya`lamu Mā 'Antum `Alayhi Wa Yawma Yurja`ūna 'Ilayhi Fayunabbi'uhum Bimā `Amilū Wa ۗ Allāhu Bikulli Shay'in `Alīmun
024-064 ख़बरदार जो कुछ सारे आसमान व ज़मीन में है (सब) यक़ीनन ख़ुदा ही का है जिस हालत पर तुम हो ख़ुदा ख़ूब जानता है और जिस दिन उसके पास ये लोग लौटा कर लाएँ जाएँगें तो जो कुछ उन लोगों ने किया कराया है बता देगा और ख़ुदा तो हर चीज़ से खूब वाकिफ है