Khatama Allāhu `Alá Qulūbihim Wa `Alá Sam`ihim ۖ Wa `Alá 'AbşārihimGhishāwatun ۖ Wa Lahum `Adhābun `Ažīmun
002-007 उनके दिलों पर और उनके कानों पर (नज़र करके) खुदा ने तसदीक़ कर दी है (कि ये ईमान न लाएँगे) और उनकी ऑंखों पर परदा (पड़ा हुआ) है और उन्हीं के लिए (बहुत) बड़ा अज़ाब है
Wa 'Idhā Qīla Lahum 'Āminū Kamā 'Āmana An-Nāsu Qālū 'Anu'uminu Kamā 'Āmana As-Sufahā'u ۗ 'Alā 'Innahum Humu As-Sufahā'u Wa Lakin Lā Ya`lamūna
002-013 और जब उनसे कहा जाता है कि जिस तरह और लोग ईमान लाए हैं तुम भी ईमान लाओ तो कहते हैं क्या हम भी उसी तरह ईमान लाएँ जिस तरह और बेवकूफ़ लोग ईमान लाएँ, ख़बरदार हो जाओ लोग बेवक़ूफ़ हैं लेकिन नहीं जानते
Wa 'Idhā Laqū Al-Ladhīna 'Āmanū Qālū 'Āmannā Wa 'Idhā Khalaw 'Ilá ShayāţīnihimQālū 'Innā Ma`akum 'Innamā Naĥnu Mustahzi'ūna
002-014 और जब उन लोगों से मिलते हैं जो ईमान ला चुके तो कहते हैं हम तो ईमान ला चुके और जब अपने शैतानों के साथ तनहा रह जाते हैं तो कहते हैं हम तुम्हारे साथ हैं हम तो (मुसलमानों को) बनाते हैं
002-017 उन लोगों की मिसाल (तो) उस शख्स की सी है जिसने (रात के वक्त मजमे में) भड़कती हुईआग रौशन की फिर जब आग (के शोले) ने उसके गिर्दों पेश (चारों ओर) खूब उजाला कर दिया तो खुदा ने उनकी रौशनी ले ली और उनको घटाटोप अंधेरे में छोड़ दिया
'Aw Kaşayyibin Mina As-Samā'i Fīhi Žulumātun Wa Ra`dun Wa Barqun Yaj`alūna 'Aşābi`ahum Fī 'Ādhānihim Mina Aş-Şawā`iqi Ĥadhara Al-Mawti Wa ۚ Allāhu Muĥīţun Bil-Kāfirīna
002-019 या उनकी मिसाल ऐसी है जैसे आसमानी बारिश जिसमें तारिकियाँ ग़र्ज़ बिजली हो मौत के खौफ से कड़क के मारे अपने कानों में ऊँगलियाँ दे लेते हैं हालाँकि खुदा काफ़िरों को (इस तरह) घेरे हुए है (कि उसक हिल नहीं सकते)
Yakādu Al-Barqu Yakhţafu 'Abşārahum ۖ Kullamā 'Ađā'a Lahum Mashaw Fīhi Wa 'Idhā 'Ažlama `AlayhimQāmū ۚ Wa Law Shā'a Allāhu Ladhahaba Bisam`ihim Wa 'Abşārihim ۚ 'Inna Allāha `Alá Kulli Shay'inQadīrun
002-020 क़रीब है कि बिजली उनकी ऑंखों को चौन्धिया दे जब उनके आगे बिजली चमकी तो उस रौशनी में चल खड़े हुए और जब उन पर अंधेरा छा गया तो (ठिठके के) खड़े हो गए और खुदा चाहता तो यूँ भी उनके देखने और सुनने की कूवतें छीन लेता बेशक खुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
Al-Ladhī Ja`ala Lakumu Al-'Arđa Firāshāan Wa As-Samā'a Binā'an Wa 'Anzala Mina As-Samā'i Mā'an Fa'akhraja Bihi Mina Ath-Thamarāti Rizqāan Lakum ۖ Falā Taj`alū Lillāh 'Andādāan Wa 'Antum Ta`lamūna
002-022 जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन का बिछौना और आसमान को छत बनाया और आसमान से पानी बरसाया फिर उसी ने तुम्हारे खाने के लिए बाज़ फल पैदा किए पस किसी को खुदा का हमसर न बनाओ हालाँकि तुम खूब जानते हो
Wa 'In Kuntum Fī Raybin Mimmā Nazzalnā `Alá `Abdinā Fa'tū Bisūratin Min Mithlihi Wa Ad`ū Shuhadā'akum Min Dūni Allāhi 'In KuntumŞādiqīna
002-023 और अगर तुम लोग इस कलाम से जो हमने अपने बन्दे (मोहम्मद) पर नाज़िल किया है शक में पड़े हो पस अगर तुम सच्चे हो तो तुम (भी) एक सूरा बना लाओ और खुदा के सिवा जो भी तुम्हारे मददगार हों उनको भी बुला लो
Wa Bashshiri Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti 'Anna Lahum Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'Anhāru ۖ Kullamā Ruziqū Minhā MinThamaratinRizqāan ۙ Qālū Hādhā Al-Ladhī Ruziqnā MinQablu ۖ Wa 'Utū Bihi Mutashābihāan ۖ Wa Lahum Fīhā 'Azwājun Muţahharatun ۖ Wa Hum Fīhā Khālidūna
002-025 और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने नेक काम किए उनको (ऐ पैग़म्बर) खुशख़बरी दे दो कि उनके लिए (बेहिश्त के) वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरे जारी हैं जब उन्हें इन बाग़ात का कोई मेवा खाने को मिलेगा तो कहेंगे ये तो वही (मेवा है जो पहले भी हमें खाने को मिल चुका है) (क्योंकि) उन्हें मिलती जुलती सूरत व रंग के (मेवे) मिला करेंगे और बेहिश्त में उनके लिए साफ सुथरी बीवियाँ होगी और ये लोग उस बाग़ में हमेशा रहेंगे
002-026 बेशक खुदा मच्छर या उससे भी बढ़कर (हक़ीर चीज़) की कोई मिसाल बयान करने में नहीं झेंपता पस जो लोग ईमान ला चुके हैं वह तो ये यक़ीन जानते हैं कि ये (मिसाल) बिल्कुल ठीक है और ये परवरदिगार की तरफ़ से है (अब रहे) वह लोग जो काफ़िर है पस वह बोल उठते हैं कि खुदा का उस मिसाल से क्या मतलब है, ऐसी मिसाल से ख़ुदा बहुतेरों की हिदायत करता है मगर गुमराही में छोड़ता भी है तो ऐसे बदकारों को
Al-Ladhīna Yanquđūna `Ahda Allāhi Min Ba`di Mīthāqihi Wa Yaqţa`ūna Mā 'Amara Allāhu Bihi~ 'An Yūşala Wa Yufsidūna Fī Al-'Arđi ۚ 'Ūlā'ika Humu Al-Khāsirūna
002-027 जो लोग खुदा के एहदो पैमान को मज़बूत हो जाने के बाद तोड़ डालते हैं और जिन (ताल्लुक़ात) का खुदा ने हुक्म दिया है उनको क़ताआ कर देते हैं और मुल्क में फसाद करते फिरते हैं, यही लोग घाटा उठाने वाले हैं
002-028 (हाँए) क्यों कर तुम खुदा का इन्कार कर सकते हो हालाँकि तुम (माओं के पेट में) बेजान थे तो उसी ने तुमको ज़िन्दा किया फिर वही तुमको मार डालेगा, फिर वही तुमको (दोबारा क़यामत में) ज़िन्दा करेगा फिर उसी की तरफ लौटाए जाओगे
Huwa Al-Ladhī Khalaqa Lakum Mā Fī Al-'Arđi Jamī`āanThumma Astawá 'Ilá As-Samā'i Fasawwāhunna Sab`a Samāwātin ۚ Wa Huwa Bikulli Shay'in `Alīmun
002-029 वही तो वह (खुदा) है जिसने तुम्हारे (नफ़े) के ज़मीन की कुल चीज़ों को पैदा किया फिर आसमान (के बनाने) की तरफ़ मुतावज्जेह हुआ तो सात आसमान हमवार (व मुसतहकम) बना दिए और वह (खुदा) हर चीज़ से (खूब) वाक़िफ है
Wa 'IdhQāla Rabbuka Lilmalā'ikati 'Innī Jā`ilun Fī Al-'Arđi Khalīfatan ۖ Qālū 'Ataj`alu Fīhā Man Yufsidu Fīhā Wa Yasfiku Ad-Dimā'a Wa Naĥnu Nusabbiĥu Biĥamdika Wa Nuqaddisu Laka ۖ Qāla 'Innī 'A`lamu Mā Lā Ta`lamūna
002-030 और (ऐ रसूल) उस वक्त क़ो याद करो जब तुम्हारे परवरदिगार ने फ़रिश्तों से कहा कि मैं (अपना) एक नाएब ज़मीन में बनानेवाला हूँ (फरिश्ते ताज्जुब से) कहने लगे क्या तू ज़मीन ऐसे शख्स को पैदा करेगा जो ज़मीन में फ़साद और खूँरेज़ियाँ करता फिरे हालाँकि (अगर) ख़लीफा बनाना है (तो हमारा ज्यादा हक़ है) क्योंकि हम तेरी तारीफ व तसबीह करते हैं और तेरी पाकीज़गी साबित करते हैं तब खुदा ने फरमाया इसमें तो शक ही नहीं कि जो मैं जानता हूँ तुम नहीं जानते
002-031 और (आदम की हक़ीक़म ज़ाहिर करने की ग़रज़ से) आदम को सब चीज़ों के नाम सिखा दिए फिर उनको फरिश्तों के सामने पेश किया और फ़रमाया कि अगर तुम अपने दावे में कि हम मुस्तहके ख़िलाफ़त हैं। सच्चे हो तो मुझे इन चीज़ों के नाम बताओ
002-032 तब फ़रिश्तों ने (आजिज़ी से) अर्ज़ की तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है हम तो जो कुछ तूने बताया है उसके सिवा कुछ नहीं जानते तू बड़ा जानने वाला, मसलहतों का पहचानने वाला है
Qāla Yā 'Ādamu 'Anbi'hum Bi'asmā'ihim ۖ Falammā 'Anba'ahum Bi'asmā'ihimQāla 'Alam 'Aqul Lakum 'Innī 'A`lamu Ghayba As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa 'A`lamu Mā Tubdūna Wa Mā Kuntum Taktumūna
002-033 (उस वक्त ख़ुदा ने आदम को) हुक्म दिया कि ऐ आदम तुम इन फ़रिश्तों को उन सब चीज़ों के नाम बता दो बस जब आदम ने फ़रिश्तों को उन चीज़ों के नाम बता दिए तो खुदा ने फरिश्तों की तरफ ख़िताब करके फरमाया क्यों, मैं तुमसे न कहता था कि मैं आसमानों और ज़मीनों के छिपे हुए राज़ को जानता हूँ, और जो कुछ तुम अब ज़ाहिर करते हो और जो कुछ तुम छिपाते थे (वह सब) जानता हूँ
Wa 'IdhQulnā Lilmalā'ikati Asjudū Li'dama Fasajadū 'Illā 'Iblīsa 'Abá Wa Astakbara Wa Kāna Mina Al-Kāfirīna
002-034 और (उस वक्त क़ो याद करो) जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो तो सब के सब झुक गए मगर शैतान ने इन्कार किया और ग़ुरूर में आ गया और काफ़िर हो गया
Wa Qulnā Yā 'Ādamu Askun 'Anta Wa Zawjuka Al-Jannata Wa Kulā Minhā Raghadāan Ĥaythu Shi'tumā Wa Lā Taqrabā Hadhihi Ash-Shajarata Fatakūnā Mina Až-Žālimīna
002-035 और हमने आदम से कहा ऐ आदम तुम अपनी बीवी समैत बेहिश्त में रहा सहा करो और जहाँ से तुम्हारा जी चाहे उसमें से ब फराग़त खाओ (पियो) मगर उस दरख्त के पास भी न जाना (वरना) फिर तुम अपना आप नुक़सान करोगे
Fa'azallahumā Ash-Shayţānu `Anhā Fa'akhrajahumā Mimmā Kānā Fīhi ۖ Wa Qulnā Ahbiţū Ba`đukum Liba`đin `Adūwun ۖ Wa Lakum Fī Al-'Arđi Mustaqarrun Wa Matā`un 'Ilá Ĥīnin
002-036 तब शैतान ने आदम व हौव्वा को (धोखा देकर) वहाँ से डगमगाया और आख़िर कार उनको जिस (ऐश व राहत) में थे उनसे निकाल फेंका और हमने कहा (ऐ आदम व हौव्वा) तुम (ज़मीन पर) उतर पड़ो तुममें से एक का एक दुशमन होगा और ज़मीन में तुम्हारे लिए एक ख़ास वक्त (क़यामत) तक ठहराव और ठिकाना है
002-037 फिर आदम ने अपने परवरदिगार से (माज़रत के चन्द अल्फाज़) सीखे पस खुदा ने उन अल्फाज़ की बरकत से आदम की तौबा कुबूल कर ली बेशक वह बड़ा माफ़ करने वाला मेहरबान है
002-038 (और जब आदम को) ये हुक्म दिया था कि यहाँ से उतर पड़ो (तो भी कह दिया था कि) अगर तुम्हारे पास मेरी तरफ़ से हिदायत आए तो (उसकी पैरवी करना क्योंकि) जो लोग मेरी हिदायत पर चलेंगे उन पर (क़यामत) में न कोई ख़ौफ होगा
Wa Al-Ladhīna Kafarū Wa Kadhdhabū Bi'āyātinā 'Ūlā'ika 'Aşĥābu An-Nāri ۖ Hum Fīhā Khālidūna
002-039 और न वह रंजीदा होगे और (ये भी याद रखो) जिन लोगों ने कुफ्र इख़तेयार किया और हमारी आयतों को झुठलाया तो वही जहन्नुमी हैं और हमेशा दोज़ख़ में पड़े रहेगे
Yā Banī 'Isrā'īla Adhkurū Ni`matiya Allatī 'An`amtu `Alaykum Wa 'Awfū Bi`ahdī 'Ūfi Bi`ahdikum Wa 'Īyāya Fārhabūni
002-040 ऐ बनी इसराईल (याक़ूब की औलाद) मेरे उन एहसानात को याद करो जो तुम पर पहले कर चुके हैं और तुम मेरे एहद व इक़रार (ईमान) को पूरा करो तो मैं तुम्हारे एहद (सवाब) को पूरा करूँगा, और मुझ ही से डरते रहो
Wa 'Āminū Bimā 'Anzaltu Muşaddiqāan Limā Ma`akum Wa Lā Takūnū 'Awwala Kāfirin Bihi ۖ Wa Lā Tashtarū Bi'āyātī ThamanāanQalīlāan Wa 'Īyāya Fa Attaqūni
002-041 और जो (कुरान) मैंने नाज़िल किया वह उस किताब (तौरेत) की (भी) तसदीक़ करता हूँ जो तुम्हारे पास है और तुम सबसे चले उसके इन्कार पर मौजूद न हो जाओ और मेरी आयतों के बदले थोड़ी क़ीमत (दुनयावी फायदा) न लो और मुझ ही से डरते रहो
Wa Attaqū Yawmāan Lā Tajzī Nafsun `An NafsinShay'āan Wa Lā Yuqbalu Minhā Shafā`atun Wa Lā Yu'ukhadhu Minhā `Adlun Wa Lā Hum Yunşarūna
002-048 और उस दिन से डरो (जिस दिन) कोई शख्स किसी की तरफ से न फिदिया हो सकेगा और न उसकी तरफ से कोई सिफारिश मानी जाएगी और न उसका कोई मुआवज़ा लिया जाएगा और न वह मदद पहुँचाए जाएँगे
Wa 'Idh Najjaynākum Min 'Āli Fir`awna Yasūmūnakum Sū'a Al-`Adhābi Yudhabbiĥūna 'Abnā'akum Wa Yastaĥyūna Nisā'akum ۚ Wa Fī Dhālikum Balā'un MinRabbikum `Ažīmun
002-049 और (उस वक्त क़ो याद करो) जब हमने तुम्हें (तुम्हारे बुर्ज़गो को) फिरऔन (के पन्जे) से छुड़ाया जो तुम्हें बड़े-बड़े दुख दे के सताते थे तुम्हारे लड़कों पर छुरी फेरते थे और तुम्हारी औरतों को (अपनी ख़िदमत के लिए) ज़िन्दा रहने देते थे और उसमें तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (तुम्हारे सब्र की) सख्त आज़माइश थी
Wa 'Idh Wā`adnā Mūsá 'Arba`īna LaylatanThumma Attakhadhtumu Al-`Ijla Min Ba`dihi Wa 'AntumŽālimūna
002-051 और फिरऔन के आदमियों को तुम्हारे देखते-देखते डुबो दिया और (वह वक्त भी याद करो) जब हमने मूसा से चालीस रातों का वायदा किया था और तुम लोगों ने उनके जाने के बाद एक बछड़े को (परसतिश के लिए खुदा) बना लिया
002-054 और (वह वक्त भी याद करो) जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि ऐ मेरी क़ौम तुमने बछड़े को (ख़ुदा) बना के अपने ऊपर बड़ा सख्त जुल्म किया तो अब (इसके सिवा कोई चारा नहीं कि) तुम अपने ख़ालिक की बारगाह में तौबा करो और वह ये है कि अपने को क़त्ल कर डालो तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक तुम्हारे हक़ में यही बेहतर है, फिर जब तुमने ऐसा किया तो खुदा ने तुम्हारी तौबा क़ुबूल कर ली बेशक वह बड़ा मेहरबान माफ़ करने वाला है
Wa 'IdhQultum Yā Mūsá Lan Nu'umina Laka Ĥattá Nará Allāha Jahratan Fa'akhadhatkumu Aş-Şā`iqatu Wa 'Antum Tanžurūna
002-055 और (वह वक्त भी याद करो) जब तुमने मूसा से कहा था कि ऐ मूसा हम तुम पर उस वक्त तक ईमान न लाएँगे जब तक हम खुदा को ज़ाहिर बज़ाहिर न देख ले उस पर तुम्हें बिजली ने ले डाला, और तुम तकते ही रह गए
Wa Žallalnā `Alaykumu Al-Ghamāma Wa 'Anzalnā `Alaykumu Al-Manna Wa As-Salwá ۖ Kulū MinŢayyibāti Mā Razaqnākum ۖ Wa Mā Žalamūnā Wa Lakin Kānū 'Anfusahum Yažlimūna
002-057 और हमने तुम पर अब्र का साया किया और तुम पर मन व सलवा उतारा और (ये भी तो कह दिया था कि) जो सुथरी व नफीस रोज़िया तुम्हें दी हैं उन्हें शौक़ से खाओ, और उन लोगों ने हमारा तो कुछ बिगड़ा नहीं मगर अपनी जानों पर सितम ढाते रहे
Wa 'IdhQulnā Adkhulū Hadhihi Al-Qaryata Fakulū Minhā Ĥaythu Shi'tumRaghadāan Wa Adkhulū Al-Bāba Sujjadāan Wa Qūlū Ĥiţţatun Naghfir LakumKhaţāyākum ۚ Wa Sanazīdu Al-Muĥsinīna
002-058 और (वह वक्त भी याद करो) जब हमने तुमसे कहा कि इस गाँव (अरीहा) में जाओ और इसमें जहाँ चाहो फराग़त से खाओ (पियो) और दरवाज़े पर सजदा करते हुए और ज़बान से हित्ता बख्शिश कहते हुए आओ तो हम तुम्हारी ख़ता ये बख्श देगे और हम नेकी करने वालों की नेकी (सवाब) बढ़ा देगें
002-059 तो जो बात उनसे कही गई थी उसे शरीरों ने बदलकर दूसरी बात कहनी शुरू कर दी तब हमने उन लोगों पर जिन्होंने शरारत की थी उनकी बदकारी की वजह से आसमानी बला नाज़िल की
Wa 'IdhAstasqá Mūsá Liqawmihi Faqulnā Ađrib Bi`aşāka Al-Ĥajara ۖ Fānfajarat Minhu Athnatā `Ashrata `Aynāan ۖ Qad `Alima Kullu 'Unāsin Mashrabahum ۖ Kulū Wa Ashrabū MinRizqi Allāhi Wa Lā Ta`thaw Fī Al-'Arđi Mufsidīna
002-060 और (वह वक्त भी याद करो) जब मूसा ने अपनी क़ौम के लिए पानी माँगा तो हमने कहा (ऐ मूसा) अपनी लाठी पत्थर पर मारो (लाठी मारते ही) उसमें से बारह चश्में फूट निकले और सब लोगों ने अपना-अपना घाट बखूबी जान लिया और हमने आम इजाज़त दे दी कि खुदा की दी हुईरोज़ी से खाओ पियो और मुल्क में फसाद न करते फिरो
Wa 'Idhi Qultum Yā Mūsá Lan Naşbira `Alá Ţa`āmin Wāĥidin Fād`u Lanā Rabbaka Yukhrij Lanā Mimmā Tunbitu Al-'Arđu Min Baqlihā Wa Qiththā'ihā Wa Fūmihā Wa `Adasihā Wa Başalihā ۖ Qāla 'Atastabdilūna Al-Ladhī Huwa 'Adná Bial-Ladhī Huwa Khayrun ۚ Ahbiţū Mişrāan Fa'inna Lakum Mā Sa'altum ۗ Wa Đuribat `Alayhimu Adh-Dhillatu Wa Al-Maskanatu Wa Bā'ū Bighađabin Mina Allāhi ۗ Dhālika Bi'annahum Kānū Yakfurūna Bi'āyāti Allāhi Wa Yaqtulūna An-Nabīyīna Bighayri Al-Ĥaqqi ۗ Dhālika Bimā `Aşaw Wa Kānū Ya`tadūna
002-061 (और वह वक्त भी याद करो) जब तुमने मूसा से कहा कि ऐ मूसा हमसे एक ही खाने पर न रहा जाएगा तो आप हमारे लिए अपने परवरदिगार से दुआ कीजिए कि जो चीज़े ज़मीन से उगती है जैसे साग पात तरकारी और ककड़ी और गेहूँ या (लहसुन) और मसूर और प्याज़ (मन व सलवा) की जगह पैदा करें (मूसा ने) कहा क्या तुम ऐसी चीज़ को जो हर तरह से बेहतर है अदना चीज़ से बदलन चाहते हो तो किसी शहर में उतर पड़ो फिर तुम्हारे लिए जो तुमने माँगा है सब मौजूद है और उन पर रूसवाई और मोहताजी की मार पड़ी और उन लोगों ने क़हरे खुदा की तरफ पलटा खाया, ये सब इस सबब से हुआ कि वह लोग खुदा की निशानियों से इन्कार करते थे और पैग़म्बरों को नाहक शहीद करते थे, और इस वजह से (भी) कि वह नाफ़रमानी और सरकशी किया करते थे
'Inna Al-Ladhīna 'Āmanū Wa Al-Ladhīna Hādū Wa An-Naşārá Wa Aş-Şābi'īna Man 'Āmana Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri Wa `Amila Şāliĥāan Falahum 'Ajruhum `Inda Rabbihim Wa Lā Khawfun `Alayhim Wa Lā Hum Yaĥzanūna
002-062 बेशक मुसलमानों और यहूदियों और नसरानियों और ला मज़हबों में से जो कोई खुदा और रोज़े आख़िरत पर ईमान लाए और अच्छे-अच्छे काम करता रहे तो उन्हीं के लिए उनका अज्र व सवाब उनके खुदा के पास है और न (क़यामत में) उन पर किसी का ख़ौफ होगा न वह रंजीदा दिल होंगे
Wa 'Idh 'Akhadhnā Mīthāqakum Wa Rafa`nā Fawqakumu Aţ-ŢūraKhudhū Mā 'Ātaynākum Biqūwatin Wa Adhkurū Mā Fīhi La`allakum Tattaqūna
002-063 और (वह वक्त याद करो) जब हमने (तामीले तौरेत) का तुमसे एक़रार कर लिया और हमने तुम्हारे सर पर तूर से (पहाड़ को) लाकर लटकाया और कह दिया कि तौरेत जो हमने तुमको दी है उसको मज़बूत पकड़े रहो और जो कुछ उसमें है उसको याद रखो
Thumma Tawallaytum Min Ba`di Dhālika ۖ Falawlā Fađlu Allāhi `Alaykum Wa Raĥmatuhu Lakuntum Mina Al-Khāsirīna
002-064 ताकि तुम परहेज़गार बनो फिर उसके बाद तुम (अपने एहदो पैमान से) फिर गए पस अगर तुम पर खुदा का फज़ल और उसकी मेहरबानी न होती तो तुमने सख्त घाटा उठाया होता
002-065 और अपनी क़ौम से उन लोगों की हालत तो तुम बखूबी जानते हो जो शम्बे (सनीचर) के दिन अपनी हद से गुज़र गए (कि बावजूद मुमानिअत शिकार खेलने निकले) तो हमने उन से कहा कि तुम राइन्दे गए बन्दर बन जाओ (और वह बन्दर हो गए)
002-067 और (वह वक्त याद करो) जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि खुदा तुम लोगों को ताकीदी हुक्म करता है कि तुम एक गाय ज़िबाह करो वह लोग कहने लगे क्या तुम हमसे दिल्लगी करते हो मूसा ने कहा मैं खुदा से पनाह माँगता हूँ कि मैं जाहिल बनूँ
002-068 (तब वह लोग कहने लगे कि (अच्छा) तुम अपने खुदा से दुआ करो कि हमें बता दे कि वह गाय कैसी हो मूसा ने कहा बेशक खुदा ने फरमाता है कि वह गाय न तो बहुत बूढ़ी हो और न बछिया बल्कि उनमें से औसत दरजे की हो, ग़रज़ जो तुमको हुक्म दिया गया उसको बजा लाओ
002-069 वह कहने लगे (वाह) तुम अपने खुदा से दुआ करो कि हमें ये बता दे कि उसका रंग आख़िर क्या हो मूसा ने कहा बेशक खुदा फरमाता है कि वह गाय खूब गहरे ज़र्द रंग की हो देखने वाले उसे देखकर खुश हो जाए
002-070 तब कहने लगे कि तुम अपने खुदा से दुआ करो कि हमें ज़रा ये तो बता दे कि वह (गाय) और कैसी हो (वह) गाय तो और गायों में मिल जुल गई और खुदा ने चाहा तो हम ज़रूर (उसका) पता लगा लेगे
002-071 मूसा ने कहा खुदा ज़रूर फरमाता है कि वह गाय न तो इतनी सधाई हो कि ज़मीन जोते न खेती सीचें भली चंगी एक रंग की कि उसमें कोई धब्बा तक न हो, वह बोले अब (जा के) ठीक-ठीक बयान किया, ग़रज़ उन लोगों ने वह गाय हलाल की हालाँकि उनसे उम्मीद न थी वह कि वह ऐसा करेंगे
002-073 खुदा को उसका ज़ाहिर करना मंजूर था पस हमने कहा कि उस गाय को कोई टुकड़ा लेकर इस (की लाश) पर मारो यूँ खुदा मुर्दे को ज़िन्दा करता है और तुम को अपनी कुदरत की निशानियाँ दिखा देता है
Thumma Qasat Qulūbukum Min Ba`di Dhālika Fahiya Kālĥijārati 'Aw 'Ashaddu Qaswatan ۚ Wa 'Inna Mina Al-Ĥijārati Lamā Yatafajjaru Minhu Al-'Anhāru ۚ Wa 'Inna Minhā Lamā Yashshaqqaqu Fayakhruju Minhu Al-Mā'u ۚ Wa 'Inna Minhā Lamā Yahbiţu Min Khashyati Allāhi ۗ Wa Mā Al-Lahu Bighāfilin `Ammā Ta`malūna
002-074 ताकि तुम समझो फिर उसके बाद तुम्हारे दिल सख्त हो गये पस वह मिसल पत्थर के (सख्त) थे या उससे भी ज्यादा करख्त क्योंकि पत्थरों में बाज़ तो ऐसे होते हैं कि उनसे नहरें जारी हो जाती हैं और बाज़ ऐसे होते हैं कि उनमें दरार पड़ जाती है और उनमें से पानी निकल पड़ता है और बाज़ पत्थर तो ऐसे होते हैं कि खुदा के ख़ौफ से गिर पड़ते हैं और जो कुछ तुम कर रहे हो उससे खुदा ग़ाफिल नहीं है
'Afataţma`ūna 'An Yu'uminū Lakum Wa Qad Kāna Farīqun Minhum Yasma`ūna Kalāma Allāhi Thumma Yuĥarrifūnahu Min Ba`di Mā `Aqalūhu Wa Hum Ya`lamūna
002-075 (मुसलमानों) क्या तुम ये लालच रखते हो कि वह तुम्हारा (सा) ईमान लाएँगें हालाँकि उनमें का एक गिरोह (साबिक़ में) ऐसा था कि खुदा का कलाम सुनाता था और अच्छी तरह समझने के बाद उलट फेर कर देता था हालाँकि वह खूब जानते थे और जब उन लोगों से मुलाक़ात करते हैं
002-076 जो ईमान लाए तो कह देते हैं कि हम तो ईमान ला चुके और जब उनसे बाज़-बाज़ के साथ तख़िलया करते हैं तो कहते हैं कि जो कुछ खुदा ने तुम पर (तौरेत) में ज़ाहिर कर दिया है क्या तुम (मुसलमानों को) बता दोगे ताकि उसके सबब से कल तुम्हारे खुदा के पास तुम पर हुज्जत लाएँ क्या तुम इतना भी नहीं समझते
002-079 पस वाए हो उन लोगों पर जो अपने हाथ से किताब लिखते हैं फिर (लोगों से कहते फिरते) हैं कि ये खुदा के यहाँ से (आई) है ताकि उसके ज़रिये से थोड़ी सी क़ीमत (दुनयावी फ़ायदा) हासिल करें पस अफसोस है उन पर कि उनके हाथों ने लिखा और फिर अफसोस है उनपर कि वह ऐसी कमाई करते हैं
002-080 और कहते हैं कि गिनती के चन्द दिनों के सिवा हमें आग छुएगी भी तो नहीं (ऐ रसूल) इन लोगों से कहो कि क्या तुमने खुदा से कोई इक़रार ले लिया है कि फिर वह किसी तरह अपने इक़रार के ख़िलाफ़ हरगिज़ न करेगा या बे समझे बूझे खुदा पर बोहताव जोड़ते हो
Wa 'Idh 'Akhadhnā Mīthāqa Banī 'Isrā'īla Lā Ta`budūna 'Illā Al-Laha Wa Bil-Wālidayni 'Iĥsānāan Wa Dhī Al-Qurbá Wa Al-Yatāmá Wa Al-Masākīni Wa Qūlū Lilnnāsi Ĥusnāan Wa 'Aqīmū Aş-Şalāata Wa 'Ātū Az-Zakāata Thumma Tawallaytum 'Illā Qalīlāan Minkum Wa 'Antum Mu`riđūna
002-083 और (वह वक्त याद करो) जब हमने बनी ईसराइल से (जो तुम्हारे बुर्जुग़ थे) अहद व पैमान लिया था कि खुदा के सिवा किसी की इबादत न करना और माँ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों के साथ अच्छे सुलूक करना और लोगों के साथ अच्छी तरह (नरमी) से बातें करना और बराबर नमाज़ पढ़ना और ज़कात देना फिर तुममें से थोड़े आदिमियों के सिवा (सब के सब) फिर गए और तुम लोग हो ही इक़रार से मुँह फेरने वाले
Wa 'Idh 'Akhadhnā Mīthāqakum Lā Tasfikūna Dimā'akum Wa Lā Tukhrijūna 'Anfusakum Min DiyārikumThumma 'Aqrartum Wa 'Antum Tash/hadūna
002-084 और (वह वक्त याद करो) जब हमने तुम (तुम्हारे बुर्ज़ुगों) से अहद लिया था कि आपस में खूरेज़ियाँ न करना और न अपने लोगों को शहर बदर करना तो तुम (तुम्हारे बुर्जुग़ों) ने इक़रार किया था और तुम भी उसकी गवाही देते हो
Thumma 'Antum Hā'uulā' Taqtulūna 'Anfusakum Wa Tukhrijūna Farīqāan Minkum Min Diyārihim Tažāharūna `Alayhim Bil-'Ithmi Wa Al-`Udwāni Wa 'In Ya'tūkum 'Usārá Tufādūhum Wa Huwa Muĥarramun `Alaykum 'Ikhrājuhum ۚ 'A Fatu'uminūna Biba`đi Al-Kitābi Wa Takfurūna ۚ Biba`đin Famā Jazā'u Man Yaf`alu Dhālika Minkum 'Illā Khizyun Fī Al-Ĥayāati ۖ Ad-Dunyā Wa Yawma Al-Qiyāmati Yuraddūna 'Ilá 'Ashaddi ۗ Al-`Adhābi Wa Mā Al-Lahu Bighāfilin `Ammā Ta`malūna
002-085 (कि हाँ ऐसा हुआ था) फिर वही लोग तो तुम हो कि आपस में एक दूसरे को क़त्ल करते हो और अपनों से एक जत्थे के नाहक़ और ज़बरदस्ती हिमायती बनकर दूसरे को शहर बदर करते हो (और लुत्फ़ तो ये है कि) अगर वही लोग क़ैदी बनकर तम्हारे पास (मदद माँगने) आए तो उनको तावान देकर छुड़ा लेते हो हालाँकि उनका निकालना ही तुम पर हराम किया गया था तो फिर क्या तुम (किताबे खुदा की) बाज़ बातों पर ईमान रखते हो और बाज़ से इन्कार करते हो पस तुम में से जो लोग ऐसा करें उनकी सज़ा इसके सिवा और कुछ नहीं कि ज़िन्दगी भर की रूसवाई हो और (आख़िरकार) क़यामत के दिन सख्त अज़ाब की तरफ लौटा दिये जाए और जो कुछ तुम लोग करते हो खुदा उससे ग़ाफ़िल नहीं है
002-086 यही वह लोग हैं जिन्होंने आख़ेरत के बदले दुनिया की ज़िन्दगी ख़रीद पस न उनके अज़ाब ही में तख्फ़ीफ़ (कमी) की जाएगी और न वह लोग किसी तरह की मदद दिए जाएँगे
Wa Laqad 'Ātaynā Mūsá Al-Kitāba Wa Qaffaynā Min Ba`dihi Bir-Rusuli ۖ Wa 'Ātaynā `Īsá Abna Maryama Al-Bayyināti Wa 'Ayyadnāhu Birūĥi Al-Qudusi ۗ 'Afakullamā Jā'akumRasūlun Bimā Lā Tahwá 'AnfusukumAstakbartum Fafarīqāan Kadhdhabtum Wa Farīqāan Taqtulūn
002-087 और ये हक़ीक़ी बात है कि हमने मूसा को किताब (तौरेत) दी और उनके बाद बहुत से पैग़म्बरों को उनके क़दम ब क़दम ले चलें और मरियम के बेटे ईसा को (भी बहुत से) वाजेए व रौशन मौजिजे दिए और पाक रूह जिबरील के ज़रिये से उनकी मदद की क्या तुम उस क़दर बददिमाग़ हो गए हो कि जब कोई पैग़म्बर तुम्हारे पास तुम्हारी ख्वाहिशे नफ़सानी के ख़िलाफ कोई हुक्म लेकर आया तो तुम अकड़ बैठे फिर तुमने बाज़ पैग़म्बरों को तो झुठलाया और बाज़ को जान से मार डाला
Wa Lammā Jā'ahum Kitābun Min `Indi Allāhi Muşaddiqun Limā Ma`ahum Wa Kānū MinQablu Yastaftiĥūna `Alá Al-Ladhīna Kafarū Falammā Jā'ahum Mā `Arafū Kafarū Bihi ۚ Fala`natu Allāhi `Alá Al-Kāfirīna
002-089 और जब उनके पास खुदा की तरफ़ से किताब (कुरान आई और वह उस किताब तौरेत) की जो उन के पास तसदीक़ भी करती है। और उससे पहले (इसकी उम्मीद पर) काफ़िरों पर फतेहयाब होने की दुआएँ माँगते थे पस जब उनके पास वह चीज़ जिसे पहचानते थे आ गई तो लगे इन्कार करने पस काफ़िरों पर खुदा की लानत है
Bi'sa Mā Ashtaraw Bihi~ 'Anfusahum 'An Yakfurū Bimā 'Anzala Allāhu Baghyāan 'An Yunazzila Allāhu Min Fađlih `Alá Man Yashā'u Min ۖ `Ibādihi Fabā'ū Bighađabin `Alá ۚ Ghađabin Wa Lilkāfirīna `Adhābun Muhīnun
002-090 क्या ही बुरा है वह काम जिसके मुक़ाबले में (इतनी बात पर) वह लोग अपनी जानें बेच बैठे हैं कि खुदा अपने बन्दों से जिस पर चाहे अपनी इनायत से किताब नाज़िल किया करे इस रश्क से जो कुछ खुदा ने नाज़िल किया है सबका इन्कार कर बैठे पस उन पर ग़ज़ब पर ग़ज़ब टूट पड़ा और काफ़िरों के लिए (बड़ी) रूसवाई का अज़ाब है
Wa 'Idhā Qīla Lahum 'Āminū Bimā 'Anzala Allāhu Qālū Nu'uminu Bimā 'Unzila `Alaynā Wa Yakfurūna Bimā Warā'ahu Wa Huwa Al-Ĥaqqu Muşaddiqāan Limā Ma`ahum ۗ Qul Falima Taqtulūna 'Anbiyā'a Allāhi MinQablu 'In Kuntum Mu'uminīna
002-091 और जब उनसे कहा गया कि (जो क़ुरान) खुदा ने नाज़िल किया है उस पर ईमान लाओ तो कहने लगे कि हम तो उसी किताब (तौरेत) पर ईमान लाए हैं जो हम पर नाज़िल की गई थी और उस किताब (कुरान) को जो उसके बाद आई है नहीं मानते हैं हालाँकि वह (क़ुरान) हक़ है और उस किताब (तौरेत) की जो उनके पास है तसदीक़ भी करती है मगर उस किताब कुरान का जो उसके बाद आई है इन्कार करते हैं (ऐ रसूल) उनसे ये तो पूछो कि तुम (तुम्हारे बुर्जुग़) अगर ईमानदार थे तो फिर क्यों खुदा के पैग़म्बरों का साबिक़ क़त्ल करते थे
Wa Laqad Jā'akum Mūsá Bil-Bayyināti Thumma Attakhadhtumu Al-`Ijla Min Ba`dihi Wa 'AntumŽālimūna
002-092 और तुम्हारे पास मूसा तो वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ ही चुके थे फिर भी तुमने उनके बाद बछड़े को खुदा बना ही लिया और उससे तुम अपने ही ऊपर ज़ुल्म करने वाले थे
Wa 'Idh 'Akhadhnā Mīthāqakum Wa Rafa`nā Fawqakumu Aţ-ŢūraKhudhū Mā 'Ātaynākum Biqūwatin Wa Asma`ū ۖ Qālū Sami`nā Wa `Aşaynā Wa 'Ushribū Fī Qulūbihimu Al-`Ijla Bikufrihim ۚ Qul Bi'samā Ya'murukum Bihi~ 'Īmānukum 'In Kuntum Mu'uminīna
002-093 और (वह वक्त याद करो) जब हमने तुमसे अहद लिया और (क़ोहे) तूर को (तुम्हारी उदूले हुक्मी से) तुम्हारे सर पर लटकाया और (हमने कहा कि ये किताब तौरेत) जो हमने दी है मज़बूती से लिए रहो और (जो कुछ उसमें है) सुनो तो कहने लगे सुना तो (सही लेकिन) हम इसको मानते नहीं और उनकी बेईमानी की वजह से (गोया) बछड़े की उलफ़त घोल के उनके दिलों में पिला दी गई (ऐ रसूल) उन लोगों से कह दो कि अगर तुम ईमानदार थे तो तुमको तुम्हारा ईमान क्या ही बुरा हुक्म करता था
002-094 (ऐ रसूल) इन लोगों से कह दो कि अगर खुदा के नज़दीक आख़ेरत का घर (बेहिश्त) ख़ास तुम्हारे वास्ते है और लोगों के वासते नहीं है पस अगर तुम सच्चे हो तो मौत की आरजू क़रो
Wa Lan Yatamannawhu 'Abadāan Bimā Qaddamat 'Aydīhim Wa ۗ Allāhu `Alīmun Biž-Žālimīna
002-095 (ताकि जल्दी बेहिश्त में जाओ) लेकिन वह उन आमाले बद की वजह से जिनको उनके हाथों ने पहले से आगे भेजा है हरगिज़ मौत की आरज़ू न करेंगे और खुदा ज़ालिमों से खूब वाक़िफ है
Wa Latajidannahum 'Aĥraşa An-Nāsi `Alá Ĥayāatin Wa Mina Al-Ladhīna 'Ashrakū ۚ Yawaddu 'Aĥaduhum Law Yu`ammaru 'Alfa Sanatin Wa Mā Huwa Bimuzaĥziĥihi Mina Al-`Adhābi 'An Yu`ammara Wa ۗ Allāhu Başīrun Bimā Ya`malūna
002-096 और (ऐ रसूल) तुम उन ही को ज़िन्दगी का सबसे ज्यादा हरीस पाओगे और मुशरिक़ों में से हर एक शख्स चाहता है कि काश उसको हज़ार बरस की उम्र दी जाती हालाँकि अगर इतनी तूलानी उम्र भी दी जाए तो वह ख़ुदा के अज़ाब से छुटकारा देने वाली नहीं, और जो कुछ वह लोग करते हैं खुदा उसे देख रहा है
Qul Man Kāna `Adūwāan Lijibrīla Fa'innahu Nazzalahu `Alá Qalbika Bi'idhni Allāhi Muşaddiqāan Limā Bayna Yadayhi Wa Hudan Wa Bushrá Lilmu'uminīna
002-097 (ऐ रसूल उन लोगों से) कह दो कि जो जिबरील का दुशमन है (उसका खुदा दुशमन है) क्योंकि उस फ़रिश्ते ने खुदा के हुक्म से (इस कुरान को) तुम्हारे दिल पर डाला है और वह उन किताबों की भी तसदीक करता है जो (पहले नाज़िल हो चुकी हैं और सब) उसके सामने मौजूद हैं और ईमानदारों के वास्ते खुशख़बरी है
Wa Lammā Jā'ahumRasūlun Min `Indi Allāhi Muşaddiqun Limā Ma`ahum Nabadha Farīqun Mina Al-Ladhīna 'Ūtū Al-Kitāba Kitāba Allāhi Warā'a Žuhūrihim Ka'annahum Lā Ya`lamūna
002-101 और जब उनके पास खुदा की तरफ से रसूल (मोहम्मद) आया और उस किताब (तौरेत) की जो उनके पास है तसदीक़ भी करता है तो उन अहले किताब के एक गिरोह ने किताबे खुदा को अपने पसे पुश्त फेंक दिया गोया वह लोग कुछ जानते ही नहीं और उस मंत्र के पीछे पड़ गए
Wa Attaba`ū Mā Tatlū Ash-Shayāţīnu `Alá Mulki Sulaymāna ۖ Wa Mā Kafara Sulaymānu Wa Lakinna Ash-Shayāţīna Kafarū Yu`allimūna An-Nāsa As-Siĥra Wa Mā 'Unzila `Alá Al-Malakayni Bibābila Hārūta Wa Mārūta ۚ Wa Mā Yu`allimāni Min 'Aĥadin Ĥattá Yaqūlā 'Innamā Naĥnu Fitnatun Falā Takfur ۖ Fayata`allamūna Minhumā Mā Yufarriqūna Bihi Bayna Al-Mar'i Wa Zawjihi ۚ Wa Mā Hum Biđārrīna Bihi Min 'Aĥadin 'Illā Bi'idhni Allāhi ۚ Wa Yata`allamūna Mā Yađurruhum Wa Lā Yanfa`uhum ۚ Wa Laqad `Alimū Lamani Ashtarāhu Mā Lahu Fī Al-'Ākhirati Min Khalāqin ۚ Wa Labi'sa Mā Sharaw Bihi~ 'Anfusahum ۚ Law Kānū Ya`lamūna
002-102 जिसको सुलेमान के ज़माने की सलतनत में शयातीन जपा करते थे हालाँकि सुलेमान ने कुफ्र नहीं इख़तेयार किया लेकिन शैतानों ने कुफ्र एख़तेयार किया कि वह लोगों को जादू सिखाया करते थे और वह चीज़ें जो हारूत और मारूत दोनों फ़रिश्तों पर बाइबिल में नाज़िल की गई थी हालाँकि ये दोनों फ़रिश्ते किसी को सिखाते न थे जब तक ये न कह देते थे कि हम दोनों तो फ़क़त (ज़रियाए आज़माइश) है पस तो (इस पर अमल करके) बेईमान न हो जाना उस पर भी उनसे वह (टोटके) सीखते थे जिनकी वजह से मिया बीवी में तफ़रक़ा डालते हालाँकि बग़ैर इज्ने खुदावन्दी वह अपनी इन बातों से किसी को ज़रर नहीं पहुँचा सकते थे और ये लोग ऐसी बातें सीखते थे जो खुद उन्हें नुक़सान पहुँचाती थी और कुछ (नफा) पहुँचाती थी बावजूद कि वह यक़ीनन जान चुके थे कि जो शख्स इन (बुराईयों) का ख़रीदार हुआ वह आख़िरत में बेनसीब हैं और बेशुबह (मुआवज़ा) बहुत ही बड़ा है जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों को बेचा काश (उसे कुछ) सोचे समझे होते
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Taqūlū Rā`inā Wa Qūlū Anžurnā Wa Asma`ū ۗ Wa Lilkāfirīna `Adhābun 'Alīmun
002-104 ऐ ईमानवालों तुम (रसूल को अपनी तरफ मुतावज्जे करना चाहो तो) रआना (हमारी रिआयत कर) न कहा करो बल्कि उनज़ुरना (हम पर नज़रे तवज्जो रख) कहा करो और (जी लगाकर) सुनते रहो और काफिरों के लिए दर्दनाक अज़ाब है
Mā Yawaddu Al-Ladhīna Kafarū Min 'Ahli Al-Kitābi Wa Lā Al-Mushrikīna 'An Yunazzala `Alaykum Min Khayrin MinRabbikum Wa ۗ Allāhu Yakhtaşşu Biraĥmatihi Man Yashā'u Wa ۚ Allāhu Dhū Al-Fađli Al-`Ažīmi
002-105 ऐ रसूल अहले किताब में से जिन लोगों ने कुफ्र इख़तेयार किया वह और मुशरेकीन ये नहीं चाहते हैं कि तुम पर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से भलाई (वही) नाज़िल की जाए और (उनका तो इसमें कुछ इजारा नहीं) खुदा जिसको चाहता है अपनी रहमत के लिए ख़ास कर लेता है और खुदा बड़ा फज़ल (करने) वाला है
002-106 (ऐ रसूल) हम जब कोई आयत मन्सूख़ करते हैं या तुम्हारे ज़ेहन से मिटा देते हैं तो उससे बेहतर या वैसी ही (और) नाज़िल भी कर देते हैं क्या तुम नहीं जानते कि बेशुबहा खुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
'Am Turīdūna 'An Tas'alū Rasūlakum Kamā Su'ila Mūsá MinQablu ۗ Wa Man Yatabaddali Al-Kufra Bil-'Īmāni FaqadĐalla Sawā'a As-Sabīli
002-108 (मुसलमानों) क्या तुम चाहते हो कि तुम भी अपने रसूल से वैसै ही (बेढ़ंगे) सवालात करो जिस तरह साबिक़ (पहले) ज़माने में मूसा से (बेतुके) सवालात किए गए थे और जिस शख्स ने ईमान के बदले कुफ्र एख़तेयार किया वह तो यक़ीनी सीधे रास्ते से भटक गया
Wadda Kathīrun Min 'Ahli Al-Kitābi Law Yaruddūnakum Min Ba`di 'Īmānikum Kuffārāan Ĥasadāan Min `Indi 'Anfusihim Min Ba`di Mā Tabayyana Lahumu Al-Ĥaqqu ۖ Fā`fū Wa Aşfaĥū Ĥattá Ya'tiya Allāhu Bi'amrihi~ ۗ 'Inna Allāha `Alá Kulli Shay'inQadīrun
002-109 (मुसलमानों) अहले किताब में से अक्सर लोग अपने दिली हसद की वजह से ये ख्वाहिश रखते हैं कि तुमको ईमान लाने के बाद फिर काफ़िर बना दें (और लुत्फ तो ये है कि) उन पर हक़ ज़ाहिर हो चुका है उसके बाद भी (ये तमन्ना बाक़ी है) पस तुम माफ करो और दरगुज़र करो यहाँ तक कि खुदा अपना (कोई और) हुक्म भेजे बेशक खुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
Wa 'Aqīmū Aş-Şalāata Wa 'Ātū Az-Zakāata ۚ Wa Mā Tuqaddimū Li'nfusikum Min Khayrin Tajidūhu `Inda Allāhi ۗ 'Inna Allāha Bimā Ta`malūna Başīrun
002-110 और नमाज़ पढ़ते रहो और ज़कात दिये जाओ और जो कुछ भलाई अपने लिए (खुदा के यहाँ) पहले से भेज दोगे उस (के सवाब) को मौजूद पाआगे जो कुछ तुम करते हो उसे खुदा ज़रूर देख रहा है
Wa Qālū Lan Yadkhula Al-Jannata 'Illā Man Kāna Hūdāan 'Aw Naşārá ۗ Tilka 'Amānīyuhum ۗ Qul Hātū Burhānakum 'In KuntumŞādiqīn
002-111 और (यहूद) कहते हैं कि यहूद (के सिवा) और (नसारा कहते हैं कि) नसारा के सिवा कोई बेहिश्त में जाने ही न पाएगा ये उनके ख्याली पुलाव है (ऐ रसूल) तुम उन से कहो कि भला अगर तुम सच्चे हो कि हम ही बेहिश्त में जाएँगे तो अपनी दलील पेश करो
Balá Man 'Aslama Wajhahu Lillāh Wa Huwa Muĥsinun Falahu~ 'Ajruhu `Inda Rabbihi Wa Lā Khawfun `Alayhim Wa Lā Hum Yaĥzanūna
002-112 हाँ अलबत्ता जिस शख्स ने खुदा के आगे अपना सर झुका दिया और अच्छे काम भी करता है तो उसके लिए उसके परवरदिगार के यहाँ उसका बदला (मौजूद) है और (आख़ेरत में) ऐसे लोगों पर न किसी तरह का ख़ौफ़ होगा और न ऐसे लोग ग़मग़ीन होगे
002-113 और यहूद कहते हैं कि नसारा का मज़हब कुछ (ठीक) नहीं और नसारा कहते हैं कि यहूद का मज़हब कुछ (ठीक) नहीं हालाँकि ये दोनों फरीक़ किताबे (खुदा) पढ़ते रहते हैं इसी तरह उन्हीं जैसी बातें वह (मुशरेकीन अरब) भी किया करते हैं जो (खुदा के एहकाम) कुछ नहीं जानते तो जिस बात में ये लोग पड़े झगड़ते हैं (दुनिया में तो तय न होगा) क़यामत के दिन खुदा उनके दरमियान ठीक फैसला कर देगा
Wa Man 'Ažlamu Mimman Mana`a Masājida Allāhi 'An Yudhkara Fīhā Asmuhu Wa Sa`á Fī Kharābihā ۚ 'Ūlā'ika Mā Kāna Lahum 'An Yadkhulūhā 'Ilā Khā'ifīna ۚ Lahum Fī Ad-Dunyā Khizyun Wa Lahum Fī Al-'Ākhirati `Adhābun `Ažīmun
002-114 और उससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा जो खुदा की मसजिदों में उसका नाम लिए जाने से (लोगों को) रोके और उनकी बरबादी के दर पे हो, ऐसों ही को उसमें जाना मुनासिब नहीं मगर सहमे हुए ऐसे ही लोगों के लिए दुनिया में रूसवाई है और ऐसे ही लोगों के लिए आख़ेरत में बड़ा भारी अज़ाब है
Wa Lillāh Al-Mashriqu Wa Al-Maghribu ۚ Fa'aynamā Tuwallū Fathamma Wajhu Allāhi 'Inna ۚ Allāha Wāsi`un `Alīmun
002-115 (तुम्हारे मसजिद में रोकने से क्या होता है क्योंकि सारी ज़मीन) खुदा ही की है (क्या) पूरब (क्या) पश्चिम बस जहाँ कहीं क़िब्ले की तरफ रूख़ करो वही खुदा का सामना है बेशक खुदा बड़ी गुन्जाइश वाला और खूब वाक़िफ है
Wa Qālū Attakhadha Allāhu Waladāan ۗ Subĥānahu ۖ Bal Lahu Mā Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۖ Kullun LahuQānitūna
002-116 और यहूद कहने लगे कि खुदा औलाद रखता है हालाँकि वह (इस बखेड़े से) पाक है बल्कि जो कुछ ज़मीन व आसमान में है सब उसी का है और सब उसकी के फरमाबरदार हैं
002-118 और जो (मुशरेकीन) कुछ नहीं जानते कहते हैं कि खुदा हमसे (खुद) कलाम क्यों नहीं करता, या हमारे पास (खुद) कोई निशानी क्यों नहीं आती, इसी तरह उन्हीं की सी बाते वह कर चुके हैं जो उनसे पहले थे उन सब के दिल आपस में मिलते जुलते हैं जो लोग यक़ीन रखते हैं उनको तो अपनी निशानियाँ क्यों साफतौर पर दिखा चुके
'Innā 'Arsalnāka Bil-Ĥaqqi Bashīrāan Wa Nadhīrāan ۖ Wa Lā Tus'alu `An 'Aşĥābi Al-Jaĥīmi
002-119 (ऐ रसूल) हमने तुमको दीने हक़ के साथ (बेहिश्त की) खुशख़बरी देने वाला और (अज़ाब से) डराने वाला बनाकर भेजा है और दोज़ख़ियों के बारे में तुमसे कुछ न पूछा जाएगा
Wa Lan Tarđá `Anka Al-Yahūdu Wa Lā An-Naşārá Ĥattá Tattabi`a Millatahum ۗ Qul 'Inna Hudá Allāhi Huwa Al-Hudá ۗ Wa La'ini Attaba`ta 'Ahwā'ahum Ba`da Al-Ladhī Jā'aka Mina Al-`Ilmi ۙ Mā Laka Mina Allāhi Min Wa Līyin Wa Lā Naşīrin
002-120 और (ऐ रसूल) न तो यहूदी कभी तुमसे रज़ामंद होगे न नसारा यहाँ तक कि तुम उनके मज़हब की पैरवी करो (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि बस खुदा ही की हिदायत तो हिदायत है (बाक़ी ढकोसला है) और अगर तुम इसके बाद भी कि तुम्हारे पास इल्म (क़ुरान) आ चुका है उनकी ख्वाहिशों पर चले तो (याद रहे कि फिर) तुमको खुदा (के ग़ज़ब) से बचाने वाला न कोई सरपरस्त होगा न मददगार
Al-Ladhīna 'Ātaynāhumu Al-Kitāba Yatlūnahu Ĥaqqa Tilāwatihi~ 'Ūlā'ika Yu'uminūna Bihi ۗ Wa Man Yakfur Bihi Fa'ūlā'ika Humu Al-Khāsirūna
002-121 जिन लोगों को हमने किताब (कुरान) दी है वह लोग उसे इस तरह पढ़ते रहते हैं जो उसके पढ़ने का हक़ है यही लोग उस पर ईमान लाते हैं और जो उससे इनकार करते हैं वही लोग घाटे में हैं
Wa Attaqū Yawmāan Lā Tajzī Nafsun `An NafsinShay'āan Wa Lā Yuqbalu Minhā `Adlun Wa Lā Tanfa`uhā Shafā`atun Wa Lā Hum Yunşarūna
002-123 और उस दिन से डरो जिस दिन कोई शख्स किसी की तरफ से न फिदया हो सकेगा और न उसकी तरफ से कोई मुआवेज़ा क़ुबूल किया जाएगा और न कोई सिफारिश ही फायदा पहुचाँ सकेगी, और न लोग मदद दिए जाएँगे
002-124 (ऐ रसूल) बनी इसराईल को वह वक्त भी याद दिलाओ जब इबराहीम को उनके परवरदिगार ने चन्द बातों में आज़माया और उन्होंने पूरा कर दिया तो खुदा ने फरमाया मैं तुमको (लोगों का) पेशवा बनाने वाला हूँ (हज़रत इबराहीम ने) अर्ज़ की और मेरी औलाद में से फरमाया (हाँ मगर) मेरे इस अहद पर ज़ालिमों में से कोई शख्स फ़ायज़ नहीं हो सकता
Wa 'Idh Ja`alnā Al-Bayta Mathābatan Lilnnāsi Wa 'Amnāan Wa Attakhidhū Min Maqāmi 'Ibrāhīma Muşallan ۖ Wa `Ahidnā 'Ilá 'Ibrāhīma Wa 'Ismā`īla 'AnŢahhirā Baytiya Lilţţā'ifīna Wa Al-`Ākifīna Wa Ar-Rukka`i As-Sujūdi
002-125 (ऐ रसूल वह वक्त भी याद दिलाओ) जब हमने ख़ानए काबा को लोगों के सवाब और पनाह की जगह क़रार दी और हुक्म दिया गया कि इबराहीम की (इस) जगह को नमाज़ की जगह बनाओ और इबराहीम व इसमाइल से अहद व पैमान लिया कि मेरे (उस) घर को तवाफ़ और एतक़ाफ़ और रूकू और सजदा करने वालों के वास्ते साफ सुथरा रखो
Wa 'IdhQāla 'Ibrāhīmu Rabbi Aj`al Hādhā Baladāan 'Āmināan Wa Arzuq 'Ahlahu Mina Ath-Thamarāti Man 'Āmana Minhum Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri ۖ Qāla Wa Man Kafara Fa'umatti`uhuQalīlāanThumma 'Ađţarruhu~ 'Ilá `Adhābi An-Nāri ۖ Wa Bi'sa Al-Maşīru
002-126 और (ऐ रसूल वह वक्त भी याद दिलाओ) जब इबराहीम ने दुआ माँगी कि ऐ मेरे परवरदिगार इस (शहर) को पनाह व अमन का शहर बना, और उसके रहने वालों में से जो खुदा और रोज़े आख़िरत पर ईमान लाए उसको तरह-तरह के फल खाने को दें खुदा ने फरमाया (अच्छा मगर) वो कुफ्र इख़तेयार करेगा उसकी दुनिया में चन्द रोज़ (उन चीज़ो से) फायदा उठाने दूँगा फिर (आख़ेरत में) उसको मजबूर करके दोज़ख़ की तरफ खींच ले जाऊँगा और वह बहुत बुरा ठिकाना है
Wa 'Idh Yarfa`u 'Ibrāhīmu Al-Qawā`ida Mina Al-Bayti Wa 'Ismā`īlu Rabbanā Taqabbal Minnā ۖ 'Innaka 'Anta As-Samī`u Al-`Alīmu
002-127 और (वह वक्त याद दिलाओ) जब इबराहीम व इसमाईल ख़ानाए काबा की बुनियादें बुलन्द कर रहे थे (और दुआ) माँगते जाते थे कि ऐ हमारे परवरदिगार हमारी (ये ख़िदमत) कुबूल कर बेशक तू ही (दूआ का) सुनने वाला (और उसका) जानने वाला है
Rabbanā Wa Aj`alnā Muslimayni Laka Wa MinDhurrīyatinā 'Ummatan Muslimatan Laka Wa 'Arinā Manāsikanā Wa Tub `Alaynā ۖ 'Innaka 'Anta At-Tawwābu Ar-Raĥīmu
002-128 (और) ऐ हमारे पालने वाले तू हमें अपना फरमाबरदार बन्दा बना हमारी औलाद से एक गिरोह (पैदा कर) जो तेरा फरमाबरदार हो, और हमको हमारे हज की जगहों दिखा दे और हमारी तौबा क़ुबूल कर, बेशक तू ही बड़ा तौबा कुबूल करने वाला मेहरबान है
Rabbanā Wa Ab`ath FīhimRasūlāan Minhum Yatlū `Alayhim 'Āyātika Wa Yu`allimuhumu Al-Kitāba Wa Al-Ĥikmata Wa Yuzakkīhim ۚ 'Innaka 'Anta Al-`Azīzu Al-Ĥakīmu
002-129 (और) ऐ हमारे पालने वाले मक्के वालों में उन्हीं में से एक रसूल को भेज जो उनको तेरी आयतें पढ़कर सुनाए और आसमानी किताब और अक्ल की बातें सिखाए और उन (के नुफ़ूस) के पाकीज़ा कर दें बेशक तू ही ग़ालिब और साहिबे तदबीर है
Wa Man Yarghabu `An Millati 'Ibrāhīma 'Illā Man Safiha Nafsahu ۚ Wa Laqadi Aşţafaynāhu Fī Ad-Dunyā ۖ Wa 'Innahu Fī Al-'Ākhirati Lamina Aş-Şāliĥīna
002-130 और कौन है जो इबराहीम के तरीक़े से नफरत करे मगर जो अपने को अहमक़ बनाए और बेशक हमने उनको दुनिया में भी मुन्तिख़ब कर लिया और वह ज़रूर आख़ेरत में भी अच्छों ही में से होगे
Wa Waşşá Bihā 'Ibrāhīmu Banīhi Wa Ya`qūbu Yā Banīya 'Inna Allāha Aşţafá Lakumu Ad-Dīna Falā Tamūtunna 'Illā Wa 'Antum Muslimūna
002-132 और इसी तरीके क़ी इबराहीम ने अपनी औलाद से वसीयत की और याकूब ने (भी) कि ऐ फरज़न्दों खुदा ने तुम्हारे वास्ते इस दीन (इस्लाम) को पसन्द फरमाया है पस तुम हरगिज़ न मरना मगर मुसलमान ही होकर
'Am KuntumShuhadā'a 'Idh Ĥađara Ya`qūba Al-Mawtu 'IdhQāla Libanīhi Mā Ta`budūna Min Ba`dī Qālū Na`budu 'Ilahaka Wa 'Ilaha 'Ābā'ika 'Ibrāhīma Wa 'Ismā`īla Wa 'Isĥāqa 'Ilahāan Wāĥidāan Wa Naĥnu Lahu Muslimūna
002-133 (ऐ यहूद) क्या तुम उस वक्त मौजूद थे जब याकूब के सर पर मौत आ खड़ी हुईउस वक्त उन्होंने अपने बेटों से कहा कि मेरे बाद किसी की इबादत करोगे कहने लगे हम आप के माबूद और आप के बाप दादाओं इबराहीम व इस्माइल व इसहाक़ के माबूद व यकता खुदा की इबादत करेंगे और हम उसके फरमाबरदार हैं
Tilka 'UmmatunQadKhalat ۖ Lahā Mā Kasabat Wa Lakum Mā Kasabtum ۖ Wa Lā Tus'alūna `Ammā Kānū Ya`malūna
002-134 (ऐ यहूद) वह लोग थे जो चल बसे जो उन्होंने कमाया उनके आगे आया और जो तुम कमाओगे तुम्हारे आगे आएगा और जो कुछ भी वह करते थे उसकी पूछगछ तुमसे नहीं होगी
Wa Qālū Kūnū Hūdāan 'Aw Naşārá Tahtadū ۗ Qul Bal Millata 'Ibrāhīma Ĥanīfāan ۖ Wa Mā Kāna Mina Al-Mushrikīna
002-135 (यहूदी ईसाई मुसलमानों से) कहते हैं कि यहूद या नसरानी हो जाओ तो राहे रास्त पर आ जाओगे (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि हम इबराहीम के तरीक़े पर हैं जो बातिल से कतरा कर चलते थे और मुशरेकीन से न थे
Qūlū 'Āmannā Billāhi Wa Mā 'Unzila 'Ilaynā Wa Mā 'Unzila 'Ilá 'Ibrāhīma Wa 'Ismā`īla Wa 'Isĥāqa Wa Ya`qūba Wa Al-'Asbāţi Wa Mā 'Ūtiya Mūsá Wa `Īsá Wa Mā 'Ūtiya An-Nabīyūna MinRabbihim Lā Nufarriqu Bayna 'Aĥadin Minhum Wa Naĥnu Lahu Muslimūna
002-136 (और ऐ मुसलमानों तुम ये) कहो कि हम तो खुदा पर ईमान लाए हैं और उस पर जो हम पर नाज़िल किया गया (कुरान) और जो सहीफ़े इबराहीम व इसमाइल व इसहाक़ व याकूब और औलादे याकूब पर नाज़िल हुए थे (उन पर) और जो किताब मूसा व ईसा को दी गई (उस पर) और जो और पैग़म्बरों को उनके परवरदिगार की तरफ से उन्हें दिया गया (उस पर) हम तो उनमें से किसी (एक) में भी तफरीक़ नहीं करते और हम तो खुदा ही के फरमाबरदार हैं
Fa'in 'Āmanū Bimithli Mā 'Āmantum Bihi Faqadi Ahtadaw ۖ Wa 'In Tawallaw Fa'innamā Hum Fī Shiqāqin ۖ Fasayakfīkahumu Allāhu ۚ Wa Huwa As-Samī`u Al-`Alīmu
002-137 पस अगर ये लोग भी उसी तरह ईमान लाए हैं जिस तरह तुम तो अलबत्ता राहे रास्त पर आ गए और अगर वह इस तरीके से मुँह फेर लें तो बस वह सिर्फ तुम्हारी ही ज़िद पर है तो (ऐ रसूल) उन (के शर) से (बचाने को) तुम्हारे लिए खुदा काफ़ी होगा और वह (सबकी हालत) खूब जानता (और) सुनता है
Qul 'Atuĥājjūnanā Fī Al-Lahi Wa Huwa Rabbunā Wa Rabbukum Wa Lanā 'A`mālunā Wa Lakum 'A`mālukum Wa Naĥnu Lahu Mukhlişūna
002-139 (ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो कि क्या तुम हम से खुदा के बारे झगड़ते हो हालाँकि वही हमारा (भी) परवरदिगार है (वही) तुम्हारा भी (परवरदिगार है) हमारे लिए है हमारी कारगुज़ारियाँ और तुम्हारे लिए तुम्हारी कारसतानियाँ और हम तो निरेखरे उसी में हैं
'Am Taqūlūna 'Inna 'Ibrāhīma Wa 'Ismā`īla Wa 'Isĥāqa Wa Ya`qūba Wa Al-'Asbāţa Kānū Hūdāan 'Aw Naşārá ۗ Qul 'A'antum 'A`lamu 'Ami Allāhu ۗ Wa Man 'Ažlamu Mimman Katama Shahādatan `Indahu Mina Allāhi ۗ Wa Mā Al-Lahu Bighāfilin `Ammā Ta`malūna
002-140 क्या तुम कहते हो कि इबराहीम व इसमाइल व इसहाक़ व आलौदें याकूब सब के सब यहूदी या नसरानी थे (ऐ रसूल उनसे) पूछो तो कि तुम ज्यादा वाक़िफ़ हो या खुदा और उससे बढ़कर कौन ज़ालिम होगा जिसके पास खुदा की तरफ से गवाही (मौजूद) हो (कि वह यहूदी न थे) और फिर वह छिपाए और जो कुछ तुम करते हो खुदा उससे बेख़बर नहीं
Sayaqūlu As-Sufahā'u Mina An-Nāsi Mā Wa Llāhum `AnQiblatihimu Allatī Kānū `Alayhā ۚ Qul Lillāh Al-Mashriqu Wa Al-Maghribu ۚ Yahdī Man Yashā'u 'Ilá Şirāţin Mustaqīmin
002-142 बाज़ अहमक़ लोग ये कह बैठेगें कि मुसलमान जिस क़िबले बैतुल मुक़द्दस की तरफ पहले से सजदा करते थे उस से दूसरे क़िबले की तरफ मुड़ जाने का बाइस हुआ। ऐ रसूल तुम उनके जवाब में कहो कि पूरब पश्चिम सब ख़ुदा का है जिसे चाहता है सीधे रास्ते की तरफ हिदायत करता है
Wa Kadhalika Ja`alnākum 'Ummatan Wasaţāan Litakūnū Shuhadā'a `Alá An-Nāsi Wa Yakūna Ar-Rasūlu `AlaykumShahīdāan ۗ Wa Mā Ja`alnā Al-Qiblata Allatī Kunta `Alayhā 'Illā Lina`lama Man Yattabi`u Ar-Rasūla Mimman Yanqalibu `Alá `Aqibayhi ۚ Wa 'In Kānat Lakabīratan 'Illā `Alá Al-Ladhīna Hadá Allāhu ۗ Wa Mā Kāna Allāhu Liyuđī`a 'Īmānakum ۚ 'Inna Allāha Bin-Nāsi Lara'ūfunRaĥīmun
002-143 और जिस तरह तुम्हारे क़िबले के बारे में हिदायत की उसी तरह तुम को आदिल उम्मत बनाया ताकि और लोगों के मुक़ाबले में तुम गवाह बनो और रसूल मोहम्मद तुम्हारे मुक़ाबले में गवाह बनें और (ऐ रसूल) जिस क़िबले की तरफ़ तुम पहले सज़दा करते थे हम ने उसको को सिर्फ इस वजह से क़िबला क़रार दिया था कि जब क़िबला बदला जाए तो हम उन लोगों को जो रसूल की पैरवी करते हैं हम उन लोगों से अलग देख लें जो उलटे पाव फिरते हैं अगरचे ये उलट फेर सिवा उन लोगों के जिन की ख़ुदा ने हिदायत की है सब पर शाक़ ज़रुर है और ख़ुदा ऐसा नहीं है कि तुम्हारे ईमान नमाज़ को जो बैतुलमुक़द्दस की तरफ पढ़ चुके हो बरबाद कर दे बेशक ख़ुदा लोगों पर बड़ा ही रफ़ीक व मेहरबान है।
Qad Nará Taqalluba Wajhika Fī As-Samā'i Falanuwalliyannaka ۖ Qiblatan Tarđāhā Fawalli Wajhaka ۚ Shaţra Al-Masjidi Al-Ĥarāmi Wa Ĥaythu Mā ۚ Kuntum Fawallū WujūhakumShaţrahu Wa 'Inna Al-Ladhīna ۗ 'Ūtū Al-Kitāba Laya`lamūna 'Annahu Al-Ĥaqqu MinRabbihim Wa Mā Al-Lahu ۗ Bighāfilin `Ammā Ya`malūna
002-144 ऐ रसूल क़िबला बदलने के वास्ते बेशक तुम्हारा बार बार आसमान की तरफ मुँह करना हम देख रहे हैं तो हम ज़रुर तुम को ऐसे क़िबले की तरफ फेर देगें कि तुम निहाल हो जाओ अच्छा तो नमाज़ ही में तुम मस्ज़िदे मोहतरम काबे की तरफ मुँह कर लो और ऐ मुसलमानों तुम जहाँ कही भी हो उसी की तरफ़ अपना मुँह कर लिया करो और जिन लोगों को किताब तौरेत वगैरह दी गयी है वह बख़ूबी जानते हैं कि ये तबदील क़िबले बहुत बजा व दुरुस्त है और उस के परवरदिगार की तरफ़ से है और जो कुछ वह लोग करते हैं उस से ख़ुदा बेख़बर नही
Wa La'in 'Atayta Al-Ladhīna 'Ūtū Al-Kitāba Bikulli 'Āyatin Mā Tabi`ū Qiblataka ۚ Wa Mā 'Anta Bitābi`inQiblatahum ۚ Wa Mā Ba`đuhum Bitābi`inQiblata Ba`đin ۚ Wa La'ini Attaba`ta 'Ahwā'ahum Min Ba`di Mā Jā'aka Mina Al-`Ilmi ۙ 'Innaka 'Idhāan Lamina Až-Žālimīna
002-145 और अगर अहले किताब के सामने दुनिया की सारी दलीले पेश कर दोगे तो भी वह तुम्हारे क़िबले को न मानेंगें और न तुम ही उनके क़िबले को मानने वाले हो और ख़ुद अहले किताब भी एक दूसरे के क़िबले को नहीं मानते और जो इल्म क़ुरान तुम्हारे पास आ चुका है उसके बाद भी अगर तुम उनकी ख्वाहिश पर चले तो अलबत्ता तुम नाफ़रमान हो जाओगे
Al-Ladhīna 'Ātaynāhumu Al-Kitāba Ya`rifūnahu Kamā Ya`rifūna 'Abnā'ahum ۖ Wa 'Inna Farīqāan Minhum Layaktumūna Al-Ĥaqqa Wa Hum Ya`lamūna
002-146 जिन लोगों को हमने किताब (तौरैत वग़ैरह) दी है वह जिस तरह अपने बेटों को पहचानते है उसी तरह तरह वह उस पैग़म्बर को भी पहचानते हैं और उन में कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो दीदए व दानिस्ता (जान बुझकर) हक़ बात को छिपाते हैं
002-148 और हर फरीक़ के वास्ते एक सिम्त है उसी की तरफ वह नमाज़ में अपना मुँह कर लेता है पस तुम ऐ मुसलमानों झगड़े को छोड़ दो और नेकियों मे उन से लपक के आगे बढ़ जाओ तुम जहाँ कहीं होगे ख़ुदा तुम सबको अपनी तरफ ले आऐगा बेशक ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
Wa Min Ĥaythu Kharajta Fawalli Wajhaka Shaţra Al-Masjidi Al-Ĥarāmi Wa 'Innahu ۖ Lalĥaqqu MinRabbika Wa Mā ۗ Al-Lahu Bighāfilin `Ammā Ta`malūna
002-149 और (ऐ रसूल) तुम जहाँ से जाओ (यहाँ तक मक्का से) तो भी नमाज़ मे तुम अपना मुँह मस्ज़िदे मोहतरम (काबा) की तरफ़ कर लिया करो और बेशक ये नया क़िबला तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हक़ है
Wa Min Ĥaythu Kharajta Fawalli Wajhaka Shaţra Al-Masjidi Al-Ĥarāmi Wa Ĥaythu ۚ Mā Kuntum Fawallū WujūhakumShaţrahu Li'allā Yakūna Lilnnāsi `Alaykum Ĥujjatun 'Illā Al-Ladhīna Žalamū Minhum Falā Takhshawhum Wa Akhshawnī Wa Li'atimma Ni`matī `Alaykum Wa La`allakum Tahtadūna
002-150 और तुम्हारे कामों से ख़ुदा ग़ाफिल नही है और (ऐ रसूल) तुम जहाँ से जाओ (यहाँ तक के मक्का से तो भी) तुम (नमाज़ में) अपना मुँह मस्ज़िदे हराम की तरफ कर लिया करो और (ऐ रसूल) तुम जहाँ कही हुआ करो तो नमाज़ में अपना मुँह उसी काबा की तरफ़ कर लिया करो (बार बार हुक्म देने का एक फायदा ये है ताकि लोगों का इल्ज़ाम तुम पर न आने पाए मगर उन में से जो लोग नाहक़ हठधर्मी करते हैं वह तो ज़रुर इल्ज़ाम देगें) तो तुम लोग उनसे डरो नहीं और सिर्फ़ मुझसे डरो और (दूसरा फ़ायदा ये है) ताकि तुम पर अपनी नेअमत पूरी कर दूँ
Kamā 'Arsalnā FīkumRasūlāan Minkum Yatlū `Alaykum 'Āyātinā Wa Yuzakkīkum Wa Yu`allimukumu Al-Kitāba Wa Al-Ĥikmata Wa Yu`allimukum Mā Lam Takūnū Ta`lamūna
002-151 और तीसरा फायदा ये है ताकि तुम हिदायत पाओ मुसलमानों ये एहसान भी वैसा ही है जैसे हम ने तुम में तुम ही में का एक रसूल भेजा जो तुमको हमारी आयतें पढ़ कर सुनाए और तुम्हारे नफ्स को पाकीज़ा करे और तुम्हें किताब क़ुरान और अक्ल की बातें सिखाए और तुम को वह बातें बतांए जिन की तुम्हें पहले से खबर भी न थी
'Inna Aş-Şafā Wa Al-Marwata MinSha`ā'iri Allāhi ۖ Faman Ĥajja Al-Bayta 'Aw A`tamara Falā Junāĥa `Alayhi 'An Yaţţawwafa Bihimā ۚ Wa Man Taţawwa`a Khayrāan Fa'inna Allāha Shākirun `Alīmun
002-158 बेशक (कोहे) सफ़ा और (कोह) मरवा ख़ुदा की निशानियों में से हैं पस जो शख्स ख़ानए काबा का हज या उमरा करे उस पर उन दोनो के (दरमियान) तवाफ़ (आमद ओ रफ्त) करने में कुछ गुनाह नहीं (बल्कि सवाब है) और जो शख्स खुश खुश नेक काम करे तो फिर ख़ुदा भी क़दरदाँ (और) वाक़िफ़कार है
'Inna Al-Ladhīna Yaktumūna Mā 'Anzalnā Mina Al-Bayyināti Wa Al-Hudá Min Ba`di Mā Bayyannāhu Lilnnāsi Fī Al-Kitābi ۙ 'Ūlā'ika Yal`anuhumu Allāhu Wa Yal`anuhumu Al-Lā`inūna
002-159 बेशक जो लोग हमारी इन रौशन दलीलों और हिदायतों को जिन्हें हमने नाज़िल किया उसके बाद छिपाते हैं जबकि हम किताब तौरैत में लोगों के सामने साफ़ साफ़ बयान कर चुके हैं तो यही लोग हैं जिन पर ख़ुदा भी लानत करता है और लानत करने वाले भी लानत करते हैं
'Illā Al-Ladhīna Tābū Wa 'Aşlaĥū Wa Bayyanū Fa'ūlā'ika 'Atūbu `Alayhim ۚ Wa 'Anā At-Tawwābu Ar-Raĥīmu
002-160 मगर जिन लोगों ने (हक़ छिपाने से) तौबा की और अपनी ख़राबी की इसलाह कर ली और जो किताबे ख़ुदा में है साफ़ साफ़ बयान कर दिया पस उन की तौबा मै क़ुबूल करता हूँ और मै तो बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान हूँ
'Inna Al-Ladhīna Kafarū Wa Mātū Wa Hum Kuffārun 'Ūlā'ika `Alayhim La`natu Allāhi Wa Al-Malā'ikati Wa An-Nāsi 'Ajma`īna
002-161 बेशक जिन लोगों नें कुफ्र एख्तेयार किया और कुफ़्र ही की हालत में मर गए उन्ही पर ख़ुदा की और फरिश्तों की और तमाम लोगों की लानत है हमेशा उसी फटकार में रहेंगे
'Inna Fī Khalqi As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Akhtilāfi Al-Layli Wa An-Nahāri Wa Al-Fulki Allatī Tajrī Fī Al-Baĥri Bimā Yanfa`u An-Nāsa Wa Mā 'Anzala Allāhu Mina As-Samā'i Min Mā'in Fa'aĥyā Bihi Al-'Arđa Ba`da Mawtihā Wa Baththa Fīhā Min Kulli Dābbatin Wa Taşrīfi Ar-Riyāĥi Wa As-Saĥābi Al-Musakhkhari Bayna As-Samā'i Wa Al-'Arđi La'āyātin Liqawmin Ya`qilūna
002-164 बेशक आसमान व ज़मीन की पैदाइश और रात दिन के रद्दो बदल में और क़श्तियों जहाज़ों में जो लोगों के नफे क़ी चीज़े (माले तिजारत वगैरह दरिया) में ले कर चलते हैं और पानी में जो ख़ुदा ने आसमान से बरसाया फिर उस से ज़मीन को मुर्दा (बेकार) होने के बाद जिला दिया (शादाब कर दिया) और उस में हर क़िस्म के जानवर फैला दिये और हवाओं के चलाने में और अब्र में जो आसमान व ज़मीन के दरमियान ख़ुदा के हुक्म से घिरा रहता है (इन सब बातों में) अक्ल वालों के लिए बड़ी बड़ी निशानियाँ हैं
Wa Mina An-Nāsi Man Yattakhidhu Min Dūni Allāhi 'Andādāan Yuĥibbūnahum Kaĥubbi Allāhi Wa ۖ Al-Ladhīna 'Āmanū 'Ashaddu Ĥubbāan Lillāh ۗ Wa Law Yará Al-Ladhīna Žalamū 'Idh Yarawna Al-`Adhāba 'Anna Al-Qūwata Lillāh Jamī`āan Wa 'Anna Allāha Shadīdu Al-`Adhābi
002-165 और बाज़ लोग ऐसे भी हैं जो ख़ुदा के सिवा औरों को भी ख़ुदा का मिसल व शरीक बनाते हैं (और) जैसी मोहब्बत ख़ुदा से रखनी चाहिए वैसी ही उन से रखते हैं और जो लोग ईमानदार हैं वह उन से कहीं बढ़ कर ख़ुदा की उलफ़त रखते हैं और काश ज़ालिमों को (इस वक्त) वह बात सूझती जो अज़ाब देखने के बाद सूझेगी कि यक़ीनन हर तरह की क़ूवत ख़ुदा ही को है और ये कि बेशक ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब वाला है
Wa Qāla Al-Ladhīna Attaba`ū Law 'Anna Lanā Karratan Fanatabarra'a Minhum Kamā Tabarra'ū Minnā ۗ Kadhālika Yurīhimu Allāhu 'A`mālahum Ĥasarātin `Alayhim ۖ Wa Mā Hum Bikhārijīna Mina An-Nāri
002-167 और पैरव कहने लगेंगे कि अगर हमें कहीं फिर (दुनिया में) पलटना मिले तो हम भी उन से इसी तरह अलग हो जायेंगे जिस तरह एैन वक्त पर ये लोग हम से अलग हो गए यूँ ही ख़ुदा उन के आमाल को दिखाएगा जो उन्हें (सर तापा पास ही) पास दिखाई देंगें और फिर भला कब वह दोज़ख़ से निकल सकतें हैं
Wa 'Idhā Qīla LahumAttabi`ū Mā 'Anzala Allāhu Qālū Bal Nattabi`u Mā 'Alfaynā `Alayhi 'Ābā'anā ۗ 'Awalaw Kāna 'Ābā'uuhum Lā Ya`qilūna Shay'āan Wa Lā Yahtadūna
002-170 और जब उन से कहा जाता है कि जो हुक्म ख़ुदा की तरफ से नाज़िल हुआ है उस को मानो तो कहते हैं कि नहीं बल्कि हम तो उसी तरीक़े पर चलेंगे जिस पर हमने अपने बाप दादाओं को पाया अगरचे उन के बाप दादा कुछ भी न समझते हों और न राहे रास्त ही पर चलते रहे हों
002-171 और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उन की मिसाल तो उस शख्स की मिसाल है जो ऐसे जानवर को पुकार के अपना हलक़ फाड़े जो आवाज़ और पुकार के सिवा सुनता (समझता ख़ाक) न हो ये लोग बहरे गूँगे अन्धें हैं कि ख़ाक नहीं समझते
'Innamā Ĥarrama `Alaykumu Al-Maytata Wa Ad-Dama Wa Laĥma Al-Khinzīri Wa Mā 'Uhilla Bihi Lighayri Allāhi ۖ Famani AđţurraGhayra Bāghin Wa Lā `Ādin Falā 'Ithma `Alayhi ۚ 'Inna Allāha GhafūrunRaĥīmun
002-173 उसने तो तुम पर बस मुर्दा जानवर और खून और सूअर का गोश्त और वह जानवर जिस पर ज़बह के वक्त ख़ुदा के सिवा और किसी का नाम लिया गया हो हराम किया है पस जो शख्स मजबूर हो और सरकशी करने वाला और ज्यादती करने वाला न हो (और उनमे से कोई चीज़ खा ले) तो उसपर गुनाह नहीं है बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
'Inna Al-Ladhīna Yaktumūna Mā 'Anzala Allāhu Mina Al-Kitābi Wa Yashtarūna Bihi ThamanāanQalīlāan ۙ 'Ūlā'ika Mā Ya'kulūna Fī Buţūnihim 'Illā An-Nāra Wa Lā Yukallimuhumu Allāhu Yawma Al-Qiyāmati Wa Lā Yuzakkīhim Wa Lahum `Adhābun 'Alīmun
002-174 बेशक जो लोग इन बातों को जो ख़ुदा ने किताब में नाज़िल की है छिपाते हैं और उसके बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनयावी नफ़ा) ले लेतें है ये लोग बस अंगारों से अपने पेट भरते हैं और क़यामत के दिन ख़ुदा उन से बात तक तो करेगा नहीं और न उन्हें (गुनाहों से) पाक करेगा और उन्हीं के लिए दर्दनाक अज़ाब है
Laysa Al-Birra 'An Tuwallū WujūhakumQibala Al-Mashriqi Wa Al-Maghribi Wa Lakinna Al-Birra Man 'Āmana Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri Wa Al-Malā'ikati Wa Al-Kitābi Wa An-Nabīyīna Wa 'Ātá Al-Māla `Alá Ĥubbihi Dhawī Al-Qurbá Wa Al-Yatāmá Wa Al-Masākīna Wa Abna As-Sabīli Wa As-Sā'ilīna Wa Fī Ar-Riqābi Wa 'Aqāma Aş-Şalāata Wa 'Ātá Az-Zakāata Wa Al-Mūfūna Bi`ahdihim 'Idhā `Āhadū Wa ۖ Aş-Şābirīna Fī Al-Ba'sā'i Wa Ađ-Đarrā'i Wa Ĥīna Al-Ba'si ۗ 'Ūlā'ika Al-Ladhīna Şadaqū ۖ Wa 'Ūlā'ika Humu Al-Muttaqūna
002-177 नेकी कुछ यही थोड़ी है कि नमाज़ में अपने मुँह पूरब या पश्चिम की तरफ़ कर लो बल्कि नेकी तो उसकी है जो ख़ुदा और रोज़े आख़िरत और फ़रिश्तों और ख़ुदा की किताबों और पैग़म्बरों पर ईमान लाए और उसकी उलफ़त में अपना माल क़राबत दारों और यतीमों और मोहताजो और परदेसियों और माँगने वालों और लौन्डी ग़ुलाम (के गुलू खलासी) में सर्फ करे और पाबन्दी से नमाज़ पढे और ज़कात देता रहे और जब कोई एहद किया तो अपने क़ौल के पूरे हो और फ़क्र व फाक़ा रन्ज और घुटन के वक्त साबित क़दम रहे यही लोग वह हैं जो दावए ईमान में सच्चे निकले और यही लोग परहेज़गार है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Kutiba `Alaykumu Al-Qişāşu Fī Al-Qatlá ۖ Al-Ĥurru Bil-Ĥurri Wa Al-`Abdu Bil-`Abdi Wa Al-'Unthá Bil-'Unthá ۚ Faman `Ufiya Lahu Min 'Akhīhi Shay'un Fa Attibā`un Bil-Ma`rūfi Wa 'Adā'un 'Ilayhi Bi'iĥsānin ۗ Dhālika Takhfīfun MinRabbikum Wa Raĥmatun ۗ Famani A`tadá Ba`da Dhālika Falahu `Adhābun 'Alīmun
002-178 ऐ मोमिनों जो लोग (नाहक़) मार डाले जाएँ उनके बदले में तुम को जान के बदले जान लेने का हुक्म दिया जाता है आज़ाद के बदले आज़ाद और ग़ुलाम के बदले ग़ुलाम और औरत के बदले औरत पस जिस (क़ातिल) को उसके ईमानी भाई तालिबे केसास की तरफ से कुछ माफ़ कर दिया जाये तो उसे भी उसके क़दम ब क़दम नेकी करना और ख़ुश मआमलती से (ख़ून बहा) अदा कर देना चाहिए ये तुम्हारे परवरदिगार की तरफ आसानी और मेहरबानी है फिर उसके बाद जो ज्यादती करे तो उस के लिए दर्दनाक अज़ाब है
002-180 (मुसलमानों) तुम को हुक्म दिया जाता है कि जब तुम में से किसी के सामने मौत आ खड़ी हो बशर्ते कि वह कुछ माल छोड़ जाएं तो माँ बाप और क़राबतदारों के लिए अच्छी वसीयत करें जो ख़ुदा से डरते हैं उन पर ये एक हक़ है
002-182 (हाँ अलबत्ता) जो शख्स वसीयत करने वाले से बेजा तरफ़दारी या बे इन्साफी का ख़ौफ रखता है और उन वारिसों में सुलह करा दे तो उस पर बदलने का कुछ गुनाह नहीं है बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
002-184 (वह भी हमेशा नहीं बल्कि) गिनती के चन्द रोज़ इस पर भी (रोज़े के दिनों में) जो शख्स तुम में से बीमार हो या सफर में हो तो और दिनों में जितने क़ज़ा हुए हो) गिन के रख ले और जिन्हें रोज़ा रखने की कूवत है और न रखें तो उन पर उस का बदला एक मोहताज को खाना खिला देना है और जो शख्स अपनी ख़ुशी से भलाई करे तो ये उस के लिए ज्यादा बेहतर है और अगर तुम समझदार हो तो (समझ लो कि फिदये से) रोज़ा रखना तुम्हारे हक़ में बहरहाल अच्छा है
ShahruRamađāna Al-Ladhī 'Unzila Fīhi Al-Qur'ānu Hudan Lilnnāsi Wa Bayyinātin Mina Al-Hudá Wa Al-Furqāni ۚ FamanShahida Minkumu Ash-Shahra Falyaşumhu ۖ Wa Man Kāna Marīđāan 'Aw `Alá Safarin Fa`iddatun Min 'Ayyāmin 'Ukhara ۗ Yurīdu Allāhu Bikumu Al-Yusra Wa Lā Yurīdu Bikumu Al-`Usra Wa Litukmilū Al-`Iddata Wa Litukabbirū Allaha `Alá Mā Hadākum Wa La`allakum Tashkurūna
002-185 (रोज़ों का) महीना रमज़ान है जिस में क़ुरान नाज़िल किया गया जो लोगों का रहनुमा है और उसमें रहनुमाई और (हक़ व बातिल के) तमीज़ की रौशन निशानियाँ हैं (मुसलमानों) तुम में से जो शख्स इस महीनें में अपनी जगह पर हो तो उसको चाहिए कि रोज़ा रखे और जो शख्स बीमार हो या फिर सफ़र में हो तो और दिनों में रोज़े की गिनती पूरी करे ख़ुदा तुम्हारे साथ आसानी करना चाहता है और तुम्हारे साथ सख्ती करनी नहीं चाहता और (शुमार का हुक्म इस लिए दिया है) ताकि तुम (रोज़ो की) गिनती पूरी करो और ताकि ख़ुदा ने जो तुम को राह पर लगा दिया है उस नेअमत पर उस की बड़ाई करो और ताकि तुम शुक्र गुज़ार बनो
002-186 (ऐ रसूल) जब मेरे बन्दे मेरा हाल तुमसे पूछे तो (कह दो कि) मै उन के पास ही हूँ और जब मुझसे कोई दुआ माँगता है तो मै हर दुआ करने वालों की दुआ (सुन लेता हूँ और जो मुनासिब हो तो) क़ुबूल करता हूँ पस उन्हें चाहिए कि मेरा भी कहना माने) और मुझ पर ईमान लाएँ
'Uĥilla Lakum Laylata Aş-Şiyāmi Ar-Rafathu 'Ilá Nisā'ikum ۚ Hunna Libāsun Lakum Wa 'Antum Libāsun Lahunna ۗ `Alima Allāhu 'Annakum Kuntum Takhtānūna 'Anfusakum Fatāba `Alaykum Wa `Afā `Ankum ۖ Fāl'āna Bāshirūhunna Wa Abtaghū Mā Kataba Allāhu Lakum ۚ Wa Kulū Wa Ashrabū Ĥattá Yatabayyana Lakumu Al-Khayţu Al-'Abyađu Mina Al-Khayţi Al-'Aswadi Mina Al-Fajri ۖ Thumma 'Atimmū Aş-Şiyāma 'Ilá Al-Layli ۚ Wa Lā Tubāshirūhunna Wa 'Antum `Ākifūna Fī Al-Masājidi ۗ Tilka Ĥudūdu Allāhi Falā Taqrabūhā ۗ Kadhālika Yubayyinu Allāhu 'Āyātihi Lilnnāsi La`allahum Yattaqūna
002-187 ताकि वह सीधी राह पर आ जाए (मुसलमानों) तुम्हारे वास्ते रोज़ों की रातों में अपनी बीवियों के पास जाना हलाल कर दिया गया औरतें (गोया) तुम्हारी चोली हैं और तुम (गोया उन के दामन हो) ख़ुदा ने देखा कि तुम (गुनाह) करके अपना नुकसान करते (कि ऑंख बचा के अपनी बीबी के पास चले जाते थे) तो उसने तुम्हारी तौबा क़ुबूल की और तुम्हारी ख़ता से दर गुज़र किया पस तुम अब उनसे हम बिस्तरी करो और (औलाद) जो कुछ ख़ुदा ने तुम्हारे लिए (तक़दीर में) लिख दिया है उसे माँगों और खाओ और पियो यहाँ तक कि सुबह की सफेद धारी (रात की) काली धारी से आसमान पर पूरब की तरफ़ तक तुम्हें साफ नज़र आने लगे फिर रात तक रोज़ा पूरा करो और हाँ जब तुम मस्ज़िदों में एतेकाफ़ करने बैठो तो उन से (रात को भी) हम बिस्तरी न करो ये ख़ुदा की (मुअय्युन की हुई) हदे हैं तो तुम उनके पास भी न जाना यूँ खुल्लम खुल्ला ख़ुदा अपने एहकाम लोगों के सामने बयान करता है ताकि वह लोग (नाफ़रमानी से) बचें
Wa Lā Ta'kulū 'Amwālakum Baynakum Bil-Bāţili Wa Tudlū Bihā 'Ilá Al-Ĥukkāmi Lita'kulū Farīqāan Min 'Amwāli An-Nāsi Bil-'Ithmi Wa 'Antum Ta`lamūna
002-188 और आपस में एक दूसरे का माल नाहक़ न खाओ और न माल को (रिश्वत में) हुक्काम के यहाँ झोंक दो ताकि लोगों के माल में से (जो) कुछ हाथ लगे नाहक़ ख़ुर्द बुर्द कर जाओ हालाकि तुम जानते हो
Yas'alūnaka `Ani Al-'Ahillati ۖ Qul Hiya Mawāqītu Lilnnāsi Wa Al-Ĥajji ۗ Wa Laysa Al-Birru Bi'an Ta'tū Al-Buyūta MinŽuhūrihā Wa Lakinna Al-Birra Mani Attaqá ۗ Wa 'Tū Al-Buyūta Min 'Abwābihā ۚ Wa Attaqū Allaha La`allakum Tufliĥūna
002-189 (ऐ रसूल) तुम से लोग चाँद के बारे में पूछते हैं (कि क्यो घटता बढ़ता है) तुम कह दो कि उससे लोगों के (दुनयावी) अम्र और हज के अवक़ात मालूम होते है और ये कोई भली बात नही है कि घरो में पिछवाड़े से फाँद के) आओ बल्कि नेकी उसकी है जो परहेज़गारी करे और घरों में आना हो तो) उनके दरवाजों क़ी तरफ से आओ और ख़ुदा से डरते रहो ताकि तुम मुराद को पहुँचो
Wāqtulūhum Ĥaythu Thaqiftumūhum Wa 'Akhrijūhum Min Ĥaythu 'Akhrajūkum Wa ۚ Al-Fitnatu 'Ashaddu Mina Al-Qatli ۚ Wa Lā Tuqātilūhum `Inda Al-Masjidi Al-Ĥarāmi Ĥattá Yuqātilūkum Fīhi ۖ Fa'inQātalūkum Fāqtulūhum ۗ Kadhālika Jazā'u Al-Kāfirīna
002-191 और तुम उन (मुशरिकों) को जहाँ पाओ मार ही डालो और उन लोगों ने जहाँ (मक्का) से तुम्हें शहर बदर किया है तुम भी उन्हें निकाल बाहर करो और फितना परदाज़ी (शिर्क) खूँरेज़ी से भी बढ़ के है और जब तक वह लोग (कुफ्फ़ार) मस्ज़िद हराम (काबा) के पास तुम से न लडे तुम भी उन से उस जगह न लड़ों पस अगर वह तुम से लड़े तो बेखटके तुम भी उन को क़त्ल करो काफ़िरों की यही सज़ा है
Wa Qātilūhum Ĥattá Lā Takūna Fitnatun Wa Yakūna Ad-Dīnu Lillāh ۖ Fa'ini Antahaw Falā `Udwāna 'Illā `Alá Až-Žālimīna
002-193 और उन से लड़े जाओ यहाँ तक कि फ़साद बाक़ी न रहे और सिर्फ ख़ुदा ही का दीन रह जाए फिर अगर वह लोग बाज़ रहे तो उन पर ज्यादती न करो क्योंकि ज़ालिमों के सिवा किसी पर ज्यादती (अच्छी) नहीं
Ash-Shahru Al-Ĥarāmu Bish-Shahri Al-Ĥarāmi Wa Al-Ĥurumātu Qişāşun ۚ Famani A`tadá `Alaykum Fā`tadū `Alayhi Bimithli Mā A`tadá `Alaykum ۚ Wa Attaqū Allaha Wa A`lamū 'Anna Allāha Ma`a Al-Muttaqīna
002-194 हुरमत वाला महीना हुरमत वाले महीने के बराबर है (और कुछ महीने की खुसूसियत नहीं) सब हुरमत वाली चीजे एक दूसरे के बराबर हैं पस जो शख्स तुम पर ज्यादती करे तो जैसी ज्यादती उसने तुम पर की है वैसी ही ज्यादती तुम भी उस पर करो और ख़ुदा से डरते रहो और खूब समझ लो कि ख़ुदा परहेज़गारों का साथी है
Wa 'Atimmū Al-Ĥajja Wa Al-`Umrata Lillāh ۚ Fa'in 'Uĥşirtum Famā Astaysara Mina Al-Hadyi ۖ Wa Lā Taĥliqū Ru'ūsakum Ĥattá Yablugha Al-Hadyu Maĥillahu ۚ Faman Kāna Minkum Marīđāan 'Aw Bihi~ 'Adhan MinRa'sihi Fafidyatun MinŞiyāmin 'Aw Şadaqatin 'Aw Nusukin ۚ Fa'idhā 'Amintum Faman Tamatta`a Bil-`Umrati 'Ilá Al-Ĥajji Famā Astaysara Mina Al-Hadyi ۚ Faman Lam Yajid Faşiyāmu Thalāthati 'Ayyāmin Fī Al-Ĥajji Wa Sab`atin 'Idhā Raja`tum ۗ Tilka `Asharatun Kāmilatun ۗ Dhālika Liman Lam Yakun 'Ahluhu Ĥāđirī Al-Masjidi Al-Ĥarāmi ۚ Wa Attaqū Allaha Wa A`lamū 'Anna Allāha Shadīdu Al-`Iqābi
002-196 और सिर्फ ख़ुदा ही के वास्ते हज और उमरा को पूरा करो अगर तुम बीमारी वगैरह की वजह से मजबूर हो जाओ तो फिर जैसी क़ुरबानी मयस्सर आये (कर दो) और जब तक कुरबानी अपनी जगह पर न पहुँच जाये अपने सर न मुँडवाओ फिर जब तुम में से कोई बीमार हो या उसके सर में कोई तकलीफ हो तो (सर मुँडवाने का बदला) रोजे या खैरात या कुरबानी है पस जब मुतमइन रहों तो जो शख्स हज तमत्तो का उमरा करे तो उसको जो कुरबानी मयस्सर आये करनी होगी और जिस से कुरबानी ना मुमकिन हो तो तीन रोजे ज़माना ए हज में (रखने होंगे) और सात रोजे ज़ब तुम वापस आओ ये पूरा दहाई है ये हुक्म उस शख्स के वास्ते है जिस के लड़के बाले मस्ज़िदुल हराम (मक्का) के बाशिन्दे न हो और ख़ुदा से डरो और समझ लो कि ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब वाला है
Al-Ĥajju 'Ash/hurun Ma`lūmātun ۚ Faman Farađa Fīhinna Al-Ĥajja Falā Rafatha Wa Lā Fusūqa Wa Lā Jidāla Fī Al-Ĥajji ۗ Wa Mā Taf`alū Min Khayrin Ya`lamhu Allāhu ۗ Wa Tazawwadū Fa'inna Khayra Az-Zādi At-Taqwá ۚ Wa Attaqūnī Yā 'Ūlī Al-'Albābi
002-197 हज के महीने तो (अब सब को) मालूम हैं (शव्वाल, ज़ीक़ादा, जिलहज) पस जो शख्स उन महीनों में अपने ऊपर हज लाज़िम करे तो (एहराम से आख़िर हज तक) न औरत के पास जाए न कोई और गुनाह करे और न झगडे और नेकी का कोई सा काम भी करों तो ख़ुदा उस को खूब जानता है और (रास्ते के लिए) ज़ाद राह मुहिय्या करो और सब मे बेहतर ज़ाद राह परहेज़गारी है और ऐ अक्लमन्दों मुझ से डरते रहो
Laysa `Alaykum Junāĥun 'An Tabtaghū Fađlāan MinRabbikum ۚ Fa'idhā 'Afađtum Min `Arafātin Fādhkurū Allaha `Inda Al-Mash`ari Al-Ĥarāmi ۖ Wa Adhkurūhu Kamā Hadākum Wa 'In Kuntum MinQablihi Lamina Ađ-Đāllīna
002-198 इस में कोई इल्ज़ाम नहीं है कि (हज के साथ) तुम अपने परवरदिगार के फज़ल (नफ़ा तिजारत) की ख्वाहिश करो और फिर जब तुम अरफात से चल खड़े हो तो मशअरुल हराम के पास ख़ुदा का जिक्र करो और उस की याद भी करो तो जिस तरह तुम्हे बताया है अगरचे तुम इसके पहले तो गुमराहो से थे
Fa'idhā Qađaytum Manāsikakum Fādhkurū Allaha Kadhikrikum 'Ābā'akum 'Aw 'Ashadda Dhikrāan ۗ Famina An-Nāsi Man Yaqūlu Rabbanā 'Ātinā Fī Ad-Dunyā Wa Mā Lahu Fī Al-'Ākhirati Min Khalāqin
002-200 फिर जब तुम अरक़ाने हज बजा ला चुको तो तुम इस तरह ज़िक्रे ख़ुदा करो जिस तरह तुम अपने बाप दादाओं का ज़िक्र करते हो बल्कि उससे बढ़ कर के फिर बाज़ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि ऐ मेरे परवरदिगार हमको जो (देना है) दुनिया ही में दे दे हालाकि (फिर) आख़िरत में उनका कुछ हिस्सा नहीं
Wa Adhkurū Allaha Fī 'Ayyāmin Ma`dūdātin ۚ Faman Ta`ajjala Fī Yawmayni Falā 'Ithma `Alayhi Wa Man Ta'akhkhara Falā 'Ithma `Alayhi ۚ Limani Attaqá ۗ Wa Attaqū Allaha Wa A`lamū 'Annakum 'Ilayhi Tuĥsharūna
002-203 और ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है (निस्फ़) और इन गिनती के चन्द दिनों तक (तो) ख़ुदा का ज़िक्र करो फिर जो शख्स जल्दी कर बैठै और (मिना) से और दो ही दिन में चल ख़ड़ा हो तो उस पर भी गुनाह नहीं है और जो (तीसरे दिन तक) ठहरा रहे उस पर भी कुछ गुनाह नही लेकिन यह रियायत उसके वास्ते है जो परहेज़गार हो, और खुदा से डरते रहो और यक़ीन जानो कि एक दिन तुम सब के सब उसकी तरफ क़ब्रों से उठाए जाओगे
Wa Mina An-Nāsi Man Yu`jibuka Qawluhu Fī Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Wa Yush/hidu Allāha `Alá Mā Fī Qalbihi Wa Huwa 'Aladdu Al-Khişāmi
002-204 ऐ रसूल बाज़ लोग मुनाफिक़ीन से ऐसे भी हैं जिनकी चिकनी चुपड़ी बातें (इस ज़रा सी) दुनयावी ज़िन्दगी में तुम्हें बहुत भाती है और वह अपनी दिली मोहब्बत पर ख़ुदा को गवाह मुक़र्रर करते हैं हालॉकि वह तुम्हारे दुश्मनों में सबसे ज्यादा झगड़ालू हैं
Wa 'Idhā Tawallá Sa`á Fī Al-'Arđi Liyufsida Fīhā Wa Yuhlika Al-Ĥartha Wa An-Nasla Wa ۗ Allāhu Lā Yuĥibbu Al-Fasāda
002-205 और जहाँ तुम्हारी मोहब्बत से मुँह फेरा तो इधर उधर दौड़ धूप करने लगा ताकि मुल्क में फ़साद फैलाए और ज़राअत (खेती बाड़ी) और मवेशी का सत्यानास करे और ख़ुदा फसाद को अच्छा नहीं समझता
Wa Mina An-Nāsi Man Yashrī Nafsahu Abtighā'a Marđāati Allāhi Wa ۗ Allāhu Ra'ūfun Bil-`Ibādi
002-207 और लोगों में से ख़ुदा के बन्दे कुछ ऐसे हैं जो ख़ुदा की (ख़ुशनूदी) हासिल करने की ग़रज़ से अपनी जान तक बेच डालते हैं और ख़ुदा ऐसे बन्दों पर बड़ा ही यफ्क्क़त वाला है
Hal Yanžurūna 'Illā 'An Ya'tiyahumu Allāhu Fī Žulalin Mina Al-Ghamāmi Wa Al-Malā'ikatu Wa Quđiya Al-'Amru ۚ Wa 'Ilá Allāhi Turja`u Al-'Umūru
002-210 क्या वह लोग इसी के मुन्तज़िर हैं कि सफेद बादल के साय बानो की आड़ में अज़ाबे ख़ुदा और अज़ाब के फ़रिश्ते उन पर ही आ जाए और सब झगड़े चुक ही जाते हालॉकि आख़िर कुल उमुर ख़ुदा ही की तरफ रुजू किए जाएँगे
Sal Banī 'Isrā'īla Kam 'Ātaynāhum Min 'Āyatin Bayyinatin ۗ Wa Man Yubaddil Ni`mata Allāhi Min Ba`di Mā Jā'at/hu Fa'inna Allāha Shadīdu Al-`Iqābi
002-211 (ऐ रसूल) बनी इसराइल से पूछो कि हम ने उन को कैसी कैसी रौशन निशानियाँ दी और जब किसी शख्स के पास ख़ुदा की नेअमत (किताब) आ चुकी उस के बाद भी उस को बदल डाले तो बेशक़ ख़ुदा सख्त अज़ाब वाला है
Zuyyina Lilladhīna Kafarū Al-Ĥayāatu Ad-Dunyā Wa Yaskharūna Mina Al-Ladhīna 'Āmanū Wa ۘ Al-Ladhīna Attaqaw Fawqahum Yawma Al-Qiyāmati Wa ۗ Allāhu Yarzuqu Man Yashā'u Bighayri Ĥisābin
002-212 जिन लोगों ने कुफ्र इख्तेयार किया उन के लिये दुनिया की ज़रा सी ज़िन्दगी ख़ूब अच्छी दिखायी गयी है और ईमानदारों से मसखरापन करते हैं हालॉकि क़यामत के दिन परहेज़गारों का दरजा उनसे (कहीं) बढ़ चढ़ के होगा और ख़ुदा जिस को चाहता है बे हिसाब रोज़ी अता फरमाता है
Kāna An-Nāsu 'Ummatan Wāĥidatan Faba`atha Allāhu An-Nabīyīna Mubashshirīna Wa Mundhirīna Wa 'Anzala Ma`ahumu Al-Kitāba Bil-Ĥaqqi Liyaĥkuma Bayna An-Nāsi Fīmā Akhtalafū Fīhi ۚ Wa Mā Akhtalafa Fīhi 'Illā Al-Ladhīna 'Ūtūhu Min Ba`di Mā Jā'at/humu Al-Bayyinātu Baghyāan Baynahum ۖ Fahadá Allāhu Al-Ladhīna 'Āmanū Limā Akhtalafū Fīhi Mina Al-Ĥaqqi Bi'idhnihi Wa ۗ Allāhu Yahdī Man Yashā'u 'Ilá Şirāţin Mustaqīmin
002-213 (पहले) सब लोग एक ही दीन रखते थे (फिर आपस में झगड़ने लगे तब) ख़ुदा ने नजात से ख़ुश ख़बरी देने वाले और अज़ाब से डराने वाले पैग़म्बरों को भेजा और इन पैग़म्बरों के साथ बरहक़ किताब भी नाज़िल की ताकि जिन बातों में लोग झगड़ते थे किताबे ख़ुदा (उसका) फ़ैसला कर दे और फिर अफ़सोस तो ये है कि इस हुक्म से इख्तेलाफ किया भी तो उन्हीं लोगों ने जिन को किताब दी गयी थी और वह भी जब उन के पास ख़ुदा के साफ एहकाम आ चुके उसके बाद और वह भी आपस की शरारत से तब ख़ुदा ने अपनी मेहरबानी से (ख़ालिस) ईमानदारों को वह राहे हक़ दिखा दी जिस में उन लोगों ने इख्तेलाफ डाल रखा था और ख़ुदा जिस को चाहे राहे रास्त की हिदायत करता है
'Am Ĥasibtum 'An Tadkhulū Al-Jannata Wa Lammā Ya'tikum Mathalu Al-Ladhīna Khalaw MinQablikum ۖ Massat/humu Al-Ba'sā'u Wa Ađ-Đarrā'u Wa Zulzilū Ĥattá Yaqūla Ar-Rasūlu Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Ma`ahu Matá Naşru Allāhi ۗ 'Alā 'Inna Naşra Allāhi Qarībun
002-214 क्या तुम ये ख्याल करते हो कि बेहश्त में पहुँच ही जाओगे हालॉकि अभी तक तुम्हे अगले ज़माने वालों की सी हालत नहीं पेश आयी कि उन्हें तरह तरह की तक़लीफों (फाक़ा कशी मोहताजी) और बीमारी ने घेर लिया था और ज़लज़ले में इस क़दर झिंझोडे ग़ए कि आख़िर (आज़िज़ हो के) पैग़म्बर और ईमान वाले जो उन के साथ थे कहने लगे देखिए ख़ुदा की मदद कब (होती) है देखो (घबराओ नहीं) ख़ुदा की मदद यक़ीनन बहुत क़रीब है
Yas'alūnaka Mādhā Yunfiqūna ۖ Qul Mā 'Anfaqtum Min Khayrin Falilwālidayni Wa Al-'Aqrabīna Wa Al-Yatāmá Wa Al-Masākīni Wa Abni As-Sabīli ۗ Wa Mā Taf`alū Min Khayrin Fa'inna Allāha Bihi `Alīmun
002-215 (ऐ रसूल) तुमसे लोग पूछते हैं कि हम ख़ुदा की राह में क्या खर्च करें (तो तुम उन्हें) जवाब दो कि तुम अपनी नेक कमाई से जो कुछ खर्च करो तो (वह तुम्हारे माँ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजो और परदेसियों का हक़ है और तुम कोई नेक सा काम करो ख़ुदा उसको ज़रुर जानता है
Kutiba `Alaykumu Al-Qitālu Wa Huwa Kurhun Lakum ۖ Wa `Asá 'An Takrahū Shay'āan Wa Huwa Khayrun Lakum ۖ Wa `Asá 'An Tuĥibbū Shay'āan Wa Huwa Sharrun Lakum Wa ۗ Allāhu Ya`lamu Wa 'Antum Lā Ta`lamūna
002-216 (मुसलमानों) तुम पर जिहाद फर्ज क़िया गया अगरचे तुम पर शाक़ ज़रुर है और अजब नहीं कि तुम किसी चीज़ (जिहाद) को नापसन्द करो हालॉकि वह तुम्हारे हक़ में बेहतर हो और अजब नहीं कि तुम किसी चीज़ को पसन्द करो हालॉकि वह तुम्हारे हक़ में बुरी हो और ख़ुदा (तो) जानता ही है मगर तुम नही जानते हो
Yas'alūnaka `Ani Ash-Shahri Al-Ĥarāmi Qitālin Fīhi ۖ Qul Qitālun Fīhi Kabīrun ۖ Wa Şaddun `An Sabīli Allāhi Wa Kufrun Bihi Wa Al-Masjidi Al-Ĥarāmi Wa 'Ikhrāju 'Ahlihi Minhu 'Akbaru `Inda Allāhi Wa ۚ Al-Fitnatu 'Akbaru Mina Al-Qatli ۗ Wa Lā Yazālūna Yuqātilūnakum Ĥattá Yaruddūkum `An Dīnikum 'Ini Astaţā`ū ۚ Wa Man Yartadid Minkum `An Dīnihi Fayamut Wa Huwa Kāfirun Fa'ūlā'ika Ĥabiţat 'A`māluhum Fī Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati ۖ Wa 'Ūlā'ika 'Aşĥābu An-Nāri ۖ Hum Fīhā Khālidūna
002-217 (ऐ रसूल) तुमसे लोग हुरमत वाले महीनों की निस्बत पूछते हैं कि (आया) जिहाद उनमें जायज़ है तो तुम उन्हें जवाब दो कि इन महीनों में जेहाद बड़ा गुनाह है और ये भी याद रहे कि ख़ुदा की राह से रोकना और ख़ुदा से इन्कार और मस्जिदुल हराम (काबा) से रोकना और जो उस के अहल है उनका मस्जिद से निकाल बाहर करना (ये सब) ख़ुदा के नज़दीक इस से भी बढ़कर गुनाह है और फ़ितना परदाज़ी कुश्ती ख़़ून से भी बढ़ कर है और ये कुफ्फ़ार हमेशा तुम से लड़ते ही चले जाएँगें यहाँ तक कि अगर उन का बस चले तो तुम को तुम्हारे दीन से फिरा दे और तुम में जो शख्स अपने दीन से फिरा और कुफ़्र की हालत में मर गया तो ऐसों ही का किया कराया सब कुछ दुनिया और आखेरत (दोनों) में अकारत है और यही लोग जहन्नुमी हैं (और) वह उसी में हमेशा रहेंगें
'Inna Al-Ladhīna 'Āmanū Wa Al-Ladhīna Hājarū Wa Jāhadū Fī Sabīli Allāhi 'Ūlā'ika Yarjūna Raĥmata Allāhi Wa ۚ Allāhu GhafūrunRaĥīmun
002-218 बेशक जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और ख़ुदा की राह में हिजरत की और जिहाद किया यही लोग रहमते ख़ुदा के उम्मीदवार हैं और ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Yas'alūnaka `Ani Al-Khamri Wa Al-Maysiri ۖ Qul Fīhimā 'Ithmun Kabīrun Wa Manāfi`u Lilnnāsi Wa 'Ithmuhumā 'Akbaru Min Naf`ihimā ۗ Wa Yas'alūnaka Mādhā Yunfiqūna Quli Al-`Afwa ۗ Kadhālika Yubayyinu Allāhu Lakumu Al-'Āyāti La`allakum Tatafakkarūna
002-219 (ऐ रसूल) तुमसे लोग शराब और जुए के बारे में पूछते हैं तो तुम उन से कह दो कि इन दोनो में बड़ा गुनाह है और कुछ फायदे भी हैं और उन के फायदे से उन का गुनाह बढ़ के है और तुम से लोग पूछते हैं कि ख़ुदा की राह में क्या ख़र्च करे तुम उनसे कह दो कि जो तुम्हारे ज़रुरत से बचे यूँ ख़ुदा अपने एहकाम तुम से साफ़ साफ़ बयान करता है
Fī Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati ۗ Wa Yas'alūnaka `Ani Al-Yatāmá ۖ Qul 'Işlāĥun LahumKhayrun ۖ Wa 'In Tukhāliţūhum Fa'ikhwānukum Wa ۚ Allāhu Ya`lamu Al-Mufsida Mina Al-Muşliĥi ۚ Wa Law Shā'a Allāhu La'a`natakum ۚ 'Inna Allāha `Azīzun Ĥakīmun
002-220 ताकि तुम दुनिया और आख़िरत (के मामलात) में ग़ौर करो और तुम से लोग यतीमों के बारे में पूछते हैं तुम (उन से) कह दो कि उनकी (इसलाह दुरुस्ती) बेहतर है और अगर तुम उन से मिलजुल कर रहो तो (कुछ हर्ज) नहीं आख़िर वह तुम्हारें भाई ही तो हैं और ख़ुदा फ़सादी को ख़ैर ख्वाह से (अलग ख़ूब) जानता है और अगर ख़ुदा चाहता तो तुम को मुसीबत में डाल देता बेशक ख़ुदा ज़बरदस्त हिक़मत वाला है
Wa Lā Tankiĥū Al-Mushrikāti Ĥattá Yu'uminna ۚ Wa La'amatun Mu'uminatun Khayrun Min Mushrikatin Wa Law 'A`jabatkum ۗ Wa Lā Tunkiĥū Al-Mushrikīna Ĥattá Yu'uminū ۚ Wa La`abdun Mu'uminun Khayrun Min Mushrikin Wa Law 'A`jabakum ۗ 'Ūlā'ika Yad`ūna 'Ilá An-Nāri Wa ۖ Allāhu Yad`ū 'Ilá Al-Jannati Wa Al-Maghfirati Bi'idhnihi ۖ Wa Yubayyinu 'Āyātihi Lilnnāsi La`allahum Yatadhakkarūna
002-221 और (मुसलमानों) तुम मुशरिक औरतों से जब तक ईमान न लाएँ निकाह न करो क्योंकि मुशरिका औरत तुम्हें अपने हुस्नो जमाल में कैसी ही अच्छी क्यों न मालूम हो मगर फिर भी ईमानदार औरत उस से ज़रुर अच्छी है और मुशरेकीन जब तक ईमान न लाएँ अपनी औरतें उन के निकाह में न दो और मुशरिक तुम्हे कैसा ही अच्छा क्यो न मालूम हो मगर फिर भी ईमानदार औरत उस से ज़रुर अच्छी है और मुशरेकीन जब तक ईमान न लाएँ अपनी औरतें उन के निकाह में न दो और मुशरिक तुम्हें क्या ही अच्छा क्यों न मालूम हो मगर फिर भी बन्दा मोमिन उनसे ज़रुर अच्छा है ये (मुशरिक मर्द या औरत) लोगों को दोज़ख़ की तरफ बुलाते हैं और ख़ुदा अपनी इनायत से बेहिश्त और बख़्शिस की तरफ बुलाता है और अपने एहकाम लोगों से साफ साफ बयान करता है ताकि ये लोग चेते
Wa Yas'alūnaka `Ani Al-Maĥīđi ۖ Qul Huwa 'Adhan Fā`tazilū An-Nisā' Fī Al-Maĥīđi ۖ Wa Lā Taqrabūhunna Ĥattá Yaţhurna ۖ Fa'idhā Taţahharna Fa'tūhunna Min Ĥaythu 'Amarakumu Allāhu ۚ 'Inna Allāha Yuĥibbu At-Tawwābīna Wa Yuĥibbu Al-Mutaţahhirīna
002-222 (ऐ रसूल) तुम से लोग हैज़ के बारे में पूछते हैं तुम उनसे कह दो कि ये गन्दगी और घिन की बीमारी है तो (अय्यामे हैज़) में तुम औरतों से अलग रहो और जब तक वह पाक न हो जाएँ उनके पास न जाओ पस जब वह पाक हो जाएँ तो जिधर से तुम्हें ख़ुदा ने हुक्म दिया है उन के पास जाओ बेशक ख़ुदा तौबा करने वालो और सुथरे लोगों को पसन्द करता है तुम्हारी बीवियाँ (गोया) तुम्हारी खेती हैं
Nisā'uukum Ĥarthun Lakum Fa'tū Ĥarthakum 'Anná Shi'tum ۖ Wa Qaddimū Li'nfusikum ۚ Wa Attaqū Allaha Wa A`lamū 'Annakum Mulāqūhu ۗ Wa Bashshiri Al-Mu'uminīna
002-223 तो तुम अपनी खेती में जिस तरह चाहो आओ और अपनी आइन्दा की भलाई के वास्ते (आमाल साके) पेशगी भेजो और ख़ुदा से डरते रहो और ये भी समझ रखो कि एक दिन तुमको उसके सामने जाना है और ऐ रसूल ईमानदारों को नजात की ख़ुश ख़बरी दे दो
Wa Lā Taj`alū Allaha `Urđatan Li'ymānikum 'An Tabarrū Wa Tattaqū Wa Tuşliĥū Bayna An-Nāsi Wa ۗ Allāhu Samī`un `Alīmun
002-224 और (मुसलमानों) तुम अपनी क़समों (के हीले) से ख़ुदा (के नाम) को लोगों के साथ सुलूक करने और ख़ुदा से डरने और लोगों के दरमियान सुलह करवा देने का मानेअ न ठहराव और ख़ुदा सबकी सुनता और सब को जानता है
Lā Yu'uākhidhukumu Allāhu Bil-Laghwi Fī 'Aymānikum Wa Lakin Yu'uākhidhukum Bimā Kasabat Qulūbukum Wa ۗ Allāhu Ghafūrun Ĥalīmun
002-225 तुम्हारी लग़ो (बेकार) क़समों पर जो बेइख्तेयार ज़बान से निकल जाए ख़ुदा तुम से गिरफ्तार नहीं करने का मगर उन कसमों पर ज़रुर तुम्हारी गिरफ्त करेगा जो तुमने क़सदन (जान कर) दिल से खायीं हो और ख़ुदा बख्शने वाला बुर्दबार है
002-226 जो लोग अपनी बीवियों के पास जाने से क़सम खायें उन के लिए चार महीने की मोहलत है पस अगर (वह अपनी क़सम से उस मुद्दत में बाज़ आए) और उनकी तरफ तवज्जो करें तो बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Wa Al-Muţallaqātu Yatarabbaşna Bi'anfusihinna Thalāthata Qurū'in ۚ Wa Lā Yaĥillu Lahunna 'An Yaktumna Mā Khalaqa Allāhu Fī 'Arĥāmihinna 'In Kunna Yu'uminna Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri ۚ Wa Bu`ūlatuhunna 'Aĥaqqu Biraddihinna Fī Dhālika 'In 'Arādū 'Işlāĥāan ۚ Wa Lahunna Mithlu Al-Ladhī `Alayhinna Bil-Ma`rūfi ۚ Wa Lilrrijāli `Alayhinna Darajatun Wa ۗ Allāhu `Azīzun Ĥakīmun
002-228 और जिन औरतों को तलाक़ दी गयी है वह अपने आपको तलाक़ के बाद तीन हैज़ के ख़त्म हो जाने तक निकाह सानी से रोके और अगर वह औरतें ख़ुदा और रोजे आख़िरत पर ईमान लायीं हैं तो उनके लिए जाएज़ नहीं है कि जो कुछ भी ख़ुदा ने उनके रहम (पेट) में पैदा किया है उसको छिपाएँ और अगर उन के शौहर मेल जोल करना चाहें तो वह (मुद्दत मज़कूरा) में उन के वापस बुला लेने के ज्यादा हक़दार हैं और शरीयत मुवाफिक़ औरतों का (मर्दों पर) वही सब कुछ हक़ है जो मर्दों का औरतों पर है हाँ अलबत्ता मर्दों को (फ़जीलत में) औरतों पर फौक़ियत ज़रुर है और ख़ुदा ज़बरदस्त हिक़मत वाला है
002-229 तलाक़ रजअई जिसके बाद रुजू हो सकती है दो ही मरतबा है उसके बाद या तो शरीयत के मवाफिक़ रोक ही लेना चाहिए या हुस्न सुलूक से (तीसरी दफ़ा) बिल्कुल रूख़सत और तुम को ये जायज़ नहीं कि जो कुछ तुम उन्हें दे चुके हो उस में से फिर कुछ वापस लो मगर जब दोनों को इसका ख़ौफ़ हो कि ख़ुदा ने जो हदें मुक़र्रर कर दी हैं उन को दोनो मिया बीवी क़ायम न रख सकेंगे फिर अगर तुम्हे (ऐ मुसलमानो) ये ख़ौफ़ हो कि यह दोनो ख़ुदा की मुकर्रर की हुई हदो पर क़ायम न रहेंगे तो अगर औरत मर्द को कुछ देकर अपना पीछा छुड़ाए (खुला कराए) तो इसमें उन दोनों पर कुछ गुनाह नहीं है ये ख़ुदा की मुक़र्रर की हुई हदें हैं बस उन से आगे न बढ़ो और जो ख़ुदा की मुक़र्रर की हुईहदों से आगे बढ़ते हैं वह ही लोग तो ज़ालिम हैं
002-230 फिर अगर तीसरी बार भी औरत को तलाक़ (बाइन) दे तो उसके बाद जब तक दूसरे मर्द से निकाह न कर ले उस के लिए हलाल नही हाँ अगर दूसरा शौहर निकाह के बाद उसको तलाक़ दे दे तब अलबत्ता उन मिया बीबी पर बाहम मेल कर लेने में कुछ गुनाह नहीं है अगर उन दोनों को यह ग़ुमान हो कि ख़ुदा हदों को क़ायम रख सकेंगें और ये ख़ुदा की (मुक़र्रर की हुई) हदें हैं जो समझदार लोगों के वास्ते साफ साफ बयान करता है
Wa 'Idhā Ţallaqtumu An-Nisā' Fabalaghna 'Ajalahunna Fa'amsikūhunna Bima`rūfin 'Aw Sarriĥūhunna Bima`rūfin ۚ Wa Lā Tumsikūhunna Đirārāan Lita`tadū ۚ Wa Man Yaf`al Dhālika FaqadŽalama Nafsahu ۚ Wa Lā Tattakhidhū 'Āyāti Allāhi Huzūan ۚ Wa Adhkurū Ni`mata Allāhi `Alaykum Wa Mā 'Anzala `Alaykum Mina Al-Kitābi Wa Al-Ĥikmati Ya`ižukum Bihi ۚ Wa Attaqū Allaha Wa A`lamū 'Anna Allāha Bikulli Shay'in `Alīmun
002-231 और जब तुम अपनी बीवियों को तलाक़ दो और उनकी मुद्दत पूरी होने को आए तो अच्छे उनवान से उन को रोक लो या हुस्ने सुलूक से बिल्कुल रुख़सत ही कर दो और उन्हें तकलीफ पहुँचाने के लिए न रोको ताकि (फिर उन पर) ज्यादती करने लगो और जो ऐसा करेगा तो यक़ीनन अपने ही पर जुल्म करेगा और ख़ुदा के एहकाम को कुछ हँसी ठट्टा न समझो और ख़ुदा ने जो तुम्हें नेअमतें दी हैं उन्हें याद करो और जो किताब और अक्ल की बातें तुम पर नाज़िल की उनसे तुम्हारी नसीहत करता है और ख़ुदा से डरते रहो और समझ रखो कि ख़ुदा हर चीज़ को ज़रुर जानता है
Wa 'Idhā Ţallaqtumu An-Nisā' Fabalaghna 'Ajalahunna Falā Ta`đulūhunna 'An Yankiĥna 'Azwājahunna 'Idhā Tarāđaw Baynahum Bil-Ma`rūfi ۗ Dhālika Yū`ažu Bihi Man Kāna Minkum Yu'uminu Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri ۗ Dhālikum 'Azká Lakum Wa 'Aţharu Wa ۗ Allāhu Ya`lamu Wa 'Antum Lā Ta`lamūna
002-232 और जब तुम औरतों को तलाक़ दो और वह अपनी मुद्दत (इद्दत) पूरी कर लें तो उन्हें अपने शौहरों के साथ निकाह करने से न रोकों जब आपस में दोनों मिया बीवी शरीयत के मुवाफिक़ अच्छी तरह मिल जुल जाएँ ये उसी शख्स को नसीहत की जाती है जो तुम में से ख़ुदा और रोजे आखेरत पर ईमान ला चुका हो यही तुम्हारे हक़ में बड़ी पाकीज़ा और सफ़ाई की बात है और उसकी ख़ूबी ख़ुदा खूब जानता है और तुम (वैसा) नहीं जानते हो
Wa Al-Wālidātu Yurđi`na 'Awlādahunna Ĥawlayni Kāmilayni ۖ Liman 'Arāda 'An Yutimma Ar-Rađā`ata ۚ Wa `Alá Al-Mawlūdi LahuRizquhunna Wa Kiswatuhunna Bil-Ma`rūfi ۚ Lā Tukallafu Nafsun 'Illā Wus`ahā ۚ Lā Tuđārra Wa A-Datun Biwaladihā Wa Lā Mawlūdun Lahu Biwaladihi ۚ Wa `Alá Al-Wārithi Mithlu Dhālika ۗ Fa'in 'Arādā Fişālāan `An Tarāđin Minhumā Wa Tashāwurin Falā Junāĥa `Alayhimā ۗ Wa 'In 'Aradtum 'An Tastarđi`ū 'Awlādakum Falā Junāĥa `Alaykum 'Idhā Sallamtum Mā 'Ātaytum Bil-Ma`rūfi ۗ Wa Attaqū Allaha Wa A`lamū 'Anna Allāha Bimā Ta`malūna Başīrun
002-233 और (तलाक़ देने के बाद) जो शख्स अपनी औलाद को पूरी मुद्दत तक दूध पिलवाना चाहे तो उसकी ख़ातिर से माएँ अपनी औलाद को पूरे दो बरस दूध पिलाएँ और जिसका वह लड़का है (बाप) उस पर माओं का खाना कपड़ा दस्तूर के मुताबिक़ लाज़िम है किसी शख्स को ज़हमत नहीं दी जाती मगर उसकी गुन्जाइश भर न माँ का उस के बच्चे की वजह से नुक़सान गवारा किया जाए और न जिस का लड़का है (बाप) उसका (बल्कि दस्तूर के मुताबिक़ दिया जाए) और अगर बाप न हो तो दूध पिलाने का हक़ उसी तरह वारिस पर लाज़िम है फिर अगर दो बरस के क़ब्ल माँ बाप दोनों अपनी मरज़ी और मशवरे से दूध बढ़ाई करना चाहें तो उन दोनों पर कोई गुनाह नहीं और अगर तुम अपनी औलाद को (किसी अन्ना से) दूध पिलवाना चाहो तो उस में भी तुम पर कुछ गुनाह नहीं है बशर्ते कि जो तुमने दस्तूर के मुताबिक़ मुक़र्रर किया है उन के हवाले कर दो और ख़ुदा से डरते रहो और जान रखो कि जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा ज़रुर देखता है
Wa Al-Ladhīna Yutawaffawna Minkum Wa Yadharūna 'Azwājāan Yatarabbaşna Bi'anfusihinna 'Arba`ata 'Ash/hurin Wa `Ashrāan ۖ Fa'idhā Balaghna 'Ajalahunna Falā Junāĥa `Alaykum Fīmā Fa`alna Fī 'Anfusihinna Bil-Ma`rūfi Wa ۗ Allāhu Bimā Ta`malūna Khabīrun
002-234 और तुममें से जो लोग बीवियाँ छोड़ के मर जाएँ तो ये औरतें चार महीने दस रोज़ (इद्दा भर) अपने को रोके (और दूसरा निकाह न करें) फिर जब (इद्दे की मुद्दत) पूरी कर ले तो शरीयत के मुताबिक़ जो कुछ अपने हक़ में करें इस बारे में तुम पर कोई इल्ज़ाम नहीं है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उस से ख़बरदार है
Wa Lā Junāĥa `Alaykum Fīmā `Arrađtum Bihi Min Khiţbati An-Nisā' 'Aw 'Aknantum Fī 'Anfusikum ۚ `Alima Allāhu 'Annakum Satadhkurūnahunna Wa Lakin Lā Tuwā`idūhunna Sirrāan 'Illā 'An Taqūlū Qawlāan Ma`rūfāan ۚ Wa Lā Ta`zimū `Uqdata An-Nikāĥi Ĥattá Yablugha Al-Kitābu 'Ajalahu ۚ Wa A`lamū 'Anna Allāha Ya`lamu Mā Fī 'Anfusikum Fāĥdharūhu ۚ Wa A`lamū 'Anna Allāha Ghafūrun Ĥalīmun
002-235 और अगर तुम (उस ख़ौफ से कि शायद कोई दूसरा निकाह कर ले) उन औरतों से इशारतन निकाह की (कैद इद्दा) ख़ास्तगारी (उम्मीदवारी) करो या अपने दिलो में छिपाए रखो तो उसमें भी कुछ तुम पर इल्ज़ाम नहीं हैं (क्योंकि) ख़ुदा को मालूम है कि (तुम से सब्र न हो सकेगा और) उन औरतों से निकाह करने का ख्याल आएगा लेकिन चोरी छिपे से निकाह का वायदा न करना मगर ये कि उन से अच्छी बात कह गुज़रों (तो मज़ाएक़ा नहीं) और जब तक मुक़र्रर मियाद गुज़र न जाए निकाह का क़सद (इरादा) भी न करना और समझ रखो कि जो कुछ तुम्हारी दिल में है ख़ुदा उस को ज़रुर जानता है तो उस से डरते रहो और (ये भी) जान लो कि ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला बुर्दबार है
002-236 और अगर तुम ने अपनी बीवियों को हाथ तक न लगाया हो और न महर मुअय्युन किया हो और उसके क़ब्ल ही तुम उनको तलाक़ दे दो (तो इस में भी) तुम पर कुछ इल्ज़ाम नहीं है हाँ उन औरतों के साथ (दस्तूर के मुताबिक़) मालदार पर अपनी हैसियत के मुआफिक़ और ग़रीब पर अपनी हैसियत के मुवाफिक़ (कपड़े रुपए वग़ैरह से) कुछ सुलूक करना लाज़िम है नेकी करने वालों पर ये भी एक हक़ है
Wa 'InŢallaqtumūhunna MinQabli 'An Tamassūhunna Wa Qad Farađtum Lahunna Farīđatan Fanişfu Mā Farađtum 'Illā 'An Ya`fūna 'Aw Ya`fuwa Al-Ladhī Biyadihi `Uqdatu An-Nikāĥi ۚ Wa 'An Ta`fū 'Aqrabu Lilttaqwá ۚ Wa Lā Tansaw Al-Fađla Baynakum ۚ 'Inna Allāha Bimā Ta`malūna Başīrun
002-237 और अगर तुम उन औरतों का मेहर तो मुअय्यन कर चुके हो मगर हाथ लगाने के क़ब्ल ही तलाक़ दे दो तो उन औरतों को मेहर मुअय्यन का आधा दे दो मगर ये कि ये औरतें ख़ुद माफ कर दें या उन का वली जिसके हाथ में उनके निकाह का एख्तेयार हो माफ़ कर दे (तब कुछ नही) और अगर तुम ही सारा मेहर बख्श दो तो परहेज़गारी से बहुत ही क़रीब है और आपस की बुर्ज़ुगी तो मत भूलो और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा ज़रुर देख रहा है
Ĥāfižū `Alá Aş-Şalawāti Wa Aş-Şalāati Al-Wusţá Wa Qūmū Lillāh Qānitīna
002-238 और (मुसलमानों) तुम तमाम नमाज़ों की और ख़ुसूसन बीच वाली नमाज़ सुबह या ज़ोहर या अस्र की पाबन्दी करो और ख़ास ख़ुदा ही वास्ते नमाज़ में क़ुनूत पढ़ने वाले हो कर खड़े हो फिर अगर तुम ख़ौफ की हालत में हो
002-239 और पूरी नमाज़ न पढ़ सको तो सवार या पैदल जिस तरह बन पड़े पढ़ लो फिर जब तुम्हें इत्मेनान हो तो जिस तरह ख़ुदा ने तुम्हें (अपने रसूल की मआरफत इन बातों को सिखाया है जो तुम नहीं जानते थे
Wa Al-Ladhīna Yutawaffawna Minkum Wa Yadharūna 'Azwājāan Waşīyatan Li'zwājihim Matā`āan 'Ilá Al-Ĥawli Ghayra 'Ikhrājin ۚ Fa'in Kharajna Falā Junāĥa `Alaykum Fī Mā Fa`alna Fī 'Anfusihinna Min Ma`rūfin Wa ۗ Allāhu `Azīzun Ĥakīmun
002-240 उसी तरह ख़ुदा को याद करो और तुम में से जो लोग अपनी बीवियों को छोड़ कर मर जाएँ उन पर अपनी बीबियों के हक़ में साल भर तक के नान व नुफ्के (रोटी कपड़ा) और (घर से) न निकलने की वसीयत करनी (लाज़िम) है पस अगर औरतें ख़ुद निकल खड़ी हो तो जायज़ बातों (निकाह वगैरह) से कुछ अपने हक़ में करे उसका तुम पर कुछ इल्ज़ाम नही है और ख़ुदा हर यै पर ग़ालिब और हिक़मत वाला है
002-243 ताकि तुम समझो (ऐ रसूल) क्या तुम ने उन लोगों के हाल पर नज़र नही की जो मौत के डर के मारे अपने घरों से निकल भागे और वह हज़ारो आदमी थे तो ख़ुदा ने उन से फरमाया कि सब के सब मर जाओ (और वह मर गए) फिर ख़ुदा न उन्हें जिन्दा किया बेशक ख़ुदा लोगों पर बड़ा मेहरबान है मगर अक्सर लोग उसका शुक्र नहीं करते
ManDhā Al-Ladhī Yuqriđu Allāha Qarđāan Ĥasanāan Fayuđā`ifahu Lahu~ 'Ađ`āfāan Kathīratan Wa ۚ Allāhu Yaqbiđu Wa Yabsuţu Wa 'Ilayhi Turja`ūna
002-245 है कोई जो ख़ुदा को क़र्ज़ ए हुस्ना दे ताकि ख़ुदा उसके माल को इस के लिए कई गुना बढ़ा दे और ख़ुदा ही तंगदस्त करता है और वही कशायश देता है और उसकी तरफ सब के सब लौटा दिये जाओगे
'Alam Tara 'Ilá Al-Mala'i Min Banī 'Isrā'īla Min Ba`di Mūsá 'IdhQālū Linabīyin LahumAb`ath Lanā Malikāan Nuqātil Fī Sabīli Allāhi ۖ Qāla Hal `Asaytum 'In Kutiba `Alaykumu Al-Qitālu 'Allā Tuqātilū ۖ Qālū Wa Mā Lanā 'Allā Nuqātila Fī Sabīli Allāhi Wa Qad 'Ukhrijnā Min Diyārinā Wa 'Abnā'inā ۖ Falammā Kutiba `Alayhimu Al-Qitālu Tawallaw 'Illā Qalīlāan Minhum Wa ۗ Allāhu `Alīmun Biž-Žālimīna
002-246 (ऐ रसूल) क्या तुमने मूसा के बाद बनी इसराइल के सरदारों की हालत पर नज़र नही की जब उन्होंने अपने नबी (शमूयेल) से कहा कि हमारे वास्ते एक बादशाह मुक़र्रर कीजिए ताकि हम राहे ख़ुदा में जिहाद करें (पैग़म्बर ने) फ़रमाया कहीं ऐसा तो न हो कि जब तुम पर जिहाद वाजिब किया जाए तो तुम न लड़ो कहने लगे जब हम अपने घरों और अपने बाल बच्चों से निकाले जा चुके तो फिर हमे कौन सा उज़्र बाक़ी है कि हम ख़ुदा की राह में जिहाद न करें फिर जब उन पर जिहाद वाजिब किया गया तो उनमें से चन्द आदमियों के सिवा सब के सब ने लड़ने से मुँह फेरा और ख़ुदा तो ज़ालिमों को खूब जानता है
Wa Qāla Lahum Nabīyuhum 'Inna Allāha Qad Ba`atha LakumŢālūta Malikāan ۚ Qālū 'Anná Yakūnu Lahu Al-Mulku `Alaynā Wa Naĥnu 'Aĥaqqu Bil-Mulki Minhu Wa Lam Yu'uta Sa`atan Mina Al-Māli ۚ Qāla 'Inna Allāha Aşţafāhu `Alaykum Wa Zādahu Basţatan Fī Al-`Ilmi Wa Al-Jismi Wa ۖ Allāhu Yu'utī Mulkahu Man Yashā'u Wa ۚ Allāhu Wāsi`un `Alīmun
002-247 और उनके नबी ने उनसे कहा कि बेशक ख़ुदा ने तुम्हारी दरख्वास्त के (मुताबिक़ तालूत को तुम्हारा बादशाह मुक़र्रर किया (तब) कहने लगे उस की हुकूमत हम पर क्यों कर हो सकती है हालाकि सल्तनत के हक़दार उससे ज्यादा तो हम हैं क्योंकि उसे तो माल के एतबार से भी फ़ारगुल बाली (ख़ुशहाली) तक नसीब नहीं (नबी ने) कहा ख़ुदा ने उसे तुम पर फज़ीलत दी है और माल में न सही मगर इल्म और जिस्म का फैलाव तो उस का ख़ुदा ने ज्यादा फरमाया हे और ख़ुदा अपना मुल्क जिसे चाहें दे और ख़ुदा बड़ी गुन्जाइश वाला और वाक़िफ़कार है
002-248 और उन के नबी ने उनसे ये भी कहा इस के (मुनाजानिब अल्लाह) बादशाह होने की ये पहचान है कि तुम्हारे पास वह सन्दूक़ आ जाएगा जिसमें तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तसकीन दे चीजें और उन तब्बुरक़ात से बचा खुचा होगा जो मूसा और हारुन की औलाद यादगार छोड़ गयी है और उस सन्दूक को फरिश्ते उठाए होगें अगर तुम ईमान रखते हो तो बेशक उसमें तुम्हारे वास्ते पूरी निशानी है
Falammā Faşala Ţālūtu Bil-Junūdi Qāla 'Inna Allāha Mubtalīkum Binaharin FamanShariba Minhu Falaysa Minnī Wa Man Lam Yaţ`amhu Fa'innahu Minnī 'Illā Mani Aghtarafa Ghurfatan Biyadihi ۚ Fasharibū Minhu 'Illā Qalīlāan Minhum ۚ Falammā Jāwazahu Huwa Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Ma`ahuQālū Lā Ţāqata Lanā Al-Yawma Bijālūta Wa Junūdihi ۚ Qāla Al-Ladhīna Yažunnūna 'Annahum Mulāqū Allahi Kam Min Fi'atinQalīlatin Ghalabat Fi'atan Kathīratan Bi'idhni Allāhi Wa ۗ Allāhu Ma`a Aş-Şābirīna
002-249 फिर जब तालूत लशकर समैत (शहर ऐलिया से) रवाना हुआ तो अपने साथियों से कहा देखो आगे एक नहर मिलेगी इस से यक़ीनन ख़ुदा तुम्हारे सब्र की आज़माइश करेगा पस जो शख्स उस का पानी पीयेगा मुझे (कुछ वास्ता) नही रखता और जो उस को नही चखेगा वह बेशक मुझ से होगा मगर हाँ जो अपने हाथ से एक (आधा चुल्लू भर के पी) ले तो कुछ हर्ज नही पस उन लोगों ने न माना और चन्द आदमियों के सिवा सब ने उस का पानी पिया ख़ैर जब तालूत और जो मोमिनीन उन के साथ थे नहर से पास हो गए तो (ख़ास मोमिनों के सिवा) सब के सब कहने लगे कि हम में तो आज भी जालूत और उसकी फौज से लड़ने की सकत नहीं मगर वह लोग जिनको यक़ीन है कि एक दिन ख़ुदा को मुँह दिखाना है बेधड़क बोल उठे कि ऐसा बहुत हुआ कि ख़ुदा के हुक्म से छोटी जमाअत बड़ी जमाअत पर ग़ालिब आ गयी है और ख़ुदा सब्र करने वालों का साथी है
Wa Lammā Barazū Lijālūta Wa JunūdihiQālū Rabbanā 'Afrigh `Alaynā Şabrāan Wa Thabbit 'Aqdāmanā Wa Anşurnā `Alá Al-Qawmi Al-Kāfirīna
002-250 (ग़रज़) जब ये लोग जालूत और उसकी फौज के मुक़ाबले को निकले तो दुआ की ऐ मेरे परवरदिगार हमें कामिल सब्र अता फरमा और मैदाने जंग में हमारे क़दम जमाए रख और हमें काफिरों पर फतेह इनायत कर
Fahazamūhum Bi'idhni Allāhi Wa Qatala Dāwūdu Jālūta Wa 'Ātāhu Allāhu Al-Mulka Wa Al-Ĥikmata Wa `Allamahu Mimmā Yashā'u ۗ Wa Lawlā Daf`u Allāhi An-Nāsa Ba`đahum Biba`đin Lafasadati Al-'Arđu Wa Lakinna Allāha Dhū Fađlin `Alá Al-`Ālamīna
002-251 फिर तो उन लोगों ने ख़ुदा के हुक्म से दुशमनों को शिकस्त दी और दाऊद ने जालूत को क़त्ल किया और ख़ुदा ने उनको सल्तनत व तदबीर तम्द्दुन अता की और इल्म व हुनर जो चाहा उन्हें गोया घोल के पिला दिया और अगर ख़ुदा बाज़ लोगों के ज़रिए से बाज़ का दफाए (शर) न करता तो तमाम रुए ज़मीन पर फ़साद फैल जाता मगर ख़ुदा तो सारे जहाँन के लोगों पर फज़ल व रहम करता है
Tilka Ar-Rusulu Fađđalnā Ba`đahum `Alá Ba`đin ۘ Minhum Man Kallama Allāhu ۖ Wa Rafa`a Ba`đahum Darajātin ۚ Wa 'Ātaynā `Īsá Abna Maryama Al-Bayyināti Wa 'Ayyadnāhu Birūĥi Al-Qudusi ۗ Wa Law Shā'a Allāhu Mā Aqtatala Al-Ladhīna Min Ba`dihim Min Ba`di Mā Jā'at/humu Al-Bayyinātu Wa Lakini Akhtalafū Faminhum Man 'Āmana Wa Minhum Man Kafara ۚ Wa Law Shā'a Allāhu Mā Aqtatalū Wa Lakinna Allāha Yaf`alu Mā Yurīdu
002-253 यह सब रसूल (जो हमने भेजे) उनमें से बाज़ को बाज़ पर फज़ीलत दी उनमें से बाज़ तो ऐसे हैं जिनसे ख़ुद ख़ुदा ने बात की उनमें से बाज़ के (और तरह पर) दर्जे बुलन्द किये और मरियम के बेटे ईसा को (कैसे कैसे रौशन मौजिज़े अता किये) और रूहुलकुदस (जिबरईल) के ज़रिये से उनकी मदद की और अगर ख़ुदा चाहता तो लोग इन (पैग़म्बरों) के बाद हुये वह अपने पास रौशन मौजिज़े आ चुकने पर आपस में न लड़ मरते मगर उनमें फूट पड़ गई पस उनमें से बाज़ तो ईमान लाये और बाज़ काफ़िर हो गये और अगर ख़ुदा चाहता तो यह लोग आपस में लड़ते मगर ख़ुदा वही करता है जो चाहता है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū 'Anfiqū Mimmā Razaqnākum MinQabli 'An Ya'tiya Yawmun Lā Bay`un Fīhi Wa Lā Khullatun Wa Lā Shafā`atun Wa ۗ Al-Kāfirūna Humu Až-Žālimūna
002-254 ऐ ईमानदारों जो कुछ हमने तुमको दिया है उस दिन के आने से पहले (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करो जिसमें न तो ख़रीदो फरोख्त होगी और न यारी (और न आशनाई) और न सिफ़ारिश (ही काम आयेगी) और कुफ़्र करने वाले ही तो जुल्म ढाते हैं
Al-Lahu Lā 'Ilāha 'Illā Huwa Al-Ĥayyu Al-Qayyūmu ۚ Lā Ta'khudhuhu Sinatun Wa Lā Nawmun ۚ Lahu Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi ۗ ManDhā Al-Ladhī Yashfa`u `Indahu~ 'Illā Bi'idhnihi ۚ Ya`lamu Mā Bayna 'Aydīhim Wa Mā Khalfahum ۖ Wa Lā Yuĥīţūna Bishay'in Min `Ilmihi~ 'Illā Bimā Shā'a ۚ Wasi`a Kursīyuhu As-Samāwāti Wa Al-'Arđa ۖ Wa Lā Ya'ūduhu Ĥifžuhumā ۚ Wa Huwa Al-`Alīyu Al-`Ažīmu
002-255 ख़ुदा ही वो ज़ाते पाक है कि उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वह) ज़िन्दा है (और) सारे जहान का संभालने वाला है उसको न ऊँघ आती है न नींद जो कुछ आसमानो में है और जो कुछ ज़मीन में है (गरज़ सब कुछ) उसी का है कौन ऐसा है जो बग़ैर उसकी इजाज़त के उसके पास किसी की सिफ़ारिश करे जो कुछ उनके सामने मौजूद है (वह) और जो कुछ उनके पीछे (हो चुका) है (खुदा सबको) जानता है और लोग उसके इल्म में से किसी चीज़ पर भी अहाता नहीं कर सकते मगर वह जिसे जितना चाहे (सिखा दे) उसकी कुर्सी सब आसमानॊं और ज़मीनों को घेरे हुये है और उन दोनों (आसमान व ज़मीन) की निगेहदाश्त उसपर कुछ भी मुश्किल नहीं और वह आलीशान बुजुर्ग़ मरतबा है
Lā 'Ikrāha Fī Ad-Dīni ۖ Qad Tabayyana Ar-Rushdu Mina Al-Ghayyi ۚ Faman Yakfur Biţ-Ţāghūti Wa Yu'umin Billāhi Faqadi Astamsaka Bil-`Urwati Al-Wuthqá Lā Anfişāma Lahā Wa ۗ Allāhu Samī`un `Alīmun
002-256 दीन में किसी तरह की जबरदस्ती नहीं क्योंकि हिदायत गुमराही से (अलग) ज़ाहिर हो चुकी तो जिस शख्स ने झूठे खुदाओं बुतों से इंकार किया और खुदा ही पर ईमान लाया तो उसने वो मज़बूत रस्सी पकड़ी है जो टूट ही नहीं सकती और ख़ुदा सब कुछ सुनता और जानता है
Al-Lahu Wa Līyu Al-Ladhīna 'Āmanū Yukhrijuhum Mina Až-Žulumāti 'Ilá An-Nūr Wa ۖ Al-Ladhīna Kafarū 'Awliyā'uuhumu Aţ-Ţāghūtu Yukhrijūnahum Mina An-Nūr 'Ilá Až-Žulumāti ۗ 'Ūlā'ika 'Aşĥābu An-Nāri ۖ Hum Fīhā Khālidūna
002-257 ख़ुदा उन लोगों का सरपरस्त है जो ईमान ला चुके कि उन्हें (गुमराही की) तारीक़ियों से निकाल कर (हिदायत की) रौशनी में लाता है और जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया उनके सरपरस्त शैतान हैं कि उनको (ईमान की) रौशनी से निकाल कर (कुफ़्र की) तारीकियों में डाल देते हैं यही लोग तो जहन्नुमी हैं (और) यही उसमें हमेशा रहेंगे
'Alam Tara 'Ilá Al-Ladhī Ĥājja 'Ibrāhīma Fī Rabbihi~ 'An 'Ātāhu Allāhu Al-Mulka 'IdhQāla 'Ibrāhīmu Rabbī Al-Ladhī Yuĥyī Wa Yumītu Qāla 'Anā 'Uĥyī Wa 'Umītu ۖ Qāla 'Ibrāhīmu Fa'inna Allāha Ya'tī Bish-Shamsi Mina Al-Mashriqi Fa'ti Bihā Mina Al-Maghribi Fabuhita Al-Ladhī Kafara Wa ۗ Allāhu Lā Yahdī Al-Qawma Až-Žālimīna
002-258 (ऐ रसूल) क्या तुम ने उस शख्स (के हाल) पर नज़र नहीं की जो सिर्फ़ इस बिरते पर कि ख़ुदा ने उसे सल्तनत दी थी इब्राहीम से उनके परवरदिगार के बारे में उलझ पड़ा कि जब इब्राहीम ने (उससे) कहा कि मेरा परवरदिगार तो वह है जो (लोगों को) जिलाता और मारता है तो वो भी (शेख़ी में) आकर कहने लगा मैं भी जिलाता और मारता हूं (तुम्हारे ख़ुदा ही में कौन सा कमाल है) इब्राहीम ने कहा (अच्छा) खुदा तो आफ़ताब को पूरब से निकालता है भला तुम उसको पश्चिम से निकालो इस पर वह काफ़िर हक्का बक्का हो कर रह गया (मगर ईमान न लाया) और ख़ुदा ज़ालिमों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुंचाया करता
002-259 (ऐ रसूल तुमने) मसलन उस (बन्दे के हाल पर भी नज़र की जो एक गॉव पर से होकर गुज़रा और वो ऐसा उजड़ा था कि अपनी छतों पर से ढह के गिर पड़ा था ये देखकर वह बन्दा (कहने लगा) अल्लाह अब इस गॉव को ऐसी वीरानी के बाद क्योंकर आबाद करेगा इस पर ख़ुदा ने उसको (मार डाला) सौ बरस तक मुर्दा रखा फिर उसको जिला उठाया (तब) पूछा तुम कितनी देर पड़े रहे अर्ज क़ी एक दिन पड़ा रहा एक दिन से भी कम फ़रमाया नहीं तुम (इसी हालत में) सौ बरस पड़े रहे अब ज़रा अपने खाने पीने (की चीज़ों) को देखो कि बुसा तक नहीं और ज़रा अपने गधे (सवारी) को तो देखो कि उसकी हड्डियाँ ढेर पड़ी हैं और सब इस वास्ते किया है ताकि लोगों के लिये तुम्हें क़ुदरत का नमूना बनाये और अच्छा अब (इस गधे की) हड्डियों की तरफ़ नज़र करो कि हम क्योंकर जोड़ जाड़ कर ढाँचा बनाते हैं फिर उनपर गोश्त चढ़ाते हैं पस जब ये उनपर ज़ाहिर हुआ तो बेसाख्ता बोल उठे कि (अब) मैं ये यक़ीने कामिल जानता हूं कि ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
Wa 'IdhQāla 'Ibrāhīmu Rabbi 'Arinī Kayfa Tuĥyī Al-Mawtá ۖ Qāla 'Awalam Tu'umin ۖ Qāla Balá Wa Lakin Liyaţma'inna Qalbī ۖ Qāla Fakhudh 'Arba`atan Mina Aţ-Ţayri Faşurhunna 'Ilayka Thumma Aj`al `Alá Kulli Jabalin Minhunna Juz'āanThumma Ad`uhunna Ya'tīnaka Sa`yāan ۚ Wa A`lam 'Anna Allāha `Azīzun Ĥakīmun
002-260 और (ऐ रसूल) वह वाकेया भी याद करो जब इबराहीम ने (खुदा से) दरख्वास्त की कि ऐ मेरे परवरदिगार तू मुझे भी तो दिखा दे कि तू मुर्दों को क्योंकर ज़िन्दा करता है ख़ुदा ने फ़रमाया क्या तुम्हें (इसका) यक़ीन नहीं इबराहीम ने अर्ज़ की (क्यों नहीं) यक़ीन तो है मगर ऑंख से देखना इसलिए चाहता हूं कि मेरे दिल को पूरा इत्मिनान हो जाए फ़रमाया (अगर ये चाहते हो) तो चार परिन्दे लो और उनको अपने पास मॅगवा लो और टुकड़े टुकड़े कर डालो फिर हर पहाड़ पर उनका एक एक टुकड़ा रख दो उसके बाद उनको बुलाओ (फिर देखो तो क्यों कर वह सब के सब तुम्हारे पास दौड़े हुए आते हैं और समझ रखो कि ख़ुदा बेशक ग़ालिब और हिकमत वाला है
Mathalu Al-Ladhīna Yunfiqūna 'Amwālahum Fī Sabīli Allāhi Kamathali Ĥabbatin 'Anbatat Sab`a Sanābila Fī Kulli Sunbulatin Miā'atu Ĥabbatin Wa ۗ Allāhu Yuđā`ifu Liman Yashā'u Wa ۗ Allāhu Wāsi`un `Alīmun
002-261 जो लोग अपने माल खुदा की राह में खर्च करते हैं उनके (खर्च) की मिसाल उस दाने की सी मिसाल है जिसकी सात बालियॉ निकलें (और) हर बाली में सौ (सौ) दाने हों और ख़ुदा जिसके लिये चाहता है दूना कर देता है और खुदा बड़ी गुन्जाइश वाला (हर चीज़ से) वाक़िफ़ है
Al-Ladhīna Yunfiqūna 'Amwālahum Fī Sabīli Allāhi Thumma Lā Yutbi`ūna Mā 'Anfaqū Mannāan Wa Lā 'Adhan ۙ Lahum 'Ajruhum `Inda Rabbihim Wa Lā Khawfun `Alayhim Wa Lā Hum Yaĥzanūna
002-262 जो लोग अपने माल ख़ुदा की राह में ख़र्च करते हैं और फिर ख़र्च करने के बाद किसी तरह का एहसान नहीं जताते हैं और न जिनपर एहसान किया है उनको सताते हैं उनका अज्र (व सवाब) उनके परवरदिगार के पास है और न आख़ेरत में उनपर कोई ख़ौफ़ होगा और न वह ग़मगीन होंगे
Qawlun Ma`rūfun Wa Maghfiratun Khayrun MinŞadaqatin Yatba`uhā 'Adhan Wa ۗ Allāhu Ghanīyun Ĥalīmun
002-263 (सायल को) नरमी से जवाब दे देना और (उसके इसरार पर न झिड़कना बल्कि) उससे दरगुज़र करना उस खैरात से कहीं बेहतर है जिसके बाद (सायल को) ईज़ा पहुंचे और ख़ुदा हर शै से बेपरवा (और) बुर्दबार है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Tubţilū Şadaqātikum Bil-Manni Wa Al-'Adhá Kālladhī Yunfiqu MālahuRi'ā'a An-Nāsi Wa Lā Yu'uminu Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri ۖ Famathaluhu Kamathali Şafwānin `Alayhi Turābun Fa'aşābahu Wa Abilun Fatarakahu Şaldāan ۖ Lā Yaqdirūna `Alá Shay'in Mimmā Kasabū Wa ۗ Allāhu Lā Yahdī Al-Qawma Al-Kāfirīna
002-264 ऐ ईमानदारों आपनी खैरात को एहसान जताने और (सायल को) ईज़ा (तकलीफ) देने की वजह से उस शख्स की तरह अकारत मत करो जो अपना माल महज़ लोगों को दिखाने के वास्ते ख़र्च करता है और ख़ुदा और रोजे आखेरत पर ईमान नहीं रखता तो उसकी खैरात की मिसाल उस चिकनी चट्टान की सी है जिसपर कुछ ख़ाक (पड़ी हुई) हो फिर उसपर ज़ोर शोर का (बड़े बड़े क़तरों से) मेंह बरसे और उसको (मिट्टी को बहाके) चिकना चुपड़ा छोड़ जाए (इसी तरह) रियाकार अपनी उस ख़ैरात या उसके सवाब में से जो उन्होंने की है किसी चीज़ पर क़ब्ज़ा न पाएंगे (न दुनिया में न आख़ेरत में) और ख़ुदा काफ़िरों को हिदायत करके मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता
Wa Mathalu Al-Ladhīna Yunfiqūna 'Amwālahumu Abtighā'a Marđāati Allāhi Wa Tathbītāan Min 'Anfusihim Kamathali Jannatin Birabwatin 'Aşābahā Wa Abilun Fa'ātat 'Ukulahā Đi`fayni Fa'in Lam Yuşibhā Wa Abilun Faţallun Wa ۗ Allāhu Bimā Ta`malūna Başīrun
002-265 और जो लोग ख़ुदा की ख़ुशनूदी के लिए और अपने दिली एतक़ाद से अपने माल ख़र्च करते हैं उनकी मिसाल उस (हरे भरे) बाग़ की सी है जो किसी टीले या टीकरे पर लगा हो और उस पर ज़ोर शोर से पानी बरसा तो अपने दुगने फल लाया और अगर उस पर बड़े धड़ल्ले का पानी न भी बरसे तो उसके लिये हल्की फुआर (ही काफ़ी) है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उसकी देखभाल करता रहता है
'Ayawaddu 'Aĥadukum 'An Takūna Lahu Jannatun Min Nakhīlin Wa 'A`nābin Tajrī Min Taĥtihā Al-'Anhāru Lahu Fīhā Min Kulli Ath-Thamarāti Wa 'Aşābahu Al-Kibaru Wa Lahu DhurrīyatunĐu`afā'u Fa'aşābahā 'I`şārun Fīhi Nārun Fāĥtaraqat ۗ Kadhālika Yubayyinu Allāhu Lakumu Al-'Āyāti La`allakum Tatafakkarūna
002-266 भला तुम में कोई भी इसको पसन्द करेगा कि उसके लिए खजूरों और अंगूरों का एक बाग़ हो उसके नीचे नहरें जारी हों और उसके लिए उसमें तरह तरह के मेवे हों और (अब) उसको बुढ़ापे ने घेर लिया है और उसके (छोटे छोटे) नातवॉ कमज़ोर बच्चे हैं कि एकबारगी उस बाग़ पर ऐसा बगोला आ पड़ा जिसमें आग (भरी) थी कि वह बाग़ जल भुन कर रह गया ख़ुदा अपने एहकाम को तुम लोगों से साफ़ साफ़ बयान करता है ताकि तुम ग़ौर करो
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū 'Anfiqū MinŢayyibāti Mā Kasabtum Wa Mimmā 'Akhrajnā Lakum Mina Al-'Arđi ۖ Wa Lā Tayammamū Al-Khabītha Minhu Tunfiqūna Wa Lastum Bi'ākhidhīhi 'Illā 'An Tughmiđū Fīhi ۚ Wa A`lamū 'Anna Allāha Ghanīyun Ĥamīdun
002-267 ऐ ईमान वालों अपनी पाक कमाई और उन चीज़ों में से जो हमने तुम्हारे लिए ज़मीन से पैदा की हैं (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करो और बुरे माल को (ख़ुदा की राह में) देने का क़सद भी न करो हालॉकि अगर ऐसा माल कोई तुमको देना चाहे तो तुम अपनी ख़ुशी से उसके लेने वाले नहीं हो मगर ये कि उस (के लेने) में (अमदन) आंख चुराओ और जाने रहो कि ख़ुदा बेशक बेनियाज़ (और) सज़ावारे हम्द है
Ash-Shayţānu Ya`idukumu Al-Faqra Wa Ya'murukum Bil-Faĥshā'i Wa ۖ Allāhu Ya`idukum Maghfiratan Minhu Wa Fađlāan Wa ۗ Allāhu Wāsi`un `Alīmun
002-268 शैतान तमुको तंगदस्ती से डराता है और बुरी बात (बुख्ल) का तुमको हुक्म करता है और ख़ुदा तुमसे अपनी बख्शिश और फ़ज़ल (व करम) का वायदा करता है और ख़ुदा बड़ी गुन्जाइश वाला और सब बातों का जानने वाला है
Yu'utī Al-Ĥikmata Man Yashā'u ۚ Wa Man Yu'uta Al-Ĥikmata Faqad 'Ūtiya Khayrāan Kathīrāan ۗ Wa Mā Yadhdhakkaru 'Illā 'Ūlū Al-'Albābi
002-269 वह जिसको चाहता है हिकमत अता फ़रमाता है और जिसको (ख़ुदा की तरफ) से हिकमत अता की गई तो इसमें शक नहीं कि उसे ख़ूबियों से बड़ी दौलत हाथ लगी और अक्लमन्दों के सिवा कोई नसीहत मानता ही नहीं
Wa Mā 'Anfaqtum Min Nafaqatin 'Aw Nadhartum Min Nadhrin Fa'inna Allāha Ya`lamuhu ۗ Wa Mā Lilžžālimīna Min 'Anşārin
002-270 और तुम जो कुछ भी ख़र्च करो या कोई मन्नत मानो ख़ुदा उसको ज़रूर जानता है और (ये भी याद रहे) कि ज़ालिमों का (जो) ख़ुदा का हक़ मार कर औरों की नज़्र करते हैं (क़यामत में) कोई मददगार न होगा
'In Tubdū Aş-Şadaqāti Fani`immā Hiya ۖ Wa 'In Tukhfūhā Wa Tu'utūhā Al-Fuqarā'a Fahuwa Khayrun Lakum ۚ Wa Yukaffiru `Ankum Min Sayyi'ātikum Wa ۗ Allāhu Bimā Ta`malūna Khabīrun
002-271 अगर ख़ैरात को ज़ाहिर में दो तो यह (ज़ाहिर करके देना) भी अच्छा है और अगर उसको छिपाओ और हाजतमन्दों को दो तो ये छिपा कर देना तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है और ऐसे देने को ख़ुदा तुम्हारे गुनाहों का कफ्फ़ारा कर देगा और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है
Laysa `Alayka Hudāhum Wa Lakinna Allāha Yahdī Man Yashā'u ۗ Wa Mā Tunfiqū Min Khayrin Fali'anfusikum ۚ Wa Mā Tunfiqūna 'Illā Abtighā'a Wajhi Allāhi Wa Mā ۚ Tunfiqū Min Khayrin Yuwaffa 'Ilaykum Wa 'Antum Lā Tužlamūna
002-272 ऐ रसूल उनका मंज़िले मक़सूद तक पहुंचाना तुम्हारा काम नहीं (तुम्हारा काम सिर्फ रास्ता दिखाना है) मगर हॉ ख़ुदा जिसको चाहे मंज़िले मक़सूद तक पहुंचा दे और (लोगों) तुम जो कुछ नेक काम में ख़र्च करोगे तो अपने लिए और तुम ख़ुदा की ख़ुशनूदी के सिवा और काम में ख़र्च करते ही नहीं हो (और जो कुछ तुम नेक काम में ख़र्च करोगे) (क़यामत में) तुमको भरपूर वापस मिलेगा और तुम्हारा हक़ न मारा जाएगा
002-273 (यह खैरात) ख़ास उन हाजतमन्दों के लिए है जो ख़ुदा की राह में घिर गये हो (और) रूए ज़मीन पर (जाना चाहें तो) चल नहीं सकते नावाक़िफ़ उनको सवाल न करने की वजह से अमीर समझते हैं (लेकिन) तू (ऐ मुख़ातिब अगर उनको देखे) तो उनकी सूरत से ताड़ जाये (कि ये मोहताज हैं अगरचे) लोगों से चिमट के सवाल नहीं करते और जो कुछ भी तुम नेक काम में ख़र्च करते हो ख़ुदा उसको ज़रूर जानता है
Al-Ladhīna Yunfiqūna 'Amwālahum Bil-Layli Wa An-Nahāri Sirrāan Wa `Alāniyatan Falahum 'Ajruhum `Inda Rabbihim Wa Lā Khawfun `Alayhim Wa Lā Hum Yaĥzanūna
002-274 जो लोग रात को या दिन को छिपा कर या दिखा कर (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करते हैं तो उनके लिए उनका अज्र व सवाब उनके परवरदिगार के पास है और (क़यामत में) न उन पर किसी क़िस्म का ख़ौफ़ होगा और न वह आज़ुर्दा ख़ातिर होंगे
Al-Ladhīna Ya'kulūna Ar-Ribā Lā Yaqūmūna 'Illā Kamā Yaqūmu Al-Ladhī Yatakhabbaţuhu Ash-Shayţānu Mina Al-Massi ۚ Dhālika Bi'annahumQālū 'Innamā Al-Bay`u Mithlu Ar-Ribā ۗ Wa 'Aĥalla Allāhu Al-Bay`a Wa Ĥarrama Ar-Ribā ۚ Faman Jā'ahu Maw`ižatun MinRabbihi Fāntahá Falahu Mā Salafa Wa 'Amruhu~ 'Ilá Allāhi ۖ Wa Man `Āda Fa'ūlā'ika 'Aşĥābu An-Nāri ۖ Hum Fīhā Khālidūna
002-275 जो लोग सूद खाते हैं वह (क़यामत में) खड़े न हो सकेंगे मगर उस शख्स की तरह खड़े होंगे जिस को शैतान ने लिपट कर मख़बूतुल हवास (पागल) बना दिया है ये इस वजह से कि वह उसके क़ायल हो गए कि जैसा बिक्री का मामला वैसा ही सूद का मामला हालॉकि बिक्री को तो खुदा ने हलाल और सूद को हराम कर दिया बस जिस शख्स के पास उसके परवरदिगार की तरफ़ से नसीहत (मुमानियत) आये और वह बाज़ आ गया तो इस हुक्म के नाज़िल होने से पहले जो सूद ले चुका वह तो उस का हो चुका और उसका अम्र (मामला) ख़ुदा के हवाले है और जो मनाही के बाद फिर सूद ले (या बिक्री के माले को यकसा बताए जाए) तो ऐसे ही लोग जहन्नुम में रहेंगे
'Inna Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Wa 'Aqāmū Aş-Şalāata Wa 'Ātaw Az-Zakāata Lahum 'Ajruhum `Inda Rabbihim Wa Lā Khawfun `Alayhim Wa Lā Hum Yaĥzanūna
002-277 (हॉ) जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ी और ज़कात दिया किये उनके लिए अलबत्ता उनका अज्र व (सवाब) उनके परवरदिगार के पास है और (क़यामत में) न तो उन पर किसी क़िस्म का ख़ौफ़ होगा और न वह रन्जीदा दिल होंगे
Fa'in Lam Taf`alū Fa'dhanū Biĥarbin Mina Allāhi Wa Rasūlihi ۖ Wa 'In Tubtum FalakumRu'ūsu 'Amwālikum Lā Tažlimūna Wa Lā Tužlamūna
002-279 और अगर तुमने ऐसा न किया तो ख़ुदा और उसके रसूल से लड़ने के लिये तैयार रहो और अगर तुमने तौबा की है तो तुम्हारे लिए तुम्हारा असल माल है न तुम किसी का ज़बरदस्ती नुकसान करो न तुम पर ज़बरदस्ती की जाएगी
Wa 'In Kāna Dhū `Usratin Fanažiratun 'Ilá Maysaratin ۚ Wa 'An Taşaddaqū Khayrun Lakum ۖ 'In Kuntum Ta`lamūna
002-280 और अगर कोई तंगदस्त तुम्हारा (क़र्ज़दार हो) तो उसे ख़ुशहाली तक मोहल्लत (दो) और सदक़ा करो और अगर तुम समझो तो तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है कि असल भी बख्श दो
Wa Attaqū Yawmāan Turja`ūna Fīhi 'Ilá Allāhi ۖ Thumma Tuwaffá Kullu Nafsin Mā Kasabat Wa Hum Lā Yužlamūna
002-281 और उस दिन से डरो जिस दिन तुम सब के सब ख़ुदा की तरफ़ लौटाये जाओगे फिर जो कुछ जिस शख्स ने किया है उसका पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उनकी ज़रा भी हक़ तलफ़ी न होगी
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū 'Idhā Tadāyantum Bidaynin 'Ilá 'Ajalin Musamman Fāktubūhu ۚ Wa Līaktub Baynakum Kātibun Bil-`Adli ۚ Wa Lā Ya'ba Kātibun 'An Yaktuba Kamā `Allamahu Allāhu ۚ Falyaktub Wa Līumlili Al-Ladhī `Alayhi Al-Ĥaqqu Wa Līattaqi Allāha Rabbahu Wa Lā Yabkhas Minhu Shay'āan ۚ Fa'in Kāna Al-Ladhī `Alayhi Al-Ĥaqqu Safīhāan 'Aw Đa`īfāan 'Aw Lā Yastaţī`u 'An Yumilla Huwa Falyumlil Walīyuhu Bil-`Adli ۚ Wa Astash/hidū Shahīdayni MinRijālikum ۖ Fa'in Lam Yakūnā Rajulayni Farajulun Wa Amra'atāni Mimman Tarđawna Mina Ash-Shuhadā'i 'An Tađilla 'Iĥdāhumā Fatudhakkira 'Iĥdāhumā Al-'Ukhrá ۚ Wa Lā Ya'ba Ash-Shuhadā'u 'Idhā Mā Du`ū ۚ Wa Lā Tas'amū 'An Taktubūhu Şaghīrāan 'Aw Kabīrāan 'Ilá 'Ajalihi ۚ Dhālikum 'Aqsaţu `Inda Allāhi Wa 'Aqwamu Lilshshahādati Wa 'Adná 'Allā Tartābū ۖ 'Illā 'An Takūna Tijāratan Ĥāđiratan Tudīrūnahā Baynakum Falaysa `Alaykum Junāĥun 'Allā Taktubūhā ۗ Wa 'Ash/hidū 'Idhā Tabāya`tum ۚ Wa Lā Yuđārra Kātibun Wa Lā Shahīdun ۚ Wa 'In Taf`alū Fa'innahu Fusūqun Bikum ۗ Wa Attaqū Allaha ۖ Wa Yu`allimukumu Allāhu Wa ۗ Allāhu Bikulli Shay'in `Alīmun
002-282 ऐ ईमानदारों जब एक मियादे मुक़र्ररा तक के लिए आपस में क़र्ज क़ा लेन देन करो तो उसे लिखा पढ़ी कर लिया करो और लिखने वाले को चाहिये कि तुम्हारे दरमियान तुम्हारे क़ौल व क़रार को, इन्साफ़ से ठीक ठीक लिखे और लिखने वाले को लिखने से इन्कार न करना चाहिये (बल्कि) जिस तरह ख़ुदा ने उसे (लिखना पढ़ना) सिखाया है उसी तरह उसको भी वे उज़्र (बहाना) लिख देना चाहिये और जिसके ज़िम्मे क़र्ज़ आयद होता है उसी को चाहिए कि (तमस्सुक) की इबारत बताता जाये और ख़ुदा से डरे जो उसका सच्चा पालने वाला है डरता रहे और (बताने में) और क़र्ज़ देने वाले के हुक़ूक़ में कुछ कमी न करे अगर क़र्ज़ लेने वाला कम अक्ल या माज़ूर या ख़ुद (तमस्सुक) का मतलब लिखवा न सकता हो तो उसका सरपरस्त ठीक ठीक इन्साफ़ से लिखवा दे और अपने लोगों में से जिन लोगों को तुम गवाही लेने के लिये पसन्द करो (कम से कम) दो मर्दों की गवाही कर लिया करो फिर अगर दो मर्द न हो तो (कम से कम) एक मर्द और दो औरतें (क्योंकि) उन दोनों में से अगर एक भूल जाएगी तो एक दूसरी को याद दिला देगी, और जब गवाह हुक्काम के सामने (गवाही के लिए) बुलाया जाएं तो हाज़िर होने से इन्कार न करे और क़र्ज़ का मामला ख्वाह छोटा हो या उसकी मियाद मुअय्युन तक की (दस्तावेज़) लिखवाने में काहिली न करो, ख़ुदा के नज़दीक ये लिखा पढ़ी बहुत ही मुन्सिफ़ाना कारवाई है और गवाही के लिए भी बहुत मज़बूती है और बहुत क़रीन (क़यास) है कि तुम आईन्दा किसी तरह के शक व शुबहा में न पड़ो मगर जब नक़द सौदा हो जो तुम लोग आपस में उलट फेर किया करते हो तो उसकी (दस्तावेज) के न लिखने में तुम पर कुछ इल्ज़ाम नहीं है (हॉ) और जब उसी तरह की ख़रीद (फ़रोख्त) हो तो गवाह कर लिया करो और क़ातिब (दस्तावेज़) और गवाह को ज़रर न पहुँचाया जाए और अगर तुम ऐसा कर बैठे तो ये ज़रूर तुम्हारी शरारत है और ख़ुदा से डरो ख़ुदा तुमको मामले की सफ़ाई सिखाता है और वह हर चीज़ को ख़ूब जानता है
Wa 'In Kuntum `Alá Safarin Wa Lam Tjidū Kātibāan Farihānun Maqbūđatun ۖ Fa'in 'Amina Ba`đukum Ba`đāan Falyu'uaddi Al-Ladhī A'utumina 'Amānatahu Wa Līattaqi Allāha Rabbahu ۗ Wa Lā Taktumū Ash-Shahādata ۚ Wa Man Yaktumhā Fa'innahu~ 'ĀthimunQalbuhu Wa ۗ Allāhu Bimā Ta`malūna `Alīmun
002-283 और अगर तुम सफ़र में हो और कोई लिखने वाला न मिले (और क़र्ज़ देना हो) तो रहन या कब्ज़ा रख लो और अगर तुममें एक का एक को एतबार हो तो (यूं ही क़र्ज़ दे सकता है मगर) फिर जिस शख्स पर एतबार किया गया है (क़र्ज़ लेने वाला) उसको चाहिये क़र्ज़ देने वाले की अमानत (क़र्ज़) पूरी पूरी अदा कर दे और अपने पालने वाले ख़ुदा से डरे (मुसलमानो) तुम गवाही को न छिपाओ और जो छिपाएगा तो बेशक उसका दिल गुनाहगार है और तुम लोग जो कुछ करते हो ख़ुदा उसको ख़ूब जानता है
Lillāh Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi ۗ Wa 'In Tubdū Mā Fī 'Anfusikum 'Aw Tukhfūhu Yuĥāsibkum Bihi Allāhu ۖ Fayaghfiru Liman Yashā'u Wa Yu`adhdhibu Man Yashā'u Wa ۗ Allāhu `Alá Kulli Shay'inQadīrun
002-284 जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़) सब कुछ खुदा ही का है और जो कुछ तुम्हारे दिलों में हे ख्वाह तुम उसको ज़ाहिर करो या उसे छिपाओ ख़ुदा तुमसे उसका हिसाब लेगा, फिर जिस को चाहे बख्श दे और जिस पर चाहे अज़ाब करे, और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
'Āmana Ar-Rasūlu Bimā 'Unzila 'Ilayhi MinRabbihi Wa Al-Mu'uminūna ۚ Kullun 'Āmana Billāhi Wa Malā'ikatihi Wa Kutubihi Wa Rusulihi Lā Nufarriqu Bayna 'Aĥadin MinRusulihi ۚ Wa Qālū Sami`nā Wa 'Aţa`nā ۖ Ghufrānaka Rabbanā Wa 'Ilayka Al-Maşīru
002-285 हमारे पैग़म्बर (मोहम्मद) जो कुछ उनपर उनके परवरदिगार की तरफ से नाज़िल किया गया है उस पर ईमान लाए और उनके (साथ) मोमिनीन भी (सबके) सब ख़ुदा और उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों और उसके रसूलों पर ईमान लाए (और कहते हैं कि) हम ख़ुदा के पैग़म्बरों में से किसी में तफ़रक़ा नहीं करते और कहने लगे ऐ हमारे परवरदिगार हमने (तेरा इरशाद) सुना
Lā Yukallifu Allāhu Nafsāan 'Illā Wus`ahā ۚ Lahā Mā Kasabat Wa `Alayhā Mā Aktasabat ۗ Rabbanā Lā Tu'uākhidhnā 'In Nasīnā 'Aw 'Akhţa'nā ۚ Rabbanā Wa Lā Taĥmil `Alaynā 'Işrāan Kamā Ĥamaltahu `Alá Al-Ladhīna MinQablinā ۚ Rabbanā Wa Lā Tuĥammilnā Mā Lā Ţāqata Lanā Bihi ۖ Wa A`fu `Annā Wa Aghfir Lanā Wa Arĥamnā ۚ 'Anta Mawlānā Fānşurnā `Alá Al-Qawmi Al-Kāfirīna
002-286 और मान लिया परवरदिगार हमें तेरी ही मग़फ़िरत की (ख्वाहिश है) और तेरी ही तरफ़ लौट कर जाना है ख़ुदा किसी को उसकी ताक़त से ज्यादा तकलीफ़ नहीं देता उसने अच्छा काम किया तो अपने नफ़े के लिए और बुरा काम किया तो (उसका वबाल) उसी पर पडेग़ा ऐ हमारे परवरदिगार अगर हम भूल जाऐं या ग़लती करें तो हमारी गिरफ्त न कर ऐ हमारे परवरदिगार हम पर वैसा बोझ न डाल जैसा हमसे अगले लोगों पर बोझा डाला था, और ऐ हमारे परवरदिगार इतना बोझ जिसके उठाने की हमें ताक़त न हो हमसे न उठवा और हमारे कुसूरों से दरगुज़र कर और हमारे गुनाहों को बख्श दे और हम पर रहम फ़रमा तू ही हमारा मालिक है तू ही काफ़िरों के मुक़ाबले में हमारी मदद कर